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मेरा पहला सेक्स कल्लू के साथ

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मैं रिचा हूँ पटियाला से। मैं बी टेक की छात्रा हूँ। मैं आपको अपनी कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरे साथ उस समय बीती जब मैं बारहवीं क्लास की परीक्षा देकर फ़्री हुई थी। मेरे पेरेन्ट्स सरकारी नौकरी मे हैं। इस लिये दिन भर मैं घर मैं अकेली रहती थी। हमारा एक नौकर जिसका नाम कल्लु है, भी हमारे साथ ही रहता है। उसकी उमर करीब 30 साल है और वो एक अच्छा सेहतमन्द और ताकतवर आदमी है।

एक दिन मैं अकेली बैठी थी। पेरेन्ट्स अभी अभी ऑफ़िस गये थे। कल्लु मेरे पास आया और कहने लगा- क्या कर रही हो?
मैं बोली- कुछ भी तो नहीं।
वो बोला- मेम साहब, अगर बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं।
मैं बोली- कहो।

उसने कहा- मेम साहब आज मुझे अपनी घरवाली की बहुत याद आ रही है।
उसकी घरवाली नेपाल के गांव मे रहती है।

मैंने कहा- बोलो, मैं क्या कर सकती हूँ।
वो बोला- मेम साहब, मेरे साथ थोड़ी देर बात कर लेना। इससे मेरा जी थोड़ा हलका हो जायेगा।
मैंने कहा- नो प्रोब्लम।
मैं उसके घर परिवार के बारे मैं पूछने लग गई।

बातों बातों में वो बोला- मेम साहब, हम अपनी घरवाली के साथ बहुत मज़ा लेते हैं।
मै बोली- तुम क्या बात कर रहे हो। कौन सा मज़ा लेते हो?
वो बोला- मेम साहब सेक्स का बहुत मज़ा लेते हैं।
मैं पूछ बैठी- यह सेक्स मैं क्या मज़ा होता है।

उसने कहा- मेम साहब आज आपको पूरी डीटेल में समझाता हूँ।

फिर उसने कहा- पहले मैं उसके सारे कपड़े उतार देता हूँ, फिर उसके सारे शरीर को चूमता हूँ, फिर उसके बदन पर अपना हाथ फ़िराता हूँ, ऐसा करने से वो भी मस्त हो जाती है। मैं फिर उसके मम्मे चूसता हूँ।

मैंने उसको टोक दिया- मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रही है।

वो बोला- मेम साहब, फ़िकर नोट, मैं आपको प्रेक्टिकल करके बताता हूँ।

इससे पहले मैं कुछ समझ सकती, वो मुझे चूमने लगा।

मैं उस दिन स्कर्ट टॉप पहने थी। उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ लिया और एक हाथ से पीठ के पीछे अपने एक हाथ से कस दिये। और वो मेरे लिप्स को चूसने लगा। उसकी सांसो से शराब के स्मेल आ रही थी। वो एक ताकतवर आदमी था। वो बोला रिचा मेम साहब, तुमहरे लिप्स बहुत रसदार हैं। इतने रसभरे लिप्स तो मेरी घर वाली के भी नहीं हैं।

मैंने कहा- कल्लु बहुत हो गया। अब मुझे छोड़ दो।

वो बोला- मेम साहब, मैं आज 4 बजे की गाड़ी पकड़ कर निकल जाऊंगा। तुम लोग मुझे ढूंढते ही रह जाओगे। पर जाने से पहले मैं तुम्हारी अच्छी तरह चुदाई करना चाहता हूँ।

वो बोला- मेम साहिब, तुम्हारे हाथ तो सिर्फ़ प्यार करने के लिये हैं। उसने मुझे पीठ के पीछे से पकड़ लिया और मुझे लेकर सोफ़ा पर बैठ गया। मैं उसकी गोद मैं बैठी थी। उसने अपने हाथ मेरे पेट पर चलना शुरु कर दिया।

फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ को उपर मेरी छाती पर लाने लगा, उसका हाथ मेरी छाती पर आ गया। वो मेरी छाती को कस कर दबाने लगा। यह मेरे लिये बहुत दर्दभरा था।

मैं चिल्लाई- ऊऊईई छोड़ दो मुझे, पर उसने मेरे मम्मों को मसलना जारी रखा। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरे टॉप का बटन खोल दिया। वो अपना हाथ टॉप के अन्दर ले गया। और मेरे मम्मों को दबाने लगा।

मेरे शरीर मे सनसनाहट सी होने लगी। जीवन मैं पहली बार किसी का हाथ मेरे मम्मो पर लगा था। कुछ समय के लिये उसका छूना मुझे अच्छा लगा पर वो बहुत जोर जोर से दबा रहा था। मुझे दर्द भी बहुत हो रहा था। फिर उसने मेरे निप्प्ल को ढूंढ कर उसे मसलना शुरु कर दिया। मेरे निपल कुचलने से मेरे बदन में मीठी सी आग भरने लगी। मेरे तन बदन मैं एक मस्ती सी छानी शुरु हो गई थी।

मेरी चूत गीली होने लगी थी। पर वो इससे अन्जान था। थोड़ी देर के बाद उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे टॉप को थोड़ा ऊपर उठाया और फिर दोनो हाथो से एक झटके साथ टॉप को उतर कर फैंक दिया। फिर उसने मेरी ब्रा के स्ट्रेप्स नीचे कर दिये और मेरे मम्मे ब्रा से बाहर उछल कर आ गये। उसने दोनो मम्मो को पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाने लगा।

कितना मधुर अहसास होने लगा था। अब मैं कोई विरोध नहीं कर रही थी, और करना भी नहीं चाहती थी। मुझे अब होने वाली मस्त चुदाई मस्ती छाने लगी थी। उसने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और एक झटके के साथ मेरी स्कर्ट और पेण्टी को उतार दिया। इस तरह उसने मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया। फिर उसने अपनी शर्ट और लुन्ग़ी खोल दी। वो भी पूरी तरह नंगा था।

उसका शरीर बहुत ताकतवर था और उसका लण्ड करीब 9 इन्च लम्बा था और करीब 2 इन्च मोटा था। पहले तो मै उसे देखती ही रह गई। उसका शरीर गठा हुआ था। लण्ड उफ़नता हुआ, बहुत ही तन्ना रहा था। फिर मैं उसे देख कर बहुत डर गई।

उसने मुझे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया और मेरे उपर सवार हो गया। पहले उसने मेरे सारे शरीर को चूमा फिर उसने मेरे मम्मो को दबाया फिर उन्हे अपने मूह मैं लेकर बारी बारी चूसने लगा।
एक मस्ती का एहसास मेरे दिलो दिमाग पर हावी होने लगा। उसके शरीर का लुभावना दबाव मुझ पर परने लगा। मेरी चूत मैं एक मस्ती भरी खुजली होने लगी। खुजली बढती ही गई। मेरे निप्पल तन कर खड़े हो गये थे। उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया और एक झटका लगा दिया। लण्ड थोड़ा सा अन्दर चला गया।

मैं चीख पड़ी- आआयईईए आआहहह ऊऊओह्हह हैईई माआआअर्रर्र गाआआययईई नाआअहह्हीइन

फिर उसने एक जोरदार झटका मार दिया और लण्ड करीब आधा अन्दर चला गया। मेरी सील भी टूट गई। मेरी चूत से खून बहने लगा। मैं चीखना चाहती थी पर उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मैं लेकर दबा रखा था, वो बोला- मेम साहब तुम बहुत मस्त हो। आज तुम्हारी सील तोड़ने मैं मज़ा आ गया।

उसने एक और जोरदार झटका लगाया और उसका लण्ड पूरी तरह मेरी चूत मैं घुस चुका था। मैं चीखना चाहती थी पर चीख नहीं सकती थी। मैरी आंखो से आंसु टपक रहे थे।

वो बोला- थोड़ी देर रुक जाता हूँ। फिर उसने मेरे मम्मो को चूसना शुरु कर दिया। इससे मुझे बहुत आराम मिला और मेरा दर्द भी कम हो गया। फिर उसने धीरे धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया। फिर दर्द की एक धीमी लहर उठी, पर अब साथ मैं मज़ा भी आ रहा था। कुछ देर बाद दर्द पूरी तरह से खतम हो गया। अब तो बस मज़ा ही मज़ा था। उसने पूरी मस्ति के साथ

मेरी चुदाई की। उसका मोटा मस्त लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटाने में लगा था। मैंने भी अपनी गाण्ड को उठा कर उसका साथ दिया। खूब उछल उछल कर उससे चुदवाया। थोड़ी देर के बाद मैं झड़ गई।

पर वो अभी तक पूरी जोर से चुदाई कर रहा था।

उसने मेरी टांगे ऊपर उठा दी। फिर उनको लेफ़्ट घुमा दिया और मेरी गाण्ड से पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया। इस पोजीशन मैं मुझे बहुत मज़ा आया और मैं एक बार फिर से चरमसीमा तक पहुंच गई। पूरे एक घण्टे की चुदाई के बाद वो ठण्डा हुअ। 15 मिनट के बाद उसने फिर से मुझे पकड़ लिया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर घुसा दी। मैं फिर से

आनन्द के सागर मैं गोते लगाने लगी। मुझे अथाह सुख मिलने लगा था। अब की बार उसने मुझे लेटा दिया और अपना लण्ड मेरे मुख मैं डाल दिया। लण्ड बहुत ही मोटा था। फिर भी मस्ती में मैंने उसे खूब दबा दबा कर चूसा। उसके सुपाड़े को को दांतो से खूब कुचल कुचल कर उसको मस्त कर दिया। वो तो मस्त जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा। इस तरह मैं एक बार फिर गर्म हो गई।

अब कि बार उसने मुझे बेड के सहारे खड़ा कर दिया और मेरी चिकनी गाण्ड मैं अपना लण्ड घुसेड़ दिया। उससे मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुया। करीब आधा घण्टा तक मेरी गाण्ड चोदने के बाद वो ठण्डा हो गया। मेरा एक एक अंग दुख रहा था। उसके बाद उसने साढे तीन बजे तक मेरी पांच बार चुदाई की और फिर जल्दी से अपने कपड़े लेकर भाग गया। जाते जाते उसने कहा, मेम साहब मैं आपको हमेशा याद रखूंगा। तुम मेरी सेक्स की देवी हो। जो मज़ा तुमने मुझे दिया है वो आज तक किसी भी औरत मैं नहीं है।

उस दिन के बाद यह बात मैंने किसी को भी नहीं बताई, पर मुझे ये अपनी पहली चुदाई को हमेशा याद याद आती रहती है। सच मैं, मैंने भी इसमे काफ़ी मज़ा लिया था।

अगर कोई इसके बारे में कुछ भी पूछना चाहे तो मेल कर सकते है मेरी आई डी ये है


प्यास बुझती नहीं

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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नस्कार। कैसे हैं आप लोग?

मुझे आप लोगों के बहुत सारे मेल मिले जिनमें मेरी कहानियों की तरीफ़ थी। मैं आप सबका खुले दिल और खुली चूत के साथ शुक्रिया अदा करती हूँ। आप सबको पता होना चाहीये कि आज मैंने अपनी चूत के बाल साफ़ किये है और अब फ़िर से मेरी चूत तनतना गई है किसी कोरी कमसिन लड़की की तरह।

हाँ तो दोस्तो, अब मैं अपनी कहानी शुरु करती हूँ जिसमें एक बार फ़िर से अब्बु और भैया ने मुझे चोदा।

उस दिन हुआ यह था कि मैं बहुत चुदासी थी और अम्मी नानी के घर गई हुई थी। यह तो आप लोग जानते ही है कि मेरी पहली चुदाई भी अब्बु ने ही की थी और फ़िर अम्मी ने भैया से भी चुदवाया था और अब वो लोग अकसर मुझे चोदा करते थे।

मगर इधर बहुत दिन से अब्बु अम्मी की फ़ैली हुई चूत में मस्त थे और भैया ने कोई दूसरी गर्ल फ़्रेन्ड फ़ंसा ली थी और मुझ पर ध्यान देना छोड़ ही दिया था।तब आखिर अम्मी के बाहर जाते ही मैंने सबसे पहले अपनी झांटे बनाई और रात को अब्बु के कमरे में गई।

अब्बु कोई मूवी देख रहे थे और मुझे देख कर बोले- बेटी, क्या हुआ आज बहुत दिन बाद अब्बा की याद आई?

तब मैंने कहा- आप तो अम्मी जान की चूत में ही फ़ंसे रहते हैं अब आपको मेरा ज़रा भी खयाल नहीं ! आपने मुझे कितने दिनों से नहीं चोदा है।

तब अब्बु ने दुलार जताते हुए कहा- ऊऊओह्ह ह्ह मेरी प्यारी रानी बेटी आजा, आज तुझे फिर से चोदता हूँ !

और यह कह कर उन्होंने डीवीडी बदल दी।

अब उसमें एक ब्ल्यू फ़िल्म चलने लगी। जिसमें एक छोटी सी लड़की को पाँच आदमी चोद रहे थे। जिसे देख कर मेरी आँखें बाहर आ गई और मैंने अब्बु से कहा- अब्बा यह बच्ची इन पांचों को एक साथ झेल रही है और उसको कितना मज़ा आ रहा है जबकि इसकी उम्र भी अभी ज्यादा नहीं होगी।

तब अब्बु बोले- मेरी बच्ची, ये साले अंग्रेज लोग ऐसे ही होते हैं। साली इतनी सी है और तुम खुद ही देखो कि कैसे मज़े ले लेकर पांच पांच लण्डों का मज़ा एक साथ ले रही है। जबकि इसमें एक इसका बाप और एक भैया के अलावा तीन बाहर वाले हैं।

अब ये सब देख कर भला मेरी चूत में खाज़ क्यूं नहीं उठेगी।

तब मैंने अब्बु से कहा- अब्बु, मैं तो आप और भैया से ही चुदवाकर पनाह मांग लेती हूँ।
अब्बु ने कहा- जा बगल के कमरे से अफ़ाक को बुला ला। साला लण्ड हाथ में पकड़े सो रहा होगा।

तब मैं भैया के कमरे की तरफ़ बढी और देखा तो सच में वो अपने लण्ड को हाथ में लेकर सड़का मार रहा था।

मैं जल्दी से बढ़ते हुए बोली- हाय भैया, क्या गज़ब कर रहे हो। भला घर में इतनी खूबसूरत बहन होते हुए तुम्हें यह सब करना पड़े तो लानत है मेरी जवानी पर !

और मैंने झट से उनका लण्ड अपने कोमल हाथ में ले लिया, बड़े प्यार से सहलाने लगी और जल्दी जल्दी हाथ आगे पीछे करने लगी और फ़िर झट से मुँह में लेकर चूसने लगी और तब भैया का लण्ड पूरी औकात में आ गया और वो मेरे बालों को पकड़ते हुए जोर जोर से धक्का मारने लगे और फ़िर जल्दी ही उनका पानी मेरे मुँह में गिरा जिसे मैं चपर चपर करते हुए चाट गई और भैया से बोली- चलो अब्बु बुला रहे हैं, आज फ़िर से तुम दोनों मुझे चोदकर मज़ा दो।

और भैया का लण्ड पकड़ कर अब्बु के कमरे में ले आई और भैया को देखते ही अब्बु बोले- मैंने कहा था साला मुठ मार रहा होगा।

तब मैंने कहा- अब्बु, आप बहुत तजुरबेदार हैं, सच में भैया सड़का मार रहे थे।

और फ़िर मैंने अब्बु का लण्ड अपने मुँह में ले लिया और भैया पीछे से मेरी गाण्ड पर अपना लण्ड रगड़ते हुए अन्दर डालने की कोशिश करने लगे।

तब मैंने कहा- अब्बु जी, मैं भी ब्ल्यू फ़िल्म वाली लड़की की तरह पांच जनों से एक साथ ही चुदाना चाहती हूँ।
अब्बा ने कहा- बेटी, तू नहीं झेल पायेगी एक साथ पांच पांच को।

मगर मैं तो पूरी तरह से चुदासी हो ही चुकी थी, मैंने कहा- कान खोल के सुन लो आप दोनो को मुझे पांच जन से एक साथ चुदाना है तो चुदाना है। अगर कल आप लोग ने मुझे पांच जन से नहीं चुदवाया तो बहुत बुरा होगा।

तब अब्बु ने कहा- अच्छा अच्छा मेरी रानी बेटी, मैं तो तेरे भले के लिये ही कह रहा था। अगर तेरी चूत फ़ट गई तो परेशानी तो हमीं लोगो को होगी। मगर जब तू नहीं मान रही तो मेरे बला से। अब चल आज तो हम दोनों से चुदवा ले !

यह कह कर उन्होंने फ़िर से अपना मूसल जैसा लण्ड मेरे मुँह में जोरदार धक्के के साथ अन्दर धकेल दिया और तभी भैया ने पीछे से मेरी गाण्ड फ़ैलाकर इतनी जोर से धक्का मारा कि मुझे नानी याद आ गई ऊऊउईई माआआ मर गई आआह्हहह भैया जरा धीरे से धक्का मारो तू तो नानी याद दिला रहा है।

तब अब्बु ने कहा- बेटी, चाहे जिसका नाम ले पर नानी का नाम ना ले।
तब मैंने कहा- क्यूं?
तब अब्बु बोले- तेरी नानी की चूत मैंने मारी थी और कई साल तक मैं उसकी चूत चोदता रहा था।

तब मेरे साथ साथ भैया का मुँह भी खुला रह गया, तब भैया ने कहा- अब्बु, क्या आपने नानी को चोदा है?

अब्बु ने कहा- हां यार, साली मेरी सास बहुत मस्तानी थी। तुझे तो पता ही है कि तेरी अम्मी की कम उमर में शादी हुई थी। जब मेरी शादी हुई थी मैं 19 साल का था और तेरी अम्मी 18 साल की थी और मेरी सास सिर्फ़ 34 साल की थी। मगर मेरे ससुर की उमर करीब 42 साल थी, वो तुम्हारी नानी को खुश भी नहीं कर पाता था। जाने भी दो इन बातों को, अभी तो फ़िलहाल चुदाई का मज़ा लो। उसकी चुदाई के बारे में फ़िर कभी बताऊँगा।

और तब भैया पीछे से मेरी गाण्ड मार रहे थे और अब्बु आगे से मेरे मुँह में अपने लण्ड को धक्के लगा रहे थे।

अब मुझे भी मस्ती आने लगी और मैं अपने मुँह और गाण्ड को आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी थी और तब भैया झड़ गये थे। मगर अब्बु जी अभी भी नहीं झड़े थे और उन्होंने मुझे बेड पर खड़ा होने को कहा।

मैं खड़ी हो गई और तब अब्बु ने मेरे दोनों पैर अपने कन्धे के दायें बायें किए और मेरी चूत को मुँह में भर कर चूसने लगे। मैं बुरी तरह तप रही थी और अपने अब्बु का मुँह जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी। तब ही अब्बु खड़े होने की कोशिश करने लगे और मेरा बैलेन्स बिगड़ने लग।

तब मैंने घबरा कर कहा- आआअह्हह अब्बु क्या कर रहे है मैं गिर जाऊँगी !

मगर अब्बु नहीं माने और वो मुझे अपने कंधे पर बैठा कर खड़े हो गये। अब मैं अपनी दोनों टांगें उनकी गरदन में कस कर लपेटे हुए थी और अपनी चूत को उनके मुँह से दबाते हुए उनके सिर को भी जोर जोर से दबा रही थी और भैया आंख फ़ाड़े हुए अब्बु के इस पोज़ को देख रहा था और कसम से मज़ा तो हमें भी बहुत आ रहा था।

इस तरह से कोई पहली बार मेरी चूत चाट रहा था और थोड़ी देर बाद ही मैं ऊऊओहह्ह ऊओह्ह आह्हह आआअह्ह करते हुए झड़ गई और अब्बु का रस भी नीचे से पिचकारी की तरह बहने लगा और तब अब्बु मुझे नीचे उतारते हुए बेड पर लेटकर तुरंत अपने झड़े हुए लण्ड को मेरी दोनों चूचियों के बीच में रगड़ने लगे और मैं उनके नोक की तरह लण्ड की टोपी को मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी। पर अब्बु जल्दी जल्दी आगे पीछे कर रहे थे।

तब मैंने कहा- अब्बु, अपना लण्ड मेरे मुँह में दीजिये। आपका सारा माल बेकार ही जाया हो रहा है।

तब अब्बु ने अपने लण्ड को दोनों चूची के बीच से हटा कर मेरे मुँह में डाल दिया और मेरी चूची दबाने लगे और इस तरह से उनके लण्ड से थोड़ा सा रस और निकला, जिसे मैं चाट गई और फ़िर अब्बु ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में ठूंस दिया और उस दिन अब्बु और भैया दोनो ने मेरी गाण्ड ही मारी थी। मेरी बुर के साथ कोई हरकत नहीं की थी और फ़िर रात को दुबारा भी उन लोगों ने मेरी गाण्ड एक एक बार और मारी अब मेरी गाण्ड फ़ड़फ़ड़ा रही थी।

सुबह अब्बु ने कहा- क्यों रानी बेटी, क्या खयाल है? क्या अब भी पांच जन से चुदवाओगी?
मैंने गुस्से से कहा- साला बेटीचोद भोसड़ी वाले, कहा ना चुदवाना है तो चुदवाना है।
तब अब्बु मुस्कुरा कर बोले- कोई बात नहीं, आज रात तैयार रहना, आज पांच लोगों को लेकर आऊँगा !

और फ़िर मुझे अब्बु से नानी की चुदाई की बात भी जाननी थी। आज रात मुझे पांच जन से एक साथ चुदाई का मज़ा आने वाला है मगर मुझे अफ़सोस है कि अन्तर्वासना बहुत सी पाठिकाओं को शायद आज भी कोई लण्ड नसीब नहीं हुआ होगा और उन्हें मोमबत्ती से काम चलाना पड़ता होगा क्योंकि हर लड़की मेरी तरह बाप और भैया से नहीं चुदवा सकती।

खैर मैं पांच जन की चुदाई दास्तान आज रात चुदाने के बाद अगली बार आप सबको बताऊँगी। तब तक सभी लड़कियाँ मोमबत्ती और लड़के जो भी चीज़ उनको आसान लगे उससे काम चला लेवें।

और हाँ मुझे इसी तरह मेल करते रहियेगा।

फिर तेरी कहानी याद आई

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सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। अपनी कहानी या आप बीती बताने से पहले मैं स्वय का परिचय देना उचित समझता हूँ। मेरा नाम अरिन्दम है, मैं कोलकाता से हूँ। मैं विज्ञान में ग्रेजुएट हूँ।

कोई हादसा बताने से पहले उसका वातावरण और परिस्थितियां बताना आव्श्यक होता है, नहीं तो कहानी समझने में परेशानी होती है।

ये उस समय की बात है जब मैंने अपनी सीनीयर सेकेन्ड्री की परीक्षा दे कर कॉलेज में दाखिल हो चुका था।

मैं एक किराये के मकान में रहता था जो मेरे मौसा का ही था। हमारा खुद का मकान तब तक बन कर तैयार नहीं हुआ था। इस मकान में हम तीन लोग रहते थे। मैं पापा और मां दूसरी मंजिल पर रहते थे और मौसाजी चौथे फ़्लोर पर रहते थे। मौसा का रिश्ता हमारे से करीब का रिश्ता था। मौसा की बेटी मुझसे दो साल छोटी थी। उसके साथ मेरा ताल मेल अच्छा था। वो मेरी बहन भी थी और एक अच्छी दोस्त भी थी।

मैं उसे अपनी दिल की कर एक बात बताता था। वो मेरी हर बात को ध्यान से सुनती थी। पिन्की रूपा की करीब की सहेली थी मतलब बेस्ट फ़्रेन्ड थी, जो रूपा के साथ एक ही क्लास में पढती थी। पिन्की बहुत खूबसूरत थी ये तो मैं नहीं कहूंगा। लेकिन उसमे कोई बात थी, कोई कशिश थी जो मेरे दिल को छू जाती थी। स्कूल से छूटने के बाद वो रोज ही मिलने के लिये हमारे अपार्टमेन्ट में आती थी, क्यूंकि रूपा के साथ रिश्ता बहुत अच्छा था। हम तीनो ही कभी कभी मूड होने पर खूब गप्पे मारते थे। कभी मौका मिलने पर मैं उन दोनो के साथ सिनेमा देखने भी जाता था।

इतना सब कुछ होने के बाद भी मैं पिन्की के साथ खुल कर बात नहीं कर पाता था। धीरे धीरे मुझे महसूस होने लगा था कि मैं उसे प्यार करने लगा हूँ। मैं अपने दिल की बात पिन्की को बताऊ, उससे पहले मैंने रूपा से पूछ लेना उचित समझा। इसलिये एक दिन मैंने साहस करके अपने दिल की बात रूपा को बता दी। पहले तो वो सुन कर हंस पड़ी, फिर सम्भलते हुये बोली – ये बहुत ही अच्छी बात है। फिर उसी से मुझे पता चला कि पिन्की भी मेरे बारे में रूपा से पूछताछ करती है। रूपा ने मुझे खुद ही आगे बढ कर प्यार का इजहार करने की सलाह दी।

उसने बताया कि ये काम तो वो भी कर सकती है लेकिन मेरे स्वयं को पिन्की को जाकर बताने से इसका असर बहुत अच्छा होगा। रूपा की सलाह के मुताबिक मैंने एक दिन अपनी हिम्मत जुटाई और हमारे अपार्टमेन्ट के नीचे जाकर खड़ा हो गया और फिर पिन्की के आने का इन्तज़ार करने लगा। पर हाय रे दिल ! मैंने जैसे ही पिन्की को देखा मेरी जबान सूखने लगी, तालू से चिपक कर रह गई। पसीना निकल पड़ा। अब तो वो मेरे बिलकुल नजदीक आ चुकी थी। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। मेरी हालत देख कर पिन्की हंस पड़ी और नीचे खड़े होने की वजह पूछने लगी।

मुझे पता था कि ये प्यार के इजहार करने का सुनहरा मौका था। लेकिन मैं अन्दर से इतना बौखलाया हुआ था कि मैंने अपना यह सुनहरा मौका गवां दिया। मेरे मुख से निकल पड़ा – वो ,मेरा एक दोस्त आने वाला है इसलिये मैं उसके इन्तज़ार में नीचे खड़ा हूँ।

मेरे हकला कर बोलने से पिन्की फिर से एक बार और हंस पड़ी। मेरी हालत ये थी कि मैं तो अपनी तक भी उससे नहीं मिला पा रहा था।

मैंने बाद में रूपा को जो जो हुआ था सब बता दिया। उसे भी एक बार तो हंसी आ गई। फिर बोली उसे ये बात पता है, पिन्की ने उसे ये सब खुद बताया था। मुझे बेहाल देख कर रूपा ने फिर से कोशिश करने की सलाह दी।

देखते देखते तीन महिना गुज़र गया लकिन मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया। इसी दौरान हमारा खुद का मकान पूरा बन चुका था। हम लोग नये घर में जाने की तैयारी कर रहे थे। एक रविवार के दिन मैं, मां, रूपा मौसा और मौसी मिलकर घर का कुछ सामान और गृह प्रवेश काकुछ सामान भी लेकर नये वाले घर में गये। पापा हर रविवार को दादा, दादी, चाचा और चाची से मिलने के लिये अपने गांव जाया करते थे, इसलिये वो हमारे साथ नहीं थे।

उस रविवार को मेरे घर पर मेरा एक दोस्त आने वाला था, इसलिये मैं सामान रख कर जल्दी ही वहां से निकल गया था। तभी यकायक मेरे मन में एक ख्याल आया कि रूपा और मौसी का तो नये घर में आने का कार्यक्रम तो सवेरे हू बना था। पिन्की को तो ये पता नहीं था। वो तो हर दिन की तरह आज भी रूपा से मिलने जरूर आयेगी। इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना है। मैंने अपने दोस्त को फोन कर दिया कि मुझे आज नये घर मेजाना है इसलिये सोम वार को आना।

घर पहुंचते ही मुझे लगा कि यh मौका सुनहरा है। मैं ये मौका मिलने से बहुत रोमांचित होने लगा था। मौका को हाथ में लेने के लिये और प्यार का इजहार करने लिये मैं अपने आपको अलग ढंग से तैयार भी करने लगा। लेकिन जैसे ही पिन्की के आने का समय नजदीक आने लगा मेरा कोंफ़ीडेन्स बढने के बजाय डगमगाने लगा। इसी समय किसी के ऊपर आने की आवाज सुनकर मैंने दरवाजे के होल पर आंख लगा दी। देखा तो पिन्की रूपा से मिलने के लिये ऊपर ही आ रही थी। जैसे ही वो ऊपर चली गई तो मैं अपना दरवाजा खोल कर उसके लौटने का इन्तज़ार करने लगा।

कुछ समय बाद वो नीचे उतर कर आई तो मुझे देख कर उसने मुझे रूपा के बारे में पूछा। तो मैंने उसे कि वो मेरे पापा और मम्मी के साथ नये घर में गई हुई है। पिन्की जैसे ही पीछे मुड़ कर लौट जाने के लिये मुड़ी तो मैंने उसे कहा कि वो मेरे घर पर रूपा का इन्तज़ार कर ले। पहले तो ना करने लगी, पर मैंने उसे थोरा सा जोर दिया तो वो मान गई।

घर में घुसने के बाद मैंने उसे सोफ़ा पर बैठा दिया और खुद भी उसके सामने बैठ गया। पहले तो हम चुपचाप ही बैठे रहे, वो भी खामोश थी और मैं भी । फिर पिन्की ने ही पूछा कि मैं खामोश क्यू बैठा हूँ। जवाब में मैं हिचकिचा गया और मुझसे कोई जवाब नहीं देते बना।

कुछ देर बाद उसने मुझे एक गिलास पानी के लिये कहा। मैं उठ कर पानी लेने चला गया और मन ही मन में सोचा कि जब वो पानी पीने के बाद गिलास वापस देगी तो मैं उसका हाथ पकड़ लूंगा और प्यार का इजहार कर दूंगा। फिर मैंने वैसा ही किया और गिलास लौटाते समय मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और मैंने उसे प्यार का इजहार कर दिया। इसके बाद हामरी बीच की बातचीत कुछ इस तरह से हुई।

मैं : पिन्की, मैं तुम से प्यार करता हूँ। क्या तुम भी मुझ से प्यार करती हो?

