मैं झाड़ियों के पीछे चला गया और पेशाब करने लगा।
बड़ी देर तक तो मेरे लंड से पेशाब ही नहीं निकला, फिर जब लंड कुछ ढीला पड़ा तब जा के पेशाब निकलना शुरु हुआ। मैं पेशाब करने के बाद वापस पेड़ के नीचे चल पड़ा।
पेड़ के पास पहुंच कर मैंने देखा माँ बैठी हुई थी, मेरे पास आने पर बोली- आ बैठ, हल्का हो आया?
कह कर मुस्कुराने लगी। मैं भी हल्के हल्के मुस्कुराते कुछ शरमाते हुए बोला- हाँ, हल्का हो आया।
और बैठ गया।
मेरे बैठने पर माँ ने मेरी ठुड्डी पकड़ कर मेरा सिर उठा दिया और सीधा मेरी आँखों में झांकते हुए बोली- क्यों रे, उस समय जब मैं छू
रही थी, तब तो बड़ा भोला बन रहा था। और जब मैं पेशाब करने गई थी, तो वहाँ पीछे खड़ा हो के क्या कर रहा था शैतान ?!!
मैंने अपनी ठुड्डी पर से माँ का हाथ हटाते हुए फिर अपने सिर को नीचे झुका लिया और हकलाते हुए बोला- ओह माँ, तुम भी ना !
‘मैंने क्या किया?’ माँ ने हल्की सी चपत मेरे गाल पर लगाई और पूछा।
‘माँ, तुमने खुद ही तो कहा था, हल्का होना है तो आ जाओ।’
इस पर माँ ने मेरे गालों को हल्के से खींचते हुए कहा- अच्छा बेटा, मैंने हल्का होने के लिये कहा था, पर तू तो वहाँ हल्का होने की जगह भारी हो रहा था। मुझे पेशाब करते हुए घूर-घूर कर देखने के लिये तो मैंने नहीं कहा था तुझे, फिर तू क्यों घूर घूर कर मजे लूट रहा था?
‘हाय, मैं कहाँ मजा लूट रहा था, कैसी बातें कर रही हो माँ?’
‘ओह हो… शैतान अब तो बड़ा भोला बन रहा है।’ कह कर हल्के से मेरी जांघों को दबा दिया।
‘हाय, क्या कर रही हो?’
पर उसने छोड़ा नहीं और मेरी आँखों में झांकते हुए फिर धीरे से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और फुसफुसाते हुए पूछा- फिर से दबाऊँ?
मेरी तो हालत उसके हाथ के छूने भर से फिर से खराब होने लगी। मेरी समझ में एकदम नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। कुछ जवाब देते हुए भी नहीं बन रहा था कि क्या जवाब दूँ।
तभी वो हल्का सा आगे की ओर सरकी और झुकी, आगे झुकते ही उसका आंचल उसके ब्लाउज़ पर से सरक गया पर उसने कोई प्रयास
नहीं किया उसको ठीक करने का।
अब तो मेरी हालत और खराब हो रही थी। मेरी आंखों के सामने उसकी नारीयल के जैसी सख्त चूचियाँ जिनको सपने में देख कर मैंने ना जाने कितनी बार अपना माल गिराया था, और जिनको दूर से देख कर ही तड़पता रहता था, नुमाया थी।
भले ही चूचियाँ अभी भी ब्लाउत में ही कैद थी, परंतु उनके भारीपन और सख्ती का अंदाज उनके ऊपर से ही लगाया जा सकता था। ब्लाउज़ के ऊपरी भाग से उसकी चूचियों के बीच की खाई का ऊपरी गोरा गोरा हिस्सा नजर आ रहा था।
हालांकि, चूचियों को बहुत बड़ा तो नहीं कहा जा सकता पर उतनी बड़ी तो थी ही, जितनी एक स्वस्थ शरीर की मालकिन की हो सकती हैं। मेरा मतलब है कि इतनी बड़ी जितनी कि आपके हाथों में ना आये, पर इतनी बड़ी भी नहीं की आपको दो-दो हाथों से पकड़नी पड़े, और फिर भी आपके हाथों में ना आये।
माँ की चूचियाँ एकदम किसी भाले की तरह नुकीली लग रही थी और सामने की ओर निकली हुई थी। मेरी आँखें तो हटाये नहीं हट रही
थी।
तभी माँ ने अपने हाथों को मेरे लंड पर थोड़ा जोर से दबाते हुए पूछा- बोल ना, और दबाऊँ क्या?
‘हाय माँ, छोड़ो ना…’
उसने जोर से मेरे लंड को मुठ्ठी में भर लिया।
‘हाय माँ, छोड़ो… बहुत गुदगुदी होती है।’
‘तो होने दे ना, तू बस बोल दबाऊँ या नहीं?’
‘हाय दबाओ माँ, मसलो।’
‘अब आया ना, रास्ते पर!’
‘हाय माँ, तुम्हारे हाथों में तो जादू है।’
‘जादू हाथों में है या !! या फिर इसमें है?’ माँ अपने ब्लाउज़ की तरफ इशारा कर के पूछा।
‘हाय माँ, तुम तो बस!!’
‘शरमाता क्यों है? बोल ना क्या अच्छा लग रहा है?’
‘हाय मम्मी, मैं क्या बोलूँ?’
‘क्यों क्या अच्छा लग रहा है? अरे, अब बोल भी दे, शरमाता क्यों है?’
‘हाय मम्मी दोनों अच्छे लग रहे हैं।’
‘क्या, ये दोनों?’ अपने ब्लाउज़ की तरफ इशारा कर के पूछा।
‘हां, और तुम्हारा दबाना भी।’
‘तो फिर शरमा क्यों रहा था, बोलने में? ऐसे तो हर रोज घूर-घूर कर मेरे अनारों को देखता रहता है।’
फिर माँ ने बड़े आराम से मेरे पूरे लंड को मुठ्ठी के अंदर कैद कर हल्के हल्के अपना हाथ चलाना शुरु कर दिया।
‘तू तो पूरा जवान हो गया है रे!’
‘हाय माँ!’
‘हाय हाय, क्या कर रहा है? पूरा सांड की तरह से जवान हो गया है तू तो, अब तो बरदाश्त भी नहीं होता होगा, कैसे करता है?’
‘हाय माँ, मजे की तो बस पूछो मत, बहुत मजा आ रहा है।’ मैं बोला।
इस पर माँ ने अपना हाथ और तेजी से चलाना शुरु कर दिया और बोली- साले, हरामी कहीं के !!! मैं जब नहाती हूँ, तब घूर घूर के मुझे देखता रहता है। मैं जब सो रही थी तो मेरे चूचे दबा रहा था और अभी मजे से मुठ मरवा रहा है। कमीने, तेरे को शरम नहीं आती?
मेरा तो होश ही उड़ गया, माँ यह क्या बोल रही थी।
पर मैंने देखा कि उसका एक हाथ अब भी पहले की तरह मेरे लंड को सहलाये जा रहा था। तभी माँ, मेरे चेहरे के उड़े हुए रंग को देख कर हंसने लगी और हंसते हुए मेरे गाल पर एक थप्पड़ लगा दिया।
मैंने कभी भी इससे पहले माँ को ना तो ऐसे बोलते सुना था, ना ही इस तरह से बर्ताव करते हुए देखा था इसलिये मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था।
पर उसके हंसते हुए थप्पड़ लगाने पर तो मुझे और भी ज्यादा आश्चर्य हुआ कि आखिर यह चाहती क्या है और मैं बोला- माफ कर दो माँ, अगर कोई गलती हो गई हो तो?
इस पर माँ ने मेरे गालों को हल्के सहलाते हुए कहा- गलती तो तू कर बैठा है बेटे, अब केवल गलती की सजा मिलेगी तुझे।’
मैंने कहा- क्या गलती हो गई मेरे से माँ?
‘सबसे बड़ी गलती तो यह है कि तू सिर्फ़ घूर घूर के देखता है बस, करता धरता तो कुछ है नहीं। घूर घूर के कितने दिन देखता रहेगा?’
‘क्या करुँ माँ? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।’
‘साले, बेवकूफ की औलाद, अरे करने के लिये इतना कुछ है, और तुझे समझ में ही नहीं आ रहा है।’
‘क्या माँ, बताओ ना ?’
‘देख, अभी जैसे कि तेरा मन कर रहा है की, तू मेरे अनारो से खेले, उन्हे दबाये, मगर तू वो काम ना करके केवल मुझे घूरे जा रहा
है। बोल तेरा मन कर रहा है या नहीं बोलना?’
‘हाय माँ, मन तो मेरा बहुत कर रहा है।’
‘तो फिर दबा ना… मैं जैसे तेरे औजार से खेल रही हूँ, वैसे ही तू मेरे सामान से खेल दबा… बेटा दबा…’
यह कहानी काल्पनिक है मित्रो, और भी आगे खूब मजेदार कहानिया लिखूँगा। आप अपना सुझाव जरूर दें, मुझे मेल जरूर करें!
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Dhobhi ghat par chudai 6
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Dhobhi ghat par chudai 7
‘दबा, बेटा दबा।’
बस फिर क्या था, मेरी तो बांछें खिल गई, मैंने दोनों हथेलियों में दोनों चूचों को थाम लिया और हल्के-हल्के उन्हें दबाने लगा।
माँ बोली- शाबाश!!! ऐसे ही दबा ले ज़ितना मसलने का मन करे, उतना मसल ले, ले ले मज़े।
फिर मैं पूरे ज़ोश के साथ हल्के हाथों से माँ की चूचियों को मसलने लगा। ऐसी मस्त-मस्त चूचियाँ पहली बार किसी ऐसे के हाथ लग ज़ाएँ ज़िसने पहले किसी चूची को दबाना तो दूर, छुआ तक ना हो तो वो तो ज़न्नत में पहुँच ही ज़ाएगा ना।
मेरा भी वही हाल था, मैं हल्के हाथों से सम्भल सम्भल कर चूचियों को दबाये ज़ा रहा था। उधर माँ के हाथ तेज़ी से मेरे लण्ड पर चल रहे थे।
तभी माँ ने, ज़ो अब तक काफी उत्तेज़ित हो चुकी थी, मेरे चेहरे की ओर देखते हुए कहा- क्यों बेटा, मज़ा आ रहा है ना? ज़ोर से दबा
मेरी चूचियों को बेटा, तभी पूरा मज़ा आएगा। मसलता ज़ा, देख अभी तेरा माल मैं कैसे निकालती हूँ।
मैंने ज़ोर से चूचियों को दबाना शुरु कर दिया था, मेरा मन कर रहा था कि मैं माँ का ब्लाउज़ खोल कर चूचियों को नंगी कर के उनको
देखते हुए दबाऊँ, इसलिए मैंने माँ से पूछा- हाय माँ, तेरा ब्लाउज़ खोल दूँ?
इस पर वो मुस्कुराते हुए बोली- नहीं, अभी रहने दे। मैं ज़ानती हूँ कि तेरा बहुत मन कर रहा होगा कि तू मेरी नंगी चूचियों को देखे, मगर, अभी रहने दे।
मैं बोला- ठीक है माँ, पर मुझे लग रहा है कि मेरे औज़ार से कुछ निकलने वाला है।
इस पर माँ बोली- कोई बात नहीं बेटा, निकलने दे, तुझे मज़ा आ रहा है ना?
‘हाँ माँ, मज़ा तो बहुत आ रहा है।’
‘अभी क्या मज़ा आया है बेटे? अभी तो और आयेगा, अभी तेरा माल निकल ले, फिर देख, मैं तुझे कैसे ज़न्नत की सैर कराती हूँ!!’
‘हाय माँ, ऐसा लगता है, ज़ैसे मेरे अन्दर से कुछ निकलने वाला है।’
‘हाय, निकल ज़ायेगा।’
‘तो निकलने दे, निकल ज़ाने दे अपने माल को।’ कह कर माँ ने अपना हाथ और ज़्यादा तेज़ी के साथ चलाना शुरु कर दिया।
मेरा पानी अब बस निकलने वाला ही था, मैंने भी अपना हाथ अब तेज़ी के साथ माँ के उरोजों पर चलाना शुरु कर दिया था। मेरा दिल कर रह था कि इन प्यारी प्यारी चूचियों को अपने मुख में भर कर चूसूँ। लेकिन वो अभी सम्भव नहीं था। मुझे केवल चूचियों को दबा दबा कर ही संतोष रखना था। ऐसा लग रहा था ज़ैसे कि मैं अभी सातवें आसमान पर उड़ रहा था।
मैं भी खूब ज़ोर ज़ोर सिसयाते हुए बोलने लगा- ओह माँ, हाँ माँ, और ज़ोर से मसलो, और ज़ोर से मुठ मारो, निकाल दो मेरा सारा पानी।
पर तभी मुझे ऐसा लगा ज़ैसे कि माँ ने लण्ड पर अपनी पकड़ ढीली कर दी है। लण्ड को छोड़ कर, मेरे अण्डों को अपने हाथ से पकड़ कर सहलाते हुए माँ बोली- अब तुझे एक नया मज़ा दिलाती हूँ, ठहर ज़ा।
और फिर धीरे-धीरे मेरे लण्ड पर झुकने लगी, लण्ड को एक हाथ से पकड़े हुये वह पूरी तरह से मेरे लण्ड पर झुक गई और अपने होंठों को खोल कर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया।
मेरे मुँह से एक आह निकल गई, मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि माँ यह क्या कर रही है, मैं बोला- ओह माँ, यह क्या कर रही हो? हाय छोड़ ना, बहुत गुदगुदी हो रही है।
मगर वो बोली- तो फिर मज़े ले इस गुदगुदी के, करने दे, तुझे अच्छा लगेगा।
‘हाय माँ, क्या इसको मुँह में भी लिया ज़ाता है?’
‘हाँ, मुँह में भी लिया ज़ाता है, और दूसरी ज़गहों पर भी, अभी तू मुँह में डालने का मज़ा लूट!’ कह कर तेज़ी के साथ मेरे लण्ड को चूसने लगी।
मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा था, गुदगुदी और सनसनी के कारण मैं मज़े के सातवें आसमान पर तैर रहा था। माँ ने पहले मेरे लण्ड के सुपारे को अपने मुँह में भरा और धीरे धीरे चूसने लगी और मेरी ओर बड़े सेक्सी अन्दाज़ में अपनी नज़रों को उठा कर बोली- कैसा लाल लाल सुपारा है रे तेरा?! एकदम पहाडी आलू ज़ैसा। लगता है अभी फट ज़ाएगा। इतना लाल लाल सुपारा कुँवारे लड़कों का ही होता है।
फिर वो और कस-कस कर मेरे सुपारे को अपने होंठों में भर भर कर चूसने लगी।
नदी के किनारे पेड़ की छाँव में मुझे ऐसा मज़ा मिल रहा था जिसकी मैंने आज़ तक कल्पना तक नहीं की थी।
माँ अब मेरे आधे से अधिक लौड़े को अपने मुँह में भर चुकी थी और अपने होंठों को कस कर मेरे लण्ड के चारों तरफ से दबाये हुए धीरे धीरे ऊपर सुपारे तक लाती थी। फिर उसी तरह से सरकते हुए नीचे की तरफ ले ज़ाती थी।
उसको शायद इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि यह मेरा किसी महिला के साथ पहला सम्बन्ध है और मैंने आज़ तक किसी औरत के हाथ का स्पर्श अपने लण्ड पर महसूस नहीं किया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वह मेरे लण्ड को बीचबीच में ढीला भी छोड़ देती थी और मेरे अंडों को दबाने लगती थी।
वो इस बात का पूरा ध्यान रखे हुए थी कि मैं ज़ल्दी ना झड़ूँ।
मुझे भी गज़ब का मज़ा आ रहा था और ऐसा लग रहा था ज़ैसे कि मेरा लण्ड फट ज़ायेगा।
मगर मुझसे अब रहा नहीं ज़ा रहा था, मैंने माँ से कहा हाय माँ, अब निकल ज़ायेगा माँ, मेरा माल अब लगता है कि नहीं रुकेगा।
उसने मेरी बातों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और अपनी चुसाई ज़ारी रखी।
मैंने कहा- माँ, तेरे मुँह में ही निकल ज़ायेगा। ज़ल्दी से अपना मुँह हटा ले।
इस पर माँ ने अपना मुँह थोड़ी देर के लिए हटाते हुए कहा- कोई बात नहीं, मेरे मुँह में ही निकाल, मैं देखना चाहती हूँ कि कुँवारे लड़के के पानी का स्वाद कैसा होता है।
और फिर अपने मुँह में मेरे लण्ड को कस के ज़कड़ते हुए उसने अब अपना पूरा ध्यान केवल मेरे सुपारे पर लगा दिया और मेरे सुपारे को कस कस कर चूसने लगी, उसकी ज़ीभ मेरे सुपारे के कटाव पर बार-बार फिर रही थी।
मैं सिसयाते हुए बोलने लगा- ओह माँ, पी ज़ाओ तो फिर! चख लो मेरे लण्ड का सारा पानी। ले लो अपने मुँह में। ओह ले लो, कितना मज़ा आ रहा है। हाय, मुझे नहीं पता था कि इतना मज़ा आता है। हाय निकल गया, निकल गया, हाय माँ, निकलाआआ!!!
तभी मेरे लण्ड का फव्वारा छुट पड़ा और तेज़ी के साथ मेरे लण्ड से मलाईदार पानी गिरने लगा। मेरे लण्ड का सारा का सारा पानी सीधे माँ के मुँह में गिरता ज़ा रहा था और वो मज़े से मेरे लण्ड को चूसे ज़ा रही थी।
कुछ देर तक लगातार वो मेरे लण्ड को चूसती रही।
मेरा लौड़ा अब पूरी तरह से उसके थूक से भीग कर गीला हो गया था और धीरे- धीरे सिकुड़ रहा था। पर उसने अब भी मेरे लण्ड को अपने मुँह से नहीं निकाला था और धीरे-धीरे मेरे सिकुड़े हुए लण्ड को अपने मुँह में किसी चॉकलेट की तरह घुमा रही थी।
कुछ देर तक ऐसा ही करने के बाद, ज़ब मेरी सांसें भी कुछ शान्त हो गई, तब माँ ने अपना चेहरा मेरे लण्ड पर से उठा लिया और अपने मुँह में ज़मा मेरे वीर्य को अपना मुँह खोल कर दिखाया और हल्के से हंस दी।
फिर उसने मेरे सारे पानी को गटक लिया और अपनी साड़ी के पल्लु से अपने होंठों को पोंछती हुई बोली- हाय, मज़ा आ गया। सच में
कुँवारे लण्ड का पानी बड़ा स्वादिष्ट होता है। मुझे नहीं पता था कि तेरा पानी इतना मज़ेदार होगा?!!
मित्रो, कहानी पूरी तरह काल्पनिक है, आप मुझे मेल ज़रूर करें, ख़ास कर महिलायें अपवे विचार ज़रूर बताएँ।
कहानी जारी रहेगी।
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Yar ne ki chudai
यह कहानी तब की है.. जब मैं 11वीं में थी।
मेरे पापा के एक बहुत करीबी दोस्त थे.. जॉन्टी अंकल.. और उनका हमारे घर भी बहुत आना-जाना था।
हुआ यूँ कि एक दिन मैं स्कूल से जल्दी घर वापस आ गई.. तो मैंने देखा कि मेरी मम्मी का कमरा बंद था और पापा ऑफिस गए हुए थे। मुझे लगा कि मम्मी सो रही होंगी.. लेकिन मुझे भूख बहुत तेज लगी थी.. तो पहले मैंने थोड़ा इन्तजार करके मम्मी के कमरे के पास गई तो वहां अन्दर से ‘आह.. आह…’ की आवाज़ आ रही थी।
मम्मी बोल रही थीं- जॉन्टी प्लीज़.. निकालो ना.. बहुत दर्द हो रहा है..
मुझे कुछ समझ नहीं आया.. मैंने खिड़की से अन्दर झाँका.. तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।
मैंने वहाँ देखा.. मेरे पापा के दोस्त जॉन्टी अंकल और मेरी मम्मी एक साथ नंगे लेटे हुए थे।
मम्मी के चूतड़ मेरी तरफ थे और बिस्तर पर उनकी ब्रा गिरी हुई थी।
मेरी मम्मी कह रही थीं- जॉन्टी.. मुझे तुम्हारे साथ मुझे बहुत मजा आता है..
जॉन्टी अंकल बोले- लगता है संजय तुझे ढंग से चोदता नहीं है..
मम्मी बोलीं- हाँ.. उन्हें तो अपने ऑफिस से ही फ़ुर्सत नहीं है.. रात को आते हैं.. कभी मन होता है.. तो लण्ड डालते हैं.. और 4-6 धक्के मार कर डिसचार्ज हो जाते हैं।
जॉन्टी अंकल- शोभा मेरी जान.. तेरे चूचे तो बहुत टाइट हैं।
वे यह कहकर मम्मी के निप्पल दबाने लगे।
मम्मी- यार जॉन्टी.. काटो मत.. प्लीज़.. मैं तुम्हारी ही तो हूँ.. आराम से चोद कर मजे लो.. अपनी रानी की चूत से.. और आज तुम मेरी झांट के बालों को भी साफ कर देना।
अंकल उठे और पास में ही रखी कोई एक क्रीम ले आए।
मुझे धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि मम्मी और जॉन्टी अंकल आज पूरी तैयारी करके बैठे हैं।
इधर मेरी चूत का बुरा हाल हो चुका था। मुझे थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा था। मेरा हाथ स्कूल कू यूनिफ़ॉर्म की स्कर्ट के अन्दर चला गया था।
अंकल के उठते ही मुझे उनका 8 इंच लंबा और मोटा लंड हवा में लहराता हुआ दिखा.. तो मैं तो भौंचक्का होकर देखती ही रह गई।
तभी उन्हें एकदम से पता नहीं क्या हुआ.. उन्होंने मेरी मम्मी को बालों से पकड़ कर उठाया और अपना लंड मम्मी के मुँह में दे दिया और बोले- शोभा आज तो मेरा लवड़ा चूस कर मेरी मलाई निकाल दे।
मेरी मम्मी उनके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं और लगभग 10 मिनट बाद मैंने देखा कि उनका कुछ सफ़ेद सा माल निकला और उन्होंने मम्मी के मम्मों पर लगा दिया।
अब मेरी भी एक उंगली मेरी चूत के अन्दर-बाहर जा रही थी।
फिर अंकल ने थोड़ी सी क्रीम ली और मम्मी के नीचे वाले बालों पर लगाई और हाथ से मल कर झाग सा बना दिया.. फिर रेज़र से सारे बालों को साफ़ कर दिए।
वे बोले- शोभा.. जानेमन आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।
मुझे उनकी यह भाषा समझ में नहीं आई।
फिर उन्होंने मेरी मम्मी को बोला- शोभा अब घोड़ी बन जा..।
फिर घोड़ी की पोजीशन में मेरी मम्मी की एकदम साफ चूत में अपना लंड घुसड़ेने की कोशिश करने लगे.. लेकिन उनका लंड निशाने पर टिक नहीं रहा था। शायद क्रीम के कारण शायद फिसल रहा था।
वो बोले- शोभा.. मेरी जान.. अपनी टाँगें चौड़ी करो.. और मेरी मदद करो.. तुम्हारी चूत बहुत टाइट है।
मम्मी बोलीं- जॉन्टी.. आज तक तुम्हारे दोस्त ने ढंग से चोदा ही नहीं.. मेरे राजा.. अब तुम ही इसे खोल दो।
इतना सुनते ही जॉन्टी अंकल को जोश आ गया और उन्होंने पूरे ज़ोर का एक धक्का मारा और उनका लंड पूरा अन्दर घुस गया।
मेरी मम्मी की बहुत ज़ोर से चीख निकल गई और वे चीखते हुए बोलीं- जॉन्टी प्लीज़ जल्दी निकालो बाहर.. वरना मैं मर जाऊँगी.. आह.. साले मुझे बहुत बहुत दर्द हो रहा है..
उनकी आँखों में आँसू आ गए।
लेकिन जॉन्टी अंकल को जैसे और जोश आ गया और वो दुगुनी ताक़त से झटके देने लगे और कहने लगे- बहन की लौड़ी.. बहुत मुश्क़िल से आज तुझे चोदने का मौका मिला है।
मम्मी बोलीं- हाँ.. मेरे राजा.. चोदो.. खूब चोदो.. आह्ह..
वे अपने चूतड़ उपर उठा-उठा कर अंकल का साथ देने लगीं।
ये सब देखकर मैं पागल हुई जा रही थी। थोड़ी देर बाद दोनों झड़ गए और एक-दूसरे से लिपट गए।
मम्मी बोलीं- जॉन्टी.. आज तुमने मुझे जन्नत की सैर कराई है.. अब से मैं तुम्हारी ही हूँ.. आते रहो करो.. आँचल का ये स्कूल जाने का समय रहता है और तुम्हारे दोस्त ऑफिस में रहते हैं।
जॉन्टी अंकल- हाँ शोभा डार्लिंग.. अब से ये लंड तुम्हारा ही है।
फिर दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।
मैं समझ गई कि जॉन्टी अंकल और मेरी मम्मी का क्या चक्कर चल रहा है.. लेकिन उनकी चुदाई देखकर मेरा भी चुदने का बहुत मन हो गया। मुझे बहुत भूख लग रही थी.. लेकिन चुदाई देखकर चुदने का मन ज़्यादा था।
फिर मम्मी बोलीं- जॉन्टी अब चले जाओ जान.. आँचल का आने का टाइम हो गया।
वो बोले- हाँ शोभा.. आज तुम्हारी चूत में मजा आ गया.. एक बार चाटने तो दो..
मम्मी ने अपनी टांगें फैला दीं और अंकल जीभ से उनकी चूत चाटने लगे।
मुझे लगा कि अब मुझे भी सावधान हो जाना चाहिए, मैं तुरंत अपने कमरे में चली गई और वहाँ की खिड़की से देखने लगी। मम्मी और जॉन्टी अंकल बाहर निकले।
मम्मी जॉन्टी अंकल से बोलीं- जॉन्टी अब कब आओगे?
वो बोले- जल्द ही आऊँगा जानेमन..
उन्होंने अपनी जेब से 2000 रूपये निकाले और बोले- ये रखो.. नई ब्रा-पैंटी ले लाना।
मम्मी ने बहुत मना किया.. लेकिन अंकल नहीं माने और पैसे देकर चले गए।
मम्मी ने बाहर मेरा स्कूल बैग रखा देखा तो वे हैरान रह गईं.. उनको एकदम से पसीना आ गया लेकिन उन्होंने नॉर्मल बनने की कोशिश की और मेरे कमरे की तरफ आ गईं, मुझे देख कर बोलीं- आँचल तू कब आई?
मैंने कहा- मैं आधा घंटे पहले आई हूँ.. मेरे सिर में थोड़ा दर्द था.. इसलिए आकर सो गई थी।
फिर मम्मी ने खाना बनाया और मैं बाथरूम गई और पैंटी बदली।
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आप सबने मेरी बदचलन माँ की चुदाई को पसंद किया होगा.. तो बताना न भूलें कि कैसी लगी आपको जॉन्टी अंकल और मेरी मम्मी की चुदाई।
अगली कहानी में मैं बताऊँगी कि फिर मैं और मम्मी जॉन्टी अंकल से एक साथ कैसे चुदे।
मुझे ईमेल जरूर करना..
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Bhan ki friend ki chudai
बात उन दिनों की है.. जब मैं 18 साल का था, मेरे घर में मेरी बहन की सहेली आती थी.. जिसका नाम दीपा था। उसकी उम्र भी 18-19 साल ही थी और उसका फिगर 30-34-32 का था। वो मेरे ही स्कूल में पढ़ती थी.. उस पर बहुत से लड़के मरते थे.. क्योंकि वो थी ही बहुत हॉट एंड सेक्सी।
वो मेरे दोस्त की बहन की ननद भी लगती थी। इस बहाने उससे मजाक हो जाता था।
एक दिन वो मेरे घर आई हुई थी और उस समय मेरे घर में कोई नहीं था.. सभी बाहर गए हुए थे।
मैं भी अपने बेडरूम में सो रहा था।
वो मेरे पास आई.. उसने मुझे जगाया और पूछा- घर के सब कहाँ गए हैं?
तो मैंने बता दिया- सब बाहर गए हुए हैं।
फिर वो मेरे पास बिस्तर पर बैठ गई और हम दोनों बातें करने लगे।
वो बातों ही बातों में मुझसे पूछने लगी- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या..?
मैंने मजाक में बोला- मेरी गर्लफ्रेंड कौन बनेगी?
वो बोली- क्यों.. तुझ में क्या बुराई है?
मैंने भी उससे बोल दिया– फिर तुम बनोगी मेरी गर्लफ्रेंड?
वो मुस्कुराने लगी और चुप हो गई।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा.. वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी और बोली– तुम क्या करना चाहते हो?
मैंने बोला– बस तुम्हें प्यार.. और कुछ नहीं..
वो बोली– नहीं.. मुझे ये सब पसंद नहीं है.. मुझे छोड़ दो।
मैंने उसे एक किस किया और प्यार से समझाया- देखो आज मेरे घर में कोई नहीं है.. और ये मौका कभी दुबारा नहीं मिलेगा।
फिर भी वो इनकार कर रही थी.. पर अब उसका ‘न’ पहले से कम था।
मैं बोला– क्यों.. डरती हो तुम.. ये सब हम दोनों के बीच ही रहेगा..
वो बोली– मैंने ये सब पहले कभी नहीं किया है।
मैं बोला– मुझे सब आता है.. मैंने बहुत पोर्न वीडियो देखे हैं.. प्लीज मान जाओ.. मैं तुम्हें बहुत मजा दूँगा।
मैंने उसे खींचा तो इस बार उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया। मैं उसके होंठों के मद भरे रस को चूसने लगा था।
वो भी गरमाने लगी।
मैं उसे अपनी बांहों में समेटते हुए बोला- क्या मेरा प्यार पसंद नहीं है?
वो बोली- पसंद है.. पर डर लगता है..
