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मौसी की प्यासी चूत

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मेरा नाम नवीन पूनिया है, मैं वैसे तो हरियाणा का निवासी था लेकिन अब दिल्ली में रहता हूँ, मेरी छोटी बहन 20 साल की है और मैं 25 का हूँ.

एक बार की बात है मैं और मेरी बहन अपनी मौसी के घर हरियाणा के एक गाँव में गए थे. मौसी के घर पर मौसी और उनकी बेटी रानी थी. रानी अभी 18 साल की थी.

मेरी मौसी गाँव में रह कर खेती का काम देखती थीं और मौसा उनके साथ नहीं रहते थे. वे शहर में नौकरी करते थे. उनका मौसी के पास करीब चार साल से आना नहीं हुआ था. शायद मौसा और मौसी के बीच कोई अनबन हो गई थी.

मेरी मौसी बेहद खूबसूरत हैं, उन की जवानी बहुत ही नशीली है. उन की फिगर 36-28-38 की है. मौसी के उठे हुए चूतड़ों को और तने हुए मम्मों को देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था. पर गाँव में बंदिश अधिक होने के कारण मौसी लाज के चलते किसी से ज्यादा नहीं खुलती थीं.

मैं मौसी के पास पहुंचा तो मौसी को बड़ी ख़ुशी हुई. दूसरे दिन मौसी सुबह ही खेतों में चली गईं और मेरी बहन भी उनके साथ चली गई. उन्होंने अपनी बेटी से कहा कि वो खाना खेत में मेरे हाथों भेज दे.
मैं बाद में खाना लेकर गया.

मौसी काम करने के बाद थक गई थीं.. उन्होंने खाना खाया और आराम करने के लिए लेट गईं. मैं उनकी बगल में लेट गया और मेरी बहन भी मेरे पास लेट गई.

मेरी आंख लग गई, जब आंख खुली तो मैंने देखा कि मौसी के चुचे ब्लाउज से बाहर निकल रहे थे और वो खुद ही उनको दबा रही थीं. मैंने आँखें बंद कर लीं. लेकिन एक पल बाद मैंने धीरे से एक आँख खोल कर देखा तो पाया कि मौसी एक मोटी सी मूली से अपनी चुत की खुजली मिटाने में लगी थीं.

ये गरम सीन देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और लंड से पानी निकलने लगा. मैं मौसी की मुठ मारने की गतिविधि को हल्की मुंदी आँख से देखने लगा.

कुछ देर बाद शायद मौसी झड़ गई थीं उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और निढाल सी होकर लेटी रहीं.

मैं इस बात पर गौर नहीं कर पाया था कि जिस तरह से मैंने मौसी को ये सब करते देखा था, उसी तरह मौसी ने भी मुझे देखते हुए देख लिया था. कुछ देर बाद मौसी उठ गईं और फिर से खेत में काम करने लगीं. काम खत्म होने के बाद रात तक हम सब घर आ गए.

अब मेरी मौसी को देखने का नजरिया बदल गया था. मौसा के चार साल से न होने के कारण मौसी मुझे एक माल दिखने लगी थीं.

खाना खाने के बाद जब सोने गए तो मौसी ने कहा- नवीन तू मेरे पास आना, मुझे तुम से बातें करनी हैं.

मैं मौसी के पास गया तो मौसी ने मेरी माँ के बारे में बात की और यहाँ वहाँ की बात करने लगीं. मैंने देखा कि मौसी का हाथ मेरे लंड के बिल्कुल पास था. मैं उनके व्यवहार को कुछ समझ नहीं पा रहा था और इतने में मौसी का हाथ मेरे लंड को छूने लगा. अब मुझे लगने लगा था कि मौसी मुझ से कुछ चाहती हैं. उन की उंगलियां बार बार बहाने से मेरे लंड को छूने लगीं तो मैंने भी मजा लेना शुरू किया. उन की उंगलियों के लगातार लंड छूने से जब मैंने कुछ नहीं कहा तो वो हल्के से मेरे लंड को रगड़ने लगीं.

अब मेरे लंड में भी कसाव आना शुरू हो गया. मैंने एक बारी वहाँ से हटने की कोशिश की तो मौसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया.
मौसी ने कहा- अपनी मौसी की एक बात मानेगा?
तो मैंने कहा- मौसी मैंने आज तक आपकी कोई बात टाली है क्या?
‘नहीं.. तो सुन बेटा, तेरी मौसी को बहुत प्यास है.. अपनी मौसी की प्यास मिटा दे बेटा.. तेरा लंड बहुत मोटा है. जब तू सो रहा था तो मैं तेरा लंड देख रही थी. सच में वो बहुत मोटा है.. आ मेरी प्यास बुझा दे.’

ये कह कर मौसी ने लंड को तेजी से दबाया, मैंने हल्का सा विरोध किया तो मौसी मुझ से लिपट गईं और मेरे होंठों को चूमने लगीं. मौसी अपनी चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ने लगीं.

इस सब से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने अपना हाथ मौसी की गांड पर लगा दिया और मौसी की मदमस्त गांड दबाने लगा.
मौसी के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

मैंने मौसी के मम्मों को दबाना शुरू किया. उनके मम्मे बहुत मोटे थे. अब चुदास की गर्मी बढ़ गई थी तो मैंने मौसी का सूट निकाला और उन्हें लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया.

मौसी ने मुझे चूमते हुए कहा- बेटा मेरे मम्मों का सारा दूध पी ले.. पूरे 4 साल हो गए.. किसी ने इनको नहीं पिया है.

मैं मौसी के मम्मों को ज़ोर ज़ोर से पीने लगा. मौसी के चूचे एकदम से कड़क होने लगे थे. फिर मैंने मौसी की चुत पर हाथ रख कर ज़ोर से दबा दिया.

मौसी- आआ ऊऊओ और ज़ोर से दबा दे.. फाड़ डाल इसको..

मैंने अपनी उंगली उनकी चुत में पेल दी. मौसी के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मौसी बोलीं- बेटा जल्दी कर..
मैं बोला- जल्दी क्या है सारी रात हमारी ही तो है.
मौसी ने मेरा लंड पकड़ लिया.
मैंने कहा- मौसी, तू मेरा लंड मुँह में ले ले.

मौसी लंड चूसने और चाटने लगीं. मैं लंड चुसाई से बहुत गर्म हो गया और मैंने लंड उनके मुँह से निकाल कर सीधे मौसी की चुत में पेल दिया.
एकदम से लंड पेलने से मौसी के मुँह से चीखने की आवाज़ आई- आआईई ईई मममम ममम्म्मीईईओ.. ओह हः!

मैंने मौसी के मम्मों को मसलना शुरू किया. कुछ देर बाद मौसी नॉर्मल हो गईं. अब मैं मस्ती से मौसी को पेले जा रहा था और करीब दस मिनट बाद मैंने मौसी की चुत में लंड का पानी छोड़ दिया.

मौसी ने कहा- तू तो बहुत बड़ा उतावला है मौसी की चूत में एक बार में ही पूरा बाड़ दिया.(पूरा घुसा दिया)

यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था दोस्तो.. आप को मेरा ये हिन्दी सेक्स कहानी कैसी लगी?


चचेरी बहन के साथ सेक्स

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मैं पहली बार अपना एक्सपेरियंस शेयर करने जा रहा हूँ। ये बिल्कुल ही सच्ची कहानी है मेरी चचेरी बहन गांव से अपनी पढ़ाई के लिए हम लोगो के पास शहर मे आई थी। उस समय वो

इंटर मे दाख़िले के लिये आई थी और मैं ग्रेजुएशन मे था। हम लोग शुरू से शहर में रहते थे। मेरे पिताजी सरकारी नौकरी मे थे। मैं घर मे सबसे छोटा हूँ। मेरी बहन मुझसे छोटी थी क़रीब 5 साल की

थी। शुरू मे तो ऐसा कोई ख़्याल नही आया, मगर धीरे धीरे मन सेक्स की तरफ़ होने लगा। हम लोगो का कमरा छोटा था और हमलोग सब एक ही बेड पर सोते थे। मैं अक्सर अपनी बहन के बगल मे

सोया करता था। रात मे सोते समय मेरे हाथ उसके पेट को छूते थे। मुझे तो आकर्षण महसूस होता था मगर उसके बारे मे मुझे कुछ पता नही चल पाता था।

एक दिन मैंने उसके स्तन को छुआ तो उसने थोड़ा विरोध किया मैंने तुरत अपना हाथ हटा लिया। फिर मैंने एक बार कोशिश की लेकिन फिर से हटा दिया मगर कुछ बोला नही मुझे भी डर

लग रहा था क्योंकि मेरी मा और मेरी अपनी दोनो बहन भी बगल मे सोई हुई थी।

दूसरे दिन मैंने फिर से कोशिश की इस बार मैंने उसके स्तन को तोड़ा ज़ोर से प्रेस किया इस बार उसकी थोड़ी सहमति थी मैंने धीरे धीरे काफ़ी देर तक प्रेस किया शायद उसे भी आनंद आ रहा था।

ये कार्यक्रम काफ़ी दिनो तक चला। एक दिन उसने मुझसे पूछा की आप ऐसा क्यों करते है तो मैंने बोला की क्यों तुम्हे पसंद नही है तो उसने कहा नही ऐसी कोई बात नही मगर किसी को पता चलेगा तो क्या होगा।

तब मैंने कहा किसी को पता नही चलेगा। तुम साथ दो तो कुछ नही होगा। फिर उसने हामी भरी। अब हम लोग घर मे किसी के नही रहने का इंतज़ार करने लगे और ये मौक़ा भी

हमे जल्द ही मिल गया और मैंने कहा की अब मैं कुछ और टेस्ट करना चाहता हूँ।

तो उसने पूछा क्या तो मैंने कहा, मैं तुम्हरा स्तन देखना चाहता हूँ उसने पहले तो मना किया फिर थोड़ी देर मे हामी भर दी तो मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और फिर मैंने धीरे से से उसके सलवार को उपर किया और उसके ब्रा को उपर किया तो देखा की दो गोल गोल स्तन मेरे सामने थे जो की मैंने पहले कभी नही देखा था और फिर मैंने अपने दोनो हाथों से उसको दबाना शुरू कर दिया

शायद उसे भी अच्छा लग रहा था और वो ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी। फिर काफ़ी दिनों तक चलता रहा मगर असली प्यास अभी नही बुझी थी और मेरा मन उसको चोदने को करने लगा।

एक दिन मैंने कहा की ये सब काफ़ी हो गया क्यों ना ज़िंदगी की असली मज़ा लिया जाए तो उसने कहा – क्या ? तो मैंने कहा ज़िंदगी की सुख तो चुदाई मे ही हैं जो कि हर आदमी और औरत की ज़रूरत है।

तब उसने कहा इसमे कोई रिस्क तो नही है ?

मैंने कहा- नहीं, सावधानी के साथ करेंगे। मगर पता नही उसे काफ़ी डर लग रहा था और हिम्मत नही जुटा पा रही थी। काफ़ी समझाने के बाद उसे विश्वास हो गया और उसने हामी भर दी

और हमलोग एकांत का इंतेज़ार करने लगे और एक दिन हमे मौक़ा मिल गया जब मेरी मां और बहन बाज़ार गये और हम दोनो घर मे अकेले थे तब मैंने कहा क्यों ना अपनी ज़िंदगी की प्यास भुझा ले।

उसने दबी ज़ुबान मे हां कही और फिर मैंने धीरे धीरे उसके सलवार और पायजामा को खोला अब वो ब्रा और पेण्टी मे मेरे सामने थी उसका बदन तो मानो अप्सरा का बदन लग रहा था और शर्मा रही थी और अपने चेहरे को अपनी हाथों से ढके हुई थी

फिर मैंने धीरे से अपने कपड़े को उतारा और उसके स्तन को धीरे धीरे दबाना शुरू किया शायद उसे अच्छा लग रहा था अब मैंने उसके ब्रा को खोल दिया और मेरे सामने उसके संतरे जैसे दो चीज़ आ गई और मैंने अपने मुह से उसके स्तन को चूसना शुरू किया ये अहसास उसे अच्छा लग रहा था और वो ज़यादा उत्तेजित हो रही थी और मैं भी अब काफ़ी उत्तेजित होने लगा था।

फिर मैंने उसके पेण्टी को उतार दिया अब मेरे सामने मानो जैसे दुनिया की सबसी बड़ी चीज़ नज़र आ रही थी क्योंकि अभी तक मैंने किसी भी लड़की को ऐसे नही देखा था। अब मैंने अपने लंड को उसके मुंह मे दे दिया।

पहले तो उसने मना किया काफ़ी मनाने के बाद वो मान गई और मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया मैं तो मानो की सातवे आसमान मे सफ़र कर रहा था उस अहसास

का बयान मैं नही कर सकता की मैं कैसा महसूस कर रहा था। उसके चूसने से मेरा लंड काफ़ी टाईट हो गया और मैंने इसे उसके बुर मे धीरे धीरे डालना शुरू किया उसे काफ़ी तकलीफ़ महसूस हो रही

थी।

पहली बार किसी मर्द के लंड उसके बुर मे जो जा रहा था। मैंने उसकी तकलीफ़ को समझते हुए धीरे धीरे लंड को अंदर डाला अब तो उसे भी मज़ा आने लगा और थोड़ा ऊऊऊ आआआ ईईई

के आवाज़ के साथ वो पूरा मज़ा लेना चाहती थी और मैं भी इस मौक़े को छोड़ना नही चाहता था और हमलोगो ने क़रीब 1 घंटे तक अपनी जवानी का मज़ा लिया लेकिन इसके बाद हम दोनों की चाहत

बढ़ती गई और हम लोग रात मे भी ये काम सबसे बचते हुए करने लगे और घर मे कोई ना हो तो फिर क्या कहना। इस तरह से हमलोगो ने क़रीब 7 साल तक अपनी जवानी का मज़ा लेते रहे। अब

उसकी शादी हो चुकी है मगर मैं अभी भी कुंवारा हूँ और उन दिनों के बारे मे सोचकर आज भी दिल रोमांचित हो जाता है।

होमॉसेक्शुअल लडके

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मेरा नाम है कैलाश, मैं आज आपको बताने जा रहा हूँ वो मैं ओर मेरे दोस्त अश्विन के साथ स्कूल में हुआ था। मैं गोरे गाँव का रहने वाला हूँ। जब मैं ग्यारवी कक्षा मैं यह की एक स्कूल मैं नया था। तब मैंने आश्विन के साथ दोस्ती हुई थी। थोड़े ही दीनो में हम एक दूसरे से साथ काफ़ी समय बिताने लगे। वो मुझसे एक साल बड़ा था, फिर भी हम हिलमिल गाये थे। हम एक साथ फ़िल्म देखने जाते थे, कभी कभी एक दूसरे के घर जा कर स्कूल का काम करते। आश्विन मुजसे एक साल बड़ा था, फिर भी उसका शरीर तेहरा साल का बच्चा जैसा था, थोड़ा साँवला भी।

एक दिन वो मुझे स्कूल के बाद साईबर कैफ़े मैं ले गया था, उसको एक परदेस में रहने वाले भाई के साथ इंटेरनेट से बात करनी थी। थोड़ी देर बात करके उसने मुझे ये इंडियन सेक्स कहानी बताई। उसने कहा कि यह सब कहानियाँ सच हैं। फफिर हम दोनों ने होमॉसेक्शुअल कहानियाँ पढ़़नी शुरू की। मेरे ख़याल से वह अपनी पेंट में ही झर गया।

दूसरे दिन स्कूल के बाद मैं उसके घर गया, स्कूल का काम बहुत था, और उसके पास पिछले साल की नोट्स भी थी। उसी बहाने मैं उसके घर गया था। जब मैं उसके कमरे में पहुँचा तो वह अपने लंड को सहला रहा था। मेरी आवाज़ से वह तुरंत ही कपड़े चढा लिए। थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा कि मैंने कभी किसी का लंड देखा है या नहीं?
मैंने तुरन्त ही ना कही।