पिन्की : पता नहीं

मैं : देखो तुम कुछ तो बोलो ,तुम तो मुझे जानती हो, इस लिये प्लीज जो भी कहना हो मुझे बता दो।

यह बात सुनकर वो कुछ देर तक खमोश रही ओर उसके बाद उसने मेरे मन की बात ली और फिर वो मान गई। उसने बताया कि वो भी मुझसे प्यार करती है।

उसके बाद मैंने उसे अपनी बांहो में भर लिया और उसके होंठो को चूमने लगा। पांच मिनट तक हम एक दूसरे को जोश के साथ चूमते रहे। फिर मुझे ख्याल आया कि हमारे रूम की खिड़की खुली है। इसलिये मैं पिन्की को लेकर बेड रूम में चला गया।

पिन्की शर्माती और सकुचाती सी मेरे साथ चल पड़ी। मैंने उसे बेड पर लेटा दिया। वो झिझकती हुई बेड पर लेट गई। मैं भी धीरे से उसकी बगल में लेट गया। वो शर्मा कर मेरे से लिपट गई और मेरी छाती पर उसने अपना मुँह छुपा लिया। मैंने उसका चेहरा ऊपर करके उसे चूमना शुरू कर दिया था। उसकी सांसे उत्तेजना के मारे जोर जोर से चलने लगी थी। मैं समझ गया था कि वो भी मेरी तरह गरम हो चली है। मेरा लण्ड भी उसे चोदने के बेताब हो चला था। उसे खुली किताब की देख कर मेरा मन उसे चोदने को हो उठा । पर तभी मेरी नजर घड़ी पर पड़ी। मैं चौंक गया और झटपत उठ गया। पापा के लौटने का समय हो गया था। वो असंजस निगाहों से मुझे देखने लगी कि ये क्या हो गया । मैंने पिन्की को समझा दिया। हमारे प्यार का सफ़र बीच में ही रुक गया।

उस दिन के बाद मैं और पिन्की छुप छुप कर घूमने जाया करते थे। कभी कभी रूपा भी हमारे साथ हो लेती थी।

बीवी को गैर से चुदवाया

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मेरी बीवी करीब 22 साल की, बहुत सुन्दर, पढ़़ी लिखी और भोली भाली महिला है और मैं अक्सर चुदाई के बीच सोचता रह जाता हूँ कि काश उसे कोई और चोद रहा हो और मैं उसे चुदता देखूँ।

धीरे धीरे पता नहीं कब यह ख्वाहिश इतनी मजबूत हो गई कि मैं रात दिन इसी प्लानिंग में लगा रहता। डरता भी था कि कैसे हो कि

मेरी शादीशुदा जिन्दगी भी बनी रहे मैं उसे इतना प्यार भी तो करता हूँ।

बलवीर से मिला तो पहली ही नजर में लगा कि यह आदमी मेरे काम का है। सारा प्लान भी मेरे दिमाग में शीशे की तरह साफ था, बलवीर को बताया कि मैं अपनी बीवी को उससे चुदवाना चाहता हूँ ऐसे कि उसे शक भी ना हो। वो तो हैरान रह गया।

उसे विश्वास ही न हो कि मैं सच में अपनी बीवी को उससे चुदवाना चाहता हूँ। वो तो मैंने उससे मिलने का टाइम तय किया, उससे मिला और उसे यकीन दिलाया तब कहीं जा कर वह राजी हुआ।

मैंने एक डिटेल्ड प्लान बना कर, अपने मकान की लोकेशन, कमरे कितने हैं और कैसे कैसे वगैरह वगैरह, सब कुछ उसे अच्छे से समझा दिया।

दो दिन बाद रविवार था, सुबह दस बजे मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं नाश्ते के लिये जलेबियाँ लेकर आता हूँ और लौटते हुए बलबीर को साथ लेता आया। मेरा घर पहली मंजिल पर है और प्लान के अनुसार मैंने सीढ़ियों के नीचे एक कैमरा, एक रोल रस्सी और एक नकली पिस्टल, जो दिखने में बिल्कुल असली लगती थी, छुपा कर रख दी थी। बलबीर ने गन मेरी कनपटी पर रखी, मुझे धकियाते हुए लाया, और घर में आते ही दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया, बोला- खबरदार ! जो कोई आवाज बाहर निकाली। मुझे यहाँ छुपना है क्योंकि मेरे पीछे पुलिस पड़ी है, बस थोड़ी देर की बात है, तुम्हारी खैरियत इसी में है कि जैसा मैं कहूँ वैसा ही करो वरना !’

और बलबीर हमें ले कर बैडरूम में आ घुसा। रत्ना मेरी पत्नी, मुझे सवालिया नजरों से देख रही थी।

मैंने उसे बताया कि मैं जलेबियाँलेकर जैसे ही सीढि़यों पर आया, इसने गन मेरी कनपटी पर रख दी और जबरदस्ती अन्दर घुस आया…और बलबीर से बोला- देखो, तुम जब तक चाहो, यहाँ रहो, हम ना शोर मचाएंगे, ना किसी को कुछ कहेगें’

‘ठीक है, मगर मैं तुम्हारे हाथ बांधूगा जिससे तुम कोई चालाकी ना कर सको’

‘मेरे पति को मत बाँधो, प्लीज ! ये कुछ नहीं करेंगे’ रत्ना सचमुच घबरा गई।

बलबीर ने मेरी पत्नी को डाँट कर चुप करा दिया और मेरे दोनों हाथ रस्सी से पीठ पीछे बांध दिये। मेरी पत्नी से बोला- अब तुम अपने कपड़े उतारो !’

‘ये क्या बकवास है?’, मुझे बोलना पड़ा।

‘जैसा कहता हूँ, करती जा, वरना अच्छा नहीं होगा’, बलवीर ने मेरी बात को अनसुना कर दिया।

‘मगर आपने तो केवल शोर मचाने को मना किया था’, मेरी पत्नी बोली।

‘मैं ये सब तो अपनी सेफ्टी के लियेकर रहा हूँ, तुम्हारे साथ कोई ऐसा वैसा काम नहीं करूंगा। जल्दी करो नहीं तो इसे अभी गोली मारता हूँ।’

मेरी पत्नी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने लाचारी दिखाते हुए तुरन्त गरदन हिला कर उसे बलवीर की बात मान लेने को कह दिया। अपनी पत्नी रत्ना के बारे में बता दूँ, अभी पच्चीस साल की है, हाइट 5 फुट 3 इंच और 34-24-36 का जानदार फिगर। उस दिन कुर्ता शलवार डाले हुये थी। हिचकिचाते हुये, उसने कुर्ते के नीचे हाथ लाकर नाड़े की गांठ खोली, शलवार हिप्स पर से नीचे खिसकाई और टांगों में से बाहर निकाल दी। इसके बाद उसने अपनी कुर्ती को भी ऊपर किया और गले से बाहर निकाल दिया। अब उसके शरीर पर सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैण्टी ही बची, वह अधनंगी हो चुकी थी।

बलवीर की आंखों में चमक देख, उसके दोनों हाथ जैसे अपने आप उठे और कुहनियों से मुड़ कर खुले बदन को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगे। बलवीर कैसे मानता, ‘ये हाथ तो हटाओ…बिल्कुल सीधे करो’,

रत्ना का सिर अभी भी झुका हुआ था और बदन शर्म संकोच से दोहरा हुआ जा रहा था। मगर फिर भी उसे हाथ हटाने पड़े, लम्बी गरदन से नीचे गोरे बदन पर काली ब्रा में कैद उसके सुडौल उरोज, पतली होती गई कमर, जो हिप्स पर फिर से चौड़ी होने लगी थी, काले रंग की मैचिंग पैण्टी, जिसकी इलास्टिक उसके पेट पर ऐसी कस के चिपकी थी कि…नाभि थोड़ी सी और गहरी हो गई थी।

‘इन्हैं भी उतारो’, बलवीर का इशारा ब्रा और पैण्टी की ओर था।

मेरी पत्नी ने ब्रा का हुक खोला और बाहों से सरकाते हुए उतार कर एक तरफ डाल दिया। उसके भरे भरे उरोज आजाद होकर फैले तो जैसे और बड़े हो गये। उन पर हल्के बादामी रंग के घेरांे के बीच गुलाबी रंग की घुन्डियाँभी अब सामने दिख रही थीं। हाथ एक पल को कूल्हों पर टिके, अॅंगूठे पैण्टी के अन्दर गये, इलास्टिक पर अटके और पैण्टी नीचे सरकाते चले गये। अब वह बिल्कुल नंगी थी। उसके चिकने सपाट पेट पर, नाभि से जरा नीचे हल्की हल्की झांटों के बीच से झांकती चूत बहुत प्यारी लग रही थीं। बलवीर ने नजदीक जा कर उसके उभारों पर हाथ रखा तो वह उछल पड़ी।

‘यह क्या कर रहे हो?, तुमने तो कहा था कोई ऐसा वैसा काम नहीं करोगे।’

‘हां, मतलब अगर तुम प्यार से मेरी छोटी छोटी बाकी बातें मानती जाओगी, और मुझे मजा लेने दोगी तो मैं तुम्हारी चूत नहीं मारूंगा।’

खुल्लमखुल्ला चूत का जिक्र सुन मेरी पत्नी तो सन्न रह गई। चेहरा फक्क और मुँह से कोई बात ना निकले। सारा शरीर थर थर कांपने लगा।

‘इतना समझ लो जानी ! हमसे शरमाओगी तो हमें मजा नहीं आयेगा और हम तुम्हैं बिना चोदे छोड़ेंगे नहीं।

बचोगी तभी जब चुदाई से पहले ही हमारा निकलवा दो। बिन्दास बोलो, खुल के और मजे लेने दो हमें। तुम्हारी चूत की हिफाजत खुद तुम्हारे हाथ में है, क्या कहती हो, चुदवाओगी?’

‘अरे यह जैसा कह रहा है मान जाओ, कम से कम इज्जत तो बच जायेगी’, मैंने भी हां में हां मिलाई।

‘बोलो, मैं आपसे चुदवाने को बेताब हो रही हूँ’

‘जी, मैं आपसे चुदवाने को बेताब हो रही हूँ’

‘मतलब?, कुछ अपनी तरफ से भी तो कहो’

‘मुझे चोदिये,…मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दीजिये और खूब जोर से चोदिये।

‘बस…अच्छा दिखाओ तो तुम्हारी है कैसी?’

मेरी पत्नी ने कमर आगे कर, उॅंगलियों से वी बनाते हुए चूत की फांकों को फैलाया तो अन्दर का छेद दिखने लगा। बलवीर ने आगे बढ़ कर अपनी उॅंगली उसी छेद में अन्दर डाल कर तुरन्त बाहर निकाल ली और धयान से देखने लगा।

‘ये तो सूखी पड़ी है। ऐसे ही डलवाओगी?’

‘मेरी पत्नी ने आगे और कुछ नहीं कहा और सिर झुका कर, जैसे बलवीर के सामने जैसे समर्पण कर दिया। अब बलवीर ने अपना हाथ फिर से मेरी पत्नी के स्तन पर रख दिया और उसे टटोलने लगा। पत्नी से कोई विरोध नहीं हुआ तो वहां से उसका हाथ नीचे कमर पर से होता हुआ कूल्हों पर आया और एक पल रुक चूतड़ों की गोलाइयों से होकर वापस सामने पेट पर आ गया और उॅंगलियाँनाभि से खेलने लगीं। अॅंगूठे और दूसरी उॅंगली ने नाभि पर जगह बनाई तो पहली उॅंगली अन्दर घुस कर जैसे गहराई नापने लगी। हाथ और नीचे

आया तो झांटो से होता हुआ चूत पर आ गया। उसने अपनी बड़ी उॅंगली चूत पर हाथ फेरते की दरार पर फेरते फेरते अन्दर कर दी। सारे वक्त उसका ध्यान तो मेरी पत्नी के अंगों पर था, मगर दूसरे हाथ में गन की नाल मेरी ओर ही थी। और पकड़ लिया लगा।

‘देखो, मुझे तो तुमने बांध ही दिया है और मेरी बीवी तुम्हारा मुकाबला कर नहीं सकती। इस गन को मेरी तरफ से हटा लो, अगर धोखे से भी चल गई तो मैं तो बेमौत मारा जाऊॅंगा। हम तुम्हारी सारी बातें तो मान ही रहे हैं, गन एक तरफ रख दो ना प्लीज ! हम कुछ नहीं करेंगे।’

बलबीर ने गन एक तरफ मेज पर रख दी और अब मेरी पत्नी को अपनी तरफ खींच उसके बदन पर खूब प्यार करने लगा। पीछे आकर उसने दोनों स्तनों पर एक एक हाथ रख दिया और आराम से हाथ फिराते हुए दबा दबा कर जैसे गोलाइयों को मापने लगा। फिर दोनों निपल उसने चुटकी मे ले लिये और उन्हैं हल्के हल्के दबाते हुये आगे पीछे घुमाने लगा। बीच बीच में उन्हैं अपनी और खींचता भी जाता। मेरी पत्नी ने भी अपना बदन ढीला छोड़ दिया था। एकाएक वह मेरी पत्नी की ओर मुड़ा,
‘अब तुम मेरे कपड़े उतारो’

मेरी पत्नी ने चुपचाप उसकी कमीज के बटन खोले और उतार दी तो बलवीर ने अब पैण्ट की तरफ इशारा किया। रत्ना ने अब पहले उसकी बैल्ट खोली, फिर पैण्ट के बटन, जिप नीचे की और पैण्ट नीचे सरकाते हुए टांगों से उतार दी। बलवीर अब सिर्फ अण्डरवीयर में रह गया था जिसके झीने से कपड़े में उसका लम्बा और भारी लण्ड हिलता डुलता साफ दिख रहा था। बलबीर अपनी कमर कुछ ऐसे हिला रहा था कि, अन्डरवीयर पहने पहने भी, घड़ी के पेण्डुलम सा झूलता लण्ड साफ दिख रहा था। बलवीर का अगला इशारा इसी ओर था।

‘अपना हाथ अन्दर डाल कर इसे पकड़ लो’

मेरी बीवी पहले तो थोड़ा झिझकी मगर फिर उसने एक हाथ अन्डरवीयर में डाल कर लण्ड पकड़ ही लिया और धीरे धीरे दबाने लगी। कुछ देर बाद बलवीर ने अपना अन्डरवीयर खुद ही उतार दिया और मेरी पत्नी को बैड पर लिटा कर खुद उसके बराबर कुछ ऐसा जा लेटा कि उसका लण्ड तो मेरी पत्नी के मुंह के पास लटक रहा था, और मेरी पत्नी की चूत उसके मुंह के नजदीक थी।

‘अब मैं तुम्हारी चूत चाटूंगा और तुम मेरा लण्ड चूसो ’

‘मैं नहीं चूसूंगी इसे ’, मेरी पत्नी ने विरोध किया।

‘देखो, मेरी बात प्यार से मान लो नहीं तो मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी’
बेबस होकर मेरी पत्नी ने मुंह खोल बलवीर का लण्ड अन्दर ले लिया और होठों से पकड़ हौले हौले चूसने लगी। बलवीर ने उॅंगलियों से रत्ना की चूत फैलाई और जीभ अन्दर डाल कुरेदने लगा। डबल मजे से उसका लण्ड धीरे धीरे बड़ा होता जा रहा था, इधर रत्ना की

चूत में भी गजब की गुदगुदी होने लगी थी। रह रह कर उसकी कमर भी सिहरन से उठ उठ जाती।

थोड़ी देर बाद बलवीर अचानक उठा और रत्ना के ऊपर आ कर उसके उरोजों से खेलने लगा। उसका लण्ड, जो मेरी पत्नी की चूत के ठीक ऊपर था, रह रह कर चूत से टकरा रहा था। खड़ा था तो बीच बीच में जरा मरा सुपाड़ा भर अन्दर भी हो जाता। रत्ना शर्म और चुदास की दुविधा में थी।

‘देखो तुमने वादा किया था मेरे साथ ये सब नहीं करोगे’

‘ठीक है तुम मेरे लण्ड को अपनी चूत पर रगड़ो, खूब जोर जोर से, छेद के ऊपर ही, ऐसे कि मेरा निकल जाये। फिर तुम्हारे साथ कुछ भी करने की बात ही नहीं रहेगी’

सुन कर मेरी पत्नी की जान में जान आई कि चलो ये रगड़ने से ही डिस्चार्ज हो जायेगा और मेरी फजीहत बच जायेगी। उसने बलवीर का लण्ड हाथ से पकड़ा और अपनी चूत पर जोर जोर से रगड़ने लगी। अब चूत और लण्ड, दोनों इतनी देर के फोर प्ले से गीले हो ही रहे थे।

रत्ना बलवीर के लण्ड को अपनी चूत की फांकों के बीच में लाकर रगड़े जा रही थी जिससे कि बलवीर का जल्दी से निकल जाये और बलवीर बारी बारी उसके उरोजों और नाभि पर प्यार किये जा रहा था। साथ साथ उसकी कमर भी आगे पीछे हो रही थी इस बीच लण्ड का सुपाड़ा कई बार चूत में घुसा मगर फौरन बाहर भी आ गया।

रत्ना को यही लगा कि बलवीर जानबूझ कर ऐसा नहीं कर रहा है और वो लण्ड को चूत में जाने से रोकने की कोशिश भी साथ साथ करती जा रही थी।
जरा छेद पर रख कर जोर से रगड़ो, मेरा निकलने वाला है’

मेरी पत्नी ने टांगें फैला कर चूत के छेद पर लण्ड को करीब करीब घुसाते हुए जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया। बलवीर ने भी इस बार कमर को जोर से झटका तो करीब आधा लण्ड चूत में घुस गया जिसे बलवीर ने फौरन सॉरी कह कर बाहर निकाल लिया।

‘देखो अब तुम अन्दर भी करते जा रहे हो?’
‘मैंने जानबूझ कर अन्दर थोड़े ही किया था, तुम ऐसे ही रगड़ती रहो मैं अन्दर नहीं करूंगा।’

मेरी पत्नी ने लण्ड फिर से अपनी चूत के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद बलवीर ने फिर से कमर झटकाई और इस बार लण्ड आधे से ज्यादा अन्दर कर दिया। मेरी पत्नी ने लण्ड छोड़ जैसे ही कमर को पकड़ा, बलबीर ने अपना लण्ड और अन्दर किया और पूरा का पूरा चूत के अन्दर घुसा दिया और जोर जोर से आगे पीछे करने लगा। धीरे धीरे अपना पूरा लण्ड चूत से बाहर लाता और सारा का सारा एक झटके में फिर से अन्दर कर देता। दोंनों हाथों से वह मेरी पत्नी के स्तनों को मसल रहा था।

इस समय मेरी पत्नी भी कुछ नहीं कह रही थी। उसकी आंखें मुंदीं थी और मुंह से हल्की हल्की सिसकियाँनिकल रही थीं, शायद वो भी अब एन्जाय कर रही थी। ये चुदाई कुछ देर तक और चली और फिर बलवीर ने जल्दी से अपना लण्ड चूत से बाहर निकाला। निकालते ही झटकों के साथ लण्ड से एक के बाद कई पिचकारियाँछूटीं और ढेर सारा वीर्य मेरी पत्नी के उरोजों और पेट पर बिखर गया। उसकी गहरी नाभि भी लवालब भर गई।

बलवीर ने उसी हालत मेरी नंगी पत्नी के अनेक फोटो ले लिये जिनका डर दिखा दिखा कर उसने रत्ना को कई बार चोदा। बहुत बार मैंने भी उसके साथ ही रत्ना को चोदा।

मेरे मामा का घर – 1

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हरीश अग्रवाल

मेरा नाम हरीश है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ, 20 साल का हूँ। कॉलेज में पढ़ता हूँ। पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने ननिहाल अमृतसर घूमने गया हुआ था। मेरे मामा का छोटा सा परिवार है। मेरे मामाजी रुस्तम सेठ 45 साल के हैं और मामी सविता 42 के अलावा उनकी एक बेटी है कणिका 18 साल की। मस्त क़यामत बन गई है वो ! अब तो अच्छे-अच्छों का पानी निकल जाता है उसे देख कर। वो भी अब मोहल्ले के लौंडे लपाड़ों को देख कर नैन-मट्टका करने लगी है।

एक बात खास तौर पर बताना चाहूँगा कि मेरे नानाजी का परिवार लाहौर से अमृतसर 1947 में आया था और यहाँ आकर बस गया। पहले तो सब्जी की छोटी सी दुकान ही थी पर अब तो काम कर लिए हैं। कॉलेज के सामने एक जनरल स्टोर है जिसमें पब्लिक टेलीफ़ोन, कम्प्यूटर और नेट आदि की सुविधा भी है। साथ में जूस बार और फलों की दुकान भी है। अपना दो मंजिला मकान है और घर में सब आराम है। किसी चीज की कोई कमी नहीं है। आदमी को और क्या चाहिए। रोटी कपड़ा और मकान के अलावा तो बस सेक्स की जरुरत रह जाती है।

मैं बचपन से ही बहुत शर्मीला रहा हूँ मुझे अभी तक सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था। बस एक बार बहुत पहले मेरे चाचा ने मेरी गांड मारी थी। जब से जवान हुआ था अपने लंड को हाथ में लिए ही घूम रहा था। कभी कभार नेट पर अन्तरवासना पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ लेता था और ब्लू फ़िल्म भी देख लेता था।
सच पूछो तो मैं किसी लड़की या औरत को चोदने के लिए मरा ही जा रहा था।
मामाजी और मामी को कई बार रात में चुदाई करते देखा था। वहीं 42 साल की उम्र में भी मेरी मामी सविता एकदम जवान पट्ठी ही लगती है। लयबद्ध तरीके से हिलते मोटे मोटे नितम्ब और गोल गोल स्तन तो देखने वालों पर बिजलियाँ ही गिरा देते हैं। ज्यादातर वो सलवार और कुर्ता ही पहनती है पर कभी कभार जब काली साड़ी और कसा हुआ ब्लाउज पहनती है तो उसकी लचकती कमर और गहरी नाभि देखकर तो कई मनचले सीटी बजाने लगते हैं। लेकिन दो दो चूतों के होते हुए भी मैं अब तक प्यासा ही था।

जून का महीना था। सभी लोग छत पर सोया करते थे। रात के कोई दो बजे होंगे, मेरी अचानक आँख खुली तो मैंने देखा मामा और मामी दोनों ही नहीं हैं। कणिका बगल में लेटी हुई है। मैं नीचे पेशाब करने चला गया। पेशाब करने के बाद जब मैं वापस आने लगा तो मैंने देखा मामा और मामी के कमरे की लाईट जल रही है। मैं पहले तो कुछ समझा नहीं पर ‘हाई.. ई.. ओह.. या.. उईई..’ की हल्की हल्की आवाज ने मुझे खिड़की से झांकने को मजबूर कर दिया।

खिड़की का पर्दा थोड़ा सा हटा हुआ था, अन्दर का नजारा देख कर तो मैं जड़ ही हो गया। मामा और मामी दोनों नंगे बेड पर अपनी रात रंगीन कर रहे थे। मामा नीचे लेटे थे और मामी उनके ऊपर बैठी थी।
मामा का लंड मामी की चूत में घुसा हुआ था और वो मामा के सीने पर हाथ रख कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी और.. आह.. उन्ह.. या.. की आवाजें निकाल रही थी।

उसके मोटे मोटे नितम्ब तो ऊपर नीचे होते ऐसे लग रहे थे जैसे कोई फ़ुटबाल को किक मार रहा हो। उनकी चूत पर उगी काली काली झांटों का झुरमुट तो किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसा था।
वो दोनों ही चुदाई में मग्न थे। कोई 8-10 मिनट तक तो इसी तरह चुदाई चली होगी। पता नहीं कब से लगे थे।

फ़िर मामी की रफ्तार तेज होती चली गई और एक जोर की सीत्कार करते हुए वो ढीली पड़ गई और मामा पर ही पसर गई। मामा ने उसे कस कर बाहों में जकड़ लिया और जोर से मामी के होंठ चूम लिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

‘सविता डार्लिंग ! एक बात बोलूँ?’
‘क्या?’
‘तुम्हारी चूत अब बहुत ढीली हो गई है बिल्कुल मजा नहीं आता !’

‘तुम गांड भी तो मार लेते हो, वो तो अभी भी टाइट है ना?’
‘ओह तुम नहीं समझी?’
‘बताओ ना?’

‘वो तुम्हारी बहन बबिता की चूत और गांड दोनों ही बड़ी मस्त थी ! और तुम्हारी भाभी जया तो तुम्हारी ही उम्र की है पर क्या टाइट चूत है साली की? मज़ा ही आ जाता है चोद कर !’

‘तो यह कहो ना कि मुझ से जी भर गया है तुम्हारा !’
‘अरे नहीं सविता रानी, ऐसी बात नहीं है दरअसल मैं सोच रहा था कि तुम्हारे छोटे वाले भाई की बीवी बड़ी मस्त है। उसे चोदने को जी करता है !’

‘पर उसकी तो अभी नई नई शादी हुई है वो भला कैसे तैयार होगी?’
‘तुम चाहो तो सब हो सकता है !’
‘वो कैसे?’

‘तुम अपने बड़े भाई से तो पता नहीं कितनी बार चुदवा चुकी हो अब छोटे से भी चुदवा लो और मैं भी उस क़यामत को एक बार चोद कर निहाल हो जाऊँ !’
‘बात तो तुम ठीक कह रहे हो, पर अविनाश नहीं मानेगा !’
‘क्यों?’
‘उसे मेरी इस चुदी चुदाई भोसड़ी में भला क्या मज़ा आएगा?’
‘ओह तुम भी एक नंबर की फुद्दू हो ! उसे कणिका का लालच दे दो ना?’
‘कणिका? अरे नहीं, वो अभी बच्ची है !’

