Quantcast
Channel: हिंदी सेक्स स्टोरी
Viewing all 293 articles
Browse latest View live

Bhan ko sadi ke bad choda

$
0
0

image

ये स्टोरी तब की है, जब मेरी शादीशुदा बहन मेरे घर छुट्टिया मनाने आई थी. पहले मैं अपनी फॅमिली के बारे में बता दू. घर में. मैं, मेरे पापा और मेरी मम्मी ही रहते है. मेरी बड़ी बहन अंशु की शादी होके ४ साल हो गये है और उसको एक २ साल का बच्चा भी है. मेरी बहन की जब शादी हुई थी, तो उसका फिगर कुछ खास नहीं था. वो बहुत पतली थी. शादी के बाद, वो मुंबई रहने चली गयी थी और मैं अपनी पढाई पूरी करने के लिए बंगलोर में था. मेरी इंजीनियरिंग के एक्साम्स ख़तम होते ही मैं घर आ गया. तब मम्मी ने बताया, कि तेरी अंशु दीदी और छोटी बेबी छुट्टिया मनाने आ रहे है. अगले दिन, सुबह जब पापा उनको उनके लेके आये. मैं बहुत खुश हो गया. दीदी को जब पता चला, कि मैं भी घर आया हु. तो वो तुरंत ही मेरे कमरे में आ गयी और वो मुझे देखते ही मुझसे चिपक गयी. मैं भी एक्साइट होके, दीदी को गले लगा लिया. मैं उनको देखकर दंग रहा गया.
उनकी छाती काफी फुल चुकी थी और दीदी का शरीर काफी भर सा गया था. उसदिन, हम सब बाहर खाना खाने गये. उधर उनको घड़ी – घड़ी कॉल्स आ रहे थे जीजा जी के. रात को जब हम वापस आये, तो दीदी मेरे कमरे में आई. मैं छोटी बच्ची के साथ खेल रहा था. वो कुछ काम से कमरे से बाहर गयी. तब उनके मोबाइल में मेसेज आया. मैंने देखा, तो वो जीजू का था. उन्होंने लिखा था, जानू जल्दी आ जाओ. मेरा नाग तुम्हारे मुह में जाने के लिए तड़प रहा है. मैं देखता ही रह गया. फिर मैंने मोबाइल रख दिया. देखना चाहता था दीदी क्या रेस्पोंड करती है. जब दीदी ने आकर मोबाइल में मेसेज पढ़ा, तो अजीब सी मुस्कान उनके मुह पर आ गयी. उन्होंने भी मेसेज टाइप करके भेज दिया. मुझे देखना था, कि क्या लिखा था. दुसरे दिन सुबह वो नहाने गयी. तभी मैंने उनका मेसेज पढ़ा. तो मैं पागल हो गया. उन्होंने लिखा था, कि मेरी चूत की हालत बहुत ख़राब हो रही है. मैं जब वापिस आउंगी, तो इससे बुरी तरीके से मारना. तभी मैं समझ गया, कि दीदी सेक्स की भूखी है और हर रोज़ चुदती है.
पापा मम्मी को अचानक बाहर जाना आया. वो सीधा शाम को लौंटने वाले थे. मैं जॉब इंटरव्यू देने गया था. दोपहर को घर आया. तब सिर्फ दीदी थी. आज उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी और वो फ़ोन पर बात कर रही थी. जिस तरह से वो बात कर रही थी, मैं समझ गया था, कि वो फ़ोन पर चुदवा रही है. मुझे खाना देकर वो कमरे में चली गयी. खाना खाने के बाद, मैं जब हाथ धोने कमरे के उधर गया, तो अजीब सी आवाज़े आ रही थी. मैंने कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खोलकर देखा, तो मेरी आँखे फटी रह गयी. मेरी दीदी फ़ोन पर बात करते – करते साड़ी के अन्दर हाथ डालकर चूत सहला रही थी. वो फ़ोन पर बोल रही थी अहहहः अहहहः उइऊइउईईईई… चूत पूरी गीली है राजा… डंडा डाल दो अहहहः ह्ह्हह्ह… वैसे कुछ समय चला और फिर वो ढीली पड़ गयी. अब मेरे मन में भी, मेरी दीदी के लिए ख़राब खयाल चालू हो गये. मैं तुरंत अपने कमरे में जाकर प्लान बनाने लगा, कि दीदी को कैसे चोदा जाए. तब तक वो बाहर आकर सोफे पर बैठ गयी थी. मैं उनके पास जाकर बैठ गया. हमने काफी सारी बातें की. काम वाली काम ख़तम करके चली गयी.
तब उन्होंने मुझे बोला, कि शादी कब करनी है? मैंने बोला, टाइम है. वो बोली – कर ले राजा भैया, शादी के बाद तो मज़े ही मज़े है और वो मुस्कुराने लगी. मैं समझ गया, कि वो क्या कहना चाहती है! मैंने अनजान बनकर पूछा, बोलो ना दीदी; क्या मज़े आते है? वो शर्मा गयी. तब मैंने बोला, हाँ एक मज़ा तो है. उन्होंने पूछा – क्या? तो मैंने उन्हें बताया, कि मैंने उनको फिन्गेरिंग करते हुए देख लिया था. उनका मुह शर्म से लाल हो गया और वो कमरे में भाग गयी. मैं तुरंत उनके पीछे गया. तो उन्होंने कहा – ये सब तो होता रहता है, मिया – बीवी के बीच. मैं हंस पड़ा. हँसते – हँसते, मैंने उनको पूछा. दीदी एक बाद पुछु? दीदी बोली – पूछ? मैं – क्या जीजा जी तुम्हारी हर रोज़ लेते है? वो बोली – हट बेशर्म, ये क्या पूछ रहा है? मैं – दीदी, बताओ ना. दीदी – हाँ, वो जान निकाल देते है. एकदिन भी नहीं छोड़ते मुझे. मैं जब टाइम में रहती हु, तो साले मेरे दुसरे होल में डाल देते है. मैंने पूछा – आपको मज़ा आता है? दीदी – हाय.. मैं तो यहीं चाहती हु, कि वो मुझसे ऐसे ही करते रहे. ये सब सुनकर, मेरा लंड अन्दर उठने लगा था.
दीदी ने मेरा उभार देख लिया और हँसने लगी और बोली – आग लगी है क्या?
मैं – हाँ, इसी को कोई बुझाने वाला चाहिए. वो समझ गयी और सीधा मेरे लंड पर हाथ रख दिया. मुझे तो १००० वोल्ट का झटका लगा. मैंने कहा – दीदी क्या मैं आपको नंगा देख सकता हु? वो बोली – ठीक है. लेकिन पहले सारे दरवाजे बंद करके आ जा. मैं तुरंत उठा और सारे दरवाजे बंद करके बेडरूम में वापस आया. जब मैं बेडरूम में वापस आया, तो वो बोली – ये गलत है. तुम मेरे सगे भाई हो. मैं रूठकर बाहर आ गया. फिर थोड़ी देर बाद, वो आई और बोली, कि चलो अब कुछ नहीं तो, तुम मुझे ऊपर से सहला सकते हो. मैंने कहा – चलो, कुछ तो मिला. मैं सीधा उनके बूब्स पर हाथ चलाने लगा. वाओ, क्या सॉफ्ट थे. मैं उन्हें दबा रहा था. फिर मैंने उपर से ही उनकी चूत सहलानी चालू की. दीदी गरम होती जा रही थी. मैंने उनके ब्लाउज के अन्दर हाथ डालना चाहा, पर कुछ सोचने लगा. दीदी बहुत गरम हो चुकी थी, कि मैंने कब उनका ब्लाउज खोला, उनको पता ही नहीं चला. मैं उनकी ब्रा से उनकी चुचिया दबा रहा था.
उन्होंने मुझे बेडरूम में आने को कहा. बेडरूम में जाते ही, मैं एक भूखे शेर की तरह टूट पड़ा. उनको सिर्फ ब्रा और पेंटी में ले आया. ओह माय गॉड. मैं यहीं सोच रहा था. जीजा जी कितने लक्की है. जोकि इस गरम बदन को चोदते है. मैं भी अब सिर्फ अंडरवियर में था. उनको थोड़ा होश आया, तब वो वापस मना करने लगी और भागने लगी. तभी मैंने उनको अपनी तरफ खीचा और बोला, आज तो आपको नहीं जाने दूंगा. उन्होंने बोला, ये गलत है. मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और उनको मेरा ७.५ लम्बा और २.५ बड़ा लंड दिखा दिया. वो देखकर कहने लगी, ये क्या है? हाय भगवान, ये तो मुह में भी पूरा नहीं आएगा. अब मैं उसे तड़पाने लगा. कुछ देर बाद, वो बोली – कि एक प्रोमिस करो. आज तुम्हे जो करना है, करो. लेकिन, किसी को मत बताना. मैं एकदम से ये गल मान गया. आह्ह्ह्ह .. क्या मुलायम थे दीदी के निप्पल. वो एकदम खड़े थे. तब उन्होंने मेरे मुह को पकड़ा और सीधा उनके बूब्स पर दबाने लगी.
बोल रही थी… चूस राजा.. ये तेरे ही कबूतर है ये आज.. चूस ले .. पूरी तरह से चूस ले… मेरे दूध, आज तेरे है. पीले… पुरे पीले.. मैं उनके एक बूब को दोनों हाथ से पकड़ कर पी रहा था और बोला, ये कबूतर में कितना दूध है. दुसरे को निचोड़ रहा था. मैं उनके पुरे चूचो को अपनी जीभ से चाट रहा था. इनती ही देर, मैं घुटनों पर बैठ गयी और मेरा लंड हिलाने लगी. वो बोली, तू मेरा दूसरा सैया है. ऐसा लंड मुझे कहीं नहीं मिलेगा. और सीधा मेरे सुपाडे मुह में लेकर चूसने लगी. मेरा लंड आगे – पीछे करके देखने लगी. उसने मुझे बोला, कि मुझे सेक्स के टाइम पर गाली बोलना बहुत पसंद है. उसने ये कहते हुए बोला मुझे, वाह भडवे! क्या मस्त लंड है तेरा. मैं तो शौक हो गया. मुझे ऐसा लग रहा था, कि मैं एक रंडी को चोद रहा हु. मैं भी उसके बाल पकड़के उसके मुह में लंड देता रहा और बोलता था, ले रंडी.. पूरा ले. आज ये तेरी चूत चीर देगा. ले रंडी रे. फिर मैं उसकी चूत में अपनी जीभ लगाने लगा. तो सिसक उठी. वो सीधा बोली – कितनी औरत या लडकियों को चोद चूका है, तू? मैं उनकी ये बाद सुनकर पागलो की तरह उनकी चूत चाटने लगा.
वो पूरी गीली हो गयी थी. मैं उनका पूरा पानी पी गया. उनकी चूत की खुशबु मुझे पागल कर रही थी. अब वो मुझे लंड अन्दर डालने को बोलने लगी. मैंने लंड उनकी चूत के मुह पर रखा और घुमाने लगा. वो तड़प रही थी. मैंने अचानक से शॉट मारा, तो मेरा आधा लंड अन्दर चले गया. वो थोड़ा चिल्ला उठी. फिर मैंने अपने दुसरे धक्के के साथ, अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया. वो मचल उठी. बोली राजा, चोद आज. तेरी रंडी को चीर दे.. फाड़ दे. मैंने अपनी स्पीड बढाई और धक्का देने लगा. वो गांड उछाल – उछाल कर मेरे हर शॉट का जवाब दे रही थी. मैंने उसको अपने ऊपर खीचा और मेरे लंड पर वो एक मैना की तरह उछल रही थी. मैं नीचे से दनादन चूत बजा रहा था उसकी. क्या रंडी जैसे हरकते कर रही थी वो. मैं उसके बॉल दबा रहा था. मैंने उससे कहा, पानी आ रहा है मेरा. उसने बोला, चूत में ही डाल दे. फिर डालने के बाद, उन्होंने मुझे कहा कि मैंने नसबंदी की हुई है. टेंशन ना ले. लेकिन, मेरा लंड अभी भी खड़ा था. मैंने उनको बोला, मुह में ले लो पूरा ना. पूरा तैयार हो जाएगा वापिस से.
वो तो बस ये बोलने की देर थी. इस टाइम उन्होंने मेरी गोटिया खूब चुसी. मैं इस बार इनको डौगी पोजीशन में चोदा. मैंने उनको कमर से उचका के उनकी गांड को पकड़ लिया और हवा में शॉट देने लगा. वो बोली, ऐसी चुदाई, उसकी कभी नहीं हुई थी. उसको मैं २० मिनट तक ये पोजीशन में चोदा. वो पूरा सैटइसफाई हो गयी थी. वो दो बाद झड़ चुकी थी. मैंने उनको कहा, कि मैं फिर से आने वाला हु. तो उन्होंने कहा, कि इस बार मेरे मुह में दे दे. मैंने अपना सारा वीर्य उनके मुह में डाल दिया. वो बोली, सेकंड टाइम में भी इतना वीर्य निकालता है तेरा लंड. उससे तेजाब लगा. हम थक गये थे और हम सो गये. अचानक शाम को बेबी की रोने की आवाज़ आई. दीदी उठ गयी. मैंने इस बार उनकी गांड मारी. वो बहुत चिल्लाई. मैं उस टाइम से लेकर आज तक उनकी खूब चुदाई की है. शायद ४० – ५० बार या उससे भी ज्यादा. घर पर मौका नहीं मिलता, तो उनको होटल में लेजाकर चोदता हु. मेरी दीदी मेरे बीवी बन चुकी है.
Rajsharma67457@gmail. Com


Ma ki madhosi ka fayda

$
0
0

image

ये घटना आज से लगभग ३ साल पहले की है. मैं १८ साल का था और मेरे १२ के एग्जाम अभी – अभी ख़तम हुए थे और रिजल्ट का इंतज़ार कर रहा था. हम अपने नये घर में शिफ्ट ही हुए थे, कुछ महीने पहले. तभी पापा ने अपने बिज़नस में मिले प्रॉफिट को सेलिब्रेट करने के लिए पार्टी दी.
सभी काफी एन्जॉय कर रहे थे. तभी सब की नज़र घर की सीढियों पर टिक गयी. मेरी माँ जो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. नीचे आ रही थी. मेरी माँ की उम्र ३८ साल है और उनका रंग भी काफी गोरा है. उनके मस्त बड़े – बड़े बूब्स लगभग ३८ – ४० के होंगे. पतली कमर जोकि लगभग २८” की थी और उनका दीवाना बना देने वाली गांड ४०” की. मेरी माँ ने पापा की दी हुई ऑरेंज शिफोन साड़ी, जोकि नेवेल से काफी नीचे बाँध रखी थी. और उस पर सुनहरा स्लीवलेस ब्लाउज (जिसके बेकसाइड पे बस एक पट्टी और डोर थी) पहनी हुई थी. जिसमे वो चलती – फिरती कयामत लग रही थी. मेरी माँ बिलकुल घरेलु और संस्कारी महिला है. मैंने इससे पहले अपनी माँ को ऐसे कपड़ो में कभी नहीं देखा था. इसलिए मेरे भी बाकियों की तरह होश उड़े हुए थे. मेरा ध्यान तब टुटा, जब वो मेरे बिलकुल सामने आ कर खड़ी हो गयी. वो मुझसे कुछ कहती, इसके पहले ही पापा उन्हें अपने बिज़नस फ्रेंड से मिलवाने के लिए ले गये. बिज़नस मेन की पार्टी होने के कारण, यहाँ काफी ड्रिंक्स का भी इंतजाम था.
पापा तो पहले से ही ड्रिंक करते थे, पर माँ ने पहले कभी नहीं पी थी. पापा ने फ़ोर्स किया, तो उन्होंने काफी पी ली. रात को पार्टी ख़तम होने पर माँ छोटे – मोटे कामो में लग गयी. नशे ने अब असर दिखाना शुरू कर दिया था. पापा ने बहुत ज्यादा चड़ा रखी थी और वो अपने होश में बिलकुल भी नहीं थे. तो माँ ने उन्हें सहारा दिया और उन्हें रूम में ले जाने लगी. मैं भी अपने रूम में आ गया और कपडे बदल कर सोने की कोशिश करने लगा. पर मेरे दिमाग में माँ का रूप बार – बार घूम रहा था. ये सब सोच कर मुझे बुरा तो लग रहा था. पर मैं अपने पे कण्ट्रोल भी नहीं रख पा रहा था. आखिर में परेशान हो कर मैंने अपने लैपटॉप को उठाया और ब्लूफिल्म देखने लगा. मुझे फिल्म देखते हुए, माँ अचानक से माँ कमरे में आ गयी. माँ पूरी तरह से नशे में थी और उन्होंने लड़खड़ाते हुए, मेरे कमरे का डोर बंद कर दिया. मैंने हडबडाहट में लैपटॉप बंद कर दिया और साइड में रख दिया. माँ मेरे बेड के पास आ कर बोली – ओये, सुरेंश तुमने मुझे क्या पिला दिया.
मैं तो ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही हु. पहले तो मैं घबरा गया, कि ये मेरे कमरे में आकर मुझे पापा समझ रही है. अगले ही पल मैं समझ गया, कि वो मेरे रूम को, जोकि उनके रूम के बगल में ही है. अपना रूम समझ रही है और मुझे पापा. मैं उसने कुछ कह पाता, उससे पहले ही वप अपनी साड़ी उतारने लगी. उनका डीप क्लिवेंज देख कर मैं तो जैसे जैम हो गया था. होश में तब आया, जब वो बोली – ये कपड़े भी कस दिए है तुमने मुझे. सब मुझे ही घूरे जा रहे थे. यहाँ तक की तरुण की नज़र भी मुझपर टिकी हुई थी. ये कहकर ही, उनका हाथ उसकी ब्लाउज खोलने के लिए आगे बड गया. फिर उन्होंने डोरी खोली और हल खोल दिया. मेरे लिए तो जैसे हर पल धीमा हो गया था. मेरी धडकने भी काफी तेज हो गयी थी. माँ मेरे सामने बस ब्रा और पेटीकोट में थी. उनके हाथ भी रुके नहीं और उन्होंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया . अब वो मेरे सामने खुले बाल और सिर्फ ब्रा – पेंटी में खड़ी थी. उनकी चुचिया तो मानो बाहर आने को मचल रही थी.
मैं तो बस माँ को एकटक देखे जा रहा था. फिर वो मेरी ओर आई और कहने लगी. “क्या हुआ हुआ, कुछ कहोगे नहीं, वैसे तुम हमेशा कहते थे ना, कि माँ कभी पहल नहीं करती”. इसलिए आज मैं तुम्हे कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी. वो मेरे बगल में आ कर बैठ गयी और मेरी जांघे सहलाने लगी. माँ की बातें सुन कर और उनकी हालत देख कर, मेरी आवाज़ मेरे ही अन्दर दब गयी. अब माँ ने मुझे कंधे से पीछे धकेला और मेरा पायजामा नीचे खीच दिया. अगले ही पल मेरा लंड जोकि उन्हें देख पहले ही सातवे आसमान पर था, उनके सामने आ गया. मेरे ७ इंच लम्बे लंड को देख कर वो बोली – अरे ये देखो तो, इस शैतान को कैसी मस्ती चडी है. इसको तो जल्दी ही शांत करना पड़ेगा. इतना कहकर वो मेरे लंड को जम कर चूसने लगी. मेरी तो मस्ती में आँखे ही बंद होने लगी. फिर कुछ देर बाद, मैंने आँखे खोली, तो देखा कि बिखरे बालो में, मेरी माँ मेरे लंड पुरे मज़े से चूस रही है. अपने को बड़ा कोसा, कि मैं ये सब क्यों होने दे रहा हु?
माँ होश में नहीं है तो क्या? मुझे तो अपने आप पर काबू रखना चाहिए था. यही सोचकर मैंने अपना हाथ उन्हें रोकने के लिए आगे बढाया. पर मेरा हाथ उनकी मखमली पीठ पर जाकर रुक गया और फिर मेरा कण्ट्रोल मुझपर से छुट गया. मैं उनकी पीठ सहलाने लगा. कुछ देर मेरे लंड को चूसने के बाद, वो उठी और मेरी जांघो पर बैठ गयी. उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार दी. अब मैं बिलकुल नंगा हो चूका था और वो मेरे ऊपर बैठी थी. उन्होंने मेरा चेहरा अपने हाथ में लिया और बेइंतहा चूसने लगी. मैंने खुद को रोकने की पूरी नाकाम कोशिश की. पर फिर मैं भी उनका साथ देने लगा. मेरा लंड पेंटी के ऊपर से उनकी चूत पर रगड़ खा रहा था. लगभग १५ मिनट तक स्मूच करने के बाद, वो रुकी और उन्होंने पीछे हाथ बढ़ाकर अपनी ब्रा खोलकर उतार दी. उनकी मस्तानी चुचिया उछल कर मेरे सामने आ गयी. उनकी बड़ी – बड़ी तनी हुई चुचिया मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी और मैं ख़ुशी से बावला बनता ही जा रहा था.
अब उन्होंने अपनी बाहों से मुझे खीचा और मेरा चेहरा अपने दोनों बूब्स के बीच में कस कर दबा लिया. फिर उन्होंने अपनी एक चूची मेरे मुह में ठूस दी. मुझे अब खुद को रोकने की कोशिश नाकाम होती लग रही थी. वो मेरे बालो सहलाने लगी और अहहः अहहहः ह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम की सिस्कारिया मार रही थी. मैं भी उनके एक बूब को बहुत जोर से जम कर चूस रहा था. बीच – बीच में उनके निप्पल को काट भी लेता था. मैं उनके दुसरे बूब को बहुत जोर – जोर से दबा रहा था. कभी मैं उनके निप्पल को मसल देता था. इसी तरह मैं उनकी दोनों चुचियो से बारी – बारी मज़ा ले रहा था. काफी देर बाद, मैं रुका. तो माँ बिस्तर पर लेट गयी और फिर उन्होंने अपनी पेंटी भी उतार दी. अब वो मेरे सामने पूरी नंगी हो गयी थी. कभी वो मेरे सामने अपनी चूत को सहलाती, तो कभी उस पर थापिया देती थी. मैं उनका इशारा समझ गया था. उनकी चूत एकदम टाइट क्लीन शेव थी और उस में से उनका रस टपक रहा था. मैंने पहली बार उनकी चूत को देखा था वो भी इनती करीब से. कुल मिलकर वो अपनी चूत को रगड़कर मुझे और मेरे लंड को तड़पा रही थी. मेरा लंड अब बहुत ही भयंकर तरीके से फनफना रहा था.
जैसे ही मैंने उसकी चूत को हाथ लगाया. मेरे शरीर में अजीब सी सिहरन दौड़ गयी और उनकी अह्ह्ह निकल गयी. अब मिने उनकी चूत को सहलाने लगा. वो और पानी छोड़ने लगी, तो मैंने अपनी एक ऊँगली अन्दर डाल दी. उनकी गरम चूत आग उगल रही थी और वो अपने बूब्स मसलते हुए आहाहहः अहहहहः ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्मम्म्म्मम्म ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् की आवाज़े निकाल रही थी. मैं अब उनकी चूत में दो ऊँगली डाल रहा था. साथ में, मैं उनकी चुचिया भी सहला रहा था.. वो भी एक हाथ से मेरे बाल सहलाने लगी और दुसरे हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी. उनकी चूत से दो बार पानी निकलने के बाद, मैंने चूत को चाटना शुरू किया और अपनी टंग को अन्दर डालने लगा. वो हाथो से और अपनी जांघो से मेरे चेहरे को और अन्दर दबाने लगी. जब उनका फिर पानी छुटा, तो वो कहने लगी – ओये, सुरेश. अब मत तड़पाओ. चोद ही डालो, अपनी इस गरम गुलाम को. उनके मुह से इस हालत में पापा का नाम सुनना अजीब था. पर मुझे पर तो बस अब चूत का भुत सवार था.
मैंने आगे बढ़ने लगा और उन्होंने ने भी अपनी टाँगे फेला कर मेरा स्वागत किया. मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया और झटका मारा. मेरा लंड उनकी चूत में प्रवेश कर गया. अगले जोरदार झटके में मैंने पूरा लंड माँ की सुलगती चूत में उतार दिया. मैं तो मानो जन्नत में था. फिर मैंने धीरे – धीरे उनकी चूत मसलनी शुरू कर दी. वो भी अहहः अहहः ऊऊऊऊईईईईइमा जोर से चोदो और जोर से चोदो …ऊऊऊ फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ऊऊऊऊईईईईइमा कर रही थी. उनकी ये आवाज़े मेरा जोश बड़ा रही थी और वो भी अब गांड उछाल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी. करीब १५ – २० मिनट की चुदाई के बाद, मैं अन्दर ही झड़ गया और उनके ऊपर लेट गया. कुछ देर बाद, माँ उठी और मुझे फिर से सहलाने लगी. वो कभी मेरे मुरझाये लंड को चुस्ती, तो कभी उसे अपनी चूत से रगडती. इससे जल्दी ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. अब मैं अपने लंड की अगली जगह जानता था. जिसके लिए मैंने माँ को बेड के सहारे से कुतिया बनाकर खड़ा कर दिया. फिर पास ही पड़ा बॉडी लोशन ले आया और उनकी गांड के छेद पर डाल दिया और ऊँगली अन्दर – बाहर करने लगा.
माँ कहने लगी – देखो, सुरेश, मैं आज तुम्हे रोकूंगी नहीं. पर आराम से करना. मैंने पहले कभी गांड नहीं मरवाई है. फिर मैंने ख़ुशी से अपने लंड पर भी बॉडी लोशन उड़ेला और उनकी गांड पर सेट किया. फिर मैंने एक जोरदार धक्का लगाया. वो भी अपनी पहली गांड चुदाई के लिए तैयार थी. उनकी गांड बहुत टाइट थी. इसलिए काफी कोशिश करने के बाद भी केवल आधा ही लंड अन्दर गया. माँ की सांसे काफी तेज हो गयी थी और मेरी धडकने भी मेरे कानो तक पहुच रही थी. मैं थोड़ा रुका और बॉडी लोशन लगाया और फिर से एक जोरदार धक्का मारा और अपना पूरा लंड उनकी गांड में उतार दिया. अब मैं उनकी चुचिया दबा – दबा कर उनकी गांड मारने लगा. माँ भी ह्ह्हह्ह्म्मम्म ऊऊऊओ ह्ह्ह्हह्ह ह्ह्ह्हम्म्म्म ऊऊउफ़्फ़्फ़ की आवाजो से मेरा हौसला बड़ा कर मेरा सहयोग कर रही थी. कुछ देर बाद मने के बाद, मैंने अपना पानी छोड़ दिया और उससे अलग हो गया. हम दोनों ही अब काफी थक चुके थे. हमने एक दुसरे को अपनी बाहों में जकड़ किया और उन्होंने अपनी टाँगे मेरे ऊपर फैला दी.
फिर हम दोनों इसी तरह से चिपक कर सो गये. तो दोस्तों, ये थी मेरी पहली कहानी. इसके आगे माँ के सुबह होश में आने के बाद क्या हुआ और कैसे मैंने उन्हें फिर से पुरे होशहवास में चुदाई के लिए राज़ी किया. ये सब कहानी फिर कभी .. आप को मेरी ये कहानी कैसी लगी. मुझे अपने कमेंट से बताएगा जरुर. मुझे आप लोगो के कमेंट का इंतज़ार रहेगा.
Rajsharma67457@gmail. Com