फिर मैंने उसे कुछ सेक्स वीडियो दिखाए.. जिससे वो और भी अधिक चुदासी हो गई।
वो पहले भी सेक्स वीडियो देख चुकी थी और बोली- इसमें दर्द होता है ना.. वीडियो में लड़कियां बहुत चीखती हैं।
तो मैंने उससे बोला- उसकी वीडियो बनाना होता है.. इसलिए ऐसा करती है.. पहली बार है ना.. जब अन्दर लोगी तो खुद ही जान जाओगी रानी..क
मैंने उसके कपड़े निकाल दिए और अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी। मैं उससे बोला- तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो।
कमैंने उसे खूब चूमा.. इस बार वो मेरा पूरा साथ दे रही थी। अब मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी भी निकाल दिए।
cमैं उस दिन पहली बार किसी लौंडिया को नंगी देख रहा था, उसकी गुलाबी चूत पर बहुत ही हल्की हल्की झांटें थीं.. शायद उसने चूत के बालों की शेव 15 दिन पहले की होगी.. मैं उसकी चूत को देखता ही रह गया और वो शरमाने लगी।
अब मैं पूरा गरम हो चुका था और मैंने भी अपना अंडरवियर निकाल दिया।
गर्मी का मौसम था.. मैं पहले से ही अंडरवियर के सिवा कुछ पहने नहीं था। अब वो मेरा 7.5 इंच का लंड देख कर घबरा गई और नाटक करने लगी।
मैंने उसे बाँहों में लिया और उसके मम्मों को मसलने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा.. इससे वो पागल होने लगी।
मैंने उसे लंड चूसने को कहा.. तो वो मना करने लगी.. मैं भी चूत चोदना चाहता था और मैं भी चुदाई के लिए भूखा था.. सो मैंने उससे कुछ नहीं कहा।
अब मैंने थोड़ा सा थूक उसकी चूत पर लगाया और फिर चूत को उंगली से सहलाया.. वो बहुत हॉट हो चुकी थी।
फिर मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और अब वो पागल सी होने लगी।
वो सिसक कर बोलने लगी- हाय.. बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. प्लीज डालो भी.. सताओ मत अब.. मैं मर जाऊँगी..
तो फिर मैं अपना लौड़ा उसकी बुर में डालने लगा.. पर लण्ड अन्दर जा ही नहीं रहा था.. वो सील पैक माल थी।
मैंने जोर से फिर से कोशिश की और फिर उसकी चूत पर थोड़ा सा तेल लगाया.. और उससे बोला- थोड़ा दर्द होगा.. चिल्लाना मत..
उसने ‘हाँ’ बोल दी.. पर बोली- धीरे करना प्लीज..
मैं बोला- ठीक है..
फिर मैंने एक जोर का धक्का मारा और थोड़ा सा लंड अन्दर चला गया।
वो चीख पड़ी..
मैंने हाथों से उसके मुँह को बंद किया और थोड़ी देर रुक गया।
फिर मैं अपने चूतड़ों को हिला कर धीरे धीरे धक्के देने लगा। अब मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था और वो दर्द से तड़फ रही थी- निकाल लो प्लीज.. मैं मर जाउंगी.. अहह.. अहह.. ऊओह्ह्ह्ह्ह मुझे मार ही डालोगे क्या?
फिर उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और मैं उसे चूसने लगा। इससे वो अब शांत भी हो गई.. और अपना दर्द भी भूलने लगी।
फिर मैंने एक और जोर का धक्का मारा तो अबकी बार पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।
उसकी एक तेज चीख निकल गई.. उसकी चूत फट चुकी थी.. मैं कुछ देर रुक कर फिर उसे चूमने और सहलाने लगा जब वो कुछ रिलेक्स हुई तो मैं धक्का देने लगा।
अब वो थोड़ा मस्ती में आ चुकी थी- ‘अआआ.. अहहह..’ अपनी चूत को खुद ही लौड़े में अन्दर- बाहर करवा रही थी।
‘ऊऊउह्ह्ह ह्ह मज़ा आ रहा है..’
मैं जोर- जोर से चोदने लगा.. उसे भी मज़ा आने लगा था।
लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद.. मेरा लंड झड़ने वाला था.. तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और बाहर झड़ गया.. सारा पानी उसके पेट पर छोड़ दिया और उसे बड़ा सा चुम्बन किया। मैं उसके ऊपर निढाल हो कर लेट गया और फिर हम थोड़ी देर बाद उठे और अब वो भी पूरी तरह से थकी लग रही थी।
फिर भी मैंने उसे दुबारा गरम किया और उसके मम्मों को मसलने लगा। वो अभी चुदने के लिए तैयार नहीं थी.. लेकिन फिर भी मैंने उसे मनाया और उसे लंड को हाथ में हिलाने को बोला।
फिर जब लंड पूरा टाइट हो गया.. तो मैंने उसे कुतिया बनने को कहा.. फिर मैंने उसे कुतिया जैसा बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लौड़ा पेल कर दस मिनट तक चोदा.. उसके बाद मैं बिस्तर पर लेट गया और उसको मेरे ऊपर आकर चुदने को कहा।
दस मिनट उसको अपने लौड़े पर झूला झुलाते हुए और चोदा और अब वो बहुत मस्त हो चुकी थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी।
उसके दूध खूब जोर-जोर से हिल रहे थे मैंने उसके दूध खूब मसले जिससे उसकी चूत में बार-बार से रस झड़ जाता था।
उसको चोदते- चोदते पता ही नहीं चला.. कि कब दो घंटे हो गए। झड़ने के बाद वो थोड़ा खुश लग रही थी और बोली- रवि मैं पहली बार सेक्स करना चाहती थी.. पर डर लगता था.. मैं तुमसे प्यार करती थी.. लेकिन कभी कुछ कह नहीं पाती थी और ना ही तुम मुझे कुछ बोलते थे।
मैं बोला- अब तो हम तुम्हारे ब्वॉयफ्रेंड हैं.. जब भी चुदने का मन हो.. तो बता देना।
फिर हम लोगों ने कपड़े पहने और मैंने उसे फिर से बाँहों में लिया।
वो बोली- अब जाने दो.. जब भी मौका मिलेगा.. तो फिर आ जाऊँगी।
उस दिन के बाद.. मैंने उसे कई बार चोदा और भी बहुत सी लड़कियों और भाभी के साथ चुदाई की है।
मेरी इस कहानी से अगर किसी को मस्ती आई है.. तो मुझे जरूर मेल करे।
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Bhan ke badan ki malis1
यह बात तक की है.. जब मैंने अपनी 12 वीं कक्षा की परीक्षा दी थी। मेरे घर वालों ने मुझे घूमने के लिए मेरी मौसी के घर पर भेज दिया था.. क्योंकि परीक्षाएं अभी समाप्त ही हुई थीं.. इसलिए मैं घूमने के लिए अपनी मौसी के घर चला गया।
मेरी मौसी के 2 बच्चे हैं.. एक लड़की और एक लड़का। लड़का 13 साल का है और लड़की 19 साल की है। वैसे तो वो लोग बहुत ही अच्छे हैं और मुझे पसंद भी हैं.. तो मैं करीब एक महीने के लिए उनके यहाँ गया था।
मेरी मौसी की लड़की और मेरी खूब बनती है.. क्योंकि हम बचपन में साथ रहा करते थे। उसका नाम शिल्पा है (बदला हुआ नाम)। मैं जब भी उनके घर जाता हूँ.. तो शिल्पा और मैं हमेशा साथ में ही घूमते रहते हैं। वो उम्र में मुझसे एक साल बड़ी है.. वो इतनी सेक्सी फ़िगर वाली है कि मैं आपको बता नहीं सकता। उसके मम्मे तो इतने मस्त हैं कि आपको क्या बताऊँ।
अबकी बार मैं उनके घर कई सालों बाद गया था। मेरी मासी और मौसा का स्वीट्स का व्यापार है.. वो ज़्यादातर दुकान पर ही रहते हैं।
घर पर सिर्फ चिंटू और शिल्पा ही रहते हैं (चिंटू मेरी मौसी का लड़का)। मई का महीना था.. इस वक्त गर्मी तो बहुत होती ही है।
मेरी मौसी और मौसा तो दुकान पर चले जाते हैं और चिंटू स्कूल चला जाता है।
मेरी मौसी की लड़की ने भी अभी 12वीं के पेपर दिए थे.. क्योंकि वो 6 में एक बार फ़ेल हो गई थी। अब हम दोनों पूरा दिन घर पर बैठ कर टीवी देखा करते थे.. या फिर हम घर पर ही रह कर गेम्स खेला करते थे।
एक दिन हम मॉल में शॉपिंग करने गए.. हमने काफी शॉपिंग की और उसके बाद हम तीनों ऑटो रिक्शा में घर जाने के लिए बैठ गए। हमें घर पहुँचने की बहुत जल्दी थी.. क्योंकि गर्मी का मौसम था और गर्मी बहुत ज्यादा लग रही थी।
जब हम घर पहुँचे.. तो 4:30 बज चुके थे।
हम पसीने से भीग चुके थे.. चिंटू को 5 बजे अपनी टयूशन जाना था.. तो वो जल्दी से नहा कर कपड़े बदलकर टयूशन चला गया।
फिर चिंटू के जाने के बाद शिल्पा बोली- मैं नहाने जा रही हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. पहले आप नहा लो।
वो सिर्फ अपना तौलिया लेकर बाथरूम में चली गई, बाथरूम कमरे से अटैच था, वो नहाने लगी।
उनका घर टॉप फ्लोर पर था.. और वैसे भी मुझे बहुत गर्मी लग रही थी.. तो मैंने अपनी शर्ट उतार दी और जीन्स भी निकाल दी। क्योंकि वैसे भी मैंने नहाने तो जाना था।
मैं सिर्फ बनियान और अंडरवियर में उसके बाथरूम से बाहर आने का वेट कर रहा था।
कुछ पलों बाद वो सिर्फ़ तौलिया बाँध कर बाहर आई। उसे इस हालत में देखकर मुझे पता नहीं क्या हुआ.. मैं उसे काम-वासना से देखने लगा। वो मुझे उस दिन पहली बार इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं बयान नहीं कर सकता।
वो मुझे इस तरह देख कर एक अजीब सी स्माइल देने लगी। उसे इस हालत में देखकर मेरे अंडरवियर में उभार आने लगा।
मैं फटाफट अपना तौलिया लेकर बाथरूम में नहाने के लिए चला गया।
मेरी आँखों के सामने बस वो ही तौलिया लपेटे हुए छाई हुई थी।
मुझे उस वक्त वो इतनी ज़्यादा हॉट लग रही थी.. मैं बता नहीं सकता। अब मैं बाथरूम में शावर लेने लगा.. फिर उसकी जवानी याद करते हुए अपना लण्ड हिलाने लगा। मेरा लौड़ा एकदम से पूरी तरह सख्त हो कर पूरा 8 इंच का हो चुका था।
मैं शावर चला कर बाथरूम में फर्श पर लेट गया और मुठ्ठ मारने लगा।
तभी मेरी नज़र अचानक से उसकी उतारी हुई पैन्टी पर पड़ी.. जो कि उसने अभी-अभी नहा कर उतारी थी। मैंने उसकी पैन्टी उठाई और उसको खुद पहन लिया। फिर मैंने मुठ्ठ मारी.. पर मुझे फिर भी शांति नहीं मिली।
उसके बाद मैंने बार-बार मुठ्ठ मारी.. पर मुझे फिर भी शांति नहीं मिली।
उसके बाद मैंने नहाते-नहाते पूरी बॉडी पर साबुन लगाया और फिर ढेर सारा साबुन अपने लण्ड पर लगाया। मुझे मजा आने लगा तो मैं उसे फिर हिलाने लगा.. और मुठ्ठ मारने लगा।
अब मेरे एक हाथ में उसकी पैन्टी थी और दूसरे हाथ से मैं अपना लण्ड हिला रहा था।
मैंने उसकी पैन्टी के नीचे वाली साइड जो कि उसकी चूत को ढकती है.. उस तरफ के हिस्से को अपने लण्ड के टोपे पर लगा कर मुठ्ठ मारने लगा।
करीब 10-15 मिनट बाद मैंने उसकी पैन्टी पर ही अपना माल झाड़ दिया और मेरा सारा रस उसकी पैन्टी पर ही लग गया। उसकी पैन्टी बहुत चिपचिपी सी हो गई थी।
अब मैं खुद को ठंडा और रिलैक्स महसूस कर रहा था। फिर मैं जल्दी से नहाकर बाहर आ गया और कपड़े पहनने लगा।
तभी वो मेरे लिए शिकंजी बना कर लाई और बोली- काफ़ी देर लगा दी नहाने में.. मैंने कब से शिकंजी बना रखी है।
तो मैंने कहा- मैं तो रोज इतनी ही देर लगाता हूँ।
फिर हमने शिकंजी पी.. इतने में लाइट आ गई और हमने टीवी ऑन किया और देखने लगे। थोड़ी देर बाद वो उठ कर बाथरूम गई..
तभी अचानक मेरी हवा टाइट हो गई क्योंकि मैं उसकी पैन्टी को साफ़ करना भूल गया था।
जैसे उसके जाते ही मेरी साँसें तो मानो जैसे रुक ही गई हों। वो लगभग आधे घंटे बाद बाहर आई।
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कि मैंने उसकी भैंस चुरा ली हो.. पर मुझे शायद पता था कि वो ऐसे क्यों देख रही है।
वो बिना कुछ बोले आकर मेरे पास बैठ गई और मूवी देखने लगी। इस बार वो मेरे कुछ ज़्यादा ही पास आकर लेट गई और मूवी देखने लगी।
कुछ 5 मिनट बाद मैं उठा और बाथरूम में उसकी पैन्टी साफ़ करने के लिए भागा और जब मैंने वहाँ देखा कि उसकी पैन्टी साइड में धुल कर सूख रही है। उसने पैंटी को धोकर हैंगर पर डाल रखी थी।
मुझे समझ में आ गया कि उसने ही इस पैन्टी को साफ़ करके सूखने डाला था.. जिस पर मेरा काफ़ी सारा वीर्य लगा हुआ था।
मैं वापिस बाहर आया और फिर से उसके बाजू में बैठकर मूवी देखने लगा।
मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था.. जबकि वो सोफे पर बैठी हुई थी।
मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो कुछ कहे ना। मैं बैठा-बैठा यही सोच रहा था कि इसने मुझे कुछ कहा क्यों नहीं।
फिर वो उठ कर पानी पीने चली गई और वापिस आकर मेरे और पास बिस्तर पर बैठ गई फिर वो मुझसे सट कर लेट कर मूवी देखने लगी। मैं भी मूवी देखने लगा। उसने लेटे-लेटे ही अपने दोनों पैर मेरे पैरों के ऊपर रख दिए। मेरा भी ध्यान मूवी में था तो मैंने कुछ खास ध्यान नहीं दिया।
फिर वो अपने पैरों को धीरे-धीरे से हिलाने लगी और फिर अचानक से उसने अपना एक पैर मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया।
उसके पैर से जैसे मेरी हवा सी टाइट हो गई.. फिर मेरा लण्ड उसके पैरों के अहसास से सख्त होने लगा और वो मेरे लौड़े की हरकत शायद उसके पैरों पर भी फील हो रहा था।
अचानक वो उठ कर बैठ गई.. उसने स्कर्ट और स्लीवलैस टॉप पहन रखा था। वो मेरे बिल्कुल चिपक कर बैठ गई.. मैंने अपना लण्ड का उभार छुपाने के लिए अपनी टाँगें खोल कर बैठ गया।
वो भी अपनी टाँगें खोल कर बैठ गई और बोलने लगी- मुझे मूवी में मज़ा नहीं आ रहा।
मैंने कहा- हाँ.. मुझे भी नहीं आ रहा।
फिर वो बोली- चलो कोई गेम खेलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है.. जैसी मर्ज़ी..
वो एक बोतल ले कर आ गई और नीचे बैठ गई और बोली- मैं यह बोतल घुमाऊँगी.. जिस पर भी आकर रुकी.. उसे एक टास्क करना पड़ेगा.. जो भी दूसरा प्लेयर कहेगा।
मैंने कहा- चलो ठीक है..
पहले उसने बोतल को घुमाया और बोतल का मुँह उसी की तरफ आकर रुका।
वो कहती है- बोलो.. क्या करना है?
मैंने कहा- मेरे सिर में दर्द हो रहा है मेरे सिर की मालिश कर दे.. आज बहुत स्ट्रेस सा फील कर रहा हूँ।
वो रसोई में गई और सरसों का तेल ले कर आ गई और मेरे सिर की मसाज करने लगी।
वो मसाज भी इस तरह कर रही थी कि मुझे तो सेक्स जैसी मस्ती हो रही थी। पहले तो वो 5 मिनट तक मस्त मालिश करती रही.. फिर उसने अचानक से अपनी उंगली को अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।
फिर उसी उंगली को निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया.. मैंने कहा- यह क्या कर रही हो?
तो वो बोली- शायद मेरी उंगली कट गई है।
मैंने कहा- दिखाओ..
वो बोली- इसमें जलन हो रही थी।
मैंने कहा- अब तो नहीं हो रही ना..
बोली- नहीं..
फिर मालिश के बाद हमने खेल को आगे बढ़ाया। इस बार मैंने बोतल घुमाई और फिर बोतल मेरी तरफ आकर रुक गई।
मैंने कहा- बोलो मेरा टास्क क्या है?
वो बोली- मुझे तो फुल बॉडी मसाज चाहिए, मेरे पूरे शरीर में बहुत दर्द हो रहा है।
मैं समझ गया कि इसकी चूत कुलबुलाने लगी है.. अब चूत कैसे चोदी.. इसका मंजर आपको कहानी के अगले भाग में लिखूँगा तब तक के लिए नमस्कार।
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Bhan ke badan ki malis 2
अब तक आपने पढ़ा..
मालिश के बाद हमने खेल को आगे बढ़ाया। इस बार मैंने बोतल घुमाई और फिर बोतल मेरी तरफ आकर रुक गई।
मैंने कहा- बोलो मेरा टास्क क्या है?
वो बोली- मुझे तो फुल बॉडी मसाज चाहिए, मेरे पूरे शरीर में बहुत दर्द हो रहा है।
अब आगे..
मैंने कहा- इसमें बहुत टाइम लगेगा।
वो बोली- लगेगा तो लगने दो।
मैंने कहा- ठीक है.. फिर लेट जाओ..
वो बिस्तर पर लेट गई.. मैंने उसके पैरों पर तेल लगाया और फिर मालिश करने लगा।
वो बोली- हल्के-हल्के हाथों से कर न..
मैं हल्के-हल्के हाथों से करने लगा।
मैं उसके घुटनों तक ही कर रहा था कि वो बोली- थोड़ी और ऊपर तक करो।
मैं उसकी जाँघों के पास तक पहुँच गया और वहाँ तक मालिश करने लगा।
वो फिर बोली- थोड़ा सा और ऊपर तक करो।
मैंने कहा- मुझसे नहीं हो पाएगा और वैसे भी फिर तुम्हारी स्कर्ट भी गंदी हो जाएगी.. मैं नहीं कर सकता और ऊपर.. अब और कहीं करवा लो।
वो बोली- मेरा यही टास्क है और तुझे करना पड़ेगा।
मैंने फिर कुछ नहीं बोला और जाँघों पर भी करने लगा।
वो बोली- रुक जा.. मैं स्कर्ट उतार देती हूँ.. नहीं तो तेल लग जाएगा और ना ही और ऊपर टाँगों तक ठीक से मालिश हो पाएगी।
मैंने कहा- क्या.. तुम मेरे सामने अपनी स्कर्ट उतारोगी?
वो बोली- तो क्या हुआ.. वैसे भी आज मौसम में गर्मी बहुत है।
उसने अपनी स्कर्ट को लेटे-लेटे ही हुक खोल कर उतार दी और मुझसे कहा- जरा नीचे तो खींच दे मेरी स्कर्ट को।
मैंने स्कर्ट को पकड़कर नीचे खींच दिया तो उसकी पैन्टी भी थोड़ी सी सरक गई।
वो तो यार सच में एकदम पटाखा लग रही थी। उसने पिंक कलर की पैन्टी पहन रखी थी.. जो इतनी सेक्सी लग रही थी कि क्या बताऊँ। ऐसा लग रहा था जैसे मैं मियामी के बीच पर पहुँच गया हूँ।
फिर उसने टाँगें फैला कर कहा- अब आराम से मालिश करो।
मैं उसको इस हालत में देखकर पूरा गरम हो गया था। मेरा लण्ड टाइट होने लगा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था.. पर जो भी हो रहा था.. उसमें मज़ा आ रहा था।
फिर वो सीधी होकर लेट गई और बोली- आगे से भी पैरों की अच्छी तरह मालिश करो।
उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अपनी पैन्टी के ऊपर रख कर मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर रगड़ने लगी और अपनी आँखें बंद करके मनमोहक सी आवाजें निकालने लगी।
मैंने कुछ भी नहीं कहा.. मुझे कुछ कहा ही नहीं जा रहा था।
अब मेरे अन्दर भी आग जलने लगी.. मैं ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया… जैसे कि वो लेटी हुई थी और फिर मैंने अपने लिप्स उसके लिप्स के ऊपर रख दिए और स्मूच करने लगा।
काफ़ी देर तक हम एक-दूसरे के मुँह में जीभ डालकर किस करते रहे।
वो गरम साँसें छोड़ रही थी और मैं भी… हमारा चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया था..
वो बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने लगी और मैं उसके..
मैं सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया और वो ब्रा-पैन्टी में… वो मेरी गोद में आकर टाँगें फैला कर मुझसे लग लगकर बैठ गई।
मैं ब्रा में से ही उसके मम्मों के बीच में मुँह घुसा कर किस करने लगा और अपनी उंगलियों को उसकी पैन्टी के नीचे से बिना उतारे ही उंगली डाल कर उसकी चूत के होंठों को मसलने लगा।
वो एकदम सी मदहोश होने लगी.. अब हम दोनों को होश नहीं था कि हम क्या कर रहे हैं।
मैंने उसकी ब्रा उतार कर फेंक दी और वहाँ मुझे उसके गोल-गोल गोरी चूचियों के दर्शन हुए.. जो कि किसी ताजे-ताजे एकदम मुलायम फल की तरह लग रहे थे।
हम दोनों खड़े हुए.. वो घुटनों के बल बैठ गई और मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लण्ड से खेलने लगी। फिर उसने खींच कर मेरे अंडरवियर को एकदम से नीचे कर दिया और मेरा लण्ड उछल कर उसके मुँह पर जाकर लगा।
जैसे ही वो उसके मुँह पर टच हुआ.. मुझे करेंट सा लगा.. ऐसा लग रहा था मैं जन्नत में जाने लगा।
मेरा लण्ड पूरी 8 इंच का हो चुका था और नसें उभरने लगी थीं। उसने मेरे गरम गरम लण्ड को पकड़ा और पहले किस किया.. फिर उसे अपने मुँह में डालकर चूसने लगी।
हाए रे.. मैं तो मानो जैसे जन्नत की किसी हूर की चूत के अन्दर घुस गया था.. इतना मज़ा आ रहा था जैसे कि लण्ड को चूत की जगह मुँह के अन्दर भर जा रहा हूँ।
मैं इतनी अधिक उत्तेजना महसूस कर रहा था कि कुछ ही देर में मैं उसके मुँह में झड़ गया और वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
पर मेरा लण्ड इतनी जल्दी शांत होने वाला कहाँ था.. अभी तो पार्टी शुरू ही हुई थी।
वो मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मम्मों पर रगड़ने लगी और फिर अपने मम्मों के बीच में दबाकर मम्मों हिलाने लगी।
अब मुझसे रहा ना गया.. मैंने उसको घुटनों से पकड़ा और उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और पैन्टी को पकड़ कर घुटनों तक उतार दिया, उसकी दोनों टाँगें ऊपर करके उसकी चूत को चाटने लगा.. वो पूरी गीली और चिपचिपी हो चुकी थी, उसमें से एक अजीब सी ही खूशबू आ रही थी.. जैसे मुठ्ठ मारने के बाद आती है।
वो अपने हाथों से बिस्तर की चादर को नोंचने लगी.. तेज-तेज सिसकारियाँ लेने लगी और एकदम से मेरे मुँह पर ही झड़ गई।
मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया और फिर वो अपनी चूत के अन्दर उंगली डालकर तेज-तेज हिलाने लगी।
फिर मैंने उसकी पैंटी को फाड़ दिया और उसकी एक टाँग ऊपर उठाकर अपना लण्ड उसके चूत के मुहाने पर रखा और रगड़ने लगा।
मानो जैसे वो पागल हो गई हो.. वो अपने हाथों से मेरे लण्ड को अपनी चूत के मुँह पर लगाकर उसे घुसवाने लगी।
मेरे लण्ड को तो मानो बुखार सा चढ़ गया हो.. वो एकदम से बहुत गरम होने लगा और जब मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ रहा था.. एक जादुई सा मज़ा आ रहा था।
अब वो चूत चुदवाने को तैयार थी और मैंने उसकी चूत के मुँह पर अपना लण्ड रखा और हल्का सा धक्का मारा.. पर मेरा लण्ड काफ़ी मोटा हो चुका था.. वो फंस रहा था।
मैंने दूसरी टांग भी पकड़ी और तेज धक्का मारा.. वो चिल्ला पड़ी- आऐईयईई माआ.. उउईएई..
वो दर्द से कराहने लगी.. लेकिन मैं रुकने वाला कहाँ था.. मैंने 2-3 करारे झटके मारे.. फिर मेरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर आधा घुस गया।
वो शायद पहली बार चुदवा रही थी.. फिर मैंने धीरे-धीरे से झटकों की रफ़्तार बढ़ाई और फिर पूरा का पूरा 8 इंच उसकी चूत में अन्दर घुसा दिया।
वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लग रही थी।
फिर मैंने उसकी चूत में अपने लण्ड की रफ्तार और बढ़ा दी.. पूरे कमरे में ऐसी आवाजें आ रही थीं.. जैसे कि चाबुक चल रहे हों।
मैं अपनी पूरी रफ़्तार से उसकी चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
अब उसे भी अब मज़ा आने लगा था.. वो ‘तेज-तेज’ की चिल्लाने लगी- अया.. आहह.. अहहा.. आअहहा.. आह.. चोद मादरचोद..
वो मुझे गालियाँ देने लगी।
लगभग 15-20 मिनट बाद वो मेरे ऊपर ही झड़ गई.. थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया।
फिर आधे घंटे बाद हमने दोबारा चुदाई शुरू की।
अब उसकी गाँड मारने की बारी थी। वो मना करने लगी.. तो मैंने ज़बरदस्ती उसके हाथ पकड़ कर उसे लिटा कर.. उसके हाथ अपने हाथों में फंसा लिए और उसकी गान्ड में लण्ड घुसड़ेने की कोशिश करने लगा। वो मना करने लगी कि गान्ड ना मारूँ.. पर मुझे तो मारनी थी।
मैंने उसकी गान्ड पर अपना लण्ड लगाया और धक्का मारने लगा.. पहले तो वो फिसल गया.. और जब बार-बार फिसलने लगा तो मैंने उसे नीचे लिटाया और खुद उसके ऊपर आ गया।
अब मैंने उसकी दोनों टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रखा और फिर अपना लण्ड पकड़ कर उसकी गान्ड पर रख कर तेज धक्का मारने लगा।
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे.. वो चिल्लाने लगी। तो मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और फिर लण्ड घुसड़ेने की कोशिश करने लगा।
ज़ोर लगा कर लण्ड तो आधा घुस गया.. पर उसकी गान्ड में से खून निकलने लगा।
मैंने उसे नहीं बताया और पूरा लण्ड धीरे-धीरे घुसा दिया.. उसे बहुत दर्द हो रहा था वो तड़पने लगी थी।
फिर 10 मिनट तक मैंने उसे ऐसे ही रखा और हम चूमा-चाटी करते रहे।
फिर मैंने उसे खड़ा किया.. वो टाँगें बंद नहीं कर पा रही थी।
मुझे पता था.. यह तो होना ही था.. फिर मैंने उसे कुतिया बनाया और फिर डॉगी स्टाइल में उसकी गान्ड मारी।
अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था। उससे कंट्रोल नहीं हुआ और उसने बीच में ही मेरे ऊपर सुसू कर दिया, पर मुझे मज़ा आया।
फिर हमने अलग-अलग कई तरह से उस दिन चुदाई की और आखिर में मैंने उसके मुँह पर अपना वीर्य निकाल दिया।
उस दिन की चुदाई से हम दोनों को काफ़ी थकान हो गई थी। उस रात में घोड़े बेच कर सोया था।
अब हमें जब भी मौका मिलता है.. हम खूब जमकर चुदाई करते हैं
तो दोस्तो.. आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी.. प्लीज़ ईमेल ज़रूर करना..
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Pemika ki chudai
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी जॉब दौसा क्षेत्र में कर रहा था। मेरी.. मेरे मामा के लड़के के साथ बहुत पटती थी.. जो लड़कियाँ पटाने में बहुत माहिर था। मैं कई बार उसके सामने अपनी व्यथा रख चुका था.. लेकिन उसने कभी ध्यान नहीं दिया।
एक दिन जब मैं आफिस में बैठा था.. तो अचानक उसका फोन आया और बोला- सरस.. चल आज तेरी भी सैटिंग करवा देता हूँ।
मैंने सोचा ‘यह इसको आज क्या हो गया है.. जो आज अचानक मेरे ऊपर इतनी मेहरबानी कर रहा है?’
मैंने उससे कहा- भई ठीक है।
फिर उसने मुझे एक लड़की का नम्बर दिया और बोला- इससे बात कर लेना तेरा काम हो जाएगा।
मैं बोला- ठीक है।
शाम के वक्त मैंने उस नम्बर पर कॉल किया तो दूसरी तरफ से खनकती हुई कानों में शहद घोलती हुई आवाज आई- कौन?