बाद में उसने कहा की वह मुझे पिछले साल की नोट्स देगा जब मैं उसका लंड मुँह में लूं। मुझे सिर्फ़ नोट्स ही लेनी थी, मैंने अपनी मजबूरी बताई।
कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ ले कर उसके लंड पर रखा ओर बोला कि डरने की ज़रूरत नहीं है। उसका लंड पहले से ही बड़ा हो चुका था। फिर उसने कपड़े उतारे, पूरा नंगा हो गया और मेरे सामने खड़ा हो गया। उसने फिर से मेरे हाथ पकड़ा और उसके लंड को मेरे हाथ में दिया। उसने मेरा चेहरा पीछे से पकड़ कर लंड के पास दबाने लगा। जब मैंने उसका लंड मुंह में लिया, इतनी घिन आई की क्या करे।
आश्विन अपना लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर करने लगा। तभी ही उसने मेरे हाथों को उसकी गांड पे लगा दिए, मैंने हटा लिए फिर उसने मेरे बालो को खींच के अपना लंड ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा। और थोड़ी देर में वह मेरे मुँह में झर गया।

मैं बाथरूम में गया अपना मुँह साफ़ किया। जब मैं बाहर आया उसने कहाकी अगर मैं अपनी गांड मराऊँ तो वह मुझे पूरी नोट्स देगा।
घबराहट के मारे मैंने हाँ कर दी और मुझे कपड़े उतारने को कहा, मैंने वैसा ही किया। उसने अपने लंड पर तेल लगाया और मेरे शरीर पर सहलाने लगा। जब वह मेरी गांड के पास आया तब वह मेरे लंड को पकड़ कर खींचने लगा, बहुत दर्द हुआ।
फिर उसने मेरी गांड पे भी तेल लगाया। तेल की वजह से लंड आसानी से घुस गया फिर भी दर्द हो रहा था, क्यूँकि पहली बार ही मैंने अपनी गांड मरवाई। पीछे से वह मेरा लंड सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने रहा था। फिर उसने खड़े हो कर मेरे मुँह के पास आया और मेरे मुँह में लंड डाल दिया। जब मैं उसका लंड चूस रहा था, तब मुझे पता चला कि उसका लंड मेरी गांड में गया था। बहुत ही घिन आई पर थोड़ा मजा भी आ रहा था।

उसने मुझे लेट जाने को कहा और वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे लंड को अपने मुँह में लेने लगा और उसने अपना लंड मेरी ओर किया। वह कहते है ना 69 स्टाइल।
अब तो मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। पहल बार कोई मेरा लंड किसी और के मुँह में था। थोड़ी ही देर मैं भी उसके मुँह में झर गया।

फिर उसने कहा की उसको बहुत ही मजा आया। उसने मुझे अपनी नोट्स दी और मैं चल दिया।

कुछ दिनों के बाद उसके घर में उसने पार्टी रखी थी, मुझे भी बुलाया था। पार्टी के बाद उसने मुझे अकेले में कहा कि अगर मुझे सारी की सारी नोट्स चाहिए तो मुझे उससे एक महीने तक गांड मरवानी होगी, मुझे ये भी कहा था की लंड चूसने और गांड मरवाने का मुझे बहुत ही मजा आया था। उसकी बातों में आ कर मैंने फिर से हाँ कर दी। वैसे भी गांड मरवाने से जो मजा आया था वह एक महीने तक अब आएगा, और तो और मुझे पूरे साल की नोट्स भी मिल जाएगी।

फिर तो मैं उसके साथ ही पूरा समय बिताने लगा। स्कूल के बाद हम दोनों और घूमने लगे, हर हफ़्ते हम ब्लू फ़िल्म भी देखने लगे। हर रोज़ हम एक दूसरे की गांड मार रहे थे। अब तो मैं ख़ुद उसको सेक्स के लिए कह रहा था। ऐसा लगा था कि मुझे उससे प्यार हो गया था।

आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं?

मेरी पड़ोसन चालू लड़की

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नमस्कार मेरे पाठक दोस्तो,

मैं पंजाब से आयुष हूँ। मैंने यह कहानी लिखी है क्योंकि मैं आप सभी को अपनी एक सत्य घटना बताना चाहता हूँ।

मैं अपनी थ्री ईयर आर्ट्स की पढ़ाई पूरी कर चुका हूँ और मै अभी आगे भी पढने की सोच रहा हूँ। लेकिन हमारा कॉलेज घर से बहुत दूर था। तो मैं अपने चाचा के घर रहने लगा था। उनका घर कॉलेज के नजदीक था। मेरे अंकल का लड़का विदेश गया हुआ था। मैं तो प्रातः कॉलेज जाता और संध्या को पांच बजे तक कॉलेज से वापस आ जाता था।

मेरे अंकल के पड़ोस में एक परिवार किराये पर रहता था। उनकी तीन लड़कियाँ थी मीना, अकांक्षा और पूजा। सबसे बड़ी लड़की मीना को देख कर मेरा मन उस पर लट्टू होने लगा था। वो थी ही इतनी सुन्दर।

उसकी छोटी बहन पूजा कभी कभी अंकल के घर आया करती थी। मैंने उसके जरिये मीना से बात करने का इरादा बनाया। लेकिन डर रहता था कि वो मेरी मदद नहीं करे या किसी को बता दिया तो क्या होगा। मैंने हिम्मत करके एक पत्र लिख कर उसकी बहन को दे दिया कि वो पत्र मीना को दे देना।

मैं उसे जितना बच्चा या नासमझ सोचता था वो उतनी नहीं थी। वो समझ गई और बोली- आप खुद ही क्यों नहीं दे देते?

पर मैंने जैसे तैसे उसे मना लिया। अगले दिन मैं उसके जवाब का इन्तज़ार करने लगा। वो सात बजे हमारे घर आई और आंटी से बात करने लगी। मैं छत पर चला गया तो वो भी बहाना बना कर छत पर चली आई। मैंने उससे धीरे से पत्र के बारे में पूछा तो उसने पत्र का जवाब दिखा कर अपनी ब्रा में रख लिया और बोली खुद ही ले लो।

मैं उसकी बात सुन कर हैरान रह गया। अरे यह तो बहुत ही चालू लड़की है। मैंने उसकी कमीज में हाथ डाल दिया और पत्र निकालने के बहाने उसकी चूचियाँ दबाने लगा। तो वह बोली- क्या बात है रात रंगीन करने का इरादा है?

मैं उसकी बात सुन कर फिर से सुन्न सा रह गया कि अभी इसकी उम्र तो छोटी सी है और यह तो चुदने को भी राजी है।

मैंने हाँ कर दी तो बोली- चलते हैं किसी होटल में। मैंने अपनी बाईक ले ली और होटल की तरफ़ चल दिया।

वहाँ हम सारी रात एक दूसरे के साथ सेक्स करते रहे। उसने बताया कि उसने मेरे साथ पहली बार ही सेक्स किया है।

वो बहुत खुश थी, कहती थी कि बहुत मजा आया।

बाद में जब मैंने पत्र मांगा तो उसने मुझे दे दिया, लेकिन एक शर्त थी कि मैं उसे ऐसा मजा फिर से दूँ। मैंने उसे वहीं लिटा लिया।

उसने अभी अन्डरवियर नहीं पहना था। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में गाड़ दिया और बहुत अन्दर गहराई तक पेल दिया। वो सिसक रही थी ऊऊओह्हह् हह्हह हीईईईई और अंदर ह्हह हह्हह्ह ह्हह फ़ाड़ डालो। अहहह हह्हह।

लगभग आधे घण्टे बाद हम एक दूसरे से अलग हुए। उसने अपने कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये। उसके बाद मैंने वह पत्र पढ़ा तो मुझे हैरानी हुई कि उसकी बहन भी मुझ पर मरती है।

फिर उसने मुझे रात को अपने घर पर बुलाया।

पूजा ने बताया कि आज रात को उसके घर में कोई नहीं होगा, तुम रात को आ जाओ। मैं उस दिन कॉलेज नहीं गया। रात को मैं उसके घर गया और कॉल बेल बजाई। पूजा ने मुस्करा कर दरवाजा खोला।

फिर हम उसकी बहन के कमरे में चले आये और कहा कि मेरा इन्तज़ार करो। उसकी बहन पूजा ने हम सभी के लिये खाना बनाया। भोजन के उपरान्त हम सभी ने ग्रुप सेक्स किया। मैं उस रात को बहुत खुश था फिर मैं वापस चला आया। अब तो जब भी हमें मौका मिलता है, हम सेक्स करते हैं।

मैं आगे की कहानी अगली बार लिखूंगा।

सेक्सी पड़ोसन आंटी और उनकी ननद की मदमस्त चुदाई की कहानी

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दोस्तो, मैं दिल्ली से 18 वर्षीय एक नई जवानी से झूमता हुआ मस्त लौंडा हूँ. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट का एक नियमित पाठक हूँ और मुझे हिंदी में देसी चुदाई की कहानी पढ़ना बहुत पसंद हैं.

यह घटना मेरे पड़ोस में रहने वाली एक आंटी और मेरे बीच की चुदाई की है. शुरूआत मैं मुझे उनको देखना भी पसंद नहीं था, पर जब से लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू की, लड़कियों भाभियों और आंटियों के उठे हुए मम्मे और गांड ने मुझे आकर्षित करना शुरू कर दिया. तभी से मुझे आंटी कयामत दिखने लगीं, उनका मदमस्त फिगर मेरी समझ में आने लगा.

आंटी का लड़का मेरे छोटे भाई का दोस्त था, जिसको पढ़ाने के लिए आंटी ने मुझसे कहा और इसी के चलते मेरा उनके घर आना जाना शुरू हो गया.
धीरे धीरे आंटी और मैं आपस में खुलते चले गए. वयस्कों जैसे हंसी मजाक होने लगा और अंगों को छेड़ने की मस्ती भी शुरू हो गई.

कभी कभी मैं आंटी के पीछे भी हाथ रख देता था. उनके सामने अपना लंड खुजा लेता था. धीरे धीरे सेक्स की बात भी होनी शुरू हो गई. मैं मौका देख कर उनके मम्मों में हाथ डाल देता था या फिर कभी गांड पर हाथ फेर देता था.

फिर एक मौका ऐसा आया, जब मैंने आंटी को झूठ बोल दिया कि मेरी 4 गर्ल फ्रेंड्स हैं जो कि मेरे साथ सेक्स करती हैं.
वो मेरी बात को सच मान गईं.
फिर मुझको पता चला कि उनकी शादी के इतने साल हो गए हैं और उनके पति उनके साथ कभी कभार ही सम्भोग किया है. पिछले काफी समय से तो उन्होंने चुदाई की ही नहीं!
मैं बोला- ये तो बड़ा गम्भीर मामला है आंटी.
उन्होंने बोला- हाँ मैं तो सारी कोशिश करती थी, उनका लंड जब घुसता था.. तो अच्छा लगता था मगर क्या करूँ वो अब चुदाई का मजा ही नहीं लेना चाहते हैं.
मैंने उनको लंड और चुदाई की बात बोलते सुना तो मैं समझ गया कि आंटी की चुत चुदाई के लिए फड़क रही है.

मैं आंटी से बोला- मैं आपकी बिस्तर में कुछ हेल्प करूँ?
वो हंस पड़ीं और मेरी बात को टाल गई.

फिर मुझे पता लगा कि आंटी का कोई बॉयफ्रेंड है, उससे आंटी फोन पर बात करती हैं. शायद आंटी उस से चुदती होंगी या चुदवाना चाहती होंगी, इस लिए मुझे कुछ कम भाव दे रही थी.

लेकिन इसके बाद से मुझे आंटी को चोदने की और इच्छा होने लगी. अब जब भी मैं उनके घर जाता, उनके बेटे को कह देता था कि मेरे भाई के साथ खेलने जा ताकि हम दोनों को एकांत मिले और मुझे मौक़ा मिले.

वो जब चला जाता तो मैं कपड़ों के ऊपर से ही उनकी गांड पर लंड फेर देता था. वे भी कुछ नहीं कहती थीं. ये सब मुझको बड़ा अच्छा लगता था.

फिर मेरी मम्मी ने सुबह सुबह 10 बजे से 1.30 दोपहर तक के बाहर जाना शुरू किया. इस दौरान आंटी हमारे घर जानबूझ कर आ जाती थीं, कभी फोन करने का बहाना लेकर आती तो कभी यूं ही मुझसे बात करने की कह कर आ जाती थीं.
यह घटना तब की है जब मोबाइल फोन नए नए आये थे और आम आदमी की पहुँच से बाहर थे. लैंड लाइन फोन भी हर घर में नहीं होते थे.

एक बार जब वो आईं, तो मम्मी बाहर गई थीं. उनको मेरे घर के फोन से अपने फोन की कम्प्लेंट करनी थी. मैंने जान बूझ कर दूसरा खराब वाला फोन लगा दिया था.
फिर उन्होंने बोला- मुझ से नहीं लग रहा, तुम मिला के दो.
फोन मिलाने के बहाने से मैं उनसे चिपट गया.
उन्होंने बोला कि ये इधर अच्छा नहीं लग रहा है, तेरी मम्मी आ सकती हैं.. तू मेरे घर आ जा.
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा आंटी थोड़ा करते हैं न!

मगर फिर वो मुझे अपने घर आने की कह कर मेरे घर से चली गईं.

कुछ देर बाद मैं उनके घर गया तो उसके घर पर कोई नहीं था और वो चादर सही कर रही थीं. इस वक्त आंटी डॉगी स्टाइल में थीं, मैं पीछे से उनकी गांड से लग गया.
उन्होंने बोला- जल्दी कर ले, कोई मेहमान आने वाला है.
तो मैंने बोला कि बस आज मुझे एक बूंद टपका लेने दो.

फिर उन्होंने कुछ नहीं कहा.

कपड़ों को ऊपर से करके ही मैं उनके साथ सेक्स कर रहा था. कुछ देर चुत चोदने के कल्पना में मेरी बूंदें टपक गई.

उन्होंने बोला- हो गया तेरा काम? अब खुश हो गया?
मैं कुछ नहीं बोला और चला आया.

फिर वो एक बार फोन करने आईं. मैंने उनको गर्म करते हुए बोला कि आप कैजुअल पजामा में अच्छी लगती हो.
वो ब्लैक कलर का पजामा पहन कर आई थीं. उन्होंने मुझे आँख मार कर कुछ करने का इशारा करते हुए फोन उठा लिया.

मैंने आंटी के पजामा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी गांड पर हाथ लगाया और चूतड़ों को सहलाने लगा. आंटी ने अपने पैर और खोल दिए तो मैंने आंटी की चूत में उंगली फेर दी.

शायद वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात कर रही थीं. उन्होंने चुत में उंगली पाकर भी कुछ नहीं बोला. लेकिन मेरी हरकतों से उन्हें कुछ होने लगा.

जब मैंने उंगली चूत के अन्दर घुसेड़ी और उंगली से आंटी की चुत को चोदा तो चुत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने उंगली बाहर निकाल कर उनके सामने ही चाट लिया.
वो बोलीं- तुमने अपनी उंगली क्यों चाट ली?
मैंने बोला- कोई बात नहीं, आई लव यू आंटी.

वो मुस्कुरा दीं तो मैं उनको चूमने लगा. आंटी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया. कुछ देर बाद मैंने उनके कपड़े उतारे और ब्रा का हुक खोल दिया. मैंने उनको गोद में लेकर बेड पर पटक दिया मगर मेरी किस्मत ने साथ नहीं दिया, उनका छोटा बेटा आ गया, वो बाहर से दरवाजे खड़का रहा था. हम दोनों ने कपड़े पहन लिए, उन्होंने मुझसे सॉरी बोला.
मैंने उनके होंठ चूम लिए.