Chudai ka bhut

$
0
0

image

मेरा नाम अमृता है और मेरी उम्र 22 साल है.. दोस्तों मेरे माता, पिता हमेशा से ही चाहते थे कि उनको एक बेटा हो लेकिन में उनकी पहली औलाद थी और मुझसे छोटी मेरी बहन पायल 21 साल की है तो दोस्तों जब वो पैदा हुई.. तब भी मेरे माता, पिता की लड़के की ख्वाहिश कम नहीं हुई और फिर इसके कुछ सालों के बाद मेरा भाई रोहन पैदा हुआ.. वो हमारी फेमिली में सबसे छोटा है और हमारी फेमिली एक दूसरे से बहुत प्यार से रहती थी.. कभी किसी से नहीं लड़ता और हम सभी में सिर्फ़ प्यार ही प्यार था. फिर एक दिन मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया लेकिन मुझे नहीं लगता कि वो पाप था लेकिन दुनिया की नज़रो में तो वो पाप ही था और वही पाप में आज आप सभी को विस्तार से बताने जा रही हूँ.
दोस्तों स्कूल में मेरी सभी फ्रेंड्स बहुत शैतान और बहुत बिगड़ी हुई थी. उस स्कूल का तरीका ही ऐसा था और वहाँ पर सीनियर्स और जूनियर्स सबके बॉयफ्रेंड थे लेकिन अभी तक मेरा कोई नहीं था और सब लोग एक दूसरे से दिन भर सेक्स सम्बन्धित बातें करते रहते थे और फिर मेरी भी धीरे-धीरे सबसे दोस्ती हो गयी और में भी धीरे-धीरे इसी रंग में ढलने लगी. फिर कुछ दिनों के बाद मुझे दो लड़को ने प्रपोज़ भी किया लेकिन मैंने मना कर दिया.. क्योंकि मुझे कोई ऐसा लड़का चाहिए था.. जो मेरी परवाह करे और मुझसे सच्चा प्यार करे और ऐसा अब इस दुनिया में परिवार के अलावा और नहीं मिल सकता था तो मुझे दूसरे जोड़ो को देखकर जलन होती थी.. क्योकि मुझे भी कोई चाहिए था. मेरी कुछ फ्रेंड्स सेक्सी किताबें पढ़ती थी और उनके पास सेक्स फिल्म का बहुत सारा हर तरह का बहुत अच्छा कलेक्शन था.
फिर में भी धीरे-धीरे सेक्स की आदि हो गयी थी.. आप सभी जानते है कि जिनके पास कोई सेक्स करने के लिए नहीं होता.. वो ही ऐसी फिल्म देखते है और बाकी लोग सेक्स करते है.. वो इस फिल्म पर अपना टाईम खराब नहीं करते. दोस्तों मुझे सेक्स बुक्स और सेक्सी फिल्म की आदत पड़ गयी और अपनी चूत में उंगली भी करने लगी और अब यार मुझे किसी भी तरह असली लंड चाहिए था लेकिन उसके साथ सच्चा प्यार भी चाहिए था और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या करूं? में अब मेरे ही पापा और अपने छोटे भाई को अलग तरह से देखने लगी और मुझे लगा कि में यह कुछ ट्राई करूं लेकिन मुझे यह सब मुमकिन नहीं लगता था. दोस्तों वैसे मेरे पापा और छोटा भाई मुझसे बहुत अच्छी तरह से रहते थे और मुझे बहुत प्यार भी करते थे और मुझे लगता था कि यह सब पापा के साथ तो बहुत मुश्किल है और ना मुमकिन भी है तो मैंने सोचा कि क्यों ना अपने छोटे भाई रोहन के साथ कुछ ट्राई किया जाए और मेरे मन में बहुत घबराहट तो थी लेकिन वो सेक्स की तड़प से ज़्यादा नहीं थी और मेरे दिमाग़ में अब सेक्स ही था और कुछ नहीं था. रात को हम तीनो साथ ही सोते थे और रोहन मुझसे छोटा था.. इसलिए उसके साथ यह सब करना आसान था और मैंने तो बहुत दिनों से उसका लंड नहीं देखा था और बचपन में तो बहुत बार देखा था और अब तो वो मुझे अपनी चूत के अंदर चाहिए था. मुझे पता नहीं कि इस उम्र में उसका लंड खड़ा होता होगा या नहीं. वैसे नॉर्मली आज कल लोग इस उम्र में मुठ मारने लग जाते है.. जैसा मैंने एक कहानी में पढ़ा था और फिर एक रात..
में : रोहन तुझे गणित में कुछ पूछना था ना.. तू आज मुझसे गणित में जो भी समस्या है तो वो सब पूछ लेना.. क्योंकि तीन दिन बाद तेरा एजाग्म है.
रोहन : लेकिन दीदी मुझे तो नींद आ रही है.
में : नहीं रोहन आज रात को दो चेप्टर्स ख़त्म करने पड़ेंगे.
रोहन : ठीक है दीदी.
फिर मैंने उसको बहुत देर रात तक पढ़ाया और वो पढ़ते-पढ़ते मेरे बेड पर ही सो गया. उस समय गर्मी बहुत थी और उसने बनियान, बरमूडा पहना हुआ था और मैंने टी-शर्ट, केफ्री और जब सबको नींद आ गयी.. तब मैंने रोहन के लंड को देखकर अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया. फिर में कुछ देर बाद एक बार तो झड़ गयी लेकिन मुझे उसके साथ कुछ करना था लेकिन मुझे डर भी बहुत लग रहा था कि कहीं कुछ ग़लत हो गया तो और अगर उसने माँ, पापा को बता दिया तो क्या होगा. तो वो अब हर रोज़ रात को मेरे साथ बहुत देर तक पढ़ाई करता और मेरे बेड पर ही सो जाया करता था और में उसके लंड को देखकर ही अपनी चूत में ऊँगली करती थी. एक दिन रात को मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसका एक हाथ पकड़कर उसे धीरे से मेरी पेंटी के अंदर डाल दिया और सोने का नाटक किया और उसके कुछ ही देर बाद मैंने उसको ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू किया और उसे डांटकर फटकार कर उठाया और उससे कहा कि रोहन तेरा हाथ मेरी पेंटी में क्या कर रहा था और तुझे जरा सी भी शरम नहीं आती.. में तेरी बड़ी बहन हूँ और तू मेरे साथ यह सब कर रहा था तो वो गहरी नींद में था.. इसलिए वो बहुत डरकर धीरे से उठ गया और उसने अपने हाथ को जल्दी से पेंटी से बाहर निकाल दिया.
रोहन : दीदी यह मैंने नहीं डाला.. मुझे माफ़ कर दो दीदी और अब ऐसा कभी नहीं होगा. मुझे नहीं पता यह कैसे हुआ.. प्लीज आप किसी को मत बताना.. माफ़ कर दो.
में : रोहन तू बहुत बिगड़ गया है.. में सुबह होते ही माँ, पापा को सब बता दूँगी कि तू मेरे साथ क्या कर रहा था.
फिर वो मेरी यह बात सुनकर रोहन ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा और फिर मुझे उस पर दया आ गयी तो मैंने उसे अपने गले से लगाकर चुप करवाया और मैंने उससे कहा कि ठीक है चल अब चुप हो.. में किसी को नहीं बताउंगी तो वो मेरी यह बात को सुनकर एकदम चुप हो गया और वो मुझसे बोला कि अब में आपके बेड पर कभी भी नहीं सोउंगा तो मैंने उससे कहा कि तुझे यही सोना पड़ेगा क्योंकि अगर तू नहीं सोया तो में माँ, पापा को सब कुछ बता दूँगी और फिर दूसरे दिन मैंने उससे पूरे दिन पूछा कि..
में : रोहन तू इतना बिगड़ कैसे गया और तुझे कौन बिगाड़ रहा है और तुझे यह सब कौन सिखाता है.
रोहन : दीदी मेरे दो तीन फ्रेंड्स है और वो सब बहुत गंदी गंदी बातें करते है.. शायद उनके कारण मुझसे ऐसा हो गया.. सॉरी दीदी.
में : कोई बात नहीं.
रोहन : लेकिन प्लीज आप किसी को मत बताना.
में : ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है कि तू मुझे वो सब बताएगा.. जो तेरे फ्रेंड्स तुझे बताते है.
रोहन : दीदी वो सब बहुत गंदी गंदी बातें करते है और वो सभी बातें मुझे आपको बताने में भी शरम आ रही है.
में : तू नहीं बताएगा तो फिर तू जानता है कि में क्या कर सकती हूँ.
रोहन : ठीक है दीदी में कल से आपको सब बातें बताउगा.
दोस्तों फिर धीरे-धीरे समय गुजरता गया और हम दोनों एक दूसरे से बहुत खुलने लगे और अब रोहन मेरी हर बात मानने लगा था.. में रात को उस पर पैर रखकर सोने लगी और अपने बड़े बड़े बूब्स उसके शरीर से छूने लगी और में जानबूझ कर कभी कभी पेंटी, ब्रा भी नहीं पहनती थी. एक दिन जब रात को में चूत में ऊँगली कर रही थी तो रोहन जाग गया.. मेरी आखें बंद थी और वो मुझे देखकर बोला कि दीदी यह क्या कर रही हो.
में : रोहन मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज़ तू मुझे एक बार हग करना और उस समय ऊँगली करते करते में झड़ने वाली थी.. इसलिए मेरी स्पीड भी अपने आप बड़ चुकी थी.
रोहन : क्या हुआ.. ठीक है में करता हूँ.
फिर मैंने भी उसको हग किया और में भूल गई थी कि मैंने पेंटी नहीं पहनी है.. में उस पर ही झड़ गयी और मैंने उसको मदहोशी में अपने दोनों पैरों के बीच में दबा लिया था और मेरी चूत का सारा पानी उसकी अंडरवियर पर निकल गया.
रोहन : दीदी आप पागल हो क्या? आपने यह क्या किया.
में : चुपचाप रह.. सब सो रहे है और थोड़ा धीरे बोल वरना कोई उठ जाएगा.
रोहन : दीदी लेकिन यह सब ग़लत है.
में : क्यों तूने जो उस दिन किया था.. क्या वो सही था?
रोहन : दीदी में उस दिन नींद में था लेकिन आप तो जाग रही थी.
में : क्या तुझे मेरे बूब्स देखने है.
रोहन : दीदी आप पागल हो क्या.. आप मेरी बहन हो.
में : लगता है तेरी शिकायत माँ, पाप से करनी पड़ेगी.
रोहन : यार दीदी आप तो मुझे बहुत ब्लेकमेल कर रही हो.
फिर मैंने उसके पास आकर उसके हाथ अपने बूब्स पर लगवा दिए. उसको पहले बहुत अजीब सा लगा लेकिन फिर उसने बोला कि दीदी अंधेरा बहुत है और मुझे यह देखना है कि यह कैसे होते है.. क्योंकि मैंने कभी नहीं देखे तो मैंने बोला कि तू चिंता मत कर में तुझे सुबह दिखा दूँगी. अभी तू इनको ज़ोर से दबा और उसने वैसा ही किया और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. वो मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और में अपनी चूत में उंगली करके झड़ गई. दोस्तों उस दिन मैंने और कुछ नहीं किया और फिर उसके अगले दिन रोहन मेरे पास आया और मुझसे बोला कि दीदी प्लीज मुझे आपके बूब्स दिखा दो तो मैंने कहा कि तू थोड़ा इंतजार कर.. जिस दिन जब हम दोनों घर पर अकेले होंगे.. तब में तुझे सब कुछ दिखा दूँगी. फिर रात को वो खुद मेरी टी-शर्ट में हाथ डालकर मेरे बूब्स को एक एक करके जोश में आकर दबाने, मसलने लगा तो मैंने उससे पूछा कि क्या तू इनको टेस्ट करेगा.. उसने साफ मना कर दिया तो मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और फिर मैंने खुद ही उसको बारी बारी से अपने बूब्स चूसाने शुरू कर दिए और वो बहुत अच्छी तरह से चूस रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था कि उसको बूब्स बहुत अच्छे से चूसने आते है और अब उसको भी बड़ा मज़ा आया.
फिर मैंने सोचा कि आज बहुत अच्छा मौका है और मैंने उससे बोला कि रोहन तू अपनी पेंट उतार दे लेकिन उसने मना किया तो मैंने ज़बरदस्ती करके उसकी पेंट उतार दी और उसकी अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लंड को हाथ लगाकर महसूस किया तो उसका 4 इंच का लंड खड़ा हुआ था और उसको मुझसे बहुत शरम आ रही थी लेकिन जोश भी चढ़ चुका था. फिर मैंने कुछ देर बाद सही मौका देखकर उसकी अंडरवियर को भी उतार दिया और में भी पूरी नंगी हो गयी और हम दोनों एक ही चादर के अंदर घुस गये तो वो बहुत सोच रहा था कि अब वो क्या करे. फिर मैंने उसके लंड को अपने एक हाथ से छुआ और महसूस किया.. दोस्तों वो क्या अहसास था और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और अब धीरे-धीरे उसको भी मज़ा आने लगा था तो में अब उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी थी लेकिन मैंने उसका 3-4 मिनट तक ही हिलाया और वो मेरे हाथ पर ही झड़ गया और उसको शरम आ गयी. फिर मैंने उसका सारा वीर्य अपने हाथ पर से और उसके लंड से चाट लिया और उसे बहुत अच्छे से साफ कर दिया तो वो बोला कि छी दीदी.. यह तो मेरे लंड से निकला है तो मैंने उसकी इतनी प्यारी बात और बहुत खुश होकर उसको किस किया.. में इतनी खुश थी कि में क्या बताऊँ.
मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुहं में घुसा दी और उसकी भी जीभ को बहुत जमकर चूसा तो उसका लंड इतनी जोश भरी किस के कारण फिर से तनकर खड़ा हो गया था और मेरी चूत को सलामी देने लगा लेकिन इस बार मैंने उससे कहा कि मैंने तेरा वीर्य चाटा है और अब तू तेरी जीभ से मेरी चूत चाटेगा तो उसने साफ मना किया और में उसके मुहं को जबरदस्ती अपनी जांघो से दबाकर उसके मुहं को चूत पर धक्के मारने लगी और वो भी मेरी चूत में अपनी पूरी जीभ को डालकर अंदर बाहर करके चूसने लगा लेकिन में इतनी ज़्यादा जोश में थी कि बहुत जल्दी ही रोहन के मुहं में झड़ गयी और वो मेरा पूरा रस चूस गया और उसने कहा कि दीदी आपके पानी का स्वाद बहुत अच्छा लगा लेकिन थोड़ा थोड़ा नमकीन सा लगा. फिर मैंने कहा कि रुक में तुझे अभी और भी पिलाती हूँ..
अभी मुझे भी प्यास लगी है और मैंने उसका लंड मुहं में लिया और चूसना स्टार्ट किया और 69 पोज़िशन में लेट गए. मैंने उसका मुहं अपनी चूत से लगाकर ज़ोर से दबा लिया. मुझे 69 पोज़िशन में बहुत मज़ा आया और कुछ देर के बाद हम दोनों एक दूसरे के मुहं में झड़ गए. हमने फिर से एक बहुत लंबा किस किया और कपड़े पहनकर सो गये.. में रात को उसकी अंडरवीयर में अपना एक हाथ डालकर सोई थी और में रात भर उसकी गांड की मालिश और लंड की गर्माहट लेती रही लेकिन वो तो थककर गहरी नींद में सोया था. फिर उसके अगले दिन पापा के ऑफिस जाते ही मम्मी भी किसी काम से बाज़ार चली गयी और पायल स्कूल चली गई लेकिन रोहन को मैंने रोक लिया और वो भी मान गया और समझ गया कि मैंने उसे क्यों रोका है.
में : रोहन आज घर पर कोई नहीं हम दोनों अकेले है. आज तुझे जो करना है वो कर.. में मना नहीं करूँगी.
फिर वो मेरे पास आया और मेरे बूब्स को कपड़ो के ऊपर से ही अपने दोनों हाथों से महसूस करने लगा और फिर उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया. मैंने टी-शर्ट के अंदर कुछ नहीं पहना था और जैसे ही उसने टी-शर्ट को खोला तो मेरे दोनों बूब्स उसकी नजरों के सामने थे और मेरे बूब्स को छूकर उसका लंड खड़ा हो गया. फिर वो बूब्स को बहुत देर तक घूरकर देखता रहा और वो बहुत खुश था.. फिर उसने अपने मुहं को आगे बड़ाकर बूब्स को किसी छोटे बच्चे की तरह चूसना स्टार्ट कर दिया तो मैंने बोला कि तू मेरे सामने पूरा नंगा हो जा लेकिन उसको शरम आ रही थी.. मैंने बोला कि जल्दी हो जा… नहीं तो कोई आ जाएगा.
फिर वो जल्दी से पूरा नंगा हो गया लेकिन उसने अपने दोनों हाथों से अपना लंड छुपाया हुआ था और फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और वो मेरी चूत को एक टक नजर से देखने लगा और उसका खड़ा लंड देखकर मुझसे रुका नहीं गया और मैंने थोड़ा नीचे झुककर उसका तना हुआ लंड पूरा मुहं में लिया और लोलीपोप की तरह चूसा लेकिन वो दो तीन मिनट में ही झड़ गया. फिर मैंने भी उससे अपनी चूत चटवाई.. उसने चूत चाटते हुए कहा कि कल तो आपकी चूत पर बहुत सारे बाल थे लेकिन आज वो सब कहाँ गये तो मैंने कहा कि आज मेरे भाई को दिखाने के लिए मैंने वो सब साफ कर दिए और फिर उसने बहुत अच्छे से मेरी कामुक चूत को चाटा. फिर मैंने उसको अपनी चूत का छेद दिखाया और बोला कि अब तेरा लंड इसमे जाएगा लेकिन उसको कुछ भी समझ में नहीं आया और उससे मैंने बोला कि तू थोड़ा रुक जा.. अभी सब समझ में आ जाएगा.
फिर में उसके बदन को मेरे बदन से सटाकर उसे चूमने लगी. वो भी जोश में था.. इसलिए बहुत ज़्यादा गरम था और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने रोहन को बेड पर लेटा दिया और उसके पूरे शरीर को चूमते हुए उसके लंड को किस किया.. उसके लंड से थोड़ा वीर्य निकल रहा था.. मैंने उसको चाटा तो उसका बड़ा नमकीन सा स्वाद था. फिर मैंने उसके लंड पर अपनी चूत का छेद रखा और में एकदम सीधी लेट गई तो उसे और मुझे दोनों को थोड़ा थोड़ा दर्द हुआ और उसका लंड बार बार फिसल रहा था तो मैंने उसको बोला कि तू भी अब नीचे से धक्का मारना और उसने वैसा ही किया और फिर मेरी चूत में उसका लंड घुस गया तो उसने बोला कि दीदी आपकी चूत अंदर से बहुत गरम है लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और मैंने जोश में बहुत ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को धक्के मारे और उसने भी अपनी तरफ से धक्के मारे और कुछ देर बाद हम दोनों ही एक एक करके झड़ गये और उसको बहुत मज़ा आ रहा था.. क्योंकि यह पहला सेक्स था और मेरे बिना यह सब कैसे होता.. लेकिन अब वो मेरे कंट्रोल के बाहर था और अब में रोज़ सुबह उसको अपने बूब्स चूसने देती हूँ. मैंने उसको अपनी चूत का भूत बनाया हुआ है और वो भी सेक्स के बारे में बहुत कुछ सीख चुका है और अब में उसकी दीवानी हो चुकी हूँ. वो मुझे बहुत अच्छा लगता है और में भी उसकी बहुत परवाह करती हूँ और वो रोज़ रात को मेरे बूब्स को चूसते चूसते सो जाता है और उसको भी मेरी चूत का पानी पिए बिना नींद नहीं आती और मुझे भी उसका वीर्य पीने की आदत लग चुकी है ..
Rajsharma67457@gmail. Com

pandito ne ki chudai

$
0
0

image

मेरा नाम सुशीला है. शादी हुए कुछ ही दिन हुए थे. मैं हनीमून में ही समझ गयी थी. उनमे ताकत नहीं है. शादी के पहले मेरी तीन सहेलिया थी. हम बहुत सेक्सी बातें करते थे. एक की शादी हुई, तो उसने बताया कि उसके पति का लौड़ा बहुत मस्त है. हज़ार- हज़ार फटके मारता है और सेक्सी विडियो भी दिखाता है. बहुत मज़ा आता है. उसने हमें छुपाकर डीविडी भी दी. हमने उस में तरह- तरह की चुदाई देखी, पर जब मेरी शादी हुई… तो मुझे मज़ा नहीं आया. जैसे- तैसे तीन महीने निकल गये.
एकदिन, हम दोनों पिक्चर देखने गये. मेरे बाजु वाला लड़का मुझे टच करने लगा. मैं इस मौके का फायदा उठाना चाहती थी. तो मैं उसकी तरफ झुक गयी. वो मुझे दबाने लगा और मैंने भी उसका हाथ दबाया. फिर आहिस्ते- आहिस्ते मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया. वह्ह्ह्ह! क्या मस्त लंड था उसका. काफी टाइट हुआ था. इतने में इंटरवल हो गया. लाइट में हम दोनों ने एक दुसरे को देखा और मुझे बहुत मस्त पैसे वाला खानदानी लड़का लगा वो. मैं बहुत खुश हुई. इंटरवल के बाद, मेरे पति सो गये थे.
मैंने उसका लंड बाहर निकाला और वो मेरे ब्लाउज में हाथ डालकर जोर- जोर से दबाने लगा. मैं उसका लंड मुठ्ठी में पकड़कर मुठ मारने लगी. मैं जोर- जोर से मुठ मार रही थी और वो भी जोर से दबा रहा था. कहीं पति ना जाग जाए, इसलिए मैं जल्दी से जल्दी उसका पानी निकालना चाहती थी. साले का बहुत ही सख्त था. मैंने स्पीड तेज की, तो दोनों की कुर्सिया हिलने लगी. उसके बगल वाला और आगे वाले समझ गये. मैंने किसी की परवाह ना करते हुए, उसकी मुठ मारती रही. आखिर उसका पानी निकला और मेरी मुठ्ठी उसके माल से भर गयी.
मैंने साड़ी से पोछा. मैं बहुत खुश थी. जिन्दगी में पहली बार इतना मोटा लंड हाथ में पकड़ा था. मैंने इशारो में फ़ोन नंबर माँगा, उसने दिया. पिक्चर छुटा और मैं पति के साथ घर चली गयी, पर दिमाग में उसका लंड घूम रहा था. मैं बैचेन थी. सुबह पति के जाने के बाद, मैंने सोचा जो होगा देखेंगे. एकबार तो उस तगड़े लंड से चुदवा ही है. उसे फ़ोन किया, बात हुई. मैंने उसे घर बुलाया. वो आया. मैंने दरवाजा बंद कर लिया. उसने तुरंत मुझे बाहों में भर लिया. हम दोनों एकदुसरे को चूमने लगे. मैंने उसकी पेंट उतारी और लंड को बाहर निकाल कर चूसने लगी.
मैंने डीविडी में जो जो देखा था, वो सब मैं उससे करवाना चाहती थी. लेकिन पहले चूत में लंड धुकाना चाहती थी. वो मेरे बूब्स चूसने लगा. मैंने देरी नहीं की और साड़ी ऊपर उठाई, अंडरवियर निकाला और सो गयी. वो मुझे नंगी करना चाहता था. मैं बोली – पहले धुकाव और उसका लंड अन्दर जाने लगा. मैं चिल्लाने लगी अहहहहः अहहहः ऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह ओवोवोव्वोवूव अर्र्र्रर्र्र कितना मोटा है रे तेरा लंड हहहः और कितना अन्दर धुकेगा. अहहः कितना लम्बा है रे ..तेरा तो ऊऊऊ … वो बोला – तेरी चूत भी कितनी गरम है और वो जोर- जोर से दना दना दे दना दे द्न्न्दन्द्न्दन्द सुसुसुसू सुसुसुस… उसने स्पीड तेज कर दी और मेरी चूत फाड़के पिचकारी मारी. मेरी चूत भर गयी. मैं शांत हुई और उसके दबाया और चूमा. वो चले गया. अब मैं उससे और चुदवाना चाहती थी. लेकिन कहीं पकड़ी ना जाऊ. वो भी मेरे घर आने से डरता था. उसके कई दोस्त में हमारे मोहेल्ले में रहते थे. तो वो आते हुए डरता था.
एकदिन, मुझे एक ज्योतिषी मिला. मैंने उसे घर बुलाया. मैंने उसे हाथ दिखाया और कई बार अपनी साड़ी नीचे गिराई. उसने मेरे हाथ अपने जांघो पर रखे. मैंने उसे सहलाकर उसका लंड टाइट कर दिया और अनजाने में लंड पर हाथ रख दिया. उसे अच्छा लगने लगा और उसके लंड फड़फड़ाने लगा. मैं दवाब बढाने लगी. फिर एकदम जब लंड खड़ा हुआ, तब मैंने उसे प्लान समझाया. वो मान गया. मैंने उसके लंड को बाहर निकाला और मुठ मारकर पानी निकाला. वो खुश हुआ. दुसरे दिन, सन्डे को वो आया और मेरे पति उस समय घर पर ही थे. वो बोला – हम हिमालय से आये है और हम तुम्हारा भविष्य देखेंगे. मेरे पति ने मुझे बुलाया और मैंने पति को बोला – दिखाईयेना. वो अन्दर आया और पति का हाथ देखने के बाद, मेरा हाथ देखा और चिंतित होकर मेरे पति को बोला. कि अगर आपको सुख सम्पति चाहिए, तो आप को एक काम करना होगा. ज्योतिषी बोला – आपके पास बहुत धन आ जायेगा. आपकी पत्नी को किसी ना किसी से करवाना होगा. हम लोग चिंता में आ गये. ज्योतिषी चले गया.
मैं पूछा – क्या सोच रहे हो? जाने दो, हमें कुछ नहीं चाहिए. चलो हम पिक्चर देखते है, हम पिक्चर गये प्लान करके और इस बार भी वो ही लड़का मेरे बगल में बैठा था. वो मुझे दबाने लगा. मेरे पति को भी डाउट आने लगा. इंटरवल में वो चले गया. मैंने पति को बोला – वो मुझे दबा रहा था. पति विचार करके बोला – दबाने दो उसे. तुम पटाओ उसे, अगर पटता है तो आज ही बुला लेंगे. मैं ना करके बोली. इंटरवल के बाद वो आया और फिर से दबाने लगा. मैंने भी उसका लंड बाहर निकाला. पति चुपचाप देख रहे थे. पिक्चर ख़तम होते ही. मेरे पति जानबूझकर जोर से बोले. अच्छा मैं यहीं से जाता हु. टी घर जा. रात में, मैं देर से लौटूंगा और वो चले गये. मैं लड़के को लेकर घर आ गयी. अब दोनों को कोई डर नहीं था.
फिर मैंने उसे बोला – आज तुमको जितना चुसना है चुसो. मैं पूरी नंगी हुई और हम दोनों एक दुसरे को दबाने लगे चूसने लगे. मेरा पति सब देख रहा था. फिर उसने चोदना शुरू किया. हजारो फटके मारे. पति को शर्म आने लगी. वो देद्नाद्न चोद रहा था. उसने आज गोली भी खायी थी. मैं भी उछल- उछल कर साथ दे रही थी. आखिर उसका पानी निकल गया. दोनों शांत हुए. मैं बोली – कल आओगे. वो बोला – हाँ और चले गया. पति अन्दर आ गये. मैं बोली – देखा मर्द. ऐसे चोदते है. आप ने जितने ३ महीने में फटके मारे है, उसने उससे ज्यादा तो एक ही चुदाई में मार डाले. मेरे पति को शर्म आई और बोला – अब तू खुश है ना. मैं बोली – बहुत खुश. वो बोला – अब हमारा धन भी ठीक हो जाएगा. तू उससे चुदवा और फिर मैंने उससे बहुत चुदवाया. फिर उसके फ्रेंड से भी ठुक्वाया. मैंने फिर कइयो से चुदवाया. फिर करीब १ साल बाद, मैं पेट से हुई और मुझे एक लड़की हुई. फिर मैंने चुदवाना शुरू किया. आज करीब ३ साल में मैंने हंड्रेड से भी ज्यादा लोगो से चुदवाया है. तीन- चारम चौदा- पंद्रह साल के लडको से भी और एक अस्सी इयर के बुद्दे से भी. अब मैं बहुत खुश हु.
अब मैं मोटी होती जा रही हु. सुंदर और सेक्सी भी. २५ की हु पर ३० की लगती हु. कई दिनों से मेरी इच्छा थी, कि बाप- बेटे दोनों से चुद्वाऊ और एकदिन हमारे नौकर का लड़का आया. करीब १८ साल का था. मेरे मुह में पानी आ गया. वो चला गया. मैं नौकर को पटाने लगी. तीन ही दिन में, उसे पटाके चुदवाया. वो करीब ५० का था और दुसरे दिन, उसके चोदने के बाद उससे बोला – तुम्हारे बेटे को भी काम पर रखो. वो समझ गया. पैसे के वास्ते, उसने उसे बुला लिया. अब वो भी काम करने लगा. मैंने बेटे को पटाया. बाप समझ गया था. मैंने उसे कुछ पैसे दिए. बाप- बेटे को बोला. जैसे मैडम जी बोलेंगी, वैसे ही करना. फिर मैंने उससे चुदवाया, बाप देख रहा था. अगले दिन, मैंने बाप – बेटे दोनों से दबवाया. मैंने उनको बोला – बारी बारी से चोदो. वो दोनों मुझे चोदने लगे. बाप बोला – पहले मुझे चोदने दे. बेटे ने कहा – आपका थोड़ी देर रुकिए, आपका जल्दी झड़ जाता है. बाप बोला – बेटे मेरा तेरे से भी स्ट्रोंग है और दोनों एकसाथ मिलकर मुझे चोदने लगे.
ऐसा आनंद मुझे पहली बार आया था. दोनों को ऐसा पटाया, कि अब एक गांड में और दूसरा मेरी चूत में लगा हुआ था. मेरा पति ये सब चुपचाप देखता है. जी बदमाशी करेगा.. उसे हम हटाते है. इस तरह आज मुझे ३ साल हो गये चुद्वाते हुए.
Rajsharma67457@gmail. Com