‘अरे बच्ची कहाँ है ! पूरे अट्ठारह साल की तो हो गई है? तुम्हें अपनी याद नहीं है क्या? तुम तो दो साल कम की ही थी जब हमारी शादी हुई थी और मैंने तो सुहागरात में ही तुम्हारी गांड भी मार ली थी !’

‘हाँ, यह तो सच है पर !’
‘पर क्या?’

‘मुझे भी तो जवान लंड चाहिए ना? तुम तो बस नई नई चूतों के पीछे पड़े रहते हो, मेरा तो जरा भी ख़याल नहीं है तुम्हें?’
‘अरे तुमने भी तो अपने जीजा और भाई से चुदवाया था ना और गांड भी तो मरवाई थी ना?’
‘पर वो नए कहाँ थे मुझे भी नया और ताजा लंड चाहिए बस ! कह दिया?’

‘ओह ! तुम तरुण को क्यों नहीं तैयार कर लेती? तुम उसके मज़े लो ! मैं कणिका की सील तोड़ने का मजा ले लूँगा !’
‘पर वो मेरे सगे भाई की औलाद है, क्या यह ठीक रहेगा?’
‘क्यों इसमें क्या बुराई है?’

‘पर वो नहीं.. मुझे ऐसा करना अच्छा नहीं लगता !’

‘अच्छा चलो एक बात बताओ, जिस माली ने पेड़ लगाया है क्या उसे उस पेड़ के फल खाने का हक नहीं होना चाहिए? या जिस किसान ने इतने प्यार से फसल तैयार की है उसे उस फसल के अनाज को खाने का हक नहीं मिलना चाहिए? अब अगर मैं अपनी इस बेटी को चोदना चाहता हूँ तो इसमें क्या गलत है?’

‘ओह तुम भी एक नंबर के ठरकी हो। अच्छा ठीक है बाद में सोचेंगे?’

और फ़िर मामी ने मामा का मुरझाया लंड अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

मैं उनकी बातें सुनकर इतना उत्तेजित हो गया था कि मुट्ठ मारने के अलावा मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा था। मैं अपना सात इंच का लंड हाथ में लिए बाथ रूम की ओर बढ़ गया। फ़िर मुझे ख़याल आया कणिका ऊपर अकेली है। कणिका की ओर ध्यान जाते ही मेरा लंड तो जैसे छलांगें ही लगाने लगा। मैं दौड़ कर छत पर चला आया।

कहानी जारी रहेगी।

मेरे मामा का घर – 2

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प्रेषक : हरीश अग्रवाल

मामी ने मामा का मुरझाया लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी।

मैं उनकी बातें सुनकर इतना उत्तेजित हो गया था कि मुट्ठ मारने के अलावा मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा था। मैं अपना सात इंच का लंड हाथ में लिए बाथ रूम की ओर बढ़ गया। फ़िर मुझे ख़याल आया कणिका ऊपर अकेली है। कणिका की ओर ध्यान जाते ही मेरा लंड तो जैसे छलांगें ही लगाने लगा। मैं दौड़ कर छत पर चला आया।

कणिका बेसुध हुई सोई थी। उसने पीले रंग की स्कर्ट पहन रखी थी और अपनी एक टांग मोड़े करवट लिए सोई थी, इससे उसकी स्कर्ट थोड़ी सी ऊपर उठी थी। उसकी पतली सी पेंटी में फ़ंसी उसकी चूत का चीरा तो साफ़ नजर आ रहा था। पेंटी उसकी चूत की दरार में घुसी हुई थी और चूत के छेद वाली जगह गीली हुई थी। उसकी गोरी गोरी मोटी जांघें देख कर तो मेरा जी करने लगा कि अभी उसकी कुलबुलाती चूत में अपना लंड डाल ही दूँ।
मैं उसके पास बैठ गया और उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा।

वाह.. क्या मस्त मुलायम संग-ए-मरमर सी नाज़ुक जांघें थी। मैंने धीरे से पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अंगुली फ़िराई। वो तो पहले से ही गीली थी। आह.. मेरी अंगुली भी भीग सी गई। मैंने उस अंगुली को पहले अपनी नाक से सूंघा। वाह.. क्या मादक महक थी।

कच्चे नारियल जैसी जवान चूत के रस की मादक महक तो मुझे अन्दर तक मस्त कर गई। मैंने अंगुली को अपने मुँह में ले लिया। कुछ खट्टा और नमकीन सा लिजलिजा सा वो रस तो बड़ा ही मजेदार था।

मैं अपने आप को कैसे रोक पाता। मैंने एक चुम्बन उसकी जाँघों पर ले ही लिया, फ़िर यौनोत्तेजना वश मैंने उसकी जांघें चाटी। वो थोड़ा सा कुनमुनाई पर जगी नहीं।
अब मैंने उसके उरोज देखे। वह क्या गोल गोल अमरुद थे। मैंने कई बार उसे नहाते हुए नंगी देखा था। पहले तो इनका आकार नींबू

जितना ही था पर अब तो संतरे नहीं तो अमरुद तो जरूर बन गए हैं। गोरे गोरे गाल चाँद की रोशनी में चमक रहे थे। मैंने एक चुम्बन उन पर भी ले लिया।

मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही कणिका जग गई और अपनी आँखों को मलते हुए उठ बैठी।

‘क्या कर रहे हो भाई?’ उसने उनीन्दी आँखों से मुझे घूरा।
‘वो.. वो.. मैं तो प्यार कर रहा था !’
‘पर ऐसे कोई रात को प्यार करता है क्या?’

‘प्यार तो रात को ही किया जाता है !’ मैंने हिम्मत करके कह ही दिया।
उसके समझ में पता नहीं आया या नहीं ! फ़िर मैंने कहा- कणिका एक मजेदार खेल देखोगी?’
‘क्या?’ उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।

‘आओ मेरे साथ !’ मैंने उसका बाजू पकड़ा और सीढ़ियों से नीचे ले आया और हम बिना कोई आवाज किये उसी खिड़की के पास आ गए। अन्दर का दृश्य देख कर तो कणिका की आँखें फटी की फटी ही रह गई। अगर मैंने जल्दी से उसका मुँह अपनी हथेली से नहीं ढक दिया होता तो उसकी चीख ही निकल जाती।

मैंने उसे इशारे से चुप रहने को कहा।
वो हैरान हुई अन्दर देखने लगी।

मामी घोड़ी बनी फ़र्श पर खड़ी थी और अपने हाथ बेड पर रखे थी, उनका सिर बेड पर था और नितम्ब हवा में थे। मामा उसके पीछे उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगा रहे थे। उनका 8 इंच का लंड मामी की गांड में ऐसे जा रहा था जैसे कोई पिस्टन अन्दर बाहर आ जा रहा हो। मामा उनके नितम्बों पर थपकी लगा रहे थे। जैसे ही वो थपकी लगाते तो नितम्ब हिलने लगते और उसके साथ ही मामी की सीत्कार निकलती- हाईई… और जोर से मेरे राजा ! और जोर से ! आज सारी कसर निकाल लो ! और जोर से मारो ! मेरी गांड बहुत प्यासी है ये हाईई…’

‘ले मेरी रानी और जोर से ले… या… सऽ विऽ ता… आ.. आ…’ मामा के धक्के तेज होने लगे और वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगे।

पता नहीं मामा कितनी देर से मामी की गांड मार रहे थे। फ़िर मामा मामी से जोर से चिपक गए। मामी थोड़ी सी ऊपर उठी। उनके पपीते जैसे स्तन नीचे लटके झूल रहे थे। उनकी आँखें बंद थी और वह सीत्कार किये जा रही थी- जियो मेरे राजा मज़ा आ गया !’

मैंने धीरे धीरे कणिका के वक्ष मसलने शुरू कर दिए। वो तो अपने मम्मी पापा की इस अनोखी रासलीला देख कर मस्त ही हो गई थी। मैंने एक हाथ उसकी पेंटी में भी डाल दिया।

उफ़… छोटी छोटी झांटों से ढकी उसकी बुर तो कमाल की थी, नीम गीली।

मैंने धीरे से एक अंगुली से उसके नर्म नाज़ुक छेद को टटोला। वो तो चुदाई देखने में इतनी मस्त थी कि उसे तो तब ध्यान आया जब मैंने गच्च से अपनी अंगुली उसकी बुर के छेद में पूरी घुसा दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

‘उईई माँ…!!’ उसके मुँह से हौले से निकला- ओह… भाई यह क्या कर रहे हो?’
उसने मेरी ओर देखा। उसकी आँखें बोझिल सी थी और उनमें लाल डोरे तैर रहे थे।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया।

हम दोनों ने देखा कि एक पुच्क्क की आवाज के साथ मामा का लंड फ़िसल कर बाहर आ गया और मामी बेड पर लुढ़क गई।

अब वहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं रह गया था। हम एक दूसरे की बाहों में सिमटे वापस छत पर आ गए।
‘कणिका?’
‘हाँ भाई?’

कणिका के होंठ और जबान कांप रही थी। उसकी आँखों में एक नई चमक थी। आज से पहले मैंने कभी उसकी आँखों में ऐसी चमक नहीं देखी थी। मैंने फ़िर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी बेतहाशा मुझे चूमना शुरू कर दिया।

मैंने धीरे धीरे उसके स्तन भी मसलने चालू कर दिए। जब मैंने उसकी पेंटी पर हाथ फ़िराया तो उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा- नहीं भाई, इससे आगे नहीं !’

‘क्यों क्या हुआ?’

‘मैं रिश्ते में तुम्हारी बहन लगती हूँ, भले ही ममेरी ही हूँ पर हूँ तो बहन ही ना? और भाई और बहन में ऐसा नहीं होना चाहिए !’

‘अरे तुम किस ज़माने की बात कर रही हो? लंड और चूत का रिश्ता तो कुदरत ने बनाया है। लंड और चूत का सिर्फ़ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का। यह तो केवल तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले समाज और धर्म के ठेकेदारों का बनाया हुआ ढकोसला है। असल में देखा जाए तो ये सारी कायनात ही इस कामरस में डूबी है जिसे लोग चुदाई कहते हैं।’ मैं एक ही सांस में कह गया।

‘पर फ़िर भी इंसान और जानवरों में फर्क तो होता है ना?’

‘जब चूत की किस्मत में चुदना ही लिखा है तो फ़िर लंड किसका है इससे क्या फर्क पड़ता है? तुम नहीं जानती कणिका, तुम्हारा यह जो बाप है ना यह अपनी बहन, भाभी, साली और सलहज सभी को चोद चुका है और यह तुम्हारी मम्मी भी कम नहीं है। अपने देवर, जेठ, ससुर, भाई और जीजा से ना जाने कितनी बार चुद चुकी है और गांड भी मरवा चुकी है !’

कणिका मेरी ओर मुँह बाए देखे जा रही थी। उसे यह सब सुनकर बड़ी हैरानी हो रही थी- नहीं भाई तुम झूठ बोल रहे हो?’

‘देखो मेरी बहना, तुम चाहे कुछ भी समझो, यह जो तुम्हारा बाप है ना ! वो तो तुम्हें भी भोगने चोदने के चक्कर में है ! मैंने अपने कानों से सुना है !’

‘क… क्या…?’ उसे तो जैसे मेरी बातों पर यकीन ही नहीं हुआ। मैंने उसे सारी बातें बता दी जो आज मामा मामी से कह रहे थे।
उसके मुँह से तो बस इतना ही निकला- ओह नोऽऽ?’

‘बोलो… तुम क्या चाहती हो? अपनी मर्जी से, प्यार से तुम अपना सब कुछ मुझे सौंप देना चाहोगी या फ़िर उस 45 साल के अपने खडूस और ठरकी बाप से अपनी चूत और गांड की सील तुड़वाना चाहती हो…? बोलो !’

‘मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा है !’
‘अच्छा एक बात बताओ?’
‘क्या?’

‘क्या तुम शादी के बाद नहीं चुदवाओगी? या सारी उम्र अपनी चूत नहीं मरवाओगी?’
‘नहीं, पर ये सब तो शादी के बाद की बात होती है?’

‘अरे मेरी भोली बहना ! ये तो खाली लाइसेंस लेने वाली बात है। शादी विवाह तो चुदाई जैसे महान काम को शुरू करने का उत्सव है। असल में शादी का मतलब तो बस चुदाई ही होता है !’

‘पर मैंने सुना है कि पहली बार में बहुत दर्द होता है और खनू भी निकलता है?’
‘अरे तुम उसकी चिंता मत करो ! मैं बड़े आराम से करूँगा ! देखना तुम्हें बड़ा मज़ा आएगा !’
‘पर तुम गांड तो नहीं मारोगे ना? पापा की तरह?’

‘अरे मेरी जान पहले चूत तो मरवा लो ! गांड का बाद में सोचेंगे !’ और मैंने फ़िर उसे बाहों में भर लिया।

उसने भी मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया। वह क्या मुलायम होंठ थे, जैसे संतरे की नर्म नाज़कु फांकें हों। कितनी ही देर हम आपस में गुंथे एक दूसरे को चूमते रहे।

अब मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फ़िराना चालू कर दिया। उसने भी मेरे कहने से मेरे लंड को कस कर हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। लंड महाराज तो ठुमके ही लगाने लगे। मैंने जब उसके उरोज दबाये तो उसके मुँह से सीत्कार निकालने लगी।

‘ओह भाई कुछ करो ना? पता नहीं मुझे कुछ हो रहा है !’

उत्तेजना के मारे उसका शरीर कांपने लगा था, साँसें तेज होने लगी थी। इस नए अहसास और रोमांच से उसके शरीर के रोएँ खड़े हो गए थे। उसने कस कर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।

अब देर करना ठीक नहीं था। मैंने उसकी स्कर्ट और टॉप उतार दिए। उसने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। छोटे छोटे दो अमरुद मेरी आँखों के सामने थे। गोरे रंग के दो रसकूप जिनका एरोला कोई अठन्नी जितना और निप्पल्स तो कोई मूंग के दाने जितने बिल्कुल गुलाबी रंग के ! मैंने तड़ से एक चुम्बन उसके उरोज पर ले लिया। अब मेरा ध्यान उसकी पतली कमर और गहरी नाभि पर गया।

जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी की ओर बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- भाई, तुम भी तो अपने कपड़े उतारो ना?’

‘ओह हाँ !’

मैंने एक ही झटके में अपना नाईट सूट उतार फेंका। मैंने चड्डी और बनियान तो पहनी ही नहीं थी। मेरा 7 इंच का लंड 120 डिग्री पर खड़ा था। लोहे की रॉड की तरह बिल्कुल सख्त। उस पर प्री-कम की बूँद चाँद की रोशनी में ऐसे चमक रही थी जैसे शबनम की बूँद हो या कोई मोती।

‘कणिका इसे प्यार करो ना !’
‘कैसे?’
‘अरे बाबा इतना भी नहीं जानती? इसे मुँह में लेकर चूसो ना?’
‘मुझे शर्म आती है !’

मैं तो दिलो जान से इस अदा पर फ़िदा ही हो गया। उसने अपनी निगाहें झुका ली पर मैंने देखा था कि कनिखयों से वो अभी भी मेरे तप्त लंड को ही देखे जा रही थी बिना पलकें झपकाए।

मैंने कहा- चलो, मैं तुम्हारी बुर को पहले प्यार कर देता हूँ फ़िर तुम इसे प्यार कर लेना !’
‘ठीक है !’ भला अब वो मना कैसे कर सकती थी।

और फ़िर मैंने धीरे से उसकी पेंटी को नीचे खिसकाया, गहरी नाभि के नीचे हल्का सा उभरा हुआ पेडू और उसके नीचे रेशम से मुलायम छोटे छोटे बाल नजर आने लगे। मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। मेरा लंड तो सलामी ही बजाने लगा। एक बार तो मुझे लगा कि मैं बिना कुछ किये-धरे ही झड़ जाऊँगा।

उसकी चूत की फांकें तो कमाल की थी। मोटी मोटी संतरे की फांकों की तरह। गुलाबी चट्ट, दोनों आपस में चिपकी हुई। मैंने पेंटी को निकाल फेंका। जैसे ही मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फ़िराया तो वो सीत्कार करने लगी और अपनी जांघें कस कर भींच ली।

मैं जानता था कि यह उत्तेजना और रोमांच के कारण है। मैंने धीरे से अपनी अंगुली उसकी बुर की फांकों पर फ़िराई। वो तो मस्त ही हो गई। मैंने अपनी अंगुली ऊपर से नीचे और फ़िर नीचे से ऊपर फ़िराई। 3-4 बार ऐसा करने से उसकी जांघें अपने आप चौड़ी होती चली गई। अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी बुर की दोनों फांकों को चौड़ा किया। एक हल्की सी पुट की आवाज के साथ उसकी चूत की फांकें खुल गई।

आह ! अन्दर से बिल्कुल लाल चुटर ! जैसे किसी पके तरबूज का गूदा हो। मैं अपने आप को कै से रोक पाता। मैंने अपने जलते होंठ उन पर रख दिए।

आह… नमकीन सा स्वाद मेरी जबान पर लगा और मेरी नाक में जवान जिस्म की एक मादक महक भर गई। मैंने अपनी जीभ को थोड़ा सा नुकीला बनाया और उसके छोटे से टींट पर टिका दिया। उसकी तो एक किलकारी ही निकल गई। अब मैंने ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर जीभ फ़िरानी चालू कर दी।

उसने कस कर मेरे सिर के बालों को पकड़ लिया। वो तो सीत्कार पर सीत्कार किये जा रही थी।

बुर के छेद के नीचे उसकी गांड का सुनहरा छेद उसके कामरज से पहले से ही गीला हो चुका था। अब तो वो भी खुलने और बंद होने लगा था।

कणिका आह…उन्ह… कर रही थी, ऊईई… मा..आ एक मीठी सी सीत्कार निकल ही गई उसके मुँह से।

अब मैंने उसकी बुर को पूरा मुँह में ले लिया और जोर की चुस्की लगाई। अभी तो मुझे दो मिनट भी नहीं हुए होंगे कि उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने अपने पैर ऊपर करके मेरी गदर्न के गिर्द लपेट लिए और मेरे बालों को कस कर पकड़ लिया। इतने में ही उसकी चूत से काम रस की कोई 4-5 बूँदें निकल कर मेरे मुँह में समां गई। आह क्या रसीला स्वाद था। मैंने तो इस रस को पहली बार चखा था। मैं उसे पूरा का पूरा पी गया।

अब उसकी पकड़ कुछ ढीली हो गई थी। पैर अपने आप नीचे आ गए। 2-3 चुस्कियाँ लेने के बाद मैंने उसके एक उरोज को मुँह में ले लिया और चूसना चालू कर दिया।

शायद उसे इन उरोजों को चुसवाना अच्छा नहीं लगा था। उसने मेरा सिर एक और धकेला और झट से मेरे खड़े लंड को अपने मुँह में ले लिया। मैं तो कब से यही चाह रहा था। उसने पहले सुपाड़े पर आई प्रीकम की बूँदें चाटी और फ़िर सुपारे को मुँह में भर कर चूसने लगी जैसे कोई रस भरी कुल्फी हो।

आह.. आज किसी ने पहली बार मेरे लंड को ढंग से मुँह में लिया था। कणिका ने तो कमाल ही कर दिया। उसने मेरा लंड पूरा मुँह में भरने की कोशिश की पर भला सात इंच लम्बा लंड उसके छोटे से मुँह में पूरा कैसे जाता।

मैं चित्त लेटा था और वो उकडू सी हुई मेरे लंड को चूसे जा रही थी। मेरी नजर उसकी चूत की फांकों पर दौड़ गई। हल्के हल्के बालों से लदी चूत तो कमाल की थी। मैंने कई ब्ल्यू फ़िल्मों में देखा था कि चूत के अन्दर के होंठों की फांके 1.5 या 2 इंच तक लम्बी होती हैं पर कणिका की तो बस छोटी छोटी सी थी, बिल्कुल लाल और गुलाबी रंगत लिए। मामी की तो बिल्कुल काली काली थी। पता नहीं मामा उन काली काली फांकों को कैसे चूसते हैं।

मैंने कणिका की चूत पर हाथ फ़िराना चालू कर दिया। वो तो मस्त हुई मेरे लंड को बिना रुके चूसे जा रही थी। मुझे लगा अगर जल्दी ही मैंने उसे मना नहीं किया तो मेरा पानी उसके मुँह में ही निकल जाएगा और मैं आज की रात बिना चूत मारे ही रह जाऊँगा।

मैं ऐसा हरिगज नहीं चाहता था।

मैंने उसकी चूत में अपनी अंगुली जोर से डाल दी। वो थोड़ी सी चिहुंकी और मेरे लंड को छोड़ कर एक और लुढ़क गई।

वो चित्त लेट गई थी। अब मैं उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूमने लगा।

एक हाथ से उसके उरोज मसलने चालू कर दिए और एक हाथ से उसकी चूत की फांकों को मसलने लगा। उसने भी मेरे लंड को मसलना चालू कर दिया। अब लोहापूरी तरह गर्म हो चुका था और हथौड़ा मारने का समय आ गया था। मैंने अपने उफनते हुए लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया। अब मैंने उसे अपने बाहों में जकड़ लिया और उसके गाल चूमने लगा, एक हाथ से उसकी कमर पकड़ ली। इतने में मेरे लंड ने एक ठुमका लगाया और वो फ़िसल कर ऊपर खिसक गया।

कणिका की हंसी निकल गई।

मैंने दोबारा अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया और उसके कमर पकड़ कर एक जोर का धक्का लगा दिया। मेरा लंड उसके थूक से पूरा गीला हो चुका था और पिछले आधे घंटे से उसकी चूत ने भी बेतहाशा कामरज बहाया था। मेरा आधा लंड उसकी कुंवारी चूत की सील को तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया।

इसके साथ ही कणिका की एक चीख हवा में गूंज गई। मैंने झट से उसका मुँह दबा दिया नहीं तो उसकी चीख नीचे तक चली जाती।

कोई 2-3 मिनट तक हम बिना कोई हरकत किये ऐसे ही पड़े रहे। वो नीचे पड़ी कुनमुना रही थी, अपने हाथ पैर पटक रही थी पर मैंने उसकी कमर पकड़ रखी थी इस लिए मेरा लंड बाहर निकालने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था। मुझे भी अपने लंड के सुपारे के नीचे जहाँ धागा होता है, जलन सी महसूस हुई। यह तो मुझे बाद में पता चला कि उसकी चूत की सील के साथ मेरे लंड की भी सील (धागा) टूट गई है।

चलो अच्छा है अब आगे का रास्ता दोनों के लिए ही साफ़ हो गया है। हम दोनों को ही दर्द हो रहा था। पर इस नए स्वाद के आगे यह दर्द भला क्या माने रखता था।

‘ओह… भाई मैं तो मर गई रे…’ कणिका के मुँह से निकला- ओह… बाहर निकालो मैं मर जाऊँगी !’

‘अरे मेरी बहना रानी ! बस अब जो होना था हो गया है। अब दर्द नहीं बस मजा ही मजा आएगा। तुम डरो नहीं ये दर्द तो बस 2-3 मिनट का और है उसके बाद तो बस जन्नत का ही मजा है !’

‘ओह… नहीं प्लीज… बाहर निका…लो… ओह… या… आ… उन्ह… या’

मैं जानता था उसका दर्द अब कम होने लगा है और उसे भी मजा आने लगा है। मैंने हौले से एक धक्का लगाया तो उसने भी अपनी चूत को अन्दर से सिकोड़ा। मेरा लंड तो निहाल ही हो गया जैसे। अब तो हालत यह थी कि कणिका नीचे से धक्के लगा रही थी। अब तो मेरा लंड उसकी चूत में बिना किसी रुकावट अन्दर बाहर हो रहा था। उसके कामरज और सील टूटने से निकले खून से सना मेरा लंड तो लाल और गुलाबी सा हो गया था।

‘उईई… मा.. आह… मजा आ रहा है भाई तेज करो ना.. आह ओर तेज या…’

कणिका मस्त हुई बड़बड़ा रही थी।

अब उसने अपने पैर ऊपर उठा कर मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए थे। मैंने भी उसका सिर अपने हाथों में पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। जैसे ही मैं ऊपर उठता तो वो भी मेरे साथ ही थोड़ी सी ऊपर हो जाती और जब हम दोनों नीचे आते तो पहले उसके नितम्ब गद्दे पर टिकते और फ़िर गच्च से मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में समां जाता। वो तो मस्त हुई ‘आह उईई माँ’ ही करती जा रही थी। एक बार उसका शरीर फ़िर अकड़ा और उसकी चूत ने फ़िर पानी छोड़ दिया।

वो झड़ गई थी ! आह…! एक ठंडी सी आनंद की सीत्कार उसके मुँह से निकली तो लगा कि वो पूरी तरह मस्त और संतुष्ट हो गई है।

मैंने अपने धक्के लगाने चालू रखे। हमारी इस चुदाई को कोई 20 मिनट तो हो ही गए थे, अब मुझे लगाने लगा कि मेरा लावा फूटने वाला है, मैंने कणिका से कहा तो वो बोली,’कोई बात नहीं, अन्दर ही डाल दो अपना पानी ! मैं भी आज इस अमृत को अपनी कुंवारी चूत में लेकर निहाल होना चाहती हूँ !’

मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और फ़िर गर्म गाढ़े रस की ना जाने कितनी पिचकारियाँ निकलती चली गई और उसकी चूत को लबालब भरती चली गई।

उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। जैसे वो उस अमृत का एक भी कतरा इधर उधर नहीं जाने देना चाहती थी। मैं झड़ने के बाद भी उसके ऊपर ही लेटा रहा।

मैंने कहीं पढ़ा था कि आदमी को झड़ने के बाद 3-4 मिनट अपना लंड चूत में ही डाले रखना चाहिए इस से उसके लंड को फ़िर से नई ताकत मिल जाती है और चूत में भी दर्द और सूजन नहीं आती।

थोड़ी देर बाद हम उठ कर बैठ गए। मैंने कणिका से पूछा- कैसी लगी पहली चुदाई मेरी जान?’

‘ओह ! बहुत ही मजेदार थी मेरे भैया?’
‘अब भैया नहीं सैंया कहो मेरी जान !’
‘हाँ हाँ मेरे सैंया ! मेरे साजन ! मैं तो कब की इस अमृत की प्यासी थी। बस तुमने ही देर कर रखी थी !’
‘क्या मतलब?’
‘ओह, तुम भी कितने लल्लू हो। तुम क्या सोचते हो मुझे कुछ नहीं पता?’
‘क्या मतलब?’
‘मुझे सब पता है तुम मुझे नहाते हुए और मूतते हुए चुपके चुपके देखा करते हो और मेरा नाम ले लेकर मुट्ठ भी मारते हो !’
‘ओह… तुम भी ना… एक नंबर की चुदक्कड़ हो रही हो !’