मैंने कहा- जी.. मैं सरस.. मुझे रोहित ने आपसे बात करने के लिए कहा है।
वो बोली- अच्छा अच्छा.. आप हैं सरस.. मैं भी आपके ही फोन का इंतजार कर रही थी।
फिर हम दोनों नें एक-दूसरे के बारे में पूछताछ की और एक-दूसरे के बारे में जाना, उसने अपना नाम पूजा बताया।
मैंने उससे मिलने के लिए बोला.. तो उसने कहा- अभी नहीं कुछ दिन रूको.. फिर मिलेंगे।
मैंने भी ज्यादा दबाब नहीं देते हुए कहा- ठीक है।
फिर रोज हमारी बातें होने लगीं और एक दिन वो दिन भी आ गया.. जब उसने मुझे मिलने के लिए ‘हाँ’ कह दिया।
मैं तय किए गए दिन को उससे मिलने के लिए आतुर.. समय से पहले ही पहुँच गया।
जैसा कि उसने मुझे बताया कि वो गुलाबी टी-शर्ट और नीला जींस पहन कर आएगी और बगीचे में एक पेड़ के नीचे मेरा इंतजार करेगी।
अब चूंकि मैं वक्त से पहले पहुँच गया था.. तो एक बेंच पर बैठ कर उसका इंतजार करने लगा।
कुछ देर बाद पूजा पार्क में आई और खुद के द्वारा बताई जगह पर आकर खड़ी हो गई।
क्या लग रही थी वो.. उन चुस्त कपड़ों में… ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो।
उसका मस्त फिगर किसी भी लड़के का लण्ड खड़ा करने के लिए बहुत था।
मैं लगातार उसे देखे जा रहा था। उसकी खूबसूरती को देखकर मैं पागल सा हो गया था।
मैं समझ गया था कि यही पूजा है लेकिन तब भी पक्का होने के लिए मैंने उसे फोन लगाया.. तो मेरे सामने खड़ी उसी लड़की ने उठाया।
मैंने उससे पूछा- कहाँ हो?
तो उसने जबाब दिया- मैं उसी जगह पर खड़ी हूँ जनाब.. जो आपको बताई थी.. पर आप कहाँ हो?
मैंने कहा- मैं ठीक आपके सामने खड़ा हूँ और मैं बेंच से खड़ा होकर उसके सामने आ गया।
वो मुझे देखकर मुस्कुराई। मेरा सारा ध्यान अब भी उसके छोटे-छोटे चीकू जैसे चूचों पर था.. जिसे वो भी नोटिस कर रही थी।
मैं उसकी खूबसूरती में इतना खोया हुआ था कि मेरा ध्यान तब टूटा.. जब उसने मुझसे कहा- बस ऐसे ही देखते रहना है या कुछ करना भी है।
मैंने कहा- हाँ..
लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उसे लेकर कहाँ जाऊँ।
कुछ देर सोचने के बाद मैं और पूजा एक होटल की तरफ निकल गए। होटल पहुँच कर मैंने एक कमरा बुक करवाया और मैं पूजा को लेकर अन्दर आ गया।
कमरे में अन्दर आकर दरवाजा बन्द करते ही मैं पूजा के ऊपर टूट पड़ा। मैंने उसे अपनी बाँहों में कैद करके अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए और मैं उसके मस्त नरम-नरम गुलाबी होंठों के मधुरस का पान करने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी।
अब धीरे-धीरे मेरे हाथ उसके चूचों के चूचकों तक पहुँच गए। मैं अब उसके चूचकों को दबा रहा था। मस्ती में धीरे-धीरे उसकी आँखें बन्द होने लगीं और वो कपड़ों के ऊपर से ही मेरे लण्ड को दबाने लगी।
खड़े-खड़े ही मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और मैं उसे बिस्तर पर ले आया। बिस्तर पर लाकर मैंने उसकी जींस और अपने कपड़ों को भी खोल दिया।
अब पूजा मेरे सामने नंगी पड़ी हुई थी। कपड़ों के नाम पर उसके शरीर पर केवल पैन्टी ही बची थी।
मैं उसके ऊपर लेटकर उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। अपने एक हाथ से उसकी चूत में उॅंगली कर रहा था तो दूसरा हाथ उसके मम्मों को मसलने में व्यस्त था।
उसकी चूत उत्तेजना की वजह से एकदम गीली हो गई थी। उसकी चूत मुझे आमंत्रित करने लगी थी कि ‘आओ घुसा दो अपना लौड़ा मेरी चूत में और बुझा दो मेरी प्यास..’
चूत के चिकना हो जाने की वजह से मेरी उॅंगली आसानी से अन्दर जा रही थी।
अब मैं खड़ा होकर उसके पैरों के बीच में आ गया और बड़े गौर से उसकी प्यारी सी चूत को देखने लगा।
हाय.. क्या मस्त चूत थी उसकी.. एकदम गोरी क्लीनशेव। उसकी मस्त चूत को देखकर मैं उसे पागलों की तरह चाटने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया उसकी सिसकारियाँ तेज होने लगीं।
मैं मस्त होकर उसकी मक्खन जैसी चूत को चाट रहा था और वो भी मस्ती में नागिन की तरह बल खा रही थी, उसके मुँह से ‘आह अऽऽआऽऽह.. म्म्म्म्म मऽऽआऽऽह..’ की आवाजें निकल रही थीं।
कुछ देर उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा.. तो उसने मना कर दिया और मैंने उसकी भावनाओं को समझते हुए उस पर ज्यादा जोर भी नहीं डाला।
अब मैं खड़ा होकर बिस्तर से नीचे आ गया और उसके पैरों को पकड़ कर बिस्तर से नीचे लटका दिया। अब मेरा लण्ड ठीक उसकी चूत के सामने था। मैंने लण्ड को पकड़कर उसकी चूत के छोटे से छेद पर रख दिया। जैसे ही मैंने लण्ड को उसकी चूत से छुआ वो एकदम सिहर उठी और मेरे लण्ड को हाथ में लेकर नापतोल करने लगी।
कुछ देर बाद उसने कहा- ये तो बहुत मोटा है।
मैंने कहा- घबराओ मत मेरी जान.. आराम से करूँगा.. बहुत प्यार से चोदूँगा।
वो बोली- ठीक है.. पर आराम से।
मैं बोला- ठीक है।
मैंने लण्ड को उसकी चूत पर रख कर हल्का सा धक्का मारा.. तो वह दर्द की वजह से चीख पड़ी।
मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया और अपने लण्ड को धीरे-धीरे उसकी चूत में घुसाने का प्रयास करने लगा.. मगर उसकी चूत इतनी टाइट थी कि चूत और लण्ड के पर्याप्त चिकना होने के बावजूद मैं अपना लण्ड उसकी चूत में नहीं डाल पा रहा था।
अबकी बार मैंने थोड़ा सा जोर लगाकर लण्ड को आधा.. पूजा की चूत में डाल दिया और पूजा दर्द की वजह से छटपटाने लगी।
उसके दर्द को कम करने के लिए मैं उसके होंठों को चूसने लगा और उसके होंठों को चूसते-चूसते मैंने अपना बाकी का आधा लण्ड भी पूजा की चूत में उतार दिया।
लण्ड के पूरा अन्दर जाते ही पूजा दर्द के मारे दोहरी हो गई। मैंने उसके होंठों को चूसना चालू रखा.. जब तक कि उसका दर्द कम नहीं हो गया।
कुछ देर बाद वह अपनी कमर को हिलाने लगी.. तो मैं समझ गया कि अब उसका दर्द कम हो गया है। अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उसके मुँह से ‘आआहहऽऽ.. आहहऽऽअऽऽ.. हहऽऽहऽऽ हम्म्म्मऽऽ..आ..’ की आवाजें आने लगीं- चोद दो मुझे.. हाँ.. चोद दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. फाड़ दो इसको। हम्म्म्म्म.. आहहहह आहहह.. अहहह अहह आहहहम्म्म ममआहह.. उसकी आवाजें तेज होने लगीं।
उसकी मादक आवाजें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं। अब मैं उसकी चूत में तेज-तेज धक्के मारने लगा। मैंने उसे चोदने की स्पीड बढा दी। वह अब और भी जोर से चीखने चिल्लाने लगी, उसके मुँह से ‘आह हह.. आआ.. आहह.. हहम्म.. अआहह’ की आवाजें आ रही थीं।
मैं उसे तेज गति से चोद रहा था। उसके साथ-साथ अब मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैं धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था। पूजा आनन्दातिरेक से बड़बड़ा रही थी।
वो झड़ चुकी थी।
लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने पूजा से कहा- मेरा निकलने वाला है तो पूजा बोली- अन्दर ही निकाल दो.. मैं दवाई खा लूंगी।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड से पन्द्रह-बीस पिचकारियाँ पूजा की चूत में निकल गईं। पूजा भी एक बार फिर से झड़ गई। पूरी चुदाई के दौरान पूजा तीन बार झड़ी। झड़ने के बाद में पूजा को अपनी बाँहों में लेकर उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
पूजा ने भी मुझे अपनी बाँहों में लिया हुआ था, मैं उसे लगातार किस किए जा रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थी।
कुछ देर बाद पूजा ने घड़ी में टाइम देखा तो वह बोली- सरस.. अब हमें चलना चाहिए.. काफी देर हो चुकी है।
मैंने घड़ी देखी तो सच में शाम के 5 बज चुके थे।
हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े पहनने लगे।
कपड़े पहन कर पूजा मेरे गले लगते हुए बोली- देखना.. आज रात को मुझे बिल्कुल नींद नहीं आएगी।
मैंने पूछा- ऐसा क्यूँ?
पूजा- आज तुमने मुझे इतना प्यार दिया है कि मैं इसे जिन्दगी भर नहीं भूल पाऊँगी। काश मैं आपसे शादी कर पाती लेकिन जिस भी लड़की की शादी आपके साथ होगी वो बहुत खुशनसीब होगी कि उसे आपके जैसा पति मिलेगा।
यह कहते-कहते पूजा की आँखों में आंसू आ गए।
मैंने पूजा को जोर से गले लगाकर उसे चुप कराते हुए कहा- मैं कहीं जा थोड़े ही रहा हॅू.. परेशान मत हो।
उसे चुप कराकर मैंने उसे चुम्बन किए और उसने मुझे। फिर हमने होटल से रुम खाली किया और मैं पूजा को लेकर उसके घर उसे छोड़ने गया।
उसे घर छोड़ते वक्त उसकी आँखों में बिछड़ने का दर्द था।
उसके बाद लगभग दो साल तक हमने खूब रातें साथ बिताईं.. कभी उसके घर.. कभी तो मेरे घर.. कभी होटल.. तो कभी सिनेमा हॉल.. खूब चुदाई की.. लेकिन अब पूजा की शादी हो चुकी है और मुझे फिर एक साथी की जरुरत है।
मुझे मेरे ई-मेल पर जरुर लिखें क्योंकि जितना एक जरूरतमन्द दूसरे जरूरतमन्द की भावनाओं को समझेगा.. शायद उतना कोई और नहीं।
तो दोस्तो, यह थी मेरे जीवन की चुदाई अनुभव। आप सभी पाठकों से निवेदन है कि मेरी कहानी के बारे में अपनी राय जरूर बताएँ।
मुझे आपके ई-मेल्स का बेसब्री से इन्तजार रहेगा।
Rajsharma67457@gmail. Com
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Bhabhi ki chuchiya
यह कहानी मेरे और मेरी भाभी के साथ मेरे पहले चुदाई अनुभव की है..
अपनी भाभी का परिचय लिख रहा हूँ।
मेरे भाभी की उम्र 27 साल है और उनका नाम स्नेह लता है। उनकी मचलती देह की रंगत थोड़ी श्यामल.. तन के उतार-चढ़ाव 32-30-34 हैं। भाभी एक ऑफिस में नौकरी भी करती हैं जो घर से बहुत दूर था।
मुझे पहले मेरी भाभी में कोई रूचि नहीं थी.. मगर एक दिन की बात है.. उस दिन ऐसा कुछ हुआ कि तब से उन्होंने मेरी जिन्दगी को बदल कर रख दिया।
जब शादी के 2 महीने के बाद मेरे भैया ऑस्ट्रेलिया चले गए। तब से मेरी उनके साथ कहानी शुरू हो गई है।
उस दिन मैं कॉलेज के बाद घर लौटा तो मैंने देखा घर बहुत ही अच्छी तरह सजा हुआ था। मुझे पता चला कि उस दिन मेरी भाभी का जन्मदिन है।
मैंने सोचा क्यों ना मैं भी उन्हें बधाई दूँ.. और यही सोच कर मैं उनके कमरे में गया। उनके कमरे में उनके अतिरिक्त और कोई नहीं था.. चूंकि बिजली भी नहीं थी तो मैं उन्हें देखने की कोशिश करने लगा। तभी मेरे आँखें चमकीं और मैं ऐसे ही मुँह बाए हुए उन्हें देखने लगा।
मेरे अन्दर करेंट सा भर गया। मेरा लंड भी एकदम से सख्त हो गया.. क्योंकि उस वक्त भाभी जी एक पंजाबी ड्रेस में थी और उनके कपड़े फुल टाइट थे जो कि उनके मम्मों तक एकदम चुस्त थे और वो बहुत खूबसूरत दिख रही थीं।
मैंने सोच लिया ये ही मेरी ब्लू-फिल्म की हीरोइन बनेगी।
सच में.. क्या कामुक बदन था.. क्या उठे हुए चूचे थे.. क्या उभरी हुई गाण्ड थी साली की.. सच बता रहा हूँ दोस्तो, इस वक्त वो एक आग का शोला बनी हुई थी.. मुझे अब सिर्फ़ उसे चुदने के लिए राज़ी करना बाकी था।
मैं ललचाई निगाहों से उसके मम्मों को देखने लगा.. फिर होश में आकर मैंने कहा- भाभी.. हैप्पी बर्थडे..
यह कहते वक्त मैंने अपने मन ही मन में कहा- हैप्पी बूब्स डे..
फिर उस दिन से मैं उनसे बहुत क्लोज़ हो गया। हम बहुत बातें करने लगे.. मेरे कॉलेज पर और मूवीज पर हम दोनों की खूब बातें होने लगीं।
अब मैं मौका ढूँढ रहा था कि कब उसकी चूत देखूँ। मैं उन्हें पाने का मौका ढूँढ रहा था और वो मौका मुझे एक दिन मिल ही गया।
उस दिन रविवार था। उस दिन सुबह 10:00 सब किसी कारण से घर से बाहर जाने लगे.. उसी वक्त मैंने भी कहा- मुझे भी बाहर काम से जाना है।
सबकी नजरों में मैं भी उसी वक्त घर से बाहर चला गया। मुझे पता था कि आज शाम तक कोई नहीं आएँगे।
मैं फिर 2 घंटे में ही घर वापस आ गया और तब मैंने देखा उस वक्त मेरी भाभी पीले रंग की नाईटी में थीं और टीवी देख रही थीं। उस समय 12:00 बज रहे थे।
मैं भी उनके पास बैठ गया और टीवी देखने लगा। मैंने अपना हाथ लेकर उनकी कमर में डाल दिया।
लता भाभी ने मेरी तरफ हैरत से देखा पर कुछ भी नहीं कहा.. फिर वो उठ कर काम करने रसोई में चली गईं.. मैं भी थोड़े देर बाद उनके पीछे रसोई में चला गया।
भाभी ने भी रसोई में अपनी नाईटी को घुटनों तक चढ़ा लिया था.. आज मैं उसके गरम और कामुक बदन को देखता ही रह गया।
मेरे मन में आज ठरक चढ़ी थी.. उसकी उठी हुई गाण्ड देख कर मेरा तो लंड कड़ा हो गया.. मैं खुद को रोक ही नहीं सका.. और उसके पीछे आकर खड़ा हो गया।
मेरे हाथों ने भाभी को कस कर दबोच लिया और मैं उसके मम्मों को मसलने लगा। उस वक्त मेरा खड़ा लंड उनकी गाण्ड में कपड़ों के ऊपर से ही घुसने लगा।
मेरे कदम से शायद वो एकदम से शॉक हो गईं और जोर से चीखीं- छोड़ो मुझे..
मैंने छोड़ दिया। फिर वो मुझे हल्के गुस्से से देख कर बोलीं- मैंने कभी नहीं सोचा था कि तू ऐसा होगा..
उनकी नजरों में मुझे वो गुस्सा नहीं दिखाई दिया जो बगावती हो। तब वे अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गईं।
मैंने घर के सारे दरवाजे बंद कर दिए और उनके बेडरूम में चला गया। मैंने उनसे सीधी बात कह डाली- भाभी मुझे आपको चोदना है.. मैं इस मौके के लिए कब से वेट कर रहा हूँ.. प्लीज़..
फिर भाभी ने मेरी तरफ देखा शायद उन्हें मेरे प्रणय निवेदन में सच्चाई दिखी और सच्चाई तो यह थी कि वे खुद भी चुदासी थीं, बोलीं- अगर किसी को पता चल गया तो.. क्या होगा?
मैंने कहा- क्या होगा.. कुछ नहीं होगा।
यह कह कर मैं पलंग पर आ गया।
वो मुस्कुराने लगीं और चित्त लेट गईं और तब बिजली भी नहीं आ रही थी।
यह मेरे लण्ड का पहला इम्तिहान होने जा रहा था। मैंने धीरे से उनकी नाईटी के हुक्स एक-एक करके खोले.. फिर पूरी नाईटी जो कि सामने से खुलने वाली थी.. उसको उतार दिया।
वो आँख बँद करके बैठ गई थीं। मैंने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिए। गरमी का मौसम था.. हम दोनों पसीने में तर थे।
लता भाभी बोली- तुमको कुछ करना आता है?
मैंने उनको बिस्तर पर लिटा दिया और कहा- हाँ.. सब आता है.. अब सब मुझ पर छोड़ दो।
मेरी भाभी का बदन चूंकि सांवला है और पूरा गरम जिस्म उनकी सफ़ेद ब्रा में चमक रहा था मैंने ब्रा के हुक्स खोल कर ब्रा को उनके जिस्म से उतार कर दूर फेंक दिया।
वो शर्मा रही थी.. फिर मैं उनकी काली पैन्टी को उतारने लगा। वो मुझे देख रही थी.. उसकी चूत बालों से ढका हुई थी।
वो मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी जैसे पूछ रही हो कि चूत खोजने में दिक्कत तो नहीं होगी?
मैंने हौले से उनका दूध दबाते हुए कहा- मेरा लंड उसे ढूँढ लेगा।
वो मुझे कामुक निगाहों से ही देख रही थी। मैं पूरी हवस में आ गया और मन में ‘आक्रमण’ कह कर उनके होंठों को चूमने लगा।
वो भी मेरे साथ चिपक गई।
फिर मैं थोड़ा नीचे आया और भाभी की सेब के आकार की चूचियों को दबाने लगा।
भाभी मचलने लगीं- आआआवर.. आहह..
मैंने अपने होंठों को उनके निप्पलों पर लगा दिया और 5 मिनट तक चूसता ही रहा।
फिर मैंने कामुकता में भर कर कहा- साली.. रंडी आह्ह.. इतने मस्त चूचे.. कितनों से चुदवा चुकी हो..
वो कुछ नहीं बोली और अपने थनों को चुसवाती रही और सीत्कार करती रही।
फिर मैं नीचे आया.. मैंने उसके पूरे बदन का ऊपर से नीचे तक नमकीन पसीना चाटता रहा। वो मुझे चाटते हुए बड़े ही कामुकता से देखती रही और अपने बदन को मस्ती से चटवाती रही।
फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ डाला। मेरे हाथ डालते ही उसके मुँह से ‘आआआह… आह..’ निकलने लगा। मैं अपना मुँह उसकी चूत में लगा कर बुर चाटने लगा, मन में सोचने लगा कि अपनी भाभी की रसीली चूत का सबको मज़ा लेना चाहिए।
फिर मैंने अपना 8″ लंड उनके मुँह पर रख दिया, भाभी अपने मुँह में लौड़ा पकड़ कर चूसने लगी। उसने मेरा हथियार 10 मिनट तक चूसा।
फिर मैंने भाभी से कहा- भाभी मेरा लंड रुक नहीं रहा है.. आपकी रसीली चूत में घुसना चाहता है।
उसने कहा- देवर जी.. तो वैसे किसी मुहूर्त का इन्तजार कर रहे हो.. क्या देख रहे हो.. आपका लण्ड बेकरार है तो इसे मेरी चूत मज़ा तो दीजिए।
फिर उसने रण्डियों की तरह टाँगों को फैलाया, मैंने उसकी बुर के बालों को अपने हाथ से हटाया और अपने लंड उनकी काली लटों से ढकी सांवली सलोनी चूत में ‘स्लोली.. स्लोली.. डालने लगा।
अब मैं उनकी ‘आहों’ का मज़ा लूट रहा था ‘आह… आआआई.. आआआहहह!’
मैंने लौड़े की मूवमेंट शुरू कर दी.. ‘स्लोली.. स्लोली..’ बाहर लेकर आया और ‘फास्टली’ बुर में घुसेड़ देता।
तब वो कहने लगी- देवर जी.. आआहह.. क्यआआआ बाआत है.. बड़ा रस लेकर चोद रहे हो.. ऐसे ही.. हाआआं.. ऐसे ही आआ.. हह..
मैंने कहा- भाभी आज तेरी चूत तो फाड़ ही दूँगा.. मेरी साली रंडी.. और अब इसके बाद तेरी गाण्ड की बारी है।
मैंने लौड़े को निकाल कर भाभी की गाण्ड में पूरा घुसा कर पूरी तरह से हचक कर चोदा…
भाभी ने फिर से चूत में लौड़ा लिया और धकापेल चूत चुदाई हुई। अब वो झड़ गई थी सो वो एकदम से निढाल हो गई। मैंने भी चूत का खूब बाजा बजाया और मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।
चुदाई के बाद हम दोनों चिपक कर लेटे रहे और फिर मैंने अपने कपड़े पहन लिए।
मैंने कहा- भाभी आप ब्लू फिल्म के रोल में अच्छी लगेंगी.. क्या आप रोल करेंगी?
वो मुस्कुरा दीं।
मुझे पता है वो ब्लू-फिल्म में काम करने के लिए राजी हो जाएगी, तब मैं आप सभी को उसका मजा दिला सकता हूँ।
आप सभी की ईमेल का इन्तजार रहेगा।
Rajsharma67457@gmail. Com
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Mitha dard
उस वक्त मेरी उम्र 21 की थी। मैं एक इंजीनियरिंग का छात्र हूँ। मेरी हाइट 5’9″ है और मेरा लंड 8″ का है। मैं भोपाल में रह कर अपनी पढ़ाई करता था।
मेरी गर्लफ्रेंड भी हमारे घर से कुछ ही दूर पर रहती थी.. उसका नाम सोनम है। मेरी गर्लफ्रेंड की उम्र 20 वर्ष.. हाइट 5’4″ और फिगर 30-26-30 है।
भोपाल आ जाने के बाद मेरा दिल नहीं लगता था दिल मिलने के लिए बेकरार रहता था.. पर हम दोनों के शहरों के बीच में दूरी काफ़ी थी। चाहता था कि सोनम को भी अपने पास बुला लूँ।
हम दोनों के बीच फोन से काफ़ी बात होती थीं। हम लोग हर तरह की बात करते थे। पहले वो सेक्स वाली बातें नहीं करती थी.. फिर कुछ दिन बाद हम दोनों वो सारी बातें करने लगे।
एक दिन वो बात करते-करते बहुत गर्म हो गई.. तो मैंने उससे कहा- सोनम सेक्स करने का बहुत मन कर रहा है।
उसने भी कहा- हाँ यार.. मेरा भी बहुत मन करता है।
मैंने कहा- मैं होली में घर आ रहा हूँ।
तो उसने कहा- प्रदीप जल्दी आओ.. अब मुझसे नहीं रहा जाता है।
फिर मैं एक हफ्ते बाद होली के छुट्टी में घर चला गया। मैं पहुँचते ही सबसे पहले सोनम के घर गया वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
रात को हमने अगले दिन सेक्स करने का पूरी प्लानिंग की।
मैंने उसे बताया- कल तुम कॉलेज जाने को निकलना और घर में अपनी किसी फ्रेंड के यहाँ रुकने का बहाना बना देना।
वो जब कॉलेज से निकली.. तब अपने किसी फ्रेंड से घर में कॉल लगा कर उसके यहाँ रुकने का बहाना बना दिया।
मैं भी घर में अपने एक दोस्त के बर्थडे पार्टी में जाने का बहाना बना कर रात में वहीं रुकने का बता कर निकल गया।
फिर हम लोग वहाँ से करीब 50 क़ि.मी. दूर मेन सिटी में चले गए। करीब 5 बजे शाम को हम लोग होटल पहुँचे.. एक कमरा लिया और कमरे में चले गए।
यह पहली बार था कि मैं और सोनम एक कमरे में अकेले थे इधर कोई अन्य रोक-टोक करने वाला भी नहीं था।
मैंने उसके सामने अपने कपड़े बदले.. वो शर्मा गई और खुद कपड़े चेंज करने के लिए बाथरूम में चली गई। चूंकि हम लोगों की पहले से प्लानिंग थी.. इसलिए हम लोग अपने एक्स्ट्रा कपड़े छुपा कर ले आए थे।
वो चेंज करके निकली.. तो मैं अन्दर से इतना खुश हो गया था कि आज तो इसकी सील तोड़ ही दूँगा। मैंने उसको नाइट ड्रेस में पहली बार देखा था। मेरा 8 इंच का लंड ‘टन.. टन..’ कर रहा था.. पर वो इतना लंबे सफ़र के वजह से थक चुकी थी।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। कुछ 5 मिनट तक हम लोगों ने बात की और मेरे से रहा नहीं गया तो मैं सीधे उसको ‘लिप किस’ करने लगा। इसके साथ ही मैं उसके दूध मसलने लगा।
वो अब जोश में आ गई और मेरा लंड पकड़ कर रगड़ने लगी।
यह हम लोगों के लिए पहला चुदाई का मजा वाला अवसर था।
फिर मैंने सोनम के सारे कपड़े 2 मिनट के अन्दर उतार दिए और उसके जिस्म से खेलने लगा। उसके चूत के बाल बढ़े हुए थे और उसकी चूत में रस निकल रहा था। ये देखकर मैं पागल हो रहा था।
मैंने अपना लंड हिलाया.. लंड का साइज़ देखकर सोनम डर गई, वो बोली- मेरी चूत आज फाड़ दोगे क्या.. ये तो अन्दर जाएगा ही नहीं?
मैं बोला- चूत तो क्या.. आज गाण्ड में भी घुस जाएगा।
मैं उसकी चूत का रस चूसने लगा सच में एकदम फ्रेश चूत थी।
मेरा 8 इंच का लंड घुसने के लिए उतावला हो चुका था। फिर मैं ज़्यादा देर रूका नहीं और बिना कन्डोम लगाए अपना लंड का सुपारा उसकी चूत में रखा और धीरे-धीरे पुश करने लगा.. पर लौड़ा अन्दर नहीं जा रहा था।
फिर मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो सुपाड़ा घुस गया और सोनम चिल्लाने लगी- निकालो.. निकालो..
पर मैंने अनसुना करते हुए एक और झटका दिया। इसी तरह 4 झटके में 80% लंड अन्दर चला गया और मैं उसके मम्मों को पकड़ कर चूसने लगा था।
फिर धीमी गति से 15 मिनट चुदाई की और मैंने देखा कि उसका खून निकलने लगा।
तभी वो अकड़ने लगी और झड़ गई.. फिर मेरा भी रस निकलने वाला था।
मैंने लंड बाहर निकाला और कन्डोम लगा कर एक बार फिर फुल स्पीड से पेल दिया और कुछ देर बाद मैं झड़ गया सोनम भी दुबारा झड़ गई।
अब हम लोग एक-दूसरे को पकड़ कर 20 मिनट तक यूँ ही पड़े रहे।
मैंने खाना ऑर्डर किया और 8:30 बजे डिनर करने के बाद 20 मिनट टीवी देखा.. उसके बाद मैंने फिर से सोनम को दबोच लिया और फटाफट सारे कपड़े उतार दिए। मैं उसके मम्मों को मसलने लगा.. उसकी झांटें देखकर मैं पागल हो जाता था।
सोनम को मैंने जी भर के चूसा और वो फिर चुदने के लिए तैयार हो गई।
मैंने सोचा इस बार इसकी गाण्ड मारूँगा और मैंने उसको पलट दिया और ट्राइ किया.. पर मेरा लंड मोटा होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था इसलिए मैंने सोचा कि फिर कभी गाण्ड मारूँगा.. अभी इसकी चूत ही ढीली कर देता हूँ। फिर मैंने उसे जमकर चोदना चालू किया।
वो ‘आहह.. उहह..’ करके मज़े ले रही थी और बोल रही थी- फाड़ दो.. मेरी चूत फाड़ दो.. और चोदो.. जमके चोदो.. इस तरह की आवाजें सुन कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
मैंने इसी उत्तेजना के दौर में लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। उसने भी दो बार मेरा लंड चूसा और फिर मैंने लौड़ा मुँह से निकाल कर उसकी रसीली चूत में डाल दिया।
करीब 25 मिनट चोदने के बाद मैंने अपना रस उसके मम्मों पर गिरा दिया और थोड़ी देर बाद सब साफ़ करके हम लोग नंगे ही लेट गए।
एक-दूसरे को देखते-देखते अभी रात के 11 बज चुके थे.. सोनम थकी हुई थी इसलिए वो सो गई.. पर मेरे पास सिर्फ़ रात भर का टाइम था।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं चोदने के तरीके सोच रहा था। एक बजे रात को मैंने उसके मम्मों को रगड़ना शुरू किया। वो नींद में थी मैंने उसको उठाया और बोला- सोनम मुझे फिर से चोदना है।
वो बोली- सो जाओ.. नींद आ रही है..
मैंने उसकी एक ना सुनी और उस पर चढ़ गया। मैं अपना लंड रगड़ने लगा.. वो भी तैयार हो गई और मेरा साथ देने लगी।
अब हमने ज़्यादा टाइम वेस्ट नहीं किया फिर मैंने उसकी चूत में लंड डाला और अन्दर-बाहर करने लगा।
वो ‘अया.. उहह.. और चोदो..’ इस तरह की कामुक बातें बोले जा रही थी।
मैं उसे पेले जा रहा था। मैंने धकापेल 15 मिनट चुदाई की.. फिर हम दोनों ही एक साथ झड़ गए.. और वो लस्त होकर सो गई।
फिर मैं भी सो गया..