Nisha bhabhi ki chudai

$
0
0

image

ये आज से ६ महीने पहले की घटना है. जो मेरी और मेरी भाभी निशा (नाम चेंज) की है और हम दोनों की मर्जी से शेयर हो रही है. भाभी २९ साल की है. उनका रंग गोरा है. क्या लगती है.. बहुत ही जबरदस्त माल है. माँ कसम.. बूब्स ३२डी.. उनका फिगर ३२-३०-३२ का है और हाइट ५.१० है. मुझे घुमने का काफी शौक है और स्पेशली चाय की थडी पर, चाय की चुस्की लेना. वहां मेरी मुलाकात एक बन्दे राजेश से हुई. जोकि मोबाइल की शॉप करता है. हम फोर्मली मिलते थे डेली. एकदिन उसने मुझे उसके बेबी के फर्स्ट बर्थडे पर बुलाया. मैं गया उसके घर.. और भी गेस्ट थे. मैंने पहली बार जब निशा को देखा. तो समझ नहीं आया.. कि ये बला है क्या? फिर हमने डिनर किया और मैं वापस आ गया. धीरे – धीरे हमारी नजदीकिया बढती गयी और मैं डेली उसके घर जाने लगा.
उसने भी अपना प्रोफेशन चेंज कर दिया. अब वो डेली ड्रिंक करके घर आने लगा. उन दिनों मैं बॉम्बे गया हुआ था, फॅमिली के पास. मैंने वहां से कॉल किया मेरे फ्रेंड को. तो उसने सारी बात बताई. मुझे कुछ समझ नहीं आया. ऐसा क्या हुआ और अगर ये ही चलता रहा, तो उसका घर टूट जाएगा. क्योंकि निशा परेशान होकर राजेश का घर छोड़ कर चली गयी थी. मैंने उससे काफी कांटेक्ट करने की कोशिश की, बट कुछ नहीं हुआ. फिर मैं जब वापस आया. तो उन दोनों को मैंने एक होटल में बुलाया और दोनों समझाया और निशा राजेश के घर वापस आ गयी. अब मैं निशा के काफी क्लोज आ गया था और राजेश का हमदर्द बन गया था. वो अब जरा – जरा सी बात कर कॉल करने लगा था. जब भी निशा भाभी को कोई काम होता, तो वो मुझे अब फ़ोन करके घर बुला लेती थी. मैं जब भी उसके घर पहुचता, तो वो या तो झाड़ू लगा रही होती थी या पौछा.. वो एक हाथ से अपने बूब्स को ढक कर रखती थी. एक दिन उसके बेटे को डॉक्टर के पास ले जाना था और राजेश फ्री नहीं था. तो मैं निशा भाभी को और उसके बेटे को डॉक्टर के यहाँ ले गया. रास्ते में, उसने मुझसे पूछा, कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? मैंने उससे कहा – प्लीज लिव दिस टोपिक. जब उसने मुझसे कारण पूछा और मैंने बताया, कि मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है और मुझे अच्छा नहीं लगता; जब कोई इस बारे में बात करता है. तो उसने सॉरी फील किया और मुझसे कहा – मेरी उम्र में, जिन्दगी को ऐश से जीना चाहिए. जब हम डॉक्टर के यहाँ पहुचे, तो मैंने उसके बेटे को गोद में ले लिया था और मेरा हाथ बार – बार उसके बूब से टच हो रहा था.
मैं भी थोडा एन्जॉय कर रहा था. निशा भाभी ने भी ऑब्जेक्शन नहीं किया. हम फिर घर वापस आ गये और वो बोली – बैठो, मैं चाय लाती हु. मुझे तो आज बस उसकी गांड दिख रही थी और मैं लंड तो कब का खड़ा हो चूका था. पता नहीं, उसने इस बात को नोटिस किया कि नहीं.. मैं अपने घर वापस आ गया और उसके नाम की ३ बार मुठ भी मारी. ऐसा कुछ दिनों तक चला और अब वो मुझसे बहुत ही फ्रेंक हो गयी थी. एक दिन मैंने निशा को को कॉल किया और कहा, कि मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है और मैंने उसे प्रोपोज भी किया. वो मान भी गयी है. उसने मुझे बीजी बता कर फ़ोन काट दिया. ये आईडिया मुझे एक दोस्त ने दिया था. शाम को मैं उसके घर गया, तो वो सैड थी. मैंने उसको पूछा – क्या हुआ? वो बोली – कुछ नहीं. मेरे ज्यादा पूछने पर, वो बोली – राजेश मेरा ज्यादा ध्यान नहीं रखते है. घर आते है, तो बहुत ज्यादा दारु के नशे में होते है और फिर खाना खा कर सो जाते है. महीनो से हमने ठीक से बात भी नहीं की है. मुझे निशा भाभी की आँखों में हवस और सेक्स की प्यास साफ़ झलक रही थी. मैं भी बहुत उत्सुक था, उसे चोदने के लिए. मैंने मन – ही – मन में सोचा, कि दोस्त का बताया हुआ आईडिया काम कर गया. दोस्तों, औरतो का इतिहास रहा है, कि उन्हें चोदन और भोजन दोनों भर पेट चाहिए होता है. अगर दोनों उनको घर में ना मिले, तो वो दोनों को बाहर तलाशने लगती है.
फिर मैंने नोटिस किया, कि अब वो काम करते वक्त अपने बूब्स को हाथ से नहीं ढकती थी. उसकी क्लीवेज साफ़ दिखती थी. अब वो दिन आ गया था, जिसका मुझे ६ मंथ से इंतज़ार था दोस्तों. मेरे मन निशा को चोदना घर कर गया था और उसको बड़ी ही शिद्दत से चोदने की खवाइश थी. वो किचन में चाय बना रही थी और अपनी गांड मटका रही थी. मैंने पीछे से जा कर उसे टच किया और उसने मुझे एक नॉटी सी स्माइल दे दी. मैं उसके कंधे पर हाथ रख कर सहलाने लगा. उसने मेरा हाथ हटा दिया और अजीब बिहेव किया और कहा – आप बैठो, मैं चाय लेकर आ रही हु. वो मेरे पास आई और सोफे पर आकर बैठ गयी. उसके और मेरे बीच में कोई डिस्टेंस नहीं थी. हमने चाय पी और उसने मुझे पूछा, कि उस लड़की का फोटो नहीं दिखाओगे? मैंने कहा – आप नाराज़ जो जाओगे. क्योंकि लास्ट टाइम जब मैंने बोला था, वो आपने गुस्से में फ़ोन काट दिया था. उसने कहा – नहीं आप दिखाओ. मैंने उसको बोला – मैं वाशरूम जाकर आता हु. आकर दिखता हु. मैंने वाशरूम से मिरर ले आया और उसे दिखा दिया. वो खुश हो गयी और मैंने उसे हग कर लिया. उसने भी मुझे टाइट पकड़ लिया और मैं अब उसकी नैक पर किस करने लगा था.
मैंने उसके गालो पर किस किया और अपनी जीभ उसके गालो पर चला रहा था और फिर मैं उसके लिप पर आ गया और उसको लिप किस करने लगा. मेरे होठो उसके होठो से जुड़े हुए थे और हम एक दुसरे की साँसों को महसूस कर सकते थे और हम दोनों की आँखे बंद थी. वो मुझे प्रॉपर रेपोंस कर रही थी. १५ मिनट तक किस करने के बाद, उसने मुझे हटा दिया और बोली – आज के लिए बस इतना ही, बाकि फिर कभी. बट मैं ऐसे कहाँ मानने वाला था. मैंने उसे गोद में उठा लिया और उसे बेडरूम में ले गया और उसके ब्लाउज को खोलकर किस करने लगा. वो भी प्रॉपर रेस्पोंस करने लगी थी. मैंने अब उसकी साड़ी खोल दी थी, जैसे कि उसका चीर-हरण हो रहा हो. फिर, मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी. क्या लग रही थी वो बेबी पिंक कलर की ब्रा और पेंटी में. मैं उसके पेरो से किस करता हुआ, उसके बूब्स तक गया और उनको दबाने लगा. वो तो बस मोअनिंग किये जा रही थी. मैंने झटके से उसका ब्रा खीच दिया और वो फट गया. वो बोली – आराम से. अभी तो नया लिया था. राजेश गुस्सा करेंगे, कि कैसे फट गया? मैं तो पुरे जोश में थे और मैं उसकी पेंटी भी फाड़ दी. अब मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए. जैसे ही उसने मेरा लंड देखा, वो डर गयी और बोली – ना बाबा. मैं नहीं लेने वाली इतना बड़ा. ये तो माँ चोद कर रख देगा मेरी चूत की. आई वाज शोकेड विद दिस रिप्लाई. मैंने उसे समझाया और कहा – लंड कितना भी बड़ा क्यों ना हो, चूत में आसानी से चले जाता है.
फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और वो पागल हुए जा रही थी. स्सस्सस्सीईईईई स्सस्सस्सीईईईई आहाहहहः और तेज.. और तेज …तेज तेज तेज … और तेज बोलकर मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी. उसका सारा बदन अकड़ गया और वो एकदम से झड़ गयी. मैंने उसे बोला – अब तुम्हारी बारी.. अब तुम मेरा लंड मुह में ले लो. वो मना करने लगी. तो मैंने उसे समझाने की कोशिश की. पर वो नहीं मानी. फिर, मैंने उसका मुह पकड़ा और जबरदस्ती अपना लंड उसके मुह में घुसा दिया. उसने अपने हाथ से मुझे धक्का दे दिया और वो मछली की तरह तड़पने लगी थी. मैंने बोला – आज के लिए बहुत है. अगली बार करेंगे. वो बोली – अब क्या हुआ? मैंने बोला – तुझे कुछ करना ही नहीं है. तो मैं तुझे क्यों फ़ोर्स करू? वो बोली – अच्छा, दो मेरी जान और उसने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी. फिर मैंने अपना पानी उसके मुह में छोड़ दिया. मैंने उसको पानी जबरदस्ती पिला दिया. फिर उसने मेरे लंड को चाट कर साफ़ किया और फिर से हिला – हिला कर चूसने लगी. अब हम दोनों ६९ की पोजीशन में आ गये थे और मजे से लिकिंग कर रहे थे. क्या बताऊ यारो… ऐसा लग रहा था, कि वो एक प्रोफेशनल रंडी है और कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
उसकी आँखे बाहर आ गयी. वो बोली – इतनी जल्दी फिर से खड़ा हो गया. लगता है बेचारा काफी टाइम से प्यासा है. वो तड़प रही थी और मुझे मज़ा आ रहा था. निशा बोली – चोद मादरचोद और मुझे अभी भी मज़ा आ रहा था. उसे अचानक से गुस्सा आ गया और उसने मेरे लिप काट लिए और पुरे नेल्स पीठ पर गढ़ा दिए. मैं उसके बूब्स को दबा रहा था और मस्ती में चूस रहा था. वो बहुत गरम हो चुकी थी. बट कुछ बोल नहीं रही थी. मुझे उसे तड़पाने में मज़ा आ रहा था. फिर, मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा और फिर एक तेज धक्का मारा और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया. अब मैं सातवे आसमान में था और मेरा लंड गरम समंदर में दाखिल हो चूका था. वो एकदम से चिल्लाई आआआआअह्हह्हह मर गयीईईईईईईईएस्सस्सस्सस्सस्सस्स. प्लीज बाहर निकालो इसे. प्लीज प्लीज प्लीज्ज्ज्जज्ज्ज्जज्ज्ज आआआआअह्हह्हह्हह. उसकी आँखों में से आंसू आ गये. मैं उसे ऐसे ही चोदता रहा. फिर थोड़ी देर बाद, वो हिलने लगी और मैं एक तकिया उसकी गांड के नीचे लगा दिया और धीरे – धीरे स्टार्ट किया. मुझे मस्ती का अहसास हो रहा था और धीरे – धीरे धक्के मार रहा था. वो भी फुल्टू एन्जॉय कर रही थी और मैं उसे चोद रहा था.
वो उछल – उछल कर मज़ा ले रही थी. उसकी टाइट चूत चोदने में बड़ा ही मज़ा आ राह था और मुझे मस्ती का अहसास हो रहा था. उसकी टाइट चूत चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था. अहह्ह्ह्हह आहहाआअ… ऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ चोदोऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ अहहहहः आआअह्हह्हह्ह और एक तेज वाला झटका दिया और सारा लंड निशा की चूत में उतर गया. निशा की आँखे बाहर आने वाली थी. वो जोर से बोली – मरर्र्रर्र्र्रर्र्र र्र्रर्र्र्रर्र्र र्र्रर्र्र्रर्र्र र्र्रर्र्र्रर्र्र गयीईईईईईस्सस्सस्सस्स … मेरा लंड उसकी बच्चेदानी पर टकरा रहा था. उसके मुह से आआअह्हह्हह्ह बसस्सस्सस्सीईईईई बसस्सस्सस्सीईईईई ऊऊओह्हह्हह आहाह्ह्ह्हहउफ्फ्फफ्फ्फ़ चोद मुझे और जोर से चोद…. फाड़ दी मेरी चूत … ऊऊओह्हह्हह निकल रहे थे. वो मुझे गलिया दे रही थी. चोद मुझे कुत्ते…. आआआआआ मेरी स्पीड बहुत तेज हो चुकी थी और वो भी अपनी गांड से मेरे सारे धक्को का जवाब दे रही थी. वो अब तक २ बार झड़ चुकी थी और मेरे लंड के अन्दर जाते ही फच – फच – फच की आवाज़ आ रही थी. वो साली रंडी आज पूरी तरह से अपनी प्यास बुझाने वाली थी और करीब ४५ मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद, मैंने भी झड़ने वाला था.
मेरी स्पीड देख कर वो समझ गयी, कि मैं पूरा होने वाला हु. वो बोली – अन्दर ही छोड़ना, अपना रस. फिर मैंने अपना माल उसकी चूत में निकाल दिया और उसके ऊपर लेट गया. हम दोनों बहुत थक चुके थे और फिर हमने २ राउंड और मारे और साथ में सो गये गये. शाम होने वाली थी, तो हमारी आँख खुली और मैंने उसके माथे पर किस करते हुए पूछा, भाभी मज़ा आया? कैसा लगा? उसके चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी और वो बोली, आज जिन्दगी में पहली बार पूरी तरह से संतुष्ट हुई हु. उसके बाद तो मैं जब भी चाहता, तो उसके घर चले जाता और उसको मस्त चोदता.. वो भी मेरी चुदाई का इंतज़ार करती… दोस्तों, आप को मेरी कहानी कैसी लगी… लिखना जरुर
Rajsharma67457@gmail. Com

Meri kismat

$
0
0

image

मेरी ऐज २१ साल है और मैं ग्रेजुएशन लास्ट इयर में हु. मेरी हाइट ५.११ फिट है और अगर आपको मेरी स्टोरी पसंद आये, तो मुझे कमेंट जरूर देना.. याद रखियेगा.. मेरा नाम गौरव है ना कि गोरव…आप लोगो को मैं बता दू, कि मुझे लडकियों की चाटना बहुत पसंद है और इससे वो बहुत खुश भी होती है. मेरे लंड का साइज़ ५.११ इंच है और २.५ इंच की मोटाई है.
तो दोस्तों, ये स्टोरी आज से करीब ६ महीने पहले की है, जब मैं पार्ट टाइम एटीम गार्ड की नौकरी करता था. मुझे जॉब करने की जरुरत तो नहीं थी, लेकिन मैं अपने मन से किया करता था. जॉब को ज्वाइन किये हुए, मुझे २४ दिन हो गए थे. एकदिन एक लड़की आई और मैं उसको देखता ही रह गया बॉस.. ऐसा लग रहा था, कि स्वर्ग से अपसरा उतर आई हो. उसकी उम्र कोई २८ की होगी और उसके माथे पर सिंदूर देखकर ये मैंने अंदाजा लगाया, कि वो शादीशुदा है. मन कर रहा था, कि उसे यहीं प्यार करना शुरू कर दू. मैं उसे देखने लगा, देख क्या रहा था.. बस घुर ही रहा था. उसने मुझे देखा और मैंने उसे देख कर एक स्माइल पास कर दी. मेरा लंड तन्न कर तोप की तरह सलामी दे रहा था. मेरे साथ में बुक थी और मैं उसी से अपने लंड के उभार को छुपाने की कोशिश कर रहा था. उसने मुझसे पूछा, आप स्टूडेंट हो? मैंने कहा – एस. फिर उसने पूछा – कहाँ पढ़ाई कर रहे हो? मैंने कहा – यहीं कॉलेज से. उसने कहा – ओके. फिर मैंने कुछ हिम्मत जुटा कर कहा – आप बहुत खुबसूरत हो और सेक्सी लग रही हो.
वो मुझे देख कर स्माइल करने लगी. उसने मेरा नाम पूछा और मैंने अपना नाम गौरव बताया और उसका नाम पूछा. उसने अपना नाम बताया – निहारिका. मैंने कहा – नाइस नेम. तभी कोई दूसरा आ गया पैसे निकालने वाला. वो जाने लगी. मैंने कहा – प्लीज गॉड, हेल्प मी. कहते है, गॉड जब भी देता है, तो छप्पर फाड़ कर देता है. जब दोनों चले गया, तो मेरी निगाह फ्लोर पर पड़ी, वहां पर कोई पेपर गिरा पड़ा था. मैंने देखा, कि पेपर पर उसका नाम और फ़ोन नंबर लिखा था. मेरी लाटरी लग गयी थी समझो. मैंने बहुत हैप्पी हो गया. फिर मैं अपनी शिफ्ट ख़तम कर के रूम पर गया और जाकर उसे मेसेज किया. हेलो, आई एम् गौरव. २ मिनट बाद ही उसका कॉल आ गया. फिर हम लोगो की बातें स्टार्ट हो गयी. ओह.. सॉरी फ्रेंड.. मैंने आपको उसका फिगर तो बताना ही भूल गया. उसकी फिगर मेरे अंदाज़ से ३२-३४-३६ था.. जो मेरी आँखों ने उसे ताड़ा था. हम अब घंटो बातें करने लगे. उसने बताया, कि उसके हस्बैंड का बाहर कोई चक्कर चल रहा था. मैंने सोचा – यार, गजब आदमी है. जिसकी बीवी इतनी मस्त हो.. उसको छोड़ कर, पता नहीं वो कहाँ मरवा रहा है. हम लोगो की बातों को अब महिना भर हो चूका था और हम दोस्त बन गए थे. एकदिन हमने मूवी का प्लान बनाया.
हम लोग मूवी हॉल में गये और हमने कार्नर की सीट की टिकेट ली. ऐसा लग रहा था, कि वो मेरी वाइफ हो. मूवी शुरू हो गयी थी और हॉल में अँधेरा हो चूका था. मैंने उसको कहा – निहारिका आई लव यू. मूवी में बहुत से हॉट सीन थे और हम दोनों ही गरम हो गए थे. मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर गले से लगा लिया और उसके गालो पर किस किया. वो कुछ नहीं बोली. फिर मैंने माथे पर किस किया. वो फिर भी कुछ नहीं बोली. सो मेरी हिम्मत बड गयी. फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करना स्टार्ट किया. वो रिप्लाई कर रही थी. दोस्तों, उसके लिप्स जैसे रोज के फ्लावर हो. फिर मैंने उसके बूब्स प्रेस करना स्टार्ट कर दिया. वो आआआआअह्ह्ह्ह्ह्… हाआआईईईईईई कर रही थी. फिर मैंने उसका सूट ऊपर कर दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा. फिर, मैंने अपना मुह उसके निप्पल लगा दिया. वो पूरी पागल हो गयी थी. फिर मैं उसके पयजामे की तरफ बढ़ा. उसने मुझे रोक दिया और कहा – यहाँ नहीं. कहीं और चलो.. वो यहाँ पर फ्लैट लेकर रहती थी. फिर हम दोनों मूवी से इंटरवल में निकले और जाने लगे. फिर उसने एक रेस्ट्रोरेन्ट में कार रोकी और कहा – आओ.. कुछ खा लेते है. मैंने कहा, मुझे कुछ और खाना है.
उसने मुझे प्यार से एक थप्पड़ लगाया. वो बोली – हाँ, खिला दूंगी, पर अभी तो चलो. वो बहुत पैसे वाली थी. मैंने एग करी और मटर पनीर चावल, वगैरह मंगवाए. फिर हम वहां से निकल कर उसके फ्लैट पर चले गए. फ्लैट के अन्दर एंटर करते ही, मैं उस पर टूट पड़ा पागलो की तरह. मैंने उसे किस किया और फिर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गयी. मैंने उसका कुरता उतारा और अपना शर्ट. उसकी ब्रा खोली और मैं तो हैप्पी हो गया. उसके बूब्स.. मानो कयामत ढा रहे थे. मैंने उसे चुसना शुरू कर लिया लोलीपोप की तरह. फिर अपना हाथ उसकी कुर्ती में डाला और उसकी पेंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा. फिर मैंने उसकी पेंटी को भी उतार दिया… मैं तो दंग ही रह गया… क्या कमाल की चूत थी. मैं मदहोश हो गया. उसने मेरा पेंट उतार दिया और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी. मैंने उसकी जांघो को पकड़ा और अपना मुह उसकी चूत में घुसा दिया. मेरी जीभ उसकी चूत पर चल रही थी और मैं मस्त उसकी चूत चाट रहा था … “मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है”. फिर मैंने फिन्गेरिंग शुरू कर दी और वो अहहहः अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह वूऊऊऊऊऊऊ की आवाज़े निकाल रही थी. कह रही थी.. अब डाल भी दो ना… मत तड़पाओ.. प्लीज … बहुत प्यासी हु मैं.. फाड़ दो आज इस चूत को… करीब १० मिनट के बाद, वो झड गयी और मैं उसका पूरा पानी पी गया.
फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और सहलाने लगा. वो कह रही थी.. अब मत तड़पा साले.. डाल अब .. इस लौड़े को…भोसड़ी के … डाल दे अब.. वरना नोच डालूंगी तुझे अब.. गालिया सुनते ही, मुझे ताव आ गया और मैंने एक तेजी से झटका मारा और लंड को घुसा दिया. वो चिल्लाने वाली थी.. उससे पहले ही मैंने अपने लिप्स उसके लिप्स पर रख दिए. जब तक वो रिलेक्स हुई, मैंने अपने स्ट्रोक रोक दिए और फिर से स्ट्रोक लगाने शुरू किये. उसकी आईज में से आंसू आ गये थे. पुरे कमरे में फच – फच – फच कि आवाज़ आ रही थी और करीब १५ मिनट बाद, मैं झड़ने वाला था. मैंने बोला – कहाँ छोडू.. वो बोलू, अन्दर ही डाल दो जान. एसी फुल पर थी, लेकिन फिर भी हम पसीना – पसीना हो गये थे और वो दो बाद झड चुकी थी. मैंने अपना सारा माल उसके अन्दर ही छोड़ दिया. हम दोनों एक दुसरे के ऊपर सो गए. फिर जब हम उठे और फिर साथ में नहाये. मैंने उसे किस किया और फिर हमने चुदाई की. उस दिन मैंने उसे ५ बार चोदा और मैंने उसकी गांड भी मारी. उसे बहुत दर्द हो रहा था. सो पर उसने बोला.. गौरव तुमने मुझे आज इतना सेटइसफाई किया है, कि मैंने बया नहीं कर सकती.. आई लव यू…
मैंने कहा – जान, क्या पता था, कि एक सादी जॉब से इतनी अच्छी महबूबा मिल जायेगी. मैंने उसे उस विक में चार बार ठोका. अब मैंने उसे बहुत चोदा करता था. लाइफ बहुत बिंदास चल रही थी.. पर अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिस से मैं बहुत हर्ट हो गया. कुछ हफ्ते पहले, उसकी जॉब लग गयी और वो दिल्ली चली गयी… तो दोस्तों, ये थी मेरी कहानी .. मेरी किस्मत… और एक बिंदास खुबसुरत सेक्सी लड़की के साथ सेक्स……
Rajsharma67457@gmail. Com

Cocheeg ki hasina ki chudai

$
0
0

image

ये स्टोरी तब की है, जब मैं १२ में था और मैं कोचिंग के लिए मुंबई से वाराणसी आ गया था. मैंने यहाँ पर एक फेमस कोचिंग सेण्टर में एडमिशन ले लिया और स्कूलिंग भी यहाँ से करने लगा. कभी डेड पर मुझे गुस्सा आता था, कि मुझे मुंबई छोड़ कर यहाँ वाराणसी भेज दिया पढ़ने के लिए. लेकिन जो हो गया, सो हो गया. मुझे वाराणसी उतना पसंद नहीं था. फिर यहाँ पर एक फ्लैट रेंट पर लिया और कोचिंग और स्कूलिंग करने लगा.
मैं जिस कोचिंग में था वो बहुत हाई लेवल की थी. मैं भी वैसे ही फॅमिली से बेलोंग करता था. वहां पर एक रिसेप्शन पर एक लेडी थी. उसका नाम था शालिनी. उसकी ऐज २५ के पास रही होगी. उस समय मैं १८ साल का था. वो देखने में बिलकुल एवरेज थी. लेकिन बॉडी फिगर से बॉस… क्या माल लगती थी. वो मुझे अच्छी लगने लगी. टीन ऐज थी मेरी. मैं डेली क्लास जाता और उसको देख कर, एक स्माइल पास करता. ये सिलसिला २ मंथ तक चलता रहा. बीच में मौका मिलता, तो मैं उससे बात भी कर लेता था. अचानक मैं कुछ दिन के लिए मुंबई आ गया. फिर जब मैं वापस क्लास करने को आया, तो मैंने उसे फिर से स्माइल पास की. अब वो शायद मुझे लाइक करने लगी थी. मैं गया और मैंने कहा – गुड इवनिंग मेम. उसने कहा – इतने दिन कहाँ थे? मैंने बोला – घर गया था कुछ काम से. मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और बोला – मेम, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो. आपका नंबर मिलेगा. इतना बोलकर मैं वहां से निकल गया. उन्हें देखा भी नहीं. बोलने को तो बोल दिया, लेकिन मेरे अन्दर से फटी पड़ी थी.
मुझे लगा, कि कहीं वो सीनियर से कंप्लेंट ना कर दे. मेरे तो फट कर एकदम बुरा हाल हो गया था. फिर जब क्लास करने जाने लगा. तो उन्होंने बोला – गौरव, कॉम हियर. मैंने बोला – सॉरी मेम. तो मैंने देखा, कि उन्होंने कोचिंग का कार्ड दिया और सेक्सी स्माइल दी. मैंने लेकर कार्ड लिया और चले गया. मैंने बाद में देखा, कार्ड पर उनका नंबर लिखा था. मैं उनको कॉल किया और हो गयी हमारी बातें शुरू. उसने बताया, कि उसने बीकॉम किया है और वो यहाँ पर पार्ट टाइम जॉब करती है. वो हॉस्टल में रहती है. बेलोंग गोरखपुर से करती है. कोई बॉयफ्रेंड था बट अब ब्रेकअप हो गया था. धीरे – धीरे हम क्लोज आ गये और मैंने एकदिन उसे आई लव यू बोल दिया. फिर आया मेरा बर्थडे. सो हमने मिलने का प्लान बनाया. हम गये मॉल घुमने, फिर हमने इंग्लिश मूवी की टिकेट ली और हम मूवी देखने लगे. फिर मैंने हिम्मत करके उसकी कमर में हाथ डाला. वो कुछ नहीं बोली. फिर मैंने उसे खीचा और उसके गाल पर किस किया. वो फिर भी कुछ नहीं बोली और फिर मैंने उसके लिप को अपने लिप्स से सटा कर किस करना स्टार्ट कर दिया. वो थोड़ा छुड़ाने की एक्टिंग करने लगी. पर मैं नहीं माना.
फिर वो मेरा साथ देने लगी. और अहहहहः अहहहाहा ऊह्ह्ह्हह्ह करके आहे भरने लगे. फिर मैं उसके उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को प्रेस कर रहा था. वो मज़े ले रही थी. तभी कोई गार्ड आया और हम अलग हो गए. मैंने कहा – मेरे रूम चलोगे? पहले तो वो खूब मना करने लगी, लेकिन फिर उसने कहा – पहले यहाँ पर लंच कर लेते है. मैंने कहा – तुम मेरे रूम पर चलो, मैं तुम्हे बनाकर खिलाऊंगा. वो बोली – तुम्हे आता है? मैं कहा – एस, ऑफ़कोर्स..सो हम निकल गए. रास्ते में मैं पूछा, कि अपने मेरे आई लव यू का रिप्लाई नहीं दिया. उसने बोला, अगर मैं प्यार नहीं करती, तो मैं तुम्हे कुछ करने भी नहीं देती और तुम्हारे साथ भी नहीं चलती. आई लव यू बदमाश बच्चे. फिर उसने मुझे प्यार से गाल पर किस किया. हम रूम में पहुचे और मैंने उसे पनीर खाना बना कर खिलाया. उसके बाद, मैंने उन्हें किस करना स्टार्ट कर दिया और उनकी टॉप उतारी और उनके बूब्स प्रेस करने लग गया. वो मदहोश हो चुकी थी. फिर मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला और उसे चूसने लगा. ऐसा मानो, कि गुलाब जामुन हो. उसके बाद, मैंने अपने कपड़े उतारे. अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था. उसके बाद, मैंने उनकी सलवार उतारी. उनकी पेंटी गीली हो चुकी थी.ऊऊऊऊईईईईइमा फक मी फक मी अह्हहहहः
मैंने उसे हटाया, पूरी शेव थी. फर्स्ट टाइम देखा था.. मानो जैसे गुलाब फ्लावर हो. उसके बाद मैं उसे पागलो की तरह सक करने लगा. वो मेरा सिर अपने लेग से दबा रही थी और अहहहहः अहहहहः ऊऊऊऊईईईईइमा आहाहहहहः अपने मुह से निकाल रही थी. फिर वो झड़ गयी. और मैं उसका पूरा पानी पी गया. वो बोली – अब मत तड़पाओ.. डाल भी दो. फाड़ दो मेरी चूत को. मैंने ज्यादा टाइम ना लगाते हुए, उसकी चूत पर अपना लंड रखा और धक्का दिया. मुझे पेन हुआ. पर मैं उससे चिपक गया और जोर का झटका मारा. पुरे रूम में फच – फच की आवाज़े आने लगी. उस बीच वो २ बार झड़ चुकी थी और चिल्ला रही थी. फक मी फक मी फक मी.. फिर अब मेरा भी निकलने वाला था. मैंने बोला – मैं कहाँ छोडू? उसने कहा – अन्दर ही छोड़ दे. फिर ५ मिनट के बाद, मेरा भी माल निकल गया. मैं उससे चिपक कर सो गया. और उसे किस भी किया. उस दिन मैंने उसे टू टाइम फक किया.
Rajsharma67457@gmail. Com