फिर कुछ दिन बाद मेरे पेरेंट्स को 5 दिन के लिए आउट ऑफ़ स्टेशन जा पड़ा. मैं उनके साथ नहीं गया था. तो मॉम मेरी देखभाल के लिए आंटी को बोल गई थीं कि ख्याल रखना.
मैं उनके घर नहीं जा सकता था क्योंकि उनकी विवाहिता ननद आई हुई थीं.

पता नहीं आंटी को क्या हुआ… आंटी ने एक रात को खुद से फोन करके कहा कि मैं उनके घर आ जाऊं. मैं घर गया तो उन्होंने ब्लैक कलर का गाउन पहना था. आंटी ने मुझे अपने कमरे में आने को कहा, मैं चला गया.
आंटी कमरे में आईं, मैंने दरवाजा बंद किया. बस हम दोनों लग गए. मैंने उनके कपड़े उतारे और हम दोनों नंगे हो गए थे.

मैंने पहले उनके मम्मों को चूसा, फिर उनको लंड चुसवाया. पूरे रूम में लंड के रस की महक फ़ैल गई. उनकी चूत में से टप टप करके रस निकल रहा था. मैंने उनकी चुत में अपना मुँह लगा दिया और चुत रस को चाटने लगा.

मैंने फिर चुत में लंड घुसाया, वो चीख पड़ीं और मुझ को कस के पकड़ लिया.
आंटी बोलीं- आज तुम सब कर दो..

मैंने आंटी की चुत में पूरा लंड घुसाना शुरू किया. चुत गीली हो गई थी और फच्च फच्च की आवाज आ रही थी. हम चुदाई करते हुए एक दूसरे को किस करने में लगे हुए थे.

आंटी की चुत चुदाई के बाद फिर मैंने जब गांड चोदने के लिए उनको घुमाया तो पता चला कि उसकी ननद खिड़की से हम दोनों को देख रही है और अपने मम्मों को दबा रही है.
एक बार तो मैं डर गया लेकिन फिर जब देखा कि खुद चुदासी हो रही है तो मैंने उसको भी अन्दर बुला लिया. वो अंदर आ गई, आंटी उसे देख कर हड़बड़ा गई. लेकिन जब देखा कि उनकी ननद भी चुदने को आतुर हो रही है तो आंटी ने पहले तो अपनी गांड को बुरी तरह से चुदवाया फिर हमने मिल कर आंटी की ननद की चुत का भी चोदन कर दिया.

मैंने आंटी की ननद की चुत चाटी, वो चिल्ला रही थी, फिर खूब जम के सेक्स किया और माल उसकी चुत में ही छोड़ दिया. आंटी को लगा कि वो कहीं प्रेग्नेंट ना हो जाए. उन्होंने ननद को सलाह दी कि तू अपने पति के साथ बिना कंडोम के सेक्स कर लेना ताकि उसको कोई शक न हो.

फिर अगली बार जब आंटी की ननद का बच्चा हुआ और वो अपने बच्चे को लेकर आंटी के घर आई तो मैंने उसका दूध पिया और उसे खूब चोदा.
ये सब दो साल से अब तक चल रहा है. इसके बाद आंटी ने अपनी बहन को भी मुझसे चुदवाया. उनके यहाँ एक नौकरानी आती थी, उसके साथ भी सेक्स करवाया और इसी तरह हम सेक्स करते रहे.

अब भी आंटी और मैं खूब मजा करते हैं.

नौकरानी की बुर में लंड

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दोस्तो, लड़की को सिड्यूस (कामोत्तेजित) करने में बड़ा मजा आता है. बस उसको कामोत्तेजित करने का तरीका ठीक होना चाहिए. मैंने अपने घर की नौकरानी को ऐसे ही कामोत्तेजित करके खूब चोदा. आज मैं आप सब को वही कहानी सुनाने जा रहा हूँ. मेरा नाम है विजय. मेरे घर में उलूल-जुलूल नौकरानियों के बाद एक दिन बहुत ही सुन्दर नौकरानी काम करने के लिए आई. वह बहुत ही खूबसूरत थी. सुन्दर होने के साथ-साथ वह सेक्सी भी लग रही थी. उसकी हाइट मीडियम थी, बदन सुडौल था. उसका फीगर 33-26-34 का रहा होगा. वह शादीशुदा भी थी.

उस नौकरानी को देखकर मुझे उसके पति से मन ही मन जलन होना शुरू हो गई थी. उसका पति मुझे बहुत ही किस्मत वाला लग रहा था कि जिसके पास ऐसी सेक्सी बीवी है. मुझे पूरा यकीन था कि वह साला इस सेक्सी नौकरानी को खूब चोदता होगा. उसके बूब्स ऐसे थे कि देखते ही मन करता था बस यहीं पर दबा दो इनको. वह अपनी चूचियों को साड़ी से कितना भी ढकने की कोशिश करती लेकिन उसके बूब्स कहीं न कहीं से बाहर आकर दिखाई देने लगते थे. वह बहुत कोशिश करने के बाद भी अपनी चूचियों के ऊपर की दरार को छिपा नहीं पाती थी. जब मैंने उसकी दरार को तिरछी नजर से देखा तो पता चला कि उसने तो अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी.

शायद हो सकता था कि उसको लगता हो कि ब्रा पर बेकार ही पैसे क्यों खर्च किए जाएं. जब वह ठुमकती हुई चलती थी तो उसके चूतड़ हिलते थे और हिलते हुए ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हों कि मुझे पकड़ो और दबा दो. अपनी पतली सी साटिन की साड़ी को जब वह चूत के पास से पकड़ कर संभालती हुई चलती थी तो मन करता था कि काश मैं भी इसकी चूत को छू सकूँ. काश मैं इसके मम्मों को दबा सकूँ. काश मैं इसकी चूचियों को चूस सकूँ. साथ ही साथ मेरा बहुत दिल करता था कि मैं इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मजा ले सकूँ. इसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोद सकूँ. मेरा लंड भी मानता ही नहीं था.
उसकी चूत में घुसने के लिए मेरा लंड बेकरार रहता था. मगर मैं सोचता था कि मेरा ये सपना पूरा हो तो हो कैसे? वह साली तो मेरी तरफ देखती भी नहीं थी. वह बस अपने काम से ही मतलब रखती थी. काम करने के बाद ठुमकती हुई वापस चली जाती थी. मैंने भी कभी उसको अहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसकी चूत पर है और मैं उसको चोदने के लिए इतना बेताब रहता हूँ. मगर मुझे किसी न किसी तरह उसकी चूत को चोदना ही था. मैंने सोच लिया था कि इसको किसी न किसी तरह गर्म करके ही यह सब संभव हो सकता है.

मगर यह सब मुझे धीरे-धीरे करना होगा. अगर ये नाराज हो गई तो मेरा सारा भांडा फूट जाएगा. कुछ दिन के बाद मैंने उसके साथ बहाने से बातें करना शुरू कर दिया. उसका नाम था आरती. मैंने एक दिन उसको चाय बनाने के लिए कह दिया. जब उसने अपने नर्म हाथों से मुझे चाय पकड़ाई तो मेरा लंड तो जैसे उछल ही गया. मैंने चाय पीते हुए उससे कहा- आरती तुम तो चाय बहुत अच्छी बना लेती हो.
उसने कहा- हां, बाऊजी, चाय तो मैं बना ही लेती हूँ.

उसके बाद मैंने आरती से हर रोज ही चाय बनवाना शुरू कर दिया. फिर एक दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था तो मैंने आरती को अपनी शर्ट प्रेस करने के लिए दे दी.
मैंने कहा- तुम तो प्रेस भी अच्छी कर लेती हो.

इस तरह से जब मेरी बीवी मेरे आस-पास नहीं होती थी तो मैं आरती से बातें करना शुरू कर देता था.
मैंने पूछा- आरती, तुम्हारा पति क्या करता है?
वह बोली- एक मिल में काम करता है मेरा आदमी.
मैंने कहा- कितने घंटे की नौकरी होती है उसकी?
उसने कहा- 10-12 घंटे तो लग ही जाते हैं और कई बार तो रात को भी ड्यूटी लगा देते हैं.
मैंने कहा- तुम्हारे बच्चे कितने हैं?
उसने शर्माते हुए जवाब दिया- अभी तो मेरे पास एक लड़की ही है 2 साल की.

मैंने पूछा- तो क्या तुम उसको घर में अकेली ही छोड़कर आ जाती हो?
उसने कहा- नहीं, मेरी एक बूढ़ी सास है. वह उसकी देखभाल कर लेती है.
मैंने पूछा- तुम कितने घरों में काम करती हो?
उसने कहा- साहब, बस एक आपके घर में काम करती हूँ और एक नीचे वाले घर में काम करने जाती हूँ.
मैंने फिर पूछा- तो क्या तुम दोनों का गुजारा हो जाता है?
उसने कहा- साहब हो तो जाता है लेकिन बड़ी मुश्किल से ही काम चल पाता है. मेरा आदमी शराब में बहुत सारे पैसे बर्बाद कर देता है.
अब मेरे काम की बात यहाँ से शुरू हो गई थी.
मैंने आरती से कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ.

आरती ने मुझे अजीब सी नजरों से देखा.
उसने कहा- क्या मतलब है आपका?
मैंने कहा- अरे, मेरा मतलब है कि तुम अपने आदमी को मेरे पास ले आओ, मैं उसको समझा दूंगा.
उसने कहा- ठीक है साहब. कहते हुए उसने एक लम्बी और गहरी सांस ली.
इस तरह हम दोनों के बीच ये बातों का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और धीरे-धीरे बातों के सहारे मैंने आरती के मन में से उसकी झिझक को कम करने की कोशिश की.

एक दिन मैंने शरारत भरे लहजे में कहा- तुम्हारा आदमी तो पागल ही होगा. इतनी सुंदर बीवी होते हुए भी वह शराब पीता है.
दोस्तो, औरतें काफी समझदार होती हैं. आरती भी मेरा इशारा शायद समझ गई थी लेकिन उसने अपनी नाराजगी का मुझे जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया. मुझे भी थोड़ा हिन्ट मिल गया था कि यह भी तैयार हो जाएगी. अगर मुझे मौका मिले इसे दबोचने का तो यह शायद चुदवा भी लेगी.

वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं है. एक दिन मेरे पास भी मौका आ ही गया. रविवार का दिन था. मेरी बीवी एक दिन पहले ही मायके चली गई थी. वह हमारे दोनों बच्चों को भी साथ में लेकर गई थी. मेरे बीवी ने कहा था कि अगर आरती आए तो घर का काम ठीक से करवा लेना. सुबह से ही मेरे मन लड्डू फूटने लगे थे और मेरा लंड फुदकने लगा था. मैं बार-बार आरती के बारे में ही सोच रहा था.

कुछ देर के बाद आरती घर में आ गई. उसने दरवाजा बंद कर दिया और अपने काम पर लग गई. इतने दिनों की बात-चीत के बाद हम दोनों अब आपस में काफी खुल भी गए थे. आरती को मेरे ऊपर भरोसा भी हो गया था. इसलिए शायद उसने मेरे बिना कहे ही दरवाजा बंद कर दिया था. मैंने सोचा कि अगर आज मैंने पहल नहीं की तो यह फिर कभी हाथ नहीं आएगी. बात मेरे हाथ से निकल जाएगी. फिर मैंने सोचा कि पहल मैं करूं कैसे? फिर दिल में ख्याल आया कि पैसे की बात ही कर लेता हूँ.
मैंने कहा- आरती, अगर तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. जरा सा भी झिझकना नहीं.
आरती ने कहा- साहब, क्या आप मेरी पगार काटने वाले हैं?

मैंने कहा- अरे नहीं पगली, अगर तुझे अगर कुछ फालतू पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ. मैं इस बारे में अपनी पत्नी को भी कुछ नहीं बताऊंगा. लेकिन एक वादा तुमको भी करना होगा कि तुम भी इस बारे में मेरे बीवी से कुछ नहीं कहोगी.
इतना कहकर मैं आरती के जवाब का इंतजार करने लगा.
आरती ने कहा- मैं क्यों बताने लगी आपकी बीवी को?

उसके मुंह से यह जवाब सुनकर मैं खुश हो गया. मेरा तीर एकदम सही निशाने पर जाकर लगा था.
मैंने कहा- तुम खुश हो जाओ अब.
वह बोली- हां साहब, इससे मुझे काफी आराम हो जाएगा.
मैंने कहा- आरती, मैंने तुम्हें खुशी दे दी. क्या तुम नहीं चाहती कि मैं भी खुश हो जाऊं? मगर उसके लिए तुमको अपना मुंह बंद रखना होगा.
कहते हुए मैंने आरती के हाथ में पांच सौ रुपये का नोट थमा दिया.

आरती ने पूछा- क्या करना होगा मुझे साहब?
मैंने कहा- पहले तुम अपनी आंखें बंद कर लो. अगर तुमने आंखें खोल दीं तो तुम शर्त हार जाओगी.
मेरे कहने पर आरती ने आंखें बंद कर लीं और मेरे सामने ही खड़ी रही. मैंने देखा कि आरती के गाल लाल हो रहे थे और उसके होंठ कांपने लगे थे.
मैंने फिर कहा- जब तक मैं ना कहूँ तब तुम्हें अपनी आंखें नहीं खोलनी हैं.
वह बोली- ठीक है साहब.

आरती शरमा रही थी और वहीं पर चुपचाप खड़ी हुई थी. उसने अपने दोनों हाथों को अपनी जवान चूत के सामने लाकर बांध रखा था. जैसे उसको छिपाने की कोशिश कर रही हो.
पहले मैंने आरती के माथे पर हल्का सा चुम्बन किया. अभी तक मैंने उसको अपने हाथों से नहीं छुआ था. वह चुपचाप आंखें बंद करके खड़ी हुई थी. फिर मैंने उसकी पलकों पर हल्के से चुम्बन किया. उसकी आंखें अभी भी बंद ही थीं. फिर मैंने आहिस्ता से उसकी आंखों को चूमने के बाद उसके गालों को भी धीरे से चूम लिया. इतनी ही देर में मेरा लंड तन गया था और मेरे कपड़ों के अंदर लोहे की तरह सख्त होकर खड़ा हो गया था.
उसके बाद मैंने आरती की ठुड्डी पर किस कर दिया.

अबकी बार आरती ने अपनी आंखें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको पहले ही बोल दिया कि अगर उसने आंखें खोलीं तो वह शर्त हार जाएगी और इसलिए अभी अपनी आंखों को बंद ही रखे. उसने झट से आंखें बंद कर लीं.

अब मैं भी समझ गया था कि उसको तैयार करने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. अब मुझे बस उसको तैयार करना था, उसकी चूत की चुदाई का मजा लेना था. अबकी बार मैंने उसके कांपते हुए होंठों पर एक किस कर दिया.
मैंने अभी भी उसको अपने हाथों से टच नहीं किया था. उसके बाद आरती ने फिर आंखें खोलीं और मैंने अपने हाथों से ही उसकी पलकों को बंद कर दिया.

अब मैं थोड़ा और आगे बढ़ा, मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर अपनी कमर के दोनों तरफ रखवा दिया. फिर मैंने आरती को अपनी बांहों में लपेट लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसको चूसने लगा. उसके होंठ नहीं बल्कि शराब के प्याले थे. उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगे थे. इधर मैं उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पीने में लगा हुआ था. बहुत मजा आ रहा था. मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी.

तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां मेरे सीने पर दबाव बना रही हैं. उसकी चूचियां तनकर टाइट हो चुकी थीं. फिर मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और आरती को अपनी तरफ खींचते हुए उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूचियां तो जैसे मलाई थी. अब मेरा लंड बहुत जोर से फुदकने लगा था. फिर मैंने आरती के चूतड़ों अपनी तरफ खींच कर अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उसके बदन से सट गया. मैं आरती के शरीर पर अपने लंड को महसूस करवाना चाहता था.