अचानक नींद खुली तो देखा सुबह के 5 बज रहे थे।
मैं फिर से उस पर चढ़ गया और बोला- जल्दी चोदने दो.. टाइम नहीं है।
उसने भी जल्दी से टाँगें फैला दीं और मेरा साथ दिया।
करीब 20 मिनट तक मैंने कन्डोम लगा के उसे फिर पेला.. इस बार वो पहले झड़ ही चुकी थी.. लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था और फिर थोड़ी देर में सोनम थक कर चूर हो चुकी थी.. वो फिर सो ग।
फिर वो सुबह 8 बजे उठी.. बाथरूम गई उधर से आने के बाद.. मैंने फिर उसे पेला।
इस बार वो मेरे ऊपर थी.. मैं नीचे से झटके मार रहा था.. पर इस बार 10 मिनट तक ही चोद पाया। उसकी चूत पूरी तरह से फट चुकी थी।
फिर मैंने कन्डोम लगाया और उसके मम्मों को मसलने लगा और थोड़ी देर में पूजा की चूत से रस निकलने लगा। मैंने भी मौका देख कर लंड डाला और धक्के देना चालू कर दिया। मेरा 8 इंच के लण्ड से वो चुद कर बहुत कमजोर हो गई थी। उसकी चूत बहुत दर्द दे रही थी। मैंने जी भर के पेला और वो लेट गई।
हम 11 बजे दिन में निकलने वाले थे। मैंने सोचा एक बार और चोदूँगा। फिर क्या था.. 10 बजे तक एक बार और चोद डाला।
अब सोनम दर्द से चल भी नहीं पा रही थी.. लेकिन थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद हम लोग बस में बैठ कर घर आने लगे।
वहाँ से रास्ते भर वो यही कहती रही- क्या चोदा है.. तुमने मुझे.. मेरा पूरा शरीर दर्द दे रहा है। कमर और चूत बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने उसे एक दर्द निवारक गोली दी और बोला- बस में आराम से सो जाना।
हम घर पहुँच गए.. उसके बाद तो जैसे चुदाई का सिलसिला ही चल पड़ा। मैंने उसे कई बार उसके और अपने घर में भी बुला कर चोदा।
अब वो मुझसे दूर हो गई है, उसकी पिछले साल शादी हो गई।
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Javan girl 1
अब ऐसे ही एक दिन मेरी कोई कहानी पढ़ कर मुझे एक लड़की ने ईमेल भेजा। अब बहुत से लड़के कहेंगे कि हमारी भी किसी से दोस्ती करवा दो,
खैर मुद्दे पर आते हैं, लड़की ने मेल भेजा और दोस्ती करने की रिक्वेस्ट भी भेजी।
मैंने भी जवाब में मेल भेजा, उससे पूछा कि वो कौन है, कहाँ रहती है और मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहती है।
उसने जवाब दिया कि मैं आपके ही शहर में रहती हूँ, आपकी कहानी पढ़ी और मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ और कुछ बातें भी शेयर करना चाहती हूँ।
लड़की ने अपना नाम सुदीप्ति बताया, उम्र 20 साल और बी टेक की स्टूडेंट बताया।
मैंने भी उसे अपने बारे में सब सच बताया और यह भी बता दिया कि मेरी उम्र 45 साल है और मैं शादीशुदा हूँ।
खैर दोनों में ई मेल्स का आदान प्रदान होता रहा। करीब करीब 20-25 दिन हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत सारी ई मेल्स की और दोनों ने एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जान लिया।
सिर्फ वही नहीं, उसकी कुछ और फ्रेंड्स भी थी, जो मेरी कहानियाँ पढ़ती थी और नेचुरली कहानियाँ पढ़ते पढ़ते हस्तमैथुन भी करती थी, और सेक्सी कहानी पढ़ते पढ़ते हस्तमैथुन करना बड़ी आम सी बात है।
एक दिन मैंने उससे पूछा कि क्या वो मुझसे मिलना चाहेगी।
उसने जवाब दिया कि वो मिलना तो चाहती है पर उसे डर सा लगता है।मैंने उसे कहा- ऐसा करते हैं, किसी पब्लिक प्लेस में मिलते हैं।
उसने पूछा- क्या मेरे साथ मेरे कुछ फ्रेंड्स भी आ सकते हैं?
मैंने कहा- मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है, बस इतना बता दो कि वो बॉय फ्रेंड्स हैं या गर्ल फ्रेंड्स।
उसने बताया कि उनका चार लड़कियों का ग्रुप है, चारों फास्ट फ्रेंड्स हैं, तो वो चारों आएंगी।
मैंने प्रोग्राम तय करने को कहा।
प्रोग्राम यह तय हुआ कि शहर के क्लासिक होटल में सब मिल कर लंच करते हैं।
मैंने मंजूर कर लिया, उसको भी मंजूर था।
तय दिन मैं करीब एक बजे तैयार हो कर क्लासिक होटल पहुँच गया।
बरसों बाद मैं किसी लड़की के साथ डेट पे जा रहा था तो मैं अपनी पूरी तैयारी के साथ गया।
होटल में जा कर मैं एक 6 सीटर टेबल पर बैठ गया।
करीब आधे घंटे बाद सामने से चार लड़कियाँ होटल में दाखिल हुई। जब वो डाइनिंग हाल में आई, मैं सामने से उठ कर खड़ा हुआ। सुदीप्ति उनमे सबसे आगे थी, वो मेरे पास आई तो मैंने उसे हैलो कहा, मैंने सबसे हाथ मिलाया।
चारों लड़कियाँ 19-20 साल की थी, बहुत ही प्यारी प्यारी, गोरी चिट्टी, सबकी सब सुंदर और सबके नर्म नर्म बदन, जो मुझे उनके हाथ मिला कर छूने से पता चला।
हम सब बैठ गए, सुदीप्ति के साथ मैं मेल पे बात करता रहता था सो, वो मुझसे थोड़ा खुल कर बात कर रही थी, बाकी लड़कियाँ शरमाई सी चुपचाप बैठी थी।
पहले कोल्ड ड्रिंक्स आ गई, पीते पीते बातचीत शुरू हो गई।
सुदीप्ति ने पूछा- सबसे पहले यह बताइये कि आप कहानी कैसे लिखते हैं?
मैंने कहा- कहानी लिखना कोई मुश्किल काम नहीं, जैसे अगर मैं तुम्हें कहूँ कि माइ फ्रेंड का एस्से लिखो, ठीक वैसे ही।
सुदीप्ति- मगर एस्से लिखने और कहानी लिखने में तो बहुत फर्क होता है।
मैंने कहा- नहीं, ज़्यादा फर्क नहीं होता, एक आइडिया होता है, जैसे माइ फ्रेंड का एस्से लिखते वक़्त तुम अपने दिमाग में अपने दोस्त की पिक्चर बनाते हो, ठीक वैसे ही कहानी लिखते वक़्त मैं अपने दिमाग में एक फिल्म बनाता हूँ, कि कौन सा करैक्टर क्या कहेगा, क्या करेगा।
सुदीप्ति- कितने टाइम में एक कहानी लिख लेते हो?
मैंने कहा- डिपेंड करता है, अगर कोई धांसु आइडिया दिमाग में क्लिक कर गया तो मैं यहाँ बैठे बैठे भी कहानी बना सकता हूँ, अगर कोई आइडिया न क्लिक किया तो हो सकता 6 महीने में मैं एक भी कहानी न लिख पाऊँ।
सुदीप्ति- अगर मैं कहूँ कि अभी के अभी एक कहानी लिखो तो, लिख सकते हो?
मैंने कहा- हाँ, बताओ किस पर कहानी लिखूँ? तुम पर या तुम्हारी किसी फ्रेंड पर जो बोलती नहीं हैं, चुपचाप बैठी हैं।
मेरी बात सुन कर सब की सब हंस पड़ी।
सुदीप्ति- अरे पहले तो सबकी सब बोल रही थी, मैं ये पूछूंगी, मैं ये पूछूंगी, अरे अब सामने बैठे हैं, सब पूछ लो न क्यों नाटक कर रही हो?
सुदीप्ति ने कहा तो सब की सब फिर हंस पड़ी।
मैंने कहा- दरअसल बात यह है सुदीप्ति कि हम दोनों तो एक दूसरे को पहले से जानते हैं, मगर ये सब तो आज मुझे पहली बार मिली हैं, इसलिए शर्मा रही हैं, इसके लिए इन्हें खोलना पड़ेगा।
सुदीप्ति- हाँ हाँ, खोलो इनको, अरे यार वी आर जस्ट फ़्रेन्ड्ज़, दोस्त हैं, शर्माओ मत, अगर तुम ऐसे शरमाओगी तो बात कैसे बनेगी।
मैंने कहा- ऐसा करते हैं, एक एक करके सब बताओ, कि तुम में से किस किस को मेरी कौन कौन सी कहानी पसंद आई, और क्यों पसन्द आई?
सबसे पहले शिप्रा थोड़ा सा सकुचती हुई बोली- मुझे आपकी कहानी जंगल में मंगल बहुत पसंद आई!
फिर अदा बोली- मुझे जीजू से किचन में चुदवाया वाली पसंद आई।
एक एक करके सबने अपनी अपनी पसंद की कहानी बता दी।
मैंने पूछा- ओ के ठीक है, थैंक्स फॉर लाइकिंग माइ स्टोरीज़, अब एक बात यह बताओ, अगर तुमको मेरी कहानी की हीरोइन बनने का मौका मिलता तो, क्या तुम अपने आप को उस सिचुऐशन में फिट कर पाती?
मैंने कहा तो सब की सब फिर से शर्मा कर नीचे मुँह करके मुस्कुराने लगी।
मैंने फिर पूछा- चलो ये बताओ, जब तुम मेरी लिखी कहानी पढ़ती हो तो क्या करती हो” पता तो मुझे था, मगर मैंने जान बूझ कर पूछा था।
सुदीप्ति बोली- मैं बताऊँ, सब की सब उंगली से करती हैं।
उसने तो कह दिया मगर बाकी सब की सब शर्मसार हो गई।
मैंने कहा- देखो, यह एक नैचुरल प्रोसैस है, अगर तुम में सेक्सुयल फीलिंग्स आ रही हैं, तो तुम्हारी उम्र के लिहाज से ठीक है, सब की सब अब जवान हो, अगर तुम सब हाथ से हस्तमैथुन करती हो तो कोई प्रोब्लम नहीं, इस उम्र में करीब करीब सभी लोग ऐसा करते हैं, मैंने भी किया है, मगर जैसे जैसे उम्र बढ़ती चली जाती हैं, इन चीजों की ज़रूरत नहीं रहती।
तभी शिप्रा ने धीरे से पूछा- क्या आप अब भी मास्टरबेट करते हैं?
मैंने कहा- नहीं, अब ज़रूरत नहीं महसूस होती, और जब बीवी है तो फिर मास्टरबेट करने की ज़रूरत क्या है।
अदा बोली- आपने अब तक कितनी बार सेक्स किया है?
उसकी बात सुन कर सब लड़कियाँ हंस पड़ी।
सुदीप्ति- पागल ये भी कोई पूछने वाली बात है?
मैंने कहा- खैर कभी गिना तो नहीं पर फिर भी 17 साल हो गए शादी को सैकड़ों बार किया होगा, या हो सकता है हजारों बार… तुम में से कभी किसी ने किया है?
मैंने पूछा।
सबने ना में सिर हिलाया।
मैंने फिर पूछा- कभी किसी ने कोई छेड़छाड़ की हो, किसी का कोई बॉय फ्रेंड, किसी भी किस्म कोई ऐसा एक्सपीरियंस जिसमें सेक्स शामिल हो?
अदा बोली- शिप्रा का था!
मैंने पूछा- तो शिप्रा क्या हमें बताओगी, तुम्हारा बॉय फ्रेंड का तजुरबा कैसा रहा?
शिप्रा बोली- मैं उसे दिल से सच्चा प्यार करती थी, मगर वो हमेशा मुझे गलत काम के लिए उकसाता था। अक्सर मेरे साथ बदतमीजी करता, तो मैंने उससे ब्रेक अप कर लिया।
मैंने कहा- मतलब यह कि तुम में से किसी को भी सेक्स का कोई एक्सपीरियंस नहीं है, मगर जब कहानियाँ पढ़ती हो तो दिल तो करता होगा कि कोई तुम्हारा बॉय फ्रेंड हो, और जो कहानी का हीरो कर रहा है या हीरोइन कर रही है, वो सब तुम भी करके देखो?
अदा बोली- दिल तो बहुत करता है, मगर डर लगता है, कोई हमारा गलत फायदा न उठा ले, हमसे सब कुछ करके हमें छोड़ के चला जाए।
मैंने कहा- एक बात बताऊँ, जो पहले सब कुछ कर लेता है, वो इसी लिए करता है कि बाद में उसने छोड़ के भागना होता है, जिसने शादी करनी होती है, वो कभी पहले नहीं करता।
हमारी बातों के बीच ही हमने खाने का ऑर्डर दिया। खाना आया, सब खाना खा रहे थे और बातें भी कर रहे थे।
खाना खाते खाते सुदीप्ति ने कहा- एक बात और है, जो मैं आप से पूछना चाहती हूँ, आप हमारे दोस्त बने हो तो आप पर विश्वास करके पूछना चाहती हूँ।
मैंने कहा- हम सब दोस्त हैं, और मैं अपने दोस्तों की बहुत इज्ज़त करता हूँ, उन्हें प्यार करता हूँ। तुम कोई भी बात बेधड़क पूछो, हम पांचों में ही रहेगी।
सुदीप्ति बोली- दरअसल बात यह है कि हम सब पहले यह सोच रही थी कि जब आप से मिलेंगी और अगर आप से बातचीत ठीक ठाक चली तो हम आप से एक फरमाइश करेंगी, अगर आप हमारी बात मानो तो?
मैंने कहा- कहिए, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?
सुदीप्ति ने पहले अपनी फ्रेंड्स को देखा, सबने आखों आखों में एक दूसरे को कुछ इशारा किया, फिर सुदीप्ति बोली- हमने फिल्मों वगैरा में तो कई बार देखा है, मगर सचमुच में कभी नहीं देखा।
मैं उनकी बात समझ गया- मगर ऐसे कैसे मैं आप को यहाँ पे दिखा सकता हूँ, इसके लिए तो प्राइवेसी चाहिए।
सुदीप्ति ने पूछा- तो?
मैंने कहा- तो ऐसा हो सकता है कि हम इसी होटल में एक रूम ले लेते हैं, और हम सब एक साथ उस रूम में चलेंगे, अगर तुम सब को मंजूर हो तो? अंदर जा कर जो मर्ज़ी देखो।
मैंने उन्हें ऑफर दी।
सुदीप्ति बोली- कोई खतरा तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं, मेरा एक दोस्त इस होटल वाले को जानता है, अगर तुम कहो तो मैं रूम का इंतजाम कर सकता हूँ।
चारों लड़कियों ने आपस में सलाह करके हाँ कर दी।
अब तो मुझे खाना बेस्वाद लगने लगा, जिसके सामने चार चार कुँवारी लड़कियाँ, लण्ड लेने को बैठी हों, उसे दाल मखनी, शाही पनीर और चिकन कहाँ स्वाद लगेगा।
मैंने झट से अपने दोस्त को फोन लगाया, और उससे कहा- यार ऐसा कर क्लासिक होटल में आ, एक कमरा बुक करवा के दे ईमीजीएटली।
वो बेचारा भागा भागा आया और खाना खत्म होते होते मेरे पास रूम की चाबी थी।
कहानी जारी रहेगी।
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Dhobhi ghat par chudai 8
मेरा लौड़ा अब पूरी तरह से उसके थूक से भीग कर गीला हो गया था और धीरे- धीरे सिकुड़ रहा था। पर उसने अब भी मेरे लण्ड को अपने मुँह से नहीं निकाला था और धीरे-धीरे मेरे सिकुड़े हुए लण्ड को अपने मुँह में किसी चॉकलेट की तरह घुमा रही थी।
कुछ देर तक ऐसा ही करने के बाद, ज़ब मेरी सांसें भी कुछ शान्त हो गई, तब माँ ने अपना चेहरा मेरे लण्ड पर से उठा लिया और अपने मुँह में ज़मा मेरे वीर्य को अपना मुँह खोल कर दिखाया और हल्के से हंस दी।
फिर उसने मेरे सारे पानी को गटक लिया और अपनी साड़ी के पल्लु से अपने होंठों को पोंछती हुई बोली- हाय, मज़ा आ गया। सच में
कुँवारे लण्ड का पानी बड़ा स्वादिष्ट होता है। मुझे नहीं पता था कि तेरा पानी इतना मज़ेदार होगा?!!
फिर मेरे से पूछा- मज़ा आया या नहीं?
मैं क्या ज़वाब देता! ज़ोश ठण्डा हो ज़ाने के बाद मैंने अपने सिर को नीचे झुका लिया था, पर गुदगुदी और सनसनी तो अब भी कायम थी।
तभी माँ ने मेरे लटके हुए लौड़े को अपने हाथों में पकड़ा और धीरे से अपनी साड़ी के पल्लू से पोंछते हुए पूछा- बोल ना, मज़ा आया या नहीं?
मैंने शरमाते हुए ज़वाब दिया- हाँ माँ, बहुत मज़ा आया, इतना मज़ा कभी नहीं आया।
तब माँ ने पूछा- क्यों, अपने हाथ से भी करता है क्या?
‘कभी कभी माँ, पर उतना मज़ा नहीं आता था जितना आज़ आया है।’
‘औरत के हाथ से करवाने पर तो ज़्यादा मज़ा आयेगा ही, पर इस बात का ध्यान रखना कि किसी को पता ना चले।’
‘हाँ माँ, किसी को पता नहीं चलेगा।’
‘हाँ, मैं वही कह रही हूँ कि किसी को अगर पता चलेगा तो लोग क्या, क्या सोचेंगे और हम दोनों की बदनामी हो ज़ायेगी क्योंकि हमारे
समाज़ में माँ और बेटे के बीच इस तरह का सम्बन्ध सही नहीं माना ज़ाता ! समझा?’
मैंने भी अब अपनी शर्म के बन्धन को छोड़ कर ज़वाब दिया- हाँ माँ, मैं समझता हूँ। हम दोनों ने ज़ो कुछ भी किया है, उसका मैं किसी को पता नहीं चलने दूंगा।
तब माँ उठ कर खड़ी हो गई, अपनी साड़ी के पल्लू को और मेरे द्वारा मसले गये ब्लाउज को ठीक किया और मेरी ओर देख कर मुस्कुराती हुई अपनी बुर को अपनी साड़ी पर से हल्के से दबाया और साड़ी को चूत के उपर ऐसे रगड़ा ज़ैसे कि पानी पोंछ रही हो। मैं उसकी इस क्रिया को बड़े गौर से देख रहा था।
मेरे ध्यान से देखने पर वो हंसते हुए बोली- मैं ज़रा पेशाब कर के आती हूँ। तुझे भी अगर करना है तो चल, अब तो कोई शर्म नहीं है। मैंने हल्के से शरमाते हुए मुस्कुरा दिया तो बोली- क्यों, अब भी शरमा रहा है क्या?
मैंने इस पर कुछ नहीं कहा और चुपचाप उठ कर खड़ा हो गया।
वो आगे चल दी और मैं उसके पीछे पीछे चल दिया। झाड़ियों तक के दस कदम की यह दूरी मैंने माँ के पीछे पीछे चलते हुए उसके
गोल मटोल गदराये हुए चूतड़ों पर नज़रें गड़ाये हुए तय की। उसके चलने का अंदाज़ इतना मदहोश कर देने वाला था।
आज़ मेरे देखने का अंदाज़ भी बदला हुआ था, शायद इसलिये मुझे उसके चलने का अंदाज़ गज़ब का लग रहा था। चलते वक्त उसके दोनों चूतड़ बड़े नशीले अंदाज़ में हिल रहे थे और उसकी साड़ी उसके दोनों चूतड़ों के बीच में फंस गई थी, ज़िसको उसने अपने हाथ पीछे
ले ज़ा कर निकाला।
ज़ब हम झाड़ियों के पास पहुँच गये तो माँ ने एक बार पीछे मुड़ कर मेरी ओर देखा और मुस्कुराई। फिर झाड़ियों के पीछे पहुँच कर बिना कुछ बोले अपनी साड़ी उठा कर मूतने बैठ गई। उसकी दोनों गोरी गोरी ज़ांघें ऊपर तक नंगी हो चुकी थी और उसने शायद अपनी साड़ी को थोड़ा जानबूझ कर पीछे से ऊपर उठाया था जिसके कारण उसके दोनों चूतड़ भी नुमाया हो रहे थे।
यह नजारा देख कर मेरा लण्ड फिर से फुफकारने लगा।
उसके गोरे-गोरे चूतड़ बड़े कमाल के लग रहे थे।
माँ ने अपने चूतड़ों को थोड़ा-सा उचकाया हुआ था जिसके कारण उसकी गाण्ड की खाई भी दिख रही थी। हल्के भूरे रंग की गाण्ड की खाई देख कर दिल तो यही कर रहा था कि पास ज़ाकर उस गाण्ड की खाई में धीरे धीरे उंगली चलाऊँ और गाण्ड के भूरे रंग के छेद को अपनी उंगली से छेड़ कर देखूँ कि कैसे पकपकाता है।
तभी माँ पेशाब करके उठ खड़ी हुई और मेरी तरफ घूम गई। उसने अभी तक साड़ी को अपनी जांघों तक उठा रखा था। मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए उसने अपनी साड़ी को छोड़ दिया और नीचे गिरने दिया, फिर एक हाथ को अपनी चूत पर साड़ी के ऊपर ले ज़ा कर रगड़ने लगी ज़ैसे कि पेशाब पोंछ रही हो! और बोली- चल तू भी पेशाब कर ले, खड़ा खड़ा मुँह क्या ताक रहा है?
मैं ज़ो कि अभी तक इस सुंदर नज़ारे में खोया हुआ था, थोड़ा सा चौंक गया, फिर हकलाते हुए बोला- हाँ हाँ अभी करता हूँ!
मैंने सोचा- पहले तुम कर लो इसलिये रुका था।
फिर मैंने अपने पज़ामे के नाड़े को खोला और सीधे खड़े खड़े ही मूतने की कोशिश करने लगा।
मेरा लण्ड तो फिर से खड़ा हो चुका था और खड़े लण्ड से पेशाब ही नहीं निकल रहा था।
मैंने अपनी गाण्ड तक का ज़ोर लगा दिया पेशाब करने के चक्कर में।
माँ वहीं बगल में खड़ी होकर मुझे देखे ज़ा रही थी। मेरे खड़े लण्ड को देख कर वो हंसते हुए बोली- चल ज़ल्दी से कर ले पेशाब, देर हो रही है, घर भी ज़ाना है।
मैं क्या बोलता! पेशाब तो निकल नहीं रहा था।
तभी माँ ने आगे बढ़ कर मेरे लण्ड को अपने हाथों में पकड़ लिया और बोली- फिर से खड़ा कर लिया, अब पेशाब कैसे उतरेगा?
कह कर लण्ड को हल्के हल्के सहलाने लगी।
अब तो लण्ड और भी सख्त हो गया, पर मेरे ज़ोर लगाने पर पेशाब की एक आध बूंद नीचे गिर गई।
मैंने माँ से कहा- अरे, तुम छोड़ो ना इसको, तुम्हारे पकड़ने से तो यह और खड़ा हो जाएगा। हाय छोड़ो!
और माँ का हाथ अपने लण्ड पर से झटकने की कोशिश करने लगा।
इस पर माँ ने हसते हुए कहा- मैं तो छोड़ देती हूँ! पर पहले यह तो बता कि खड़ा क्यों किया था? अभी दो मिनट पहले ही तो तेरा पानी निकाला था मैंने, और तूने फिर से खड़ा कर लिया। कमाल का लड़का है तू तो।
मैं खुछ नहीं बोला, अब लण्ड थोड़ा ढीला पड़ गया था और मैंने पेशाब कर लिया। मूतने के बाद ज़ल्दी से पज़ामे के नाड़े को बांध कर मैं माँ के साथ झाड़ियों के पीछे से निकल आया।
माँ के चेहरे पर अब भी मंद मंद मुस्कान दिख रही थी।
मैं ज़ल्दी-ज़ल्दी चलते हुए आगे बढ़ा और कपड़े के गट्ठर को उठा कर अपने सिर पर रख लिया।
माँ ने भी एक गट्ठर को उठा लिया और अब हम दोनों माँ बेटे ज़ल्दी ज़ल्दी गाँव के पगडंडी वाले रास्ते पर चलने लगे।
गर्मी के दिन थे, अभी भी सूरज चमक रहा था, थोड़ी दूर चलने के बाद ही मेरे माथे से पसीना छलकने लगा। मैं ज़ानबूझ कर माँ
के पीछे पीछे चल रह था ताकि माँ के मटकते हुए चूतड़ों का आनन्द लूट सकूँ, और मटकते हुए चूतड़ों के पीछे चलने का एक अपना ही आनन्द है।
आप सोचते रहते हो कि कैसे दिखते होंगे ये चूतड़ बिना कपड़ों के? या फिर आपका दिल करता है कि आप चुपके से पीछे से ज़ाओ और उन चूतड़ों को अपनी हथेलियों में दबा लो और हल्के मसलो और सहलाओ। फिर हल्के से उन चूतड़ों के बीच की खाई यानि कि गाण्ड के
गड्ढे पर अपना लण्ड सीधा खड़ा कर के सटा दो और हल्के से रगड़ते हुए प्यारी सी गर्दन पर चुम्मियाँ लो।
यह सोच आपको इतना उत्तेज़ित कर देती है, ज़ितना शायद अगर आपको सही में चूतड़ मिले भी अगर मसलने और सहलाने को तो शायद उतना उत्तेज़ित ना कर पाये।
चलो बहुत बकवास हो गई, आगे की कहानी लिखते हैं।
तो मैं अपना लण्ड पज़ामे में खड़ा किये हुए अपनी लालची नज़रों को माँ के चूतड़ों पर टिकाए हुए चल रहा था। माँ ने मुठ मार कर मेरा पानी तो निकाल ही दिया था, इस कारण अब उतनी बेचैनी नहीं थी, बल्कि एक मीठी मीठी सी कसक उठ रही थी और दिमाग बस एक ही ज़गह पर अटका पड़ा था।
तभी माँ पीछे मुड़ कर देखते हुए बोली- क्यों रे, पीछे-पीछे क्यों चल रहा है? हर रोज़ तो तू घोड़े की तरह आगे आगे भगता फिरता था? मैंने शर्मिन्दगी में अपने सिर को नीचे झुका लिया।
हालांकि अब शर्म आने ज़ैसी कोई बात तो थी नहीं, सब-कुछ खुल्लम खुल्ला हो चुका था, मगर फिर भी मेरे दिल में अब भी थोड़ी बहुत हिचक तो बाकी थी ही।
माँ ने फिर कुरेदते हुए पूछा- क्यों, क्या बात है, थक गया है क्या?
मैंने कहा- नहीं माँ, ऐसी कोई बात तो है नहीं, बस ऐसे ही पीछे चल रहा हूँ।
तभी माँ ने अपनी चाल धीमी कर दी और अब वो मेरे साथ साथ चल रही थी, मेरी ओर अपनी तिरछी नज़रों से देखते हुए बोली- मैं भी अब तेरे को थोड़ा बहुत समझने लगी हूँ। तू कहाँ अपनी नज़रें गड़ाये हुए है, यह मेरी समझ में आ रहा है। पर अब साथ-साथ चल, मेरे पीछे पीछे मत चल क्योंकि गाँव नज़दीक आ गया है, कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा?
कह कर मुस्कुराने लगी।
मैंने भी समझदार बच्चे की तरह अपना सिर हिला दिया और साथ साथ चलने लगा।
माँ धीरे से फुसफुसाते हुए कहने लगी- घर चल, तेरा बापू तो आज़ घर पर है नहीं, फिर आराम से ज़ो भी देखना है, देखते रहना।
मैंने हल्के से विरोध किया- क्या माँ, मैं कहाँ कुछ देख रहा था? तुम तो ऐसे ही बस तभी से मेरे पीछे पड़ी हो।
इस पर माँ बोली- लल्लू, मैं पीछे पड़ी हूँ या तू पीछे पड़ा है? इसका फैसला तो घर चल के कर लेना।
फिर सिर पर रखे कपड़ों के गट्ठर को एक हाथ उठा कर सीधा किया तो उसकी कांख दिखने लगी। ब्लाउज उसने आधी बांह का पहन रखा था। गर्मी के कारण उसकी कांख में पसीना आ गया था और पसीने से भीगी उसकी कांखें देखने में बड़ी मदमस्त लग रही थी।
मेरा मन उन कांखों को चूम लेने का करने लगा था।
एक हाथ को ऊपर रखने से उसकी साड़ी भी उसकी चूचियों पर से थोड़ी सी हट गई थी और थोड़ा बहुत उसका गोरा गोरा पेट भी दिख रहा था इसलिये चलने की यह स्थिति भी मेरे लिए बहुत अच्छी थी और मैं आराम से वासना में डूबा हुआ अपनी माँ के साथ चलने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
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Javan girl2
अब तो मुझे खाना बेस्वाद लगने लगा, जिसके सामने चार चार कुँवारी लड़कियाँ, लण्ड लेने को बैठी हों, उसे दाल मखनी, शाही पनीर और चिकन कहाँ स्वाद लगेगा।
मैंने झट से अपने दोस्त को फोन लगाया, और उससे कहा- यार ऐसा कर क्लासिक होटल में आ, एक कमरा बुक करवा के दे तुरन्त।
वो बेचारा भागा भागा आया और खाना खत्म होते होते मेरे पास रूम की चाबी थी।
मैंने पूछा- गर्ल्स, तो चलें रूम में?
सब की सब शर्मा गई, मैंने कहा- देखो, यह सिर्फ आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए है, यह समझो आपकी सेक्स एजुकेशन की क्लास है। डरना नहीं, घबराना नहीं, अगर नहीं दिल करता तो मत जाओ।
मगर किसी ने इंकार नहीं किया।
मैं आगे चल पड़ा और वो सब मेरे थोड़ा पीछे आ रही थी।
मैंने कमरा खोला, मेरे पीछे वो सब भी अंदर आ गई, मैंने कमरे की कुंडी लगा ली और जाकर बेड पर बैठ गया।
चारों लड़कियाँ भी मेरे सामने ही बेड पर बैठ गई, मैंने कहा- हाँ तो अब सबसे पहले ये कि तुम सब अपनी अपनी शर्म छोड़ो। जो मैं कहता हूँ, मेरे पीछे तुम सब भी कहो, बोलो, ‘लण्ड’।
मैंने कहा तो सब की सब हंसने लगी मगर सब की सब धीरे से बोली- ‘लण्ड’
मैंने कहा- यार मुझे तो सुना नहीं, दोबारा कहो!