मस्त नज़ारे

$
0
0

image

मेरा नाम स्वाति है, खूबसूरत 23 साल की लड़की हूँ और मैं नागपुर में पढ़ती हूँ।
हमारे शहर में कोई बड़ा कॉलेज नहीं था तो मैं शहर के एक गर्ल्स कॉलेज में एड्मिशन लिया और रहने के लिए कॉलेज के ही हॉस्टल में भी एड्मिशन ले लिया।
पहले दो तीन दिन तो ठीक ठाक गुजरे, चौथे दिन हमारे कॉलेज की कुछ सीनियर लड़कियाँ हमारी क्लास में आई, सबसे इंटरो की।
उसके बाद उनमें से जो सबसे ज़्यादा लंबी चौड़ी थी, वो बोली- लुक गर्ल्स, यह कोई रैगिंग नहीं है, हल्का फुल्का सेक्सी हंसी मज़ाक है, अगर इसे खेल की तरह से लोगी, तो मज़ा करोगी, अगर अकड़ोगी तो तुम्हारी अकड़ निकालने के हमारे पास बहुत से और तरीके भी हैं। तो एक एक कर के सामने आओ, और तुम में क्या खूबी है, हमें बताओ, और शरमाना नहीं, लड़कियों का कॉलेज है, इधर कोई भी लड़का या मर्द नहीं आएगा, चलो
उसके बाद उसकी साथी लड़कियों ने हमारी क्लास की लड़कियों का उत्पीड़न शुरू किया। किसी को सेक्सी डांस, किसी को गलियाँ, किसी को सेक्स एक्सपिरियन्स के बारे में पूछा गया, मतलब ढंग की बात तो पूछी ही नहीं।
कुछ उदाहरण देखिये जो जो सवाल उन्होंने हमसे पूछे:
‘अगर कोई लड़का तुम से दोस्ती करना चाहे तो क्या तुम उसे सेक्स करने दोगी?’
‘तुम्हारे ब्रा का साइज़ क्या है?’
‘क्या कभी किसी मर्द को नंगा देखा है?’
‘क्या अपने घर में तुमने अपने किसी बड़े को सेक्स करते देखा या सुना है?’
‘सेक्सी पोल डांस करके दिखाओ!’
‘यह लड़की नहीं लड़का है, इसे अपने प्यार के जाल में फंसाओ और वो भी सिर्फ एक मिनट में!’
मतलब यह कि हमें खूब जलील किया गया। कुछ लड़कियों ने तो उनका खूब साथ दिया, एक दो ने मना भी कर दिया, मना करने वाली लड़कियों को बाद देखने की धमकी भी मिली, जिनमें से एक मैं भी थी क्योंकि हम सब तो अभी अभी स्कूल पास करके आई थी और हमें उनकी बातें बहुत ही अश्लील लगी।
मुझे पूछा- सेक्स के बारे में तुम क्या जानती हो?
मैंने गुस्से में उलट कर कह दिया- मैं आप जैसी बदतमीज़ नहीं हूँ।
मेरी इस बात से वो सब लड़कियाँ गुस्सा हो गई। अभी वो मेरी और खिंचाई करना ही चाहती थी कि तभी एक प्रोफेसर अंदर आ गई और वो लड़कियाँ मुझे घूर के बाहर निकल गई।
कॉलेज खत्म हुआ तो हम अपने हॉस्टल में चली गई। रात का खाना खाकर जब मैं और मेरी रूम पार्टनर अपने कमरे में लेटी थी, तभी वो दोपहर वाली हमारी सीनियर्स हमारे कमरे में आ गई।
‘क्यों भाई लड़कियों, क्या हाल चाल है, कोई तकलीफ तो नहीं है यहाँ पे?’
मैंने कहा- जी नहीं दीदी, सब ठीक है।
तो वो बोली- देख छममक छल्लो, मैंने तेरी कोई दीदी वीदी नहीं हूँ, और अब बड़ा दीदी दीदी कर रही है, दोपहर को तो बहुत अकड़ रही थी।
मैंने मौके के नजाकत को समझते हुए झट से सॉरी कह दी, मगर वो बोली- देख, माफ तो तुझे नहीं करेंगे, तू तो अकड़ू है न, तेरी अकड़ ही तोड़ेंगी, चल अब जो हम कहेंगी, वो करके दिखा दे तो शायद तेरी सज़ा थोड़ी कम हो जाए।
मैंने अपनी रूम मेट की तरफ देखा, मगर वो भी मेरी क्या मदद कर सकती थी, तो मैंने मन बना लिया कि देखते हैं जो भी मुझसे करवाएँगे वो सब करूंगी।
‘यह लोअर बहुत बढ़िया पहन रखा है, कौन सी कम्पनी का है, दिखा तो ज़रा?’ उसने पूछा।
मैं उसे लोअर दिखाने उसके पास गई तो वो कड़क कर बोली- अरे मदरचोद… इधर किधर चली आ रही है, इसे उतार के दिखा!
मुझे तो बड़ी शर्म सी आई, मगर यहाँ न तो कोई मुझे देखने वाला था और न ही कोई बचाने वाला, सो मैंने अपना लोअर उतार कर उसे दिया तो उसने उस पर एडीडास का लोगो देखा और देख कर उसे दूर फेंक दिया।
‘ये जो टीशर्ट पहन रखी है, कौन सी कंपनी की है?’ उसने पूछा तो मैंने वो भी उतार कर उसे दे दी।
अब मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी।
वो बोली- साली तुझे तो बहुत शौक चढ़ा है नंगी होने का?
मगर मैं ढीठ की तरह खड़ी रही, फिर वो मेरी रूम मेट से बोली- तुझे क्या निमंत्रण भेजना पड़ेगा, उठ कर यहाँ आ और इसकी तरह अपने कपड़े उतार!
वो भी मेरे पास आकर खड़ी हो गई और बोली- दीदी, मैंने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी है।
तो हमारी सीनियर बोली- कोई बात नहीं, इसकी भी उतरवा देते हैं! चल री अपनी ब्रा पेंटी भी उतार दे।
उसने कहा, मैंने अपनी ब्रा पेंटी और मेरी सहेली ने अपने कपड़े उतार दिये।
हम दोनों बिल्कुल नंगी खड़ी थी, तब पहले तो हमे नंगी हालत में ही मोबाइल पे गाना लगा कर डांस करने को कहा, जब हमने डांस किया तो सेक्सी डांस करने को कहा, डांस के दौरान हमे गंदी गंदी बातें कही गई।
फिर डांस रोक दिया गया और वो उठ कर हमारे पास आई, और हम दोनों के बदन के सभी नाज़ुक हिस्सों पर हाथ फेर कर बोली- साली के हाथ पाँव देख, बहुत करारे हैं।
जो दूसरी हमारी सीनियर थी, वो भी आई और उसने भी हम दोनों लड़कियों के बूब्स पे, कमर पे, हिप्स पे हाथ फेर के देखा।
उसके बाद हमारी सीनियर ने हमसे पूछा- अब दोनों बताओ, आज तक क्या कुछ किया है?
हम दोनों चुप!
‘अरे बोलो न, तुम दोनों का कोई यार है क्या?’
हम दोनों ने ना में सिर हिलाया।
‘कमाल है, साली अच्छी ख़ासी सुंदर हो, सेक्सी हो, तो बहनचोद किसी लड़के ने तुमको लाइन नहीं मारी?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- जी लाइन तो मारी एक दो ने मगर मैंने उनको भाव नहीं दिया।
वो मेरे पास आई और मेरी चूत को अपने हाथ में पकड़ के बोली- क्यों, क्या इसमें मर्द का लंड लेने की इच्छा नहीं है तेरी?
मैं तो शर्म से पानी पानी हो गई, मगर चुप रही।
मगर मेरी सीनियर ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और एक हाथ से मेरा बूब पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरी चूत का दाना सहलाने लगी, मेरी गर्दन के आस पास चूमते हुये बोली- क्यों, सच बताना… मज़ा आ रहा है क्या? हैं? तू नहीं चाहती कि तेरा कोई
बॉय फ्रेंड हो और वो जैसे मैं कर रही हूँ, इस तरह तेरे बूब्स से खेले, तेरी चूत को छूये, तेरे बूब्स पे काटे, तेरे होंठ चूसे, और तुझे कुतिया बना के चोदे?
उसकी बातों और छूने से मेरे दिल दिमाग और जिस्म में तूफान उठ रहा था।
मैं झूठ क्यों बोलती, मैंने कह दिया- हाँ आ रहा है।
वो बोली- और मज़ा लेगी?
मैंने कहा- हाँ।
तो वो मुझे धकियाते हुये मेरे बेड पे ले गई और मुझे बेड पे लिटा दिया। मेरे सामने ही उसने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी हो कर मेरी बगल में लेट गई।
उसके साथ जो दूसरी लड़की आई थी, उसने भी मेरी रूम पार्टनर के साथ वैसे ही किया।
इस बेड पर हम दोनों नंगी लेटी थी और उस बेड पे वो दोनों नंगी लेटी थी।
पहले तो वो मेरे बूब्स से खेलती रही, उसके बाद बोली- ले मेरा दूध पी के देख!
कह कर उसने अपना बड़ा सा बूब मेरे मुँह से लगा दिया।
मैंने उसका निप्पल अपने होंठों में लिया और धीरे धीरे चूसने लगी।
वो बोली- ऐसे नहीं यार, थोड़ा ज़ोर से चूस, देख ऐसे चूसते हैं!
कह कर उसने मेरा बूब चूसा तो मेरे तो मुँह से सिसकारी निकल गई, क्योंकि मुझे बूब्स में बहुत गुदगुदी होती है। मैं जब तड़पी तो वो मेरे ऊपर ही चढ़ गई, मुझे बहुत वज़न महसूस हुआ, तो बोली- साली नखरे मत कर, जिस दिन अपने यार को चढ़ाएगी न अपने ऊपर, उस दिन तुझे वज़न नहीं लगेगा, अब नखरे करती है?
कह कर उसने मेरे दोनों होंठ अपने होंठों में ले लिए और चूसने लगी, न सिर्फ चूसने लगी बल्कि उसने अपनी जीभ से मेरे होंठों को चाटा।
मुझे मज़ा आया मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी तरफ से भी होंठ चूसने में उसको सहयोग दिया।
जब हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रही थी, तभी मेरी रूम पार्टनर की हल्की सी चीख हमे सुनी, हमने उधर देखा तो दूसरी सीनियर ने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में घुसेड़ दी थी।
बेशक वो हल्का सा चीखी थी, मगर फिर भी वो लेटी रही, और टाँगें फैला कर उंगली करवा रही थी।
उनसे ध्यान हटा कर हम फिर अपने आप में उलझ गई। उसने मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाली और बाहर निकाली, मुझे उंगली दिखा के बोली- देख, तेरी चूत कैसे पानी छोड़ रही है, मतलब है कि तू अब चुदने को तैयार है, मगर मेरे पास लंड नहीं है तुझे चोदने को, तो मैं कोई दूसरा तरीका अपनाऊँगी।
कह कर वो मेरी चूत की तरफ मुँह करके लेट गई और अपनी चूत उसने मेरे मुँह के पास कर दी, मेरी टाँगें खोली और अपने होंठ मेरी चूत पे रख दिये और फिर अपनी जीभ से मेरी चूत के अंदर तक चाट गई।
मेरे तो सारे बदन में बिजली दौड़ गई, मैं अकड़ गई, मगर वो वैसे ही मेरी चूत चाटती रही और एक उंगली मेरी चूत के अंदर बाहर करती रही।
मैं तो इतनी आनंदित हुई कि पूछो मत।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर उसने अपनी चूत उठा कर मेरे मुँह पे रख दी और मैं बिना किसी विरोध के जैसे वो मेरी चूत चाट रही थी, वैसे ही उसकी चूत को चाटने लगी।
मैंने अपने हाथ का अंगूठा उसकी चूत में डाल दिया और एक उंगली उसकी गांड के अंदर घुसेड़ दी।
मुझे नहीं पता कि मुझमें ये समझ कहाँ से आई कि चूत के साथ साथ गांड में भी कुछ डालते हैं।
हम दोनों चपाचप एक दूसरे की चूतें चाट रही थी, तो साथ वाले बेड पे वे दोनों एक दूसरे की चूतों को अपनी हाथ की उँगलियों से चोदने में लगी थी।
और देखने वाली बात यह थी कि कमरे के दरवाजा खुला था और आस पास के कमरे 4-5 और लड़कियाँ भी हमारे कमरे में चल रहे प्रोग्राम को देख रही थी।
न सिर्फ देख रही थी, मगर अपने अपने पाजामे में हाथ डाल कर अपनी अपनी चूतें भी सहला रही थी।
मगर हम इन सब से बेखबर थी।
मैं जी भर के अपनी चूत चटवाई और उसकी चूत चाटी।
जब हम दोनों का पानी झड़ गया तो हम शांत सी होकर लेट गई।
2-4 मिनट बाद साथ के बेड वाली भी तड़प के शांत हो गई तो मेरी सीनियर ने पूछा- बोल, मज़ा आया?
मैंने कहा- बहुत!
‘रोज़ करेगी मेरे साथ?’ उसने फिर पूछा।
मैंने कहा- हाँ, करूंगी।
उसके बाद हम दोनों बहुत अच्छी दोस्त बन गई। यही नहीं, उसके बाद उसके साथ जाकर मैं और भी लड़कियों की रेगिंग करके आती थी और बहुत तरह की लड़कियाँ देखी, किसी के गोल चूचे, किसी लटके से, किसी के काले, किसी के गोरे, तरह तरह के चूतड़, तरह तरह की जांघें।
रेगिंग के नाम पे हमने बहुत सी लड़कियों को नंगी करके देखा, बहुतों के साथ सेक्स का मज़ा लिया। मगर मैंने सिर्फ इतना किया के जो प्यार से मान जाए उसके साथ प्यार से कर लो पर अगर कोई नहीं मानती उसे छोड़ दो।
मगर फिर भी हॉस्टल की बहुत सी लड़कियाँ मान जाती थी।
बाद में तो हम इतना फ्री हो गई, के हॉस्टल के कॉरिडॉर में भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में घूमती थी और अपने अपने कमरे में तो बिल्कुल नंगी भी रह लेती थी।
सेक्सी वीडियो देखती मोबाइल पे, एक दूसरे को मादरचोद, बहनचोद कह कर बुलाना, कुत्ती, कंजरी, रंडी तो आम बात थी।
अगर हमारे हॉस्टल में कुछ कमी थी तो यह कि लड़के अंदर नहीं आ सकते थे, मगर हम अपने अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ बाहर मज़ा कर आती।
सेकंड इयर में मुझे भी एक बॉय फ्रेंड मिला, उसका नाम था, आशु।
मैंने पहली बार उसके साथ सेक्स किया।
पहली बार मर्द का लंड चूस कर देखा, अपनी चूत में लेकर देखा।
और जानते हो जिस दिन मैं चुद कर आई, उस दिन आकार हॉस्टल में अपनी सहेलियों को पार्टी भी दी।
अगर आप भी हॉस्टल में रहे हो तो आपका एक्सपीरिएन्स कैसा रहा, आप भी अपना तजुरबा लिखो
Rajsharma67457@gmail. Com


Dhobhi ghat par chudai11

$
0
0

image

ओह माँ, दिखा दो ना, बस एक बार। सिर्फ़ देख कर ही सो जाऊँगा।’
पर माँ ने मेरे हाथों को झटक दिया और उठ कर खड़ी हो गई, अपने ब्लाउज़ को ठीक करने के बाद छत के कोने की तरफ चल दी।
छत का वो कोना घर के पिछवाड़े की तरफ पड़ता था और वहाँ पर एक नाली जैसा बना हुआ था जिससे पानी बह कर सीधे नीचे बहने वाली नाली में जा गिरता था।
माँ उसी नाली पर जा के बैठ गई, अपने पेटिकोट को उठा के पेशाब करने लगी।
मेरी नजरें तो माँ का पीछा कर ही रही थी, यह नज़ारा देख कर तो मेरा मन और बहक गया, दिल में आ रहा था कि जल्दी से जाकर माँ के पास बैठ कर आगे झांक लूँ और उसकी पेशाब करती हुई चूत को कम से कम देख भर लूँ।
पर ऐसा ना हो सका, माँ ने पेशाब कर लिया, फिर वो वैसे ही पेटिकोट को जांघो तक एक हाथ से उठाये हुए मेरी तरफ घूम गई और अपनी फ़ुद्दी पर हाथ चलाने लगी जैसे कि पेशाब पौंछ रही हो और फिर मेरे पास आकर बैठ गई।
मैंने माँ के बैठने पर उसका हाथ पकड़ लिया और प्यार से सहलाते हुए बोला- हाय माँ, बस एक बार दिखा दो ना, फिर कभी नहीं
बोलूँगा दिखाने के लिये।
‘एक बार ना कह दिया तो तुझको समझ में नहीं आता है क्या?’
‘आता तो है, मगर बस एक बार में क्या हो जाएगा?’
‘देख, दिन में जो हो गया सो हो गया, मैंने दिन में तेरा लण्ड भी मुठिया दिया था, कोई माँ ऐसा नहीं करती। बस इससे आगे नहीं बढ़ने दूँगी।’
माँ ने पहली बार गंदे शब्द का उपयोग किया था, उसके मुख से लण्ड सुन कर ऐसा लगा, जैसे अभी झड़ कर गिर जायेगा।
मैंने फिर धीरे से हिम्मत करके कहा- हाय माँ, क्या हो जाएगा अगर एक बार मुझे दिखा देगी तो? तुमने मेरा भी तो देखा है, अब अपना दिखा दो ना।
‘तेरा देखा है, इसका क्या मतलब है? तेरा तो मैं बचपन से देखते आ रही हूँ। और रही बात चूची दिखाने और पकड़ाने की, वो तो मैंने तुझे करने ही दिया है ना, क्योंकि बचपन में तो तू इसे पकड़ता चूसता ही था। पर चूत की बात और है, वो तो तूने होश में कभी नहीं देखी ना, फिर उसको क्यों दिखाऊँ?’
माँ अब खुल्लम-खुल्ला गन्दे शब्दों का प्रयोग कर रही थी।
‘हाय, जब इतना कुछ दिखा दिया है तो, उसे भी दिखा दो ना! ऐसा कौन सा काम हो जायेगा?’
माँ ने अब तक अपना पेटिकोट समेट कर जांघों के बीच रख लिया था और सोने के लिए लेट गई।
मैंने इस बार अपना हाथ उसकी जांघों पर रख दिया, मोटी-मोटी गुदाज जांघों का स्पर्श जानलेवा था। जांघों को हल्के-हल्के सहलाते हुए मैं जैसे ही हाथ को ऊपर की तरफ ले जाने लगा, माँ ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- ठहर, अगर तुझसे बरदाश्त नहीं होता है तो ला, मैं फिर से तेरा लण्ड मुठिया देती हूँ।
कह कर मेरे लण्ड को फिर से पकड़ कर मुठियाने लगी, पर मैं नहीं माना और ‘एक बार, केवल एक बार’ बोल कर जिद करता रहा।
माँ ने कहा- बड़ा जिद्दी हो गया रे, तू तो, तुझे जरा भी शर्म नहीं आती अपनी माँ को चूत दिखाने को बोल रहा है। अब यहाँ छत पर कैसे दिखाऊँ? अगल बगल के लोग कहीं देख लेंगे तो? कल देख लियो।
‘हाय, कल नहीं अभी दिखा दे, चारों तरफ तो सब कुछ सुनसान है, फिर अभी भला कौन हमारी छत पर झांकेगा?’
‘छत पर नहीं, कल दिन में घर में दिखा दूँगी आराम से।’
तभी बारिश की बूंदें तेजी के साथ गिरने लगी। ऐसा लगा रहा था, मेरी तरह आसमान भी चूत नहीं दिखाये जाने पर रो पड़ा है।
माँ ने कहा- ओह, बारिश शुरु हो गई। चल, जल्दी से बिस्तर समेट ले, नीचे चल के सोयेंगे।
मैं भी झटपट बिस्तर समेटने लगा और हम दोनों जल्दी से नीचे की ओर भागे।
नीचे पहुँच कर माँ अपने कमरे में घुस गई, मैं भी उसके पीछे पीछे उसके कमरे में पहुँच गया।
माँ ने खिड़की खोल दी और लाईट जला दी। खिड़की से बड़ी अच्छी, ठण्डी ठण्डी हवा आ रही थी।
माँ जैसे ही पलंग पर बैठी, मैं भी बैठ गया और माँ से बोला- हाय, अब दिखा दो ना। अब तो घर में आ गये है हम लोग।
इस पर माँ मुस्कुराती हुई बोली- लगता है, आज तेरी किस्मत बड़ी अच्छी है। आज तुझे मालपुआ खाने को तो नहीं, पर देखने को जरूर मिल जायेगा।
फिर माँ ने अपना सिर पलंग पर टिका कर अपने दोनों पैर सामने फैला दिए और अपने निचले होंठों को चबाते हुये बोली- इधर आ, मेरे
पैरों के बीच में, अभी तुझे दिखाती हूँ। पर एक बात जान ले तू पहली बार देख रहा है, देखते ही तेरा पानी निकल जाएगा, समझ गया?
फिर माँ ने अपने हाथों से पेटिकोट के निचले भाग को पकड़ा और धीरे धीरे ऊपर उठाने लगी।
मेरी हिम्मत तो बढ़ ही चुकी थी, मैंने धीरे से माँ से कहा- ओह माँ, ऐसे नहीं।
‘तो फिर कैसे देखेगा रे?’
‘हाय माँ, पूरा खोल कर दिखाओ ना?’
‘पूरा खोल कर से तेरा क्या मतलब है?’
‘हाय, पूरे कपड़े खोल कर!’
मेरी बड़ी तमन्ना है कि मैं तुम्हारे पूरे बदन को नंगा देखूँ, बस एक बार!’
इतना सुनते ही माँ ने आगे बढ़ के मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और हंसते हुई बोली- वाह बेटा, उंगली पकड़ कर पूरा हाथ पकड़ने की सोच रहा है क्या?’
‘हाय माँ, छोड़ो ना ये सब बातें, बस एक बार दिखा दो। दिन में तुम कितने अच्छे से बातें कर रही थी, और अभी पता नहीं क्या हो गया है तुम्हें? सारे रास्ते सोचता आ रहा था मैं कि आज कुछ करने को मिलेगा और तुम हो कि…’
‘अच्छा बेटा, अब सारा शरमाना भूल गया। दिन में तो बड़ा भोला बन रहा था और ऐसे दिखा रहा था जैसे कुछ जानता ही नहीं। पहले कभी किसी को किया है क्या? या फिर दिन में झूठ बोल रहा था?’
‘हाय कसम से माँ, कभी किसी को नहीं किया, करना तो दूर की बात है, कभी देखा या छुआ तक नहीं।’
‘चल झूठे, दिन में तो देखा भी था और छुआ भी था।’
‘हाय कहाँ माँ, कहाँ देखा था?’
‘क्यों, दिन में मेरा तूने देखा नहीं था क्या? और छुआ भी था तूने तो।’
‘हाय, हाँ देखा था, पर पहली बार देखा था। इससे पहले किसी का नहीं देखा था। तुम पहली हो जिसका मैंने देखा था।’
‘अच्छा, इससे पहले तुझे कुछ पता नहीं था क्या?’
‘नहीं माँ, थोड़ा बहुत मालूम था।’
‘क्या मालूम था? जरा मैं भी तो सुनूँ?’ कह कर माँ ने मेरे लण्ड को फिर से अपने हाथों में पकड़ लिया और मुठियाने लगी।
इस पर मैं बोला- ओह छोड़ दो माँ, ज्यादा करोगी तो अभी निकल जायेगा।
‘कोई बात नहीं, अभी निकाल ले। अगर पूरा खोल कर दिखा दिया तो फिर तो तेरा देखते ही निकल जाएगा। पूरा खोल कर देखना है ना
अभी?’
इतना सुनते ही मेरा दिल तो बल्लियों उछलने लगा। अभी तक तो माँ नखरें कर रही थी और अभी उसने अचानक ही जो दिखाने की बात कर दी। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे लण्ड से पानी निकल जायेगा।
‘हाय माँ, सच में दिखाओगी ना?’
‘हाँ दिखाऊँगी मेरे राजा बेटा, जरूर दिखाऊँगी। अब तो तू पूरा जवान हो गया है और काम करने लायक भी हो गया है। अब तो तुझे ही दिखाना है सब कुछ। और तेरे से अपना सारा काम करवाना है मुझे।’
माँ और तेजी के साथ मेरे लण्ड को मुठिया रही थी और बार-बार मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपने अंगूठे से दबा भी रही थी।
माँ बोली- अभी जल्दी से तेरा निकाल देती हूँ, फिर देख तुझे कितना मजा आयेगा। अभी तो तेरी यह हालत है कि देखते ही झड़ जाएगा। एक पानी निकाल दे, फिर देख तुझे कितना मजा आता है।’
‘ठीक है माँ, निकाल दो एक पानी। मैं तुम्हारा दबाऊँ?’
‘पूछता क्या है? दबा ना!’ पर क्या दबायेगा, यह भी तो बता दे?’ यह बोलते वक्त माँ के चेहरे पर एक शैतानी भरी कातिल मुस्कुराहट खेल गई।
‘हाय माँ, वो तुम्हारी छातियाँ माँ हाय।’
‘छातियाँ, ये क्या होती हैं? ये तो मर्दों की भी होती है, औरतों का तो कुछ और होता है। बता तो, सही नाम तो जानता ही होगा ना?’
‘चु… चू… हाय माँ, मेरे से नहीं बोला जायेगा, छोड़ो नाम को।’
‘बोल ना, शरमाता क्यों है? माँ को खोल कर दिखाने के लिये बोलने में नहीं श्र्माता है, पर अंगों के नाम लेने में शर्माता है?’
‘हाय माँ, तुम्हारी…’
‘हाँ हाँ, मेरी क्या? बोल?’
‘हाय माँ, तुम्हारी चु उ उ उंची।’
ये शब्द बोल कर ही इतना मजा आया कि लगा जैसे लौड़ा पानी गिरा देगा।
‘हाँ, अब आया ना लाईन पे… दबा मेरी चूचियों को, इससे तेरा पानी जल्दी निकल जाएगा। हाय, क्या भयंकर लौड़ा है!’
पता नहीं जब इस उम्र में यह हाल है इस छोकरे के लण्ड का तो पूरा जवान होगा तो क्या होगा?’
मैंने अपनी दोनों हथेलियों में माँ की चूचियाँ भर ली और ऊन्हें खूब कस कस के दबाने लगा, गजब का मजा आ रहा था, ऐसा लगा रहा था, जैसे कि मैं पागल हो जाऊँगा।
दोनों चूचियाँ किसी अनार की तरह सख्त और गुदाज थी। उसके मोटे- मोटे निप्पल भी ब्लाउज़ के ऊपर से पकड़ में आ रहे थे।
मैं दोनों निप्पलों के साथ साथ पूरी चूची को ब्लाउज़ के ऊपर से पकड़ कर दबाये जा रहा था।
माँ के मुख से अब सिसकारियाँ निकलने लगी थी और वह मेरा उत्साह बढ़ाए जा रही थी- हाय बेटा, शाबाश ! ऐसे ही दबा मेरी चूचियों
को। हाय क्या लौड़ा है? पता नहीं घोड़े का है, या सांड का है? ठहर जा, अभी इसे चूस कर तेरा पानी निकालती हूँ।
कह कर वो नीचे की ओर झुक गई, जल्दी से मेरा लण्ड अपने होंठों के बीच कैद कर लिया और सुपारे को होंठों के बीच दबा कर खूब कस कस कर चूसने लगी जैसे कि पाईप लगा कर कोई कोका कोला पीता है।
मैं उसकी चूचियों को अब और ज्यादा जोर से दबा रहा था, मेरी भी सिसकारियाँ निकलने लगी थी, मेरा पानी अब छुटने वाला ही था- हाय रे, मेरी माँ !!! निकाल रे निकाल मेरा, निकल गया, ओह माँ, सारा, सारा का सारा पानी, तेरे मुंह में ही निकल गया रे।
माँ का हाथ, अब और तेज गति से चलने लगा, ऐसा लगा रहा था जैसे वो मेरे पानी को गटागट पीते जा रही है।
मेरे लण्ड के सुपारे से निकली एक एक बूंद चुस जाने के बाद माँ ने अपने होंठों को मेरे लण्ड पर से हटा लिया और मुस्कुराती हुई मुझे देखने लगी और बोली- कैसा लगा?
मैंने कहा- बहुत अच्छा।
और बिस्तर पर एक तरफ लुढ़क गया।
मेरे साथ-साथ माँ भी लुढ़क के मेरे बगल में लेट गई और मेरे होंठों और गालों को थोड़ी देर तक चूमती रही।
थोड़ी देर तक आंखें बंद कर के पड़े रहने के बाद जब मैं उठा तो देखा कि माँ ने अपनी आंखें बंद कर रखी हैं और अपने हाथों से
अपनी चूचियों को हल्के हल्के सहला रही थी।
मैं उठ कर बैठ गया और धीरे से माँ के पैरों के पास चला गया। माँ ने अपना एक पैर मोड़ रखा था और एक पैर सीधा करके रखा हुआ था, उसका पेटिकोट उसकी जांघों तक उठा हुआ था, पेटिकोट के ऊपर और नीचे के भागों के बीच में एक गैप सा बन गया था, उस गैप से उसकी जांघ, अन्दर तक नजर आ रही थी। उसकी गुदाज जांघों के ऊपर हाथ रख कर मैं हल्का सा झुक गया अन्दर तक देखने के लिये।
हाँलाकि अंदर रोशनी बहुत कम थी, परन्तु फिर भी मुझे उसकी काली काली झांटों के दर्शन हो गए।
झांटों के कारण चूत तो नहीं दिखी, परन्तु चूत की खुशबू जरूर मिल गई।
Rajsharma67457@gmail. Com

Babita ki chudai

$
0
0

image

मेरे मुंबई वाले फ्लेट में एक नोकरानी काम करती थी. उसका नाम बबिता था. उम्र करीब ३६ साल होगी. उसके बूब्स बड़े बड़े थे. जब वो चलती थी तो उसके बूब्स हिलते रहते थे उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. में हर दम सोचता रहता था की इसे केसे चोदा जाए.
आखिर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया. एक दिन में घर पर था तो मेने बबिता को आवाज दी कोई जवाब ना पा कर मेने सोचा की वो घर चली गई होगी. में थका हुआ था इस लिए अपने कपडे उतार कर में नहाने के लिए बाथरूम में घुसा बाथरूम में घुसते ही मेने देखा की बबिता नहा रही थी. उसके बदन पर एक दाग तक नहीं था. वो पूरी नंगी थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी इस लिए उसने मुझे नहीं देखा.
शायद सोचा होगा की इस वक्त कौन आएगा. इस लिए शायद बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया. मेने सोच लिए आज तो इसे जरूर चोदुंगा. मेने चुपके से उसके सारे कपडे उठाये और बहार आ गया. और द्रोइंग रूम में बेठ गया. थोड़ी देर बाद उसका चेहरा बाथरूम के दरवाजे से झांकता दिखाई दिया. वोह बोली साहब मेरे कपडे दे दीजिये. मेने कहा खुद आकर ले लो. वोह अपने बूब्स को दोनों हाथो से धक् कर बहार आई. मेरे सामने एक लड़की बगेर कपड़ो के खड़ी थी. ये देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया.
मेने कहा तुम बहुत सुन्दर हो. बबिता. वो शर्मा गयी. मेरी हिम्मत बढ़ी और में खड़ा हो गया. खड़े होते ही मेरा लंड और तन गया. और मेरा ९ इंच का लंड देख कर उसकी आँखे फेल गयी. में उसके पास गया और और उसके होठो को चूमने लगा. पहले तो उसने विरोध किया लेकिन फिर वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी. फिर मेने लिप्स को छुआ और निचे आकार उसके बूब्स को चूसने लगा फिर मेने उसे बाहों में उठाया और बेड रूम में ले गया. बेड पर लिटा कर मेने उसके लेग्स को फेलाया और उसकी चूत चाटने लगा. उसकी चूत मक्खन की तरह चिकनी थी. मेने उसकी ब्रा में अपनी दो फिंगर घुसाई और अन्दर बहार करने लगा. वो गरम हो रही थी.
वो बेताबी में अपने हाथो से अपने चुचियो को मसलने लगी. उसके मुह से आआआह्ह्ह ऊउह्ह्ह और करो फाड़ दो मेरी चूत. सुन कर मेरा जोश बढ़ गया. मेने अपना लंड उसके मुह में डाल दिया. वो उसे लोली पॉप की तरह चूसने लगी. और मेने उसकी चूत को जी भर कर चूसा. अब हम ६९ पोजीशन में थे. फिर मेने उससे कहा बबिता अब में तुम्हारे बुर को फाडुगा. वो तो पहले से तैयार थी.
उसने कहा हां साब अब इस बुर को फाड़ दो अब और रहा नहीं जाता. फिर मेने अपना लंड उसके बुर के मुह पर रख्खा और धक्का दिया. लंड थोडा अन्दर गया की वो चीखने लगी उठी आह धीरे करो दर्द होता हे. लेकिन मेने उसकी बात अनसुनी कर अपना काम जारी रख्खा.
लंड पूरा घुसते ही वो छिपकली की तरह मेरे साइन से चिपक गई. फिर मेने अपना लंड तेजी से उसकी चूत के अन्दर बहार करने लगा मेने उसे कास कास कर चोदा. वो भी गांड उछाल उछाल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी. बहुत देर तक चोदने के बाद में उसके बुर में जहर गया. और उसके सिन पर सर रख कर सो गया. थोड़ी देर बाद मेने उसकी चुचियो के बिच अपना लंड रख्खा और उसकी चुचियो को चोदने लगा. थोड़ी देर में मेरा लंड फिर तैयार था. अब मेने उसे डौगी स्टाइल में बिठाया और कहा बबिता अब में तुम्हारी गांड मारूंगा.
वो डर गयी बोली नहीं साब गांड मत फादो बहुत दर्द होगा. आपका लंड बहुत मोटा हे. मेने उसे संजय की पहले थोडा दर्द होगा लेकिन फिर बहुत मज़ा आएगा. वो तैयार हो गयी. मेने उसकी गांड के अन्दर बहार वेसलिन माली और लंड घुसाने लगा. लंड थोडा अन्दर गया की वो दर्द से छटपटाने लगी. और छूटने की कोसिस करनी लगी. पर मेने उसको पकड़ा और धक्के लगाता रहा. वो रोने लगी और मेरा लंड उसकी गांड को रोंद्ता रहा.
थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो आराम से चुदवाने लगी. काफी देर तक चोदने के बाद में उसकी गांड में झर गया. फिर मेने पूछा क्यों बबिता मज़ा आया…? वो बोली हां साब बहुत मज़ा आया आप बहुत अच्छा चोदते हो अब में रोज़! ! ! ! आपसे ही चुदवाउंगी. फिर तो हम लोग रोज़ ही चुदाई का मज़ा लेने लगे.
Rajsharma67457@gmail. Com