दोस्तो, शादीशुदा लड़की को चोदना बहुत आसान होता है. इसका एक कारण यह है कि उन्हें सब कुछ पहले से ही पता होता है. इस तरह की लड़कियाँ घबराती नहीं हैं.
आरती ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी. उसके ब्लाउज के बटन पीछे की तरफ थे. मैंने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसके ब्लाउज के बटन को टटोला और फिर आराम से उनको खोलना शुरू कर दिया. मैंने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए उसके ब्लाउज के बटनों को खोलकर उसके ब्लाउज को उतार फेंका. उसकी चूचियां तो पहले से ही तनी हुई थीं इसलिए खोलते ही उछल कर मेरे हाथों में आ गईं.

उसकी चूचियां वैसे तो कड़क थीं लेकिन मलाई की तरह मुलायम भी थी. फिर मैंने उसकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. मैंने हल्के से उसकी साड़ी को खींचते हुए आरती को अपने बेड की तरफ ले जाना शुरू कर दिया. जब मैं उसको लेकर बेड के पास पहुंच गया तो मैंने उसको वहां पर आराम के साथ लिटा दिया.

मैंने कहा- आरती, अब तुम आंखें खोल सकती हो.
आरती ने कहा- आप बहुत ही रसीले हो साहब. यह कहकर आरती ने फिर से आंखें बंद कर लीं.
मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. जल्दी ही मैं भी नंगा हो गया.

मेरा लंड उछल-उछल कर दर्द करने लगा था. मैंने उसके पेटीकोट को जल्दी से खोला तो देखा कि उसकी चूत बिल्कुल नंगी थी. उसने नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी.
मैंने कहा- आरती, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल नंगी है. क्या तुम कच्छी नहीं पहनती हो?
उसने मेरी इस बात का जवाब दिये बिना ही कहा- साहब, बहुत रौशनी आ रही है. पर्दे बंद कर दो ना.
मैंने उठकर पर्दों को खींच दिया और रूम में थोड़ा अंधेरा हो गया. उसके बाद मैं तुरंत वापस आकर आरती के ऊपर लेट गया.

मैंने आरती के होंठों कस कर चूम लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा. फिर मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया. उसकी चूत पर घुंघराले से बाल थे. मुझे उसकी चूत के बाल बहुत अच्छे लग रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को मुंह में ले लिया और उसको पीने लगा. बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे.
उसके बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत की दरार पर लगा दिया. फिर उसकी बुर में घुसा दिया. उसकी चूत में मेरी उंगली ऐसे घुस गयी जैसे मक्खन में छुरी घुस जाती है. उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो चुकी थी. उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गई थीं. उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मस्ती से भर रही थी.
मैंने कहा- आरती रानी, अब क्या करना है?
वह बोली- साहब, अब और मत तड़पाइये. अब बस कर दीजिए.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं. जान कहकर बुलाओ.

उसने मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा- साहब कर दीजिए, अब मत तड़पाओ.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं.
वह बोली- साहब डाल दो न.
मैंने कहा- क्या डाल दूँ? मैंने शरारत करते हुए पूछा.
मुझे उसके मुंह यह सब सुनना बहुत मजा दे रहा था. वह बार-बार डालने की बात कह रही थी लेकिन मैं उसके मुंह से पूरी बात सुनना चाहता था.
वह बोली- यह लंड मेरे अंदर डाल दो ना साहब …

उसने मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये. मैंने भी उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- हाँ, मेरी रानी, अब यह लंड तुम्हारी चूत में अंदर जाएगा. कहो तो चोद दूँ तुमको?
वह बोली- हाँ साहब, मुझे चोद दीजिए.

आरती काफी गर्म हो चुकी थी. अब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को रख दिया. एक झटका दिया और लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया. उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. कभी उसके होंठों को, तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया. मैं आरती को चोदने में मशगूल हो गया.

मेरा मन कर रहा था कि उसको चोदता ही रहूँ. वह भी मेरे लंड से उछल-उछल कर चुदवा रही थी.
उसने कहा- साहब, आप तो बड़ी ही मस्त चुदाई कर रहे हैं. आह्ह् … आप बस मुझे चोदते ही रहिए. मुझे बहुत मजा आ रहा है. ओह्ह …

धीरे-धीरे आरती के हाथ मेरी पीठ पर कसने लगे थे. उसने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों पर लपेट दी थीं. साथ ही साथ वह नीचे से अपनी गांड को भी उछाल रही थी. वह चुदवा रही थी और मैं मजे से उसको चोद रहा था.
मैंने कहा- आरती रानी, तुम्हारी यह चूत तो मेरे लंड से चुदने के लिए ही बनी है. बहुत ही मस्त चूत है तुम्हारी. बहुत मजा दे रही है. बता ना, कैसी लग रही है मेरी चुदाई. मेरे लंड को लेकर कितना मजा आ रहा है मेरी रानी?
वह बोली- आप बस चोदते रहिए. बहुत मजा आ रहा है. आह्ह् … ओह्ह .. उफ्फ … उम्म …

इस तरह से हम दोनों बातें करते हुए बहुत देर तक चुदाई का मजा लेते रहे. उसके बाद अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए. लेकिन मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा था. 20 मिनट के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसके मुंह में डाल दिया और उसको चुसवाने लगा. अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे. जब वह लंड चूस रही थी तो मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. वैसे दूसरी औरत को चोदने का मजा ही कुछ और होता है यारो.
बल्कि दूसरी बार तो उसको चोदने में और भी ज्यादा मजा आया मुझे. इतना मजा आया कि मैं बता ही नहीं सकता. इस बार लंड ने भी मेरा बहुत देर तक साथ दिया. मेरे लंड को झड़ने में बहुत समय लगा. मैं उसको भरपूर मजा देता रहा.
फिर जब हम थक गए तो वह अपने कपड़े पहनने लगी.

मैंने कहा- आरती रानी, अब तुम चुदवाती रहना मुझसे.
वह बोली- आपने तो बहुत मस्त चुदाई की है साहब. मैं तो अब आपके ही लंड से चुदवाती रहूंगी. चाहे आप मुझे पैसे भी मत देना लेकिन अपने लंड से ही मेरी चूत को चोदना.

उसके बाद मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबा दिया और उसके हाथों को सहलाने लगा.
फिर मैंने आरती को अपने पास बेड पर लेटा लिया और बहुत देर तक उसके होंठों को चूसता रहा.

अब जब भी मौका मिलता है आरती खुद ही अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है.

पड़ोसन चाची चूत चुदाकर माल बनी

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मेरा नाम सुमीत है मेरी उमर 25 साल है। दोस्तों अब मैं तुम्हे अपनी सच्ची कहानी बता रहा हूं। मेरा दोस्त वरुण और राहुल है उसमें से वरुण तो बहुत ही हरामी है।

पिछले साल हमारे पड़ोस में एक औरत और उसका पति रहने आया। औरत का नाम सारिका था, वो क़रीब 30 साल की थी। हम दोनों में काफ़ी अच्छी बोलचाल थी। वो मुझे अपना फ़्रेंड मानती थी।
एक दिन मैं सारिका के घर गया, वो अपने घर के कपड़े धो रही थी पर उसका आधा स्तन सामने से बाहर निकला हुआ नजर आ रहा था। मेरा लंड एक दम फ़ूल गया। सारिका ने मुझे देखा और अपने मम्मे छुपा लिया। मैंने उसे ऐसी नजर से नहीं देखा था।

शाम को मैं और वरुण घर के बाहर खड़े हुए थे। सारिका झाड़ू मार रही थी और मुझे फिर उसका ब्लाऊज़ में से उसके उरोज दिखे। वरुण उसे देख कर बोला कि इतना बढ़िया माल हमारे पास है और हमारी उस पर नजर ही नहीं है।

वो एक दिन सारिका और हम तीनों को घुमाने ले गया। सारिका का पति उस समय बाहर गया हुआ था। उस दिन काफ़ी रात हो गयी थी। हम सब अपनी वैन में ही थे।

सारिका तो कार पर ही बैठे बैठे सो गयी थी। उसका पल्लू नीचा हो गया और डीप गला होना के कारण सारिका का आधा मोमा नज़र आने लगा। स्पीड ब्रेकर पर तो वो 75% बाहर आ जाता था। वरुण से रहा नहीं गया, उसने गाड़ी बहुत सुनसान जगह पर खड़ी कर दी। वरुण सारिका का मोमा चूसना लग गया।
सारिका चिल्लायी- ये क्या रहा है?
वरुण बोला- अपनी भूख मिटा रहा हूँ।
वो बोली- प्लीज ऐसा मत करो… मेरा पति को पता चल गया तो?
वरुण बोला- यार टेन्शन मत ले… उसे पता नहीं चलेगा।
आह बोलकर वरुण सारिका का मोटा मोटा मोमा चूसने लगा।

धीरे धीरे सारिका को मज़ा आने लगा।

फिर क्या था राहुल भी आ गया। उसका चिकना चिकना मोमा चूसने का कारण बहुत मोटा हो गया था। फिर हमने उसको पूरी नंगी कर दिया। नंगी औरत मैंने पहली बार देखी थी।
वरुण ने सारिका के मुंह में अपना लंड डाला। सारिका को लण्ड चूसना नहीं आता था।
फिर वरुण ने उसे ‘लंड कैसे चूसते हैं’ ये सिखाया।

फिर राहुल ने सारिका की चूत में अपना लण्ड डाला और जोर जोर से सारिका की चूत चुदाई करने लगा। सारिका की चूत इतनी नहीं खुली हुई थी। चूत मारते समय राहुल का पूरा सर हिल रहा था। राहुल का लण्ड झड़ने को हुआ और माल उसकी चूत में ही निकाल दिया।
फिर सारिका को वरुण ने चोदा। ये सब 3 बजे तक चलता रहा। सारिका की वासना पूरी मिट चुकी थी।

उसको अब उसे लण्ड खाने की लत लग गयी थी।

अगले दिन वरुण ने सारिका की गाण्ड भी मारी। अब तो वो रोज ही पांच घण्टा चुदाती थी।

एक महीने बाद सारिका का बदन पूरा भर कर मस्त दिखने लगा था। उसकी गाण्ड पूरी भर कर गोलाई में आ गयी थी। उसकी चूचियां मोटी होकर अब बहुत बाहर आ गयी थी। अब वो बहुत मस्त दिखने लगी थी।
मेरे पास सारिका की कई नंगी फोटो हैं।

विधवा भाभी की चुदाई – 1

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मेरा नाम राज है। मेरी उमर इस समय 24 साल की है। शादी के 3 साल बाद ही एक रोड दुर्घटना में भैया का स्वर्गवास हो गया था। मैं भाभी के साथ अकेला ही रहता था। मेरी भाभी का नाम ॠतू है। हमारा अपना खुद का बिजनेस था। भैया के स्वर्गवास होने के बाद मैं ही बिजनेस की देखभाल करता था। भाभी बहुत ही खूबसूरत थी। वो मुझे राज कह कर ही बुलाती थी। पापा और मम्मी का स्वर्गवास बहुत पहले ही हो चुका था। मैं एक दम हट्टा कट्टा नौजवान था और बहुत ही ताकाटवर भी था। भाभी उमर में मुझसे 1 साल की छोटी थी। वो मुझे बहुत प्यार करती थी। भैया के गुजर जने के बाद मैं भाभी की पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी। मैं सुबह 10 बजे ही घर से चला जाता था और फिर रात के 8 बजे ही घर वापस आता था।

ये उस समय की बात है जब भैया को गुजरे हुये 6 महीने ही हुये थे। एक दिन मेरी तबियत खराब हो गयी तो मैने मेनेजर से दुकान सम्भालने को कहा और दोपहर के 1 बजे ही घर वापस आ गया।

भाभी ने पूछा, क्या हुआ राज?

मैने कहा, मेरा सारा बदन दुख रहा है और लग रहा है की कुछ फ़ीवर भी है।
मेरी बात सुनकर वो परेशान हो गयी। उन्होने मुझसे कहा, तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो।

मैने कहा, मैने मेडीकल स्टोर से कुछ मेडीसीन ले ली है। मुझे थोड़ा आराम कर लेने दो।

वो बोली, ठीक है, तुम आराम करो। मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूं।

मैने कहा, नहीं, रहने दो, मैं ऐसे ही ठीक हूं।

वो बोली, चुप चाप अपने क्मरे में जा कर लेट जाओ। मैं अभी तेल ले कर आती हूं।

मैं कभी भी भाभी की बात से इन्कार नहीं करता था।

मैं अपने कमरे में आ गया। मैने अपनी शर्ट और पेन्ट उतार दी और केवल बनियान और नेकर पहने हुये ही लेट गया। मेरा नेकर एक दम ढीला था और थोड़ा छोटा नेकर ही पहनता था।

भाभी तेल ले कर आयी। उन्होने मेरे सिर पर तेल लगाया और मेरा सिर दबाने लगी। उसके बाद उन्होने मेरे हाथ, सीने और पीठ पर भी तेल लगा कर मालिश किया। आखिर में वो मेरे पैर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी। आखिर मैं भी आदमी ही था। उनके हाथ लगने से मुझे जोश आने लगा। जोश के मारे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मेरा नेकर तम्बू की तरह से उपर उठने लगा। धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरा नेकर एक दम तम्बू की तरह हो गया। मैं जानता था की नेकर के छोटा होने की वजह से भाभी को मेरा लण्ड थोड़ा सा दिखायी दे रहा होगा। वो मेरे पैरों की मालिश करते हुये मेरे लण्ड को भी देख रही थी और उनकी आंखे थोड़ा गुलाबी सी होने लगी थी। उनके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी। मालिश करने के बाद वो चली गयी। उसके बाद मैं सो गया।

शाम के 6 बजे मेरी नींद खुली और मैं उठ गया। भाभी चाय लेकर आयी। मैने चाय पी। उसके बाद मैं बाथरूम चला गया। बाथरूम से जब मैं वापस आया तो भाभी ने कहा, अब लेट जाओ, मैं तुम्हारे बदन की फिर से मालिश कर देती हूं।

मैने कहा, अब रहने दो ना, भाभी।

वो बोली, क्या मालिश करने से कुछ आराम नहीं मिला।

मैने कहा, बहुत आराम मिला है। वो बोली, फिर क्यों मना कर रहे हो।

मैने कहा, ठीक है, तुम केवल मेरे पैर की ही मालिश कर दो।

वो खुश हो गयी। उन्होने मेरे पैर की मालिश शुरु कर दी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मेरा नेकर थोड़ा पीछे की तरफ़ खिसक गया था जिस से भाभी को मेरा लण्ड इस बार कुछ ज्यादा ही दिखायी दे रहा था। भाभी मेरे लण्ड को देखते हुये मेरे पैरों की मालिश करती रही। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे लण्ड को देख कर वो भी जोश मे अने लगी थी।

थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मालिश करती हूं तो तुझे क्या हो जाता है। मैं कहा, कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे। उन्होने मेरे लण्ड पर हलकी सी चपत लगते हुये कहा, फिर ये क्या है।

मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लिये तो मैं मना कर रहा था।

उन्होने जोश मे भर कर मेरे लण्ड पर फिर से चपत लगते हुये कहा, इसे काबू में रखा कर।

मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता।

वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो। मैं जब उनके पैर की मालिश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे।

मैने मजाक करते हुये कहा, फिर वो क्या करते थे।

वो बोली, बदमाश कहीं का।

मैने कहा, बताओ ना भाभी, फिर वो क्या करते थे। भाभी शरमाते हुये बोली, वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं।

मैने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिये थी। उन्होने पूछा, क्यों। मैने कहा, आखिर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी। वो बोली, परेशानी किस बात की, आखिर मेरा मन भी तो करता था।