सबने फिर ‘लण्ड’ कहा मगर इस बार सब ने थोड़ा ऊंचा और साफ कहा।
‘अब बोलो, चूत मैंने कहा।
सबने कहा- ‘चूत’
‘गाण्ड’
‘गांड’
‘चुदाई’
‘चुदाई’
‘मेरी चूत मारो’
सब हंस पड़ी- मेरी चूत मारो!
‘मुझे लण्ड चाहिए’
‘मुझे लण्ड चाहिए’
हम सब हंस पड़े।
मैंने कहा- देखो अब ऐसा है कि अगर आपको मेरा लण्ड देखना है, देखना क्या है यार, तुम्हारी चीज़ है, अपने हाथ में लेकर देखना, मुँह में लेकर चूसना, मगर उसके लिए आपको फीस देनी होगी।
मैंने अपनी शर्त सामने रखी।
‘क्या फीस देनी होगी?’ अदा ने पूछा।
मैंने कहा- देखो अगर मैं तुम्हें कुछ दिखाऊँगा, तो तुम्हारा भी कुछ देखूँगा, इट्स फेयर, यू नो, गिव एंड टेक, किसी को कोई ऐतराज? मैंने देखा कि सब की सब शर्मा ज़रूर रही थी मगर न किसी ने भी नहीं की।
‘तो फिर इट्स आ डील, चलो बताओ सबसे पहले कौन क्या देखना और दिखाना चाहती है?’ मैंने कहा।
अदा बोली- हमें तो बस वो देखना है।
मैंने कहा- वो का कुछ नाम भी होता है।
पहली बार साक्षी बोली- लण्ड देखना है।
मैंने कहा- इतनी दूर क्यों हों मेरे पास आओ!
वो बेड पे उठ कर मेरे पास आई, मैंने पूछा- साक्षी, क्या तुम्हें अपना लण्ड दिखलाने के बदले मैंने तुम्हरी टीशर्ट और ब्रा के अंदर हाथ डाल कर तुम्हारे बूब्स के साथ खेल सकता हूँ।
मेरी बात सुन कर उसने सुदीप्ति की ओर देखा, उसने इशारा कर दिया, तो साक्षी बोली- हाँ!
मैंने कहा- सब लड़कियाँ पास आ जाओ!
जब सब मेरे बिल्कुल आस पास आ गई, तो मैंने पहले अपनी पैंट खोली और फिर अंडर वियर के ऊपर से हाथ में पकड़ के हिला के दिखा दिया- देखो, इसे कहते हैं लण्ड!
सब की सब बोल पड़ी- यह तो चीटिंग है, बाहर निकाल के दिखाओ।
मैंने कहा- अच्छा!
और मैंने अपना अंडर वियर भी घुटनों तक उतार दिया।
उस वक़्त तक मेरा लण्ड पूरी तरह से अकड़ा नहीं थी।
शिप्रा पहली लड़की थी जिसने मेरा लण्ड अपना हाथ में पकड़ा और बोली- यह तो ढीला सा है, सख्त नहीं है।
मैंने कहा- अब तुमने छू लिया है तो अब अकड़ जाएगा।
शिप्रा को देखा कर सुदीप्ति और अदा ने भी बारी बारी से मेरे लण्ड को अपने हाथों में पकड़ के देखा और इतने प्यारे प्यारे नर्म नर्म हाथों का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड तो पत्थर की तरह सख्त हो गया।
अब जब लण्ड तन गया तो मैं अपनी पैंट और अंडरवियर बिल्कुल उतार दिया और अपने दोनों हाथ बड़े आराम से साक्षी के दोनों बूब्स पकड़ लिए।
वाह क्या नज़ारा था… कितने कोमल और प्यारे बूब्स थे।
साक्षी क्या, उसके बाद तो मैंने सुदीप्ति, अदा और के भी बूब्स दबा कर देखे। किसी लड़की ने कोई विरोध नहीं किया। वो सब तो लण्ड से खेलने में लगी थी और मैं वैसे पागल हुआ पड़ा था, किसी के चूतड़ सहला रहा था, किसी की जांघों पे हाथ फेर रहा था, किसी की पीठ पे, किसी के पेट पर… मगर मेरा दिल नहीं भर रहा था।
मैंने कहा- देखो भाई, मेरे पास एक ही चीज़ थी वो मैंने तुम सब को दिखा दी है, अब तुम सब अपनी अपनी कीमती चीज़ें मुझे दिखाओ।
मैंने कहा तो अदा बोली- अच्छा जी, आप तो बहुत चालाक हो।
मैंने कहा- इसमें चालाकी की बात नहीं, अगर नहीं दिल करता तो कोई ज़बरदस्ती नहीं, मगर फिर भी मेरा इतना तो हक़ बनता है। साक्षी जो मेरी गोद में ही बैठी थी और जिसके ब्रा में हाथ डाल कर मैं उसके बूब्स दबा रहा था, मैंने उसकी टी शर्ट ऊपर उठानी शुरू की और पहले टी शर्ट और फिर बाद में मैंने उसका ब्रा भी उतार दिया।
ब्रा में से दो कच्चे आमों जैसे दो बड़े ही प्यारे और गोल बूब्स निकले, मैंने उसके निप्पल को मुँह में लिया और चूसा, तो साक्षी के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली।
उसकी सिसकारी सुन कर सब के कान खड़े हो गए।
मैंने सुदीप्ति को अपनी तरफ खींचा और उसकी टी शर्ट भी ऊपर को उठाई, जिसे उसने खुद ही ब्रा के साथ ही उतार दिया। अब मेरे दोनों तरफ दो नाज़ुक कलियाँ अपने नाज़ुक फूलों जैसे बूब्स ले कर बैठी थी।
मैंने बारी बारी से दोनों के बूब्स चूसे।
अब तो मेरा लालच बढ़ता ही जा रहा था, मैंने बाकी दोनों लड़कियों के भी अपनी अपनी टी शर्ट्स उतारने को कहा।
उन्होंने सिर्फ टी शर्ट्स उतारी मगर ब्रा पहने रखी।
मैं तो ऐसे महसूस कर रहा था जैसे कोई बादशाह हूँ या कोई शेख़ जिसके चारों तरफ नंगी लड़कियाँ बैठी थी, उसका दिल बहलाने के लिए।
उसके बाद मैंने अपनी शर्ट और बानियान भी उतार दी और बिल्कुल नंगा हो गया। मैंने उनको बड़ी अच्छी तरह से अपना लण्ड और अपने आँड दिखाये और इनकी उपयोगिता भी बताई।
उसके बाद मैंने बारी बारी से चारों लड़कियों के बूब्स अपने मुँह के लेकर चूसे और जिन दो लड़कियों ने ब्रा पहन रखी थी, उनकी ब्रा भी उतरवा दी।
मेरे सामने 8 खूबसूरत, नर्म कच्ची कैरी जैसे बूब्स थे, मैंने 8 के 8 निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसे।
उसके बाद मैंने साक्षी को उसकी स्लेक्स उतारने को कहा। स्लेक्स उतारने से साक्षी बिल्कुल नंगी हो गई, क्योंकि उसने नीचे से कोई पेंटी नहीं पहन रखी थी।
साक्षी के बाद, मैंने अपने हाथों से सुदीप्ति को नंगी किया, और मेरा इशारा पा कर अदा और शिप्रा ने भी अपनी अपनी जींस उतार दी और मैंने उनकी छोटी छोटी पेंटीस भी उतार दी।
जब हम पांचों जन बिल्कुल नंगे हो गए तो मैंने पूछा- अब ये बताओ, कौन सबसे पहले मेरा लण्ड अपनी चूत में लेना चाहेगी?
सब ने एक दूसरे की तरफ देखा, मगर चारों लड़कियाँ कोई फैसला न कर पाई के कौन सबसे पहले हाँ करे।
साक्षी बिल्कुल मेरे पास बैठी थी और सबसे से मासूम भी वो ही थी, सो मैंने उसे ही अपनी गोद में उठा लिया- चलो साक्षी से ही शुरुआत करते हैं।
मगर वो एकदम से उछल पड़ी- नहीं नहीं, मैं नहीं, मुझे डर लगता है।
मैंने कहा- तो चलो कुछ और करते हैं।
मैं बेड के बीच में लेट गया और साक्षी से बोला- साक्षी तुम आओ और आकर मेरे मुँह पर बैठ जाओ, इतना तो कर सकती हो न।
उसने हाँ में अपना सर हिलाया और आकर मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी। एक बहुत ही खूबसूरत, गोरी गुलाबी, पेंसिल से खींची एक लकीर जैसी चूत जिस पर हल्के हल्के रेशमी बाल थे, मेरी आँखों के ठीक ऊपर थी।
मैंने उसकी चूत अपने मुँह पर सेट की और उसकी चूत के दोनों होंठ अपने होंठो में ले लिए, मेरे मुँह में उसकी कुँवारी चूत से छुट रहे पानी का स्वाद आया।
और जब मैंने उसकी चूत की दरार में जीभ फेरी तो उसे बहुत सी गुदगुदी हुई, वो हंस पड़ी और ऊपर को उठी, मगर मैंने उसे फिर से नीचे को धकेल कर अपने मुँह पर बैठाया, और फिर से उसकी चूत चाटने लगा।
उसके लिए यह पहला अनुभव था सो जब भी उसे गुदगुदी होती वो अपनी छोटी सी कमर ऊपर उठा लेती।
बाकी की लड़कियों ने उससे पूछा- क्या हो रहा है?
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है, तुम भी चटवा के देखो।
फिर सुदीप्ति ने उसे उठा दिया और खुद आ कर मेरे मुँह पर बैठ गई, मेरी तो लाटरी लग गई थी, मुझे दूसरी कुँवारी चूत चाटने को मिल रही थी।
दो मिनट चूत चटवाने के बाद सुदीप्ति मेरे ऊपर ही लेट गई, मैंने अपना तना हुआ लण्ड उसके मुँह से लगा दिया और उसने बिना कोई वहम किए मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
अब तो मुझे और भी मज़ा आने लगा।
सुदीप्ति की देखा देखी, बाकी की लड़कियों ने भी बारी बारी से मेरा लण्ड चूसा। एक मुँह से निकालती तो दूसरी चूसने लगती। नर्म नर्म हाथों में पकड़ कर वो अपने कोमल कोमल होंठों से मेरे लण्ड को चूस रही थी।
एक एक करके चारों लड़कियाँ खुद आप आ कर मेरे मुँह पर बैठती रही और मैं उनकी कुँवारी चूतें चाटता रहा।
चूत तो क्या मैं तो उनके गाँड के छेद तक चाट गया। अब मैं तो तजुर्बेकार था, वो सब की सब अंजान तो मैंने अपने तजुर्बे का फायदा उठाया और एक एक करके सिर्फ चाट चाट कर ही दो लड़कियों का पानी छुड़वा दिया।
मगर जो कुछ वो मेरे लण्ड के साथ कर रही थी, वो भी बहुत जोरदार था। उनको तो जैसे खेलने के लिए अजब सा खिलौना मिल गया हो, एक ऐसा खिलौना जिसे वो खा भी सकती थी।
तो जब मैं शिप्रा की चूत चाट रहा था, उसी वक़्त मैं खुद को रोक नहीं सका और मेरे लण्ड से वीर्य के फुव्वारे छूट गए।
सभी लड़कियाँ- ईई छिः छिः करती दूर हो गई।
मगर मैंने उन्हें समझाया कि यही वो वीर्य है जिससे तुम सब एक दिन प्रेग्नंट होगी, इसी में लड़का लड़की है, जो तुम्हारे पेट में जाकर एक दिन जन्म लेगा, घबराओ मत, इसे छूकर देखो।
मगर किसी ने नहीं छुआ।
मैं उठा और बाथरूम में जा कर धोकर फिर से वापिस आ गया।
अब जिन दो लड़कियों का पानी नहीं छूटा था, शिप्रा और अदा।
मेरे बेड पे लेटते ही अदा ने लाकर अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दी। मैं फिर से चूत चाटने लगा। बेशक मेरा लण्ड वीर्यपात के बाद ढीला पड़ गया था, मगर लड़कियों ने खेल खेल के फिर से उसे कड़क बना दिया।
मैंने अदा से कहा- अदा ट्राई तो करके देख, अगर मेरा लण्ड तुम अपनी चूत में ले सको।
उसने अपनी चूत मेरे मुँह से हटाई और मेरे तने हुये लण्ड पे रख दी। उसकी गुलाबी चूत मेरे काले से लण्ड को निगल जाने को तैयार थी, मगर जब थोड़ा सा लण्ड अदा की चूत में घुसा तो उसकी मुँह से दर्द की आह निकल गई।
मेरे कहने पर उसने 1-2 बार और कोशिश की, मगर मेरा लण्ड उसकी चूत में न घुस सका।
उसको देख कर और किसी ने भी लण्ड अपनी चूत में लेने की कोशिश नहीं की।
2 मिनट की चटाई से अदा भी स्खलित हो गई, और उसके बाद मैंने सिर्फ 3 मिनट में शिप्रा को भी स्खलित कर दिया।
शिप्रा की चूत तो मैंने खड़े होकर चाटी। मैं अपने पैरों पे खड़ा था, और मैंने शिप्रा को घूमा कर उल्टा लटका रखा था। उसकी टाँगें ऊपर छत्त की तरफ थी और वो उल्टा लटकी मेरा लण्ड चूस रही थी, जिसे बारी बारी और लड़कियाँ भी चूम चाट रही थी।
जब शिप्रा भी झड़ गई तो मैंने कहा- लो भाई लड़कियो, मैंने तुम सब का कर दिया। अब मेरा रह गया, मेरा भी पानी निकलवा दो।
तो अदा बोली- आपका भी तो हो गया।
मैंने कहा- अभी तो तना पड़ा है, इसको तो छुड़वाओ।
तो सभी लड़कियों ने मेरा लण्ड पकड़ा और मेरे मुट्ठ मारने लगी और मैं मज़े लेने के लिए, उनके कुँवारे बदनों से खेलता रहा।
2-3 मिनट की मुट्ठबाजी से मेरा फिर से वीर्यपात हो गया।
मगर इस बार जब छूटा तो चारों लड़कियों ने मेरा लण्ड मजबूती से पकड़ रखा था। मेरे लण्ड से निकल कर वीर्य उन सबके हाथ के ऊपर से बह निकला।
सब की सब हंस पड़ी।
हम सब एक साथ बाथरूम गए और खुद लड़कियों ने मेरा लण्ड धोया, अपने हाथ धोये। बाहर आकर मैं फिर से बेड पे लेट गया।
अदा मेरे लेफ्ट साईड लेट गई, शिप्रा राइट साईड लेट गई। सुदीप्ति और साक्षी को मैंने अपने ऊपर लेटा लिया। कितनी देर हम वैसे ही लेटे आपस में बातें करते रहे।
मैंने उस चारों लड़कियों को खूब चूमा, चाटा और चूसा क्योंकि मैं जानता था के यह मौका मेरी ज़िंदगी में दोबारा नहीं आने वाला।
आपने यह कहानी पढ़ी, आप सोच रहे होंगे कि यह तो सब झूठ है, काल्पनिक है।
हाँ, यह सब काल्पनिक है, तो इसमें सच्चाई क्या है?
सच्चाई यह है, कि ये चारों लड़कियाँ सच में मेरी दोस्त हैं, मेरी कहनी पढ़ कर मुझसे मिली, हमने साथ में लंच किया, मैंने उनसे बात की, कि वो सब मुझसे बहुत छोटी हैं, इस लिए उनसे बातें वातें तो मैं कर सकता हूँ, मगर उनसे सेक्स नहीं कर सकता।
वो भी मान गई।
मैंने उनसे कहा कि उनको अपनी उम्र के लड़के से दोस्ती करके सेक्स करना चाहिए।
उसके बाद हम आज तक एक दूसरे से फोन पे जुड़े हैं। जो कुछ ऊपर कहानी में आपने पढ़ा है, वो सब कुछ मैंने उनसे फोन पर किया है अब तो वो भी खुल कर बात करती हैं।
यह फायदा होता है कहानी लिखने का।
आप भी लिखो, क्या पता आपको सच की कोई दोस्त मिल जाये।
Rajsharma67457@gmail. Com
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Kuaari teacher ki chud
दोस्तों में जिस मकान में किराए पर रहता हूँ.. वहां पर एक खूबसूरत लड़की कुछ बच्चो को ट्यूशन पड़ाने आती है. जिसका नाम कामिनी है और उसकी उम्र 19 साल है और उसका फिगर ऐसा है कि कोई भी देखे तो उसकी चूत लेने को तैयार हो जाए. उसके फिगर का साईज 32 -27 -34 है और उसका कलर दूध की तरह सफेद है.. वो एक सीधी साधी और घरेलू लड़की है और बीटेक के दूसरे साल में पड़ती है.
दोस्तों जब से वो ट्यूशन पड़ाने आने लगी है तब से ही उसे पहली नज़र में चोदने की सोचने लगा था.. क्योंकि वो जैसे ही घर पर आती तो मेरा लंड तोप की तरह एकदम तनकर खड़ा हो जाता और में उसे बड़ी ही मुश्किल से शांत करता और बाद में रात को उसके नाम की मुठ मारता था. दोस्तों में कभी-कभी उसे स्माईल भी पास किया करता था और वो भी मेरी तरफ हल्का सा मुस्कुरा देती थी लेकिन कभी भी हमारी बात नहीं हो पाती थी. फिर एक दिन वो थोड़ा लेट हो गई तो में दूसरे बच्चो को पड़ाने लगा और फिर अचानक मैंने देखा कि वो मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई तो में एकदम से उठ खड़ा हुआ और वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी तो मैंने उससे पूछा कि आज आप लेट क्यों हो गई तो वो कहने लगी कि में घर के किसी काम की वजह से थोड़ा लेट हो गई तो में बच्चो से उनका होमवर्क सुनने लगा तो वो बोली कि आपने यह एकदम ठीक किया.. यह बच्चे बहुत शैतान है और कभी भी अपना होमवर्क समय पर नहीं करते और फिर वो मुझे एक स्वीट स्माईल देने लगी.
दोस्तों में तो खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था और उस दिन से मेरी उसके प्रति काम वासना और भी तेज हो गई और में उसे चोदने का प्लान बनाने लगा और एक अच्छा मौका तलाशने लगा. मेरे पास मेरा एक लेपटॉप और इंटरनेट की डिवाईस भी थी.. जिस पर में अपने ऑफिस का काम करता था और वो मुझे काम करते हुए देखा करती थी. फिर एक दिन में अपने कमरे में कंप्यूटर पर काम कर रहा था और फिर छुट्टी के बाद कुछ बच्चे मेरे पास आकर बोले कि अंकल प्लीज हमे अपनी मुंबई वाली फोटो दिखाओ और जब में फोटो दिखाने लगा तो वो बच्चे कामिनी को भी फोटो दिखाने के लिए खींचकर मेरे कमरे में ले आए. फिर वो भी मेरे पीछे खड़ी होकर फोटो देखने लगी और कुछ देर के बाद मैंने उससे पूछा कि फोटो कैसी लगी तो वो बोली कि बहुत अच्छी हैं और दोस्तों उस दिन मुझे बहुत अच्छा लगा.. क्योंकि उस दिन मैंने उसके बदन की खुशबू को बहुत नज़दीक से महसूस किया.
आख़िर वो दिन आ ही गया.. जिस दिन का मुझे बहुत दिनों से बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था. उस दिन ट्यूशन वाले बच्चे अपने मम्मी, पापा के साथ अपने किसी रिश्तेदार के घर पर दावत में चले गए और मुझसे कह गए कि वो लोग शाम को देर से आएगे और मेडम से कहना कि बच्चे कल पड़ लेंगे तो यह बात सुनकर मेरी तो जैसे लॉटरी ही निकल पड़ी और मैंने कहा कि ठीक है. फिर मैंने प्लान बनाया कि कैसे कामिनी को आज चोदा जाए.. तो में अपने घर के पास वाले मेडिकल स्टोर पर गया और नींद की दो गोलियाँ ले आया और एक फ्रूटी की बोटल भी ले आया. फिर में भूखे शेर की तरह अपने शिकार का इंतज़ार करने लगा और अपना लेपटॉप खोलकर काम करने लगा और उसके साथ में मैंने एक नंगी फोटो वाली साईट भी खोल रखी थी. फिर शाम को ठीक 4 बजे दरवाजा खटका और मैंने जब दरवाजे की तरफ देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए.. आज कामिनी सफेद कलर का टॉप और काली कलर की इलास्टिक वाला पाज़ामा पहने हुई थी और वो इस ड्रेस में बहूत खूबसूरत लग रही थी तो उसे देखते ही मेरे बरमूडे में हलचल सी होने लगी और मैंने बड़ी ही मुश्किल से उसे शांत किया.
फिर वो अंदर आई और बच्चो के घर का दरवाजा लॉक होने की वजह से मुझसे पूछा कि ये लोग कहाँ पर गए है तो मैंने उसे बताया कि वो लोग बाहर गए हुए है और आज रात तक आ जाएगे तो वो बोली कि ठीक है. फिर उसने पूछा कि क्या में आपका इंटरनेट काम में ले सकती हूँ.. मुझे कुछ चेक करना था तो मैंने कहा कि हाँ क्यों नहीं और में जल्दबाज़ी में नंगी फोटो वाला पेज बंद करना भूल गया और मैंने उससे कहा कि आप बैठो में आपके लिए फ्रूटी लेकर आता हूँ. फिर वो बोली कि नहीं में बस मैल चेक करके जा रही हूँ लेकिन मैंने उसे एक मिनट रुकने को कहा और झट से फ्रूटी को दो ग्लास में डाला और उसके ग्लास में दो गोली नींद की भी डालकर हिला दी और इस दौरान मैंने अपने कमरे की खिड़की से देखा कि उसने नंगी फोटो वाले पेज खोल लिया था और उसे देख रही थी. फिर मैंने सोचा कि इसको यहीं पर खड़ा होकर देखता हूँ कि यह अब आगे क्या करती है तो में दो मिनट वहीं पर खड़ा होकर देखता रहा और मैंने देखा कि उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था और रोंगटे खड़े हो गए थे और वो अपने होंठ ऐसे चला रही थी.. जैसे मुहं का सारा थूक सूक गया हो. फिर में एक आवाज़ के साथ वहाँ पर पहुंचा तो उसने झट से पेज डाउन कर दिया और अपने मेल चेक करने लगी तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा चेहरा इतना लाल क्यों हो रहा है तो वो बोली कि कुछ नहीं बस ऐसे ही और फिर वो बोली कि अब में चलती हूँ.. मैंने अपने मेल चेक कर लिए है.
फिर मैंने उससे कहा कि यह फ्रूटी तो पीकर जाओ तो वो बोली कि नहीं बस धन्यवाद.. फिर मैंने कहा कि अगर आप नहीं पियोगी तो यह खराब हो जाएगी तो वो मान गई और जल्दी से एक बार में ही फ्रूटी का पूरा का पूरा ग्लास पी गई. फिर में उसे अपनी बातों में लगाने के लिए पूछने लगा कि तुम कहाँ पड़ती हो और क्या पढ़ाई करती हो? तो वो मुझे सब कुछ बताने लगी और फिर मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे घर में कितने सदस्य है और वो क्या करते.. इन्ही बातों को पूछते हुए मैंने उसे 15 मिनट तक व्यस्त रखा और फिर कुछ देर बाद मैंने देखा कि गोलियों ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था.. उसके पूरे चहरे पर पसीना आने लगा और फिर वो मुझसे बोली कि मुझे बहुत अज़ीब सा लग रहा है और चक्कर भी आ रहे है और अब में अपने घर पर चलती हूँ तो मैंने उससे कहा कि अगर तुम्हारी ज़्यादा तबियत खराब है तो थोड़ी देर यहीं पर रुक जाओ और आराम कर लो तो वो बोली कि नहीं में चली जाउंगी और यह सब देखकर मुझे मेरा प्लान खराब होता हुआ दिखा और वो उठकर खड़ी हो गई और दरवाजे की तरफ जाने लगी.
तभी अचानक से वो रुकी और पास पड़ी चारपाई पर बैठ गई और बोली कि मुझे बहुत ज़ोर से चक्कर आ रहे है तो में जैसे ही उसके पास गया तो वो गिरने लगी और मैंने उसे संभाले के लिए हाथ आगे बड़ाया और उसकी पतली, चिकनी कमर पर हाथ रख दिया और वो अब मेरे एक हाथ पर थी और मेरी उंगलियाँ उसके बूब्स के किनारों में धँस गई.. जो कि रूई की तरह एकदम मुलायम थे. फिर मैंने उसको चेक करने के लिए बहुत हिलाया लेकिन वो एकदम सुन्न पड़ी थी.. उसके गुलाबी होंठ मुझे गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लग रहे थे और अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए और ऐसा करते ही मुझे 440 वॉल्ट का झटका सा लगा और मेरा लंड ज़ोर-ज़ोर से फड़फड़ाने लगा तो में उसे अपनी गोद में उठाकर अपने कमरे में लेकर आ गया और अपने बिस्तर पर लेटा दिया और अब में उसे देखकर बहुत ही हैरान था.. क्योंकि वो बेहोशी में और भी ज़्यादा सुंदर लग रही थी और उसके होंठ मुझे अपनी और बुला रहे थे. फिर मैंने उठकर अपने कमरे की कुण्डी लगा ली और उसके पास बैठ गया और धीरे से उसके बूब्स पर अपना एक हाथ रखा.. हाथ रखते ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैंने किसी रूई के तकिए को पकड़ा हो और मेरी उंगलियां उसके मुलायम बूब्स में धँसी जा रही थी. फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिए और अब मेरा 7 इंच का लंड मेरे बरमूडे में टेंट बन चुका था.
फिर मैंने अपना बरमूडा और अंडरवियर दोनों ही एक साथ उतार दिए और अब मेरा लंड किसी भूखे शेर की तरह शिकार को तलाश कर रहा था. फिर में उसके चहरे की तरफ गया और उसके गुलाबी होंठो को किस किया और उसके बाद में अपने तने हुए लंड को उसके नाज़ुक होंठो पर फेरने लगा.. जिसकी वजह से मेरे लंड से चिकना पानी निकलने लगा.. जो कि मैंने उसके होंठों पर अपने लंड से लिपस्टिक की तरह लगा दिया तो अब उसके होंठ और भी ज़्यादा चमकने लगे और मुझे उत्साहित करने लगे और मैंने उसका मुहं हल्के से दबाया.. जिसकी वजह से वो खुल गया और मैंने अपने लंड का टोपा उसके मुहं में डाल दिया और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और करीब 10 मिनट तक ऐसा करने के बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे में झड़ने वाला हूँ तो में एकदम से रुक गया और अपने लंड को जल्दी से बाहर खींच लिया.
अब मैंने उसे पूरा नंगा करने के बारे में सोचा और फिर मैंने उसे हल्का सा उठाकर उसकी टॉप को ऊपर कर दिया और फिर पूरा उतार दिया और उसके बाद उसका इलास्टिक वाला पाज़ामा भी धीरे से खिसकाकर उतार दिया और अब जो द्रश्य मेरे सामने था.. उसको में आप सभी को अपने शब्दों से बता नहीं सकता.. उसने सफेद कलर की जालीदार ब्रा और जालीदार पेंटी का सेट पहना हुआ था.. जिसमे से उसके आधे बूब्स और चूत की लाईन की शुरूआत दिख रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे सफेद लिबास में कोई परी मेरे सामने पड़ी हो तो में उसके ऊपर ऐसे ही लेट गया और उसके शरीर की गर्मी महसूस करने लगा.. उसकी छाती मेरी छाती से टकरा रही थी और मेरा लंड उसकी पेंटी से ढकी चूत को फाड़ने को बैचेन था और अब मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया. उसके होंठ चूसने की वजह से और भी गुलाबी हो गए थे.
फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर के नीचे डालकर उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और धीरे से उसके बूब्स से जुदा कर दिया और अब उसके 32 साईज के दूध आज़ाद थे और हिलकर मुझे मसलने के लिए उकसा रहे थे तो मैंने भी उन्हे नाराज़ ना करते हुए अपने दोनों हाथों में ले लिया और धीरे धीरे प्यार से सहलाने लगा और यह सब लगभग 15 मिनट तक चला. फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी पेंटी को धीरे से नीचे खिसकाते हुए बाहर निकाल दिया और अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी और मैंने देखा कि उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे तो मुझे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने अभी 3-4 दिन पहले ही अपनी चूत के बाल साफ किए होंगे और मैंने बिना समय गंवाए उसके दोनों पैरों को फैलाया तो उसकी कुंवारी चूत मेरे सामने मुहं फैलाकर मुझे अपनी और बुलाने लगी और मैंने यह चेक करने के लिए कि क्या वो कुंवारी है तो मैंने अपने मोबाईल की टॉर्च जलाई और देखा कि उसकी चूत के बीच एक तिनका सा लगा हुआ था..
जो कि उसके कुंवारे होने का ऐलान कर रहा था. फिर यह सब देखकर मेरा लंड और भी जोश में फूलने लगा और अब मैंने बिना समय गंवाए उसकी कुँवारी चूत को अपने मुहं में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा तो मेरे चाटने से उसकी चूत का रंग और भी निखर गया और अब वो हल्की सी कसमसाने लगी थी और उसके मुहं से हल्की हल्की सिसकियाँ बाहर आने लगी थी और वो चिकना चिकना पानी छोड़ने लगी.. वो पानी कुछ नमकीन सा था और अब उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी. फिर चूत को चाटने के बाद मैंने अपने लंड को सहलाया.. जो कि अब उसकी कुंवारी चूत फाड़ने को बिल्कुल तैयार था.