‘क्यों ना बनूँ आखिरर खानदान का असर मुझ पर भी आएगा ही ना?’ और उसने मेरी ओर आँख मार दी।
फ़िर आगे बोली ‘पर तुम्हें क्या हुआ मेरे भैया?’
‘चुप साली अब भी भैया बोलती है ! अब तो मैं दिन में ही तुम्हारा भैया रहूँगा रात में तो मैं तुम्हारा सैंया और तुम मेरी सजनी बनोगी !’ और फ़िर मैंने एक बार उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसे भला क्या ऐतराज हो सकता था।
बस यही कहानी है मेरी, यह कहानी आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताएँ।

छोटा भाई

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मेरा नाम आशा है मेरा छ्होटा भाई बारहवी मैं पढ़ता है वह गोरा चित्ता और क़रीब मेरे ही बराबर लंबा भी है मैं इस समय 21 की हूँ और वह 18 का. मुझे भय्या के गुलाबी हूनत बहुत प्यारे लगते हैं दिल करता है की बस चबा लूं.
पापा गल्फ़ मैं है और माँ गोवेर्नमेंट जॉब मैं माँ जब जॉब की वजह से कहीं बाहर जाती तू घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे. मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है एक बार माँ कुच्छ दीनो के लिए बाहर गयी थी. उनकी एलेक्टीओं दूत्य लग गयी थी. माँ को एक हफ़्ते बाद आना था. रात मैं दिननेर के बाद कुच्छ देर ट्व देखा फिर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिए चले गाये

क़रीब एक आध घंटे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी अपनी सीदे तबले पैर बोट्थले देखा तो वह ख़ाली थी. मैं उठकर कित्चें मैं पानी पीने गयी तू लौटते समय देखा की अमित के कमरे की लिघ्ट ओं और दरवाज़ा भी तोड़ा सा खुला था. मुझे लगा की शायद वह लिघ्ट ओफ़्फ़ करना भूल गया है मैं ही बंद कर देती हूँ. मैं चुपके से उसके कमरे मैं गयी लेकिन अंदर का नज़ारा हैरान मैं हैरान हो गयी

अमित एक हाथ मैं कोई द पकड़कर उसे पार् रहा था और दूसरे हाथ से अपने ताने हुए लंड को पकड़कर मूट मार रहा था. मैं कभी सोच भी नही सकती की इतना मासूम लगने वाला दासवी का यह छ्ोक्रा ऐसा भी कर सकता है मैं दूं साढ़े चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया. उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाज़े पैर मुझे खड़ा हैरान चौंक गया. वह बस मुझे देखता रहा और कुच्छ भी ना बोल पाया.

फिर उसने मुँह फैर कर द टाकिएे के नीचे छ्छूपा दी. मुझे भी समझ ना आया की क्या करूँ. मेरे दिल मैं यह ख़्याल आया की कल से यह लड़का मुझसे शरमायगा और बात करने से भी कत्राएगा. घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नही जिससे मेरा मनन बहालता. मुझे अपने दिन याद आए. मैं और मेरा एक काज़ीन इसी उमर के थे जबसे हमने मज़ा लेना शुरू किया था तू इसमे कौन सी बड़ी बात अगर यह मूट मार रहा था.

मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पैर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी वह चुपचाप रहा. रहा. मैने उसके कंधों को दबाते हुए कहा, “अरे यार अगर यही करना था तू काम से काम दरवाज़ा तू बंद कर लिया होता.” वह कुच्छ नही बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किए रहा. रहा. मैने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया. कोई बात नही मैं जाती हूँ तू अपना मज़ा पूरा कर ले. लेकिन ज़रा एह द तू दिखा.” मैने टाकिएे के नीचे से द निकल ली. एह हिंदी मैं लिखे मास्ट्रँ की द थी. मेरा काज़ीन भी बहुत सी मास्ट्रँ की किताबे लता था और हम दोनो ही मज़े लेने के लिए साथ-साथ पढ़ते थे. छुड़ाई के समय द के ड्िओलग बोलकर एक दूसरे का जोश बढ़ते थे.

जब मैं द उसे देकर बाहर जाने के लिए उठी तू वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तू आपने ख़राब कर दिया, अब क्या मज़ा करूँगा.” “अरे अगर तुमने दरवाज़ा बंद किया होता तू मैं आती ही नही.” “औुए अगर आपने देख लिया था तू चुपचाप चली जाती.”

अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तू आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह काज़ीन क़रीब 6 मोन्तस से नहीं आया था इसलिए मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी. अमित मेरा छ्होटा भाई था और बहुत ही सेक्ष्य लगता था इसलिए मैने सोचा की अगर घर मैं ही मज़ा मिल जाए तू बाहर जाने की क्या ज़रूरत. फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था. मैं कुंवारे लंड का मज़ा पहली बार लेती इसलिए मैने कहा, “चल अगर मैने तेरा मज़ा ख़राब किया है तू मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ.”

फिर मैं पलंग पैर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुरझाए लंड को अपनी मुती मैं लिया. उसने बचने की कोशिश की पैर मैने लंड को पकड़ लिया था. अब मेरे भाई को यक़ीन हो चुका था की मैं उसका राज़ नही खोलूँगी इसलिए उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लंड ठीक से पकड़ सकूँ. मैने उसके लंड को बहुत हिलाया दुलाया लेकिन वह खड़ा ही नही हूवा. वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नही हो रहा है

“अरे क्या बात करते हो. अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है मैं अभी अपने प्यारे भाई का लंड खड़ा कर दूँगी.” ऐसा कह मैं भी उसकी बगल मैं ही लेट गयी मैं उसका लंड सहलने लगी और उससे द पर्ने को कहा. “दीदी मुझे शरम आती है “साले अपना लंड बहन के हाथ मैं देते शरम नही आई.” मैने ताना मारते हुवे कहा “ला मैं परहती हूँ.” और मैने उसके हाथ से द ले ली.

मैने एक स्टोरय निकली जिसमे भाई बहन के डियलोग थे. और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला. मैने पहले परा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तू बहुत पी लिया अब अपना बनाना शाके भी तू टास्ते करओ.”

“अभी लो रानी पैर मैं डरता हूँ इसलिए की मेरा लंड बहुत बड़ा है तुम्हारी नाज़ुक कसी छूट मैं कैसे जाएगा.”

और इतना पारकर हुंदोनो ही मुस्करा दिए क्योंकि यहा हालत बिल्कुल उल्टे थे. मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी छूट बड़ी थी और उसका लंड छ्होटा था. वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी परहाय के बाद ही उसके लंड मैं जान भर गयी और वह टन्णकर क़रीब 6 इंच का लंबा और 1.5 का मोटा हो गया. मैने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई ज़रूरत नही. देख अब तेरा खड़ा हो गया है तू बस दिल मैं सोच ले की तू किसी की छोड़ रहा है और मैं तेरी मूट मार देती हूँ.”

मैं अब उसके लंड की मूट मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था. बीच बीच मैं सिसकारियाँ भी भरता था. एकाएक उसने छूटड़ उठाकर लंड ऊपर की ऊर तेला और बोला, “बस दीदी” और उसके लंड ने गाढ़ा पानी फैंक दिया जो मेरी हथेली पैर गिरा. मैं उसके लंड के रस को उसके लंड पैर लगती उसी तरह सहलती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया?”

“सच दीदी बहुत मज़ा आया.” “अच्छा यह बता की ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?”

“दीदी शरम आती है बाद मैं बतौँगा.” इतना कह उसने टाकिएे मैं मुँह छ्छूपा लिया.

“अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आएगी. और आगे से जब ये करना हो तू दरवाज़ा बंद कर लिया करना.” “अब क्या करना दरवाज़ा बंद करके दीदी तुमने तू सब देख ही लिया है

“चल शैतान कही के.” मैने उसके गाल पैर हल्की सी छपत मारी और उसके हौंा. को चूमा. मैं और क़िसस करना चाहती थी पैर आगे के लिए छ्छोड़ कर वापस अपने कमरे मैं आई. अपनी शलवार कमीज़ उतर कर निघटय पहनने लगी तू देखा की मेरी पंतय बुरी तरह भीगी हिई है अमित के लंड का पानी निकलते-निकलते मेरी छूट ने भी पानी छ्छोड़ दिया था. अपना हाथ पंतय मैं डालकर अपनी छूट सहलने लगी का स्पर्श पाकर मेरी छूट फिर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया.

छूट की आग बुझाने का कोई रास्ता नही था सिवा अपनी उंगली के. मैं बेद पैर लेट गयी अमित के लंड के साथ खेलने से मैं बहुत एक्शसीतेड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी बीच वाली उंगली जड़ तक छूट मैं डाल दी. टाकिएे को सीने से कसकर भींचा और जांघो के बीच दूसरा तकिया दबा आँखे बंद की और अमित के लंड को याद करके उंगली अंदर बाहर करने लगी इतनी मस्ती छ्छादी थी की क्या बताए, मनन कर रहा था की अभी जाकर अमित का लंड अपनी छूट मैं डलवा ले. उंगली से छूट की प्यास और बार्ह गयी इसलिए उंगली निकल टाकिएे को छूट के ऊपर दबा औंधे मुँह लेटकर धक्के लगाने लगी बहुत देर बाद छूट ने पानी छ्छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी

सुबह उठी तू पूरा बदन अंबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था. लाख रग़ाद लो टाकिएे पैर लेकिन छूट मैं लंड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या. बेद पा लेते हुवे मैं सोचती रही की अमित के कुंवारे लंड को कैसे अपनी छूट का रास्ता दिखाया जाए. फिर उठकर तैयार हुई. अमित भी सचूल जाने को तैयार था. नाश्ते की तबले हुंदोनो आमने-सामने थे. नज़रे मिलते ही रात की याद ताज़ा हो गयी और हुंदोनो मुस्करा दिए अमित मुझसे कुच्छ शर्मा रहा था की कहीं मैं उसे छ्छेद ना दूं. मुझे लगा की अगर अभी कुच्छ बोलूँगी तू वह बिदक जाएगा इसलिए चाहते हुए भी ना बोली.

चलते समय मैने कहा, “चलो आज तुम्हे अपने स्कूटेर पैर सचूल छ्छोड़ दूं.” वह फ़ौरन तय्यार हो गया और मेरे पीच्े बैठ गया. वह तोड़ा स्कूछता हूवा मुझसे अलग बैठा था. वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था. मैने स्पीड से स्कूटेर चलाया तू उसका बालंसे बिगड़ गया और संभालने के लिए उसने मेरी कमर पकड़ ली. मैं बोली, “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?”

“अच्छा दीदी” और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे छिपक सा गया. उसका लंड कड़ा हो गया था और वह अपनी जांघो के बीच मेरे छूटड़ को जकड़े था. “क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित?” “दीदी रात की तू बात ही मत करो. कहीं ऐसा ना हो की मैं सचूल मैं भी शुरू हो जौन.” “अच्छा तू बहुत मज़ा आया रात मैं “हाँ दीदी इतना मज़ा ज़िंदगी मैं कभी नही आया. काश कल की रात कभी ख़तम ना होती. आपके जाने के बाद मेरा फिर खड़ा हो गया था पैर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ. ऐसे ही सो गया.”

“तू मुझे बुला लिया होता. अब तू हम तुम दोस्त हैं एक दूसरे के काम आ सकते हैं “तू फिर दीदी आज राक का प्रोग्राम पक्का.” “चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है ये नही पूछता की मेरी हालत कैसी है मुझे तू किसी चीज़ की ज़रूरत नही है चल मैं आज नही आती तेरे पास.” “अरे आप तू नाराज़ हो गयी दीदी. आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूँगा. मुझे तू कुच्छ भी पता नही अब आप ही को मुझे सब सीखना होगा.”

तब तक उसका सचूल आ गया था. मैने स्कूटेर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उसपर नज़र डाले बग़ैर आगे चल दी. स्कूटेर के शीशे मैं देखा की वह मायूस सा सचूल मैं जा रहा है मैं मनन ही मनन बहुत ख़ुश हुई की चलो अपने दिल की बात का इशारा तू उसे दे ही दिया.

शाम को मैं अपने कॉल्लेगे से जल्दी ही वापस आ गयी थी. अमित 2 बजे वापस आया तू मुझे घर पैर देखकर हैरान रह गया. मुझे लेता देखकर बोला, “दीदी आपकी तबीयत तू ठीक है “ठीक ही समझो, तुम बताओ कुच्छ हॉमेवोर्क मिला है क्या?” “दीदी कल सुंदय है ही. वैसे कल रात का काफ़ी हॉमेवोर्क बचा हूवा है मैने हँसी दबाते हुवे कहा, “क्यो पूरा तू करवा दिया था. वैसे भी तुमको यह सब नही करना चाहिए. सेहत पैर असर पड़ता है कोई लड़की पता लो, आजकल की लड़किया भी इस काम मैं काफ़ी इंटेरेस्टेड रहती हैं “दीदी आप तू ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिए शलवार नीचे और कमीज़ ऊपर किए तय्यार है की आओ पंत खोलकर मेरी ले लो.” “नही ऐसी बात नही है लड़की पतनी आनी चाहिए.”

फिर मैं उठकर नाश्ता बनाने लगी मनन मैं सोच रही थी की कैसे इस कुंवारे लंड को लड़की पटकर छोड़ना सीख़ाओं. लूंच तबले पैर उससे पूच्हा, “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है “हाँ दीदी सुधा से.” “कहाँ तक “बस बातें करते हैं और सचूल मैं साथ ही बैठते हैं मैने सीधी बात करने के लिए कहा, “कभी उसकी लेने का मनन करता है “दीदी आप कैसी बात करती हैं वह शर्मा गया तू मैं बोली, “इसमे शर्माने की क्या बात है मूतही तू तो रोज़ मारता है ख़्यालो मैं कभी सुधा की ली है या नही सच बता.” “लेकिन दीदी ख़्यालो मैं लेने से क्या होता है “तू इसका मतलब है की तू उसकी असल मैं लेना चाहता है मैने कहा.

“उससे ज़्यादा तू और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहुत ही अच्छी लगती है “जिसकी कल रात ख़्यालो मैं ली थी?” उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पैर मेरे बार-बार पूच्ह्ने पैर भी उसने नाम नही बताया. इतना ज़रूर कहा की उसकी छुड़ाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बताएगा. मैने ज़्यादा नही पूच्हा क्योंकि मेरी छूट फिर से गीली होने लगी थी. मैं चाहती थी की इससे पहले की मेरी छूट लंड के लिए बेचैन हो वह ख़ुद मेरी छूट मैं अपना लंड डालने के लिए गिदगिड़ाए. मैं चाहती थी की वह लंड हाथ मैं लेकर मेरी मिन्नत करे की दीदी बस एक बार छोड़ने दो. मेरा दिमाग़ ठीक से काम नही कर रहा था इसलिए बोली, “अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ.”

वह अपनी उनिफ़ोर्म चांगे करने गया और मैने भी प्लान के मुताबिक़ अपनी शलवार कमीज़ उतर दी. फिर ब्रा और पंतय भी उतर दी क्योंकि पाटने के मदमस्त मौक़े पैर ये दिक्कत करते. अपना देसी पेट्टीकोत और ढीला ब्लौसे ही ऐसे मौक़े पैर सही रहते हैं जब बिस्तर पैर लेटो तू पेट्टीकोत अपने आप आसानी से घुटनो तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है जहाँ तक ब्लौसे का सवाल है तू तोड़ा सा झुको तू सारा माल छ्छालाक कर बाहर आ जाता है बस यही सोचकर मैने पेट्टीकोत और ब्लौसे पहना था.

वह सिर्फ़ प्यजमा और बनियाँ पहनकर आ गया. उसका गोरा चित्ता चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था. एकाएक मुझे एक ईड़िया आया. मैं बोली, “मेरी कमर मैं तोड़ा दर्द हो रहा है ज़रा बल्म लगा दे.” यह बेद पैर लेतने का पेरफ़ेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पैर पेट के बल लेट गयी मैने पेट्टीकोत तोड़ा ढीला बाँधा था इसलिए लेट्टे ही वह नीचे खिसक गया और मेरे कुटड़ो के बीच की दरार दिखाए देने लगी लेट्टे ही मैने हाथ भी ऊपर कर लिए जिससे ब्लौसे भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिए ज़्यादा जगह मिल गयी वह मेरे पास बैठकर मेरी कमर पैर ईओडेक्श( पाईं बल्म) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा.
उसका स्पर्श(तौछ) बड़ा ही सेक्ष्य था और मेरे पूरे बदन मैं सिहरन सी दौड़ गयी थोड़ी देर बाद मैने करवत लेकर अमित की ऊर मुँह कर लिया और उसकी जाँघ पैर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा. करवत लेने से मेरी चूचियाँ ब्लौसे के ऊपर से आधी से ज़्यादा बाहर निकल आई थी. उसकी जाँघ पैर हाथ रखे रखे ही मैने पहले की बात आगे बरहाय, “तुझे पता है की लड़की कैसे पटाया जाता है

“अरे दीदी अभी तू मैं बच्चा हूँ. ये सब आप बताएँगी तब मालूम होगा मुझे.” ईओडेक्श लगाने के दौरान मेरा ब्लौसे ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाईयाँ नीचे से भी झाँक रही थी. मैने देखा की वह एकतक मेरी चूचियों को घूर रहा है उसके कहने के अंदाज़ से भी मालूम हो गया की वह इस सिलसिले मैं ज़्यादा बात करना छह रह है

“अरे यार लड़की पाटने के लिए पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है ये मालूम करने के लिए की वह बुरा तू नही मानेगी.” “पैर कैसे दीदी.” उसने पूच्हा और अपने पैर ऊपर किए. मैने तोड़ा खिसक कर उसके लिए जगह बनाई और कहा, “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तू उसको ज़्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नही छ्छुड़ती है और जब पीछे से उसकी आँख बंद कर के पूच्हो की मैं कौन हूँ तू अपना केला धीरे से उसके पीच्े लगा दो. जब कान मैं कुच्छ बोलो तू अपना गाल उसके गाल पैर रग़ाद दो. वो अगर इन सब बातों का बुरा नही मानती तू आगे की सोचो.”

अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था. वह बोला, “दीदी सुधा तू इन सब का कोई बुरा नही मानती जबकि मैने कभी ये सोचकर नही किया था. कभी कभी तू उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पैर वह कुच्छ नही कहती.” “तब तू यार छ्होक्री तय्यार है और अब तू उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर.” “कौन सा दीदी?” “बातों वाला. यानी कभी उसके संटरो की तारीफ़ करके देख क्या कहती है अगर मुस्करकार बुरा मानती है तू समझ ले की पाटने मैं ज़्यादा देर नही लगेगी.”

“पैर दीदी उसके तू बहुत छ्होटे-छ्होटे संटरे हैं तारीफ़ के काबिल तू आपके है वह बोला और शरमकार मुँह छ्छूपा लिया. मुझे तू इसी घड़ी का इंतेज़र था. मैने उसका चेहरा पकड़कर अपनी ऊर घूमते हुवे कहा, “मैं तुझे लड़की पटना सीखा रही हूँ और तू मुझी पैर नज़रे जमाए है

“नही दीदी सच मैं आपकी चूचियाँ बहुत प्यारी है बहुत दिल करता है और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया. “अरे क्या करने को दिल करता है ये तू बता.” मैने इतलकर पूच्हा.

“इनको सहलने का और इनका रस पीने का.” अब उसके हौसले बुलंद हो चुके थे और उसे यक़ीन था की अब मैं उसकी बात का बुरा नही मनूंगी. “तू कल रात बोलता. तेरी मूट मरते हुवे इनको तेरे मुँह मैं लगा देती. मेरा कुच्छ घिस तू नही जाता. चल आज जब तेरी मूट मरूंगी तू उस वक़्त अपनी मुराद पूरी कर लेना.” इतना कह उसके प्यजमा मैं हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया जु पूरी तरह से टन गया था. “अरे ये तू अभी से तय्यार है

तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छ्छूपा लिया. मैने उसको बानहो मैं भरकर अपने क़रीब लिटा लिया और कस के दबा लिया. ऐसा करने से मेरी छूट उसके लंड पैर दब्ने लगी उसने भी मेरी गार्दन मैं हाथ दल मुझे दबा लिया. तभी मुझे लगा की वो ब्लौसे के ऊपर से ही मेरी लेफ्ट चूचि को चूस रहा है मैने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है मेरा ब्लौसे ख़राब हो जाएगा.”

उसने झट से मेरा ब्लौसे ऊपर किया और निपपले मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं उसकी हिम्मत की दाद दिए बग़ैर नही रह सकी. वह मेरे साथ पूरी तरह से आज़ाद हो गया था. अब यह मेरे ऊपर था की मैं उसको कितनी आज़ादी देती हूँ. अगर मैं उसे आगे कुच्छ करने देती तू इसका मतलब था की मैं ज़्यादा बेकरार हूँ छुड़वाने के लिए और अगर उसे माना करती तू उसका मूड ख़राब हो जाता और शायद फिर वह मुझसे बात भी ना करे. इसलिए मैने बीच का रास्ता लिया और बनावती ग़ुस्से से बोली, “अरे ये क्या तू तो ज़बरदस्ती करने लगा. तुझे शरम नही आती.”

“ओह् दीदी आपने तू कहा था की मेरा ब्लौसे मत ख़राब कर. रस पीने को तू माना नही किया था इसलिए मैने ब्लौसे को ऊपर उठा दिया.” उसकी नज़र मेरी लेफ्ट चूचि पैर ही थी जो की ब्लौसे से बाहर थी. वह अपने को और नही रोक सका और फिर से मेरी चूचि को मुँह मैं ले ली और छ्ोसने लगा. मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास इन्कर्ेसए कर रहिति. कुच्छ देर बाद मैने ज़बरदस्ती उसका मुँह लेफ्ट चूचि से हटाया और रिघ्त चूचि की तरफ़ लाते हुवे बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोइनो मैं बराबर का मज़ा होता है

उसने रिघ्त मम्मे को भी ब्लौसे से बाहर किया और उसका निपपले मुँह मैं लेकर चुभलने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ्ट चूचि को सहलने लगा. कुच्छ देर बाद मेरा मनन उसके गुलाबी हूँतो को छूमे को करने लगा तू मैने उससे कहा, “कभी किसी को क़िसस किया है “नही दीदी पैर सुना है की इसमे बहुत मज़ा आता है

“बिल्कुल ठीक सुना है पैर क़िसस ठीक से करना आना चाहिए.”

“कैसे?”

उसने पूछा और मेरी चूचि से मुँह हटा लिया. अब मेरी दोनो चूचियाँ ब्लौसे से आज़ाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैने उन्हे छ्छूपाया नही बल्कि अपना मुँह उसके मुँह के पास लेजाकर अपने हूनत उसके हूनत पैर रख दिए फिर धीरे से अपने हूनत से उसके हूनत खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी क़रीब दो मिनुटे तक उसके हूनत चूस्ती रही फिर बोली.

“ऐसे.”

वह बहुत एक्शसीतेड हो गया था. इससे पहले की मैं उसे बोलूं की वह भी एक बार्किस्स करने की प्रकटिसे कर ले, वह ख़ुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूँ आपको एक बार?” “कर ले.” मैने मुस्कराते हुवे कहा.

अमित ने मेरी ही स्टयले मैं मुझे क़िसस किया. मेरे हूँतो को चूस्ते समय उसका सीना मेरे सीने पैर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दोगुनी हो गयी थी. उसका क़िसस ख़तम करने के बाद मैने उसे अपने ऊपर से हटाया और बानहो मैं लेकर फिर से उसके हूनत चूसने लगी इस बार मैं तोड़ा ज़्यादा जोश से उसे चूस रही थी.

उसने मेरी एक चूचि पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था. मैने अपनी कमर आगे करके छूट उसके लंड पैर दबाई. लंड तू एकदम तनकर ईरों रोड हो गया था. छुड़वाने का एकदम सही मौक़ा था पैर मैं चाहती थी की वह मुझसे छोड़ने के लिए भीख मांगे और मैं उसपर एहसान करके उसे छोड़ने की इज़ाज़त दूं.

मैं बोली, “चल अब बहुत हो गया, ला अब तेरी मूट मार दूं.” “दीदी एक रेक़ुएस्ट करूँ?” “क्या?” मैने पूच्हा. “लेकिन रेक़ुएस्ट ऐसी होनी चाहिए की मुझे बुरा ना लगे.”

ऐसा लग रहा था की वह मेरी बात ही नही सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है वह बोला, “दीदी मैने सुना है की अंदर डालने मैं बहुत मज़ा आता है डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी. मैं भी एक बार अंदर डालना चाहता हूँ.”

“नहीं अमित तुम मेरे छ्होटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन.” “दीदी मैं आपकी लूंगा नही बस अंदर डालने दीजिए.” “अरे यार तू फिर लेने मैं क्या बचा.” “दीदी बस अंदर डालकर देखूँगा की कैसा लगता है छोदुँगा नही प्लेआसए दीदी.”

मैने उसपर एहसान करते हुवे कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिए मैं तुम्हारी बात को माना नही कर सकती पैर मेरी एक शर्त है तुमको बताना होगा की अक्सर ख़्यालो मैं किसकी छोड़ते हो?” और मैं बेद पैर पैर फैलाकर चित्त लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा.

वह बैठा तू उसके प्यजमा के ज़रबंद को खोलकर प्यजमा नीचे कर दिया. उसका लंड तनकर खड़ा था. मैने उसकी बाँह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लीयता लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनो और कोहनी पैर आ गया.
वह अब और नही रुक सकता था. उसने मेरी एक चूचि को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लौसे से बाहर थी. मैं उसे अभी और छ्छेड़ना छाती थी. “सुन अमित ब्लौसे ऊपर होने से चुभ रहा है ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे संटरे ढांप दे.”
“नही दीदी मैं इसे खोल देता हूँ.” और उसने ब्लौसे के बुट्तों खोल दिया. अब मेरी दोनो चूचिया पूरी नंगी थी. उसने लपककर दोनो को क़ब्ज़े मैं कर लिया.
अब एक चूचि उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था. वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैने अपना पेट्टीकोत ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली छूट पैर रग़ादना शुरू कर दिया.

कुच्छ देर बाद लंड को छूट के मुँह पैर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने खर्बूजे पैर रख दिया है पैर अंदर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू बहुत दिन से छोड़ना चाहता है और जिसे याद करके मूट मारता है

वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने हूनत मेरे हूनत पैर रख दिए मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके हूनत चूसने लगी कुच्छ देर बाद मैने कहा, “हाँ तू मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनो की रानी कौन है

“दीदी आप बुरा मत मानिएगा पैर मैने आज तक जितनी भी मूट मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालो मैं रखकर.”

“हाय भय्या तू कितना बेसरम है अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था.” “ओह् दीदी मैं क्या करूँ आप बहुत ख़ूबसूरत और सेक्ष्य है मैं तू कब से अप्पकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी छ्होट मैं लंड डालना चाहता था. आज दिल की आरज़ू पूरी हुई.” और फिर उसने शरमकार आँखे बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी छूट मैं डाला और वादे के मुताबिक़ चुपचाप लेट गया.

“अरे तू मुझे इतना चाहता है मैने तू कभी सोचा भी नही था की घर मैं ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है पहले बोला होता तू पहले ही तुझे मैका दे देती.” और मैने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलनी शुरू कर दी. बीच-बीच मैं उसकी गांड भी दबा देती.

“दीदी मेरी किस्मत देखिए कितनी झांतु है जिस छ्होट के लिए तड़प रहा था उसी छूट मैं लंड पड़ा है पैर छोड़ नही सकता. पैर फिर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ.” वह खुल कर लंड छ्होट बोल रहा था पैर मैने बुरा नही माना. “अच्छा दीदी अब वायदे के मुताबिक़ बाहर निकलता हूँ.” और वह लंड बाहर निकालने को तय्यार हूवा.
मैं तू सोच रही थी की वह अब छूट मैं लंड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तू ठीक उल्टा कर रहा था. मुझे उसपर बड़ी दया आई. साथ ही अच्छा भी लगा की वायदे का पक्का है अब मेरा फ़र्ज़ बनता था की मैं उसकी वफ़ादारी का इनाम अपनी छूट छुड़वकर दूं. इसलिए उससे बोली, “अरे यार तूने मेरी छूट की अपने ख़्यालो मैं इतनी पूजा की है और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिए मैं अपने प्यारे भाई का दिल नही तूडूंगी. चल अगर तू अपनी बहन को छोड़कर बाहंचोड़ बनना ही चाहता है तू छोड़ ले अपनी जवान बड़ी बहन की छूट.”
मैने जानकार इतने गंदे वॉर्ड्स उसे किए थे पैर वह बुरा ना मानकर ख़ुश होता हूवा बोला, “सच दीदी.” और फ़ौरन मेरी छूट मैं अपना लंड ढकाधक पैलने लगा की कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूं.