मैने कहा, मेरा भी मन भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं।

वो बोली, शादी कर लो।

मैने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।

उन्होने मुस्कराते हुये कहा, फिर बाथरूम में जा कर मुठ मार लो।

मैने अनजान बनते हुये पूछा, वो क्या होता है।

वो बोली, क्या सच में तुझे नहीं मालूम है कि मुठ मारना किसे कहते हैं।

मैने कहा, नहीं।

उन्होने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा, इसे अपने हाथ में पकड़ कर अपना हाथ तेजी से आगे पीछे करना। थोड़ी ही देर में इस में से ज्यूस निकल जायेगा और ये शान्त हो जायेगा।

मैने कहा, तुम मुझे थोड़ा सा कर के बता दो।
भाभी जोश में तो आ ही चुकी थी। वो बोली, तू बहुत ही बदमाश है। अपने लण्ड को बाहर निकाल, मैं बता देती हूं की कैसे करना है। मैने कहा, तुम खुद ही लण्ड को बाहर निकाल कर बताओ की कैसे करना है। उन्होने शरमाते हुये मेरे लण्ड को पकड़ कर नेकर से बाहर निकाल लिया। जैसे ही मेरा 9″ लम्बा लण्ड बाहर आया तो वो बोली, बाप रे, तेरा तो बहुत ही लम्बा है और मोटा भी।

मैने पूछा, अच्छा नहीं है क्या।

वो शरमाते हुये बोली, बहुत ही अच्छा है। मैने पूछा, भैया का कैसा था। वो बोली, उनका भी अच्छा था लेकिन तेरे जैसा लम्बा और मोटा नहीं था। मैने कहा, अब बताओ की कैसे करना है। उन्होने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपना हाथ आगे पीछे करना शुरु कर दिया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। वो भी जोश में आने लगी।

2 मिनट मुठ मारने के बाद वो बोली, ऐसे ही कर लेना। अब जा बाथरूम में।

मैने कहा, बाथरूम में क्यों, अगर मैं यहीं कर लेता हूं तो इसमें क्या बुरायी है।

वो बोली, तेरा ज्यूस यहां गिरेगा और मुझे ही साफ़ करना पड़ेगा।

मैने कहा, मैं ही साफ़ कर दूंगा। वो बोली, ठीक है, यहीं कर ले। मैं जाती हूं। मैने उनका हाथ पकड़ कर कहा, तुम यहीं बैठो ना। वो बोली, तेरे लण्ड पर हाथ लगने से मुझे पहले ही थोड़ा सा जोश आ चुका है। अगर मैं तुझे मुठ मारते हुये देखूंगी तो मुझे और ज्यादा जोश आ जायेगा। फिर मेरे लिये बरदाश्त करना मुश्किल हो जायेगा। आखिर मैं भी तो औरत हूं और अभी जवान भी हूं। मैने कहा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करुंगा। वो बोली, मुझे पूरा भरोसा है तभी तो मैने तेरे लण्ड को पकड़ कर तुझे मुठ मारना बताया है। मैने पूछा, नेकर उतार दू या ऐसे ही मुठ मार लू। वो बोली, क्या नेकर भी खराब करेगा। उतार दे इसे।

मैने अपना नेकर उतार दिया और मुठ मारने लगा। भाभी मुझे मुठ मारते हुये देखती रही। मैं भाभी को देखता हुआ मुठ मार रहा था। धीरे धीरे वो और ज्यादा जोश में आ गयी। जोश के मारे मेरे मुह से आह… ऊह… की आवाज़ निकाल रही थी। वो मुझे और कभी मेरे लण्ड को देख रही थी। उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया और सहलाने लगी। मैने पूछा, क्या हुआ। वो बोली, तू मुझे एक दम पागल कर देगा। मैं जा रही हूं।

मैने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, बैठो ना मेरे पास। वो चुप चाप बैठ गयी। मैं मुठ मारता रहा। भाभी जोश के मारे पागल सी हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में उन्होने मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली, अब रहने दे, अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा है।

मैने पूछा, क्या हुआ। उन्होने अपना पेटीकोट उपर कर दिया और बोली, देख मेरी चूत भी एक दम गीली हो गयी। तूने तो मुझे पागल सा कर दिया है। अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तू मेरी चूत को सहला दे, मैं तेरा लण्ड सहला देती हूं। मैने कहा, केवल सहलना ही है या कुछ और करना है। वो बोली, अगर तेरा मन करे तो मेरी चूत को थोड़ा सा चाट ले जिस से मुझे भी थोड़ा आराम मिल जायेगा। मैने कहा, कपड़े तो उतार दो। वो बोली, तू खुद ही उतार दे।

मैने भाभी के कपड़े उतार दीये। अब वो एक दम नंगी हो गयी। उनकी चूत एक दम साफ़ थी। मैने कहा, तुम्हारी चूत तो एक दम साफ़ है। वो बोली, मुझे चूत पर बाल बिलकुल भी पसन्द नहीं हैं इसी लिये मैं इसे हमेशा ही साफ़ रखती हूं। तेरा भी तो एक दम साफ़ है। मैने कहा, मुझे भी बाल पसन्द नहीं हैं। वो लेट गयी तो मैने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरु कर दी। वो बोली, ऐसे नहीं। मैने कहा, फिर कैसे। वो बोली, मुझे भी तो तेरा चूसना है। तू मेरे उपर उल्टा लेट जा और अपना लण्ड मेरे मुह के पास कर दे फिर चाट मेरी चूत को।

मैं भाभी के उपर 69 की पोजीशन में लेट गया। मैने उनकी चूत पर जीभ फिरना शुरु किया तो उन्होने मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी। मुझे खूब मज़ा आने लगा। भाभी भी जोश के मारे सिसकारियां भरने लगी। मैने उनकी चूत की दरार को अपने होंठो से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने जोर की सिसकारी ली।

मैने पूछा, क्या हुआ।

वो बोली, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर जोर से दबा।

मैने उनकी चूत की दरार को और ज्यादा जोर से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने मेरा लण्ड अपने मुह में और ज्यादा अन्दर ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। मैने एक अंगुली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से ज्यूस निकाल आया।

वो बोली, चाट ले इसे। मैने उनकी चूत का सारा ज्यूस चाट लिया। थोड़ी ही देर में मेरे लण्ड का ज्यूस भी निकालने लगा तो भाभी सारा का सारा ज्यूस निगल गयी। उसके बाद मैं हट गया और उनके बगल में लेट गया।

भाभी मेरा लण्ड सहलने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली, आज तो वो हो गया जो कि नहीं होना चाहिये था।

मैने कहा, मैने ऐसा क्या कर दिया।

वो बोली, तूने मुझे अपना लण्ड दिखा कर आज मुझे पागल सा कर दिया।

मैने कहा, मैने तो नहीं दिखाया था।

वो बोली, तेरा नेकर ही इतना छोटा और ढीला था की मुझे तेरा लण्ड दिखायी दे गया। मैं अपने आप को काबू में नहीं रख पायी इसी लिये मैने तुझसे पैर की दोबारा मालिश करने के लिया कहा था। मैं तेरा लण्ड देखना चाह्ती थी क्यों की मुझे तेरा लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा दिख रहा था। मैने कहा, अब तो देख लिया ना। वो बोली, हा, देख भी लिया और पसन्द भी कर लिया। मैने कहा, अब क्या इरादा है।

वो बोली, तू भी वही कर जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।

मैने कहा, ये ठीक नहीं है। वो बोली, क्या ठीक है क्या नहीं, मैं कुछ नहीं जानती। अगर तू मेरे साथ नहीं करेगा तो मैं मर जाऊगी। मैने पूछा, मैं तुम्हारे साथ क्या करूं। वो बोली, जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।

मैने कहा, मैने तो कभी देखा ही नहीं की भैया तुम्हारे साथ क्या करते थे। भाभी ने मेरे गालो को जोर से काट लिया और बोली, अब चोद दे मुझे।

मैने कहा, दर्द होगा।

वो बोली, तो मैं क्या करूं, होने दे। जो होगा देखा जायेगा। मैने कहा, तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं। भाभी का तो जोश के मारे बुरा हाल था। वो बोली, तू मुझे नहीं चोदेगा लेकीन मैं तो तुझे चोद सकती हूं। मैने कहा, फिर तुम ही चोदो।

मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था। भाभी मेरे उपर आ गयी। उन्होने मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपनी चूत के बीच रखा और दबाने लगी। उनके चेहरे पर दर्द की झलक साफ़ दीख रही थी फिर भी वो रुकी नहीं। मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत में घुसता ही जा रहा था। उनकी चूत बहुत ही टाईट थी। उन्होने दबाना जारी रखा तो थोड़ी ही देर में उनकी आंखो में आंसू भी आ गये। मैने पूछा, क्या हुआ। वो बोली, दर्द बहुत हो रहा है।

मैने कहा, फिर रुक जाओ ना, क्यों इतना दर्द बर्दाश्त कर रही हो। वो बोली, मैं पागल हो गयी हूं। अब तक मेरा लण्ड भाभी की चूत में 7″ तक घुस चुका था। दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल हो रहा था। तभी वो अपने बदन का सारा जोर देते हुये अचनक मेरे लण्ड पर बैठ गयी। मेरा पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत में समा गया। उनके मुह से जोर की चीख निकाली। उनका सारा बदन थर थर कांपने लगा। उनके चेहरे पर पसीना आ गया। उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी।

वो मेरे उपर लेट गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी। मैं उनकी कमर और चूतड़ को सहलने लगा।

तभी मुझे बदमाशी सूझी। मैने उनकी गाण्ड के छेद पर अपनी अंगुली फिरानी शुरु कर दी तो उन्हें मज़ा आने लगा।

अचनक मैने अपनी अंगुली उनकी गाण्ड में डाल दी तो उन्होने जोर की सिसकारी ली और बोली, बदमाश कहीं का। पहले तो कह रहा था की तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं। अब मेरी गाण्ड में अंगुली डाल रहा है। क्या मैं अब तेरी भाभी नहीं रह गयी।

मैने कहा, बिलकुल नहीं, अब तो तुमने मेरा लण्ड तुमने अपनी चूत में डाल लिया है। अब तुम मेरी भाभी नहीं रह गयी हो। वो बोली, फिर मैं अब तेरी क्या लगती हूं। मैने कहा, बीवी। वो बोली, फिर चोद दे ना अपनी बीवी को। क्यों तरसा रहा है मुझे। अब तो मैने तेरा पूरा का पूरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर ले लिया है। मेरी अंगुली अभी भी भाभी की गाण्ड में थी। मैने फिर शरारत की और कहा, मैं तुम्हें एक ही शर्त पर चोद सकाटा हूं।

वो बोली, कैसी शर्त।

मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड भी मारुंगा। वो बोली, अपनी बीवी से भी पूछना पड़ता है क्या। मैने कहा, मुझे नहीं मालूम।

वो बोली, तेरे भैया ने तो मुझसे कभी नहीं पूछा, जब भी उनका मन किया उन्होने मेरी चुदायी की और जब उनका मन हुआ तो उन्होने मेरी गाण्ड भी मारी। मैने कहा, इसका मतलब तुम भैया से गाण्ड भी मरवा चुकी हो। वो बोली, तो क्या हुआ, मज़ा तो दोनो में ही आता है। अब मुझे ज्यादा मत परेशान कर, चोद दे ना। मैने कहा, थोड़ा सा तुम चोदो फिर थोड़ा सा मैं चोदुंगा। वो बोली, ठीक है, बाबा।

भाभी ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये तो उनके मुह से चीख निकालने लगी।

मैने पूछा, अब क्या हुआ। वो बोली, दर्द हो रहा है। मैने पूछा, क्यों, अब तो पूरा अन्दर ले चुकी हो।

वो बोली, अन्दर लेने से क्या होता है। मेरी चूत अभी तेरे लण्ड के साईज की थोड़े ही हुयी है। मैने पूछा, मेरे लण्ड की साईज की कैसे होगी। वो बोली, जब तू मुझे कई बार चोद देगा तब। वो धीरे धीरे धक्के लगाती रही। मैने पूछा, तुम्हारी चूत को चौड़ा करने के लिये मुझे कितनी बार चोदना पड़ेगा। वो बोली, ये तो तेरे उपर है की तू किस तरह से मेरी चुदायी करता है। मैने पूछा, क्या एक बार में भी हो सकता है। वो बोली, बिलकुल हो सकता है, अगर तू मुझे पहली बार में ही कम से कम 1 घन्टे चोद सके तो। लेकीन मैं जनति हूं की तू ऐसा नहीं कर पयेगा। मैने पूछा, क्यों। वो बोली, तूने कभी किसी को पहले चोदा है। मैने कहा, नहीं। वो बोली, तो फिर तू 10 मिनट से ज्यादा रुकेगा ही नहीं। मैने कहा, रुकुनगा क्यों नहीं। वो बोली, तुझे मेरी चुदायी केरने में जोश ज्यादा आ जायेगा इस लिये।

भाभी को धक्के लगते हुये लगभग 10 मिनट हो चुके थे और वो इस दौरन 1 बार झड़ भी चुकी थी। तभी मेरे लण्ड का ज्यूस निकाल पदा और साथ ही साथ वो भी फिर से झड़ गयी।

वो मुस्कराते हुये बोली, क्या हुआ पहलवान। मैने कहा, वही हुआ जो तुम कह रही थी। वो बोली, मेरी चूत धीली करने के लिये तुझे कम से कम 1 घन्टे तक मेरी चुदायी करनी पदेगि। मैं ये भी जानती हूं की अगली बार तू ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट ही मुझे चोद पयेगा। इस तरह जब तू 3-4 बार मेरी चुदायी कर देगा तब कुल मिलकर 1 घन्टे हो जयेनगे और मेरी चूत ढीली हो जायेगी और तेरे लण्ड के साईज की हो जायेगी, समझ गये बच्चु। मैने कहा, बिलकुल समझ गया, मेडम।

भाभी ने मेरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर ही रखा और मेरे उपर लेट गयी। वो मेरे होंठो को चूमती रही और मैं उनकी चूंचियो को मसलता रहा। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड उनकी चूत में ही फिर से खड़ा होने लगा तो वो बोली, अब तुम मुझे चोदो। मैने कहा, जैसी आप की मरजी। वो मुस्कराते हुये मेरे उपर से हट गयी और लेट गयी। मैं उनके उपर आ गया। मैने उनकी चुदायी शुरु कर दी। मैं पूरे जोश में था और जोर जोर के धक्के लगाते हुये उनको चोद रहा था।

वो बोली, शाबाश बहादुर, बहुत ही अच्छी तरह से चोद रहे हो, चोदते रहो, रुकना मत, थोड़ा और जोर के धक्के लगाओ। मैने और ज्यादा तेजी के साथ धक्के लगने शुरु कर दिये। लगभग 15 मिनट की चुदायी के बाद मैं झड़ गया। भाभी भी इस चुदायी के दौरान 2 बार झड़ चुकी थी।

मैने उन्हें सारी रात खूब जम कर चोदा। वो भी पूरी तरह से मस्त हो गयी थी और मैं भी। सुबह तक मैं उ्न्हे 6 बार चोद चुका था। सुबह को मैने पूछा, तुम्हारी चूत मेरे लण्ड की साईज की हो गयी या नहीं।

वो बोली, जब तुमने मेरी 4 बार चुदायी कर दी फिर उसके बाद मैं चिल्लायी क्या। मैने कहा, बिलकुल नहीं। वो बोली, फिर समझ लो की मेरी चूत तुम्हारे लण्ड की साईज की हो गयी।

थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं एक बात तुमसे कहना चाहती हूं।

मैने पूछा, अब क्या है। वो बोली, मुझे तो तुम्हारा लण्ड बहुत पसन्द आ गया है। अगर तुम्हें मेरी चूत भी पसन्द आ गयी हो तो तुम मुझसे शादी कर लो। मैं तुमसे 1 साल छोटी भी हूं और जवन भी। मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूंगी और एक दम खुश रखूगी। अगर तुम मुझसे शादी नहीं करोगे तो मैं तो तुम्हारी रखैल बन कर रह जाऊगी। जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो मुझे कौन चोदेगा। भाभी खूबसुरत थी ही। मैं उन्हें बहुत प्यार भी करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी। उनकी बात सही भी थी क्यों की मुहल्ले के लोग बाद में उन्हें मेरी रखैल ही कहते।