फिर मैंने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसकी चूत के मुहं पर रगड़ने लगा और अब मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा और में अपने लंड के टोपे को धीरे धीरे अंदर की तरफ धक्का देने लगा लेकिन मेरी हर कोशिश बेकार गई.. क्योंकि जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था कि मेरा टोपा आगे से ज़्यादा चौड़ा है.. इसलिए वो चूत के चिकना होने के बावजूद भी अंदर नहीं जा रहा था लेकिन मेरे ऊपर तो उसकी चूत का भूत सवार था. मैंने जल्दी से तेल की बोटल उठाई और बहुत सारा तेल उसकी चूत में डाल दिया और ढेर सारा तेल अपने लंड पर लगा लिया और मुझे यह सब करते करते एक घंटा हो चुका था और मुझे लग रहा था कि कामिनी पर दवाई का असर हल्का हो रहा था तो मैंने समय ना गंवाते हुए अपना टोपा उसकी कुँवारी चूत पर लगाया और एक जोरदार झटका मारा.. जिससे मेरे लंड का टोपा उसकी चूत की दीवार को चीरता हुआ अंदर घुस गया और उसकी चूत खून उगलने लगी और कामिनी बेहोशी में भी तड़पने लगी और में भी थम गया.. लेकिन अब कामिनी को होश आने लगा था और वो दर्द से करहा रही थी और 2 मिनट के बाद उसने धीरे धीरे अपनी दोनों आखें खोली तो वो अपनी स्थिति को देखते हुए बहुत हैरान हो गई.
दोस्तों में उसके ऊपर चड़ा हुआ था और मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में था और मेरे दोनों हाथ उसके बूब्स पर थे और होश में आते ही उसका सबसे पहला सवाल यह था कि तुमने यह क्या किया और वो मुझे धक्का देकर अपने ऊपर से हटाने लगी लेकिन मेरी पकड़ भी उसके जिस्म पर बहुत मजबूत थी तो मैंने उसे समझाते हुए कहा कि में तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ.. इसलिए तुम्हारे साथ यह सब कर रहा हूँ तो इस पर उसने करहाते हुए कहा कि यह प्यार नहीं तुम्हारी काम वासना है.. जो तुम मेरे शरीर से मिटा रहे हो और ऐसा कहते हुए उसने फिर से मुझे धक्का देने की कोशिश की लेकिन गोलियों के असर की वजह से उसके धक्के में कोई ख़ास ताक़त नहीं थी. फिर वो बोली कि में यह बात सबको बता दूँगी कि तुमने मेरे साथ क्या क्या किया है तो मैंने उसे बहुत समझाया कि इससे उसकी ही बदनामी हो जाएगी और कोई भी उससे शादी नहीं करेगा.. उसके घर वाले और वो किसी को भी मुहं दिखाने के लायक नहीं रहेंगे तो इस पर वो कुछ सोचने लगी और बस मौका पाते ही मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में धकेल दिया.. जिसकी वजह से वो एकदम बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी तो मैंने झट से उसके होंठो को अपने होंठो से भींच लिए ताकि उसकी आवाज़ बाहर ना आ सके और अपने झटकों की स्पीड बड़ा दी और अब उसकी आखों से आंसू आने लगे लेकिन मेरे ऊपर भूत सवार था.
फिर मैंने झटके और तेज कर दिए और उसके बूब्स को दबाने लगा. फिर उसने अपने जिस्म की आग को बुझते हुए देख अब विरोध करना एकदम बंद कर दिया और मैंने भी उसको किस करते हुए कहा कि में उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाऊंगा और उसे बहुत सारी खुशियाँ दूँगा तो वो मेरे मुहं से यह सब सुनकर कुछ अच्छा महसूस करने लगी और वो बोली कि क्या तुम मुझसे शादी भी करोगे तो मैंने वक़्त की नज़ाकत समझते हुए हाँ कह दी तो वो खुश हो गई और इस बार उसने खुद मुझे मेरे होंठो पर किस किया और यह देख मेरा हौसला और बड़ गया और मैंने उसे चोदने की स्पीड और बड़ा दी और अब वो भी मेरे साथ मजे कर रही थी और अपनी चूतड़ भी हिला रही थी. फिर मैंने उसे डॉगी स्टाईल में झुकने को कहा और फिर में पीछे की तरफ से लंड को चूत में डालकर उसे चोदने लगा.
अब मेरा लंड पूरी तरह उसकी चूत में अंदर बाहर जा रहा था और वो कामुक आवाज़े निकाल रही थी और मैंने पीछे से उसके बूब्स पकड़कर मसलने शुरू कर दिए और वो अब झड़ने की चरम सीमा पर थी और उसका शरीर अकड़ने लगा था और वो मुझे रुकने को कहने लगी लेकिन में कहाँ रुकने वाला था. में तो उसे और भी ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदता रहा और फिर मेरी नज़र उसकी गांड के छेद पर पड़ी जो कि भूरे कलर का था और लंड अंदर बाहर जाते हुए फैलता और सुकड़ता और यह सब देखकर मेरा मन उसकी गांड की तरफ आकर्षित हुआ लेकिन में जानता था कि एक सीधी साधी अच्छी लड़की अपनी गांड इतनी आसानी से नहीं देती. फिर मैंने तेल की बोटल को उठाकर बहुत सारा तेल हाथ में लिया और उसकी गांड पर डाल दिया और गांड को सहलाने लगा तो वो बोली कि यह क्या कर रहे हो तो मैंने कहा कि में तुम्हारी गांड को सहला रहा हूँ तो वो बोली कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो तो मैंने कहा कि क्या तुम्हे यह सब अच्छा नहीं लग रहा तो वो बोली कि अच्छा तो बहुत लग रहा है.
फिर में उसकी गांड सहलाने लगा और मैंने धीरे से अपनी एक उंगली उसमे डाल दी तो वो उछल पड़ी और कहने लगी कि तुम यह क्या कर रहे हो तो मैंने उससे कहा कि कुछ नहीं बस गलती से अंदर चली गई और फिर वो बोली कि प्लीज अब मत करना.. मुझे बहुत दर्द होता है तो मैंने कहा कि ठीक है और में उसकी गांड को सहलाने, मसलने लगा.. वो भी धीरे धीरे मदहोश होने लगी थी और मैंने मौका देखते ही अपना लंड चूत से बाहर निकाला और एक ही झटके में टोपा उसकी गांड पर लगाकर ज़ोर का धक्का मारा.. धक्के की वजह से उसके हाथ चारपाई पर फिसल गए और वो धम से चारपाई पर मेरे सहित गिर पड़ी.. जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर बैठ गया और वो ज़ोर से चिल्ला उठी तो मैंने अपने हाथ उसके मुहं पर रखकर उसका मुहं बंद कर दिया और बस ऐसे ही पड़ी रही. फिर कुछ देर बाद उसने मुझे अपने मुहं से हाथ हटाने को कहा और करहाते हुए कहा कि तुम मुझे आज मार ही डालोगे.. तुमने तो आज मेरी चूत के साथ साथ मेरी गांड भी फाड़ दी. फिर मैंने उसे प्यार से सहलाते हुए कहा कि प्यार की गहराई को नापना बहुत जरूरी था.
फिर वो बोली कि क्या तुम्हे आगे से प्यार की गहराई नहीं पता चली तो मैंने मुस्कुराते हुए लंड को थोड़ा बाहर खींचा और दोबारा अंदर डाल दिया.. वो उछल पड़ी और बोली कि हटो मुझे बहुत दर्द हो रहा है तो मैंने कहा कि थोड़ी देर रुक जाओ.. सब ठीक हो जाएगा और में धीरे धीरे धक्का मारने लगा और अब उसे भी मज़ा आने लगा. अब हमे चुदाई करते हुए एक घंटा हो चुका था और में तेज़ी से उसकी गांड मार रहा था और वो भी कूद कूदकर मेरा साथ दे रही थी और मुझे लगने लगा कि में अब झडने वाला हूँ तो मैंने उससे पूछा कि लंड पानी कहाँ पर डालूं तो वो बोली कि मेरी गांड में ही झाड़ दो और उसके इतना कहते ही मेरे लंड की ज्वालामुखी फूट पड़ी और गरम गरम लावे ने उसकी गांड को भर दिया. फिर हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे और फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और जब उसने मेरे लंड को देखा तो वो चौंक गई और वो बोली कि इतना बड़ा लंड मेरी चूत और गांड में घुसा हुआ था.. तभी तो मेरी जान निकलने को तैयार थी.
फिर उसने मेरा लंड अपनी पेंटी से साफ किया और अपनी चूत भी साफ की और अपने कपड़े पहनने लगी.. कपड़े पहनने के बाद वो मेरे गले लगी और बोली कि कभी मुझे छोड़कर मत जाना.. में तुम्हारे बिना जी नहीं सकूँगी. फिर वो मेरे रूम से जाने लगी लेकिन दर्द की वजह से उससे चला नहीं जा रहा था और वो लंगड़ाकर चल रही थी और यह देखकर मैंने अपने लंड को सहलाया और उसे शाबासी दी.. क्योंकि आज उसने एक कुँवारी चूत को फाड़ा था
Rajsharma67457@gmail. Com
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Dhobhi ghat par chudai 9
शाम होते-होते हम अपने घर पहुंच चुके थे। कपड़ों के गठर को ईस्तरी करने वाले कमरे में रखने के बाद, हमने हाथ-मुंह धोये और फिर माँ ने कहा कि बेटा चल कुछ खा-पी ले।
भूख तो वैसे मुझे कुछ खास लगी नहीं थी (दिमाग में ज़ब सेक्स का भूत सवार हो तो भूख तो वैसे भी मर ज़ाती है) पर फिर भी मैंने अपना सिर सहमति में हिला दिया।
माँ ने अब तक अपने कपड़ों को बदल लिया था, मैंने भी अपने पज़ामे को खोल कर उसकी ज़गह पर लुंगी पहन ली क्योंकि गर्मी के दिनों में लुंगी ज़्यादा आरामदायक होती है।
माँ रसोई घर में चली गई, और मैं कोयले की अंगीठी को ज़लाने के लिये, ईस्तरी करने वाले कमरे में चला गया ताकि ईस्तरी का काम भी कर सकूं।
अंगीठी ज़ला कर मैं रसोई में घुसा तो देखा कि माँ वहीं एक मूढे पर बैठ कर ताज़ी रोटियाँ सेंक रही थी, मुझे देखते ही बोली- ज़ल्दी से आ, दो रोटी खा ले। फिर रात का खाना भी बना दूँगी।
मैं ज़ल्दी से वहीं मूढे पर बैठ गया, सामने माँ ने थोड़ी सी सब्ज़ी और दो रोटियाँ दे दी, मैं चुपचाप खाने लगा।
माँ ने भी अपने लिये थोड़ी सी सब्ज़ी और रोटी निकाल ली और खाने लगी।
रसोई घर में गर्मी काफ़ी थी, इस कारण उसके माथे पर पसीने की बूँदें चुहचुहाने लगी। मैं भी पसीने से नहा गया था।
माँ ने मेरे चेहरे की ओर देखते हुए कहा- बहुत गर्मी है।
मैंने कहा- हाँ!
और अपने पैरों को उठा कर अपनी लुंगी को उठा कर पूरा ज़ांघों के बीच में कर लिया।
माँ मेरी इस हरकत पर मुस्कुराने लगी पर बोली कुछ नहीं। वो चूँकि घुटने मोड़ कर बैठी थी, इसलिये उसने पेटिकोट को उठा कर घुटनों
तक कर दिया और आराम से खाने लगी।
उसकी गोरी पिन्डलियों और घुटनों का नज़ारा करते हुए मैं भी खाना खाने लगा।
लण्ड की तो यह हालत थी अभी कि माँ को देख लेने भर से उसमें सुरसुरी होने लगती थी।
यहाँ माँ मस्ती में दोनों पैर फैला कर घुटनों से थोड़ा ऊपर तक साड़ी उठा कर दिखा रही थी।
मैंने माँ से कहा- एक रोटी और दे।
‘नहीं, अब और नहीं। फिर रात में भी खाना तो खाना है ना? अच्छी सब्ज़ी बना देती हूँ, अभी हल्का खा ले।’
‘क्या माँ, तुम तो पूरा खाने भी नहीं देती। अभी खा लूंगा तो क्या हो ज़ायेगा?’
‘ज़ब ज़िस चीज़ का टाईम हो, तभी वो करना चाहिए। अभी तू हल्क-फुल्का खा ले, रात में पूरा खाना।’
मैं इस पर बड़बड़ाते हुए बोला- सुबह से तो खाली हल्का-फुल्का ही खाये ज़ा रहा हूँ। पूरा खाना तो पता नहीं, कब खाने को मिलेगा?
यह बात बोलते हुए मेरी नज़रें उसकी दोनों ज़ांघों के बीच में गड़ी हुई थी।
हम दोनों माँ बेटे को शायद द्विअर्थी बातें करने में महारत हासिल हो गई थी। हर बात में दो-दो अर्थ निकल आते थे। माँ भी इसको अच्छी तरह से समझती थी इसलिये मुस्कुराते हुए बोली- एक बार में पूरा पेट भर के खा लेगा, तो फिर चला भी न ज़ायेगा। आराम से धीरे-धीरे खा।
मैं इस पर गहरी सांस लेते हुए बोला- हाँ, अब तो इसी आशा में रात का इन्तज़ार करुँगा कि शायद तब पेट भर खाने को मिल ज़ाये। माँ मेरी तड़प का मज़ा लेते हुए बोली- उम्मीद पर तो दुनिया कायम है। ज़ब इतनी देर तक इन्तेज़ार किया तो थोड़ा और कर ले। आराम से खाना, अपने बाप की तरह ज़ल्दी क्यों करता है?
मैंने तब तक खाना खत्म कर लिया था और उठ कर लुंगी में हाथ पोंछ कर रसोई से बाहर निकल गया।
माँ ने भी खाना खत्म कर लिया था।
मैं ईस्तरी वाले कमरे आ गया और देखा कि अंगीठी पूरी लाल हो चुकी है।
मैंने ईस्तरी गरम करने को डाल दी और अपनी लुंगी को मोड़ कर घुटनों के ऊपर तक कर लिया। बनियान भी मैंने उतार दी और
ईस्तरी करने के काम में लग गया।
हालांकि मेरा मन अभी भी रसोईघर में ही अटका पर था और ज़ी कर रहा था कि मैं माँ के आस पास ही मंडराता रहूँ।
मगर क्या कर सकता था, काम तो करना ही था।
थोड़ी देर तक रसोईघर में खटपट की आवाज़ें आती रही, मेरा ध्यान अभी भी रसोई-घर की तरफ ही था। पूरे वातावरण में ऐसा लगता था कि एक अज़ीब सी खुशबू समाई हुई है। आँखों के आगे बार बार वही माँ की चूचियों को मसलने वाला दृश्य तैर रहा था। हाथों में अभी भी उसका अहसास बाकी था।
हाथ तो मेरे कपड़ों को ईस्तरी कर रहे थे, परंतु दिमाग में दिनभर की घटनायें घूम रही थी।
मेरा मन तो काम करने में नहीं लग रहा था, पर क्या करता।
तभी माँ के कदमों की आहट सुनाई दी, मैंने मुड़ कर देखा तो पाया कि माँ मेरे पास ही आ रही थी। उसके हाथ में हांसिया (सब्ज़ी काटने के लिये गांव में इस्तेमाल होने वाली चीज़) और सब्ज़ी का टोकरा था।
मैंने माँ की ओर देखा, वो मेरी ओर देख के मुस्कुराते हुए वहीं पर बैठ गई, फिर उसने पूछा- कौन-सी सब्ज़ी खायेगा?
मैंने कहा- ज़ो सब्ज़ी तुम बना दोगी, वही खा लूँगा।
इस पर माँ ने फिर ज़ोर दे के पूछा- अरे बता तो, आज़ सारी चीज़ तेरी पसंद की बनाती हूँ। तेरा बापू तो आज़ है नहीं, तेरी ही पसंद का तो ख्याल रखना है।
तब मैंने कहा- ज़ब बापू नहीं है तो फिर आज़ केले या बैंगन की सब्ज़ी बना ले। हम दोनों वही खा लेंगे। तुझे भी तो पसंद है इसकी सब्ज़ी।
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा- चल ठीक है, वही बना देती हूँ।
और वहीं बैठ कर सब्जियाँ काटने लगी।
सब्ज़ी काटने के लिये ज़ब वो बैठी थी तब उसने अपना एक पैर मोड़ कर ज़मीन पर रख दिया था और दूसरा पैर मोड़ कर अपनी छाती से टिका रखा था और गर्दन झुकाये सब्जियां काट रही थी।
उसके इस तरह से बैठने के कारण उसकी एक चूची ज़ो उसके एक घुटने से दब रही थी, ब्लाउज से बाहर निकलने लगी और ऊपर से झांकने लगी। गोरी-गोरी चूची और उस पर की नीली-नीली रेखायें, सब नुमाया हो रहा था।
मेरी नज़र तो वहीं पर ज़ाकर ठहर गई थी।
माँ ने मुझे देखा, हम दोनों की नज़रें आपस में मिली और मैंने झेंप कर अपनी नज़र नीचे कर ली और ईस्तरी करने लगा।
इस पर माँ ने हसते हुए कहा- चोरी-चोरी देखने की आदत गई नहीं। दिन में इतना सब कुछ हो गया, अब भी??
मैंने कुछ नहीं कहा और अपने काम में लगा रहा।
तभी माँ ने सब्ज़ी काटना बंद कर दिया और उठ कर खड़ी हो गई और बोली- खाना बना देती हूँ, तू तब तक छत पर बिछावन लगा दे। बड़ी गर्मी है आज़ तो, ईस्तरी छोड़, कल सुबह उठ के कर लेना।
मैंने कहा- बस थोड़ा सा और कर लूँ, फिर बाकी तो कल ही करूँगा।
मैं ईस्तरी करने में लग गया और रसोई घर से फिर खट-पट की आवाज़ें आने लगी।
यानि की माँ ने खाना बनाना शुरु कर दिया था। मैंने ज़ल्दी-से कुछ कपड़ों को ईस्तरी की, फिर अंगीठी बुझाई और अपने तौलिये से पसीना पोंछता हुआ बाहर निकल आया, हेन्डपम्प के ठंडे पानी से अपने मुंह हाथों को धोने के बाद मैंने बिछावन लिया और छत पर चल गया।
और दिन तो तीन लोगों का बिछावन लगता था, पर आज़ तो दो का ही लगाना था। मैंने वहीं ज़मीन पर पहले चटाई बिछाई, और फिर दो लोगों के लिये बिछावन लगा कर नीचे आ गया।
माँ अभी भी रसोई में ही थी। मैं भी रसोईघर में घुस गया। माँ ने साड़ी उतार दी थी और अब वो केवल पेटिकोट और ब्लाउज़ में ही खाना बना रही थी।
उसने अपने कंधे पर एक छोटा-सा तौलिया रख लिया था और उसी से अपने माथे का पसीना पोंछ रही थी।
मैं ज़ब वहाँ पहुँचा, तो माँ सब्ज़ी को कलछी से चला रही थी और दूसरी तरफ रोटियाँ भी सेक रही थी।
मैंने कहा- कौन-सी सब्ज़ी बना रही हो, केले या बैंगन की?
माँ ने कहा- खुद ही देख ले, कौन सी है?
‘खुशबू तो बड़ी अच्छी आ रही है। ओह, लगता है दो दो सब्ज़ी बनी है।’
‘खा के बताना, कैसी बनी है?’
‘ठीक है माँ, बता और कुछ तो नहीं करना?’ कहते कहते मैं एकदम माँ के पास आकर बैठ गया था।
माँ मूढे पर अपने पैरों को मोड़ कर और अपने पेटिकोट को ज़ांघों के बीच समेट कर बैठी थी। उसके बदन से पसीने की अज़ीब सी खुशबू आ रही थी।
मेरा पूरा ध्यान उसकी ज़ांघों पर ही चला गया था।
माँ ने मेरी ओर देखते हुए कहा- ज़रा खीरा काट के सलाद भी बना ले।
‘वाह माँ, आज़ तो लगता है, तू सारी ठंडी चीज़ें ही खायेगी?’
‘हाँ, आज़ सारी गर्मी उतार दूँगी मैं।’
‘ठीक है माँ, ज़ल्दी से खाना खाकर छत पर चलते हैं, बड़ी अच्छी हवा चल रही है।’
माँ ने ज़ल्दी-से थाली निकली, सब्ज़ी वाले चूल्हे को बंद कर दिया। अब बस एक या दो रोटियाँ ही बची थी, उसने ज़ल्दी-ज़ल्दी हाथ चलाना शुरु कर दिया।
मैंने भी खीरा और टमाटर काट कर सलाद बना लिया।
माँ ने रोटी बनाना खत्म कर के कहा- चल खाना लगा देती हूँ। बाहर आंगन में मूढे पर बैठ के खायेंगे।
मैंने दोनों परोसी हुई थालियां उठाई और आंगन में आ गया।
माँ वहीं आंगन में एक कोने पर अपना हाथ मुंह धोने लगी। फिर अपने छोटे तौलिये से पोंछते हुए मेरे सामने रखे मूढे पर आकर बैठ
गई।
हम दोनों ने खाना शुरु कर दिया।
मेरी नज़रें माँ को ऊपर से नीचे तक घूर रही थी। माँ ने फिर से अपने पेटिकोट को अपने घुटनों के बीच में समेट लिया था और इस
बार शायद पेटिकोट कुछ ज़्यादा ही ऊपर उठा दिया था। चूचियाँ एकदम मेरे सामने तन के खड़ी-खड़ी दिख रही थी।
बिना ब्रा के भी माँ की चूचियाँ ऐसी तनी रहती थी, ज़ैसे कि दोनों तरफ दो नारियल लगा दिये गये हो।
इतनी उमर बीत ज़ाने के बाद भी जरा सा भी ढलकाव नहीं था। ज़ांघें बिना किसी रोयें के एकदम चिकनी, गोरी और माँसल थी।
पेट पर ऊमर के साथ थोड़ा सा मोटापा आ गया था।
ज़िसके कारण पेट में एक-दो फोल्ड पड़ने लगे थे ज़ो देखने में और ज़्यादा सुंदर लगते थे। आज़ पेटिकोट भी नाभि के नीचे बांधा गया था।
इस कारण से उसकी गहरी गोल नाभि भी नज़र आ रही थी। थोड़ी देर बैठने के बाद ही माँ को पसीना आने लगा और उसकी गर्दन से
पसीना लुढ़क कर उसके ब्लाउज़ के बीच वाली घाटी में उतरता ज़ा रहा था।
वहाँ से वो पसीना लुढ़क कर उसके पेट पर भी एक लकीर बना रहा था और धीरे धीरे उसकी गहरी नाभि में ज़मा हो रहा था।
मैं इन सब चीज़ों को बड़े गौर से देख रहा था।
माँ ने ज़ब मुझे ऐसे घूरते हुए देखा तो हंसते हुए बोली- चुपचाप ध्यान लगा कर खाना खा, समझा !!
और फिर अपने छोटे वाले तौलिये से अपना पसीना पोंछने लगी।
मैं खाना खाने लगा और बोला- माँ, सब्ज़ी तो बहुत ही अच्छी बनी है।
‘चल तुझे पसंद आई, यही बहुत बड़ी बात है मेरे लिये। नहीं तो आज़कल के लड़कों को घर का कुछ भी पसंद ही नहीं आता।’
‘नहीं माँ, ऐसी बात नहीं है, मुझे तो घर का ‘माल’ ही पसंद है।’
यह ‘माल’ शब्द मैंने बड़े धीमे स्वर में कहा था कि कहीं माँ ना सुन ले।
माँ को लगा कि शायद मैंने बोला है, घर की दाल, इसलिये वो बोली- मैं ज़ानती हूँ, मेरा बेटा बहुत समझदार है, और वो घर के दाल चावल से काम चला सकता है। उसको बाहर के ‘मालपुए’ (एक प्रकार की खाने वाली चीज़, ज़ो मैदे और चीनी से बनाई ज़ाती है) से कोई मतलब नहीं है।
माँ ने मालपुआ शब्द पर शायद ज़्यादा ही ज़ोर दिया था, और मैंने इस शब्द को पकड़ लिया, मैंने कहा- पर माँ, तुझे मालपुआ बनाये काफ़ी दिन हो गये। कल मालपुआ बना ना?
‘मालपुआ तुझे बहुत अच्छा लगता है, मुझे पता है। मगर इधर इतना टाईम कहां मिलता था, ज़ो मालपुआ बना सकूँ? पर अब मुझे लगता है, तुझे मालपुआ खिलाना ही पड़ेगा।’
मैंने कहा- ज़ल्दी खिलाना, माँ।
और हाथ धोने के लिये उठ गया।
माँ भी हाथ धोने के लिये उठ गई।
हाथ मुंह धोने के बाद माँ फिर रसोई में चली गई और बिखरे पड़े सामान को सन्भालने लगी।
मैंने कहा- छोड़ो ना माँ, चलो सोने ज़ल्दी से। यहाँ बहुत गर्मी लग रही है।
‘तू ज़ा ना, मैं अभी आती हूँ, रसोईघर गंदा छोड़ना अच्छी बात नहीं है।’
मुझे तो ज़ल्दी से माँ के साथ सोने की हड़बड़ी थी कि कैसे माँ से चिपक के उसके माँसल बदन का रस ले सकूँ। पर माँ रसोई साफ करने में ज़ुटी हुई थी, मैंने भी रसोई का सामान सम्भालने में उसकी मदद करनी शुरु कर दी।
कुछ ही देर में सारा सामान ज़ब ठीक ठाक हो गया तो हम दोनों रसोई से बाहर निकले!
मित्रो, कहानी पूरी तरहा काल्पनिक है। आप मुझे मेल ज़रूर करें, ख़ास कर महिलायें अपने विचार ज़रूर बतायें।
कहानी ज़ारी रहेगी।
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Medam ki chud ki pays
मैंने एक साल पहले एक कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में प्रवेश लिया था। मैंने वहाँ कंप्यूटर की बेसिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वहाँ की काउंसलर मिस सुरभि रस्तोगी से मुलाकात की.. वो बहुत ही अच्छे मिज़ाज की और खुले स्वभाव की लड़की थी।
उनकी उम्र लगभग 26 साल होगी। उन्होंने मुझे वहाँ प्रवेश लेने के लिए कई ऑफर दिए.. जैसे कि आपको स्कॉलरशिप दिलवा दूँगी.. आपको बुक्स का चार्ज नहीं देना पड़ेगा.. आपकी प्रवेश फीस भी नहीं ली जाएगी.. वगैरह।
मैं तो ये सब सुन कर काफ़ी खुश हो गया.. और मैंने तुरंत वहाँ प्रवेश ले लिया।
जब मैं घर आ गया तो रात को करीब 8 बजे मेरे फोन पर एक कॉल आई, वो सुरभि मैम की थी। उन्होंने मुझसे बताया कि मेरी स्कॉलरशिप की बात सर से हो गई है और मुझे सोमवार से क्लास ज्वाइन करना है।
मैं मन ही मन बहुत खुश था कि कम फीस में कंप्यूटर कोर्स हो जाएगा।
सोमवार को मैं नहा-धोकर तैयार हुआ और एक रजिस्टर लेकर क्लास में पहुँच गया।
वहाँ मैंने सुरभि मैम को ‘हैलो’ बोला और उनके पास जाकर उन्हें धन्यवाद दिया।
वो बोली- इट्स ओके.. ये तो मेरा फ़र्ज़ था।
इसी तरह मेरी क्लास चलती रही और मैं रोज़ सुरभि मैमसे बात करता था.. वो भी मुझे देख कर काफ़ी खुश हो जाया करती थी।
एक दिन मुझे क्लास जाने में देर हो गई तो सुरभि मैम का फोन आया- कहाँ हो तुम.. आज आए क्यूँ नहीं?
तो मैंने कहा- मैं रास्ते में हूँ.. बस पहुँचने ही वाला हूँ।
उन्होंने कहा- जल्दी आओ।
मैं यह सुन कर थोड़ा घबरा गया कि मुझे मैमने जल्दी आने को क्यूँ बोला।
मैं जैसे-तैसे क्लास पहुँचा और उनकी तरफ देखे बिना ही सीधा क्लास में घुस गया.. और पढ़ाई चालू कर दी।
आमिर सर मुझे पढ़ाते थे.. उन्होंने कहा- आज प्रैक्टिकल करके ही घर जाना।
मैं और घबरा गया.. करीब दिन का एक बज रहा था। मैंने प्रैक्टिकल ख़त्म करके घर जाने की सोची.. तभी सुरभि मैम ने मुझे आवाज़ दी- क्षितिज.. मुझे तुमसे एक काम है.. क्या तुम कर दोगे?
मैंने कहा- जी मैम.. बताइए क्या काम है?
तो उन्होंने कहा- मुझे एक कुर्ता खरीदना है.. क्या तुम मेरे साथ चल सकते हो?
मैंने थोड़ा सोचा और कहा- जी चलिए मैम।
मैम ने सर से कहा- उनकी तबीयत थोड़ी खराब लग रही है.. घर जाना होगा।
सर ने उन्हें छुट्टी दे दी और वो मुस्कुराती हुई मेरे साथ चलने लगीं।
हम दोनों वहाँ से ऑटो करके मार्केट पहुँचे.. फिर उन्होंने एक कुर्ता खरीदा और मुझसे कहा- चाय पियोगे?
मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
वो बोली- चाय पीना है.. तो मेरे घर चलना पड़ेगा।
मैं राज़ी हो गया और उन्होंने ऑटो की.. और 20 मिनट में हम दोनों उनके घर पहुँच गए और वो कपड़े बदलने चली गई।
वो वही कुर्ता पहन कर आई.. जो उन्होंने मार्केट से खरीदा था।
मुझसे पूछा- मैं कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- आप तो एकदम डॉल लग रही है मैम।
इतना सुन कर वो मेरे पास आई और मुझसे पूछा- तुम्हारी गर्ल फ्रेंड का नाम क्या है?
तो मैंने सर नीचे करके कहा- जी.. शिवानी।
वो बोली- गुड.. और तुम्हारी कितनी गर्ल फ्रेंड्स हैं?
मैंने कहा- सिर्फ़ एक ही है मैम।
तब उन्होंने पूछा- कभी किस किया है शिवानी को?