Yad chudai ki

$
0
0

image

मैं अपने जीवन में घटी एक घटना बताता हूँ.. इसे पढ़कर आपका भी मन करेगा कि काश.. राज की जगह मैं होता।
मैं जयपुर में 4 सालों से रह रहा हूँ। एक बार मैं जयपुर के वर्ल्ड फेमस सिनेमा हॉल राजमंदिर में मूवी देखने जा रहा था। उस समय मैं नया-नया ही जयपुर में आया था.. इसलिए मेरा कोई दोस्त नहीं था.. मैं अकेला ही चला गया।
टिकट खरीद कर मैं अपनी सीट पर जा कर बैठ गया। मूवी शुरू होने के कुछ देर बाद विदेशी सैलानियों का एक झुण्ड हॉल में प्रवेश करता है.. मैं मध्य वाली गैलरी में एक सीट छोड़कर बैठा था।
उस झुण्ड में से एक विदेशी महिला मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने पहली बार किसी विदेशी को इतने पास से देखा था। उसने ब्लैक टी-शर्ट और ग्रे निक्कर पहन रखी थी। वो लगभग 32 साल की महिला थी.. उसका रंग दूध जितना सफ़ेद था
मूवी में एक सीन पर सारे दर्शक हंसने लगे.. तो उस महिला ने मुझसे पूछ लिया- ये क्यों हंस रहे हैं?
तो मैंने उस सीन का इंग्लिश में मतलब उसे बताया तो वो भी हंसने लगी। उसने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और मेरा नाम पूछा।
मैंने अपना नाम बता कर उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम जिमी बताया और वो नीदरलैंड से थी।
कुछ देर बाद बैठक बदलते वक़्त मेरा हाथ उसकी जांघ से टकरा गया.. तो उसने मेरी तरफ देखा। मैंने उसे ‘सॉरी’ कहा.. तो वो केवल हल्के से मुस्कुराई।
मैंने किसी से सुना था कि विदेशी सैलानी शिकायत कर दे तो जमानत भी नहीं होती है.. इसलिए मैं थोड़ा संभल कर बैठा।
इस वक्त तक मैं उसे केवल दूर से ही देखना चाहता था। इंटरवल के बाद मूवी में एक रोमांटिक सीन आया.. तो वो बार-बार मेरी ओर देख रही थी।
परदे पर रोमांटिक सीन देखकर मेरे मन में भी उसकी तरफ देखने का मन करने लगा। मेरा ध्यान बार-बार उसके गले के नीचे वाले भाग पर जा रहा था.. जो कि टी-शर्ट का गला बड़ा और काफी खुला हुआ होने के कारण दिख रहा था।
शायद उसने भी ये देख लिया था.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
उसने अपना हाथ हल्के से इस तरह अपनी जांघ के पास रखा कि वो मेरी जांघ को छू जाए।
इससे मेरी भी हिम्मत बढ़ी.. मैंने भी अपना हाथ थोड़ा नीचे किया.. तो वो भी उसके हाथ को छू गया।
हाथ टच होते ही उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मेरे बदन में जैसे करंट दौड़ गया..
फिर वो धीरे-धीरे मेरे हाथ को अपनी निक्कर के ऊपर ले जाने लगी, मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. जीन्स को फाड़ने को हो गया।
इतने में उसके साथ वालों ने उसके पास आकर उससे चलने के लिए कहा।
उसने मेरी तरफ देखा..
तो मैंने कहा- आर यू गोइंग?
उसने कहा- या.. बट आई एम वेटिंग आउटसाइड…
इतना कहकर वो मुस्कुराकर चली गई।
मेरा दिल धाड़-धाड़ करने लगा। फिर मैं भी वहाँ से उठ कर चल पड़ा.. बाहर जा कर देखा तो वो दिखाई नहीं दी।
राजमंदिर के पास मैक डोनाल्डस है.. वो उसमें थी। उसे देखकर मेरी जान में जान आई.. वो बाहर आई और उसने मेरा नंबर लिया और ‘आई विल कॉल यू..’ कह कर चली गई।
मैं भी अपने कमरे पर चला गया।
लगभग 20 मिनट बाद उसका फ़ोन आया वो अपने होटल से बोल रही थी।
उसने मुझे अपने होटल बुलाया.. मैंने उसके पास जाने से पहले अपने लंड के आस-पास वाले बाल साफ़ किए और टैक्सी पकड़ कर होटल पहुँचा।
रिसेप्शन से पूछ कर उसके कमरे पर पहुँच कर बेल बजाई.. तो वो मेरे सामने थी.. उसने मेरा हाथ पकड़कर अन्दर खींच लिया।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। ऐसा तो केवल फिल्मों में ही होता है। मेरे जिस्म में बुखार सा चढ़ गया।
क्या वास्तव में मेरे सामने एक गोरी लड़की है.. मैं ठहरा गाँव का निरा देहाती और ये साला हो क्या रहा है.. खैर यही सच्चाई थी।
उसने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे गालों पर किस किया। मैंने भी उसके गले पर किस किया और उसे बाँहों में भर लिया।
अब वो मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई।
उसने मुझसे पूछा- तुम यहाँ पर आ कर खुश तो हो न?
तो मैंने कहा- मेरी तो मुराद पूरी हो गई.. मैं बहुत खुश हूँ।
फिर मैंने पूछा- मुझमें तुमने क्या देखा.. जो इतनी मेहरबान हो गई?
तो उसने कहा- पता नहीं.. वो पल ही कैसा था..
‘हम्म..’
उसने मुझसे कहा- कभी सेक्स किया है?
तो मैंने कहा- हाँ.. एक बार..
फिर उसने कहा- मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ कई बार सेक्स कर चुकी हूँ।
मैं उसे चुदासी निगाहों से देखने लगा।
उसने कहा- सो.. वांट टू डू सम फन?
मैंने मौन रह कर अपनी मुंडी हिला दी।
अब उसने मेरे लंड पर हाथ रख दिया जो कि पहले से ही खड़ा हो रखा था। उसने मेरी चैन खोलकर अंडरवियर में हाथ डाला और उसे सहलाने लगी।
अब तक मैंने भी बहुत शराफत दिखा ली थी.. अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था।
मैंने उसे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
आह्ह.. क्या अहसास था वो..
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल दी।
अब मैं उसके मस्त नशीले शरीर को चूमने लगा.. तो उसने सिसकारी भरकर मुझे बाँहों में भर लिया।
फिर मैंने उसे उल्टा किया और उसकी सफेद ब्रा खींच कर हुक तोड़ दिया।
अब उसके सफ़ेद सेब मेरे हाथों में थे।
क्या बताऊँ दोस्त.. क्या माल था.. हाय मैंने उसके वो ‘सॉफ्ट-सॉफ्ट’ चूचे मुँह में लेकर चूसे.. तो उसकी सिसकारी निकल गई और वो कहने लगी- टेक मी इन हैवन..
मैंने कहा- यस माय डार्लिंग..
मैं किस करता-करता नीचे उसके पेट तक पहुँच गया। फिर धीमे से उसकी निक्कर का हुक खोल दिया और खींच कर बाहर निकाल दिया।
अब मेरे सामने लाइट पिंक रंग की चड्डी थी। मैंने अपने अन्दर का जानवर दिखाते हुए उसकी चड्डी में हाथ डाला और उसे फाड़ दी।
वो हंसकर कहने लगी- आई थिंक.. आई विल हैव टू बाइ न्यू अंडर गारमेंट्स..
अरे दोस्तो, बस पूछो मत.. क्या गदराई चूत थी.. सफाचट.. बाल एकदम साफ़.. मुझे तो चूत को चूसने का नहीं.. खाने मन करने लगा।
मैंने उसके चूत के होंठों पर अपने होंठ रखे और उसका जूस पीना शुरू कर दिया।
वो धनुष की तरह तन गई और उसने मेरे सिर को पकड़ लिया।
मैंने कम से कम दस मिनट तक उसका रस पिया। इस दौरान वो एक बार झड़ भी गई.. तब उसकी चूत में से निकला नमकीन पानी.. हय.. क्या मस्त स्वाद लगा था।
अब वो पागल हो गई थी.. उसने उठकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसको बिना कोई वक्त जाया किए मुँह में पूरा डाल लिया।
फिर मेरा साढ़े छः इंच का लौड़ा उसके गले तक पहुँच गया।
करीब 5 मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा.. फिर मैं भी झड़ गया.. वो सारा वीर्य पी गई।
फिर उठ कर बोली- अब देखो.. मैं क्या करती हूँ।
मेरा लंड पकड़े-पकड़े वो मुझे बाथरूम में ले गई और वहाँ ले जा कर मुझसे कहा- मैं इस लंड को इतना टॉर्चर करूँगी कि ये सुन्न हो जाएगा।
फिर मेरे लंड जो कि झड़ जाने के बाद लटका हुआ था.. उसे एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ पर देकर मारा।
मेरे मुँह से चीख निकल गई.. लेकिन वो रुकी नहीं.. उसे मारते-मारते फिर से खड़ा कर लिया। वो भी केवल दस मिनट में..
अब वो मेरे लौड़े को हाथ से पकड़ कर जोर-जोर से ऊपर नीचे करने लगी।
दोस्तो, मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन क्या करूँ.. करीब 15 मिनट बाद लंड एकदम सुन्न हो गया। मुझे लंड महसूस ही नहीं हो रहा था।
फिर उसने मुझे वहीं लेटा दिया.. खुद ऊपर आ गई.. अब उसने मेरे लंड पर थोड़ा थूक डाला.. और अपनी चूत का मुँह मेरे लंड पर रख दिया।
फिर धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी, थूक की चिकनाई से लंड धीरे-धीरे उसकी चूत में पूरा समा गया।
मुझे तो कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था.. लेकिन वो सिसकारियां भर रही थी और “यस.. यस..” कर रही थी।
उसकी वो मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं।
अब वो मेरे लौड़े पर ऊपर-नीचे होकर झटके मारने लगी.. फिर उसने झटके मारना तेज कर दिए।
इस दौरान उसकी गाण्ड मेरी जाँघों से टकरा रही थी और ‘फट.. फट..’ की आवाज आ रही थी।
लगभग 3-4 मिनट के बाद उसका शरीर कांपने लगा और ‘उई.. उई.. आह्ह.. उईईईईइ..’ करती हुई झड़ गई, मेरे सीने से लग गई.. मेरे लंड में तो अब तक कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था.. वो तो सुन्न हो रखा था।
मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर ले गया और उल्टा लेटा दिया फिर उसके पेट के नीचे हाथ लगाकर उसे घोड़ी बना दिया.. उसकी मस्त-मस्त गाण्ड देखकर उसे खाने का मन करने लगा।
दोस्तो, अब मैंने उसकी चिकनी गाण्ड को खूब चाटा और काट खाया। इसके बाद उसकी चूत में पीछे से अपना लंड पेल दिया.. उसकी चीख निकल गई तो मैंने उसे पूछा- आर यू आल राइट?
तो उसने कहा- फ़क मी बास्टर्ड..
उसके इतना कहते ही मेरा देशी खून खौल उठा.. और मैंने एक जोर से थाप लगते हुए कहा- तेरी माँ की चूत.. साली रण्डी.. ले..
अब मैंने अपनी लंड मशीन शुरू कर दी।
मैं इतने जोर-जोर से झटके मारने लगा कि उसके मुँह से आवाजें निकलने लगीं- ओह.. ओह.. ओह.. फ़क मी लाइक एनीमल..
अब उसकी सेक्सी आवाजें सुनकर मेरे लंड में भी चेतना लौटने लगी।
लगभग 15 मिनट तक उसे नॉन-स्टॉप चोदने के बाद उसकी चूत में तेज सरसराहट.. महसूस हुई.. जैसे कोई पानी की धार मेरे लंड से टकराई हो।
मतलब वो झड़ गई थी..
इसके ठीक बाद मेरे लंड भी पानी उगलने को तैयार हो गया और मेरे शरीर में एक झटका लगा और सारा वीर्य उसकी चूत की कटोरी में डाल दिया।
उस वक़्त जो मजा आया ना.. वो मुझे जिंदगी में किसी चीज में नहीं आया। हम दोनों निढाल हो गए थे.. एक-दूसरे के ऊपर-नीचे पड़े हुए थे।
फिर मैंने उठकर उसके गालों को किस किया और अपने कपड़े पहनने लगा।
वो बोली- आज रात यहीं रुक जाओ।
तो मैंने उसे अपना सूजा हुआ लंड दिखाया और जाने की मज़बूरी बताई.. तो उसके आँखों में आंसू आ गए।
दोस्तो, यहाँ मैं बता दूँ कि मेरा मकान-मालिक रात 12 बजे बाद घर में घुसने नहीं देता और तरह-तरह के सवाल पूछता है.. वो अलग।
मैंने उस लड़की से कहा- मैं कल फिर आ जाऊँगा..
लेकिन उसे अगले दिन जाना था.. उसने कहा- मेरे पास तुम्हारा नंबर तो है ही.. तुम्हें कॉल करूँगी..
दोस्तो.. दो दिन बाद उसका फोन आया और उसने कहा- वो अपने देश जा रही है और मुझे मिस करेगी।
अब मुझे उसकी याद आने लगी थी। उसकी आँखों के आंसू मुझे याद आ रहे थे.. ऐसा लग रहा था जैसे मुझे उससे प्यार हो गया हो।
मैं कई दिनों तक उसकी याद में पागल रहा था। जाते वक़्त उसने वहाँ के नंबर से फ़ोन करने के लिए कहा था.. लेकिन उसका फ़ोन 10 माह तक नहीं आया।
फिर एक दिन उसका फ़ोन आया और वो बोली- मेरी शादी हो गई है.. लेकिन तुम चाहो.. तो तुम्हें यहाँ बुला सकती हूँ।
मैंने उसे अपने दिल की बात बतलाई कि मैं उससे प्यार करने लगा था। उसने पता नहीं क्यों.. फोन काट दिया और आज तक उसका फ़ोन नहीं आया।
दोस्तो, मेरी
कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल करके बताना जरूर।
Rajsharma67457@gmail. Com

Dhobi ghat par chudai 12

Bhabhi ki chud ki khujli

$
0
0

image

ये मेरी और मेरी प्यारी भाभी की स्टोरी है, जो मेरे घर के पास में ही रहती है. भैया गोवा की एक कंपनी में है और दो महीने में एक बार कुछ दिन के लिए घर आते है. वो हमारे दूर के रिश्तेदार है. ये बात आज से २ साल पहले ही है, जब मैं ये काम नहीं करता था मीन्स जब मैं मेल एस्कॉर्ट नहीं था.
मेरे और भाभी के घर में बहुत अच्छे रिलेशन है, जब भैया की शादी भी नहीं हुई थी. उससे पहले से ही मैं खाली टाइम में उनके घर चला जाता था और घंटो तक उनके यहाँ सबके पास बैठकर बतियाता रहता था. खूब हंसी-मजाक करता था. भैया की शादी के बाद भी, भाभी के साथ मेरा हंसी मजाक जारी रहा, कोई मुझ पर शक भी नहीं करता था. अब मैं आपको अपनी भाभी के बारे में बताता हु. उनका नाम निशा है, उनकी फिगर ३४-३२-३४ है और उनका रंग दूध से भी ज्यादा गोरा है और एक दम हिरोइएन लगती है, बोले तो एकदम झकास आइटम. वो इतनी सेक्सी और हॉट है, जब मैं उन्हें पहली बार देखा था तो मैंने उनके नाम का तीन पर मुठ मारा था. तब जाके मेरा लंड शांत हुआ था. मैं उनके घर चले जाता था और उनसे खूब हंसी-मजाक करता था. मैं मजाक ही मजाक में उन्हें छु लेता था, कभी उनके गालो पर किस कर देता था और कभी उनके हाथ को पकड़कर उनपर हाथ फेर देता था. मैं उन्हें जब से देखा था, मैं उन्हें चोदना चाहता था.
पर घर में उनकी सास की वजह से कभी ट्राई नहीं मार पाया, ना ही अपनी तरफ से उन्होंने मुझे कोई ऐसा हिंट दिया, कि वो मुझे पसंद करती थी या ऐसा कुछ भी. तो ज्यादा कुछ करने में मुझे भी डर लगता था. उनकी शादी के लगभग एक साल के बाद मेरी और भाभी की फॅमिली साथ में घुमने गए. जहाँ हमने जाना था. वहां पहुचने में पूरा दिन लगता है, तो सब आदमी कार की सबसे पीछे वाली सीट पर बैठे और मैं बीचवाली में, भाभी के बिलकुल बराबर वाली सीट पर. मैं बहुत खुश था, कि मेरी प्यारी भाभी मेरे बराबर में मुझसे बिलकुल चिपककर बैठी है. मेरा लंड उनकी खुशबु लेते ही खड़ा ही गया. मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था. पर सबकी वजह से मैं कुछ कर नहीं पा रहा था. फिर कुछ घंटो बाद, अँधेरा हो गया और ठण्ड का टाइम था, तो हमने कम्बल ओढ़ लिया. मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के पेट पर रख दिया, तो उन्होंने हलकी से स्माइल दी. मेरी थोड़ी सी हिम्मत बड़ी और फिर कुक्ड देर तक मैंने अपने हाथ को ऐसे ही रखे रखा और धीरे-धीरे हाथ फेरता रहा.
मेरा लंड मेरी जीन्स फाड़ने को तैयार था. कुछ टाइम बाद, मैं हिम्मत करके अपना हाथ थोड़ी सी ऊपर खिसकाया उनके ब्लाउज की तरफ, तब भी उन्होंने कुछ नहीं बोला. मेरी गांड फट रही थी, कि अगर उस वक्त उन्होंने कुछ भी कहा, तो मेरे घर वाले मेरी गांड फाड़ देंगे. मेरे से कण्ट्रोल भी नहीं हो रहा था. मैंने सोचा – जो होगा देखा जाएगा. मैंने अपने हाथ को उनकी ब्लाउज के ऊपर रख दिया. उन्होंने मेरी तरफ देखा, तो मैंने सोचा कि आज तो मैं गया. पर उन्होंने मुझे एक अलग सी स्माइल दी. बाद फिर तो मैं बिलकुल खुल गया और मैंने अपने हाथ को उनके मोटे बूब्स पर रखे रखा और कुछ देर बाद हल्का-हल्का प्रेस करने लगा. उन्हें भी मज़ा आने लगा था. पुरे रास्ते में, ऐसे ही उनके बूब्स को दबाता रहा और उनकी चूत पर हाथ फेरता रहा. पता ही चला, कि पूरा रास्ता कब कट गया और घूमके वापस आंके बाद मैं बाद उन्हें चोदने का मौका ढूढने लगा. हम अकसर मौका देखके एक दुसरे को किस करते और मैं उनकी चूत में ऊँगली कर देता.
एकदिन, आंटी बाज़ार जाने वाली थी. भाभी ने बताया, कि आज दोपहर में, मैं अकेली रहूंगी. तो मैं अपने घर के बाहर बैठा था. तभी आंटी निकलकर बाहर गयी. उसके २ मिनट बाद, भाभी की कॉल आई. तो मैंने ख़ुशी से झूमता हुआ भाभी के घर पहुच गया, कि आज तो चूत मिलेगी. और जिसे चोदने के सपने देखा करता था, उसको आज हक्किकत् में चोदुंगा. मैं उनके घर उनके कमरे में गया और परदे लगा दिया. भाभी चादर ओढ़कर लेटी थी. मैं चादर हटाई, तो मैं देखता ही रह गया. भाभी ने बस ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. उन्हें ऐसे देखने में मेरे तो रौंगटे ही खड़े हो गये. मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और उनपर टूट पड़ा. पहले तो मैं उन्हें १० मिनट तक किस करते- करते उनके बुबू को दबाता रहा और वो मेरे लंड को हाथ से मसलती रही अहहः अहहहः म्मम्मम्म कितना मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उनकी ब्रा और पेंटी जोश में आके फाड़ दी और उनके बूब्स मसलने लगा. वो आख बंद करके अहहहहः आहाहाह उफ्फ्फ्फुफुफुफुफ़ … ऊईईईईइ दबाओ और जोर से दबाओ … इतना कहने लगी.
उन्होंने मेरा मुह अपनी चूत पर रख दिया और मैंने उनकी चूत के लिप्स खोल के उनकी चूत के दाने पर जीभ लगा दी और इसे क्रीम की तरह उनकी चूत को चाटने लगा. पहले तो थोडा अजीब लगा, फिर मुझे उसका टेस्ट अच्छा लगा अहहः य्म्मम्म्म्म म्मम्मम वो बुरी तरह मोअन कर रही थी अहहहहह्स्स्स स्स्स्स चाटो ना. आज इसकी पूरी खुजली मिटा दो. चाटोऊऊऊऊओ अहहः… मर ग्यीईईई. १० मिनट तक मैंने उनकी चूत चाटी. इस बीच वो कई बार झड़ चुकी थी. फिर वो बोली अब अपना लंड मेरे मुह में अन्दर तक दो जानू. मैंने अपना ८ इंच का लंड निकाला और उनके मुह में घुसाया और वो चूसने लगी. उम्म्म्मम्म म्मम्मम बहुत जोर जोर से पच पच की आवाज़ आने लगी. मेरे मुह से बस आहाहहः आआआअ की आवाज़ निकल रही थी. ऐसा मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया था. वो मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे सदियों से लंड की प्यासी हो. उन्होंने मेरा पूरा लंड एकदम लाल कर कर दिया और फिर वो बोली के अपना मोटा लंड मेरी चूत में डालो ना जान. मैंने झट से उनकी दोनों टांगो को खोल दिया और उनके ऊपर चड़ गया.
मैं अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा. वो बोली बस भी करो. कितना तड़पाओगे? अब इसे डालो तो इसे. मैं अपना लंड जब अपने लंड को उनकी चूत में डालने की कोशिश की, तो उन्ही चूत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड का टोपा ही सिर्फ अन्दर गया. मैंने कहा – भाभी आपकी चूत बड़ी टाइट है. तब उन्होंने बताया, कि तुम्हारे भैया मुझे ठीक से चोद नहीं पाते है. उनका लंड बहुत ही छोटा है इसलिए मेरी सील ठीक से टूटी नहीं है और जबसे उनकी शादी हुई है, तबसे मैं तुम्हे पसंद करती हु और तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती थी. तब मुझे पता चला, कि वो भी मुझसे प्यार करती थी. ये सुनते ही मैं तो फुला नहीं समाया पर मैंने एक बहुत जोर का झटका मारा और मेरा लंड आधा अन्दर घुस गया. वो बहुत तेज चिल्लाई – आईईईईइ मर्रर्रर्र ग्यीईईईइ … निकालो अपना लंड. पर मैं क्यों निकालने लगा. दुसरे धक्के में, मेरा पूरा अन्दर गया गया. अब वो शांत हो चुकी थी और चुदने को तैयार थी और मैं उन्हें तेज- तेज धक्के मारके चोदने लगा.
और वो अपनी गांड हिला-हिलकर मुझसे चुदवाने लगी और साथ में मैं एक हाथ से उनकी चूची भी दबा रहा था और उनके होठो अपने होठो में भरके चूस रहा था उम्म्मम्म म्मम्मम म्मम्मम बहुत मज़ा आ रहा था. मैं इतनी तेज धक्के मार रहा था, कि वो बार-बार ऊपर खिसक जाती. १५ मिनट बाद वो झड़ने वाली थी, तो उन्होंने मुझे बुरी तरह से जकड़ लिया और वो झड़ गयी. मैं उन्हें चोदने लगा एंड आई हेव ऐ गुड स्टेमिना.तो पहली बाद मैंने उन्हें २५ मिनट तक लगातार चोदा और वो मुझे जकड़ के मेरे नीचे लेटी थी. फिर मैं झड़ने वाला था. तो मैंने उनसे कहा, कि मेरा माल निकलने वाला है. तो उन्होंने मेरे काम में धीमे से कहा – की जानू अन्दर डाल दो. मैंने अपना सारा माल उनके अन्दर ही निकाल दिया और उनके ऊपर लेटा रहा और उन्हें चूसता रहा. ३-४ मिनट के बाद, मेरा लंड उनकी गोरी और मीठी चूची को चूसते- चूसते फिर से खड़ा हो गया और अबकी बार, मैंने उन्हें साइड में अपनी तरफ पीठ करके लिटाया और उनकी तांड उठाई और अपना लंड अन्दर डाल दिया.
मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए. उस टाइम कितना मज़ा आ रहा था. ऐसा लग रहा था, कि मैं जन्नत में हु और उनकी चूत को मैं एक हाथ से रगड़ने भी लगा था. उनके मुह को अपनी तरफ करके उनके होठो को चूस भी रहा था. कुछ देर ऐसा ही चुदाई करने के बाद, फिर मैंने नया स्टेप बनाया. मैंने उन्हें उलटी लिटाके उनकी गांड को हलकी सी ऊपर कर दिया और फिर अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया. मैं उनके ऊपर लेटकर झटके मार रहा था. उनकी दोनों चुचिया दबा रहा था. मैं इतनी तेज झटके मारा रहा था, कि उनके मुह से हर धक्के के साथ अहहहः म्मम्मम निकल रही थी और मैं उनकी आवाज़ सुनके मस्त हो रहा था. ४० मिनट तक वो दूसरी चुदाई चली और मैं झड़ने वाला था. इस बीच में भाभी झड़ चुकी थी वो अब वो अकड़ने लगी थी. मैंने अपने लंड को उनकी चूत में से निकाला और अपने लंड को उनके बूब्स के बीच में रख दिया और रगड़ने लगा. मेरे लंड ने उनके मुह पर पिचकारी मार दी और १० मिनट रेस्ट करने के बाद, हमने जल्दी से कपडे पहने, क्युकी आंटी मार्किट से आने वाली थी.
तो देर ना करते हुए, मैंने उन्हें एक तगड़ी सी किस दी और उन्होंने मुझे अपने गले से लगा के कहा – आज पह्ल्ली बार मुझे पता चला, कि चुदाई क्या होती है. आई लव यू सो मच. उनकी नीली आँखों में मेरे लिए प्यार भरा हुआ था. मैंने भी कहा – आई लव यू टू, जान. जब भी आपका मन करे, तब मुझे बुला लेना. मैं भी बस आपका ही हु. और फिर मैं अपने घर आ गया.
Rajsharma67457@gmail. Com