मैने मजाक किया, अगर तुम मुझसे शादी करना चाहती हो तुम्हें एक काम करना पड़ेगा। वो बोली, मैं सब कुछ करने के लिये तैयार हूं। मैने कहा, तुमने उस पागल को देखा है ना जो हमारे मुहल्ले में घूमता रहता है। वो बोली, हां देखा है। मैने कहा, तुमने उसका लण्ड भी देखा होगा। वो बोली, देखा है। मैने पूछा, उसका लण्ड कैसा है। वो बोली, उसका तो तुमसे भी ज्यादा लम्बा और मोटा लगता है।

मैने कहा, मैं उसे एक दिन घर ले आता हूं, तुम उस से चुदवा लो।

वो बोली, ठीक है, ले आना। मैं तुमसे शादी करने के लिये कुछ भी कर सकती हूं। मैं उस पागल से भी चुदवा लूंगी।

मैने कहा, मैं तो मजाक कर रहा था।

वो बोली, तो क्या तुम समझी की मैं सच में ही उस पागल से चुदवा लूंगी।

मैने कहा, मैं तुमसे एक ही शर्त पर शादी करुंगा।

वो बोली, मैने कहा ना की मुझे तुम्हारी हर शर्त मनज़ूर है।

मैने कहा, सुन तो लो। वो बोली, फिर सुना ही दो। मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड मारुंगा तब ही तुमसे शादी करुंगा।

वो बोली, जब मैने तुम्हारा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लिया तब ही मैं तुम्हारी बीवी बन गयी थी, भले ही हमारी शादी नहीं हुयी थी। अपनी बीवी से ये बात पूछी नहीं जाती। अभी मार लो मेरी गाण्ड।

मैने कहा, फिर सुहागरात के दिन मैं क्या करुंगा।

वो बोली, फिर रहने दो, सुहागरात के दिन तुम मेरी गाण्ड चोद लेना।

मैने कहा, एक दिक्कत और है।

वो बोली- अब क्या है।

मैने कहा, तुमसे शादी करने के बाद मैं सारी जिन्दगी किसी कुवांरी चूत को नहीं चोद पाऊगा।

वो बोली, मैं तुम्हारे लिये कुंवारी चूत का इनतजाम भी कर दूंगी। मैने पूछा, वो कैसे। वो बोली, ये मुझ पर छोड़ दो। मैने कहा, फिर मैं पण्डित से पूछ लेता हूं की हमें शादी कब करनी चाहिये। वो बोली, पूछ लेना। मैने पण्डित से बात की तो उसने 3 दिन बाद का मुहुरत बताया। 3 दिनो तक मैने ॠतू की खूब जम कर चुदायी की। अब उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा था।

ॠतू चुदवाते समय मेरा पूरा साथ देती थी इस लिये मुझे भी खूब मज़ा आता था।

तीसरे दिन हम दोनो ने मन्दिर में शादी कर ली। रात में मैने ॠतू की गाण्ड मारी। वो बहुत चीखी और चिल्लायी लेकिन उसने एक बार भी मुझे रोका नहीं। उसकी गाण्ड कई जगह से कट फ़ट गयी थी और उसकी गाण्ड की हालत एक दम खराब हो गयी थी। वो 2 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।

मैने पूछा, मैं जब तुम्हारी गाण्ड मार रहा था और तुम्हें इतनी ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं। वो बोली, मैं अपने पति को कैसे मना करती। आखिर बाद में मुझे भी तो गाण्ड मारवने में मज़ा आया। मैने कहा, वो तो आना ही था। अब मेरे लिये कुंवारी चूत का इनतेजाम कब करोगी। वो बोली, बस जल्दी ही हो जायेगा।

शादी के 4 दिन के बाद जब मैं दुकान से घर आया तो घर पर एक लडकी बरतन साफ़ कर रही थी। उसके कपड़े थोड़ा गन्दे थे लेकीन वो थी बहुत ही खूबसुरत। उसकी उमर लगभग 18 साल की रही होगी। मैं सीधा अपने कमारे में चला गया। ॠतू भी मेरे पीछे पीछे आ गयी।

मैने ॠतू से पूछा, ये कौन है। वो मुस्कराते हुये बोली, मैने इसे घर का काम करने के लिये रखा है। इसका नाम लाली है। पसन्द है ना तुम्हें। मैं इसे तुम्हारे काम के लिये भी जल्दी ही तैयार कर लू्ंगी। मैने कहा, तुम्हारी पसन्द का तो जवाब नहीं है। कहां रहती है ये।

ॠतू ने कहा, ये गावँ में रहती थी लेकिन अब यहीं रहेगी। मेरे भैया जब शादी में आये थे तो मैने उन से कहा था की मुझे घर का काम करने के लिये एक लड़की चाहिये। उन्होने ने ही इसे यहां पर भेजा है। ये हमारे साथ ही रहेगी। मैने कहा, जल्दी तैयार करो इसे। मैं इसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता हूं। वो बोली, थोड़ा सबर करो।

लाली बरतन साफ़ कर के कमारे में आ गयी। उसने ॠतू से पूछा, मालकिन, मैने घर का सारा काम कर दिया है, और कुछ करना हो तो बता दो। ॠतू ने कहा, तू तो मेरे गावँ की है, मुझे मालकिन मत कहा कर।

वो बोली, फिर मैं आप को क्या कह कर बुलाऊ। ॠतू ने कहा, तू मुझे दीदी कहा कर और इन्हें जीजू। वो खुश हो गयी और बोली, ठीक है, दीदी। ॠतू ने कहा, मेरी तबियत कुछ खराब रहती है इस लिये तू मेरे साथ ही सो जना। वो बोली, फिर जीजू कहन सोयेनगे। ॠतू ने कहा, वो भी मेरे पास ही सोयेनगे। वो बोली, फिर मैं आप के पास कैसे सो पौनगि। ॠतू ने कहा, मेरे एक तरफ़ तुम सो जाना दूसरी तरफ़ ये सो जायेगे। वो बोली, ये तो ठीक नहीं होगा।

ॠतू ने कहा, शहर में सब चलता है। यहां ज्यादा शरम नहीं की जाती।

वो बोली, ठीक है, मैं आप के पास ही सो जाऊगी।

हम सब ने खाना खाया उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने के लिये आ गया। मैने केवल लुंगी ही पहन रखी थी। थोड़ी देर बाद ॠतू और लाली भी आ गये। ॠतू ने बरा और पेन्टी को छोड़ कर अपने बाकी के कपड़े उतार दिये। उसके बाद उसने मैक्सी पहन ली। ॠतू ने लाली से कहा, अब तू भी अपने कपड़े उतार दे। मैं तुझे भी एक मैक्सी देती हूं, उसे पहन लेना।

वो बोली, नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूं। ॠतू ने कहा, मैं जो कहती हूं, उसे मान लिया कर। सोते समय सारा बदन खुला छोड़ देना चाहिये। वो बोली, जीजू यहां हैं।

ॠतू ने कहा, जीजू से कैसी शरम, ये तुझे पकड़ थोड़े ही लेंगे। उतार दे अपने कपड़े। लाली ने शरमाते हुये अपनी शलवर और कमीज़ उतार दी। उसका बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूंचिया अभी बहुत ही छोटी छोटी थी। ॠतू ने उसे भी एक मैक्सी दे दी तो उसने वो मैक्सी पहन ली।

ॠतू मेरे बगल में लेट गयी। लाली ॠतू के बगल में लेट गयी। हम सब कुछ देर तक बातें करते रहे। उसके बाद सोने लगे। थोड़ी ही देर में लाली सो गयी तो ॠतू ने मुझसे कहा, अब तुम मेरी चुदायी करो।

मैने कहा, इसके सामने। वो बोली, मैं चाह्ती हूं की ये हम दोनो को देख ले, तभी तो मैं इसे तैयार करुंगी। तुम मुझे खूब जोर जोर से चोदना जिस से ये जाग जाये। मैने कहा, ठीक है।

मैने ॠतू को जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया। सारा बेड जोर जोर से हिलने लगा। थोड़ी ही देर में लाली की नींद खुल गयी और वो उठ कर बैठ गयी। जैसे ही वो उठी तो मैने अपना लण्ड ॠतू की चूत से बाहर निकाल लिया। लाली ने जब हुम दोनो को देखा तो शरमा गयी। वो बोली, दीदी, मैं बाहर जा रही हूं। ॠतू ने कहा, क्यों, क्या हुआ। वो बोली, मुझे शरम आती है। ॠतू ने कहा, पागली, इसमें शरमाने की कौन सी बात है। तू अपना मुह दूसरी तरफ़ कर ले और सो जा। लाली उठ कर जाना चाहती थी लेकीन ॠतू ने उसका हाथ पकड़ लिया। लाली कुछ नहीं बोली।

वो ॠतू के बगल में ही लेट गयी लेकिन उसने अपना मुह दूसरी तरफ़ नहीं किया। ॠतू ने मुझसे कहा, अब तुम अपना काम जल्दी से पूरा करो, मुझे नींद आ रही है।

मैने ॠतू को चोदना शुरु कर दिया। लाली तिरछी निगाहों से हम दोनो के देख रही थी। 15 मिनट की चुदायी के बाद जब मैं झड़ गया तो मैने अपना लण्ड ॠतू की चूत से बाहर निकाला। ॠतू उठ कर बैठ गयी और उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। लाली ने शरम के मारे अपनी आखे बन्द कर ली। ॠतू ने अपना मुह लाली की तरफ़ कर लिया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने कहा, दीदी, अपना हाथ हटा लो। ॠतू ने कहा, मुझे तो ऐसे ही सोने की आदत है। अब सो जा। लाली कुछ नहीं बोली। उसके बाद हम सब सो गये।

सुबह हम सब उठ गये। लाली फ़्रेश होने चली गयी। ॠतू ने मुझसे कहा, अब तुम इसे बार बार अपना लण्ड दिखने की कोशिश करना लेकीन इसे हाथ मत लगाने देना। इसे ऐसा लगना चाहिये की जैसे तुम अपना लण्ड इसे दिखाने की कोशिश नहीं कर रहे थे। मैने कहा, ठीक है। लाली फ़्रेश हो कर आ गयी।

ॠतू ने कहा, अब तू घर में झाड़ु लगा ले। वो झाड़ु लगाने चली गयी। ॠतू ने मुझसे कहा, अब तुम जा कर फ़्रेश हो जाओ। आज से अपना टावेल साथ मत ले जना और एक दम नंगे ही नहाना, मैं लाली से तुम्हारा टावेल भेज दूंगी। मैने कहा, ठीक है।

कहानी जारी रहेगी।


एनुअल डे – वार्षिकोत्सव

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मैं अपने पाठकों से देरी के लिए माफ़ी चाहती हूँ !
और शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ अन्तर्वासना की पूरी टीम का कि उन्होंने मेरी कहानी अधूरी होने के बावजूद प्रकाशित की।

मैं अपनी पिछली कहानी टीचर्स डे में एक जगह ऐसी छोड़ी थी जहाँ पे में चाहती थी कि मेरे पाठक मुझसे सवाल करें…पर वो सवाल केवल मुझे एक ही इन्सान ने पूछा था .. जिसका जवाब मैं उन्हें दे चुकी हूँ .!!

साथ ही मेरी मेरे पाठकों से गुजारिश है कि मेरी कहानी पढ़के ये ना सोचें कि मैं एक अदद पार्टनर की तलाश मैं हूँ मैं जैसी हूँ सम्पूर्ण हूँ .. मुझे किसी की जरूरत नहीं इसलिए मुझे भद्दे और अश्लीलता भरे मेसेज ना करें, मेरी मेरे पाठको से इल्तिजा है की वो अगर ईमेल करके अपने विचार प्रस्तुत करेंगे तो अच्छा रहेगा.

अब कहानी पे आते हैं ..

टीचर्स डे के अगले दिन रविवार था यानि छुट्टी .. मैं सारा दिन उसके बारे मैं सोचती रही कि वो ऐसा क्यूँ है… जब मैं उस से बात नहीं करती तो मुझे दूर से निहारता है और जब मैं उसे अपनी और आकर्षित करती हूँ तो मुझे डांट देता है…

रात होते होते मैंने ये तय किया कि मैं उस से कल जाके बात करुँगी…

मैं अपने स्कूल की हेड गर्ल थी और सुबह पहले पीरियड से पहले और प्रार्थना के बाद मैं और मेरा एक सीनियर जो हैड बॉय था स्कूल का राउंड लगाते थे ये देखने के लिए की किसी क्लास में कोई दिक्कत तो नहीं है या कोई अध्यापक अगर अनुपस्थित है तो किस टीचर को उस क्लास में भेजना है.

मैं सीनियर हेड गर्ल थी तो मुझे 8 वीं क्लास से लेकर 12 वीं क्लास तक का राउंड लगना होता था .. और जूनियर हेड बॉय और हेड गर्ल जो 7वीं क्लास के थे वो पहली से लेकर 7 वीं क्लास का राउंड लगाते थे.

इसी तरह हर क्लास से होते हुए मैं अंत में 12 वीं क्लास के कामर्स सेक्शन में पहुँची… अटेंडेंस चेक करने के बाद बच्चों को काउंट किया और डायरी में नोट किया उसके बाद क्लास के मॉनिटर को बुलाके क्लास की कन्डीशन के बारे में पूछा (ऐसा हम हर रोज़ करते थे क्यूंकि 12 वीं में सब सीनियर होते हैं और सेनियर स्कूल अथॉरिटी की चीजों का नुकसान भी बहुत करते हैं जैसे कि ट्यूब लाईट तोड़ना या फ़िर खिड़कियों के शीशे तोड़ना ) उसके बाद .. मैंने सभी हौसेस के कैप्टेन्स को बुलाया ये बताने के लिए कि अगले महीने एन्नुअल फंक्शन है और इस बार मॉनीटरिंग कमिटी कि मीटिंग में डिस्कशन होगा और सब लोग अपने अपने हॉउस की तैयारी करके आएंगे.

(आपको बता दूँ हमरे स्कूल में 5 हॉउस थे पृथ्वी-भूरा, अग्नि-पीला, जल-नीला, आकाश-लाल, मोक्ष-गुलाबी..जिनके अपने अपने कलर की टी -शर्ट थी .. जोकि बच्चे बुधवार और शनिवार को सफ़ेद पैन्ट/ स्कर्ट के साथ पहनते थे। हर विद्यार्थी किसी ना किसी हाऊस से जुड़ा था। वरुण्जल हाऊस का कैप्टन था और मैं मोक्ष हाऊस की। गुलाबी मेरा पसन्दीदा रंग है। )

हमें ऊपर से सभी हाऊस के कैप्टन्स से सम्पर्क करने के आदेश थे। जब सभी कैप्टन्स अपनी अपनी सूचनाएं ले कर वापिस जाने लगे तो मैंने वरुण को रोका और कहा कि रिसैस में आकर मुझसे मिले अतिरिक्त सूचना के लिए, क्योंकि बार बार उसकी कक्षा में जाने से सबके मन में शक़ पैदा होता, इसलिए मैंने उसे इस तरह बुलाया था।

वो रिसैस में मेरी कक्षा में आया। इससे पहले कि मैं उससे कुछ कहती, उसने मुझे कहा कि मुझे पता है कि तुम्हें क्या कहना है। मैंने उस से पूछा कि क्या कहना है मैं भी तो जानू?

तो उसने कहा तुम मुझे थंक्स करना चाहती हो न कि उस दिन मैंने तुम्हें बारिश में तुम्हारे घर तक ड्राप किया .. एक बार तो में सकपका गई कि जो मैं कहना चाहती थी वो भी नहीं कहने दिया और जाने क्या राग अलापे जा रहा है ..