तो मैं थोड़ा हिचकिचाया और ‘हाँ’ में सर हिला दिया। उनकी आँखो में चमक आ गई और वो बोली- मैं तुम्हें बहुत सीधा समझती थी.. पर तुम तो बहुत बदमाश निकले।
मैंने कहा- नहीं मैम.. ऐसी बात नहीं है.. बस एक-दो बार ही किस किया है।
तब मैम ने कहा- मुझे बताओ.. कैसे करते हो किस?
वो मेरे एकदम पास आकर बैठ गई। मेरी तो हालत खराब हो रही थी.. शायद मैम इसी इरादे से मुझे अपने घर लाई थीं और मेरे ऊपर पहले ही इतनी मेहरबानियाँ की थीं।
मैंने कहा- मैम.. मैं आपको कैसे बताऊँ कि किस कैसे किया था?
तो वो तुरंत बोली- मेरे को करके बताओ ना..!
मेरा भी ईमान डोल गया और मैं मैम के होंठों को चूमने लगा.. वो भी मेरे होंठों को अन्दर खींच रही थी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
करीब 15 मिनट तक उनके होंठों को चूसने के बाद मैं अलग हो गया और वो आँखें बंद किए खड़ी रही.. फिर मुझसे कहा- मुझे शर्म आ रही है।
मैंने कहा- मैम.. अब क्यूँ शर्मा रही हैं आप?
वो मुझसे लिपट गई और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मैं आराम से उनके होंठों को पी रहा था।
अब मेरा हाथ उनके मम्मों पर पहुँच गया और मैं धीरे-धीरे से उनके रसभरे पयोधरों को सहलाने लगा।
वो सिसकारने लगी और बोली- ओह्ह.. जरा और ज़ोर से दबाओ ना प्लीज़..
यह सुन कर मेरा शैतान जाग गया और मैंने ज़ोर-ज़ोर से उनके मम्मों को मसलना चालू कर दिया।
वो दर्द से सिसकारने लगी और बोली- इतना भी ज़ोर मत लगाओ राजा..
मैं फिर धीरे से दबाने और सहलाने लगा उनके मम्मे एकदम टाइट हो गए थे।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतारने को कहा मैंने उतार दी।
मैंने कहा- आप भी अपना कुर्ता उतारिए न..
तो उन्होंने झट से उतार फेंका.. क्रीम रंग की ब्रा में उनके गोरे मम्मे चमक रहे थे। मैंने आव देखा ना ताव और टूट पड़ा उनके मम्मों पर.. और चूस-चूस कर उनके मम्मों को लाल कर दिया।
उन्हें भी काफ़ी मज़ा आ रहा था।
अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। मैंने कहा- मैम.. क्या आप मेरा लौड़ा सहला सकती हैं?
बोली- दिखाओ तो पहले..
तभी मैंने अपनी जीन्स को अंडरवियर समेत उतार दिया।
उन्होंने मेरा खड़ा लण्ड देखा और बोली- लण्ड छोटा ज़रूर है.. पर मोटा काफ़ी है.. आज तो मज़ा आ जाएगा।
अब उन्होंने अपनी सलवार भी उतार दी और घुटनों के बल बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगीं।
मैं तो मानो हवा में उड़ने लगा.. इतना मज़ा आ रहा था कि मेरा माल उनके मुँह में ही निकल गया और वो सब पी गई।
अब मेरा लण्ड सिकुड़ गया और छोटा सा हो गया। फिर वो मेरे अन्डकोषों को चूसने लगी। दस मिनट में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और अब उन्होंने मुझसे कहा- तुम मेरी चूत चूसो..
पर मुझे घिन आने लगी और मैंने चूत चाटने से मना कर दिया.. तो वो बोली- अच्छा भोसड़ी के.. ठीक है.. अब लण्ड भी नहीं डालने दूँगी।
मैंने मुँह बना कर मजबूरी में उनकी चूत चूसी और वो अपनी टाँगें फैला कर ज़ोर-ज़ोर से सिसकारने लगी।
उनकी आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी।
मैंने उनकी चूत पूरी चूस डाली.. अजीब नमकीन सा स्वाद था। मेरा उल्टी करने का मन था.. पर मैंने सब्र रखा।
फिर उन्होंने कहा- क्षितिज अब सब्र नहीं हो रहा है.. प्लीज़ मेरी चूत में अपना लौड़ा डालो न..
मैंने उनकी टाँगें और फैलाईं और अपना एकदम टाइट 5 इंच का लण्ड उनकी चूत पर रख कर एक ज़ोरदार धक्का मारा।
वो मेरे मोटे लौड़े की चोट को सहन नहीं कर पाई और तड़पने लगी.. रोने लगी.. पर उनका खून नहीं निकला।
मैंने सोचा- ओह.. साली छिनाल की पहले ही सील खुल चुकी है.. अब मैंने परवाह किए बिना एक और ज़ोर से झटका दिया मेरा लण्ड पूरा जड़ तक अन्दर जा चुका था। वो रो रही थी.. मेरे भी लण्ड में दर्द होने लगा।
मैंने उसके मम्मों को दोनों हाथों से दबाना शुरू किया और उन्हें खूब चूम रहा था।
दो मिनट बाद उन्होंने अपनी कमर हिलाना चालू की.. मैंने भी जवाब में धक्के देने शुरु किए।
मैं करीब दस मिनट तक लगातार उनकी चूत को रगड़ता रहा और वो एकदम से अकड़ गई और डिस्चार्ज हो गई।
मैं भी 5-6 धक्कों के बाद उनकी चूत में ही निकल गया।
अब वो निढाल पड़ी हुई थी.. मैं भी एकदम थका हुआ लगने लगा।
फिर उन्होंने चाय बनाई और हम दोनों ने चाय पी। थोड़ी देर बाद मैं फिर गरम हो गया और उन्हें एक बार और ठोका।
फिर उन्होंने मुझे ज़ोरदार किस किया और मैं अपने घर चला आया।
यह मेरी पहली चुदाई टीचर थी। उसके बाद मैं हफ्ते में दो-तीन बार मैम की चूत को ज़रूर बजाता था।
यह थी मेरी चूत चुदाई घटना जो कि मैंने आपके सामने रखी.. आपको कहानी कैसी लगी। मुझे मेल करके ज़रूर बताइएगा।
Rajsharma67457@gmail. Com
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Bhabhi ki chud ki chudai
उनका नाम तोरल है. पहले मैं उनके बारे में बता दू.. उनका रंग गोरा और उनकी फिगर का साइज़ ३२ – ३०- ३२ है. उनकी दो बेटिया है, पहली ७ साल की और दूसरी ३ साल की. हमारे और उनके घर के बीच काफी अच्छे रिलेशन है. उस वजह से मैं उनके घर काफी आता – जाता हु. तोरल भाभी के पति एक कंपनी में काम करते है और काम की वजह से उनको काफी बाहर भी रहना पड़ता है. हम घरो के बीच अच्छे रिलेशन की वजह से वो तोरल भाभी को हमारे भरोसे ही छोड़ जाते है. अब मैं आपको रियल स्टोरी सुनाता हु.
एक बार तोरल भाभी अकेली थी और उनको घर में काफी सारा काम था और उनकी बड़ी बेटी का स्कूल छुटने का वक्त हो चूका था. तो उन्होंने मुझे कॉल किया और कहा, कि अगर मैं फ्री हु, तो उनकी बेटी को स्कूल से ले आऊ. मैं तो फ्री ही था और मैंने हाँ कर दी. अब मैं उनकी बेटी को स्कूल से लेने चले गया और जब वापस उनके घर लौटा, तो भाभी बोली – थोड़ी देर इसके साथ खेल लो. मैं घर के अन्दर गया और सोफे पर बैठ गया. मैं उनकी बेटी के साथ खेल ही रहा था, कि तभी भाभी आई और मेरे लिए शरबत बना लायी. जैसे ही वो मुझे शरबत देने के लिए नीचे झुकी, मेरी नज़र उनकी क्लीवेज पर पड़ी. उनकी क्लीवेज साफ़ दिखाई दे रही थी. उनकी वाइट क्लीवेज को देख कर मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया. पर मैंने इस तरह से सीधा हो कर अपने लंड को एडजस्ट किया, कि भाभी को पता ना चले. मैंने जल्दी ही शरबत ख़तम किया और अपने घर चले गया. मैंने घर जाकर उनके नाम की मुठ मारी और उनको चोदने की सोचने लगा. अब मैं छोटी – छोटी बात पर उनके घर जाने लगा और भाभी को मन ही मन चोदने का प्लान बनाने लगा.
कुछ दिन बाद, शाम को उनका कॉल आया. उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया था. तो मैं तुरंत उनके घर चले गया. घर का डोर क्नोक किया, तो भाभी ने दरवाजा खोला. दरवाजा खोलते ही, मैं ने भाभी को देखा, तो मैं देखता ही रह गया. उन्होंने रेड साड़ी पहन रखी थी और वो क्या बम लग रही थी. मन तो किया, कि मैं उन्हें इसी वक्त चोद दू.. पर वो पॉसिबल नहीं था. अब मैंने भाभी को पूछा, कि क्या काम था? तो भाभी ने बताया, कि उन्हें बाज़ार से कुछ सामान लेने जाना था. तो मैंने तुरंत हाँ बोल दी. तो उन्होंने कहा – ठीक है. हम चलते है. तो हम मेरी बाइक पर चल दिए. मैं वैसे तो काफी तेज बाइक चलाता हु. पर उस दिन भाभी की वजह से थोड़ी आराम से चला रहा था. रास्ते में भाभी ने मुझसे पूछा, कि टू कॉलेज में पढता है, तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है? मैंने उनको ना बोल दिया.
इतने में मुझे अचानक से ब्रेक लगानी पड़ी और इमरजेंसी ब्रेक लगने की वजह से भाभी के सॉफ्ट बूब्स मेरी पीठ से टकराए. क्या सॉफ्ट बूब्स थे उनके. मेरा तो तुरंत ही खड़ा हो गया. और वो भी भाभी को पता चल गया. पर वो चुप रही और उन्होंने कुछ नहीं कहा. पर मुझे हलकी सी थपकी सी मारी और नॉटी स्माइल करते हुए बोली – थोड़ा धीरे चला लो. अब मेरे मन में उनको चोदने की इच्छा और ज्यादा बढ़ गयी. भाभी को ब्रा – पेंटी लेना था और हम एक स्टोर पर चले गये. मैंने भाभी को कहा – मैं बाहर ही खड़ा हु, आप ले लीजिये. भाभी बोली – इसमें शरमाने वाली क्या बात है? तुम भी अन्दर चलो. तो मैंने कहा – ओके और हम अन्दर चले गये. वहां शोपकीपेर ने उन्हें कुछ सेट्स दिखाए और उन्होंने उनमे से ३ पेअर ले लिए और अब हम वापस घर आ गये. अब मैं मन ही मन सोच रहा था, कि आज तो भाभी को चोद कर ही रहूँगा.
घर पहुचते ही, मैं भाभी को घर छोड़ा और कहा – मैं घर जा रहा हु. तो भाभी ने मुझे रोका और अन्दर बुला लिया. मैंने पहले तो ना बोली, पर भाभी ने जिद की तो अन्दर चले गया. अब अन्दर जाते ही, मैं सोफे पर बैठ गया. भाभी अन्दर गयी और क्लॉथ चेंज करके आई. और मुझे पानी दिया. मैं अब भाभी को देखा, तो वो मुझे देख कर स्माइल कर रही थी. अब मुझे ये लगा, कि सही मौका है. तो मैं बिना कुछ सोचे – समझे, सीधे उनके होठो पर किस कर दिया. पहले तो मुझे भाभी ने रोक दिया, पर कुछ ही देर में वो भी मेरा साथ देने लगी. अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चूका था. मैंने अब उनके बूब्स भी दबाने शुरू कर दिए. वो एकदम से पीछे हटी और बोली – अभी कोई भी आ सकता है. इसलिए रात को मिलेंगे १० बजे के बाद. अब तो मेरे मन में लड्डू फुट रहे थे और मैं १० बजे का इंतज़ार करने लगा. और एक मेडिकल स्टोर से कंडोम भी ले आया सेफ्टी के लिए. और मैं घर पर बोल दिया, कि मेरे एक दोस्त के घर हम लोग ग्रुप स्टडी करने वाले है.
अब १० बज चुके थे और मैं पूरी तैयारी के साथ घर से निकल गया और भाभी के घर पर पहुच गया. घर पहुचते ही भाभी ने दरवाजा खोला. मैंने देखा, कि उन्होंने वही रेड साड़ी पहनी थी और उनकी दोनों बेटिया भी सो चुकी थी. तो मैंने उनको तुरंत किस किया. उन्होंने मुझे रोका और कहा, कि यहाँ नहीं. बेडरूम में. जैसे ही हम बेडरूम में पहुचे, तो मैं देखता ही रह गया. भाभी ने जैसे सुहागरात हो, वैसे तैयारी कर रखी थी. पुरे बेड पर रोज गिरे हुए थे और पुरे रूम में डिम लाइट जली हुई थी. और बेड के चारो तरफ कैंडल जली हुई थी. बहुत ही रोमेंटिक नज़ारा था. मैं तो देखता ही रह गया और रूम के अन्दर गया और रूम का डोर लॉक कर दिया. अब तोरल भाभी को मैं लिप किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. अब मैंने उनकी साड़ी निकाल दी और अब वो मेरे सामने ब्लाउज और पेटीकोट में थी.
अब मैं किस के साथ उनके बूब्स भी दबा रहा था. वो गरम को हो चुकी थी. अब मैंने उनकी ब्लाउज और पेटीकोट को खीच दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी में थी. मेरा लंड अब पूरा टाइट हो चूका था. अब मैंने तोरल भाभी से कहा – आप कितनी सुंदर हो. काश कि मेरी वाइफ भी आप जैसी ही हो. तो उन्होंने कहा – कि मुझे भाभी नहीं, डार्लिंग कह कर बुलाओ. आज मैं तुम्हारी भाभी नहीं बीबी हु. और आज हमारी सुहागरात है. और बोलते हुए, उन्होंने मेरी टीशर्ट और पेंट उतार दिए. अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था और वो ब्रा और पेंटी में थी. अब मैंने उनको होठो को किस किया और उनके होठो को चूस रहा था. मैं उनको १० मिनट तक किस करता रहा. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. इसलिए मैंने उनकी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी. अब मैंने उनके बूब्स पर अटैक करना स्टार्ट कर दिया और राईट बूब्स को मुह में ले कर चूस रहा था/ लेफ्ट को हाथ से दबा रहा था और वो सिसकिया ले रही थी अहहहहः अ.आ….. आहाहहः ऊऊऊ आअओअऊओ ऊऊऊऊईईईईइमा की कामुक आवाज़े उनके मुह से निकलने लगी थी.
अब उन्होंने मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरा लंड चूसने लगी. अब मैं ने उनको बेड पर लिटा दिया और उनकी चूत को चाटने लगा. वो इसी बीच में झड़ गयी और मैंने उनका सारा पानी पी लिया. अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था और इसलिए मैंने उनकी टाँगे फैलाई और अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया. मेरे लंड के उनकी चूत में जाते ही, उनकी चीख निकल गयी. अब मैंने धीरे – धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए और स्पीड बढ़ाने लगा. ऐसे ही १० मिनट तक चोदा और बाद में डोग्गी स्टाइल में चोदने लगा और उस रात और दो बार चोदा और अब जब भी तोरल भाभी के पति बाहर जाते है, तो मैं उनको चोदता हु. तो आप लोग अपने कमेंट्स जरुर लिखे… ताकि हम आपके लिए रोज़ और भी बेहतर कामुक कहानिया पेश कर सके.
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Chud fari angkal ne
मेरा साइज़ ३४ए – ३० – ३४ है. घर में मेरे अलावा माँ, पापा, दादी और एक छोटी सिस्टर है. मैं सबसे बड़ी हु. मेरा स्कूल ख़तम हो चूका था और मुझे कॉलेज चेंज करना था. मैंने चड़ीगढ़ के एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया और मैं वहां पर रहने लगी हॉस्टल में. वहां पर मेरी दो सहेलिया बन गयी थी और हम ३ लोग हमेशा साथ में ही रहते थे. एकदिन मेरी सहेली रात को रूम पर नहीं आई और हमने फ़ोन किया, तो उसने पिक नहीं किया. जब वो अगले दिन रूम पर आई, तो हमने पूछा – कि वो रात को कहाँ पर थी? उसने बताया, कि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ थी रातभर किसी होटल में. रातभर चुदाई कि और फिर उसने हमे अपनी चुदाई की कहानी बताई. मेरा तो पानी निकलने लगा था. मैंने कहा – चलो कॉलेज का टाइम हो गया है, निकलते है.
मैं नहाने गयी, तब पेंटी देखी तो वो थोड़ी गीली थी नीचे से. मैं जल्दी से नहाई और बाहर आ गयी. रात को हम जब एक साथ फिर बैठे, वो फिर से चुदाई की बातें करने लगी. मेरा मूड ख़राब हो गया था और रात को हम ११ बजे के आसपास सो गये. मेरे को नीद नहीं आ रही थी, मैंने ऊपर चादर ओढ़ी और ऊँगली करने लगी. ५ मिनट में जब मेरा पानी निकल गया और फिर मेरे को अच्छी नीद आ गयी. फिर नेक्स्ट वीक मेरे को ३ छुट्टिया आ गयी और मैं ट्रेन पर अपने घर पर आ गयी और स्टेशन पर मेरा भाई आ गया था और मुझे ले गया. ३ दिन बाद, मैं बस से वापस चड़ीगढ़ गयी और वहां जाने पर पता लगा, कि वहां पर डेंगू की बीमारी हो गयी है और गर्ल्स को हॉस्टल खाली करना था. मैंने पापा से बात की और उन्होंने मुझे कहा – कोई पीजी देख लो. मेरी फ्रेंड को एक पीजी मिल गया, लेकिन मुझे नहीं मिला. मुझे ५ दिन अकेले रहना पड़ा. सन्डे को मैंने अपने फ्रेंड से एक्टिवा मांगी और पीजी ढूंढने निकल पड़ी. एक दो जगह मेरे को सेट नहीं लगा.
फिर पता चला, कि कॉलेज के दूसरी साइड में १० मिनट की दुरी पर एक पीजी है. मैंने सोचा, क्यों ना.. वहां पर ट्राई करू? मैं घुमती – घुमती थक गयी थी, मेरे को पसीने भी आ गये थे. मैं हॉस्टल गयी, वहां पर नहाई और फिर कपड़े चेंज करने लगी. तब मैंने देखा, कि मेरी ब्रा गन्दी पड़ी है और दूसरी धुली हुई नहीं थी. मैंने सोचा – क्यों ना, बिना ब्रा के ही चली जाऊ? ऊपर दुपट्टा ले लुंगी. मैंने जीन के ऊपर कुरता डाला और फिर दुपट्टा लिया और पीजी वहां की तरफ चल पड़ी. जाते वक्त, फिर पसीने आ गये, मैं पूरी तरह से भीग गयी पसीने से. जब तक मैं पीजी पहुची, तो देखा एक बुड्डा ५५ साल का और एक बुद्दी, जो ५० के आसपास होंगी, गेट लॉक करके कहीं जा रहे थे. मैंने उनको कहा – अंकल में पीजी के लिए आई हु. उन्होंने फिर गेट खोल दिया और मुझे अन्दर बुलाया. तो मैं अन्दर चली गयी, आंटी ने बोला, कि तुम वहां पर मुह धो लो, तब तक मैं तुम्हारे लिए पानी ले आती हु. मैं कहा – नहीं आंटी, मैं ठीक हु.
फिर उन्होंने कहा, कि धो लो बेटा. मैं मुह धोने के लिए चली गयी. जब मैं वापस आई, तो अंकल ने मुझे टॉवल दिया. तब मैं गलती से अपना दुपट्टा साइड में रख दिया. आंटी मुझे पानी देकर वापस चली गयी. उन्होंने कहा – कि वो मेरे लिए नीबू पानी बनाकर ला रही है. मैं अंकल से बात करने लगी. कुछ देर बाद, मैंने नोटिस किया, अंकल की निगाहे मेरे चेहरे पर नहीं मेरे बूब्स पर थी. मेरे कुरते का बटन खुला हुआ था और मुझे ध्यान नहीं रहा, कि मैंने ब्रा नहीं पहनी हुई है. अंकल मेरे कुछ छुपे हुए और कुछ दीखते हुए चूचो को घुर रहे थे. इतने में आंटी आ गयी और मुझे से बात की. उन्होंने कहा – तुम रह सकती हो और ३५०० रूपये किराया होगा और काम में हाथ बटाना पड़ेगा. मैं मान गयी और शाम में सब सामान लेकर आ गयी और १० बजे तक खाना खा कर, मैं अपने रूम में सोने चली गयी. सुबह जब मैं जागी, तो अंकल आंटी जाग चुके थे और मैं झट से फ्रेश हुई और नहाकर बाहर आ गयी. तब तक नाश्ता बन चूका था और मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चली गयी. जब मैं वापस आई, तो दोपहर का खाना बन चूका था.
मैंने खाना खाया और घर के काम में आंटी की हेल्प की. बाकी काम हो गया था, आंटी बोली – बेटा, कपड़े रह गये है. वो धो दो. मैंने अपने और तुम्हारे अंकल के धो लिए है, मैंने कपड़े धोये और पड़ने के लिए बैठ गयी. ऐसा १० दिन तक चला और एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आई, तो देखा आंटी पैकिंग कर रही थी. मैंने पूछा – कहाँ जाने की तेयारी है? उन्होंने कहा, कि उनकी लड़की को कुछ प्रॉब्लम हो गयी है. वहां जाना है और वो १० दिन बाद वापस आएगी. उन्होंने मुझसे अंकल का ख्याल रखने को कहा. मैंने कहा, मैं ख्याल रख लुंगी घर और अंकल का, आप बेफिर्क जाओ. अंकल आंटी को छोड़ कर आ गये. मैंने रात को उनके लिए खाना बनाया और सो गयी. सुबह मैं थोड़ा जल्दी उठी और जब अंकल को उठाने गयी, तो देखा, अंकल नंगे सोये हुए है और उनका लंड हाफ खड़ा हुआ है. मैंने ये दिखा और झट से बाहर आ गयी. मैं धीरे – धीरे घर के काम करने लगी और इतने में अंकल उठ गये और मैंने उनको नहाने के लिए बोला, वो बोले – अभी मूड नहीं है.
उन्होंने फिर ब्रश किया और नाश्ता किया और टेबल पर आ गये. हम दोनों ने साथ में नाश्ता किया और बातें करने लगे. उन्होंने मुझसे अचानक से पूछा, कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड है क्या? मैंने कहा – नहीं तो. उन्होंने कहा – ये हो ही नहीं सकता, कि तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड ना हो. मैंने कहा – अंकल नहीं है और मैं नहाने चली गयी. जब मैं नहाकर बाहर आई, तो मैंने अपने कपड़े बाथरूम में ही छोड़ दिए, कि कॉलेज से आ कर धो दूंगी. मैं तैयार हुई और कॉलेज चली गयी. वापस आकर, मैंने खाना बनाया और अंकल को भी खिलाया. जब मैं बाथरूम में गयी, तो देखा मेरे कपड़े वहां पर नहीं थे. मैंने अंकल से पूछा, तो उन्होंने कहा – कि उन्होंने सारे कपड़े धो दिए है. मैंने मन में सोचा, कि अंकल ने मेरी ब्रा और पेंटी देख ली है और मैं काफी शरम आने लगी और फिर २-३ दिन में अंकल मेरे पास आने लगे और मेरी पीठ सहला देते किसी बहाने से और मेरा हाथ पकड़ लेते.
फिर ५ दिन बाद, मेरा जन्मदिन आया और मैं अभी उठी भी नहीं थी, कि मेरी फ्रेंड ने अंकल को बोल कर मेरे रूम में आ गयी और मेरे को विश किया और १० मिनट बाद वो चली गयी. तब रात के १२ बज रहे थे. मैं फिर सो गयी और सुबह जल्दी उठी और अंकल के रूम में गयी. आज अंकल का लंड फुल खड़ा था और मेरी ब्रा को उन्होंने हाथ में ले रखा था. मैं सोचने लगी, कि मेरा ब्रा उनके हाथ में कैसे आई. जब मैंने देखा, कि एक जगह से वो पूरी सुखी हुई थी, जिसपर कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था. मैं हिम्मत करके अंकल के पास गयी और उनकी जांघ के पास मेरी ब्रा पड़ी थी. जब मैं ब्रा लेने के लिए झुकी, तो उनका लंड मेरी नाक पर लग गया. बड़ी गन्दी सी स्मेल आ रही थी. फिर मैंने फिर करके जरा सा लंड पकड़ा, तो अंकल ने करवट ले ली. मैं भाग कर बाहर आ गयी और काम करने लगी. मेरा काम में मन नहीं लग रहा था. फिर अंकल उठे और उन्होंने ब्रश किया, नाश्ता किया.. लेकिन उन्होंने मुझे बर्थडे विश नहीं किया.
मैं कॉलेज चली गयी. उस दिन मैं शाम को घर लौटी, तो शाम के ७ बज चुके थे और जब मैं मेरे रूम में घुसी, तो देखा कि रूम का सारा नक्शा बदला हुआ था. हर तरफ से सजा हुआ रूम मेरा.. तभी अंकल आये और उन्होंने मुझे विश किया और मेरे को अपनी बाहों में लेकर मेरे माथे और चूमा. फिर अंकल केक ले आये और मैंने कहा – पहले गिफ्ट. उन्होंने मेरा गिफ्ट दिया, तो मैंने जब खोल कर देखा, तो उसमे ब्रा और पेंटी थी, नेट वाली रेड कलर की. उन्होंने कहा, जब मैंने तुम्हारे कपड़े धोये थे, तब देख लिया था कि पुराने हो गये थे, इसलिए नये ला दिए. फिर अंकल मेरे पास आये और बोले – पसंद है कि नहीं? मैंने कहा – आप अपनी उम्र देखो और मेरी भी. वो बोले – आई लव यू. मैं तुमसे प्यार करता हु और धीरे – धीरे वो मेरी जांघ पर हाथ फेरने लगे और हम दोनों सोफे पर बैठे हुए थे.
फिर उन्होंने मेरे बालो में हाथ फेरना स्टार्ट किया और मैं मदहोश होने लगी और फिर मेरी नैक पर हल्का सा किस किया और मेरे को लिटा कर मेरे नैक पर किस करने लगे. फिर धीरे से मेरे बूब्स प्रेस करने लगे. मेरे हाथ – पैर काँप रहे थे, अचानक मेरे मन में ख्याल आया, तू क्या कर रही है? तो मैंने अंकल को जोर से धक्का मार दिया और भाग कर कमरे में चली गयी. थोड़ी देर बाद, अंकल आये और मुझसे सॉरी बोला और मेरी मिन्नत करने लगे. पर मैं कुछ नहीं बोली और उन्होंने मेरे पैर पकडे और मैंने कहा – अंकल छोड़ दो, कोई आ जाएगा. अंकल बोले – चलो फिर केक कट लेते है. अंकल मेरे को रूम में वापस ले आये और केक काटा और अंकल ने थोड़ा सा केक मेरे मुह पर लगा दिया और मैं उनके मुह पर भी लगा दिया. ऐसा करते हुए, उन्होंने थोड़ा केक मेरे कपड़ो पर भी गिरा दिया और अपने पर भी.
ये तो गंदे हो गये कहते हुए, उन्होंने अपनी शर्ट निकाल ली और उन्होंने नीचे बनियान नहीं पहनी हुई थी. फिर उन्होंने मुझे सॉरी कहा. मैंने कहा, कि अंकल इट्स ओके. उन्होंने मुझे फिर से बर्थडे विश करने के लिए माथा चूमा और फिर गाल पर हलकी सी किस की. उन्होंने फिर मुझे सोफे पर बैठा दिया. उन्होंने मेरे होठो पर हलकी सी किस की और मैं जब कुछ नहीं कहा, तो उन्होंने उसको मेरी रजामंदी समझा और मेरे होठो को चूसने लगे. २ मिनट के बाद, मैं भी उनका साथ देने लगी थी. उन्होंने सूट के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए और फिर मुझे खड़ा किया और मेरा सूट निकाल दिया. मैं भी ये सब होने दे रही थी. फिर मेरे को वो किस करने लगे और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे को बाहों में ले लिया. वो मुझे फिर अपने कमरे में ले गये और मुझे सोफे पर बैठा दिया और मेरे को अपने ऊपर बैठा लिया और बूब्स चूसने लगे. मेरे को ये सब अच्छा लग रहा था. फिर उसने मेरे को खड़ा किया और सलवार और पेंटी एक साथ निकाल दी और मैंने उस दिन अपनी चूत साफ़ कर रखी थी. वो उसको देख कर खुश हो गए.
उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी चूत चाटने लगा और फिर अंकल ने अपनी पेंट और अंडरवियर उतारा और लंड मेरे मुह पर ले आये. मैंने मना किया, तो वो बाहर आ गये और केक लंड पर लगा कर लाये और बोला – अब तो चूस लो. मैं चूसने लगी और उन्होंने हाथ में, मेरे बाल पकड़ लिए और आगे – पीछे करने लगे और फिर उठे और मेरे नीचे एक तकिया रखा. मेरी चूत थोड़ी सी ऊपर उठा गयी और फिर उन्होंने अपने लंड को अपने हाथ से मेरी चूत के मुह पर रख दिया और धक्का दिया. पहले तो लंड फिसल गया और मेरे को हल्का सा दर्द भी हुआ. फिर उन्होंने मेरी चूत में थूक लगाया और उनका लंड तो पहले गीला हो गया था मेरे चूसने से. फिर उन्होंने दौबारा लंड लगाया और जोर से धक्का दिया और उनके लंड का टोपा मेरे चूत में चले गया और मैं चीखने लगी. उन्होंने परवाह नहीं की और ५ से ७ धक्को में पूरा का पूरा लंड अन्दर डाल दिया. फिर २ मिनट रुके और मेरे को चुप करवाया और जब मैंने नीचे हाथ लगाया, तो नीचे खून आ रहा था. मैं तो एकदम डर गयी.