Chud ka maja 2

$
0
0

image

उसके बाद बब्लू खड़ा हुआ और सिन्धवी के दोनों पैरों के बीच खड़ा हो गया और अपने 8 इंची लौड़े से मूठ मारने लगा।
करीब दो मिनट बाद उसके लन्ड से फव्वारे सा वीर्य छूट कर सिन्धवी के पूरे जिस्म पर गिर गया।
उसके बाद बब्लू ने फिर कुत्ते जैसी पोजिशन ली, और लपलपाती हुई जीभ से उसने सिन्धवी के पूरे बदन को चाटा और साफ कर दिया, इस बीच वो मुझ पर भी नजर रखी हुए थी कि मैं कहीं अपने जिस्म से छेड़छाड़ तो नहीं कर रहा हूँ।
फिर वो उठी और बाथरूम में जा कर नहाने लगी और बब्लू भी नीचे चला गया लेकिन बब्लू ने मेरी तरफ देखा भी नहीं।
उधर सिन्धवी नहा कर बाहर आई और डोरीनुमा पैंटी को पहन लिया जिसकी डोरी उसके दोनों फाँको के बीच जा कर फंस गई फिर ब्रा पहन कर उसने झीनी सी गाउन पहन कर मेरी ओर देखा और मुझसे बोली- अब तुमने मुझे नंगी देख लिया, तुम्हारी इच्छा पूरी हुई, अब तुम जा सकते हो।
मैं- लेकिन मैं तुमसे 2 बातें पूछना चाहता हूँ।
सिन्धवी- पूछो
मैं- एक तो तुमने मुझसे वादा किया था कि अगर मैं तुम्हारी लाइव सेक्स मूवी को देखते-देखते अगर अपने जिस्म या लन्ड को न मसलूँ तो तुम मुझे जन्नत की सैर कराओगी? और दूसरा कि जब तुमने बब्लू के साथ हर क्रीड़ा की तो उसका लण्ड अपने बुर में क्यों नहीं लिया?
सिन्धवी- मैं इस समय थक गई हूँ। आज रात तुम्हारे घर आकर तुम्हारी दोनों इच्छाओं को पूरी कर दूंगी, अब तुम यहाँ से जाओ।
मै- ठीक है, मैं चला जाता हूँ, लेकिन जाने से पहले मैं कुछ मीठा खाना चाहता हूँ।
सिन्धवी- बब…
मैंने तुरन्त ही उसके होठों पर उँगली रखी और बोला- बब्लू से मीठा नहीं मँगवाओ, तुम्हारे मीठे होठों का रसपान करना चाहता हूँ।
इतना कहकर मैंने उसके गर्दन में अपनी बाँहो को डाला और अपने तरफ खींचते हुए उसके नरम होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उसने भी बिना नानुकुर के मेरा साथ दिया।
करीब पाँच मिनट के अंतराल के बाद सिन्धवी ने रात को मेरे घर आने का वादा करके मुझे अपने से अलग किया।
शाम को छः बजे के करीब वो आई। जब मैंने उसे देखा तो देखता रह गया, क्या कायमत ढा रही थी। नीले रंग का टाप जो काफी ढीला था और उसके उरोजों की गहराई को दर्शा रहे थे और हाफ सफेद निकर जो काफी टाइट थी और जिसमें उसके नितम्ब पूरी तरह उठे हुए थे और आर्किषत लग रहे थे तथा उसके जिस्म से आती हुई गंध से मेरा हाथ और लण्ड काबू से बाहर जा रहे थे।
मेरी हथेली उसके चूतड़ों और चूची को मसलने के लिये तैयार थे, बस उसका इशारा मिलने की देर थी।
वो आते ही मुझसे लिपट गई और अपने हाथों से मेरे पहले से टाइट पड़े सामान को खोजने लगी, मैं भी तुरन्त ही उसके उभरे हुए चूतड़ो को मसलने लगा, अब मेरे हाथ में आई हुई मलाई को यूँ ही नहीं जाने दे सकता था, इसलिये मैं धीरे-धीरे नीचे होते हुए अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसकी नाभि को चूसने लगा, परिणाम स्वरूप उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
फिर धीरे से मैंने उसके टाप को उतारा और उसके मुसम्बी जैसे चूचे को अपने मुँह में भर लिया। उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने अपनी निकर को जल्दी से उतारा और मेरे कपड़े जल्दी-जल्दी उतार दिए और टट्टी करने की पोजिशन में बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद वो मुझसे बोली- राज आज मेरी प्यास जल्दी से बुझा दो, मुझे चोदो, मेरी बुर का भोसड़ा बना दो, जब से मैं तुमसे मिली हूँ मैं तुमसे चुदना चाह रही थी लेकिन कह नहीं पाई
मैं- तुम तो बब्लू से चुदवा सकती थी ना?
सिन्धवी- कुछ मत बोलो, पहले मेरी प्यास बुझा दो, मुझे चोदो।
मैंने उसे डाइनिंग टेबल पर लिटाया और उसके बुर में लंड को सटा दिया, लेकिन मेरा लंड उसकी गुफा में जाने को तैयार नहीं था, इससे मुझे लगा कि सच में वो चुदी नहीं है।
मैंने तुरन्त ही पास से क्रीम उठाई और उँगली में लेकर उसके बुर के अन्दर तक लगाई और फिर अपने लौड़े में लगा कर थोड़ा सा तेज झटका मारा, मेरे लंड का आधा हिस्सा उसके बुर में जाते ही वो बबुत तेज से चीखी और मुझसे अपने आप को छुड़ाने का प्रयास करने लगी।
उसकी आँखो में आँसू आ गये थे।
मैं तुरन्त ही उसके बहते हुए आँसू को पीने लगा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूसने लगा।
फिर वो शान्त पड़ गई पूछने लगी- क्या इतनी पीड़ा होती है?
मैंने उसे थोड़ा और बर्दाश्त करने के लिये कहा और उसके निप्पल और होठों को चूसता रहा, जैसे ही वो ढीली पड़ी, मैंने अपने लंड को हल्के से बाहर किया और एक तेज धक्के से लंड को उसके अन्दर पेवस्त कर दिया।
इस बार वो चीखी नहीं, बस अपने होंठों को चबाती रही।
मैं फिर उसके ऊपर गिर गया और जिस्म को चाटता रहा, उसका जिस्म क भी बड़ा नमकीन सा स्वाद था।
सिन्धवी- क्या हम लोग इसको दूसरे दिन नहीं कर सकते?
मै- कर तो सकते हैं लेकिन जो कुछ होना था हो चुका!
कहकर धीरे से मैंने अपना लंड बाहर निकाला, मेरा लन्ड उसके खून से सना हुआ था, और फिर अन्दर डाल दिया और धीरे धीरे आगे पीछे करता रहा।
अब वो भी मेरा साथ देने लगी, उसका हाथ मेरे चूतड़ों को सहला रहा था और अपने नाखूनों से मेरे छेद को खोद रही थी, धीरे-धीरे उसका दर्द रीत्कारों और गालियो में तबदील हो गया- फाड़ मेरी चूत मादरचोद… कब से मैं चाह रही थी कोई मुझे चोदे… आज मुझे इतना चोदो कि मैं चुदते-चुदते मर जाऊँ।
इधर मैं अब खलास होने की पोजिशन पर आ गया था कि तभी सिन्धवी चीखी- मेरा पानी निकल रहा है।
इतना सुनते ही मैंने अपने लन्ड को बाहर किया और उसके बुर के ऊपर अपने माल को छोड़ दिया।
सिन्धवी ने जब फर्श पर पड़े हुए अपने खून को देखा तो मुझसे इशारो में पूछा, मेरे उत्तर से थोड़ा मुस्कुराई और उठ कर बाथरूम जाने का रास्ता पूछा लेकिन वो चल नहीं पा रही थी।
मैं उठा, उसको गोद में उठाया और बाथरूम की तरफ चलने लगा कि तभी मेरे दिमाग में शरारत सूझी, मैंने तुरन्त ही सिन्धवी को गोद से उतारा और उससे उसके खून को साफ करने के लिये बोला।
सिन्धवी- मैं अभी चलने की हालत में नहीं हूँ और मुझे पेशाब भी तेज लगी है, पहले मुझे बाथरूम ले चलो, फिर मैं इस खून को साफ करती हूँ।
मै- तुम्हें बाथरूम जाने की क्या जरूरत, यहीं बैठ कर पेशाब करो और अपने खून को साफ कर दो।
सिन्धवी तुरन्त नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी।
सिन्धवी बुर की ओर इशारा करते हुए- यार यहाँ जलन हो रही है।
मैंने उसे गोद में उठाया बाथरूम लेकर गया और गीजर से हल्का गर्म पानी लेकर उसकी चूत को साफ किया और डेटाल से साफ करके क्रीम लगा दी और फिर उसके बेड पर लिटा कर उसके बगल में लेट गया, उसने अपना सिर मेरे सीने में रख दिया।
मैं उसके बालों को सहलाते हुए उसके बब्लू से न चुदने का कारण पूछा- सिन्धवी, क्या बात है एक तरफ तो तुम बब्लू के सामने पूरी नंगी होती हो और वो तुम्हारे जिस्म के एक हर हिस्से को छूता है, चाटता है, लेकिन तुमने उसका लंड अपने बुर में नहीं लिया?
सिन्धवी- सिली सी बेवकूफी के कारण।
मै- सिली सी बेवकूफी??
सिन्धवी के शब्दों में घटना का विवरण:
हाँ, यह हमारे घर में पिछले चार साल से रह रहा है। धीरे-धीरे यह घर का एक सदस्य जैसा हो गया और बिन्दास होकर ये पूरे घर में कहीं भी जा-आ सकता था, इस तरह बब्लू हम लोगों से बहुत ज्यादा खुला हो गया। मुझे नहीं मालूम यह मुझे कब से नहाते हुए देख रहा था, पर आज से छ: महीने पहले मैं बाथरूम में नहा रही थी कि मुझे लगा कि कोई छेद से मुझे देख रहा है, पर घर पर मैं, पापा, मम्मी और बब्लू के अतिरिक्त तो कोई और नहीं था। तो इसका मतलब बब्लू ही था जो मुझे रोज नहाते हुए देखता था।
मैंने उसको अपना पिछवाड़ा दिखाते हुए व्यस्त रखा और दरवाजा झटके से खोल दिया और उसके सामने पूरी नग्न अवस्था में खड़ी हो गई मुझे इस तरह से सामने देख कर बब्लू सकपका गया।
मैंने उससे पूछा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
बब्लू- कु कुछ नहीं…
सिन्धवी- कुछ नहीं के बच्चे, रूक तो आज पापा से बताती हूँ।
इतना मेरा कहना था कि वो फफक कर रोने लगा, इधर मैंने तौलिये से अपना बदन को ढक लिया।
बब्लू रोते हुए और पैर छूते हुए- मेम साब, साहब को मत बताना!
सिन्धवी- ठीक है, लेकिन आज के बाद जब तक मैं ना बुलाऊँ, ऊपर मत आना… अब जाओ यहाँ से।
लेकिन जाते-जाते जिस तरह उसने मुझे पलट कर देखा वो मुझे अच्छा नहीं लगा, पता नहीं क्यूँ, पर अच्छा नहीं लगा।
अब बब्लू ने उपर आना छोड़ दिया और धीरे-धीरे सब समान्य हो गया।
हम चारों लोग छुट्टियों में ताश खेलते थे और हल्की फुल्की कोई भी शर्त लगा लेते थे।
इधर दो महीने पहले घर में बड़े पापा के बेटी की शादी पड़ी थी और मम्मी और पापा शादी की तैयारियों के लिये रोज मार्केट जाते थे। उन्ही दिनों एक दिन उसने मेरी बेवकूफी या उसके अपने कमीनेपन का फायदा उठा लिया।
बब्लू- मैम साब, अकेले बोर हो रही हो तो आइये, ताश खेल लिया जाये।
सिन्धवी- हाँ बब्लू बोर तो हो रही हूँ, चलो ठीक है आओ ताश ही खेलते हैं।
बब्लू- मेम साब…
सिन्धवी- हाँ बोल?
बब्लू- बाजी खेलेंगी या??
सिन्धवी- चल बाजी ही खेलते है।
मैंने यह सोच कर कि रूपये-पैसे की बाजी ही होगी, लेकिन मुझे क्या मालूम वो इतना हरामी निकलेगा कि मेरी चूत चोदने की सोच कर आया है।
बब्लू- पर जीतने वाले पर निर्भर करेगा कि वो बाजी में अपने मन का मांग सकता है और खेल खत्म कर सकता है, हारने वाले की कोई बात नहीं सुनी जायेगी।
सिन्धवी- ठीक है पर यह बात याद रखना, यह बात तेरे ऊपर भी लागू होगी, बाद मैं मुझे कुछ मत बोलना?
बब्लू- ठीक है।
उस मक्कार की बातों को तो भी मैं नहीं समझ पाई और न ही उसकी मुस्कुराहट को जो यह बता रही थी कि दोनों हालात में उसी को फायदा होने वाला था।
पहली बाजी…
बब्लू- मैं जीत गया।
सिन्धवी- बता कितना चाहिये?
बब्लू- कितना नहीं, क्या चाहिये?
सिन्धवी- क्या मतलब?
बब्लू- आप ही ने कहा था कि अपने मन से मांग सकता है?
सिन्धवी- हाँ ठीक है, तो मांग न कितना चाहिये।
बब्लू- मुझे पैसे नहीं चाहिये!!!
सिन्धवी- तो फिर क्या चाहिये?
बब्लू हाफ पेन्ट की तरफ इशारा करते हुए- मुझे आपकी ये निकर चाहिये।
मैंने एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसको दिया, फिर भी वो बेशर्म की तरह उसी को मांगता रहा।
सिन्धवी को बीच में टोकते हुए मैं बोला- तो तुम्हे उसी समय खेल बन्द कर देना चाहिये और घर में बता देने की बात कहनी चाहिए थी।
सिन्धवी- मैंने उससे कहा था, लेकिन उससे पहले उसने उन फोटोग्राफ को मुझे दिखाया जिसमे मैं पूर्ण रूप से नग्न थी।
बब्लू- मेम साब, मैं आपकी मार का बुरा नहीं मानूँगा, पर अगर अपनी निकर नहीं दिया और घर में बता देने की धमकी दी तो मैं ये आपकी फोटो पूरे कालोनी में बांट दूंगा।
सिन्धवी- यह तो ब्लैक मेलिंग है? अगर तुम्हें मुझे नंगी देखना है तो मैं पूरे कपड़े उतार देती हूँ।
बब्लू- नहीं, ऐसा मत करो, हो सकता है कि अगली बाजी आप जीत जाओ और यह गेम यहीं खत्म हो जाये तो?
सिन्धवी- उसकी बात मुझे समझ में आई और मैंने उसे अपनी हाफ पैन्ट उसे दे दी, उस समय मैंने डोरी वाली पैन्टी पहनी हुई थी, वो मेरी अधखुली बुर को देख कर अपनी आँख सेक रहा था।
सिन्धवी- उसने अगली चारों बाजी जीत ली और मुझे एकदम से नंगी बैठा दिया और मेरी तरफ देख करके कुत्ते की तरह अपनी जीभ लपलपा रहा था। उसकी हवस भरी नजर ने मुझे डरा दिया और मुझे डर लगने लगा कि कहीं अगली बाजी यह जीत गया तो कहीं ये मुझे चोदने की बात न कह दे, इस डर से मैं भगवान की प्रार्थना करने लगी तभी!!! भगवान ने मेरी सुन ली थी, और मैं बाजी जीत गई थी।
पहले पहल तो मैं अपने कपड़े लेकर उसे घर से ही दफा कर देना चाहती थी, पर उससे क्या होता, उसने तो मुझे नंगी कर ही दिया था, और मैं उसे ऐसे ही नहीं जाने देना चाहती थी। और मेरे घर का एक अदना सा नौकर मुझे चोदने की सोचे, इतना ही सोच कर मेरे अन्दर गुस्सा आ रहा था। इसलिये मैं उसे सबक सिखाने की सोच रही थी और मैंने सोच लिया था कि अगर अगली बाजी मैंने जीती तो मुझे क्या करना है।
इसलिये मैंने मेरे कपड़े उसके पास ही रहने दिए और बदले में मैंने एक ही बार में उसके सब कपड़े उतरवा लिए, पहली बार जब मैंने उसका लंड देखा तो मैं सिहर गई, अगर वो मुझे चोदने वाली बाजी जीत लेता तो मेरे बुर में उसका इतना लंबा लन्ड कैसे जाता और मेरा क्या होता।
मैंने फ़िर टोका- फिर तुमने क्या किया।
सिन्धवी- मैंने बब्लू से कहा कि मेरे कपड़े तुमने मेरे उतरवा लिये हैं इसलिये आज के बाद मैं ये कपड़े मैं कभी नहीं पहनूँगी, इसे तू अपने ही पास रख और ये अपने कपड़े भी अपने पास रख। और अब मैं तुझे एक मौका देती हूँ, यह अन्तिम बाजी है, अगर तू जीता तो तू जो कहेगा वो मैं करूँगी और अगर मैं जीती तो जो मैं कहूँगी वो तू करेगा और किसी भी समय तू मना नहीं करेगा। और बाजी खेलने से पहले तू बता कि अगर तू बाजी जीत गया तो तू मेरे साथ क्या करेगा?
बब्लू- मैम साब, मैं केवल आपकी चूत चोदना चाहता हूँ और गांड मारना चाहता हूँ और बस?
सिन्धवी- ठीक है, अगर तू जीत जाता है तो जो तू चाहता है वो करके मुझे मेरी फोटो देकर इस घर से बिना बताये चले जाना।
बब्लू- और अगर आप जीती तो?
सिन्धवी- तो जिन्दगी भर तू इस घर में रहेगा? और जो मैं कहूंगी जैसा मैं कहूँगी और जब मैं कहूँगी वो तुझे करना होगा।
सिन्धवी- चल चाल चल, कहकर मैंने उसे चाल चलने के लिये बोला और मन ही मन भगवान को याद करने लगी।
उत्सुकता वश मैंने पूछा- फ़िर क्या हुआ?
सिन्धवी- वो बाजी मैं जीत गई।
मै- सिन्धवी, मैं नहीं समझा, अगर वो जीतता है तो तुम्हे चोद कर वो घर से चला जाये और अगर हारता है तो वो जिन्दगी भर तुम्हारे घर में रहेगा???
सिन्धवी- अगर वो जीत जाता तो वो मुझे चोदता और मैं यह कभी बर्दाश्त नहीं कर पाती कि एक नौकर मुझे चोद कर मेरे ही घर में मेरे सामने तन कर रहे। इसलिये मैंने उसे जीतने के बाद जाने को बोला।
और जब मैं जीत गई तो आज वो कुत्ते की तरह मेरे इर्द गिर्द रहता है और एक कुत्ते की तरह मैं उससे अपनी चूत, गांड सब चटवाती हूँ।
मैं- इससे तो उसका फायदा ही हुआ ना, उसको तो बिना मांगे मुराद मिल गई। यदि वो जीत जाता तो तुम्हें चोद कर चल देता और हारा है तो भी तुमको चोद नहीं सकता, पर तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से के साथ खेल सकता है।
सिन्धवी- हाँ ठीक है, मुझे जो अच्छा लगा मैंने उसे सबक सिखाने के लिये कर दिया। आज मैं उसके साथ और भी कुछ करने वाली हूँ।
मैं- क्या?
सिन्धवी- देखते जाओ।
कहकर सिन्धवी उठी और अपनी गांड मटकाते हुए टेलीफोन से नम्बर डायल करने लगी।
सिन्धवी- बब्लू, तुम जल्दी से सक्सेना जी के घर आ जाओ और याद रखना कि केवल तुम्हारे जिस्म में चड्डी ही हो और कुछ न हो।
इतना कहकर सिन्धवी ने टेलीफोन रखा और मेरे पास आकर मेरे होंठो को चूसते हुए अपने बुर को रगड़ने लगी।
तभी दरवाजे की घंटी बजी, सिन्धवी मुझे छोड़ कर तुरन्त ही दरवाजा खोलने चल दी, दरवाजा खोलते ही बब्लू सामने था।
सिन्धवी- अन्दर आ जा और अपने चड्डी उतार कर कुत्ते की तरह मेरे पीछे आ।
बब्लू तुरन्त ही अन्दर आ गया और अपनी चड्डी उतार कर कुत्ते की तरह झुक कर सिन्धवी के पीछे चल दिया अब मैं सिन्धवी की एक एक हरकत का मजा ले रहा था, वो अब भी अपनी चूत को रगड़ रही थी, अभी थोड़ी देर पहले सिन्धवी ने जहाँ मूता था वापस वहीं वो बैठ गई और बब्लू भी ठीक उसके बुर के मुहाने के सामने आकर खड़ा हो गया। अब सिन्धवी ने सर्रर्ररर्र र्रर्ररर्रर्र की आवाज के साथ मूतना शुरू किया और बब्लू के बाल को सहलाते हुए उसे उसकी मूत को चाटने का इशारा किया।
बब्लू ने एक बार उसकी ओर देखा, सिन्धवी ने अपने मुँह में उँगली रख कर उसे चुपचाप उसके मूत को चाटने के लिये कहा।
बब्लू को उसकी बात माननी पड़ी।
उसके बाद सिन्धवी ने बब्लू को वहीं पर खड़े रहने का इशारा किया और मेरी ओर आकर मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी, करीब पंन्द्रह मिनट तक चूसते रहने के बाद मेरे माल को पूरा-पूरा गटक गई।
मेरा लौड़ा सिकुड़ गया, अब वो मेरे कभी कान को चाटती तो कभी मेरे एक निप्पल को दाँत से और दूसरे को अपने नाखून से काटती।
इस दौरान उसकी उत्तेजक हरकत से मेरे लन्ड में फिर से तनाव पैदा हो गया और मेरा लन्ड टनटना कर खड़ा हो गया, सिन्धवी ने मेरे कहने से मेरे लन्ड पर क्रीम लगाया और पलंग पर अपने हाथ को टिका दिया, लेकिन इससे उसकी चूत का मुँह ज्यादा नहीं खुला। इसलिये मैंने उसका एक पैर बगल में रखी हुई कुर्सी पर टिका दिया और उसको थोड़ा सा झुका दिया इससे उसकी चूत का मुँह खुल गया, लंड को उसके बुर में सेट किया और हल्की ताकत के साथ धक्का दिया।
‘ऊईईई… ईईई माँ…’ सिन्धवी चीखी और पूरी ताकत के साथ मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगी। छूट न पाने की दशा में उसने अपने को ढीला कर दिया इससे उसकी सांस तेज चलने लगी।
इधर कभी मैं उसकी चूची को हौले से मसलता तो कभी उसकी पीठ को गीला करता या फिर उसके हिप को सहलता, इधर बब्लू भी सिन्धवी की चूत चुदाई देख कर काबू से बाहर हो रहा था और अपने लंड को मसले जा रहा था।
थोड़ी देर बाद संकेत स्वरूप अपनी गांड को हिलाना शुरू किया, उसका संकेत पाकर मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब कमरे में फच-फच की आवाज शुरू हो गई थी और इसी शोर में सिन्धवी की आवाज भी आ रही थी- मेरी चूत का भोसड़ा बना दो, मैं रण्डी हूँ, आज राण्ड की तरह चुदवाऊँगी, अभी मेरी चूत चुद रही है, मैं अभी अपनी गांड में भी तेरा लौड़ा लूँगी, मेरे प्यारे सैंय्या। आज अपनी सिन्धवी को ऐसा चोदो कि चुदवा चुदवा के वो मर जाये।
सिन्धवी- क्या लौड़े की अपने मूसल से केवल मेरी चूत चोदेगा या मुझे गांड चुदाई का भी मजा देगा।
सिन्धवी बब्लू को इशारा करते हुए- ऐ मादरचोद, वहाँ खड़ा रह कर अपने लंड को क्यो हिला रहा है। चल यहाँ आ और चल मेरी गांड चाट और अंदर तक क्रीम लगा!
बब्लू को बोल कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया। इधर वो मेरे लंड को चूसती उधर बब्लू उसकी गांड को चाटता, थोड़ी देर बाद बब्लू ने उसके गांड में क्रीम लगाई और सिन्धवी के बोलने से उसे मेरे लंड में भी क्रीम लगानी पड़ी।
फिर सिन्धवी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपने गांड में सेट किया और थोड़ा से पीछे की ओर आई, पहली बार लंड फिसल कर अपना रास्ता भूल गया, लेकिन थोड़े से प्रयास के बाद लंड का सुपारा उसकी गांड में जाकर फंस गया।
मैं जानता था कि उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन वो अपने होंठों को चबाती रही और दर्द बर्दाश्त करती रही।
सिन्धवी- मेरे राजा, धीरे धीरे अपना लंड मेरे गांड में डालो।
मै- ठीक है मेरी रानी।
थोड़ी ताकत, थोड़े प्यार से अब लंड उसकी गांड में बेरोकटोक के आ जा रहा था और सिन्धवी की आवाज भी आ रही थी- मादरचोद आज सिन्धवी की गांड फाड़ दे।
काफी देर चुदाई के बाद मैंने सिन्धवी से पूछा- मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
सिन्धवी तुरन्त मुड़ी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर मेरा पूरा माल पी गई।
अब हम लोग निढाल होकर वहीं पलंग पर लेट गये, सिन्धवी ने बब्लू को इशारे से बुर चाटने के लिये बुलाया, बुर चटवाने के बाद उसे घर जाने के लिये बोली।
दूसरे दिन जब सिन्धवी घर गई तो तुरन्त ही लौट कर वापस आई उसके हाथ में एक पर्ची थी जिसमें यह लिखा था ‘मेम साब, मेरी उस गलती के लिये मुझे क्षमा कीजिएगा जो मुझे नहीं करनी चाहिये थी।’
तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे नीचे दिये ईमेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें।
आपका अपना राज
Rajsharma67457@gmail. Com

Chud ka maja1

$
0
0

image

दोस्तो, जिस कालोनी में मैं रहता हूँ, उस कालोनी में मेरे सामने खाली पड़े अर्पाट्मेन्ट में रात करीब 10 बजे एक ट्रक रूका। जिसमें घरेलू सामान लदा हुआ था।
पीछे एक लाल रंग की कार थी जिससे कुल चार लोग उतरे। एक पतली दुबली करीब 38 वर्षीय महिला, एक लगभग 42 साल का आदमी, एक किशोरवय लड़का जो उनके घर का नौकर होगा और एक निहायत खूबसूरत लड़की जिसकी उम्र शायद 18-19 की होगी।
उस लड़की को निहायत खूबसूरत इसलिये कह रहा हूँ कि उस अँधेरे में भी उसका बदन चमक रहा था क्योंकि उसने हाफ टाप और नेकर पहन रखा था।
दोनों लेडीज फ्लैट का दरवाजा खोल कर अन्दर चली गई जबकि वो लड़का और माननीय महोदय रूक कर अपनी देख-रेख में सब सामान फ्लैट के अन्दर रखवा रहे थे।
रात के करीब साढ़े ग्यारह या बारह के करीब उनका सब समान फ्लैट के अन्दर था। इस दरम्यान मैंने कई बार उनसे मिलने की सोची, पर एक संकोच के कारण मैं उन तक नहीं पहुँच पाया। और मुझे लगता है कि जो पैकर्स और मूवर्स वाले थे रात में ही उनका सामान सेट कर चुके थे।
थोड़ी देर बाद ठीक मेरे कमरे की खिड़की के सामने वाली खिड़की खुली तो उसमें वही लड़की प्रकट हुई, क्या खूबसूरत थी।
उसने अपने हिसाब से अपनी खिड़की के पर्दे को खिसकाया।
लेकिन शायद वो मेरे अँधेरे पड़े कमरे को देखकर यह सोची होगी कि हमारे घर में सभी सो गये होंगे, इसलिये वो थोड़ी सी लापरवाह हो गई, लेकिन उसकी इस लापरवाही से मुझे फायदा हो गया क्योंकि मैंने उसके खूबसूरत बदन को नंगा होता देख लिया।
बिल्कुल दूध जैसा गोरा जिस्म था उसका!
साफ ज्यादा तो कुछ नहीं दिखाई पड़ा, लेकिन मैंने उसे अपने पूरे कपड़े उतारते हुए देख लिया था। इतना ही कह सकता हूँ कि उसके चूतड़ उठे हुए थे।
उसने पूरे कपड़े उतारने के बाद लोशन लेकर अपने पूरे जिस्म पर लगाया और नाईटी पहन कर लेट गई।
उसके इस रूप को देखकर मुझे पूरी रात नींद नहीं आई, मेरी आँखों के सामने उसका नंगा बदन घूम रहा था, करवट बदलते-बदलते हुए मैंने सारी रात काटी।
सुबह उठते ही मैंने खिड़की पर नजर डाली तो, पर्दा ने खिड़की को पूरी तरह से ढक रखा था। मेरे दिमाग में किसी तरह से उस हसीन लड़की को एक बार देखने की ख्वाहिश उमड़ रही थी, मैं सुबह-सुबह उसके घर में पहुँच गया, घंटी बजाई तो एक लड़के ने दरवाजा खोला, मैंने उसे अपना परिचय दिया तो उसने अंदर जाकर बताया, मुझे फौरन ही अन्दर बुला लिया गया।
सभी से परिचय का आदान-प्रदान हो रहा था। उनके घर में कुल तीन लोग थे चौथा लड़का उनका घरेलू नौकर था। जिसका नाम बब्लू था। घर के मालिक का नाम चन्द्रशेखर, जो सामान्य डील-डौल के मालिक थे, उनकी पत्नी जिनका नाम रेखा था वो भी काफी खूबसूरत थी, बाब कट बाल थे, अनुमानित फिगर 32-30-34 रहा होगा क्योंकि उनकी चूतड़ का हिस्सा कुछ ज्यादा ही उभरा हुआ था लेकिन उनके कपड़े पहनने के अंदाज ने यह बता दिया कि वो भी कम सेक्सी लोग नहीं है।
हम लोग बात कर ही रहे थे तभी वो खूबसूरत सी लड़की नीचे आई, मैं उसको टकटकी लगाये देखता ही रहा।
क्या फिगर था 30-26-32 बिल्कुल कमसिन काया। मुझे लगता है अभी किसी भँवरे की नजर उस पर पड़ी नहीं थी।
खैर! उसकी बड़ी-बड़ी आँखें जिनमें उसने काजल लगा रखा था, बहुत ही प्यारे लग रही थी।
उस समय उसने हाफ कट की नीले रंग वाली टी-शर्ट पहन रखी थी और नीचे हाफ सफेद नेकर। मेरी नजर उसकी टांगों पर से हट ही नहीं रही थी। क्या चिकनी टांग थी, एक भी रोयाँ नहीं थे।
मैं उसे टकटकी लगा कर देख ही रहा था तो उसने मुस्कुराकर अपने हाथ को मेरे तरफ बढ़ाते हुए बोली- हैलो, मैं सिन्धवी!
‘मैं राज
क्या जादू था उसकी आवाज में, बिल्कुल घुंघुरू की तरह। उसकी आवाज और हाथ मिलाने से मैं अपने काबू के बाहर होता जा रहा था फिर भी मैं अपने होश को काबू करते हुए मैंने उसे अपना परिचय दिया।
थोड़ी देर वहाँ रूकने के बाद मैं अपने घर पर आ गया। अब हर हालत में मैं उसे अपने बाँहो में देखना चाहता था इसलिये मौके बेमौके मैं उससे बात करने के लिये बहाने ढूंढने लगा।
लेकिन कहते हैं न कि जब किसी चीज को चाह लो तो मिल ही जाती है।
हुआ यूँ कि बरसात का महीना था और बारिश हर दूसरे या तीसरे दिन हो जाती थी। मेरे घर में कोई नहीं था और मैं आराम से बरसात का मजा लेकर ब्लू पिक्चर लगा कर देखते हुए अपनी यादों को अपनी डायरी में सजों रहा था।
करीब 7-8 बजे शाम को सामने घर में अचानक रोशनी आनी बंद हो गई। लेकिन यह वक्त तो उनके सोने का तो नहीं था कि अचानक मेरे घर का दरवाजा खटकने लगा।
मैंने बाह्रर देखा तो बब्लू खड़ा था, बोला- मेरे यहाँ लाइट नहीं आ रही है, क्या आप देख सकते हैं?
चूँकि मैं सिन्धवी से मिलने का कोई बहाना छोड़ना नहीं चाहता था इसलिये मैं बब्लू से साथ उसके घर चला गया। टार्च लेकर मैं देखने लगा तो फ़्यूज उड़ा हुआ था जिसको मैंने ठीक कर दिया।
मुझे यह लगा कि मेरे द्वारा उनकी इस परेशानी को दूर किये जाने से सभी प्रभावित थे। विशेष रूप से सिन्धवी जिसने मुस्कुराते हुए मुझसे हाथ मिलाया और थैंक्स कहा।
इस तरह से मेरी और सिन्धवी की मुलाकात बढ़ने लगी। मुझे उसका साथ और उसे मेरा साथ पसंद आने लगा था। धीरे-धीरे मेरा उसका जिस्म एक दूसरे से स्पर्श होने लगा था।
तभी एक दिन उसके साथ दुखद घटना हो गई, उसकी दादी जो कि गाँव में रहती थी, भूलोक को त्याग कर आकाश लोक में चली गई थी।
सभी लोग को गाँव जाना था पर सिन्धवी के समेस्टर के पेपर होने के कारण वो जाने में असमर्थ थी। तो तय यह हुआ कि बब्लू और वो रूकेंगे और सिन्धवी के मम्मी-पापा गाँव जायेंगे।
जाते-जाते उन्होंने मुझे भी ध्यान रखने के लिये कह दिया और चले गये।
मुझे भी लगा कि इससे अच्छा मौका और नहीं मिल सकता क्योंकि दो दिन बाद उसके मम्मी-पापा वापस आ जाते।
मैंने भी न चूकते हुए सिन्धवी से कहा- सिन्धवी, अभी तक मैंने तुमको आधा देखा है, क्या मैं पूरा देख सकता हूँ?
सिन्धवी- मतलब?
मैं- मतलब साफ है जिस तरह के तुम कपड़े पहनती हो, उससे आधा से ज्यादा तुम्हारा जिस्म नुमाइश हो जाता है। तो कपड़े और कम कर लो तो मुझे तुम्हारा पूरा जिस्म दिख जायेगा।
सिन्धवी- गुस्से में अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखते हुए- हम्म, इसका मतलब तुम मुझे नंगी देखना चाहते हो?
मैं- हाँ!
सिन्धवी- लेकिन मेरे मम्मी-पापा तो मेरा ख्याल रखने के लिये बोल कर गये थे और तुम उनके जाते ही मेरे साथ ये बातें करने लगे? और क्या मालूम अगर मैंने मना किया तो तुम मेरा बलात्कार भी कर सकते हो।
मैं- ऐसी बात नहीं है, तुम्हारी मर्जी के बिना कुछ नहीं। लेकिन इन दिनों तुम्हारे प्रति मेरा बढ़ते आकर्षण से मुझे अपने पर काबू नहीं रहा था। और मुझे लगा कि तुम भी मेरे लिये सॉफ्ट कार्नर रखती हो इसलिये बस, I am very Sorry!
मैंने उसे सॉरी बोला और चलने लगा।
तभी वो मुस्कुराई और मेरा हाथ पकड़ कर होंठो को गोल करके सीटी बजाने लगी- क्यों डर गये?
मैं- तुमने तो मेरी…
सिन्धवी- क्या? मेरी!
मैं- कुछ नहीं।
सिन्धवी- कुछ तो था, जो तुम बोलते बोलते रूक गये। कुछ गाली निकल रही थी तुम्हारे मुँह से ना?
मैं- नही-नहीं कुछ नहीं।
सिन्धवी- अब समझ में आया, डर के मारे नहीं बोल रहे हो। कहीं मैं बुरा नहीं मान जाऊँ। अच्छा! मैं बुरा नहीं मानूँगी।
मैं- कुछ नहीं, मैं तो इतना ही कह रहा था कि तुम्हारी बातों से मेरी गाण्ड फट रही थी, कहीं तुम अपनी मम्मी को न बता दो।
सिन्धवी- गाण्ड…
कह कर जोर-जोर से हँसने लगी, फिर उसने एक स्लो म्यूजिक लगाया और मेरा हाथ पकड़ कर मेरे साथ डांस करने लगी।
मैं उसके साथ शराफत से साथ डांस करने लगा, उसके कोमल और पतली बाँहों ने मेरे कमर को घेर लिया और मेरी बाँहों ने उसकी कमर को घेर लिया।
लेकिन हाँ, जब उसके चूचे मेरे से रगड़ खा रहे थे तो मेरे बदन में सिरहन दौड़ रही थी।
अब वो मेरे से चिपक कर डांस कर रही थी।
फिर सिन्धवी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसको पूर्ण नग्न देखना चाहता हूँ, मैंने हाँ में सर हिलाया।
डांस करते-करते उसने मुझे धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया और बड़ी ही अदा से वो अपने जिस्म से एक-एक करके कपड़े उतारने लगी। उसकी आँखों में एक अजीब सी शरारत और हवस नजर आ रही थी।
उसने अपने जिस्म से मात्र चार कपड़े उतारने में 15-20 मिनट लगा दिया फिर अचानक उसने बब्लू को आवाज लगाई- बब्लू तुरन्त ही आ गया लेकिन यह क्या???
बब्लू तो बिल्कुल नंगा था, उसका 8 इंची लंड़ लोहे की राड की तरह बिल्कुल तना हुआ था।
मैं भौंचक्का होकर कभी सिन्धवी को देखता तो कभी बब्लू को।
मेरी नजर में एक प्रश्न था सिन्धवी के लिये लेकिन मेरे मुँह से कुछ निकल नहीं रहा था।
सिन्धवी- इतना मत सोचो! इसने आज तक मुझे चोदा नहीं है।
मैं- समझा नहीं?
सिन्धवी- इसने मेरी गाण्ड चाटी, बुर को चाटा मेरी चूचियों से खूब खेलता है। कहने का मतलब मेरे जिस्म के हर हिस्से को इसने चाटा है, लेकिन अपने लण्ड से मेरी बुर को रौंदा नहीं है।
मैं- सिन्धवी, मैं यह नहीं मान पा रहा हूँ कि ये सब कुछ तुम्हारे साथ करता है लेकिन तुमको ये चोदा नहीं और तुम इससे चुदे बिना रह ली।
सिन्धवी- तुम मुझे बिना कपड़े के देखना चाहते थे, वो तुमने देख लिया अब तुम लाइव सेक्स मूवी देखो। बस शर्त इतनी सी है कि जितनी देर तुम मुझे और बब्लू को काम-क्रीड़ा करते देखो, केवल चुपचाप बैठ कर देखोगे, न तो मुझे टच करोगे और न ही अपने लण्ड या जिस्म के किसी हिस्से को।
मैं- यह मुझसे नहीं होगा। मैं इतना बर्दाश्त नहीं कर सकता!
सिन्धवी- तुम बर्दाश्त तो कर लो उसके बाद तुम्हें मैं जन्नत की सैर कराऊँगी।
कहकर उसने अपने होंठो को गोल किया अपनी एक उँगली होंठों पर ले गई और मेरे तरफ फ्लाइंग किस किया।
फिर उसने बब्लू को इशारा किया, बब्लू तुरन्त ही अपने घुटनों और हाथों के बल बैठ कर एक कुत्ते की मानिन्द अपने जीभ को लहराते हुए सिन्धवी की तरफ बढ़ने लगा और सिन्धवी के पास पहुँच कर उसके दोनों पैरो को चाटने लगा।
जिस तरह किसी कुत्ते को पुचकारा जाता है उसी तरह सिन्धवी बब्लू को पुचकार रही थी।
बब्लू उसके पैरों को चाटते-चाटते सिन्धवी के जांघों को चाटने लगा और उसके बाद उसकी चूत को। बीच-बीच में बब्लू भौं-भौं की आवाज निकालता और सिन्धवी उसको पुचकारती।
करीब चार से पाँच मिनट अपनी चूत को चटवाने के बाद सिन्धवी बब्लू के पीछे आई और उसके चूतड़ों पर कस-कस कर चार-पाँच चपत लगा दी।
बब्लू के मुँह से कुत्ते की तरह ऊँऊँऊँ… की तरह आवाज आई।
उन दोनों का लाइव सेक्स देखने से मेरी हालत खराब हो रही थी और मेरा हाथ मेरे लण्ड की तरफ बढ़ने को बेताब था लेकिन वादे के अनुसार मैं उसी तरह बैठ कर उन दोनों की कामक्रीड़ा देख रहा था।
बब्लू के चूतड़ों पर चपत लगाने के बाद सिन्धवी हल्की सी झुकी और अपने गांड को हल्का से अपने दोनों हाथो से फैला दिया और बब्लू को पुचकारने लगी, बब्लू तुरन्त ही अपनी जीभ लपलापाते हुए उसकी गांड को चाटने लगा और उसकी गांड में उँगली अन्दर तक पेलता और मजे से आइसक्रीम समझ कर अपनी उँगली को चाट रहा था।
मुझे दो बातें बड़ी अजीब सी लगी, एक वो लड़की जिसको मैं समझ बहुत सीधी समझ रहा था वो मुझे इस समय बहुत बड़ी रंडी नजर आ रही थी और कह रही थी कि वो आज तक चुदी नहीं और दूसरी कि जो लड़की अपनी बुर में उँगली नहीं डालने दे रही थी वही लड़की मजे से अपनी गांड में उँगली करवा रही थी।
खैर थोड़ी देर बाद सिन्धवी सीधी खड़ी हुई और पलंग पर जा कर लेट गई वो इस तरह से पलंग पर लेटी थी कि उसके कमर के ऊपर का हिस्सा पलंग पर था और कमर के नीचे का हिस्सा पलंग के नीचे था उसके बाद बब्लू खड़ा हुआ और सिन्धवी के दोनों पैरों के बीच खड़ा हो गया और अपने 8 इंची लौड़े से मूठ मारने लगा।
करीब दो मिनट बाद उसके लंड़ से फव्वारे सा वीर्य छूट कर सिन्धवी के पूरे जिस्म पर गिर गया।
उसके बाद बब्लू ने फिर कुत्ते जैसी पोजिशन ली, और लपलपाती हुई जीभ से उसने सिन्धवी के पूरे बदन को चाटा और साफ कर दिया, इस बीच वो मुझ पर भी नजर रखी हुए थी कि मैं कहीं अपने जिस्म से छेड़छाड़ तो नहीं कर रहा हूँ।
फिर वो उठी और बाथरूम में जा कर नहाने लगी और बब्लू भी नीचे चला गया लेकिन बब्लू ने मेरी तरफ देखा भी नहीं।
कहानी जारी रहेगी।
Rajsharma67457@gmail. Com