“तू हबूत किस्मत वाला है अमित.” मैं उसके कुंवारे लंड की छुड़ाई का मज़ा लेते हुवे बोली.”क्यों दीदी?” “अरे म्यार तू अपनी ज़िंदगी की पहली छुड़ाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की जिसकी तू जाने क़ब्से छोड़ना चाहता था.”
“हाँ दीदी मुझे तू अब भी यक़ीन नही आ रहा है लगता है सपने मैं छोड़ रहा हूँ जैसे रोज़ आपको छोड़ता था.” फिर वह मेरी एक चूचि को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा. उसके धाक्को की रफ़्तार अभी भी काम नही हुई थी. मैं भी काफ़ी दीनो के बाद छुड़ रही थी इसलिए मैं भी छुड़ाई का पूरा मज़ा ले रही थी.
वह एक पल रुका फिर लंड को गहराई तक ठीक से पैल्कर ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा. वह अब झड़ने वाला था. मैं भी सातवे आसमान पैर पहुँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठाकर उसके धाक्को का जवाब दे रही थी. उसने मेरी चूचि छ्छोड़कर मेरे हूँतो की मुँह मैं ले लिया जो की मुझे हमेशा अच्छा लगता था. मुझे चूमटे हुए कसकस्कर दो चार धक्के दिए और और “हाए आशा मेरी जान” कहते हुवे झड़कर मेरे ऊपर छिपक गया. मैने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और “हाए मेरे राजा कहते हुवे झाड़ गयी

छुड़ाई के जोश ने हुंदोनो को निढाल कर दिया था. हुंदोनो कुच्छ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे. कुच्छ देर बाद मैने उससे पूच्ह, “क्यों मज़ा आया मेरे बाहंचोड़ भाई को अपनी बहन की छूट छोड़ने मैं उसका लंड अभी भी मेरी छूट मैं था. उसने मुझे कसकर अपनी बानहो मैं जकदकर अपने लंड को मेरी छूट पैर कसकर दबाया और बोला, “बहुत मज़ा आया दीदी. यक़ीन नही होता की मैने अपनी बहन को छोड़ा है और बाहंचोड़ बन गया हूँ.” “तू क्या मैने तेरी मूट मारी है “नही दीदी यह बात नही है “तू क्या तुझे अब अफ़सोस लग रहा है अपनी बहन को छोड़कर बाहंचोड़ बनने का.”

“नही दीदी ये बात भी नही है मुझे तू बड़ा ही मज़ा आया बाहंचोड़ बनने मैं मनन तू कर रह की बासस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रास ही पीटा रहो. हाय दीदी बल्कि मैं तू सोच रहा हूँ की भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी. अगर एक दो और होती तू सबको छोड़ता. दीदी मैं तू एह सोच रहा हूँ की यह कैसे छुड़ाई हुई की पूरी तरह से छोड़ लिया लेकिन छूट देखी भी नही.”

“कोई बात नही मज़ा तू पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तू ख़ूब आया.” “तू घबराता क्यों है अब तू तूने अपनी बहन छोड़ ही ली है अब सब कुच्छ तुझे दिखाओँगी. जब तक माँ नही आती मैं घर पैर नंगी ही रहूंगी और तुझे अपनी छूट भी चात्वाओंगी और तेरा लंड भी चूसूंगी. बहुत मज़ा आता है “सच दीदी?” “हाँ. अच्छा एक बातय है तू इस बात का अफ़सोस ना कर की तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है मैं तेरे लिए और छूट का जुगाड़ कर दूँगी..”

“नही दीदी अपनी बहन को छोड़ने मैं मज़ा ही अनोखा है बाहर क्या मज़ा आएगा?”

“अच्छा चल एक काम कर तू माँ को छोड़ ले और मदरचोड़ भी बन जा.” “ओह दीदी ये कैसे होगा?”
“घबरा मत पूरा इंतेज़ाम मैं कर डूबगी. माँ अभी 38 साल की है तुझे मदरचोड़ बनने मैं भी बड़ा मज़ा आएगा.”
“हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं दीदी एक बार अभी और छोड़ने दो इस बार पूरी नंगी करके छोदुँगा.” “जी नही आप मुझे अब माफ़ करिय.” “दीदी प्लेआसए सिर्फ़ एक बार.” और लंड को छूट पैर दबा दिया.

“सिर्फ़ एक बार.” मैने ज़ोर देकर पूच्हा. “सिर्फ़ एक बार दीदी पक्का वादा.”
“सिर्फ़ एक बार करना है तू बिल्कुल नही.” “क्यों दीदी?” अब तक उसका लंड मेरी छूट मैं अपना पूरा रस नीचोड़कर बाहर आ गया था. मैने उसे झटके देते हुवे कहा,
“अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और छोड़ लोगे?” “हाँ दीदी.”
“ठीक है बाक़ी दिन क्या होगा. बस मेरी देखकर मूट मारा करेगा क्या. और मैं क्या बाहर से कोई लौँगी अपने लिए अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तू बिल्कुल नही.”
उसे कुच्छ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आई तू उसके लांद मैं थोड़ी जान आए और उसे मेरी छूट परा रग़दते हुवे बोल्ब, “ओह दीदी उ र ग्रेट.”

दो बहनों की सेक्सी चुदाई

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मेरा नाम अमित है. मैं मुंबई में रहता हूँ. मैं आज से एक साल पहले मुंबई आया था. मैने जहा पर रूम किराये पर लिया था वहा एक आंटी भी रहती थी. मेरी आंटी से दोस्ती हूँ गई. आंटी की दो लडकियां थी. एक का नाम सुनैना और एक का नाम शम्मी था. दोनों बहुत सेक्सी थी. एक थोडी मोटी थी जिसका नाम सुनैना था. बड़ी वाली एकदम सेक्सी और स्लिम थी. दोनों चोदने वाली चीजे थी. दोनों दूध की तरह गोरी थी. मैं रात दिन उनकू चोदने के बारे मैं सोचता रहता. कई बार मैं उनकू याद करके नगन करके ख्यालू मैं चोदता रहता था. उनकू याद करके मैं दिन मैं एक बार मुठ जरूर मरता था

एक दिन मेरी किस्मत खुल गई. मैने शम्मी को उसके बॉय फ्रेंड के साथ गार्डन मैं फ्रेंच किस करते देख लिया. मैं वही पर उनका पीछा करते रहा. मैने मोबाइल से उनके फोटो भी ले लिए. शाम को जब वो घर वापिस आ रही थी तू मैने उसको रास्ते मैं रूक लिया. मैने उसे कहा पैदल जा रही हो आओ बाईक पे घर छोड़ दू पहले तो वो मन करती रही पर जोर डालने पर वो मान गई. मैने उसे बिठा लिया. रास्ते मैं मैने पूछा गार्डन मैं क्या कर रही थी. वो घबरा गई और कहने लगी कुछ नही. मैने कहा ज्यादा बनो मत मेरे पास तुम्हारे फोटो हैं. वो डर गई और मान गई. वो मेरी मिन्नतें करने लगी की घर पर मत बताना. मैने कहा एक शर्त पर नही बताऊंगा अगर तुम मेरे से चुदवाओगी. उसने कहा यह नही हो सकता. मैने कहा तो मैं बता दूंगा. वो मान गई और मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया और कहने लगी कल जहा कहोगे आ जाऊगी.

मैं खुश हो गया. रात भर कल का इंतज़ार करता रहा. सुबह होणे पर मैने अपनी दोस्त से रूम की चाबी ली. मेरा दोस्त सुबह जॉब पर जाता था और रात को घर आता था. मैने शम्मी को फ़ोन करके वहीं बुला लिया. दोपहर को १२ बजे का मैने टाइम रखा. वो कॉलेज जाने की बजाये सीधे मेरे पास आ गई.. मैने उसे रूम मैं बैठाया. सबसे पहले उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाया. उसने नीले रंग की जींस और टॉप पहन रखा था. जिसमें वो सेक्स सिम्बोल लग रही थी. मैं उसे उठा कर बेड पर ले गया उसे वहा लिटा दिया और साथ ख़ुद भी लेट गया. मैने उसको कस कर बाहों मैं ले लिया और पूरे बदन पर किस करने लगा. फिर मैने उसके मखमल जैसे ममे हाथो में लिए और धीरे २ दबाने लगा. वो सिसकिया भरने लगी आआया…. आया…. ह्ह्छ.. .मेरी मस्ती और बढ गई. बाद में मैं उसे समूच करने लगा. मैने उसे गोद मैं बिठाया और स्मोच और गहरा कर दिया. मैं कभी उसके मुँह मैं जीब डालकर उसे कसता कभी वो मेरे मुँह मैं अपनी जीभ डालती और उसे चूसता. १५ मिनट हम यही करते रहे.

वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी. मैने कहा चल साली अब तेरे को नग्न करू और तेरे ममे पियू और तेरे को चोदूं. मैने उसे नग्न कर दिया. अब उसके बदन पर काले रंग की ब्रा और पेंटी थी. मैं उसके रूप को देख कर पागल हो गया और पूरे बदन को उसके चूमने लगा. मैं उसके पेट पर चुम्बन चोदता रहा और उसे सिस्क्किया देता रहा. मैने उसके पूरे बदन पर हाथ और मुह फेरता रहा.वोह स्स्स्स.. आःछ…….आआस्स्स्स….करती रही. उसके गोरे बदन पर गले मैं चैन और काली ब्रा और पेंटी उसे गजब रूप दे रही थी. फिर मैने उसकी पेंटी और ब्रा उतारी. अब वो पूरी तरहे नंगी थी. मैने उसके मम्मों को हाथ मैं भर लिया वो कड़क हो चुके थे. मैने उसके एक ममे को हाथ मैं लिया और दोसरे हाथ से उसके निपल को प्यार से दबाने लगा. वो पागल हो गई और सिसकिया भाते हुए मेरे साथ चिपट गई.

मैने कहा आज तेरे को चोद कर तेरे जुड़वा बच्चे पैदा करूगा. बोल कितनी बच्चे पैदा करेगी. वो कहने लगी प्लीज़ ऐसा मत करना मोहल्ले में मेरी बेइस्ती हो जायेगी. मैं हस पड़ा और कहने लगा फिकर मत कर तुझे प्रेग्नैन्सी पिल खिला दूगा. बाद मैं मैने कहा तेरे बॉय फ्रेंड ने कितनी बार तेरे को चोदा है. उसने कहा कभी नही. मैने कहा क्या २ किया उसने तेरे साथ. उसने उत्तर दिया सिर्फ़ पहला फ्रेंच किस जब तुमने देख लिया. मैं खुश हो गया की कुवारी फ़ुद्दी मिलेगी आज तो. मैं उसके ममे हाथ मैं लेकर निप्पल चूसने लगा. उसके गोरे म्मो पर काले निप्पल मस्त थे. मैं १५ मिनट मम्मे चूसता रहा और वो सिसकिया भरती रही. वो मेरे अंडरवियर से मेरा लंड टटोल रही थी. मैने अंडरवियर उतार दिया. मेरा लंड बाहर आ गया. वो मेरे लंड से खेलने लगी.

मैने उसे मुँह मैं लेने को कहा. वो मना करती रही. मैने उसके बालो से पकडा और मुँह में लंड घुसा दिया. बाद में वो उसे चूसने लगी अब उसे ७ इंच लंबा और मोटा लंड अच्छा लगा और वो उसे लोलीपोप की तरहे चूसने ली. मैने उसके सर को पकड़ा और मूह में ही वीर्य निकाल दिया. अब वो गुस्सा हो गई पर बाद में मैने कहा ऐसा नही करुंगा तो वो मान गई.फिर में उसके बदन से खेलता रहा और लंड के खडे होने का इंतज़ार करने लगा. लंड १० मिनट बाद दोबारा खड़ा हुआ. अब में उसकी फुदी को चाटने लगा. उसकी फुदी फूल गई तो मैने अपनी लंड को उसके मुँह में दे कर गीला किया, फिर फुदी पर रखा और जोर से झटका मारा और लंड फिसल गया. उसकी फुदी छोटी थी.

मैने दुबारा उसकी फुदी को खोला और लंड रखा और जोर से झटका मारा. आधा लंड अन्दर घुस गया.वो दर्द से तड़फ़ने लगी. कहने लगी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़. मैं हंस पड़ा और एक और झटका देकर पूरा लंड अन्दर धकेल दिया. वो रोने लगी और कहने लगी मेरी गलतियां माफ़ कर दो मुझे छोड़ दो. मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे समूच करने लगा और ममे चूसने लगा. अब दर्द कम होने लगा था . मैने दोबारा चोदना सुरु किया अब उसे मजा आने लगा. शम्मी भी अब मेरा साथ देने लगी. कुछ देर बाद वो झड़ गई.में नही झडा. मैं लगातार लगा रहा वो छुटने का यतन कर रही पर में उसे पेलता रहा. में आधे घंटे बाद उसके झड़ने के बाद झड़ा. मैने उस दिन तीन बार अलग २ ऐन्गल से उसको चोदा. शम्मी को मेरे दोस्त और मैने मिल कर कैसे चोदा और सुनैना की चुदाई की कहानी में अगली बार लिखूंगा.

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी मुझे लिखे


एक नेट फ़्रेन्ड की मस्त चुदाई- सच्ची कहानी

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हाय फ्रेंड्स स्टोरी पढने वाली चूत और लोडों को मेरे लंड का सलाम . आपने आज तक बहुत सी स्टोरीस पढ़ी होंगी मैं भी आज अपनी एक सची स्टोरी इस साईट पे डालना चाहता हु ..मै राहुल हरियाणा से .

ये बात अभी कुछ ही समय पहले की है मुझे नेट पे एक लड़की मिली जिसका नाम था शमा और उसकी मुझसे डेली बात होने लगी …धीरे धीरे हम बहुत घुलमिल गए .और हम एक दुसरे को पसंद करने लगे बस मेरा भगवन ने मुझे एक आर्ट अछी दी है किसी को भी बहुत जल्दी इम्प्रेस कर लेता हु .

तोह धीरे धीरे हमने एक दुसरे के मोबाइल नम्बर . एक्सचेंज करे और अब हम फ़ोन पे बात करने लगे
और एक दिन हमने मिलने का प्रोग्राम बनाया और एक प्लेस डिसाइड किया और हम मिले ..उस दिन हमने कुछ बातें करे ..वो बहुत सुंदर थी उसका फिगर था ३४-३०-३६… और वो लड़की थी क्या माल थी यार ..मेरी तो बस एक ही तमन्ना थी की किसी तरह उसकी चुदाई का मौका मिले ..उसके बूब्स और उसकी गांड क्या माल थे यार जब वो चलती तो कयामत ढाती थी ..अब हमने एक दूसरे को देख भी लिया था तो अब हमारी बातें कुछ बढ़ने लगी ..अब हम एक दूसरे से सेक्स की बातें करने लगे.

एक दिन हमने प्रोग्राम बनाया कि हम मिलेंगे और वो सब करेंगे जो हम चाहते है ..अब मुझे मेरा सपना सच होता हुआ दिखाई दे रहा था कॉज वो करने के लिए मान गई थी . सो नेक्स्ट डे हम एक निश्चित स्थान पर मिले. तब हम मेरे दोस्त के घर पे गए जो खाली पड़ा था मैंने पहले ही उसकी चाबी उस से ले ली थी .. हमने मार्केट से कुछ खाने को ले लिया था . हम वह पे पहुचे .. पहले हमने कुछ खाया और बस फ़िर क्या था मैंने उसके नरम नरम लिप्स को किस करना शुरू किया और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी

किस करते हुए मैंने अपना एक हाथ उसके मोटे मोटे सॉफ्ट सॉफ्ट बूब्स पर रख दिया और उसे दबाना शुरू किया उसकी आँखों में मस्ती चने लगी .. फ़िर मैंने उसकी टॉप में हाथ डाला और उसकी ब्रा के अन्दर से उसके बूब्स को दबाने लगा वो ऊऊओह्ह्ह ह्ह्ह्ह आया आआया अह्ह्ह्छ जैसी सेक्सी वौइस् करने लगी जिस से मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया

मैंने उसका टॉप उतर दिया और वो अब पिंक कोलोर की ब्रा में थी मैंने उसे भी उतार दिया अब उसका एक बूब मेरे मुँह में था और एक मेरे हाथ में और वो पागल हुए जा रही थी..

उसकी आवाज पुरे कमरे में गूंज रही थी फिर मैंने धीरे से अपना लंड निकला और उसके हाथ में पकडवा दिया अब वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी और बड़े मजे ले रही थी

.. मैंने उसकी जीन्स को भी उतार दिया और उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया उसकी चूत तो पूरी गीली हो चुकी थी जैसे ही मैंने उसकी चूत पे हाथ रखा वो सेक्सी आवाजे निकलने लगी ओह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह्छ आआअह्ह्ह्ह मैं और जयादा गरम होने लगा

मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया और उसकी चूत को किस करने लगा फ़िर मैं उसकी चूत को चाटने लगा क्या चूत थी उसकी एक दम क्लीन शेव्ड और प्यारी सी चोटी सी एक दान गरम गरम सच कहते है मुस्लिम लड़की की चूत होती ही गरम है ..बहुत टाइट थी उसकी चूत . फिर हम ६९ की पोसिशन में आ गए अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत लगभग १५ मिनट तक ये चलता रहा

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को फिर से लिप किस करने लगे फिर जैसे ही मैं उसकी चूत पे अपना लंड रखा वो डर गई और बोली इतना बड़ा और मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा मैं तो मरर ही जाउंगी ..उसका डरना वाजिब था कॉज मेरा लंड है ही इतना बड़ा ८” का लंड है मेरा . फिर मैंने उससे कहा दरो मत थोड़ा सा दर्द होगा फिर बहुत मजा आएगा और मैं बड़े प्यार से करूँगा मेरी जान..

फिर मैंने उसकी चूत पे अपना लंड रखा और धीरे से धक्का दिया मेरा १ /४ लंड ही अन्दर गया था की वो चिलला उठी प्ल्ज़ राहुल धीरे करो नही तो मैं मर जाउंगी मैंने उसके लिप्स पे किस करना शुरू किया और एक जोर डर धक्का दिया तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया वो तड़पने लगी और उसकी आँखों से आंसू निकल आए .

फिर मैं थोडी देर तक उस के ऊपर ऐसे ही लेता रहा . कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया मैंने उसे खूब जम के चोदा वो भी बड़े मजे से अपने चूतड़ उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी ..पूरा कमरा हमारी सेक्सी आवाजों से गूंज रहा था .. कुछ देर बाद वो फ्री हो गई फ़िर मैंने जोर जोर से करना शुरू किया और उसके ५ मिनट बाद मैं भी फ्री हो गया उसके बाद हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपट के लेटे रहे

आधे घंटे के बाद हम दोनों नहाने के लिए बाथरूम में गए वहां पे मैं उससे शोवेर में एक बार और चोदा और इसी तरह हम शाम तक एक दूसरे के साथ रहे और हमने ५ -६ बार सम्भोग का सुख प्राप्त किया .. उस दिन के बाद जब भी हमे मौका मिलता हम एक बार जरुर करते .क्यो कैसी लगी मेरी स्टोरी गरम गरम चूत को ..और मोटे मोटे लोडों को.. मुझे बताईएगा…

जब अंजू को पहली बार चोदा

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लेखक: हिमांशु, कानपुर

हेल्लो ! मेरा नाम हिमांशु है. मेरी उम्र १८ साल है और मै कानपूर का रहने वाला हु. ये मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड की कहानी है. उसका नाम अंजू है. उसकी भी उम्र १८ साल है. वह मेरे घर के पास में रहती है. दिखने में वह बहुत सेक्सी है. उसकी चुचियो को देखकर मेरा मन उसको एक बार छोड़ने का करता है.

एक बार मै एक हसिनाओ को छोड़ने के नियम की किताब पढ़ रहा था. पढ़ते हुए वो किताब मैंने केमिस्ट्री की किताब में रख दी. एक दिन वो मेरे पास केमिस्ट्री की किताब लेने आई. मैंने वो किताब उसे दे दी. वो किताब लेकर चली गई. जब उसने वो किताब खोली तो उसमे वो किताब निकली उस किताब के कवर पेज पर नंगी लड़की की तस्वीर छपी थी. उसने वो किताब पढ़ी. उसे बहुत मज़ा आया . अगले दिन वो उस किताब को मेरे घर वापस करने आई.

मैंने उससे पूछा कि किताब कैसी है ?
उसने कहा इस किताब से तो अंदर वाली किताब अच्छी है. उसने मुझसे कहा कि तुम कल मेरे घर आना मुझे तुमसे कुछ बात करनी है. अगले दिन मै उसके घर गया. उसके घर में कोई नही था. घर में वो बिल्कुल अकेली थी.

वो मेरे पास आई और बोली यार तुम बहुत सेक्सी हो मैंने भी कहा तुम भी कम सेक्सी नही हो. उसने कहा मुझे तुम्हारे जैसे लड़के कि ही जरुरत थी. इतने में उसने मुझे पकड़ कर किस करना चालू कर दिया. मैंने उसका टॉप और जींस उतर दी. अब वो केवल ब्रा और पैंटी में थी. और उसने भी मेरी शर्ट और पेन्ट उतार दी. मैंने भी अंडरवियर उतार दी. मै बुल्कुल नंगा हो गया था. मेरा ७ ’ लंड बहार निकल आया .

मैंने उस चूसने को कहा. वो मेरा लंड अपने मुह में डालकर चूसने लगी. तभी मैंने भी उसकी ब्रा और पैंटी उतर दी. वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. उसकी नंगी चुचिया बाहर निकल आई थी. मैंने उसकी चुचियो को मसलना शुरु कर दिया.

वो बोली- तुम तो बड़े चुदाकर हो , पहले किसी को चोदा है क्या ?
मैंने कहा नही.
वो बोली मैंने भी पहले किसी से नही चुदवाया है. मैंने उसकी दहनी चुचु को मुह से चुसना शुरु कर दिया. उसके मुह से अहह … अह …. निकल रहा था.

अब मेरा लंड उसको चोदने के लिए बिल्कुल तैयार था. मैंने उसको बिस्टर पर लिटाया और अपना लंड उसकी छुट में डाल दिया. छुट में घुसते ही वो अहह …. अहह …. चिल्लाने लगी. वो बोली मत करो दर्द होता है. मैंने कहा कि अभी थोड़ा दर्द होगा , बाद में बड़ा मज़ा आएगा इसके साथ ही मैं इक और धक्का लगाया मेरा लंड उसकी छुट में ४ ’ चला गया. वो चिल्लाने लगी.

मैंने लंड अंदर बाहर करना शुरु कर दिया. मैंने अबकी बार ज़ोर का धक्का दिया मेरा लंड लगभग पूरा चला गया था. उसकी चूत से खून निकल पड़ा. वो बोली मुझे तुमसे नही चुदवाना है. मुझे बहुत दर्द होता है. मैंने कहा अब तो थोड़ा ही बाकी रह गया है.

मैंने उसे डोग स्टाइल में लिटाया और जोर से चोदना शुरु कर दिया. अब उसे दर्द कम हो रहा था उसने कहा कि और तेज़ी से चोदो. मैंने स्पीड बढ़ा दी. अचानक मेरे लंड से पानी निकल पड़ा और उसकी छूट में चला गया. मैंने अपना लंड बाहर निकला. वो मेरे लंड को चाटने लगी.

मैंने उससे कहा कि क्या तुम मुझे अपना ढूढ़ नही पिलाओगी ?
वो बोली ये तो तुम्हारे ही लिए है. मैंने उसकी चूची को मुह से चुसना शुरु कर दिया. उसका ढूढ़ पीकर बड़ा मज़ा आया. वो बोली अब तुम मुझे हफ्ते में एक बार जरुर चोदा करो. मैंने कहा ठीक है. अब मै उसको हफ्ते में एक बार जरुर चोदता हु. हम साथ में ब्लू फ़िल्म देखने जाते है!

चाची और उसकी बहन को चोदा

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लेखक: गौरव यादव

हाय ! मेरा नाम गौरव है। मै आपको अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूं।
एक दिन मै नहा रहा था। मेरी आदत है खुले में नहाने की। नहाते समय मेरी चाची आकर मुझे छेड़ने लगी। वो मेरी चडडी खीन्चने लगी। तो मैने उन पर पानी डाल दिया।

तो वो मुझ से कहने लगी कि गौरव अब मुझे नहाना पड़ेगा। यह कह कर उन्होंने अपना ब्लाउज खोल दिया। मै उनके बूब्स देख कर दंग रह गया।वो इतने बड़े थे कि ब्रा से भी बाहर झांक रहे थे। उन्होंने मुझे बाथरूम में पानी लाने को कहा और खुद बाथरूम में चली गयी।

जैसे ही मै बाथरूम में पानी लेकर गया तो मैने देखा कि चाची पूरी नंगी खड़ी हैं। यह देख कर मेरा लंड चडडी फ़ाड़ कर बाहर आने लगा। चाची ने मेरी चडडी में हाथ डाला और बोली कि गौरव तेरा घोड़ा तो ताव में आ गया है। अब तो मुझे चोद कर रहेगा, पर आज नहीं कल्। कल सब शादी में जायेंगे तब चोद लेना। यह कह कर चाची ने मुझे बाथरूम से बाहर जाने को कहा।

जब घर से सब लोग अगले दिन बाहर गये तो मैने दरवाजे बन्द करते ही चाची को पकड़ कर उनके होंठ पर किस करने लगा। उसके बाद मैने चाची को जम कर चोदा।

मुझसे चुदवाते समय चाची बोली कि कल तुझे अपनी बहन से मिलवाउंगी। अगले दिन चाची ने अपनी बहन को बुला लिया और हमारा परिचय करवाया। उसके बाद मै उसे बाहर ले जाने लगा तो चाची मुझ से बोली कि इसको खाने का बहुत शौक है, धयान रखना।

मै उसे एक अच्छे होटल में ले गया। मैने उसे ओर्डर करने को कहा तो उसने दो कोल्ड कोफ़ी ओर्डर की।

मैने कहा-जान! खने के लिये भी कुछ ओर्डर करो तो वो मेरे लंड पर हाथ रख कर बोली कि मुझे तो ये खाना है तो मै उसे कमरे में ले गया और अपना ८” लम्बा लड उसके मुंह में दे दिया। वो बहुत मजे से उसे चूस रही थी। तभी मैने उसके ब्रा में हाथ डाला और उसके बूब्स को आजाद कर दिया। फ़िर मैने उसकी पैन्टी उतार दी और लन्ड उसकी चूत में डाल दिया।

रात भर में मैने उसकी सात बार गांद और चूत अलग अलग तरीकों से मारी।

इन्टरनेट की मस्त दोस्त

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लेखक: यशु अग्रवाल

हाय ! गर्ल्स ! भाभी ! आंटी ! यंग लडिस ! कॉलेज गर्ल्स !!

दोस्तों आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. मैं अक्सर इन्टरनेट पर चाटिंग करता रहता हूँ. मैंने कई फ्रिएंड्स बनाये पर एक बार मेरे एक फ्रेंड बना जो की मेरे हे शहर का था. वो फ्रेंड एक २३ साल की शादीशुदा लेडी थी वो मुझसे बातें करने में इन्टरेस्टिड थी. हम काफ़ी टाइम तक एक दूसरे के फ्रेंड बने रहे.

फिर एक दिन उसने मुझे मिलने के लिए कहा. मैं मिलने के लिए तैयार हो गया. उस दिन बहुत तेज़ बारिश हो रही थी.
मैं उनके घर पहुँचा और बेल बजाई तो मैंने देखा के सामने एक सेक्सी फीगर की लड़की खड़ी उसने ब्लैक कलर की शोर्ट नाईटी पहन रखी थी जिसमे से उसकी व्हाइट कलर की ब्रा साफ़ दिख रही थी उसके बूब्स तो ऐसे लग रहे थे जैसे अभी ब्रा फाड़ के बाहर निकल जायेंगे.
मैंने अपना नाम बताया और अन्दर आ गया. मैं तेज़ बारिश के कारण बिल्कुल भीग चुका था. मेरे अंडरवियर मैं भी पानी चला गया था. मैं पहली बार किसी अजनबी लेडी के घर गया था इसलिए थोड़ा घबरा रहा था.