और हडबडाहट में मैंने कहा हाँ मैं यही कहना चाहती थी. बस मेरी मुंह से ये सुन के वो चला गया… मुझे बहुत गुस्सा आया ..

अगले हफ्ते मॉनीटरिंग कमेटी कि मीटिंग थी .. एक बड़ी लम्बी मेज़ थी जिसके एक तरफ़ सभी कक्षाओ के मोनिटर्स बैठे और एक तरफ़ हाउस के कैप्टेन्स और वाइस कैप्टेन्स। एक तरफ़ मैं थी और मैं ठीक उलटी साइड पर मेरा साथी था मीटिंग में ये तय हुआ कि ऑडिटोरियम, लाईट्स, साउंड, म्युझिकल इंस्ट्रुमेंट्स का प्रबंध स्कूल की तरफ़ से होगा और परफॉर्मेंस के आधार पर अंत में ग्रुप और सोलो ईनाम बांटे जायेंगे. ईनाम में एक घड़ी दी जायेगी सोलो पेरफोरमेर्स को और ग्रुप परफॉर्मेंस के सभी प्रतिभागियों को एक एक पारकर का पेन दिया जाएगा और कोई भी ग्रुप 5 लोगों से ज्यादा का नहीं होगा।

ज्यूरी में हमारी स्कूल की प्रधानाचार्या, मुख्य अतिथि, ड्रा से नाम निकाले हुए 2 अभिभावक और 2 अध्यापक होंगे. साथ ही होस्ट और होस्टेस का नाम भी हम ही निश्चित करेंगे उनके लिए नोटिस बोर्ड पे वोलंटियर्स को आगे आने का मौका दिया जाएगा.

कुछ दिनों बाद अलग अलग परफॉर्मेंस के ऑडिशन शुरू हुए उनमें से हमने 6 ग्रुप फाइनल किए जिनमें से 4 प्ले फाइनल में जाने के लिए चुने गए.

सोलो में हमने 4 सिंगेर्स और 4 डांसर्स को चुना. 2 लड़के दो लड़कियाँइन दोनों ही भागों में. उसके बाद पिछले साल के सबसे अच्छे शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए इनाम में स्वर्ण रजत और कांस्य पदक देने पर विचार हुआ और खेल में भी इसी तरह करने की योजना तय हुई. जो कि प्रधानाचार्या और हमारे मुख्य अतिथि बच्चों को उनके माता पिता के साथ प्रदान करेंगे. उसके बाद अंत में एक जोरदार प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम रखने का प्रस्ताव आया ताकि सभी लोग मुस्कराते हुए साल को अलविदा करें. साथ ही वार्षिकोत्सव के निमंत्रण पत्र ठीक एक सप्ताह पहले सभी बच्चों के माता पिता के पहुँचा दिए जायें ताकि वो उस दिन का कोई अन्य कार्यक्रम न रखें.

होस्टेस के लिए कोई उपयुक्त लड़की न मिलने पर सभी ने सर्व सम्मति से ये मन कि होस्टेस के लिए मुझे ही आगे जन होगा. और जो प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम था वो वरुण के जिम्मे लगाया गया.

धीरे धीरे वक्त गुज़रा और वार्षिकोत्सव का दिन आ ही गया हम लोग सभागार के मंच के एक दम पीछे थे सभी बच्चों को धीरज बंधा रहे थे कि मंच पे जाके घबराएँ नहीं.

मैंने एक गुलाबी रंग का पटियाला सलवार कमीज़ पहनी थी और बाल खुले थे कानों में प्लेटिनम टोप्स और चेहरे पे सिर्फ़ काजल और लिप गार्ड थी। वरुण ने सफ़ेद कुरता और ब्लू जींस पहनी थी. परदा खुला और मैंने शुरुआत की और सभी का स्वागत करते हुए सबको शान्ति पूर्वक बैठ जाने को कहा और सरस्वती वंदना से वार्षिकोत्सव का शुभ आरंभ किया.

सभी कार्यक्रमों के मंचन के बाद वरुण की बारी थी उसके स्टेज पे आते ही पूरा सभागार ठहाकों से गूँज उठा पहले मैंने उसे नहीं देखा पर दर्शकों के हँसने की आवाज सुनते ही मैंने गर्दन घुमा के जब उसकी तरफ़ देखा तो नाक पे चेरी जैसा कुछ था आंखें लाइनर से जबरदस्ती बड़ी बना राखी थी गलों पे जोकर जैसा गुलाबी रंग था और कपड़े… लाल रंग की निकर और पीले रंग की पोल्का डोट्स की शर्ट पहनी जिस पे फ्लेयर्स लगे थे वो पूरा एन्टीक पीस लग रहा था, और ऐसे चल रहा था जैसे सच मुच के जोकर चलते हैं.

फ़िर उसने मेरी तरफ़ देखा और गिर गया जान बूझ कर और मेरे पास आ के बोला जी क्या मैं ले सकता हूँ… मैंने कहा क्या .. उस वक्त माइक ओन था. सब लोग सुनते ही हंस पड़े .. फ़िर कहने लगा जी मैं तो माइक की बात कर रहा हूँ.

उसे माइक सौंप के मैं परदे के पीछे चली गई और फ़िर जो उसने अपने चुटकुलों से समां बंधा कि मैं परदे के पीछे होते हुए भी अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि हमारे कार्यक्रम का ये भाग इतना सफल होगा उसने कई सवाल किए जैसे कि

दुनिया मैं ऐसा कौन सा गेट है जिसमें कोई घुस नहीं सकता >> कोलगेट
ऐसी कौन सी कली है जो कभी नहीं खिलती >>> छिपकली

उसका कार्यक्रम ख़त्म होने ही वाला था कि अचानक फायर अलार्म बजने लगा. जल्दी जल्दी मैं सभी को सभागार से निकाल कर पास के ही एक मैदान मैं ले जाया गया.

मैं और मेरे साथ के समिति के सदस्य सभी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे .. और सभी अभिभावकों को अपने बच्चे घर ले जाने की इजाज़त दे दी गई. सब घर चले गए. अगले दिन क्लास में ये अफवाह सुन ने को मिली कि सभागार की किचेन के पास जो फायर अलार्म था वो बजा था और शायद गैस के धुंए की वजह से फायर अलार्म बज उठा हो.

पर बाद में जब प्रधानाचार्य ने आके असेम्बली में खेद प्रकट किया और हमें सूचित किया कि हमारे स्कूल का हेड बॉय शौचालय में धुम्रपान कर रहा था जिस वजह से फायर अलार्म बजा चूँकि किचेन और शौचालय दोनों पास ही थे इसीलिए इस बात का पता नहीं लग पा रहा था कि वजह क्या थी.

उसके बाद CCTV से देखा गया कि अलार्म की आवाज़ आते ही हेड बॉय शौचालय से निकला उसके हाथ में अधजली सिगरेट थी उसने जमीन पे फेंकी और बुझा दी और बाहर की तरफ़ चला गया. इस मामले में हेड बॉय को 10 दिन के लिए स्कूल से निकाल दिया गया. और सबसे खुशी की बात तो ये थी हेड बॉय के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार वरुण ही था उसके बाद.
तो जाहिर सी बात है उसे हेड बॉय बना दिया गया. और हम रोज़ साथ में स्कूल के चक्कर लगते और धीरे धीरे हम दोस्त से अच्छे दोस्त बन गए. दोस्त होने के बावजूद हम में एक दम दुश्मनों की तरह लडाई होती थी.

हालांकि हम एक दूसरे के विचारों से सहमति जताते थे पर फ़िर भी हममें लड़ाई कुछ ऐसी बातों पर होती थी जिन्हें कोई सोच भी नहीं सकता था। ऐसा ही एक मुद्दा था मेरी स्कूल ड्रेस की स्कर्ट का साईज़… बढती हाईट के साथ मेरी स्कर्ट छोटी हो चुकी थी और अब वो मेरे घुटने से ऊपर आने लगी थी।
जब मैंने मां से नई स्कर्ट लाने की बात की तो उन्होंने यह कह कर टाल दिया कि अगले साल तो तुम्हारा स्कूल खत्म ही हो जाएगा तो सिर्फ़ एक साल के लिए मैं तुम्हें नई स्कर्ट लेके दूं? और मामला वहीँ दब गया.

फ़िर एक दिन मैं गेम्स पीरियड में ग्राउंड में बास्केट बाल खेल रही थी अब बास्केट में बाल डालने के लिए उछलना तो पड़ता है, तो जब बाल मेरे हाथ में आती और मैं बास्केट में डालती तो सब लड़के टक टकी लगाये मेरी जांघों को निहारने लगते ..

मुझे भी अजीब सा महसूस होता था कि बार बार मुझे ही क्यूँ मोका मिल जाता है बाल को बास्केट में डालने का .. वहीँ कुछ दूरी पर से वरुण स्टाफ रूम की तरफ़ जा रहा था उसके हाथ में नोटबुक्स थी नोटबुक्स स्टाफ रूम में रख के आने के बाद वो थोड़ी देर के लिए मेरा गेम देखने के लिए रुक गया और ये बात उसने नोटिस कर ली आख़िर लड़का है लड़कों की आदत नहीं जानेगा तो और किसकी जानेगा।

उस वक्त उसने मुझे पास बुलाके सिर्फ़ छुट्टी के समय रुकने को कहा कि उसे कोई बात करनी है। मैं आखिरी पीरियड टक यही सोचती रही कि आखिर उसे ऐसी क्या खास बात करनी है जो वो तब नहीं कर सकता था।

मैं छुट्टी के बाद गेट पे उसका वेट कर रही थी वो अपने फ्रेंड्स के साथ था .. मुझे देख उसने अपने फ़्रेन्ड्स को जाने के लिए कहा और कहा कि वो शाम को उन्हें कॉल करेगा.

मेरे पास आते ही उसने सीधे बोला ..’ मेरे पास दाल नहीं गली तो अपने क्लास के लड़कों को रिझाने मैं लगी हो ..’ मैंने उसे अजीब तरह से देखते हुए कहा,’ क्या बोल रहे हो दिमाग तो ठीक है .. पहले सोचो तोलो और फ़िर बोलो कि बोल क्या रहे हो…’

तो फ़िर कहने लगा तुमरे पास स्कर्ट लेने के पैसे नहीं है तो मेरे डैड की गारमेंट फैक्ट्री है मैं बनवा देता हूँ .. .बस ये सुनने की देर थी मेरा हाथ उस पे उठ गया पर उसने मेरा हाथ रोक लिया और मैंने कहा कि .. तब से देख रही हूँ बेसिर पैर कि बातें किए जा रहे हो .. अपनी हद मैं रहके बात किया करो .. जो कहना है साफ साफ कहो .. मुझे जलेबी कि तरह सीधी बातें समझ नहीं आती।

कहने लगा- तुम्हें नहीं लगता तुम्हारी स्कर्ट कुछ ज्यादा ही छोटी है? तो मैंने कहा इसमें लगने वाली क्या बात है वो तो छोटी ही है .. तो मुस्कुराते करते हुए कहता- तुम्हें ज़रा भी शर्म है के नहीं तुम्हारी क्लास के लड़के जाने तुम्हें कैसे देखते हैं जैसे तुम कोई नुमाइश की चीज़ हो !

तो मैंने कहा तुम्हें क्यूँ इत्ती जलन हो रही है अगर वो मुझे देखते हैं तो .. कुछ देर सोचने के बाद हडबडाते हुए बोला ‘तुम मेरी दोस्त हो तुम्हें हो न हो मुझे अपने दोस्तों की बहुत फिकर है और हाँ कल से अगर ये स्कर्ट पहन के आना हो तो प्लीज़ नीचे स्टाकिंग्स पहन के आना ..अब घर जाओ तुम्हें देर हो रही होगी और मैं रिक्शा से घर चली गई।

कुछ दिन बाद टेनिस टूर्नामेंट था जयपुर में हमारे ही स्कूल की जयपुर वाली ब्रांच में ..हमारे शहर में हमारा स्कूल टॉप पे था और इसीलिये हमें टूर्नामेंट के लिए बुलाया गया था .. वरुण का नाम सेलेक्ट हुआ था और उसके साथ कोई वंशिका नाम की लड़की थी जिसे मिक्स्ड डबल्स मैं उसके साथ खेलना था .. (ये बात वरुण ने ही मुझे बताई थी )

वंशिका !!! बेहद खूबसूरत चार्मिंग और फ़ैशनेबल लड़की थी उसके बाल करली थे और कमर से झूलते रहते थे, रंग सांवला, आँखों में मोटा मोटा काजल, नाक में सानिया मिर्जा टाइप नथ और कानों में बड़े बड़े बाले होते थे टाई हमेशा कालर से नीचे लटकती हुई शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए स्कर्ट इतनी छोटी कि किसी को नीचे झुक के देखने की जरूरत न पड़े पैरो में व्हाइट स्पोर्ट्स शूज़ टखने तक की जुराबें, कलाई पर अदीदास और नाइकी के बैंड्स. इसमें कोई शक नहीं कि वंशिका पूरे स्कूल में सबसे अच्छा टेनिस खेलती है। हालांकि कई और लड़कियां, जिनमें मैं भी हूं, अच्छा टेनिस खेल लेती हैं।

मैंने उसे वरुण के साथ प्रक्टिस करते हुए देखा था कई बार शाम को वरुण और वंशिका साथ में स्कूल ग्राउंड में प्रक्टिस के लिए जाया करते थे और मैं कभी कभी अपनी ट्युशन गोल करके उसे देखने जाया करती थी कि कहीं वंशिका मेरी जान पे डोरे तो नहीं डाल रही !

वरुण किसी लड़की के हाथ में आने वालों में से नहीं था। तब तक मैं उसकी बेस्ट फ्रेंड बन चुकी थ। हम दोनों बहुत झगड़ते थे पर बात किए बगैर रह भी नहीं सकते थे. 6 नवम्बर को वरुण और वंशिका को जयपुर के लिए निकलना था प्रशांत सर के साथ. 4 नवम्बर को मुझे 7 वें पीरियड में गेम्स रूम से बुलावा आया. वहां पे प्रधानाचार्या भी थी.

सर ने मुझसे पूछा कि क्या तुम टूर्नामेंट के लिए जाना चाहती हो. मैं कुछ समझ नहीं पाई और मैंने कहा कि सर वंशिका ने बहुत प्रक्टिस की है इस टूर्नामेंट के लिए, इसीलिए प्लीज़ उसे जाने का मौका दिया जाए।

पर उन्होंने मुझे बताया कि वंशिका के पैर में कल दोपहर को खेलते समय मोच आ गई थी शाम को एक्स-रे के बाद पता चला है कि उसका पैर भागते वक्त मुड़ने कि वजह से फ्रक्चर हो गया है और सेकंड बेस्ट प्लेयर रुपाली का मैच दूसरे स्कूल के साथ है इसीलिए वो भी नहीं चल सकती .. तो बची सिर्फ़ तुम क्या चल सकती हो तुम ..पहले मैंने बहाना बनाया सर मेरी ज्यादा प्रक्टिस भी नहीं है तो सर ने मुझे यह कहकर आश्वस्त किया वरुण अच्छा खेलता है तुम्हें उसके साथ खेल के कुछ न कुछ सीखने को ही मिलेगा.

मैंने हालात सुन के हाँ कर दी मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था .. और फ़िर अपने स्कूल का नाम रोशन करने का इस से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है और सोने पे सुहागा तो ये था कि वरुण का साथ मिलेगा पूरे तीन दिन ..!!