Dhobhi Ghats par chudai 13

$
0
0

image

माँ एक बार जरा पीछे घूम जाओ ना!’
‘ओह, मेरा राजा मेरा पिछवाड़ा भी देखना चाहता है क्या? चल, पिछवाड़ा तो मैं तुझे खड़े खड़े ही दिखा देती हूँ। ले देख अपनी माँ के चूतड़ और गाण्ड को।’
इतना कह कर माँ पीछे घूम गई।
ओह, कितना सुन्दर दृश्य था वो। इसे मैं अपनी पूरी जिन्दगी में कभी नहीं भूल सकता।
माँ के चूतड़ सच में बड़े खूबसूरत थे, एकदम मलाई जैसे, गोल मटोल, गुदाज, माँसल… और उन चूतड़ों के बीच में एक गहरी लकीर सी बन रही थी, जो कि उसकी गांड की खाई थी।
मैंने माँ को थोड़ा झुकने को कहा तो माँ झुक गई और आराम से दोनों मक्खन जैसे चूतड़ों को पकड़ कर अपने हाथों से मसलते हुए, उनके बीच की खाई को देखने लगा।
दोनों चूतड़ों के बीच में गाण्ड का भूरे रंग का छेद फकफका रहा था, एकदम छोटा सा गोल छेद।
मैंने हल्के-से अपने हाथ को उस छेद पर रख दिया और हल्के हल्के उसे सहलाने लगा, साथ में मैं चूतड़ों को भी मसल रहा था।
पर तभी माँ आगे घूम गई- चल मैं थक गई खड़े खड़े, अब जो करना है बिस्तर पर करेंगे।’
और वो बिस्तर पर चढ़ गई।
पलंग की पुश्त से अपने सिर को टिका कर उसने अपने दोनों पैरों को मेरे सामने खोल कर फैला दिया और बोली- अब देख ले आराम से, पर एक बात तो बता, तू देखने के बाद क्या करेगा? कुछ मालूम भी है तुझे या नहीं है?
‘माँ, चोदूँगा… आअ…’
‘अच्छा चोदेगा? पर कैसे? जरा बता तो सही कैसे चोदेगा?’
‘हाय, मैं पहले तुम्हारी चूची चूस्स…ना चाहता हूँ।’
‘चल ठीक है, चूस लेना, और क्या करेगा?’
‘ओह और!!?? औररररर चूत देखूँगा और फिर मुझे पता नहीं।’
‘पता नहीं !! यह क्या जवाब हुआ? पता नहीं? जब कुछ पता नहीं तो माँ पर डोरे क्यों डाल रहा था?’
‘ओह माँ, मैंने पहले किसी को किया नहीं है ना, इसलिये मुझे पता नहीं है। मुझे बस थोड़ा बहुत पता है जो मैंने गांव के लड़कों के साथ सीखा था।’
‘तो गाँव के छोकरों ने यह नहीं सिखाया कि कैसे किया जाता है? सिर्फ़ यही सिखाया कि माँ पर डोरे डालो।’
‘ओह माँ, तू तो समझती ही नहीं। अरे, वो लोग मुझे क्यों सिखाने लगे कि तुम पर डोरे डालो। वो तो… वो तो तुम मुझे बहुत सुन्दर लगती हो इसलिये मैं तुम्हें देखता था।’
‘ठीक है, चल तेरी बात समझ गई बेटा कि मैं तुझे सुन्दर लगती हूँ। पर मेरी इस सुन्दरता का तू फायदा कैसे उठायेगा, उल्लू यह भी
तो बता देना कि सिर्फ़ देख कर मुठ मार लेगा?’
‘हाय माँ नहीं, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ। माँ तुम सिखा देना, सिखा दोगी ना?’
कह कर मैंने बुरा सा मुंह बना लिया।
‘हाय मेरा बेटा, देखो तो माँ की लेने के लिये कैसे तड़प रहा है? आ जा मेरे प्यारे, मैं तुझे सब सिखा दूँगी। तेरे जैसे लंड वाले बेटे को तो कोई भी माँ सिखाना चाहेगी। तुझे तो मैं सिखा पढ़ा कर चुदाई का बादशाह बना दूँगी। आ जा, पहले अपनी माँ की चूचियों से खेल ले जी भर के, फिर तुझे चूत से खेलना सिखाती हूँ बेटा।’
मैं माँ की कमर के पास बैठ गया।
माँ पूरी नंगी तो पहले से ही थी, मैंने उसकी चूचियों पर अपना हाथ रख दिया और उनको धीरे-धीरे सहलाने लगा। मेरे हाथ में शायद दुनिया की सबसे खूबसूरत चूचियाँ थी। ऐसी चूचियाँ जिनको देख कर किसी का भी दिल मचल जाये।
मैं दोनों चूचियों की पूरी गोलाई पर हाथ फेर रहा था, चूचियाँ मेरी हथेली में नहीं समा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं ज़न्नत में घूम रहा हूँ। माँ की चूचियों का स्पर्श गजब का था, मुलायम, गुदाज और सख्त गठीलापन, यह सब एहसास शायद अच्छी गोल मटोल चूचियों को दबा कर ही पाया जा सकता है। मुझे इन सारी चीजों का एक साथ आनन्द मिल रहा था।
ऐसी चूची दबाने का सौभाग्य नसीब वालों को ही मिलता है। इस बात का पता मुझे अपने जीवन में बहुत बाद में चला, जब मैंने दूसरी
अनेक तरह की चूचियों का स्वाद लिया।
माँ के मुख से हल्की हल्की आवाजें आनी शुरु हो गई थी और उसने मेरे चेहरे को अपने पास खींच लिया और अपने तपते हुए गुलाबी होंठों का पहला अनूठा स्पर्श मेरे होंठों को दिया।
हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गये और मैं माँ की दोनों चूचियों को पकड़े हुए उसके होंठों का रस ले रहा था। कुछ ही सेकन्ड में हमारी जीभ आपस में टकरा रही थी।
मेरे जीवन का यह पहला चुम्बन करीब दो तीन मिनट तक चला होगा।
माँ के पतले होंठों को अपने मुख में भर कर मैंने चूस चूस कर और लाल कर दिया। जब हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो दोनों हाँफ रहे थे।
मेरे हाथ अब भी उसकी दोनों चूचियाँ पर थे और मैं अब उनको जोर जोर से मसल रहा था। माँ के मुख से अब और ज्यादा तेज सिसकारियाँ निकलने लगी थी, माँ ने सिसकारते हुए मुझसे कहा- ओह… ओह… सिस्स… सी… सी… सश्सह्… शाबाश, ऐसे ही प्यार कर मेरी चूचियों से। हल्के हल्के आराम से मसल बेटा, ज्यादा जोर से नहीं, नहीं तो तेरी माँ को मजा नहीं आयेगा, धीरे धीरे मसल!
मेरे हाथ अब माँ की चूचियों के निप्पल से खेल रहे थे, उसके निप्पल अब एकदम सख्त हो चुके थे, हल्का कालापन लिये हुए गुलाबी रंग के निप्पल खड़े होने के बाद ऐसे लग रहे थे जैसे दो गोरी, गुलाबी पहाड़ियों पर बादाम की गिरी रख दी गई हो।
निप्पलों के चारों ओर उसी रंग का घेरा था।
ध्यान से देखने पर मैंने पाया कि उस घेरे पर छोटे-छोटे दाने से उगे हुए थे। मैं निप्पलों को अपनी दो उंगलियों के बीच में लेकर धीरे धीरे मसल रहा था और प्यार से उनको खींच रहा था।
जब भी मैं ऐसा करता तो माँ की सिसकारियाँ और तेज हो जाती थी।
माँ की आँखें एकदम नशीली हो चुकी थी और वो सिसकारियाँ लेते हुए बड़बड़ाने लगी- ओह, बेटा ऐसे ही… ऐसे ही, तुझे तो सिखाने की भी जरूरत नहीं है रे। ओह क्या खूब मसल रहा है मेरे प्यारे… ऐसे ही… कितने दिन हो गये जब इन चूचियों को किसी मर्द के हाथ ने मसला है या प्यार किया है। कैसे तरसती थी मैं कि काश कोई मेरी इन चूचियों को मसल दे, प्यार से सहला दे, पर आखिर में अपना बेटा ही काम आया। आजा मेरे लाल।
कहते हुए उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर झुका लिया।
मैं माँ का इशारा समझ गया और मैंने अपने होंठ माँ की चूचियों से भर लिये। मेरे एक हाथ में उसकी एक चूची थी और दूसरी चूची पर मेरे होंठ चिपके हुए थे।
मैंने धीरे धीरे उसकी चूचियों को चूसना शुरु कर दिया था, मैं ज्यादा से ज्यादा चूची को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था। मेरे अन्दर का खून इतना उबाल मारने लगा था कि एक दो बार मैंने अपने दाँत भी चूचियों पर गड़ा दिए थे जिससे माँ के मुँह से अचानक चीख निकल गई थी।
पर फिर भी उसने मुझे रोका नहीं, वो अपने हाथों को मेरे सिर के पीछे ले जाकर मुझे बालों से पकड़ कर मेरे सिर को अपनी चूचियों पर और जोर जोर से दबा रही थी और दाँत से काटने पर एकदम घुटी घुटी आवाज में चीखते हुए बोली- ओह धीरे बेटा, धीरे से चूस चूची
को। ऐसे जोर से नहीं काटते हैं।
फिर उसने अपनी चूची को अपने हाथ से पकड़ा और उसको मेरे मुँह में घुसाने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी चूची को पूरी की पूरी मेरे मुँह में घुसा देना चाहती हो और सिसकार कए बोली- ओह राजा बेटा, मेरे निप्पल को चूस जरा, पूरे निप्पल को मुँह में भर कर कस कस के चूस राजा। जैसे बचपन में दूध पीने के लिये चूसता था।
मैंने अब अपना ध्यान निप्पल पर कर दिया और निप्पल को मुंह में भर कर अपनी जीभ उसकी चारों तरफ गोल गोल घुमाते हुए चूसने लगा।
मैं अपनी जीभ को निप्पल के चारों तरफ के घेरे पर भी फिरा रहा था। निप्पल के चारों तरफ के घेरे पर उभरे हुए दानों को अपनी जीभ से कुरेदते हुए निप्पल को चूसने पर माँ एकदम मस्त हुए जा रही थी और उसके मुख से निकलने वाली सिसकारियाँ इसकी गवाही दे रही थी।
मैं उसकी चीखें और सिसकारियाँ सुन कर पहले पहल तो डर गया था। पर माँ के द्वारा समझाये जाने पर कि ऐसी चीखें और सिसकारियाँ इस बात को बता रही हैं कि उसे मजा आ रहा है तो फिर मैं दोगुने जोश के साथ अपने काम में जुट गया, जिस चूची को मैं चूस रहा था, वो अब पूरी तरह से मेरी लार और थूक से भीग चुकी थी और लाल हो चुकी थी, फिर भी मैं उसे चूसे जा रहा था।
तब माँ ने मेरे सिर को वहाँ से हटा के अपनी दूसरी चूची की तरफ करते हुए कहा- हाय, केवक इसी एक चूची को चूसता रहेगा, दूसरी को भी चूस, इसमें भी मज़ेदार स्वाद है।
फिर अपनी दूसरी चूची को मेरे मुँह में घुसाते हुई बोली- इसको भी चूस चूस कर लाल कर दे मेरे लाल, दूध निकाल दे मेरे सैंय्या। एकदम आम जैसे चूस और सारा रस निकाल दे अपनी माँ की चूचियों का। किसी काम की नहीं हैं ये, कम से कम मेरे लाल के काम तो आएँगी।
मैं फिर से अपने काम में जुट गया और पहली वाली चूची दबाते हुए, दूसरी को पूरे मनोयोग से चूसने लगा।
माँ सिसकारियाँ ले रही थी और चूची चुसवा रही थी, कभी कभी अपना हाथ मेरी कमर के पास लेजा कर मेरे लोहे जैसे तने हुए लंड को पकड़ कर मरोड़ रही थी। कभी अपने हाथों से मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा रही थी।
इस तरह काफ़ी देर तक मैं उसकी चूचियों को चूसता रहा।
फिर माँ ने खुद अपने हाथों से मेर सिर पकड़ के अपनी चूचियों पर से हटाया और मुस्कुराते मेरे चेहरे की ओर देखने लगी।
मेरे होंठ मेरे खुद के थूक से भीगे हुए थे, माँ की बांयी चूची अभी भी मेरे लार से चमक रही थी, जबकि दाहिनी चूची पर लगा थूक सूख चुका था पर उसकी दोनों चूचियाँ लाल हो चुकी थी और निप्पलों का रंग हल्के काले से पूरा काला हो चुका था (ऐसा बहुत ज्यादा चूसने पर खून का दौर भर जाने के कारण हुआ था।
माँ ने मेरे चेहरे को अपने होंठों के पास खींच कर मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन लिया और अपनी कातिल मुस्कुराहट फेंकते हुए मेरे
कान के पास धीरे से बोली- सिर्फ़ दूध ही पीयेगा या मालपुआ भी खायेगा? देख तेरा मालपुआ तेरा इन्तजार कर रहा है राजा।
मैंने भी माँ के होंठो का चुम्बन लिया और फिर उसके भरे-भरे गालों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और फिर उसके नाक को चूम और फिर धीरे से बोला- ओह माँ, तुम सच में बहुत सुन्दर हो।
इस पर माँ ने पूछा- क्यों, मजा आया ना चूसने में?
‘हाँ माँ, गजब का मजा आया, मुझे आज तक ऐसा मजा कभी नहीं आया था।’
तब माँ ने अपने पैरों के बीच इशारा करते हुए कहा- नीचे और भी मजा आयेगा। यह तो केवल तिजोरी का दरवाजा है, असली खजाना तो नीचे है। आ जा बेटे, आज तुझे असली मालपुआ खिलाती हूँ।
कहानी जारी रहेगी।
Rajsharma67457@gmail. Com

Dhobhi ghat par chudai 14

$
0
0

image

माँ ने मेरे चेहरे को अपने होंठों के पास खींच कर मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन लिया और अपनी कातिल मुस्कुराहट फेंकते हुए मेरे
कान के पास धीरे से बोली- सिर्फ़ दूध ही पीयेगा या मालपुआ भी खायेगा? देख तेरा मालपुआ तेरा इन्तजार कर रहा है राजा।
मैंने भी माँ के होंठों का चुम्बन लिया और फिर उसके भरे-भरे गालों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और फिर उसके नाक को चूम और फिर धीरे से बोला- ओह माँ, तुम सच में बहुत सुन्दर हो।
इस पर माँ ने पूछा- क्यों, मजा आया ना चूसने में?
‘हाँ माँ, गजब का मजा आया, मुझे आज तक ऐसा मजा कभी नहीं आया था।’
तब माँ ने अपने पैरों के बीच इशारा करते हुए कहा- नीचे और भी मजा आयेगा। यह तो केवल तिजोरी का दरवाजा है, असली खजाना तो नीचे है। आ जा बेटे, आज तुझे असली मालपुआ खिलाती हूँ।
मैं धीरे से खिसक कर माँ के पैरो पास आ गया, माँ ने अपने पैरों को घुटनो के पास से मोड़ कर फैला दिया और बोली- यहाँ बीच में दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ, तब ठीक से देख पायेगा, अपनी माँ का खजाना!
मैं उठ कर माँ के दोनों पैरों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और आगे की ओर झुका, मेरे सामने वो चीज़ थी, जिसको देखने के लिए
मैं मरा जा रहा था।
माँ ने अपनी दोनों जांघें फैला दी और अपने हाथों को अपनी बुर के ऊपर रख कर बोली- ले देख ले अपना मालपुआ… अब आज के बाद से तुझे यही मालपुआ खाने को मिलेगा।’
मेरी खुशी का तो ठिकाना नहीं था। सामने माँ की खुली जांघों के बीच झांटों का एक त्रिकोण सा बना हुआ था, इस त्रिकोणीय झांटों के जंगल के बीच में से माँ की फ़ूली हुए गुलाबी चूत का छेद झांक रहा था जैसे बादलों के झुरमुट में से चाँद झाँकता है।
मैंने अपने काम्पते हाथों को माँ की चिकनी जांघों पर रख दिया और थोड़ा सा झुक गया। उसकी चूत के बाल बहुत बड़े नहीं थे, छोटे छोटे घुंघराले बाल और उनके बीच एक गहरी लकीर से चीरी हुई थी।
मैंने अपने दाहिने हाथ को जांघ पर से उठा कर हकलाते हुये पूछा- माँ, मैं इसे छू लूँ?
‘छू ले, तेरे छूने के लिये ही तो खोल कर बैठी हूँ।’
मैंने अपने हाथों को माँ की चूत को ऊपर रख दिया, झांट के बाल एकदम रेशम जैसे मुलायम लग रहे थे।
हालांकि आम तौर पर झांट के बाल थोड़े मोटे होते हैं और उसकी झांट के बाल भी मोटे ही थे पर मुलायम भी थे। हल्के हल्के मैं उन बालों पर हाथ फिराते हुए उनको एक तरफ करने की कोशिश कर रह था। अब चूत की दरार और उसकी मोटी-मोटी फांकें स्पष्ट रूप से
दिख रही थी।
माँ की बुर एक फ़ूली हुई और गद्देदार लगती थी, चूत की मोटी मोटी फांकें बहुत आकर्षक लग रही थी, मेरे से रहा नहीं गया और मैं बोल पड़ा- ओह माँ, यह तो सचमुच में मालपुए के जैसी फ़ूली हुई है।
‘हाँ बेटा, यही तो तेरा असली मालपुआ है। आज के बाद जब भी मालपुआ खाने का मन करे, यही खाना।’
‘हाँ माँ, मैं तो हमेशा यही मालपुआ खाऊँगा। ओह माँ, देखो ना इससे तो रस भी निकल रहा है।’
चूत से रिसते हुए पानी को देख कर मैंने कहा।
‘बेटा, यही तो असली माल है हम औरतों का। यह रस मैं तुझे अपनी बुर की थाली में सजा कर खिलाऊँगी। दोनों फांकों को खोल कर देख कैसी दिखती है? हाथ से दोनों फांक पकड़ कर, खींच कर बुर को चिरोड़ कर देख।’
सच बताता हूँ, दोनों फांकों को चीर कर मैंने जब चूत के गुलाबी रस से भीगे छेद को देखा, तो मुझे यही लगा कि मेरा तो जन्म सफल हो गया है। चूत के अंदर का भाग एकदम गुलाबी था और रस भीगा हुआ था, जब मैंने उस छेद को छुआ तो मेरे हाथों में चिपचिपा सा रस लग गया।मैंने उस रस को वहीं बिस्तर की चादर पर पौंछ दिया और अपने सिर को आगे बढ़ा कर माँ की बुर को चूम लिया।
माँ ने इस पर मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाते हुए हल्के से सिसकारते हुए कहा- बिस्तर पर क्यों पोंछ दिया, उल्लू? यही माँ का असली प्यार है जो तेरे लंड को देख कर चूत के रास्ते छलक कर बाहर आ रहा है। इसको चख कर देख, चूस ले इसको।
‘हाय माँ, चूस लूँ मैं तेरी चूत को? हाय माँ, चाटूँ इसको?’
‘हाँ बेटा चाट ना, चूस ले अपनी माँ की चूत के सारे रस को, दोनों फांकों को खोल कर उसमें अपनी जीभ डाल दे और चूस। और ध्यान से देख, तू तो बुर की केवल फांकों को देख रहा है, देख मैं तुझे दिखाती हूँ।’
और माँ ने अपनी चूत को पूरा चिरोड़ दिया और अंगुली रख कर बताने लगी- देख, यह जो छोटा वाला छेद है ना, वो मेरे पेशाब करने
वाला छेद है। बुर में दो दो छेद होते हैं, ऊपर वाला पेशाब करने के काम आता है और नीचे वाला जो यह बड़ा छेद है, वो चुदवाने के काम आता है। इसी छेद में से रस निकलता है ताकि मोटे से मोटा लंड आसानी से चूत को चोद सके। और बेटा यह जो पेशाब वाले छेद के ठीक ऊपर जो यह नुकीला सा निकला हुआ है, वो भगनासा कहलाता है, यह औरत को गर्म करने का अंतिम हथियार है, इसको छूते ही औरत एकदम गरम हो जाती है, समझ में आया?
‘हाँ माँ, आ गया समझ में! हाय, कितनी सुन्दर है यह तुम्हारी बुर… मैं चाट लूँ इसे माँ?’
‘हाँ बेटा, अब तू चाटना शुरु कर दे, पहले पूरी बुर के ऊपर अपनी जीभ को फिरा कर चाट, फिर मैं आगे बताती जाती हूँ, कैसे करना
है?’
मैंने अपनी जीभ निकाल ली और माँ की फ़ुद्दी पर अपनी जुबान को फिराना शुरु कर दिया। पूरी चूत के ऊपर मेरी जीभ चल रही थी।
मैं फ़ूली हुई गद्देदार बुर को अपनी खुरदरी जुबान से, ऊपर से नीचे तक चाट रहा था। अपनी जीभ को दोनों फांकों के ऊपर फेरते हुए मैंने ठीक बुर की दरार पर अपनी जीभ रखी और मैं धीरे धीरे ऊपर से नीचे तक चूत की पूरी दरार पर जीभ को फिराने लगा।
बुर से रिस रिस कर निकलता हुआ रस जो बाहर आ रहा था, उसका नमकीन स्वाद मुझे मिल रहा था। जीभ जब चूत के ऊपरी भाग में पहुंच कर भगन से टकराती थी तो माँ की सिसकारियाँ और भी तेज हो जाती थी।
माँ ने अपने दोनों हाथों को शुरू में तो कुछ देर तक अपनी चूचियों पर रख था और अपनी चूचियों को अपने हाथ से ही दबाती रही। मगर बाद में उसने अपने हाथों को मेरे सर के पीछे लगा दिया और मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी।
मेरी चूत चुसाई बदस्तूर जारी थी और अब मुझे इस बात का अंदाज हो गया था कि माँ को सबसे ज्यादा मजा अपनी भगन की चुसाई में आ रहा है। इस लिए मैंने इस बार अपनी जीभ को नुकीला करके उससे भिड़ा दिया और केवल भगन पर अपनी जीभ को तेजी से चलाने लगा।
मैं बहुत तेजी के साथ उसके ऊपर जीभ चला रहा था और फिर पूरी भगनासा को अपने होंठों के बीच दबा कर जोर जोर से चूसने लगा।
माँ ने उत्तेजना में अपने चूतड़ों को ऊपर उछाल दिया और जोर से सिसकारियाँ लेते हुये बोली- हाय दैया, उई माँ, शीस्स शीस्श, चूस ले, ओह, चूस ले, मेरे भगनासा को। ओह, शीस्सह, क्या खूब चूस रहा है रे तू? ओह म…मैंने तो सोचा भी नहीं थाआआअ… कि तेरी जीभ ऐसा कमाल करेगी। हाय रे, बेटाआअ, तू तो कमाल का निकला… आहह… ओओह… ओह ऐसे ही चूस, अपने होंठों के बीच में भगनासा को भर कर, इसी तरह से चूस ले, ओह बेटा चूस, चूस बेटा!
माँ के उत्साह बढ़ाने पर मेरी उत्तेजना अब दुगुनी हो चुकी थी। मैं दोगुने जोश के साथ एक कुत्ते की तरह से लपलप करते हुए, पूरी बुर को चाटे जा रहा था।
अब मैं चूत के भगनासा के साथ साथ पूरी बुर के मांस को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था और माँ की मोटी फ़ूली हुई चूत अपनी झांटों समेत मेरे मुँह में थी। पूरी फ़ुद्दी को एक बार रसगुल्ले की तरह से मुँह में भर कर चूसने के बाद मैंने अपने होंठों को खोल कर
चूत के चोदने वाले छेद के सामने टिका दिया और बुर के होंठों से अपने होंठों को मिला कर मैंने खूब जोर जोर से चूसना शुरु कर दिया।
बुर का नशीला रस रिस रिस कर निकल रहा था और सीधे मेरे मुख में जा रहा था।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं चूत को ऐसे चूसूँगा या फिर चूत की चुसाई ऐसे की जाती है। पर शायद चूत सामने देख कर चूसने की कला अपने आप आ जाती है।
फुद्दी और जीभ की लड़ाई अपने आप में ही इतनी मजेदार होती है कि इसे सीखने और सिखाने की जरूरत नहीं पड़ती।
बस जीभ को फुद्दी दिखा दो, बाकी का काम जीभ अपने आप कर लेती है।
माँ की सिसकारियाँ और शाबाशी और तेज हो चुकी थी।
मैंने अपने सिर को हल्का सा उठा कर माँ को देखते हुए, अपनी बुर के रस से भीगे होंठों से माँ से पूछा- कैसा लग रहा है माँ, तुझे अच्छा लग रहा है ना?
माँ ने सिसकाते हुए कहा- हाय बेटा मत पूछ, बहुत अच्छा लग रहा है, मेरे लाल… इसी मजे के लिए तो तेरी माँ तरस रही थी। चूस ले
मेरी बुर कोओओ… ओओह… ओईईह, और जोर से चूस्स…स्स, सारा रस पी ले मेरे सैंया, तू तो जादूगर है रेएएए, तुझे तो कुछ बताने की भी जरूरत नहीं, हाय मेरी बुर की फांकों के बीच में अपनी जीभ डाल कर चूस बेटा, और उसमें अपनी जीभ को लबलबाते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक घुमा दे। हय घुमा दे, राजा बेटा घुमा दे!
माँ के बताये हुए रास्ते पर चलना तो बेटे का फर्ज बनता है, और उस फर्ज को निभाते हुए मैंने बुर की दोनों फांकों को फैला दिया और अपनी जीभ को उसकी चूत में पेल दिया।
बुर के अंदर जीभ घुसा कर पहले तो मैंने अपनी जीभ और ऊपरी होंट के सहारे चूत की एक फाँक को पकड़ कर खूब चूसा, फिर दूसरी फांक के साथ भी ऐसा ही किया।
फिर चूत को जितना चिरोड़ सकता था उतना चिरोड़ कर अपनी जीभ को बुर के बीच में डाल कर उसके रस को चटकारे लेकर चाटने लगा।
चूत का रस बहुत नशीला था और माँ की चूत कामोत्तेजना के कारण खूब रस छोड़ रही थी।
रंगहीन, हल्का चिपचिपा रस चाट कर खाने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
माँ घुटी-घुटी आवाज में चीखते हुए बोल पड़ी- ओह चाट, ऐसे ही चाट मेरे राजा, चाट चाट कर मेरे सारे रस को पी जा… हाय रे मेरा बेटा, देखो कैसे कुत्ते की तरह से अपनी माँ की बुर को चाट रहा है। ओह चाट ना, ऐसे ही चाट मेरे कुत्ते बेटे, अपनी कुतिया माँ की बुर को चाट, और उसकी बुर के अन्दर अपनी जीभ को हिलाते हुए मुझे अपनी जीभ से चोद डाल।
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक तो माँ मुझे कुत्ता कह रही है, फिर खुद को भी कुतिया कह रही है। पर मेरे दिलो दिमाग में तो अभी केवल माँ की रसीली बुर की चटाई घुसी हुई थी इसलिए मैंने इस तरफ ध्यान नहीं दिया, माँ की आज्ञा का पालन किया और जैसे उसने बताया था उसी तरह से अपनी जीभ से ही उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया।
मैं अपनी जीभ को तेजी के साथ बुर में से अन्दर बाहर कर रहा था और साथ ही साथ चूत में जीभ को घुमाते हुए चूत के गुलाबी छेद से अपने होंठों को मिला कर अपने मुँह को चूत पर रगड़ भी रहा था।
मेरी नाक बार-बार चूत के भगनासा से टकरा रही थी और शायद वो भी माँ के आनन्द का एक कारण बन रही थी।
मेरे दोनों हाथ माँ की मोटी, गुदाज जांघों से खेल रहे थे।
तभी माँ ने तेजी के साथ अपने चूतड़ों को हिलाना शुरू किया और जोर-जोर से हाँफते हुए बोलने लगी- ओह निकल जायेगा, ऐसे ही बुर में जीभ चलाते रहना बेटा, ओह, सी… सीई शीइ शिशि, साली बहुत खुजली करती थी। आज निकाल दे, इसका सारा पानी।
और अब माँ दांत पीस कर लगभग चीखते हुए बोलने लगी- ओह होओओ ओओह, शीई… ईईशस्स… साले कुत्ते, मेरे प्यारे बेटे, मेरे लाल, हाय रे, चूस और जोर से चूस अपनी माँ की बुर को, जीभ से चोद दे अभी, सीईई ईई चोद नाआआअ कुत्ते, हरामजादे और जोर से चोद सालेएए, चोद डाल अपनी माँ को, हाय निकला रे, मेरा तो निकल गया। ओह मेरे चुदक्कड़ बेटे, निकाल दिया रे… तूने तो अपनी माँ को अपनी जीभ से चोद डाला।
मित्रो, कहानी पूरी तरह काल्पनिक है, आप मुझे मेल जरूर करें।
कहानी जारी रहेगी।
Rajsharma67457@gmail. Com