फ़िर उन्होंने मुझे चेंज करने के लिए कहा. मैं उनके पति के कपड़े पहन लिए. फिर हम दोनों ने काफ़ी बातें की. उसने बताया के उनके पति एक मल्टी नेशनल कम्पनी में काम करते हैं. जिस की वजह से काफ़ी दिनों तक बाहर ही रहते हैं. पर मेरा ध्यान तो उनकी जाँघों के बीच था जिसमे से उनकी ब्लैक कलर की पैंटी दिख रही थी उन्होंने मुझे देख कर कहा ये क्या देख रहे हो तुम में एक दम से डर गया.
मैंने कहा- कुछ नही.
उसने मुझे बड़े प्यार से कहा- नौटी बॉय.
ऐसा सुनते ही मेरी हिम्मत बढ गयी. मैंने उसे कह दिया मैडम आपका फिगर बहुत सेक्सी है. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा तो इसकी प्यास बुझा दो न मेरे पति पर तो टाइम नहीं है.

मैंने इतना सुनते ही उसके बूब्स पर हाथ रख दिया. हाथ रखते ही मेरा ८ इंच का लंड खड़ा हो गया. उसने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगी. में एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरा हाथ मैंने उसकी पैंटी में डाल दिया. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और ख़ुद भी नंगा हो गया.

मैंने पागलों की तरह उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूत गीली हो गयी थी. मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. क्या रसीली चूत थी वो. मुझे ऐसा लगा जैसे जन्नत में आ गया हूँ.

फिर में खड़ा हो गया और उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया. वो मेरे लंड को जोर जोर से चूसने लग गयी. मैं अब पूरे जोश मैं आ गया. मैंने उसे बेड पर लिटा लिया और उसकी चूत मैं लंड डालने की कोशिश करने लगा उसकी चूत अभी भी बहुत टाईट थी पहली बार ज़ोर लगाने पर उसकी चीख निकल पड़ी- आआअ आआअ आऐइ ईईईइ ऐईईइऊ ऊऊऊईइ ईईईई माआ आआआ.

मैंने दूसरी बार फिर ज़ोर लगाया जैसे ही मेरा आधा लंड उसकी चूत मैं गया वो जोर से चीख पड़ी फिर धीरे धीरे मेरा साथ देने लगी और उसे भी मजा आने लगा.
मैं उसे ४० मिनट तक अलग अलग पोसिशन में चोदता रहा जब मेरे डिस्चार्ज होने वाला था तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और सारा माल उसके मुंह पर निकाल दिया. वो मेरे लंड को चूस चूस कर सारा माल पी गयी.

पर सॉरी दोस्तों में आपको उसका नाम नहीं बता सकता क्योंकि उसने मुझे इस बात को छुपाने के लिए कहा था!

ताई की चुदाई

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दोस्तों मेरा नाम जगदीप है, उमर २० और लम्बाई ५’९”। हमारा सारा परिवार एक ही घर में रहता है। मैं आज आपको अपने जीवन की एक बड़ी ही सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूं। इस घटना से पहले मैं भी बड़ी सेक्सी फ़िल्में देखता था पर इसके बाद से तो मेरी लाइफ़ ही एक सेक्सी फ़िल्म जैसी हो गई है। यह बात आज से करीब एक साल पहले की है जब हमारा सारा परिवार किसी की शादी में गया हुआ था और हमारे घर में कोई नहीं था। इस लिये मैं अपनी ताई जी के साथ शाम को घर वापिस आ गया। मेरी ताई की उमर ४७ साल और लम्बाई ५’८” है और उनकी फ़ीगर ४० -३५ -४० की है यानि कि वो थोड़ी मोटी है पर ऐसा होने पर भी वो बड़ी सेक्सी नज़र आती है। जब पहले भी कभी मैं और ताई घर में अकेले होते थे तो ताई बिना चुनरी लिये काम किया करती थी मैंने कई बार उनकी झुक कर काम करते समय गोरी गोरी छाती देखी थी। उनके वो बड़े बड़े बूब्स हमेशा ही मेरी आंखों के सामने घूमते रहते थे।

उस शाम को जब ताई घर का काम कर रही थी तो उन्होंने सलवार कमीज पहना हुआ था। गरमी का मौसम होने के कारण उनके कपड़े पतले थे और उसमें से उनके अंदरूनी कपड़े ब्रा और चड्ढी साफ़ नज़र आ रहे थे। मैं उस वक्त टीवी देख रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान ताई की गांड और बड़े बड़े बूब्स पर था। रात को भोजन खा के हम दोनों अपने अपने कमरों में सोने के लिये चले गये। मुझ को देर रात तक टीवी देखने की आदत है है इसि लिये मैं करीब रात ११:३० तक टीवी देखता रहा।

सोने से पहले जब मैं पेशाब करने के लिये जाने लगा तो मैंने देखा कि ताई अभी तक जाग रही है। मैंने पेशाब करके वापिस आ कर ताई से पूछा कि क्या बात है उन्हें नींद क्यों नहीं आ रही तो ताई ने बताया के उसके पेट में बड़ा दर्द हो रहा है। तो मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं उनकी कोई मदद कर सकता हूं तो उन्होंने कहा के मुझे सरसों का तेल थोड़ा गरम कर के ला दो। मैं तेल गरम कर लाया मैंने पूछा कि क्या मैं आप के पेट की मालिश कर दूं तो उन्होंने कहा ठीक है। मैंने उनके पेट पर से कमीज ऊपर कर दिया मैंने उनके पेट की मालिश करनी शुरु कर दी। मैं करीब ३० मिनट तक उनकी मालिश करता रहा उसके बाद उनके पेट का दर्द ठीक हो गया पर अभी भी थोड़ा सा तेल बच गया था तो उन्होंने कहा कि इसे उनकी पीठ पर लगा दो। ताई की पीठ से उनका कमीज ठीक से ऊपर नहीं हो रहा था ताई बोली कि चलो मैं कमीज ही उतार देती हूं। ताई कमीज उतार कर लेट गयी और मैं उनकी लातों पर बैठ कर उनकी पीठ की मालिश करने लग गया ऐसा करते समय मैंने कई बार अपना हाथ उनके बूब्स पे लगाया पर वो कुछ न बोली। फिर मालिश करने के बाद अपने कमरे में चला गया।

अभी मुझे लेटे हुए थोड़ा वक्त ही हुआ था कि ताई मेरे कमरे में आ गयी और मेरे ऊपर बैठ गयी। मुझे पता नहीं चल रहा था कि मैं क्या करूं मैंने ताई से पूछा कि आप यह क्या कर रही हो तो वो बोली कि आज तूने मेरे बूब्स को हाथ लगा कर कई सालों से मेरे अंदर की सोई हुई औरत को जगा दिया है और अब इसकी गरमी को ठंडा भी तुम्हें ही करना पड़ेगा। वो ताई जिसके साथ नंगा सोने के मैं सिर्फ़ सपने ही देखता था वो आज मेरे ऊपर बिना कमीज के बैठी हुई थी। मेरा सपना सच होने जा रहा था इस लिये मैं बहुत खुश था। फिर मैंने और ताई ने अपना काम शुरु कर दिया उसने अपने होंठ मेरे होंठों में डाल लिये और २-३ मिनट मुझे चूमती रही। पहले मैने अपनी जीभ ताई के मुंह में डाल दी और फिर उसने मेरे। फिर ताई ने अपनी सलवार उतार दी और अब उसने सिर्फ़ ब्रा और चड्ढी ही पहनी हुई थी। फिर वो बिस्तर पर लेट गयी और मैं उसके ऊपर फिर हम दोनों काफ़ी वक्त तक एक दूजे को चूमते रहे कभी मैं उसकी छाती को चूमता कभी उसके पेट को तो कभी लातों को। फिर ताई ने अपनी ब्रा उतार दी और मैंने उनके बड़े बड़े बूब्स चूसने शुरु कर दिया उसका दूध बड़ा मीठा था मैं अब भी कई बार उसका स्वाद चखता हूं।

फिर ताई ने अपनी चड्ढी भी उतार दी और मेरे साथ लेट गयी ताई की चूत बहुत बड़ी थी उसको चाटना शुरु कर दिया फिर ५-६ मिनट में ताई पहली बार झड़ गयी उसके बाद ताई ने मेरा बड़ा सा लंड अपने मुंह में डाल लिया और चूसने लग गयी मैंने भी उनके मुंह में ही पिचकारी मार दी। फिर ताई ने कहा कि चलो अब असली काम करते हैं और ताई लातों को थोड़ा खोल कर सीधी लेट गयी मैंने ऊपर से अपना लंड ताई की चूत में डाल दिया वो बड़ा खुश थी क्योंकि आज बड़े वक्त बाद उसकी चूत में लंड घुसा था। मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरु कर दिया ताई ने भी आआअ ईए ऊऊह माआ हाआ हाअ की आवाज़ें निकालनी शुरु कर दी। मैं करीब १ घंटे तक ताई की चूत चोदता रहा इसमें ताई दो बार झड़ गयी। फिर मैंने ताई को कहा कि मैं अब उसकी गांड मारना चाहता हूं और ताई घोड़ी बन गयी मैंने लंड को गांड में घुसेड़ दिया ताई की गांड बड़ी तंग थी उसे दर्द हुआ और वो चिल्ला दी आऐईईईइईईईए माआआआआअ मैंने जोर जोर से लंड आगे पीछे करने शुरु कर दिया और १५ मिनट तक ताई को चोदता रहा। मैंने ताई जैसे गरम औरत की कभी नहीं ली थी। फिर मेरा छूट गया और मैं ताई को चूमने लग गया। फिर ताई ने बोला कि मैं एक बार फिर उनकी चूत मारूं और इस बार वो मेरे ऊपर बैठ गयी और अपने आप हिल हिल कर धक्के देने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर हम सारी रात ही नंगे सोये रहे सुबह उठ कर ताई ने फिर मुझे अपने बूब्स चुसवाये और चूमा भी। उसके बाद तो जब भी हम दोनो घर में अकेले होते हैं तो एक पति-पत्नी की तरह रहते हैं।

नेपाल में भाभी की चुदाई

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मैं नेपाली हूं और ग्रेजुऐशन के बाद एक सरकारी दफ़्तर में नौकरी करता हूं। मेरा घर राजधानी काठमांडु में है और नौकरी के दौरान मुझे देश के अलग अलग हिस्सों में जाना पड़ता है। ये एक दस साल पुरानी हकीकत है जो मैं आपके साथ बांट रहा हूं। ऐसे ही मेरा नेपाल के पूरवी शहर बिराट नगर तबादला हुआ। मैं शहर के बीचों बीच एक घर में डेरा लेकर रहने लगा। वो घर तीन मंजिला था और सबसे ऊपर घरवाला रहता था बीच में मैं और सबसे नीचे एक व्यापारी था। घरवाला इंजीनियर था और वो अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ रहता था। मैं इंजीनियर को भाई और उसकी बीवी को भाभी कहकर बुलाता था। हम शाम के वक्त छत पर बैठ कर गप्पे मारते थे और इंजीनियर की बीवी कभी चाय तो कभी शरबत पिलाकर हम लोगों का सत्कार करती थी। उसकी बीवी का नाम गौरा था और लगभग सत्ताइस साल की थी लेकिन इंजीनियर देखने में पचास साल का लगता था। इंजीनियर से उसके बारे में मैंने कभी नहीं पूछा और जरुरत भी नहीं समझी। वो घर से बहुत दूर नौकरी करता था और महीने दो महीने में एक बार दो चार दिन के लिये घर आता था। मैं अकेले रहता था और मेरी शादी भी नहीं हुई थी। उनके दो बेटे थे एक आठ साल का और दूसरा पांच साल का। दोनों स्कूल जाते थे और मैं फ़ुरसत के समय में उन लोगों को होमवर्क करने में हेल्प कर देता। मुझे उन लोगों के घर में या किसी कमरे में जाने में रोकटोक नहीं थी। गौरा अपनी नाम के तरह गोरी थी और देखने में बहुत सुंदर थी। बड़ी बड़ी काजल लगी हुई आंखें और काले लम्बे बाल उसको और सेक्सी बना देते थे।

गर्मियों का महीना था और शाम का वक्त था मैं हवा खाने छत पर निकल गया। गौरा ढेर सारे कपड़े लेकर धो रही थी और मैं एक कुर्सी खींचकर गप्पे मारने के लिये उसके सामने बैठ गया। जैसे ही मेरी नजर उसपर पड़ी, मैं सन्न रह गया वो पतला सफ़ेद रंग का टाइट ब्लाउज़ पहने हुए थी और तीन चौथाई से ज्यादा चूचियों का हिस्सा बाहर उबलने को तैयार था। उसने बरा नहीं पहनी हुई थी। मेरे लंड ने हरकत करना शुरु किया और कुछ ही देर में तनकर खड़ा हो गया। उसकी चमकीली चूचियां गोल गोल थी और उसके बारूद ने मुझे हिलाकर रख दिया। मेरा दिल तो करता था अभी उठकर जाउं और गन्ने की तरह सारा रस पी जाउं या यूं कहूं उसकी घाटी के बीच खुद को समा लूं। मेरा ६.५ ” लम्बा और २.५ ” मोटा लंड सनसनाकर खड़ा हो गया था और मैं उसको ठंडा करने के बारे में सोच रहा था । मैं अपने भाग्य को कोस रहा था कि क्यों मैंने पहले ऐसा नजारा नहीं देखा। सफ़ेद रंग के ब्लाउज़ से निकलता स्तन बेचैनी कर रहा था। मैं अपने शरीर में गर्मी महसूस करने लगा। मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं भाभीजी को बोला “भाभीजी आप कपड़े धोइए मैं पानी डाल देता हूं”। उसने हाँ कहा और मैं पानी डालने लगा। मैं पानी डालते समय दो चार छींटे उसके ब्लाउज़ पर जानबूझकर डाल देता था और वो मुस्कुरा देती। मैं एक हाथ से अपना लंड पकड़ रहा था और दूसरे हाथ से पानी डाल रहा था। कुछ देर बाद भाभी का सारा ब्लाउज़ भीग गया और मैं सकते में आ गया। उसके भीगे ब्लाउज़ से लाल लाल निप्पल साफ़ दिखाई देने लगे या यूं कहूं कि वो ऊपर से पूरी तरह नंगी हो गई।

मेरे सब्र का बांध टूट रहा था और मैं उसको बोला “भाभी आप पूरी तरह से भीग गयीं हैं, कपड़े बदल लीजिये नहीं तो आपको सर्दी लग जायेगी” वो बस मुस्कुरा कर बोली “आपने ही तो भिगाया है देवर जी, आप बहुत बड़े वो हो”। मैं अपना लंड पकड़कर थोड़ा हिला रहा था और इसी दौरान मेरा लंड झड़ गया। मैं उसे देख कर उसकी कल्पना में खोया था कि उसके बच्चे आ गये और मेरा सपना टूट गया। दूसरे दिन जब मैं ओफ़िस से घर लौटा तो शाम के चार बज रहे थे। मैं कपड़े बदलकर सीधा ऊपर चला गया। भाभी और बच्चों में जंग चल रही थी कि सबसे ताकतवर कौन है। वो एक आपस मेन एक दूसरे को उठा रहे थे। मैंने गौर से भाभी को देखा तो उस दिन भी उसने ब्रा पहनी नहीं थी, हल्के गुलाबी रंग के ब्लाउज़ और शिफ़ोन की साड़ी के साथ हल्का मैकअप उसको और हसीन बना रहा था। मेरे शरीर में हरकत शुरु हो गयी और मेरा लंड धीरे धीरे बढ़ने लगा। मैं भाभी और अपने लंड के बारे में सोच ही रहा था एक लड़का बोला “अंकल आप हमारी मम्मी को उठा सकते हैं“ मैं भाबी को चिढ़ाने के लिये बोला “आपकी मम्मी भारी तो हैं पर हम उठा सकते हैं”। इतने में भाभी बोली “हम भारी हैं या देवर में उठाने की ताकत नहीं है”। हम कुछ कहने वाले थे कि बच्चों को उनके दोस्तों ने नीचे से आवाज़ दी और बच्चे नीचे की तरफ़ भागने लगे और भाभी उन लोगों को आहिस्ता जाने की हिदायत दे रही थी। उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी और मैंने सोचा यही मौका है भाभी को दबोचने का और मैं आगे बढ़ा और उनकी कमर में हाथ डालके झटके से ऊपर उठा लिया। वो न नुकर कर रही थी लेकिन मैंने उसको दबोचे रखा। मैंने अंदाज़ा लगाया वो लगभग ५५ किलो की थी और ५’५” उंचाई वाली औरत थी। उसने हल्का खुश्बुदार परफ़्यूम लगा रखा था जो मुझे और मदहोश कर रहा था। मैंने अपना हाथ थोड़ा ढीला किया तो वो धीरे धीरे नीचे की तरफ़ सरकने लगी और जब वो ज़मीन पर टिक गयी तो उसकी दो बड़ी बड़ी चूचियां मेरे हाथ में थी। मैंने अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर महसूस किया और मैंने अपना हाथ का दबाव उसकी चूचियों पर थोड़ा और बढ़ाया। उसका शरीर भी काँप रहा था और सांसें गरम हो गयी थी। इसी बीच मैंने एक लम्बा चुम्बन उसके होंठों पर रख दिया।

उसके निप्पल बहुत कड़क हो गये थे और मेरा लंड साड़ी के बाहर से ही उसकी चूत में जाने के लिये तड़प रहा था। मैंने अपना हाथ उसके ब्लाउज़ के अंदर डाल दिया और उसकी दो पहाड़ जैसी रसीली चूचियां दबाने लगा। मैंने महसूस किया कि मेरे लंड से पानी निकल रहा है। मैंने उसके निप्पल को थोड़ी ज़ोर से दबाया तो वो दूसरी तरफ़ हटकर बोली “देवरजी आप बहुत नटखट हैं, जो काम रात को करते हैं वो दिन में नहीं करते” इतना कहकर वो किचन की तरफ़ चली गयी और मैं वहीं बैठकर अपने लंड हिला हिला कर पानी निकालने लगा। मैं एक बार फिर नकामयाब होकर लौट गया। अब मुझे रात का इन्तज़ार था और घड़ी की सुई थी कि हिलती ही नहीं थी। मैं कभी कभी व्हिस्की पीता था इसलिये एक दो व्हिस्की की बोतल मेरे पास रहती थी। मैंने एक पैग ले लिया लेकिन मेरी बेसब्री और बढ़ गयी। मैंने दूसरा पैग भी ले लिया अब मेरी बेसब्री थोड़ी कम हुई। मैंने तीसरा पैग बनाया और खाना खाने लग गया। खाना खाने के बाद मैंने ब्रश किया और थोड़ा परफ़्यूम अपने शरीर पर और थोड़ा अपने लंड पर लगा लिया। इतने में रात के नौ बज गये और मैं तैयार होने लगा। मैंने व्हिस्की का तीसरा पैग एक घूंठ में हलक से नीचे डाला और मैं सीड़हियों के तरफ़ बढ़ा।

भाभी का मैन गेट खुला था और एक कमरे से हल्की रोशनी आ रही थी। मैं उसी दरवाजे की तरफ़ बढ़ा, दरवाजा आधा खुला था और भाभी पलंग पर बैठकर कुछ पढ़ रही थी। मैंने दरवाजा थोड़ा पुश किया तो भाभी दरवाजे की तरफ़ पलटी, उसकी और मेरी आंखें चार हुई तो वो अलग अंदाज़ में मुझे न्यौता दे रही थी। मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। सारे कमरे में हलकी खुश्बु फ़ैली थी। भाभी भी पलंग से उठकर आयी तो मैंने देखा, वो एक झीनी सी पारदर्शी नाइटी में थी और उसका सारा अंग मुझे दिखाई पड़ रहा था। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और वो अभी भी ब्रा पहने नहीं थी। काले लम्बे बालों को आगे की तरफ़ झुकाये थी और आंखों में काजल उसको और सेक्सी बना रहा था।

मेरा लंड फिर हरकत में आ गया और देर करना मुझे मेरी मूर्खता लगी इसलिये मैं आगे बढ़ा और एक झटके में उसे बाहों में जकड़ लिया। मैंने उसके होंठ पर अपना होंठ रख दिया और उसकी जीभ को चूसने लगा। उसने मेरी पैंट का हुक खोलकर मेरी पैंट नीचे गिरा दिया। मेरे लंड का दबाव शायद वो अपनी चूत पर कर रही थी। मैंने उसकी नाइटी को उतार दिया और अपना भी सारा कपड़ा उतारा। हल्की रोशनी में मुझे उसका जिस्म ताजमहल जैसा लग रहा था। मैंने फिर एक बार उसके होंथ पर लम्बा किस जड़ दिया। मेरे हाथ धीरे धीरे उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर बढ़ने लगे। उसकी चूचियां सख्त थी और ऐसा नहीं लगता था कि उसके दो बच्चे भी हैं। मैं अपना दबाव उसकी गोलाइयों पर बढ़ाता गया और वो मेरे शरीर के अंग अंग को किस कर रही थी। मैं उसकी कड़क निप्पलों को चूसने लगा तो सिसकारी भरने लगी।

उसके शरीर की गरमाहट मुझे और मदहोश बनाने लगी थी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत पर रगड़ने लगा और मुँह से उसके निप्पल चूस रहा था। उसके चूत से निकला पानी से मेरी उंगली भीग गई थि। मैंने उसको उठकर बेड पर लिटा दिया। मैं उसके ऊपर विपरीत दिशा में बैठ गया तो उसकी टांग मेरे सर की तरफ़ थी और मेरी टांग उसके मुँह की तरफ़ थी। मैं धीरे धीरे उसकी चूत सहलाने लगा तो वो छटपटाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर फ़ेरना शुरु कर दी। लाल चूत के बीच में जो छोटा मास का टुकड़ा होता है मैं उसको मुँह में लेकर अपनी जीभ से दबाने लगा। उसने भी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। उसकी चूत में अपनी जीभ अंदर बाहर करता था और कभी कभी मैं टुकड़े को हल्का सा काट देता था। वो सिहर उठी थी और मेरे सर को जोर से चूत की तरफ़ खींचती थी। वो अपनी चूत को ऊपर नीचे कर रही थी जिससे मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर बाहर हो जाती थी। थोड़ी देर हिलने के बाद उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला जो मैंने ज्यादा से ज्यादा मुँह से निगल गया। मेरा भी लंड तुनक रहा था तो मैं अब उसके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत के सामने रखकर थोड़ा दबाव दिया तो लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर घुस गया। उसने हल्की आह की आवाज़ मुँह से निकाली और मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, अब सारा लंड उसकी चूत के अंदर था।

मैं धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों पर थे और मेरा मुँह कभी उसके निप्पल तो कभी उसके होंठ पर चल रहा था। मेरे होंठ, हाथ और लंड की स्पीड धीरे धीरे बढ़ाने लगा। वो मुझे पुरी तरह साथ दे रही थी और बीच बीच में सिसकारी भरकर मुझे भींच लेती थी। मेरी लंड की स्पीड बढ़ती गयी और उसकी चूत से इतना पानी निकल रहा था कि पूरा कमरा फच फच की आवाज़ से गूंज रहा था। मैं दनादन उसकी चूत में लंड डाल रहा था। इतने में ही उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला और वो सिकुड़ गयी। मैं भी झड़ने वाला था तो अपना लंड चूत से निकालकर उसके मुँह में दे दिया। उसने मेरे लंड के सुपाड़े को अपने दातों से दबाव देकर चूसने लगी और वो लंड को जड़ तक चूस रही थी। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से ढेर सारा सफ़ेद वीर्य निकला जो वो चाव से चाटने लगी। हम दोनों पलंग पर बैठ कर बातें करने लगे। मैं बोला “भाभी कैसी रही चुदाई” तो वो बोली आपका लंड तो बहुत बड़ा है, मेरे मियां का लंड तो इससे आधा भी नहीं है और जब वो चोदने आते हैं तो मैं अभी तैयार भी नहीं होती हूं और उसका लंड झड़ जाता है। देवरजी तुम में बहुत दम है और अब जब चाहो मुझे चोद सकते हो। मैंने पूछा “भाभी आपके दो बच्चे हैं लेकिन आपकी चूचियां तो बहुत सख्त हैं” तो वो बोली मैं रोज योगा करती हूं इसलिये मेरा शरीर दुरुस्त है। मैं उसकी चूचियां दबा रहा था और वो मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी। धीरे धीरे उसका हाथ मैंने अपने लंड पर पाया और वो उसे उठाने की कोशिश कर रही थी। मैं भी उसकी चूचियां दबाता रहा था तो कभी उसके निप्पल को मुँह में ले के चूसता था। मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ से खेलना शुरु किया जिसमें उसने मेरा पूरा साथ दिया। मैं उसकी जीभ चाट रहा था और वो मेरी। उसका मुँह मेरे मुँह से सटा हुआ था और उसके दोनों हाथ लंड को सहला रहे थे ।

रानी के साथ मज़ा

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यह स्टोरी एक महीने पुरानी है।

हाय फ़्रेंड्स आई एम नील फ़्रोम भोपाल। आप लोगों ने मेरी कहानी चाची से प्यारा कौन पढ़ी। काफ़ी अच्छा रिस्पोंस आया अच्छा लगा। अब मैं आप लोगों को एक नयी कहानी बताने जा रहा हूँ।

अब हम लोग भोपाल में ही शिफ़्ट हो गये थे। जैसा कि आप लोगों को मालूम है कि चाची को चोद कर मुझे चोदने का शौक लग गया था तो लंड चोदने के लिये तड़पता रहता है। हमारे घर में पार्ट-टाइम नौकरानियां काम करती हैं। लेकिन कोई भी सुंदर नहीं थी। मम्मी बड़ी होशियार थीं। सब काली कलूटी और भद्दी भद्दी छांट छाँट कर रखती थीं। जानती थी लड़का बहुत ही चालु है। आखिर में जब कोई नहीं मिली तो एक लड़की को रखना ही पड़ा जो बीसेक साल की मस्त जवान कुंवारी लड़की थी। साँवला रंग था और क्या जवान, सुंदर ऐसी कि देख कर ही लंड खड़ा हो जाए। मम्मे ऐसे गोल गोल और निकलते हुए कि ब्लाउज़ में समाए ही नहीं।

बस मैं मौके की तलाश में था क्योंकि चोदने के लिये एकदम मस्त चीज़ थी। सोच सोच कर मैंने कई बार मुठ मारा। बहुत ज़ोर से तमन्ना थी कब मौका मिले और कब मैं इसकी बुर में अपना लंड घुसा दूं।

वो भी पैनी निगाहों से मुझे देखती रहती थी। और मैं उसके बदन को चोरी चोरी से नापता रहता था। मन ही मन में कई बार उसे नंगी कर दिया। उसकी गुलाबी चूत को कई बार सोच सोच कर मेरा लंड गीला हो जाता था और खड़ा होकर फड़फड़ा रहा होता। हाथ मचलते रहते कब उसकी गोल गोल चूचियों को दबाऊं। एक बार चाय लेते समय जब मैंने उसे छुआ तो मानो करेंट सा लग गया और वो शरमाते हुए खिलखिला पड़ी और भाग गयी। मैंने कहा मौका आने दे, रानी तुझे तो खूब चोदुंगा। लंड तेरी चिकनी बुर में डाल कर भूल जाऊंगा। चूची को चूस चूस कर प्यास बुझाउंगा और दबा दबा कर मज़े लूंगा। होठों को तो खा ही जाउंगा। रानी उसका प्यारा सा नाम था।

कहते हैं उसके घर में देर है पर अंधेर नहीं। इतवार था उस दिन और मेरे लंड देव तो उछल गये। मैं मौका चूकने वालों में से नहीं था। लेकिन शुरु कैसे करूँ। अगर चिल्लाने लगी तो? गुस्सा हो गयी तो? दोस्तो, तुम यह जान लो कि लड़कियां कितना ही शरमाये लेकिन उनके दिल में लालसा होती है कि कोई उनको छेड़े और चोदे।

मैंने रानी को बुलाया और उसे देखते हुए कहा- रानी, तुम कपड़े इतने कम क्यों पहनती हो?
वह बोली- क्यूं साहब, क्या कम है?
मैंने जवाब दिया- देखो, ब्लाउज़ के नीचे कोई ब्रा नहीं है। सब दिखता है। लड़के छेड़ेंगे तुझे।
वो बोली- बाबुजी, इतने पैसे कहां कि ब्रा खरीद सकूं। आप दिलवाओगे?
मैंने कहा- दिलवा तो मैं दूँगा … लेकिन पहले बता कि क्या आज तक किसी लड़के ने तेरे बदन को छेड़ा है?
उसने जवाब दिया- नहीं साहबजी।
मैंने कहा- इसका मतलब कि तू एकदम कुंवारी है?
“जी साहबजी।”
“अगर मैं कहूं कि तू मुझे बहुत अच्छी लगती है, तो तू नाराज़ तो नहीं होगी?”
“नाराज़ क्यों होने लगी साहबजी? आप बहुत अच्छे हैं।”

बस यही उसका सिगनल था मेरे लिये। मैंने हिम्मत करके पूछ लिया- अगर मैं तुझे थोड़ा सा प्यार करूं तो तुझे बुरा तो नहीं लगेगा?
अपने पैर की उंगलियों को वो ज़मीन पर मसलती हुई बोली- आप तो बड़े वो हो साहब।
मैंने आगे बढ़ते हुए कहा- अच्छा अपनी आँखें बंद कर ले और अभी खोलना नहीं।

उसने आँखें बंद की और हल्के से मुँह ऊपर की तरफ़ कर दिया। मैंने कहा- बेटा लोहा गर्म है, मार दे हथौड़ा। आहिस्ता से पहले मैंने उसके गालों को अपने हाथों में लिया और फिर रख दिये अपने होंठ उसके होंठों पर। हाय क्या गज़ब की लड़की थी। क्या टेस्ट था। संसार की महंगी से महंगी शराब उसका मुकाबला नहीं कर सकती थी। ऐसा नशा छाया कि सब्र के सारे बांध टूट गये।

मेरे होंठों ने कस कर उसके होंठों को चूसा और चूसते ही रहे। मेरे दोनों हाथों ने ज़ोर से उसके बदन को दबोच लिया। मेरी जीभ उसकी जीभ का टेस्ट लेने लगी। इस दौरान उसने कुछ नहीं कहा। बस मज़ा लेती रही।
अचानक उसने आँखें खोली और बोली- साहबजी, बस, कोई देख लेगा।
मैंने कहा- रानी, अब तो मत रोको मुझे। सिर्फ़ एक बार।
“एक बार, क्या साहब?”