तभी अंकल ने समझाया, कि कुछ नहीं होता और फिर अंकल धीरे – धीरे अन्दर बाहर करने लगे और ५ मिनट के बाद, मेरा दर्द कम हुआ और मेरे को मज़ा आने लगा. मैं ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ ऊऊऊउओ म्मम्मम्मम अहहहः अहहहहहः की आवाज़े निकाल रही थी. अंकल की सांसे तेज थी और फिर अंकल ने बोला, कि मैं लेट जाता हु, तुम मेरे ऊपर आ जाओ. अंकल लेट गये और मैंने उनका लंड पकड़ा और धीरे – धीरे उस पर बैठ गयी और पूरा लंड मेरी चूत में चला गया और फिर अंकल नीचे से धक्के लगाने लगे. मैं ऊपर से नीचे हो रही थी और अंकल मेरे बूब्स भी साथ में दबा रहे थे और कभी – कभी मेरे को किस भी करते जा रहे थे. फिर उन्होंने मुझे कहा, कि मेरा होने वाला है, थोड़ा जोर से करो.. मैं जल्दी – जल्दी ऊपर नीचे करने लगी और २० से ३० धक्को में उनका माल अन्दर ही निकल गया और मैं उन पर निढाल होकर गिर पड़ी. तब तक मेरा भी २ बार काम हो चूका था. १० मिनट, मैं उनके ऊपर ही लेटी रही और फिर मैं जब साइड में हुई, तो उनका लंड मेरी चूत में से बाहर आ गया.
फिर हमने बातें की और अंकल ने बोला, आज उन्होंने १० साल के बाद सेक्स किया है, वरना कभी – कभी हिला लेटे थे और मैंने उनको किस करके पूछा, आपको मेरे ब्रा और पेंटी का साइज़ कैसे पता? वो बोले – कि मैं रोज़ तुम्हारी ब्रा और पेंटी में मुठ मारता हु. फिर उन्होंने मुझे गले से लगाया और अगले दिन हम थोड़ा लेट उठे.
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Krishna ki chudai
ये कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की करिश्मा की है. तो मैं इंट्रोडकशन करता हु. मेरे घर के पासवाले घर में ही, वो रहती है. उनके घर में उनके मम्मी, पापा और उनका बड़ा भाई रहता है. उनके पापा जॉब करते है और उनकी मम्मी धार्मिक संस्थान में काम करती है और उनका भाई जॉब करता है और वो लड़की कॉलेज में पढाई करती है. मैं जब जॉब करता था अहमदाबाद में. मैंने जॉब को अलविदा कर दिया और कुछ दिन में अपने घर वापस आ गया. करिश्मा का ५थ सेमेस्टर के एग्जाम नजदीक आ रहे थे और वो घर पर अपनी स्टडी के लिए आई हुई थी. मैंने कभी उनको पूरी तरह से नहीं देखा था, लेकिन उनका भाई भी मेरा दोस्त था, तो मेरा उनके घर आना – जाना लगा रहता था. तो उनकी बहन ने कुछ सब्जेक्ट में हेल्प के लिए मुझसे पूछा. उनके भाई ने कहा, कि जिस सब्जेक्ट में तू कांफोर्ट है, वो उसे सिखा दे.
मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं थी. तो मैं दोपहर में उनको सिखाने के लिए उनके घर जाने लगा. उस दिन वो क्या लग रही थी. नाईट ड्रेस पहन कर घर में घूम रही थी. मुझे अपने आप को नोटिस करते हुए देख कर वो अब नाईट ड्रेस में रहती थी और मैं रोज़ उनको पढ़ाने के लिए उनके घर जाने लगा था. मैं उनको देखा और मेरा दिल धक्क्क्क से ऊपर आ जाता. फिर एक दिन तो उसने हद ही कर दी. जब मैं उनके घर के अन्दर गया, तो क्या नज़ारा था. वो नहा रही थी और उसने बाथरूम लॉक नहीं किया था. मैं उनको तिरछी नजरो से घुर रहा था. क्या मस्त फिगर था.. वो नहा रही थी और थोड़ी देर बाद, वो टॉवल लपेट कर रूम में आई. वो मुझे देख कर एकदम से चौक पड़ी. फिर मैंने कहा – चलो, अब जल्दी से तैयार हो जाओ. आज मैंने बाहर जाना है कुछ काम के लिए. तो वो बोली – आज पढ़ने का मूड नहीं है. मैंने कहा – क्यों? तो वो बोली – आज मुझे तुमसे कुछ बात बोलनी है. मैंने कहा – क्या बात है? वो बोली – मैंने कॉलेज में एक बॉयफ्रेंड बनाया है और मुझे तंग कर रहा है. मैंने कहा – ऐसा क्यों? तो वो बोली – मुझसे मेरी नंगी फोटो मांग रहा है.
तो मैंने कहा – अपने बॉयफ्रेंड को क्यों नहीं कहती, कि अब तुझसे मैं कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती. तो उसने कहा – वो अपने बॉयफ्रेंड को ये बोल चुकी है. फिर नेक्स्ट डे वो अपने घर पर अकेली थी और मैं चुपके से उसके घर में दाखिल हुआ, ये देखने के लिए, कि वो क्या कर रही थी. मैंने देखा, कि वो अपने लैपटॉप पर पोर्न मूवी देख रही थी. वो पूरी नंगी बैठी हुई थी. मैंने उनका डोर नॉक किया. तो उसने थोड़ी देर बाद अपना दरवाजा खोला. फिर मैं उनके बेड पर बैठ गया और उनके लैपटॉप में देखने लगा. मैंने कहा – कोई अच्छी मूवी है? वो बोली – तुम खुद ही देख लो ना.. मैं उनका लैपटॉप चेक करने लगा, तो मुझे पोर्न मूवी दिख गयी. वो एकदम से डर गयी. मैंने उसके चेहरे के हावभाव देख कर कहा – कोई बात नहीं है. ये ऐज ही ऐसी है. फिर मैंने कहा – कभी किसी के साथ सेक्स किया है? वो बोली – जी नहीं. तो मैंने कहा – क्यों? किया तो होगा, लेकिन मुझे बता नहीं रही हो तुम. फिर हम लोग सेक्स के बारे में बातें करने लगे और वो बोलने लगी, मेरी सेहली के साथ में काफी बातें करती हु. लेकिन आज तक किसी लड़के के साथ सेक्स नहीं किया. तब मैंने कहा – तेरा सेक्स करने का मन नहीं हुआ कभी? तो कहा – हुआ है, लेकिन मुझे डर लगता है. तो मैंने कहा – इसमें डर कौन सा? उसमे कुछ नहीं होता…
तो उसने कहा – तुम्हे कैसे पता. तो मैंने बोल दिया, कि तुझे करना है तो बता. बड़ा ही मज़ा आता है. वरना पोर्न मूवी ही देखती रहना. वो बोली – ठीक है. मेरा लौड़ा फड़फ्ड़ाया हुआ था. तो मैंने उनका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया. वो बोली – इतना बड़ा! मैंने कहा – देखना चाहती हो? वो बोली – हाँ. तो मैंने एकदम से पेंट उतारी और उसको अपना लौड़ा दिखाया. वो उसको घुर कर देखती रही. फिर उसने हलके से टच किया, तो मेरा लौड़ा झटके मारने लगा. वो देखती रही. फिर मैंने कहा – अब तू भी नंगी हो जा. तो वो बोली – मुझे शर्म आती है. मैंने कहा – इसमें शर्म कौन सी? फिर मैंने उनको नंगा कर दिया. क्या मस्त बूब्स थे उनके! उसने क्लीन शेव कर रखी थी अपनी फुद्दी की. बिलकुल विर्जिन लग रही थी.. मैं तो उनके बूब्स पर बस फ़िदा ही हो गया और उनसे खेलने लगा. फिर वो मेरे लौड़े को अपने हाथ से सहला रही थी. थोड़ी देर ऐसे करते रहने के बाद, मैंने कहा – चलो, अब असली मज़ा लेते है. तो वो बेड पर लेट गयी और मैंने अपने लौड़े का सुपाडा उनकी चूत के मुह पर रखा और हल्का सा पुश किया… तो एक दम से चिल्ला उठी.
फिर मैंने उनसे तेल लाने को बोला और वो लायी. तेल हाथ पर लगा कर मैंने वहां उनकी चूत और अपने लौड़े की बहुत सारे तेल से मालिश की. उसके बाद, फिर से अपने लौड़े को उनकी चूत पर लगाया और ट्राई किया. मेरा लौड़ा थोड़ा सा अन्दर चले गया. क्या टाइट चूत थी उसकी. फिर वो बोली – थोड़ा दर्द हो रहा है. मैंने कहा – कुछ देर ही होगा, बाद में तुम खुद ही बोलोगी, मुझे मस्त जोर से चोदो. फिर मैंने पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया और हलके से धक्के मारने लगा. सिर्फ ५ मिनट में ही मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और वो भी मस्ती के मूड में आ गयी. बाद में, मैं झड गया और वहीं पोजीशन में पड़ा रहा. फिर जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला, तो उसने देखा कि उनकी मेरे लंड का साइज़ छोटा हो गया है. तो मैंने कहा – तुम तुम्हारे हाथो से उसको सहलाना शुरू कर दो, वो फिर से खड़ा हो जाएगा. अगर तेरे को दूसरी बार मज़ा लेना है तो. वो बोली – अभी तो मज़ा लेना बाकी है. आज घर पर मम्मी ३ घंटे बाद आने वाली है. फिर से मेरा लंड खड़ा हुआ और मैं फिर से उनकी अलग – अलग पोजीशन में चुदाई करने लगा.
वो भी आधे घंटे के बाद झड गयी और बेड पर लेटी रही. मैं भी थोड़ी बाद झड गया और वही पोजीशन में पड़ा रहा. फिर जब मैं बाथरूम में नहाने चला गया, तो वो भी मेरे साथ चली आई और फिर से उन्हें चुदने का मन हो रहा था. फिर हम दोनों बाथरूम में ही सेक्स करने लगे. मैंने तो उनके बूब्स को चूस – चूस कर लाल कर दिया था. फिर मैंने उनको दिवार के साथ खड़ा किया और उनकी चूत में लंड डाल कर हलके – हलके धक्के लगाने लगा और फिर उनकी चूत में झड गया. उस दिन हमने ३ बार सेक्स किया और मैं उनकी मम्मी के आने से पहले घर आ गया. फिर वो अपने कॉलेज आ गयी और मैं जॉब पर वापस. हम एक ही सिटी में थे, तो हम अक्सर मिलते और लाइफ के मजे लुटे
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Dhobhi ghat par chudai 10
मुझे तो ज़ल्दी से माँ के साथ सोने की हड़बड़ी थी कि कैसे माँ से चिपक के उसके माँसल बदन का रस ले सकूँ। पर माँ रसोई साफ करने में ज़ुटी हुई थी, मैंने भी रसोई का सामान सम्भालने में उसकी मदद करनी शुरु कर दी।
कुछ ही देर में सारा सामान ज़ब ठीक ठाक हो गया तो हम दोनों रसोई से बाहर निकले!
माँ ने कहा- जा, दरवाजा बंद कर दे।
मैं दौड़ कर गया और दरवाजा बंद कर आया।
अभी ज्यादा देर तो नहीं हुई थी, रात के साढ़े नौ ही बजे थे पर गाँव में तो ऐसे भी लोग जल्दी ही सो जाया करते हैं। हम दोनों। माँ बेटा छत पर आकर बिछावन पर लेट गए।
बिछावन पर माँ भी मेरे पास ही आकर लेट गई थी।
माँ के इतने पास लेटने भर से मेरे बदन में एक गुदगुदी सी दौड़ गई, उसके बदन से उठने वाली खुशबू मेरी सांसों में भरने लगी और मैं बेकाबू होने लगा था, मेरा लण्ड धीरे धीरे अपना सर उठाने लगा था।
तभी माँ मेरी ओर करवट लेकर घूमी और पूछा- बहुत थक गये हो ना?
‘हाँ माँ, जिस दिन नदी पर जाना होता है, उस दिन तो थकावट ज्यादा हो ही जाती है।’
‘हाँ, बड़ी थकावट लग रही है, जैसे सारा बदन टूट रह हो।’
‘मैं दबा दूँ, थोड़ी थकान दूर हो जाएगी।’
‘नहीं रे, रहने दे तू, तू भी तो थक गया होगा।’
‘नहीं माँ, उतना तो नहीं थका कि तेरी सेवा ना कर सकूँ।’
माँ के चेहरे पर एक मुस्कान फैल गई और वो हंसते हुए बोली- दिन में इतना कुछ हुआ था, उससे तो तेरी थकान और बढ़ गई होगी।’
‘हाय, दिन में थकान बढ़ने वाला तो कुछ नहीं हुआ था।’
इस पर माँ थोड़ा सा और मेरे पास सरक कर आई।
माँ के सरकने पर मैं भी थोड़ा सा उसकी ओर सरका। हम दोनों की सांसें अब आपस में टकराने लगी थी।
माँ ने अपने हाथों को हल्के से मेरी कमर पर रखा और धीरे धीरे अपने हाथों से मेरी कमर और जांघों को सहलाने लगी।
माँ की इस हरकत पर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई और लण्ड अब फुफकारने लगा था।
माँ ने हल्के-से मेरी जांघों को दबाया। मैंने हिम्मत करके हल्केसे अपने काम्पते हुए हाथों को बढ़ा कर माँ की कमर पर रख दिया।
माँ कुछ नहीं बोली, बस हल्का-सा मुस्कुरा भर दी।
मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं अपने हाथों से माँ की नंगी कमर को सहलाने लगा।
माँ ने केवल पेटिकोट और ब्लाउज़ पहन रखा था। उसके ब्लाउज़ के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे।
इतने पास से उसकी चूचियों की गहरी घाटी नजर आ रही थी और मन कर रहा था किजल्दी से जल्दी उन चूचियों को पकड़ लूँ।
पर किसी तरह से अपने आपको रोक रखा था।
माँ ने जब मुझे चूचियों को घूरते हुए देखा तो मुस्कुराते हुए बोली- क्या इरादा है तेरा? शाम से ही घूरे जा रहा है, खा जायेगा क्या? ‘हाय माँ तुम भी क्या बात कर रही हो, मैं कहाँ घूर रहा हूँ?’
‘चल झूठे, मुझे क्या पता नहीं चलता? रात में भी वही करेगा क्या?’
‘क्या माँ?’
‘वही, जब मैं सो जाऊँगी तो अपना भी मसलेगा और मेरी छातियों को भी दबायेगा।’
‘हाय माँ।’
‘तुझे देख कर तो यही लग रहा है कि तू फिर से वही हरकत करने वाला है।’
‘नहीं माँ।’
मेरे हाथ अब माँ की जांघों को सहला रहे थे।
‘वैसे दिन में मजा आया था?’ पूछ कर माँ ने हल्के से अपने हाथों को मेरी लुंगी के ऊपर लण्ड पर रख दिया।
मैंने कहा- हाय माँ, बहुत अच्छा लगा था।’
‘फिर करने का मन कर रहा है क्या?’
‘हाय माँ।’
इस पर माँ ने अपने हाथों का दबाव जरा सा मेरे लण्ड पर बढ़ा दिया और हल्के हल्के दबाने लगी।
माँ के हाथों का स्पर्श पाकर मेरी तो हालत खराब होने लगी थी, ऐसा लग रहा था कि अभी के अभी पानी निकल जाएगा।
तभी माँ बोली- जो काम तू मेरे सोने के बाद करने वाला है, वो काम अभी कर ले। चोरी चोरी करने से तो अच्छा है कि तू मेरे सामने ही कर ले।
मैं कुछ नहीं बोला और अपने काम्पते हाथों को हल्के से माँ की चूचियों पर रख दिया। माँ ने अपने हाथों से मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी छातियों पर कस के दबाया और मेरी लुंगी को आगे से उठा दिया और अब मेरे लण्ड को सीधे अपने हाथों से पकड़ लिया।
मैंने भी अपने हाथों का दबाव उसकी चूचियों पर बढ़ा दिया, मेरे अंदर की आग एकदम भड़क उठी थी, और अब तो ऐसा लग रहा था कि जैसे इन चूचियों को मुंह में लेकर चूस लूँ।
मैंने हल्के से अपनी गर्दन को और आगे की ओर बढ़ाया और अपने होंठों को ठीक चूचियों के पास ले गया।
माँ शायद मेरे इरादे को समझ गई थी, उसने मेरे सिर के पीछे हाथ डाला और अपनी चूचियों को मेरे चेहरे से सटा दिया।
हम दोनों अब एक दूसरे की तेज चलती हुई सांसों को महसूस कर रहे थे।
मैंने अपने होठों से ब्लाउज़ के ऊपर से ही माँ की चूचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा। मेरा दूसरा हाथ कभी उसकी चूचियों को दबा रहा था, कभी उसके मोटे मोटे चूतड़ों को।
माँ ने भी अपना हाथ तेजी के साथ चलाना शुरु कर दिया था और मेरे मोटे लण्ड को अपने हाथ से मुठिया रही थी।
मेरा मजा बढ़ता जा रहा था।
तभी मैंने सोचा ऐसे करते-करते तो माँ फिर मेरा निकाल देगी और शायद फिर कुछ देखने भी न दे, जबकि मैं आज तो माँ को पूरी नंगी करके जी भर कर उसके बदन को देखना चाहता था।
इसलिए मैंने माँ के हाथों को पकड़ लिया और कहा- हाय माँ, रुको।
‘क्यों, मजा नहीं आ रहा है क्या जो रोक रहा है?’
‘हाय माँ, मजा तो बहुत आ रहा है मगर?’
‘फिर क्या हुआ?’
‘फिर माँ, मैं कुछ और करना चाहता हूँ। यह तो दिन के जैसा ही हो जाएगा।’
इस पर माँ मुस्कुराते हुए पूछा- तो तू और क्या करना चाहता है? तेरा पानी तो ऐसे ही निकलेगा ना, और कैसे निकलेगा?
‘हाय नहीं माँ, पानी नहीं निकालना मुझे।’
‘तो फिर क्या करना है?’
‘हाय माँ, देखना है।’
‘हाय, क्या देखना है रे?’
‘हाय माँ, यह देखना है।’ कह कर मैंने एक हाथ सीधा माँ की बुर पर रख दिया।
‘हाय बदमाश, ये कैसी तमन्ना पाल ली तूने?’
‘हाय माँ, बस एक बार दिखा दो ना।’
‘नहीं, ऐसा नहीं करते। मैंने तुम्हें थोड़ी छूट क्या दे दी, तुम तो उसका फायदा उठाने लगे।’
‘हाय माँ, ऐसे क्यों कर रही हो तुम? दिन में तो कितना अच्छे से बातें कर रही थी।’
‘नहीं, मैं तेरी माँ हूँ बेटा।’
‘हाय माँ, दिन में तो तुमने कितना अच्छा दिखाया भी था, थोड़ा बहुत?’
‘मैंने कब दिखाया? झूठ क्यों बोल रहा है?’
‘हाय माँ, तुम जब पेशाब करने गई थी, तब तो दिखा रही थी।’
‘हाय राम, कितना बदमाश है रे तू? मुझे पता भी नहीं लगा, और तू देख रहा था? हाय दैया, आज कल के लौंडों का सच में कोई भरोसा नहीं। कब अपनी माँ पर बुरी नजर रखने लगे, पता ही नहीं चलता?’
‘हाय माँ, ऐसा क्यों कह रही हो? मुझे ऐसा लगा जैसे तुम मुझे दिखा रही हो, इसलिए मैंने देखा।’
‘चल हट, मैं क्यों दिखाऊँगी? कोई माँ ऐसा करती है क्या?’
‘हाय, मैंने तो सोचा था कि रात में पुरा देखूँगा।’
‘ऐसी उल्टी-सीधी बातें मत सोचा कर, दिमाग खराब हो जायेगा।’
‘हाय माँ,
ओह माँ, दिखा दो ना, बस एक बार। सिर्फ़ देख कर ही सो जाऊँगा।’
पर माँ ने मेरे हाथों को झटक दिया और उठ कर खड़ी हो गई, अपने ब्लाउज़ को ठीक करने के बाद छत के कोने की तरफ चल दी।
छत का वो कोना घर के पिछवाड़े की तरफ पड़ता था और वहाँ पर एक नाली जैसा बना हुआ था जिससे पानी बह कर सीधे नीचे बहने वाली नाली में जा गिरता था।
कहानी जारी रहेगी।
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Shobha chachi ki chudai
मेरा नाम राजेश है और मेरी ऐज २१ है और मैं इंजीनियरिंग कर रहा हु. मैं ओडिशा का रहने वाला हु और मेरी चाची जिनका नाम शोभा है और उनकी ऊम्र ३४ है और साइज़ ३२-३०-३४ है. तो मैं अब सीधे स्टोरी पर आता हु. मैं एक बार, अपने गाँव गया हुआ था छुट्टी पर. ये बात तब की ही है. मुझे अपनी चाची को चोदने की पहले ही इच्छा थी और मैं उनको जब भी चांस मिलता, तब उनको छु देता था और कभी किस भी किया करता था, चिक्स पर. वो कुछ बुरा नहीं मानती थी. अचानक एकदिन, मुझे चाची ने बुलाया और कहा, कि उनको बाहर जाना है और मैं उनको लेकर चलू. मैंने हामी भर दी. हम दोनों तैयार हो गये और निकल गये. चाची ने उस दिन रेड कलर की साड़ी पहनी हुई थी. क्या कयामत लग रही थी उस दिन वो. मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया.
फिर उन्होंने मुझे एक चूमटी काटी, तो मैं होश में आया. हम चल दिए. मैं बाइक चला रहा था और वो मेरे पीछे थोड़ी चिपक कर बैठी हुई थी. अचानक से स्पीड ब्रेकर आ गया और मैंने जोर से ब्रेक लगाये. वो सीधे मेरे ऊपर टकरा गयी. और उनके बूब्स मेरी पीठ में गड गये. मेरा तो वहीं खड़ा हो गया. ऐसे लगा, जैसे किसी चीज़ से मैं टकरा गया हु. फिर हमने शौपिंग की और आते – आते रात हो गयी थी. हम डिनर करके सो गये और अगले दिन, हुआ यू कि घर के लोग कहीं बाहर जा रहे थे. पर चाची की तबियत ख़राब थी, तो वो नहीं जा रही थी. फिर सुबह ८ बजे सब निकल गये और घर में मैं और मेरी चाची अकेले रह गये थे. चाची नहाने जा रही थी. जैसे ही वो अन्दर गयी, मैंने उनके कमरे में जाकर उनकी ब्रा और पेंटी को लगा सूंघने. मैंने वहीँ मुठ मारनी शुरू कर दी और तभी अचानक से चाची आ गयी और मुझे देख लिया. मेरी तो फट गयी और फिर उन्होंने मुझे खूब डाटा और एक चाटा भी लगा दिया. मैं वहां से चले गया और फिर मैंने उससे बात नहीं की. वो भी मुझसे बात नहीं कर रही थी. शाम को जब मैं टेरेस में घूम रहा था, तो चाची आई और मूझे बुलाया और मुझे लगा, कि और चाटा खाना पड़ेगा.
पर चाची मुझसे कुछ अलग ही ढंग से बात कर रही थी और रात को हम दोनों ने डिनर किया और उसके बाद, मैं टीवी देख रहा था. तो चाची आई और मेरे पास ही बैठ गयी. और मुझसे सॉरी कहा और फिर मैंने उनसे माफ़ी माग ली. हम दोनों अब टीवी देख रहे थे और उसके बाद, हम अपने – अपने कमरों में सोने चले गये. एटलास्ट वो दिन आ गया, जब मैंने ठान ली थी, कि अब मैं चाची को चोद कर ही रहूँगा. मैं नहाने गया और देखा, चाची के कपड़े वहीँ पड़े हुए थे. मैंने चाची की पेंटी उठाई और सूंघने लगा और मुठ कार कर उनकी ब्रा और पेंटी पर गिरा दिया और नहा कर वापस आ गया. फिर जब मैं कॉलेज जा रहा था. तब चाची आई और बोला, कि आज कॉलेज मत जाओ. मुझे दाल में कुछ काला लगा. मैंने ओके कहाँ और कॉलेज नहीं गया. मैं कपड़े बदल कर टीवी देखने लगा. टीवी पर “आशिक बनाया आपने..” सोंग चल रहा था और उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने पीछे देखा, तो चाची भी वो देख रही थी और चाची मेरे पास आई और बैठ गयी.
उन्होंने मुझसे पूछा, कि मैंने आज बाथरूम में क्या किया? मैं समझ गया. मुझे लगा, कि आज फिर से क्लास लगने वाली है. लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ, कि मैं हैरान हो गया. चाची ने मुझे मेरे लिप पर किस किया और मैं शौक रह गया. उन्होंने मुझसे कहा, कि वही कई सालो से प्यासी है वो मुझसे चुदना चाहती है. फिर क्या था, मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चूका था और मैं शुरू हो गया. मैं उनको रोमेंटिक किस कर रहा था और उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और मुझे अपने बेडरूम में ले गयी. उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगी हो गयी. वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और मुझे पागलो की तरह किस करने लगी. वो किस करते – करते नीचे आई और झट से मेरे लंड को अपने मुह में लेकर चूसने लगी. ऊऊह्हह्हह्हह्हह्हह शिटत्त्तत्त्त्तत्त… मैं तो सीधे ही स्वर्ग पहुच गया. उन्होंने करीब २० मिनट चूस कर मेरी हालत ख़राब कर दी. फिर मैंने उनको नीचे किया और उनको किस करने लगा वो उम्म्मम्म उम्म्म्मम्म उम्म्मम्म की आवाज़े निकाल रही थी. फिर मैंने उनकी चुचियो को पागलो की तरह चूम रहा था और काट भी रहा था.
वो बोलती जा रही थी येस्स्स्स अहहहः अहाहः डार्लिंग फिर अहहहः चाची मस्ती में मदहोश हो चुकी थी और उन्होंने मुझे एक थप्पड़ भी मारा, लेकिन प्यार से. मैं उन्हें बोल रहा था .. अहहहः हहहः चाची अब बहुत गरम हो… वो मुझे थप्पड़ मार कर बोली – चाची नहीं, शोभा बोल. फिर मैं और नीचे आया और उनकी चूत को चुसना स्टार्ट किया. उनकी चूत में से हल्का – हलका पानी आने लगा था. चाची चिला रही थी आआअह्हह्हहऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़् ऊउम्म्म एस राजेश .. बहुत अच्छा लग रहा है… हीईईईई .. उम्म्मम्म्म्म म्मम्मम्म और चाची पागलो की तरह चिल्ला रही थी. वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी. मैं समझ गया था, कि वो झड़ने वाली है. मैंने उनकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाल दी और चूसने लगा. फिर वो झड़ गयी और मैंने उनका पूरा पानी पी लिया. फिर चाची ने कहा – अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. प्लीज डाल दो अपना अन्दर.. पर, मैं अभी कहाँ डालने वाला था. मैं बाहर गया और फ्रिज से हनी ले आया और चाची की चूत पर डाल कर उसे चूसने लगा. वो तड़प रही थी और इस बार मैं उन्हें अपनी टंग से फक कर रहा था. करीब ३५ मिनट बाद, वो फिर से झड़ गयी और अब वो मुझे लेटा कर मेरे लंड पर हनी डाल कर चूसने लगी.
मैं तो स्पीचलेस हो गया और आँखे बंद कर एक नशे में चला गया. फिर मैं झड़ गया और चाची ने पूरा पी लिया. फिर हमने एक दुसरे को एक लम्बी समुच दी और मैंने अब चाची को नीचे लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया. मैंने अब उनकी चूत में पूरा लंड डाल दिया. चाची छटपटाते हुए बोली, जल्दी डालो ना जानू… मैं भी हाँ जानू बोलते हुए, धक्के मार रहा था. मेरे पहले जोरदार धक्के में, मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया. चाची चिल्ला उठी. मैं झट से उनको किस करने लगा. फिर कुछ देर किस करने के बाद, वो शांत हो गयी और नीचे से गांड हिलाकर इशारा किया. फिर मैंने धीरे – धीरे लंड अन्दर – बाहर करना शुरू किया. जब उनको मज़ा आने लगा, तो मैं एक और जोरदार झटका मारा और पूरा लंड अन्दर समा गया. उनकी फिर से चीख निकल गयी. अब थोड़ी देर बाद, उनको भी मज़ा आने लगा था और वो नीचे अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थी और चीख भी रही थी… येस्सस्सस्स स्स्स्स स्श्श्शश्ह्ह्हह्ह और जोर से और जोर चोदो ..ह्म्म्मम्म म्मम्मम और जोर से मेरी जान… मुझे ये सब सुनकर सुख मिल रहा था और मैं और जोर से धक्के लगाने लगा.
फिर उन्होंने मुझे जोर से जकड लिया और मैं समझ गया, कि वो झड़ने वाली है और वो झड़ गयी. मैंने फिर भी चुदाई चालू रखी. मैंने उसके बाद, उनको डौगी स्टाइल में चोदा और वो बस यही बोल रही थी अहहहः अहहः येस्स्स्स जान, आई लव यू… काश, तुम मेरे पति होते… फिर वो अहहहः अहहाह आआअह्हह्हह ह्ह्ह्हह आआम्म्मा म्म्माआ ममा म्माममम लार रही थी. पुरे कमरे में हमारी चुदाई की ही आवाज़ आ रही थी. फिर उन्होंने मुझे धक्का देकर लिटाया और खुद मेरे लंड पर बैठ गयी और मैं नीचे से लंड अन्दर – बाहर कर रहा था. मैं अब एक्सट्रीम लेवल पर आ चूका था. मैंने उनको बोला – कहाँ निकालू. तो उन्होंने झट से मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और मस्त होकर मेरा सारा माल पी गयी. फिर २ घंटे की चुदाई के बाद, हम दोनों एक दुसरे से चिपक गये और सो गये. उस पुरे दिन, हमने सिर्फ चुदाई की और मस्ती की. उसके बाद तो मैंने जब भी मौका मिला, तब – तब चाची की चुदाई की. वो सब फिर कभी.. आप मुझे जरुर बताना, कि आपको मेरी ये स्टोरी कैसी लगी.
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