Dhobhi ghat par chudai 15

$
0
0

image

माँ दांत पीस कर लगभग चीखते हुए बोलने लगी- ओह होओओ ओओह, शीई… ईईशस्स… साले कुत्ते, मेरे प्यारे बेटे, मेरे लाल, हाय रे, चूस और जोर से चूस अपनी माँ की बुर को, जीभ से चोद दे अभी, सीईई ईई चोद नाआआअ कुत्ते, हरामजादे और जोर से चोद सालेएए, चोद डाल अपनी माँ को, हाय निकला रे, मेरा तो निकल गया। ओह मेरे चुदक्कड़ बेटे, निकाल दिया रे… तूने तो अपनी माँ को अपनी जीभ से चोद डाला।
कहते हुए माँ ने अपने चूतड़ों को पहले तो खूब जोर-जोर से ऊपर की तरफ उछाला, फिर अपनी आँखों को बंद करके चूतड़ों को धीरे धीरे फुदकाते हुए झड़ने लगी- ओह गईईईई मैं, मेरे राजाआआ, मेरा निकल गया, मेरे सैंयाआआ। हाय तूने मुझे ज़न्नत की सैर करवा दी रे। हाय मेरे बेटे, ओह, ओह, मैं गई!
माँ की चूत मेरे मुँह पर खुल-बंद हो रही थी। बुर की दोनों फांकों से रस अब भी रिस रहा था पर माँ अब थोड़ी ठण्डी पड़ चुकी थी और उसकी आँखें बंद थी। उसने दोनों पैर फैला दिये थे और सुस्त सी होकर लंबी-लंबी सांसें छोड़ती हुई लेट गई।
मैंने अपनी जीभ से चोद चोद कर अपनी माँ को झाड़ दिया था।
मैंने बुर पर से अपने मुँह को हटा दिया और अपने सिर को माँ की जांघों पर रख कर लेट गया।
कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैंने जब सिर उठा कर देखा तो पाया कि माँ अब भी अपने आँखों को बंद किये बेसुध होकर लेटी हुई है।
मैं चुपचाप उसके पैरों के बीच से उठा और उसकी बगल में जाकर लेट गया। मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था पर मैंने चुपचाप लेटना
ही बेहतर समझा और माँ की ओर करवट लेकर मैंने अपने सिर को उसकी चूचियों से सटा दिया और एक हाथ पेट पर रख कर लेट
गया।
मैं भी थोड़ी बहुत थकावट महसूस कर रहा था, हालांकि लंड पूरा खड़ा था और चोदने की इच्छा बाकी थी। मैं अपने हाथों से माँ के पेट, नाभि और जांघों को सहला रहा था। मैं धीरे धीरे यह सारा काम कर रहा था और कोशिश कर रहा था कि माँ ना जागे।
मुझे लग रहा था कि अब तो माँ सो गई है और मुझे शायद मुठ मार कर ही संतोष करना पड़ेगा इसलिये मैं चाह रहा था कि सोते हुए थोड़ा सा माँ के बदन से खेल लूँ और फिर मुठ मार लूँगा।
मुझे माँ की जांघ बड़ी अच्छी लगी और मेरा दिल कर रहा था कि मैं उन्हें चूमूं और चाटूँ।
इसलिये मैं चुपचाप धीरे से उठा और फिर माँ के पैरों के पास बैठ गया।
माँ ने अपना एक पैर फैला रखा था और दूसरे पैर को घुटनों के पास से मोड़ कर रख हुआ था। इस अवस्था में वो बड़ी खूबसूरत लग रही थी, उसके बाल थोड़े बिखरे हुए थे, एक हाथ आँखों पर और दूसरा बगल में था।
पैरों के इस तरह से फैले होने से उसकी बुर और गांड दोनों का छेद स्पष्ट रूप से दिख रहा था।
धीरे धीरे मैं अपने होंठों को उसकी जांघों पर फेरने लगा और हल्की हल्की चुम्मियाँ उसकी रानों से शुरु करके उसके घुटनों तक देने लगा।
एकदम मक्खन जैसी गोरी, चिकनी जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर हल्के हल्के मसल भी रहा था। मेरा यह काम थोड़ी देर तक चलता रहा।
तभी माँ ने अपनी आँखें खोली और मुझे अपनी जांघों के पास देख कर वो एकदम से चौंक कर उठ गई और प्यार से मुझे अपनी जांघों के पास से उठाते हुए बोली- क्या कर रहा है बेटे? जरा आँख लग गई थी। देख ना, इतने दिनों के बाद इतने अच्छे से पहली बार मैंने वासना का आनन्द उठाया है। इस तरह पिछली बार कब झड़ी थी, मुझे तो यह भी याद नहीं। इसलिये शायद संतुष्टि और थकान के कारण आँख लग गई।
‘कोई बात नहीं माँ, तुम सो जाओ।’
तभी माँ की नजर मेरे 8.5 इंच के लौड़े की तरफ गई और वो चौंक कर बोली- अरे, ऐसे कैसे सो जाऊँ?
और मेरा लौड़ा अपने हाथ में पकड़ लिया- मेरे लाल का लंड खड़ा होकर बार बार मुझे पुकार रहा है, और मैं सो जाऊँ।
‘ओह माँ, इसको तो मैं हाथ से ढीला कर लूँगा, तुम सो जाओ।’
‘नही मेरे लाल, आ जा जरा-सा माँ के पास लेट जा। थोड़ा दम ले लूँ, फिर तुझे असली चीज का मजा दूंगी।’
मैं उठ कर माँ के बगल में लेट गया। अब हम दोनों माँ बेटे एक दूसरे की ओर करवट लेते हुए एक दूसरे से बातें करने लगे।
माँ ने अपना एक पैर उठाया और अपनी मोटी जांघों को मेरी कमर पर डाल दिया, फिर एक हाथ से मेरे खड़े लौड़े को पकड़ कर उसके सुपारे के साथ धीरे धीरे खेलने लगी।
मैं भी माँ की एक चूची को अपने हाथों में पकड़ कर धीरे धीरे सहलाने लगा और अपने होंठों को माँ के होंठों के पास ले जाकर एक चुम्बन लिया।
माँ ने अपने होंठों को खोल दिया।
चूमा-चाटी खत्म होने के बाद माँ ने पूछा- और बेटे, कैसा लगा माँ की चूत का स्वाद? अच्छा लगा या नहीं?
‘हाय माँ, बहुत स्वादिष्ट था, सच में मजा आ गया।’
‘अच्छा, चलो मेरे बेटे को अच्छा लगा, इससे बढ़ कर मेरे लिए कोई बात नहीं।’
‘माँ, तुम सच में बहुत सुन्दर हो। तुम्हारी चूचियाँ कितनी खूबसूरत है। मैं… मैं क्या बोलूँ? माँ, तुम्हारा तो पूरा बदन खूबसूरत है।’
‘कितनी बार बोलेगा यह बात तू मुझसे? मैं तेरी आँखें नहीं पढ़ सकती क्या? जिनमें मेरे लिये इतना प्यार छलकता है।’
मैं माँ से फ़िर पूरा चिपक गया, उसकी चूचियाँ मेरी छाती में चुभ रही थी और मेरा लौड़ा अब सीधा उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था।
हम दोनों एक दूसरे की आगोश में कुछ देर तक ऐसे ही खोये रहे।
कहानी जारी रहेगी।
Rajsharma67457@gmail. Com

Dhobhi ghat par chudai 16

$
0
0

image

चूमा-चाटी खत्म होने के बाद माँ ने पूछा- और बेटे, कैसा लगा माँ की चूत का स्वाद? अच्छा लगा या नहीं?
‘हाय माँ, बहुत स्वादिष्ट था, सच में मजा आ गया।’
‘अच्छा, चलो मेरे बेटे को अच्छा लगा, इससे बढ़ कर मेरे लिए कोई बात नहीं।’
‘माँ, तुम सच में बहुत सुन्दर हो। तुम्हारी चूचियाँ कितनी खूबसूरत है। मैं… मैं क्या बोलूँ? माँ, तुम्हारा तो पूरा बदन खूबसूरत है।’
‘कितनी बार बोलेगा यह बात तू मुझसे? मैं तेरी आँखें नहीं पढ़ सकती क्या? जिनमें मेरे लिये इतना प्यार छलकता है।’
मैं माँ से फ़िर पूरा चिपक गया, उसकी चूचियाँ मेरी छाती में चुभ रही थी और मेरा लौड़ा अब सीधा उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था।
हम दोनों एक दूसरे की आगोश में कुछ देर तक ऐसे ही खोये रहे।
फिर मैंने अपने आप को अलग किया और बोला- माँ, एक सवाल करूँ?
‘हां पूछ, क्या पूछना है?’
‘माँ, जब मैं तुम्हारी चूत चाट रहा था, तब तुमने गालियाँ क्यों निकाली?’
‘गालियाँ और मैं? मैं भला क्यों गालियाँ निकालने लगी?’
‘नहीं माँ, तुम गालियाँ निकाल रही थी, तुमने मुझे कुत्ता कहा, और, और खुद को कुतिया कहा, फिर तुमने मुझे हरामी भी कहा।’
‘मुझे तो याद नहीं बेटा कि ऐसा कुछ मैंने तुम्हें कहा था। मैं तो केवल थोड़ा सा जोश में आ गई थी और तुम्हें बता रही थी कि कैसे क्या करना है। मुझे तो एकदम याद नहीं की मेने ये शब्द कहे थे
‘नहीं माँ, तुम ठीक से याद करने की कोशिश करो। तुमने मुझे हरामी या हरामजादा कहा था, और खूब जोर से झड़ गई थी।’
‘बेटा, मुझे तो ऐसा कुछ भी याद नहीं है, फिर भी अगर मैंने कुछ कहा भी था तो मैं अपनी ओर से माफी माँगती हूँ, आगे से इन बातों का ख्याल रखूँगी।’
‘नहीं माँ, इसमें माफी माँगने जैसी कोई बात नहीं है। मैंने तो जो तुम्हारे मुँह से सुना, उसे ही तुम्हें बता दिया। खैर जाने दो, तुम्हारा बेटा हूँ, अगर तुम मुझे दस बीस गालियाँ दे भी दोगी तो क्या हो जायेगा?’
‘नहीं बेटा, ऐसी बात नहीं है। अगर मैं तुझे गालियाँ दूँगी तो, हो सकता है तू भी कल को मेरे लिये गालियाँ निकाले और मेरे प्रति तेरा नजरिया बदल जाये, तू मुझे वो सम्मान ना दे, जो आज तक मुझे दे रहा है।’
‘नहीं माँ, ऐसा कभी नहीं होगा। मैं तुम्हें हमेशा प्यार करता रहूँगा और वही सम्मान दूँगा, जो आज तक दिया है। मेरी नजरों में तुम्हारा स्थान हमेशा ऊँचा रहेगा।’
‘ठीक है बेटा, अब तो हमारे बीच एक दूसरी तरह का संबंध स्थापित हो गया है। इसके बाद जो कुछ होता है, वो हम दोनों की आपसी
समझदारी पर निर्भर करता है।’
‘हां माँ, तुमने ठीक कहा, पर माँ अब इन बातों को छोड़ कर क्यों ना असली काम किया जाये? मेरी बहुत इच्छा हो रही है कि मैं तुम्हें चोदूँ। देखो ना माँ, मेरा डण्डा कैसा खड़ा हो गया है?’
‘हां बेटा, वो तो मैं देख ही रही हूँ कि मेरे लाल का हथियार कैसा तड़प रहा है माँ का मालपुआ खाने को! पर उसके लिये तो पहले माँ को एक बार फिर से थोड़ा गर्म करना पड़ेगा बेटा।’
‘हाय माँ, तो क्या अभी तुम्हारा मन चुदवाने का नहीं है?’
‘ऐसी बात नहीं है बेटे, चुदवाने का मन तो है पर किसी भी औरत को चोदने से पहले थोड़ा गर्म करना पड़ता है। इसलिये बुर चाटना, चूची चूसना, चुम्मा चाटी करना और दूसरे तरह के काम किये जाते हैं।’
‘इसका मतलब है कि तुम अभी गर्म नहीं हो और तुम्हें गर्म करना पड़ेगा ये सब करके?’
‘हां, इसका यह मतलब है।’
‘पर माँ तुम तो कहती थी, तुम बहुत गर्म हो और अभी कह रही हो कि गर्म करना पड़ेगा?’
‘अबे उल्लू, गर्म तो मैं बहुत हूँ पर इतने दिनों के बाद इतनी जबरदस्त चूत चटाई के बाद तूने मेरा पानी निकाल दिया है, तो मेरी गर्मी थोड़ी देर के लिये शांत हो गई है। अब तुरन्त चुदवाने के लिये तो गर्म तो करना ही पड़ेगा ना। नहीं तो अभी छोड़ दे, कल तक मेरी गर्मी फिर चढ़ जायेगी और तब तू मुझे चोद लेना।’
‘ओह नहीं माँ, मुझे तो अभी करना है, इसी वक्त।’
‘तो अपनी माँ को जरा गर्म कर दे और फिर मजे ले चुदाई का।’
मैंने फिर से माँ की दोनों चूचियाँ पकड़ ली और उन्हें दबाते हुए उसके होंठों से अपने होंठ भिड़ा दिये।
माँ ने भी अपने गुलाबी होंठों को खोल कर मेरा स्वागत किया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में पेल दिया।
माँ के मुँह के रस में गजब का स्वाद था।
हम दोनों एक दूसरे के होंठो को मुँह में भर कर चूसते हुए आपस में जीभ से जीभ लड़ा रहे थे। माँ की चुचियों को अब मैं जोर-जोर से दबाने लगा था और अपने हाथों से उसके माँसल पेट को भी सहला रह था।
उसने भी अपने हाथों के बीच में मेरे लंड को दबोच लिया था और कस-कस के मरोड़ते हुए उसे दबा रही थी।
माँ ने अपना एक पैर मेरी कमर के ऊपर रख दिया था और अपनी जांघों के बीच मुझे बार बार दबोच रही थी।
अब हम दोनों की सांसें तेज चलने लगी थी मेरा हाथ अब माँ की पीठ पर चल रहा था और वहां से फिसलते हुए सीधा उसके चूतड़ों पर
चल गया।
अभी तक तो मैंने माँ के मक्खन जैसे गुदाज चूतड़ों पर उतना ध्यान नहीं दिया था, परन्तु अब मेरे हाथ वहीं पर जाकर चिपक गए थे। ‘ओह, चूतड़ों को हाथों से मसलने का आनन्द ही कुछ और है। मोटे मोटे चूतड़ों के माँस को अपने हाथों में पकड़ कर कभी धीरे, कभी जोर से मसलने का अलग ही मजा है।
चूतड़ों को दबाते हुए मैंने अपनी उंगलियों को चूतड़ों के बीच की दरार में डाल दिया और अपनी उंगलियों से उसके चूतड़ों के बीच की खाई को धीरे धीरे सहलाने लगा।
मेरी उंगलियाँ माँ की गांड के छेद पर धीरे-धीरे तैर रही थी। माँ की गांड का छेद एकदम गर्म लग रहा था।
माँ, जो मेरे गालों को चूस रही थी, अपना मुँह हटा कर बोल उठी- यह क्या कर रह है रे, गांड को क्यों सहला रहा है?
‘हाय माँ, तुम्हारी ये देखने में बहुत सुंदर लगती है, सहलाने दो ना!
‘चूत का मजा लिया नहीं, और चला है गांड का मजा लूटने।’ कह कर माँ हंसने लगी।
मेरी समझ में तो कुछ आया नहीं पर जब माँ ने मेरे हाथों को नहीं हटाया तो मैंने माँ की गांड के पकपकाते छेद में अपनी उंगलियाँ
चलाने की अपने दिल की हसरत पूरी कर ली और बड़े आराम से धीरे धीरे कर के अपनी एक उंगली को हल्के हल्के उसकी गांड के गोल सिकुड़े हुए छेद पर धीरे धीरे चल रहा था।
मेरी उंगली का थोड़ा सा हिस्सा भी शायद गांड में चला गया था पर माँ ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया था।
मैं कुछ देर तक ऐसे ही गांड के छेद को सहलाता और चूतड़ों को मसलता रहा, मेरा मन ही नहीं भर रहा था।
तभी माँ ने मुझे अपनी जांघों के बीच और कस के दबोच कर मेरे गालों पर एक प्यार भरी थपकी लगाई और मुँह बिचकाते हुए बोली- चूतीये, कितनी देर तक चूतड़ और गांड से ही खेलता रहेगा, कुछ आगे भी करेगा या नहीं? चल आ जा और जरा फिर से चूची को चूस तो।
मैंने माँ की इस प्यार भरी झिड़की को सुन कर अपने हाथों को माँ के चूतड़ों पर से हटा लिया और मुस्कुराते हुए माँ के चेहरे को देख प्यार से उसके गालों पर चुम्बन करके बोला- जैसी मेरी माँ की इच्छा।
और उसकी एक चूची को अपने हाथों से पकड़ कर दूसरी चूची से अपना मुँह सटा दिया और निप्पलों को मुँह में भर कर चूसने का काम शुरु कर दिया।
माँ की मस्तानी चूचियों के निप्पल फिर से खड़े हो गये और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं अपने हाथों को उसकी एक चूची पर से हटा के नीचे उसकी जांघों के बीच ले गया और उसकी बुर को अपनी मुठ्ठी में भर के जोर से दबाने लगा।
बुर से पानी निकलना शुरु हो गया था, मेरी उंगलियों में बुर का चिपचिपा रस लग गया।
मैंने अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से चूत के छेद पर धकेला, मेरी उंगली सरसराती हुई बुर के अन्दर घुस गई। आधी उंगली को चूत में पेल कर मैंने अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया।
माँ की आँखें एकदम से नशीली होती जा रही थी और उसकी सिसकारियाँ भी तेज हो गई थी।
मैं उसकी एक चूची को चूसते हुए चूत के अन्दर अपनी आधी उंगली को गचगच पेले जा रहा था।
माँ ने मेरे सिर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबा दिया और खूब जोर जोर से सिसकाते हुए बोलने लगी- ओह… सीई… स्स्स्स्स… एएयी… चूस, जोर से निप्पल को काट ले, हरामी, जोर से काट ले मेरी इन चूचियों को हाय!
और मेरी उंगली को अपनी बुर में लेने के लिए अपने चूतड़ों को उछालने लगी थी।
माँ के मुख से फिर से हरामी शब्द सुनकर मुझे कुछ बुरा लगा, मैंने अपने मुँह को उसकी चूचियों पर से हटा दिया और उसके पेट को
चूमते हुए उसकी फ़ुद्दी की तरफ बढ़ गया।
चूत से उंगलियाँ निकाल कर मैंने चूत की दोनों फांकों को पकड़ कर फैलाया और जहाँ कुछ सेकंड पहले तक मेरी उंगलियाँ थी, उसी
जगह पर अपनी जीभ को नुकीला करके डाल दिया।
जीभ को बुर के अन्दर लिबलिबाते हुए मैं भगनासा को अपनी नाक से रगड़ने लगा।
माँ की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, अब उसने अपने पैरों को पूरा खोल दिया था और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाती हुई चिल्लाई- चाट साले, मेरी बुर को चाट, ऐसे ही चाट कर खा जा, एक बार फिर से मेरा पानी निकाल दे हरामी, बुर चाटने में तो तू पूरा उस्ताद
निकला रे! चाट ना अपनी माँ की चूत को, मैं तुझे चुदाई का राजा बना दूँगी, मेरे चूत-चाटू राजा… आआ साले।
माँ की बाकी बातें तो मेरा उत्साह बढ़ा रही थी पर उसके मुँह से अपने लिये गाली सुनने की आदत तो मुझे थी नहीं, पहली बार माँ के
मुँह से इस तरह से गाली सुन रहा था, थोड़ा अजीब-सा लग रहा था, पर बदन में एक तरह की सिहरन भी हो रही थी।
मैंने अपने मुँह को माँ की बुर पर से हटा दिया और माँ की ओर देखने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
Rajsharma67457@gmail. Com

Dhobhi ghat par chudai 17

$
0
0

माँ के मजे में बाधा होने पर उसने अपनी अधखुली आँखे पूरी खोल दी और मेरी ओर देखते हुए बोली, ‘रुक क्यों गया चूतिये? जल्दी जल्दी चाट ना अपने मालपुए को।
मैंने मुस्कुराते हुए माँ की ओर देखा और बोला- क्या माँ, तुम भी ना? तुम्हें ध्यान है तुमने अभी अभी मुझे कितनी गालियाँ दी हैं? मैं जब याद दिलाता हूँ तो तुम कहती हो कि दी ही नहीं। अभी पता नहीं कितनी गालियाँ दे दी।
इस पर मेरी माँ हंसने लगी और मुझे अपनी तरफ खींचा तो मैं उठ कर फिर से उसके बगल में जाकर लेट गया।
माँ ने मेरे गाल पर अपने हाथों से एक प्यार भरी थपकी दे कर पूछा- चल मान लिया मैंने गाली दी, तुझे बुरा लगा क्या?
मैंने मुँह बना लिया था।
माँ मुझे बाहों में भरते हुए बोली- अरे मेरे चोदू बेटे, माँ की गालियाँ क्या तुझे इतनी बुरी लगती है कि तू बुरा मान कर रुठ गया?
‘नहीं माँ, बुरी लगने की बात तो नहीं है, लेकिन तुम्हारे मुँह से गालियाँ सुन कर काफ़ी अजीब सा लगा।’
‘क्यों अजीब लग रहा है, क्या मैं गालियाँ नहीं दे सकती?’
‘दे सकती हो, उसका उदाहरण तो तुमने मुझे दिखा ही दिया है। मगर अजीब इसलिये लग रहा है क्योंकि आज से पहले तुमको कभी गाली देते हुए नहीं सुना है।’
‘आज से पहले तुमने कभी मुझे नंगी भी तो नहीं देखा था ना? ना ही आज से पहले कभी मेरी चूत और चूची चूस कर मेरा पानी निकाला था। सब कुछ तो आज पहली बार हो रहा है इसलिए गालियाँ भी आज पहली बार सुन रहा है।’
कह कर माँ हंसने लगी और मेरे लंड को अपने हाथों से मरोड़ने लगी।
‘ओह माँ, क्या कर रही हो दुखता है ना? फिर भी तुम मुझे एक बात बताओ कि तुमने गालियाँ क्यों दी?’
‘अरे उल्लू, जोश में ऐसा हो जाता है। जब औरत और मर्द ज्यादा उत्तेजित हो जाते है ना तो अनाप-शनाप बोलने लगते हैं। उसी दौरान मुँह से गालियाँ भी निकल जाती हैं, इसमे कोई नई बात नहीं है, फिर तू इतना घबरा क्यों रहा है? तू भी गाली निकाल के देख, तुझे कितना मजा आयेगा?’
‘नहीं माँ, मेरे मुँह से तो गालियाँ नहीं निकलती।’
‘क्यों, अपने दोस्तों के बीच गालियाँ नहीं बकता क्या, जो नखरे कर रहा है?’
‘अरे माँ, दोस्तों के बीच और बात है पर तुम्हारे सामने मेरे मुँह से गालियाँ नहीं निकलती हैं।’
‘वाह रे मेरे शरीफ बेटे, माँ को घूर घूर कर देखेगा, माँ को नंगी कर देगा और उसकी चुदाई और चुसाई करेगा, मगर उसके सामने गाली नहीं देगा। बड़ी कमाल की शराफत है तेरी तो?’
‘क्या माँ, इस बात को गालियों से क्यों जोड़ के देखती हो?’
‘अरे क्यों ना देखूँ, जब हमारे बीच शर्म की सारी दीवारें टूट गई हैं और हम एक दूसरे के नंगे अंगों से खेल रहे हैं, तब यह शराफत का ढोंग करने का क्या फायदा, देख गालियाँ जब हम होश में हो तब देना या बोलना गुनाह है। मगर जब हम उत्तेजित होते हैं और बहुत जोश में होते हैं तो अपने आप ये सब मुँह से निकल जाता है, तू भी कर के देख।’
मैंने बात टालने की गरज से कहा- ठीक है, मैं कोशिश करूँगा पर अभी मैं इतने जोश में नहीं हूँ कि गालियाँ निकाल सकूँ।’
‘हाँ, बीच में रोक कर तो तूने सारा मज़ा खराब कर दिया, देख मैं तुझे बताती हूँ, गालियाँ और गन्दी गन्दी बातें भी अपने आप में उत्तेजना बढ़ाने वाली चीज है, चुदाई के वक्त इसका एक अलग ही आनन्द है।’
‘क्या सब लोग ऐसा करते हैं?’
‘इसका मुझे नहीं पता कि सब लोग ऐसा करते हैं या नहीं, मगर इतना मुझे जरूर पता है कि ऐसा करने में मुझे बहुत मज़ा आता है और शायद मैं इससे भी ज्यादा गन्दी बातें करुँ और गालियाँ दूँ तो तू उदास मत होना और अपना काम जारी रखना, समझना कि मुझे मज़ा आ रहा है और एक बात यह भी कि अगर तू चाहे तो तू भी ऐसा कर सकता है।’
‘छोड़ो माँ, मेरे से ये सब नहीं होगा।’
‘तो मत कर चूतिये, मगर मैं तो करुँगी मादरचोद।’
कह कर माँ ने मेरे लंड को जोर से मरोड़ा।
माँ के मुँह से इतनी बड़ी गाली सुन कर मैं थोड़ा हड़बड़ा गया था, मगर माँ ने मुझे इसका भी मौका नहीं दिया और मेरे होंठों को अपने होंठों में भर कर खूब जोर जोर से चूसने लगी।
मैं भी माँ से पूरी तरह से लिपट गया और खूब जोर जोर से उसकी चूचियों को मसलने लगा और निप्पल खींचने लगा, माँ ने सिसकारियाँ लेते हुए मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा- चूचियाँ मसलने से भी ज्यादा जल्दी मैं गन्दी बातों से गर्म हो जाऊँगी, मेरे साथ गन्दी गन्दी बातें कर ना बेटा।’
मैं उसकी चूचियों से खेलता हुआ बोला- तुम्ही करो माँ, मुझसे नहीं हो रहा है।
‘साले माँ की चूत चोदेगा जरूर, मगर उसके साथ इसकी बात नहीं करेगा, चुदाई के काम के वक्त चुदाई की बातें करने में क्या बुराई है बे चूतिये?’
मित्रो, कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। आप मुझे मेल जरूर करें।
अब आपसे अलविदा लेता हूँ, यह कहानी इस भाग में समाप्त हो गई है।
Rajsharma67457@gmail.com

Viewing all 293 articles
Browse latest View live