मैंने उसके कान में फुसफुसा कर कहा- अपनी बुर चुदवाएगी मुझसे? एक बार अपनी बुर में मरा लंड घुसवायेगी? देख मना मत करना। बहुत खूबसूरत है तू … मेरा दिल आ गया है तुझ पर!
यह कह कर मैंने रानी को कस के पकड़ लिया और दायें हाथ से उसकी बायीं चूची को दबाने लगा। मुँह से मैं उसके गालों पर, गले पर, होंठों पर और हर जगह पर चूमने लगा पागलों की तरह। क्या चूची थी, मानो सख्त संतरे। दबाओ तो चिटक चिटक जाये। उफ़, मलाई थी पूरी की पूरी।
रानी ने जवाब दिया- साहब जी, मैंने यह सब कभी नहीं किया। मुझे शर्म आ रही है।
उखड़ी सांसों से मैंने कहा- हाय मेरी जान रानी, बस इतना बता, अच्छा लगा या नहीं। मज़ा आ रहा है या नहीं? मेरा तो लंड बेताब है जाने मन। और मत तड़पा।
“साहबजी, जो करना है जल्दी करो, कोई आ जायेगा तो?”

बस मैंने उसके फूल जैसे बदन को उठाया और बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया। कस कर चूमते हुए मैंने उसके कपड़ों को उतारा। फिर अपने कपड़ों को जल्दी से निकाला। सात इंच लम्बा मेरा लंड फड़फड़ाते हुए बाहर निकला। देख कर उसकी आँखें बड़ी हो गयी, बोली- हाय यह क्या है? यह तो बहुत बड़ा है।
“पकड़ ले इसे मेरी जान।” कहते हुए मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया।

उसके बदन को पहली बार नंगा देख कर तो लंड ज़ोर से उछलने लगा। चूची ऐसी मस्त थी कि पूछो मत। चूत पर बाल इतने अच्छे लग रहे थे कि मेरे हाथ उसकी तरफ़ बढ़ ही गये। क्या गर्म चूत थी। उंगली आहिस्ता से अंदर घुसाई। रस बह रहा था और उसकी बुर गीली हो गयी थी। गुलाबी गुलाबी बुर को उंगलियों से अलग किया, और मैंने अपना लंड आहिस्ता से घुसाया। हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे। मुँह से उसके होंठों को मैं चूस रहा था।
“आह, साहब जी, धीरे … दुःख रहा है।”
“रानी मज़ा आ रहा है ना?”
“साहबजी, जल्दी करिये न जो भी करना है।”
“हाय मेरी जान, बोल क्या करूं?”
“डालिये न। कुछ करिये न।”
“रानी, बोल क्या करूं?” कहते हुए मैंने लंड को थोड़ा और घुसाया।
“अपना यह डाल दीजिये।”
“बोल न, कहाँ डालूं मेरी जान, क्या डालूं?”
“आप ही बोलिये न साहबजी, आप अच्छा बोलते हैं।”
“अच्छा, यह मेरा लंड तेरी चिकनी और प्यारी बुर में घुस गया और अब ये तुझे चोदेगा।”
“चोदिये न, साहबजी।”

उसके मुँह से सुन कर तो लंड और भी मस्त हो गया- हाय रानी, क्या बुर है तेरी, क्या चूची है तेरी। कहां छुपा कर रखा था इतने दिन। पहले क्यों नहीं चुदवाया।
“साहबजी, आपका भी लंड बहुत मज़ेदार है। बस चोद दीजिये जल्दी से।” और उसने अपने चूतड़ ऊपर कर लिये।

अब मैंने उसकी दाहिनी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। एक हाथ से दूसरी चूची को दबाते हुए, मसलते हुए, मैं उछल उछल कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। जन्नत का मज़ा आ रहा था। ऐसा लग रहा था बस चोदता ही रहूँ, चोदता ही रहूँ इस प्यारी प्यारी चूत को। मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से उसकी गुलाबी गीली गर्म गर्म बुर को चोद रहा था।
“हाय, रानी चुदवाने में मज़ा आ रहा है न। बोल मेरी जान, बोल।”
“हां साहब, मज़ा आ रहा है। बहुत मज़ा आ रहा है। साहब आप बहुत अच्छा चोदते हैं। साहब, यह मेरी बुर आपके लंड के लिये ही बनी है। है न साहब। साहब, चूची ज़ोर से दबाइये न। साहब, ऊऊओह, मज़ा आ गया, ऊऊह्हह्ह।”

अचानक, हम दोनों साथ साथ ही झड़े। मैंने अपना सारा रस उसकी प्यारी प्यारी बुर में घोल दिया। हाय क्या बुर थी। क्या लड़की थी। गर्म गर्म हलवा। नहीं उससे भी ज्यादा टेस्टी।
मैंने पूछा- रानी, तेरा महीना कब हुआ था री?
शरमाते हुए बोली- परसों ही खत्म हुआ। आप बड़े वो हैं। यह भी कोई पूछता है।

बांहों में भर कर होंठों को चूमते, चूचियों को दबाते हुए मैंने कहा- मेरी जान, चुदवाते चुदवाते सब सीख जायेगी।
एकदम सेफ़ था। प्रग्नेंट होने का कोई चांस नहीं था अभी। दोस्तो, कह नहीं सकता, दूसरी बार जब उसे चोदा, तो पहली बार से ज्यादा मज़ा आया। क्योंकि लंड भी देर से झड़ा। चूत उसकी गीली थी। चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी साली। उसकी चूचियों को तो मसल मसल कर और चूस चूस कर निचोड़ ही दिया मैंने। जाने फिर कब मौका मिले। आज इसकी बुर चूस ही लो। बुर का स्वाद तो इतना मज़ेदार था कि कोई भी शराब में ऐसा नशा नहीं। चोदते समय तो मैंने उसके होंठों को खा ही लिया। “यह मज़ा ले मेरे लंड का मेरी जान। तेरी बुर में मेरा लंड – इसी को चुदाई कहते हैं रानी। कहां छुपा रखी थी यह चूत जानी।” कहते हुए मैं बस चोद रहा था और मज़ा लूट रहा था।

“चोद दीजिये साहबजी, चोद दीजिये। मेरी बुर को चोद दीजिये।” कह कह कर चुदवा रही थी मेरी रानी।

दोस्तो, चुदाई तो खत्म हुई लेकिन मन नहीं भरा, उसे दबोचते हुए मैंने कहा- रानी, मौका निकाल कर चुदवाती रहना। तेरी बुर का दिवाना है यह लंड। मालामाल कर दूंगा जाने मन।
यह कह कर मैंने उसे दो सौ रुपये दिये और चूमते हुए मसलते हुए विदा किया।


रिहर्सल में हिरोइन को चोदा

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हैलो रीडर्स, आई एम रोहित बैक वंस अगैन

आई एम २४ इयर्स ओल्ड एंड विद ए गुड फिज़िक & गुड मशीन साइज़। बात तब की है जब मैं कॉलेज में था एमए फ़ाइनल कर रहा था और कॉलेज में फेस्ट चल रहा था। निधि मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी और मैं उसे दिल ही दिल में चाहता भी बहुत था लेकिन कभी कहने की हिम्मत नहीं होती थी। हम दोनों खूब साथ कॉलेज में रहते थे बात चीत करते थे लेकिन इससे ज़्यादा न कभी मैंने न कभी उसने ही कोई पहल करी। फेस्ट में हम दोनों एक्टर ऐक्ट्रेस का रोल कर रहे थे। नाटक शाम को ५ बजे होना था और हम १ बजे से ही रिहर्सल कर रहे थे। लगभग २ घंटा पहले मेक अप करके हम दोनों को थोड़ी देर डाइरेक्टर ने हमें एक ही कमरे में छोड़ दिया और डाइलोग बोल कर देखने को कहा। उसने एक आदिवासी की साड़ी पहनी थी और मैंने एक धोती और एक फटा हुआ बनियान पहना हुआ था क्योंकि मैं नाटक में एक मजदूर और वो मेरी बीवी का रोल कर रही थी।

नाटक की प्रक्टिस में हम दोनों को एक सीन में डांस करना था मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसने मेरी कमर में हाथ डाला और हमने डांस करना शुरू किया। उसके बाद एक बेंच से टकरा कर वो थोडी सी लड़खड़ायी और उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया। अचानक मेरी नज़र उसके बूब्स पर चली गई जो ब्लाउज़ का गला गहरा होने की वजह से साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे। उसका रंग इतना गोरा था कि मानो दूध से भी सफ़ेद। साइज़ तो बस एक दम परफेक्ट। इतना परफेक्ट कि कोई भी देखे तो बस देखता ही रह जाए। शायद ३६-२६-३४ होगा। मेरी निगाह उसकी छाती से ही अटकी रह गई। तभी मैंने देख कि निधि अपने साड़ी का पल्लू उठाने की बजाय मेरी तरफ़ ही देखे जा रही है। मुझे लगा कि शायद ग्रीन सिग्नल मिल रहा है मैंने चेहरा ऊपर उठा कर उसके लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं किस और ज़्यादा डीप करता गया और फ़िर अपनी जीभ उसके मुंह मी दे दी और फ़िर उसके जीभ मेरे मुंह में भी आ गई। वो भी बहुत एन्जॉय कर रही थी।

मैंने मौका देखते हुए उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया और ब्लाउस के ऊपर से ही पूरा मज़ा लेने के बाद मैंने ब्लाउज़ के अन्दर हाथ डालने की बजाय उसे पीछे से बांहों में भर कर उसकी गांड दबाने लगा। मैंने वो भी मुझे बिल्कुल मना करने की बजाय मेरा साथ दे रही थी मैंने अब देर न करते हुए उसकी साड़ी को उठाया और उसकी गोरी गोरी टांगो को देख कर मेरी आँख जैसे खुली की खुली ही रह गई। मैं उसकी टांगों को नीचे से चूमता हुआ ऊपर तक गया और उसकी काले रंग की पैंटी को किस किया और फ़िर देर न करते हुए उसकी पैंटी को उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। वो और ज़्यादा गरम होती जा रही थी।

मैंने अब देर न करते हुए अपनी धोती खोल कर अपने लंड को आज़ाद किया जिसका कच्छे में बुरा हाल हो रहा था। ८ इंच लंबा और ३ इंच मोटा लंड देखते ही उसके होश उड़ गए और वो कहने लगी कि नहीं रोहित प्लीज़ मेरे साथ वो मत करना मुझे बहुत दर्द होगा। मैंने कहा डरो मत मेरी जान मैं बिल्कुल दर्द नहीं करूँगा मगर वो मान ही नहीं रही थी। तो मैंने उसको कहा कि क्या तुम मेरे इस हथियार को अपने मुंह में ले सकती हो? उसने पहले तो मना किया पर फ़िर मेरे बार बार प्लीज़ कहने पर वो मान गई अब वो मेरे लंड को चूस रही थी और मैं मानो जन्नत में था। उससे खूबसूरत लड़की को मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था और वो मेरा लंड चूस रही थी।

थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। अब मैंने उसको कहा कि जानू एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा। वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लंड और उसकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया। उसे बहुत दर्द हो रहा था। मगर अब वो कुछ बोल भी नहीं सकती थी क्योंकि अगर वो थोड़ी से भी आवाज़ बाहर निकालती तो बाहर से कोई भी आ सकता था। ऐसे में मैंने अपने होठ उसके होठों पे रख दिए और चुदाई कार्यक्रम शुरू कर दिया। थोड़ी देर में उसे भी मज़ा आने लगा और फ़िर लगभग १५ मिनट की मजेदार चुदाई के बाद हम दोनों ने अपना अपना पानी छोड़ दिया। उसके बाद तो मैंने लगभग हर हफ्ते उसे उसके घर पर जाकर चोदा।

वैसे वो आज भी मेरी बेस्ट फ्रेंड है पर अब उसकी शादी हो गई है। हालांकि शादी को २ महीने ही हुए हैं पर हो सकता है कि मेरा प्रोग्राम अभी भी चलता रहे।

बरसात की रात – 1

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हैलो दोस्तो, कैसे हैं!

अब मैं अपनी कहानी शुरु करता हूं।

मेरा मन अपनी मां और चाची की चूत मार मार कर अब उकता चुका था, गांव वाली बहु की भी चूत का भोसड़ा बना चुका था मैं!

हां, मगर उनकी दोनों लड़कियों की प्यास अभी अधूरी ही थी।

मैं चाहता तो बड़े आराम से उन्हे चोद सकता था बल्कि बुआ खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अपनी दोनो बेटी की चूत में घुसेड़ती।

पर मेरा उनकी बेटियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं था पर अब कोइ और चूत भी मेरी नज़र में नहीं थी और लंड था कि उतावला हो रहा था उसे तो चाहिये ही चाहिये।

खैर उस दिन तो मैंने अपनी मम्मी को ही चोदा मगर फ़िर दूसरे दिन मैं बिना इरादा ही सड़क पर टहल रहा था कि अचानक कोई मुझसे टकराया मैंने नज़र उठा कर देखा तो करीब 45-46 साल की एजेड लेडी रही होंगी, मगर मैंटैन बहुत थी.

मैं भी ख्याल में था और वो पता नहीं कैसे मुझसे टकरा गयी. मुझे अचानक होश आया तब मैं हड़बड़ा कर उनसे सोरी बोला.
उनके पोली बेग से कुछ सामान गिर गया था और वो बैठ कर उठा रही थी. उनका ब्लाउज़ काफ़ी टाइट था जिसके अंदर उनकि बड़ी-बड़ी चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थी।

हालांकि उन्होंने पल्लू डाल रखा था मगर पिंक कलर की झीनी सी साड़ी से सब साफ़ नज़र आ रहा था, मैं खड़े-खड़े उनके बूब्स का नज़ारा देख रहा था तब ही जैसे मैं नींद से जागा और मैं भी उनका सामान उठाने में मदद करने लगा।

तभी मैंने कहा- सोरी आंटी, मेरी वजह से आपका सामान बिखर गया.
वो बोली- कोई बात नहीं बेटा!

और सारा सामान रखने के बाद वो मुझसे बोली- बेटा तुम नयी जेनेरेशन की यही एक प्रोब्लम है, हर कोई कहीं ना कहीं खोया रहता है।
मैं शर्मिंदा होते हुए बोला- नहीं आंटी ऐसी बात नहीं है आप गलत सोच रही है।

फ़िर उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा, क्या तुम कोफ़ी पीना पसंद करोगे?
मैंने तुरंत ही हां में जवाब दिया।

और फ़िर हम लोग वहीं पास के कोफ़ी शोप पर बैठ गये वहां ज्यादा तर स्कूली लड़के और लड़कियाँ ही थे।

वो उन सबको देख रही थी, फ़िर अचानक मेरी तरफ़ देख कर पूछा बेटा आप क्या करते हो?
मैंने कहा- आंटी, मैं ला कर रहा हूं।
वो बोली- बहुत खूब मगर तुम्हारा ध्यान किधर था? क्या तुम भी इन सब स्कूली लड़कों की तरह नयी तितलियों को ताक रहे थे?

उन्होंने जिस अंदाज़ में ये बात कही मुझे अज़ीब सा लगा मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- नहीं आंटी, ऐसी कोई बात नहीं है खैर आप बतायें आप कहां से आ रही थी?
तब वो हंसते हुए बोली- क्या बेवकूफ़ी भरा सवाल करा? अरे भाई शौपिंग कर के आ ही रही थी कि तुमने धक्का मार दिया… अच्छा ये बताओ घर में और कौन-कौन है आपके बेटा?

मैंने कहा- मम्मी, पापा और एक छोटी बहन है और आंटी आपके घर में?
‘मैं और मेरी बेटी!’ उनका छोटा सा जवाब मिला।
मैंने पूछा- और अंकल?
वो बोली- बेटा, वो ऐयरफ़ोर्स में हैं और मेरा बेटा भी वहीं ट्रेनिंग कर रहा है।
बहुत उदासी भरी थी उनकी बातों में!

तब ही अचानक मौसम खराब हो गया और बारिश होने लगी हम लोग बहुत देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे करीब 2 घंटे बाद भी पानी नहीं रुका तो आंटी कुछ परेशान हो गयी.
मैंने पूछा- क्या बात है आंटी? आप कुछ परेशान सी हैं?
तब उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा- बेटा 8 बज रहे हैं और पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा… और कोई साधन भी नहीं मिलेगा अब तो!

मैंने कहा- आंटी, मेरा घर करीब में ही है, आप चाहें तो चल सकती हैं!
तब वो बोली- बेटा, असल मे घर पर नेहा अकेली होगी और आजकल का माहौल तो तुम जानते ही हो, जवान लड़की को अकेला नहीं छोड़ना चाहिये!
मैंने कहा- आंटी, आप यहीं रुकें, मैं अभी कार ले आता हूं.
तब वो बोली- बेटा, तुम भीग जाओगे!
मैंने कहा- आंटी, जवान लोगों पर बारिश का असर नहीं होता!

और मैं भाग कर घर गया और मम्मी को बताया कि एक दोस्त के घर जा रहा हूं कोई ज़रूरी काम है.
मम्मी रोकती रह गयी कि बेटा बारिश हो रही कल चले जाना!
मगर मैं रुका नहीं और कार लेकर कोफ़ी शोप पहुंच गया.

पानी अभी भी बहुत तेज़ था वो जैसे ही शोप से बाहर मेरी गाड़ी तक आयी, काफ़ी हद तक भीग चुकी थी और मैं तो पहले ही तर था क्योंकि घर तक जाने में काफ़ी भीग चुका था.

खैर थोड़ी ही देर बाद मैं एक बड़ी सी कोठी के सामने रुका कोठी देख कर मैं हैरान रह गया.
तभी वो कार से उतरते हुए बोली- बेटा, कार पार्किंग में पार्क करके घर में चले आओ, बहुत भीगे हो, चेंज कर लो, नहीं तो सर्दी लग जायेगी.
मैंने कहा- नहीं आंटी, ऐसे कोई बात नहीं, आपको घर तक छोड़ दिया, अब मेरा काम खत्म, मैं चलता हूं, इजाजत दीजिये!
तब आंटी ने थोड़ा डांट कर कहा- जितना कह रही हूं, उतना करो! आखिर मैं तुम्हारी मां कि तरह हूं जाओ गाड़ी पार्क करके आओ!

इतनी देर की बहस में आंटी बिल्कुल तर हो चुकी थी, मैं गाड़ी पार्क करने के बाद जब आया तो आंटी वहीं खड़ी थी. उनकी साड़ी बिल्कुल भीग कर उनके शरीर से चिपक चुकी थी, पिंक साड़ी के नीचे उनकी ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी.

हालांकि मेरे मन में अभी तक उनके लिये कोई गलत विचार नहीं थे मगर आखिर कब तक अंदर का शैतान सोया रहता… उनको इस पोज़ में देख कर मेरे औज़ार में सनसनी होने लगी.
मैं कुछ देर तक उनको निहारता रहा, तब ही वो मेरी आंखों के आगे चुटकी बजाते हुए बोली- कहां खो गये बेटे? तुम किसी डाक्टर को दिखाओ तुम्हारे में कोई मरज़ लगता है ये!
और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगी.

अंदर दाखिल होते ही मुझे एक बहुत ही खूबसूरत लड़की नज़र आयी जिसकी उम्र करीब 18 साल की रही होगी. वो मिडी पहने हुए थी और सूरत से बहुत परेशान नज़र आ रही थी, आंटी को देखते ही उनसे लिपट गयी- मम्मी कहां चली गयी थी आप? मैं घबरा रही थी!
आंटी ने उसको अलग करते हुए कहा- मेरी रानी बेटी, बाहर पानी बरसने लगा था इस लिये देर हो गयी और मैं फोन लगा रही थी तो एंगेज जा रहा था. खैर कोई बात नहीं अब तो मैं आ गयी हूं. मेरी बहादुर बच्ची तुमने खाना खाया?
उसने कहा- जी मम्मी अभी थोड़ी ही देर पहले रामू काका खाना दे कर अपने घर चले गये हैं. अब मुझे भी बहुत नींद आ रही है मैं भी सोने जा रही हूं.

अचानक मुझे देख कर वो थोड़ा सम्भलते हुए बोली- मम्मी, ये साहब कौन हैं?
उसकी मम्मी ने कहा- बेटा, आज मैं कार नहीं ले गयी थी और आज ही पानी को बरसना था तो इसने ही मुझे लिफ़्ट दी है, इनका नाम राजेश है!

और तब वो मुझे नमस्ते कर के अपने रूम में सोने चली गयी.

अब रूम में मैं और आंटी ही रह गये. आंटी ने मुझे एक लुंगी देते हुए कहा- लो ये पहन लो!
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और लुंगी बांध ली. मैंने गंजी और जोकी नहीं उतारी थी.
आंटी बोली- बेटा, सारे कपड़े उतार दो, अभी थोड़ी ही देर में सूख जायेंगे, तब पहन लेना! और बनियान भी उतार कर निचोड़ लो बहुत भीगी है.

तब मैंने झिझकते हुए बनियान उतार कर निचोड़ कर अलगनी पर टांग दी और वहीं वाशरूम में जाकर अपनी जोकी भी उतार कर सूखने को डाल दी. अब मैं सिर्फ़ लुंगी में था और अभी तक आंटी ने अपनी साड़ी नहीं उतारी थी.

अब मैं रूम में आया तब देखा कि वो अपना साड़ी का पल्लु निचोड़ रही थी और आंचल हटा होने की वजह से पिंक बलाउज़ के अंदर ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी जिसे मैं अपलक निहार रहा था.
मुझे एक टक इस तरह देखते हुए आंटी ने कहा- क्या देख रहे हो बेटे? तुमने अपने तो कपड़े उतार लिये, अब मैं भी चेंज कर लूं!

मेरा मन अब तक आंटी को चोदने के बारे में सोचने लगा था पर हिम्मत नहीं हो पा रही थी.

तभी थोड़ी देर बाद आंटी एक बहुत ही झीनी सी नाइटी पहन कर आयी और वहीं सोफ़े पर बैठ गयी और कोफ़ी बनाने लगी.
वो कोफ़ी बना रही थी और मैं ललचायी नज़रों से उनकी उभरी हुई चूची देख रहा था और दिल ही दिल में सोच रहा था कि काश ये आंटी मुझसे चुदवा ले तो कितना मज़ा आयेगा!
यही सब सोच सोच कर मेरा लंड अपनी औकात में आ चुका था और मुझे इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि कब वो मेरी लुंगी को 2 पाट करके बीच से उसकी टोपी बाहर झांक रही थी और आंटी चोर नज़रों से उधर ही देख रही थी.

मेरा पूरा ध्यान आंटी की चूची की तरफ़ था और आंटी का ध्यान मेरे औज़ार की तरफ़!
तभी मैंने आंटी की नज़रों की तरफ़ देखा तो उनकी नज़र अपने औज़ार पर टिकी देख कर अंदर ही अंदर खुश हो गया और धीरे से अपनी टांगें और खोल दी ताकि आंटी और अच्छी तरह से लंड का दीदार कर सकें!
उसके बाद हम दोनों ने कोफ़ी पी.

और उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनने लगा और दिल ही दिल में सोच रहा था कि साली अगर आज रोक कर चुदवा ले तो क्या हो जायेगा. तड़प तो इसकी भी चूत रही है पर हाय रे इंडियन नारी लाज़ की मारी लंड खायेगी गज़ भर के… मगर चुदवाने से पहले शरमायेगी इतना कि पूछो ही मत।

और जब मुझे कपड़े पहनते हुए आंटी ने देखा, तब वो करीब आयी और बोली- बेटा, अभी कपड़े पूरी तरह से सूखे नहीं हैं, तुम ऐसा करो कि आज यहीं रुक जाओ, घर पर काल कर दो मम्मी को!
तब मैंने नाटक करते हुए कहा- नहीं आंटी, जाना है मुझे!
तब वो मेरे हाथ से कपड़े छीन कर बोली- बेटा, मैं तेरी मां जैसी हूं, जैसा कह रही हूं वैसा करो! कहीं बीमार पड़ गये तो तेरी मम्मी को कौन जवाब देगा।
फ़िर मैंने घर पर काल कर दी कि आज पानी बहुत बरस रहा है, मैं आज यहीं दोस्त के घर रुक जाऊँगा.

और फ़िर थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम यहां बेड पर सो जाना, मैं सोफ़े पर लेट जाऊँगी. वरना अगर चाहो तो गेस्ट रूम में भी सो सकते हो!
तब मैंने कहा- आंटी, मैं वहां अकेला बोर हो जाऊँगा, आप ऐसा कीजिये, आप बेड पर सो जाइयेगा, मैं सोफ़े पर सो जाता हूं।
यह कह कर मैं वहीं सोफ़े पर लेट गया और आंटी बेड पर लेट गयी.

मेरे अरमान अब धीरे धीरे ठंडे हो रहे थे और मैं आंटी की उभरी हुई चूची और फ़ूले हुए चूतड़ आंखों में बसाये कब नींद की गोद में गया मुझे पता नहीं चला।

रात को अचानक मुझे अपनी जांघ पर कुछ सरकता हुआ महसूस हुआ तो मेरी नींद खुल गयी. फ़िर मुझे आभास हुआ कि ये किसी का हाथ है और घर में 2 ही जन थे आंटी या फ़िर उसकी जवान बेटी!

थोड़ी देर मैं उसी पोज़ में लेटा रहा, तब तक हाथ सरसराता हुआ मेरी लुंगी को सरकाता हुआ ऊपर मेरी जांघों की जड़ तक पहुंच चुका था. मैं भी अब उस हाथ की सहलाहट का आनंद लेना चाहता था चाहे कोई हो, भले ही उस वक्त उसकी युवा लड़की भी होती तब भी मैंने तय कर लिया था कि उसकी कुंवारी चूत चोद ही डालूंगा.

मगर अब तक मैं जान गया था कि ये हाथ आंटी का है और अब मैं पूरी तरह से उसकी सहलाहट का मज़ा लेना चाहता था. मैं सोफ़े पर सीधा होकर लेट गया और वो मुझे करवट लेते हुए देख कर कुछ हड़बड़ा गयी मगर फ़िर नोर्मल हो गयी और मुझे नींद में देख कर उसने मेरी लुंगी के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो अभी तक शांत अवस्था में था, उसे प्यार से सहलाने लगी.

अब मेरे लंड में धीरे धीरे तनाव आने लगा और मैं भी उत्तेजित होने लगा था, मेरा मन कर रहा था कि अभी साली को बाहों में भर कर इतनी जोर से चांपू कि इसकी हड्डी तक पिस जाये. पर मैं ऐसा कर नहीं सकता था, मैं बस चुपचाप पड़ा रहा और आंटी की कार्यवाही देखता रहा।

और फ़िर आंटी का हाथ थोड़ा कड़ा हो गया था वो मुझे सोया जान कर पूरी तरह निश्चिंत हो गयी थी. मेरे लंड को जोर जोर से सहलाने के बाद जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तब अपने होंठ से मेरी जांघों को चूमने लगी.
मेरे मुंह से सिसकी निकलने को हुई मगर मैंने दांत भींच कर सिसकी नहीं निकलने दी मगर अब बरदाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था।

तभी मैंने अपने लंड पर कुछ लिबलिबा सा महसूस किया कयोंकि रूम में नाइट लैम्प जल रहा था तो कुछ साफ़ नज़र नहीं आ रहा था और मैं अपनी आंख भी बंद किये था पर इतना तो अंदाज़ा हो ही गया था कि ये साली इसकी जबान होगी जो मेरे लंड पर फ़िरा रही है.
और जबान फ़िराते फ़िराते उसने गप्प से मेरा लंड मुंह में ले लिया. अब तो मैं बरदाश्त नहीं कर पाया और झटके के साथ उठ कर बैठ गया और बोला- कौन है?

तभी आंटी ने मेरे मुंह पर हाथ रखा और धीरे से बोली- बेटा मैं हूं!
उन्होंने फ़ट से लाइट जला दी.

मैं देख कर हैरान रह गया, आंटी पूरी तरह से नंगी थी. मैंने उनको नंगी देख कर चौकने का ड्रामा करते हुए कहा- हाय आंटी, आप तो नंगी हैं.
तब उन्होंने मेरा लौड़ा पकड़ते हुए कहा- बेटा, तुम भी तो नंगे हो!
मैंने अपने दोनों हाथ झट से लंड पर रख लिये और छुपाने का नाटक करने लगा. मगर जानता था कि अब ये साली चुदवायेगी तो ज़रूर!
मगर फ़िर भी मैंने अपना नाटक चालू रखा, बोला- आंटी, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था, ये गंदी बात है.

तभी आंटी मेरे लौड़े को मसलते हुए बोली- और तुम जो शाम से मेरी चूचियाँ निहार रहे थे, मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से ही इस तरह देख रहे थे कि बस खा ही जाओगे. वो अच्छी बात थी? और जब मैं कोफ़ी बना रही थी तब तुम्हारी नज़रें कहां थी मुझे पता है. मुझे चोदना सिखा रहे हो? अभी कल के बच्चे हो तुम बेटा… मैं तुम्हारे जैसे ना जाने कितनों को अपनी चूत में समा कर बाहर कर चुकी हूं.

आंटी की ये सब बातें सुन कर तो मुझे बहुत ही जोश चढ़ गया. उसने यकीनन मुझे भड़काने के लिये ही ऐसे भाषा प्रयोग की थी मगर मुझे तो शुरु से ही चोदने में गाली गलौच पसंद थी और आंटी इतनी सभ्य नज़र आ रही थी कि उनके मुंह से इस तरह की बात सुनना मेरे लिये एक नया अनुभव था.
और उसके बाद हम लोगों में इस तरह से घमासान चुदायी हुई इसका ज़िक्र अगले पार्ट में करूंगा.

सलहज की जम कर गान्ड मारी

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शेर सिंह यादव

दोस्तो और सजनियो ! कहानी एकदम सच्ची है और मेरा यह दावा है कि दोस्तों के लन्ड फ़नफ़ना जायेंगे और आन्टियों, भाभियों और कुवांरी कन्याओं की चूतें पानी छोड़ जायेंगी।

मैं एम पी का रहने वाला हूं। बात उस समय की है जब मेरी बीवी ने कहा कि मेरी भाभी को शहर से बुला कर ले आओ। अभी उसके स्कूल की छुटटी भी हैं, घूम जायेगी।

मैं जब उसे लेने गया तो साले ने अपनी पत्नी अनिता (मेरी सलहज) को हंस कर मेरे साथ भेज दिया। वो २२ साल की है। उसको तब तक बच्चा नहीं हुआ था। लेकिन उसके दूध बड़े बड़े मल्लिका शेरावत की तरह हैं। गाड़ी में जब ए सी कोच में चढ ही रहे थे कि भीड़ के कारण मेरा लन्ड उसकी गोल गान्ड से लग गया।

मुझे तो मानो करंट लग गया और साथ ही उसे भी अहसास हुआ कि जीजाजी का लन्ड खड़ा है।

१८ घण्टे के सफ़र के दौरान मैं सोचता रहा कि इसे कैसे चोदूं। खैर घर आ गये हम।

पड़ोस की एक भाभी को बच्चा होने वाला था, इस कारण मेरी बीवी एक रात उनके साथ अस्पताल में रही। उस रात को अनिता जो कि दूसरे कमरे में सोती थी, ने लाईट जलाई। मैं तुरन्त उठा और पूछा- क्या बात है?

उसने कहा- मेरी कमर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है।

मैंने उसे बाम की शीशी दे दी। वो अपने कमरे में चली गयी। लेकिन मुझे नीन्द नहीं आ रही थी। मैं अपने दोनो बच्चों को सोते छोड़ कर उसके कमरे में पहुंच गया और बोला कि लाओ मैं बाम लगाता हूं।
पहले तो उसने आनाकानी की परन्तु फ़िर मान गयी। लेकिन बाम लगाने के लिये मैक्सी को ऊपर उठाना पड़ता, इसलिये उसने संकोच करके फ़िर मना कर दिया। परन्तु दर्द तेज होने के कारण उसने मुझे फ़िर बुलाया।

मैने कहा- अनिता, एक दर्द निवारक गोली खा लो ठीक हो जायेगा। पर उसे डर था कि अगर उसे प्रेगनैन्सी हो चुकी हो तो कुछ नुकसान ना हो जाये।

आखिर उसने बाम लगवाने के लिये हां कर दिया। जैसे ही मैंने उसकी मैक्सी उठाई, उसकी चिकनी जांघे देख कर मेर लन्ड बेकाबू हो गया। मालिश करते करते मेरे हाथ उसकी साईड से दब रही चूचियों को भी स्पर्श कर रहे थे।

मैंने धीरे धीरे उसके चूतड़ों की तरफ़ मालिश शुरू कर दी। मैंने महसूस किया कि उसके रौंगटे खड़े हो रहे हैं थोड़ी देर में अनिता पलट गयी और मुझे ऐसी नज़रों से देखा कि वह मुझे धन्यवाद देना चाहती है।

अनिता मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर सहलाने लगी। बस मुझे ग्रीन सिगनल मिल गया। मैंने तुरन्त अपने दोनो हाथों से उसकी चूचियां दबा दी। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। मैने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी चूत में घुसा दिया। अब वह कराह रही थी।

आखिर उसने मेरे लन्ड को हाथ में लेकर कहा- जीजाजी, अब इसे अन्दर करो। फ़िर उसके बाद जो सुबह चार बजे तक चुदाई का दौर चला कि पूछो मत।

चुदाई करते समय उसने बताया कि जीजाजी आपका लन्ड मेरे पति से बड़ा और मोटा भी है। शादी के बाद आज प्यास बुझी। आज मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इस बार प्रेगनैन्ट हो जाउंगी

और ऐसा ही हुआ। ठीक नौ महीने बाद अनिता को एक सुन्दर सा बेटा हुआ। एक दिन अनिता ने मेरी ससुराल में ही पूछ लिया कि इस उपकार के लिये क्या गिफ़्ट दूं। मैंने जो बहुत दिन से सोच रखा था, मांग लिया, कि मुझे तुम्हारी गान्ड मारनी है।

अनिता ने कहा- जीजाजी, गान्ड क्या जितने भी मेरे पास छेद हैं आप सब में अपना लन्ड डाल सकते हैं।

तो एक दिन अवसर मिलने पर दिन में ही मैंने अनिता की तीन बार गान्ड मारी। परन्तु तीसरी बार जब गांड मार कर उठ रहे थे, तक तक सास आ गयी। उन्हें तेल की शीशी गलत जगह पड़ी मिली। शायद उन्हें शक हो गया था।

सभी दोस्तों से निवेदन है कि यदि शादीशुदा होकर बीवी की गान्ड नहीं मारी तो समझो कुछ नहीं किया।

हमारा कुत्ता गैंग

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प्रेषक : गौरव यादव

हाय मेरा नाम ललित है. मैं कोटा राजस्थान का निवासी हूँ. मै आपके लिए एक नयी स्टोरी लेकर आया हूँ तो चलिए ज्यादा समय न ख़राब करते हुए कहानी पर आ जाते हैं ये मेरी सच्ची कहानी है.

कुछ दिनों पहले में एक महिला से मिला उसका नाम स्वीटी था. वह हमारे ऑफिस की की नयी बॉस थी और में उस ऑफिस में छोटा सा क्लर्क था. वह काफी सुंदर नारी थी उसकी उम्र यही कोई २५-२६ साल के लगभग होगी उसका रंग दूध की तरह सफ़ेद था सही मायने में में वह एक सुंदर हुस्न की मालकिन थी.

शुरू से ही वह मेरे काम से काफी इम्प्रेस थी और सारे ऑफिस के सामने मेरी काफी तारीफ की तो मैं मन ही मन सोचने लगा की वह मुझे चाहने लगी है और घर लौटा तो मेरी माँ की तबियत बेहद ख़राब थी तो मैने ऑफिस से चार दिन की छुट्टी करने की सोच ली और मैने ऑफिस में छुट्टी की भी सूचना नहीं दी यह सोचा की स्वीटी मुझे कुछ नहीं बोलेगी और मुझ पर हमदर्दी जताएगी पर चार दिन बाद जब मैं ऑफिस पंहुचा तो मैं बस छूट जाने के कारण लेट हो गया था जब मैं ऑफिस पंहुचा तो ऑफिस का चपरासी मुझसे बोला की मैडम ने आपको उनके रूम मैं में बुलाया है

मैं टाई ठीक करता हुआ पंहुचा तो वह मुझे देख कर चिल्लाने लगी रूल्स भी कुछ चीज होती है न, तो मैंने माँ की तबियत ख़राब होने का एक्स्क्युज दिया तो वह बोली की तुम्हे एक ऍप्लिकेशन तो देनी चाहिए थी और वह मुझसे बोली कि अगली बार ऐसा नहीं होना चाहिए तो मैं सॉरी मैडम कह कर यह बोला कि मैडम अगली बार ऐसा नहीं होगा जब शाम को मैं घर जाने के लिए जब बस में बैठा और उससे बोला भी नहीं तभी मेरा ध्यान गया की वह आज अपने स्टाप पर उतरी नहीं और वह आज मेरे स्टाप पर उतरी और मुझसे आज ऑफिस में जो हुआ उसके लिए माफ़ी मांगने लगी और कहने लगी कि अगर मैं तुम्हें नहीं डांटती तो ऑफिस के सभी लोगो को मुझ पर शक हो जाता तो यह सुनकर मैंने उसे माफ़ कर दिया

फिर वो मेरे साथ चल पड़ी तभी उसने एक केले वाले से केले लिए और मेरे साथ वापस चल पड़ी तभी मैने उससे पूछा की यहाँ पर तुम्हारा भी कोई मिलने वाला रहता है क्या वो बोली हाँ एक पागल सा लेकिन बड़ा प्यारा लड़का है उसकी माँ की तबियत खराब है मैं उससे बातें कर रहा था तभी मेरा घर आ गया तो मैं बोला कि यह मुझ गरीब की कुटिया है तुम्हे आगे जाना है क्या यह गली काफी लम्बी है मैं तुम्हें उस घर तक छोड़ आता हूँ जहाँ तुम्हें जाना है वह बोली अरे बुद्धू इतना भी नहीं समझे कि मैं तुम्हारे घर ही आई हूँ तुम्हारी माँ की तबियत पूछने

मेरी माँ और बहन ने उसे बड़े सत्कार के साथ घर में बुलाया और उसे चाय और बिस्किट खिलाये फिर वो मेरी माँ से बात करते हुए बोली की मांजी आज ललित को काम से बाहर जाना पड़ेगा तो मेरी आई बोली कि ठीक है बेटी इस काम के वजह से तो मेरा घर चलता है वो साथ ही यह भी बोली की ललित की कल ऑफिस से छुट्टी रहेगी तभी में सोचने लगा कि ऐसा कौन सा काम है जिसका जिक्र मैडम ने ऑफिस में नहीं किया तभी वह मुझसे उसके साथ चलने को बोली

वह अचानक मुझे अपने घर ले गयी तुम्हे कहें काम से बाहर नहीं जाना है तुम्हे केवल आज रात मुझे खुश करना है यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और अंदर जाते ही मैं उसे चूमने लगा तो वह बोली इतनी जल्दी भी क्या है कुछ देर रुको और वो दौड़ कर दूसरे कमरे मैं चली गयी

तभी उसके कमरे में रखा मोबाइल बजा मैने फ़ोन उठाया तो एक धीरे से आवाज आयीं क्या कर रहे हो मैं बोला कुछ नहीं मैने पूछा की आप कौन है तो वह बोली कि मैं तुम्हारी मैडम स्वीटी हूँ मैं अंदर के फ़ोन से बोल रही हूँ और वह कहने लगी की अब हम कुछ देर ऐसे ही बात करेंगे मैने कहा दिया ठीक है तो वह अचानक मुझे बोली कि तुम अपने कपड़े उतारो और मैं भी उतारती हूँ मैने कपडे उतारे और बोला अब बोलो मैने कपडे उतार दिए है वह बोली कि सामने ड्रोर में एक स्प्रे पड़ा है उसे अपने लंड पर लगा लो मैने जैसे ही उसे अपने लंड पर लगाया मुझे अपने लंड पर ठंडक का अहसास हुआ और मेरा लंड लोहे कि तरह कड़क हो गया फिर वह फ़ोन पर मुझसे बोली कि अब उस अलमारी में जो तुम्हारे पीछे है उसमे एक पट्टा पड़ा उसे गले में बांध लो मैं बोला क्यूँ तो वो बोली कि सवाल मत करो मैं जैसा बोलती हूँ वैसा करो और मैने वह पट्टा अपने गले में बांध लिया वह बोली कि अब तुम मेरे पास आओ और मेरे साथ सेक्स करो

मैं जैसे ही उसके पास जाने के लिए उठा तो वह बोली कि ऐसे नहीं जैसे कि एक कुत्ता चलता है वैसे अपने हाथ और पैरों पर चला कर आओ में जैसे ही कमरे में घुसा तो मैं देख कर दंग रह गया मैडम बिलकुल निवस्त्र थी और उनके साथ चार और आदमी थे वो भी बिना कपड़ो के और सबने मेरी तरह गले में पट्टे पहन रखे थे और मैडम ने भी एक पट्टा पहन रखा था मैडम का पट्टे में हीरे लगे हुए मेने पहुचते ही देखा की मैडम चार लोगो के साथ सेक्स का मजा ले रही थी एक उन्हें लंड चूसा रहा था दूसरा उनके स्तनों से स्तनपान कर रहा था तीसरा उनकी गांड और चौथा उनकी चूत में लंड डाले हुए था मैं देखकर दंग रह गया

वो मुझे देख कर मुह से लंड निकालते हुए बोली कि आओ ललित ये मेरी कुत्ता गैंग है और मै इस गैंग की प्रधान और सेक्सी कुतिया हूँ और आज से तुम भी इस गैंग के भी सदस्य हो कल से तुम पांचो मुझे सेक्स का मजा एक साथ देना फिर वह उन चारो आदमियों से कु कु कु कु करके बाहर जाने को कहने लगी और वो भी इसका जवाब भों भों भों भों करके बाहर चले गए और फिर वह मुझसे बोली की तुम भी कल से कुत्तो की तरह बात करना और इतना कहा कर उसने मेरा लंड मुह में डाला और चूसने लगी फिर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और में उसकी चूत चाट रहा था तो वह कूं कूं कूं कूं की आवाज के साथ मेरा साथ देने लगी उसके बाद मेरे सामने कुतिया की तरह खड़ी होकर बोली की जैसे एक कुतिया को चोदता है वैसे ही तुम मुझे चोदो फिर मैने कुत्ते की तरह ही उसे रात भर में चार बार चोदा

अगले दिन से हम सब कुत्ता गैंग के सदस्य उस प्रधान कुतिया(मेरी बॉस) की रोज चुदाई करते हैं. अब मुझे इस तरह की चुदाई में बहुत मजा आता है. कुछ दिनों बाद मेरी शादी है और मैं मेरी पत्नी की भी एक कुतिया की तरह चुदाई करूँगा.

भाई संग मेरी पहली चुदाई

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मेरा नाम कविता है मै 19 साल की हूँ मै अपनी सेक्स कहानी आपको बताती हूँ. जब मेरे भइया मोंटू ने मुझे पहेली बार चुदाई का मजा चखाया .
एक दिन की बात है मै अपनी रूम मै सो रही थी मेरी कमर मै जोरों का दर्द हो रहा था घर मै कोई नही था तो मैंने मोंटू को बुलाया कि मेरी कमर पे मालिश कर दे मै उल्टा लेट गई और मेरे कमीज़ के अंदर अपने हाथों से मोंटू मालिश करने लगा धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा तो मेरी आंख लग गई
जब आंख खुली तो मेरे बदन पे कमीज़ नही था और मेरी ब्रा भी नही थी. मोंटू मेरे बड़े बड़े दोनों बूब को बारी बारी चूस रहा था मुझे भी मजा आ रहा था इसलिए मै भी चुप रहकर चुसवाती रही मोंटू ने मेरी दोनों निपल को चूस चूस के बहुत टाईट कर दी थी मै जग कर भी सोने का नाटक कर रही थी क्योंकि मुझे बहुत ही मजा आ रहा था मेरी चूत पानी पानी होकर मोंटू के लंड का इंतजार कर रही थी लेकिन मै यह बात मोंटू को बता नही सकती .

इतने मै मोंटू ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया मै तो उसका बड़ा लंड देख कर पागल हो रही थी मोंटू ने अपना लंड (लौड़ा ) मेरे बूब पर रख कर रगड़ना शुरू किया तो मुझे और मजा आने लगा मोंटू का लंड मेरी दोनों निपल से खेल रहा था मै लंड अपने मुंह मै लेकर चूसना चाहती थी लेकिन क्या करू , और मै अब सोच रही थी के मोंटू मेरी सलवार भी उतार दे और मेरी चिकनी हो रही चूत मै लंड डाल कर मुझे चोदे लेकिन मोन्टू तो अपने लन्ड से मेरे बूब्स से खेलने में लगा था।

थोड़ी देर बाद मोन्टू ने अपना लन्ड मेरे मुंह पर लगाया तो मुझ से रहा नहीं गया, मैंने तुरन्त ही लन्ड को अपने मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। मोन्टू भी अपने आपे में ना रहा और बोला – बहन ! मेरे लन्ड को और जोर से चूसो, लोलीपोप की तरह चूसो, बहुत मज़ा आ रहा है आऽऽहा आऽऽह म्म आ।

मैने सोचा कि मोन्टू मेरे मुंह में चुदाई करेगा तो मेरी चूत का क्या होगा, वो तो प्यासी रह जायेगी।
मैंने अपने मुंह से लन्ड को छोड़ दिया और बोली- बस भैया! अब मेरी चूत की बारी है। भोंसड़ी की कभी की पानी पानी हो कर तुम्हारे लन्ड का इन्तजार कर रही है।
मोन्टू ने तुरन्त ही मेरी सलवार उतार दी। मैंने पैन्टी नहीं पहनी थी तो मोन्टू बोला- बहना कच्छी क्यों नहीं पहनी?
मैं बोली- रोज़ाना रात को अपनी उन्गली से अपनी चूत को चोदने में कच्ची पहन कर मज़ा नहीं आता। अब बातें कम करो और मेरी चूत को चाटो।
तुरन्त ही मोन्टू मेरी टांगें फ़ैला कर चूत को चाटने लगा तो मेरी चूत, भोंसड़ी की, और पानी छोड़ने लगी।

भैया अपनी पूरी जबान मेरी भोस में डाल कर चाट रहा था। मेरे मुंह से आआऽऽहऽऽ निकलने लगा और मैं मोन्टू के लन्ड को अपने हाथ में लेकर जोरों से हिलाने लगी तो मोन्टू पलट कर मेरे ऊपर आ गया और बोला- मेरी बहना ! अब मैं अपना लन्ड तेरी चूत में डाल कर चोदता हूं।
उसने मेरी चूत पे अपना लन्ड रख कर जोर से धक्का दिया तो मैं खुशी के मारे आऽऽऽहें भरने लगी। भैया मुझे चोदे जा रहा था और मैं चुदवाती जा रही थी।
थोड़ी देर तक चुदाई के बाद भैया ने अपना लन्ड मेरी चूत में से निकाल कर मुझे ऊपर आने को कहा।
भैया नीचे लेट गया और मैं उसके ऊपर।
मैंने अपनी पीकी भैया के लन्ड के ऊपर रखी और धीरे से धक्का लगाकर फ़िर से चुदाई शुरू कर दी। भैया मेरी चूत में नीचे से धक्का मार रहे थे। मैं भी उछल उछल कर भैया के लन्ड का मज़ा ले रही थी। भैया मेरी चूत को चोदते चोदते मेरे दोनो बूब्स को अपने हाथों से दबा रहे थे।

मेरे पूरे बदन में बिजली सी दौड़ रही थी कि भैया का वीर्य निकल पड़ा। मैंने तुरन्त अपनी भोस में से भैया का लौड़ा निकाल दिया और भैया को बोली- मोन्टू ! तूने अपनी चुदाई पूरी कर ली, अब मेरा क्या होगा।
मोन्टू ने एकदम मुझे लिटाया और मेरी चूत को अपनी जबान से चोदने लगा। मैं भी अपनी चूत को हिला हिला कर चुदवाती रही और चुदाई का पूरा मज़ा ले लिया।

अपने भैया से चुदाइ का मज़ा लेने के बाद दूसरा नम्बर था मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के का। मैं मन ही मन उसे चाहती थी पर उसे कहने में शरमाती थी। एक रात को मैं अपनी छत पर गयी तो देखा कि वो अपने घर की छत पे सो रहा था। मैंने उसे आवाज़ दी पर उसने सुना नहीं।
फ़िर मैंने उसे एक छोटा सा पत्थर फ़ेंक कर मारा तो उसकी नींद खुल गयी और वो मेरे पास आ गया, मुझसे पूछा कि क्या कर रही हो और मुझ से चिपट कर मेरे होठों को चूम लिया।

जैसे ही वो मेरे गले से लिपटा, मेरी चूत में उबाल सा आ गया। वो मुझे जोर जोर से किस करने लगा और मुझे अपने बिस्तर पर लिटा लिया, मेरी सलवार खोल ली और अपना लन्ड मेरी चूत में डालने की कोशिश करने लगा।

तभी उसके घर वाले जाग गये और मैं अपनी खुली सलवार में ही अपने घर आकर सो गयी। इस प्रकार हमारी कहानी शुरू हुई। उस दिन के बाद वो मुझ से हर रोज मिलने लगा और हमारा चूत लन्ड का खेल चलता रहा। वो मेरे होटों को चूसता तो मेरी जान ही निकल जाती और उसका लन्ड हाथ में पकड़ लेती जो कि डण्डे की तरह खड़ा हो जाता था। वो कभी मेरे घर पर आ जाता और कभी मैं उसके घर पर जाकर गान्ड मरवाती थी।

एक दिन उसने कहा कि मेरा एक दोस्त है, तुम उससे दोस्ती कर लो।
मैंने मना कर दिया तो वो नाराज़ हो गया।
तब मैंने कहा- ठीक है, दोस्ती कर लूंगी पर उससे चुदाई नहीं करवाउंगी।
तो उसने बताया कि उसका लन्ड बहुत ही मस्त है, एक बार करवा कर तो देखो। उस टाईम मैंने कुछ नही कहा.

एक दिन वो अपने दोस्त को अपने घर पर ले आया और मुझे भी अपने घर पर बुला लिया। मुझे यह पता नही था कि उसने अपने दोस्त को घर पर बुलाया हुआ है।. और मैं उसके घर पर चली गयी . लेकिन जब जाकर देखा तो उसका दोस्त उसके घर पर ही है तो मैं वापस जाने के लिए मुडी तो उसने मुझे पकड़ा और कहा कि ये मेरा ख़ास दोस्त है और इसकी इच्छा पूरी कर दो उसने बहुत मिन्नतें कि तब मैं मान गयी . तब वो बहार चला गया और उसके दोस्त ने मुझे नंगा कर दिया और मेरे मम्मे चूसने लगा और फिर मेरे होठों को चूसने लगा .

तभी वो भी आ गया और एक मेरी गीली चूत को चाटने लगा और एक मेरे होठों को चूसने लगा मुझे बहुत ही मजा आ रहा था . तभी उन्होंने मुझे झटके से अपने बिस्टर पर लिटा लिया और उसके दोस्त ने एक झटके से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया मेरी चीख निकल गयी .और उसने मुझे जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया और दूसरे ने अपना मोटा लंड मेरे मुंह में डाल दिया . और जोर जोर से चुसाने लगा . मुझे बहुत ही मजा आ रहा था .

तभी मुझे किसी के आने कि आहट हुई तभी मैंने देखा कि मेरे प्रेमी कि कोई दूसरी लड़की से भी दोस्ती है उसने उसको भी अपने घर पर बुला लिया था.मुझे जलन भी हुई और थोडी राहत भी क्योंकि मेरा साथ देने वाली आ गयी थी . वो उस लड़की को भी चोदा करता था लेकिन मुझे उस दिन ही पता लगा कि वो दूसरी लड़की कि चुदाई भी करता है.

फिर मेरी दोस्ती उस लड़की के साथ भी हो गई. उस लड़की ने भी अपने 3-4 प्रेमी बनाये हुए थे उसने मुझे उनके साथ सेक्स करने के लिए प्रोपोज किया मैं तैयार हो गई क्योंकि मैंने दो के साथ सेक्स करने का मज़ा चख लिया था इसलिए मेरी चूत में आग लग रही थी . वो मुझे अपने दोस्त के घर पर ले गई वहां पर हमने चाय पी और वो मुझसे बातें करने लगा और साथ साथ उसकी नज़र मेरी बूब्स पर थी. मुझे भी मज़ा आ रहा था …इस दिन के बाद दोस्तों पता नही मैं कितने लड़कों से चुदी हूँ और आज भी चुदाई करवाती हूँ .

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