शायद भगवान् भी यही चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझें इसीलिए उन्होंने हमें आपस में घुलने मिलने का एक स्वर्णिम अवसर दिया था। सुबह 8 बजे हमने जयपुर जाने वाली बस ली। बस में काफी भीड़ थी इसीलिए बैठने कि सीट नहीं मिली। सर हमसे कुछ ही दूरी पर खड़े थ… वरुण और मैं दोनों साथ में खड़े थे मैंने पय्जामी और कमीज़ पहनी थी और उसने जींस और टी शर्ट। वो क्यूट लग रहा था। भीड़ हर स्टैंड के गुजरने के साथ बढती जा रही थी।

जैसे ही बस में ब्रेक लगती मेरा कन्धा उसके बाजू से टकराता था और में तुंरत पीछे हो जाती थी। उसे भी पीछे से धक्के लग रहे थे और मुझे भी. हम दोनों इतने करीब थे कि उसकी सांसें मेरे माथे को छूकर गुज़र रही थी। उसके सांसों की खुशबू लेते ही कुछ पल के लिए मुझे स्वर्ग में होने का एहसास होता।

फ़िर हमारे पास वाली एक सीट से एक अंकल उठे, उनका स्टाप आ गया था वरुण झट से बैठ गया (वो बहुत ही फुर्तीला है ) दो सीट आगे एक बूढी आंटी खड़ी थी, उसने उन्हें पास बुलाया और उन्हें सीट दी. ये देख कर में दंग रह गई कि उसके माँ बाप ने उसे कितने अच्छे संस्कार दिए हैं. वो जानता है कि बडो बूढों का आदर सम्मान कैसे किया जाता है। अब मेरे दिल में उसके लिए प्रेम ही नहीं इज्ज़त भी बढ़ गई थी। इसी बीच मैंने देखा कि हमारे अध्यापक को भी बैठने की जगह मिल गई थी।

जैसे कैसे कुछ स्टैंड के बाद हम दोनों को सीट मिल गई और हम बैठ गए। वो खिड़की की तरफ़ बैठा था. हवा का झोंका आते ही मैं उसके बदन की खुशबू को साफ महसूस कर सकती थ॥ मैं खिड़की से बाहर देखने के बहाने से उसे निहार रही थी कि वो कैसे हवा से गिरते अपने लंबे बालो को गालों पर से किस तरह से समेट रहा है।

फ़िर जब थोड़ी देर बाद उसे लगता कि मैं उसे देख रही हूँ तो मैं इस तरह खिड़की से बाहर देखती जैसे मैंने कुछ देखा ही न हो. फ़िर अचनक रास्ते में मौसम बेहद खुशगवार होने लगा आसमान में बदल छा गए मधुर मधुर हवा चलने लगी।

मैंने उस से कहा कि प्लीज़ मुझे बैठने दो .खिड़की पे ..
बहुत बार कहने के बाद उसने मुझे बैठने दिया. मैंने अपने बाल खोल लिए। अब मेरी लम्बी लम्बी जुल्फें हवा में लहराने लगी जो कभी उसके गालों को चूमती तो कभी उसके बदन से लिपट जाती.
वो मेरे बालों को हटाने की नाकाम कोशिश करता रहा. पर हवा काफी तेज़ थी. फ़िर मैंने आसमान से हलकी हलकी रिम झिम फुहारें गिरती देखी. और थोड़ा सा सूरज भी निकला था तब.
मुझे सिर्फ़ इन्द्रधनुष का इंतज़ार था। रेनबो तो नहीं पर एक मोर नाचता हुआ जरूर दिखा जिसे देखने की इच्छा में उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर अनजाने में रख दिया . जिसके लिए उसने मुझसे बाद में माफ़ी भी मांगी. हमारे सर जो आगे कहीं बस में खर्राटे भर रहे थे.

वरुण के साथ वक्त बहुत अच्छा गुज़र रहा था. उसने मुझे हंसा हंसा के मेरे गालो में दर्द करवा दिया. इसी बीच उसने मुझसे पूछा कि तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है.

मैंने कहा- नहीं.
उसने कहा तुम बहुत प्यारी हो तुमसे कभी किसी लड़के ने उलटी सीधी कोई बात नहीं की.
मैंने कहा- कही है मेरी क्लास के लड़कों ने भी कही है और मेरे कालोनी के लड़कों ने भी. जब भी कोई ऐसी बात करता है तो मेरा एक ही सवाल उनसे होता है कि क्या वो मुझसे शादी करेंगे. अगर वो कहते हैं- हाँ तो में कहती हूँ की ये सब तो फ़िर शादी के बाद भी हो सकता है इतनी जल्दी किस बात की है. और अगर वो कहते हैं न तो मैं कहती हूँ कि जिसे ख़ुद पे ही इतना भरोसा नहीं कि वो मेरे साथ जिंदगी बिता भी पायेगा के नहीं ऐसे इन्सान को में अपना सब कुछ कैसे सोंप दूँ…!! और बात यही ख़तम हो जाती है.

मेरी बात सुनके हँसते हुए उसने कहा तुम बहुत चालू लड़की हो सही ग़लत खूब समझती हो. पर मैं तुमसे पहली और आखिरी बार कह रहा हूँ- तुम मुझे इस तरह से मत देखा करो, हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं. अगर एक दोस्त की तरह रहोगी तो मुझमें एक सच्चा दोस्त पाओगी और अगर तुम दोस्त बन के नहीं रहना चाहती तो मुझसे दूर रहो. मुझ पे काफी जिम्मेदारियाँहै और अभी ये उमर भी नहीं है हमारी ये सब करने की, न ही ये कोई खेल है. ऐसे जल्दी में लिए फैसलों से जिंदगी बर्बाद भी हो सकती है. मुझे अब तक समझ नहीं आया कि वो मेरे मन की बात कैसे जान लेता है.

आज का अंक यही समाप्त हुआ अगला भाग आपको जल्दी ही मिल जाएगा…!!!!

मैं अपने पाठकों को अपनी कहानी के हर एक छोटे से छोटे पहलू से अवगत कराना चाहती हूं, इसलिए प्यारे पाठको! मैं जानती हूं कि आप कुछ और ही पढ़ना चाह रहे होंगे इस कहानी में, पर अभी उसमें बहुत देर है। इसलिए संयम बनाए रखें और पढ़ते रहें।

पड़ोस वाली भाभी की चुदाई

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मैं राहुल… आप लोगों को अपनी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूं।

एक दिन मैं अपने घर की तरफ़ जा रहा था कि मैंने देखा कि कोई मुझे बुला रहा है। मैं उनके पास गया तो देखा कि वो मेरे पड़ोसी हैं और बहुत ज्यादा पीने की वजह से वो चल नहीं पा रहे हैं। मैंने अंकल की मदद की और उन्हें उनके घर तक छोड़ने गया। डोरबेल बजाई तो एक औरत ने दरवाजा खोला जिन्हें मैं भाभी बुलाता था और जब उन्होंने मुझे अपने पति के साथ देखा तो चिड़चिड़ाना शुरू कर दिया।

मैंने कहा- पहले अन्दर तो आने दो फ़िर जो मर्जी कह लेना!
पर वो गुस्से से लाल हो रही थी। मैंने उनके पति को बेडरूम में ले जा कर लिटा दिया और वापिस जाने लगा तो मुझे अन्तर्वासना की एक कहानी याद आ गई और मैंने जानबूझ कर एक गिलास पानी मांगा तो भाभी पानी लेने चली गई। जब वो वापिस आई तो पानी पीने के बाद मैं उनसे बोला कि मुझे नींद आ रही है और मैं जा रहा हूं।

इस पर भाभी ने कहा- आप बहुत थक गए होंगे।
मैंने कहा- भाभी, कोई बात नहीं। मैं तो घर ही जा रहा था कि देखा भैया बुला रहे हैं.
तो वो बोली कि इनका तो रोज़ का काम है और आज तो हद कर दी इन्होंने!

मैं उनको समझा कर जाने लगा तो भाभी ने पूछा कि आप चाय लेंगे?
मैंने कहा- इतनी रात को क्यों तकलीफ़ करती हो भाभी!
तो वो बोली- क्या तकलीफ़! बस दो मिनट लगेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।

वो चाय बनाने चली गई और मैं टीवी देखने लगा। तभी टीवी पर एक ब्लू फ़िल्म आने लगी। करीब रात के 1 बजे और आप तो जानते हैं कि दिल्ली की कालोनी में देर से ब्लू फ़िल्म आती ही है। फ़िल्म देख कर मैं एक्साईटिड हो गया और मेरा लण्ड खड़ा हो कर पैन्ट की ज़िप तोड़ने लगा। इतने में भाभी चाय लेकर आ गई और मैंने चैनल बदल दिया। फ़िर हम चाय पीने लगे तो उनकी नज़र मेरी जीन्स पर गई तो मैं थोड़ा टेढा होकर बैठ गया। फ़िर वो मेरे जोब के बारे में पूछने लगी। मैं उनकी बातों का जवाब देता रहा।

अचानक उनके मुंह से छूटा कि तुम शादी कब कर रहे हो, तो मैंने कहा कि जैसे ही कोई लड़की मिल जाएगी। तो वो हंसने लगी और कहने लगी कि तुम्हारे लिए लड़कियों की क्या कमी है।
मैंने कहा- मुझे लड़की नहीं मैच्योर औरत चाहिए।
वो बोली- तुम पागल हो।
मैं चाय पीकर जाने को उठा तो वो बोली- क्या हुआ? नींद आ रही है?
मैंने कहा- नहीं भाभी, सुबह ड्यूटी पर जाना है।
तो वो बोली- बैठो, थोड़ी देर और गप्पें मारते हैं।

मैं बैठ गया। मुझे औरतों से बात करने में शरम आती है इसलिए कुछ बोल नहीं रहा था। जितना वो पूछती, केवल उसका ही जवाब देता और चुप हो जाता।
तब वो बोली कि तुम इतना चुप क्यों रहते हो।
तो मैंने कहा- पता नहीं।

अब मैं नोर्मल हो गया था पर पता नहीं भाभी का क्या इन्टेंशन था जो मेरी समझ में नहीं आ रहा था। शायद मैं गलत हूं पर आखिरकार मुझे लगा कि मुझे ही शुरूआत करनी पड़ेगी।
मैंने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया और बोला कि भाभी आप लोग फ़ैमिली प्लानिंग कर रहे हैं क्या?
वो बोली- नहीं! ऐसी कोई बात नहीं है।
“फ़िर आपकी शादी को कई साल हो गए हैं और आपके घर में नया मेहमान नहीं आया?”

तब भाभी ने बताया कि तुम्हारे भैया ने डाक्टर से चेक अप कराया था और डाक्टर ने उनमें कमी बताई है, उस दिन से ये शराब पीने लगे हैं और रोज रात को ऐसे ही लेट आते हैं।
मैं उन्हें दिलासा देने लगा और वो रोने लगी।

मैं उनके पास गया और उनके कंधे पर हाथ रख कर कहा- आप चिन्ता ना करें, सब ठीक हो जाएगा। फ़िर मैं थोड़ा पीछे हट गया क्योंकि मेरे दिमाग में गंदे ख्याल आने लगे थे।
तब भाभी बोली- कहाना बहुत आसान है पर जिस पर बीतती है उसे ही मालूम पड़ता है।
फ़िर मैंने उनका हाथ पकड़ा और कहा- आप चुप हो जाएं, नहीं तो मैं चलता हूं।
वो बोली- नहीं… बैठो… कोई और बात करते हैं, और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर बैठा लिया।

मैंने कहा कि आप कुछ दिनों के लिए अपनी मम्मी के पास चली जाएं तो आपका दिल बहल जाएगा।
वो मेरे करीब आ कर बोली कि वहां जाने की सोच तो रही हूं पर कोई साथ नहीं मिल रहा है और इनसे कहा तो कहते हैं कि छुट्टी नहीं मिल रही है।
” ठीक है… मेरी शनिवार की छुट्टी रहती है, मैं आपको छोड़ कर रविवार को वापिस आ जाऊंगा।” मैंने कहा।

फ़िर मैंने घड़ी की तरफ़ देखा तो मुझे लगा कि काफ़ी देर हो गई है और मैं चलने को उठा तो वो बोली- शनिवार तो कल ही है।
मैंने कहा- हां मैं तो भूल ही गया था।
तो भाभी बोली- तभी तो कहती हूं, शादी कर लो, कब तक अकेले रहोगे तो मैं हंस दिया।

फ़िर भाभी मेरी होबीज़ के बारे में पूछने लगी। मैंने एकदम से उनके और हस्बैंड के सम्बंधों के बारे में पूछा तो वो बोली क्यों मूड खराब करते हो।मैंने कहा कि बस पूछ ही रहा हूं। फ़िर वो उठने लगी तो मैं भी उठ गया और कहा कि भाभी आपको भी नींद आ रही है और मैं भी सोने जाता हूं।

फ़िर मैं अपने घर आ गया और सारी रात मुझे नींद नहीं आई। अगले दिन दरवाजा खटखटाने की आवाज से मैं उठा और दरवाजा खोला तो देखा कि भाभी खड़ी थी।
वो बोली- कैसे घोड़े बेच कर सो रहे हो और वो अन्दर आ गई।
मैंने पूछा कि भैया कहां हैं तो उन्होंने कहा कि ओफ़िस गए हैं, तुम घर आ जाओ, मैंने आलू के परांठे बनाए हैं।

मैं फ़्रेश होकर गया तो भाभी टेबल पर नाश्ता लगा रही थी। उन्होंने काली टी और कैप्री पहनी थी जिसमें उनके हिप्स साफ़ दिख रहे थे।मैंने अपना ध्यान वहां से हटाया और पूछा कि भाभी आज मुझ पर आप इतनी मेहरबान कैसे?
तो वो बोली- बस! ऐसे ही।

मैं नाश्ता करने लगा। खाते खाते मुझे धस्का सा लगा तो वो भाग कर मेरे पास आई और मेरी पीठ मसलने लगी और मुझे पानी पिलाया। उनका हाथ मेरी कमर पर नाच रहा था।
मैंने कहा- अब ठीक है।
वो बोली- तुम खाओ, मैं तुम्हारे पास ही बैठ जाती हूं।

उनका हाथ अभी भी मेरी पीठ पर था। खाते खाते मैंने जान बूझ कर अपना हाथ उनके बूब्स पर लगा दिया तो उन्होंने मेरी इस हरकत को नज़र अंदाज़ कर दिया। मैं हाथ धोने को उठते हुए अपने हाथ को उनकी जांघ पर रख दिया। हाथ धोने के बाद मेरे पीछे से भाभी तौलिया लेकर बोली – लो इससे पौंछ लो, और जैसे ही मैं मुड़ा तो वो मेरे बिल्कुल पीछे ही खड़ी थी और मेरे लिप्स उनके लिप्स से टकरा गए और वो शरमा गई। मैंने सोरी बोला तो वो बोली कोई बात नहीं।

नाश्ते के बाद हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे और भाभी धीरे धीरे मेरे पास आ गई। हम दोनो टीवी भी देख रहे थे। तभी अचानक टीवी पर एक किसिंग सीन आ गया। भाभी मुझ से पूछने लगी कि क्या तुमने किसी को किस किया है?
मैंने कहा- हां! किया है।
तो भाभी ने पूछा- किस के साथ?
मैंने कहा- आपको! अभी अभी।

तो वो हंस पड़ी और कहने लगी कि वो कोई किस है।
मैंने कहा- किस्मत से ज्यादा कभी किसी को नहीं मिलता।
तब उन्होंने कहा- ऐसा नहीं है, वो तो महज़ एक घटना थी।
मैंने कहा- जो समझ आए वो दुर्घटना और जो कुदरती हो वो घटना!
और वो हंस पड़ी, मुझे छूने लगी तो मैंने भी उनका हाथ पकड़ कर कस कर दबाने लगा। वो शरमाने लगी।
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
भाभी बोली- कुछ हलचल हो रही है।
मैंने पूछा- कहां?
तो वो बोली- नीचे।
मैंने देखा कि वो मेरे लण्ड को देख कर कह रही है।

मैंने तभी कहा- जब आप जैसी खूबसूरत औरत पास हो तो मेरा क्या भगवान की भी नियत डोल जाए।
वो बोली- अच्छा! क्या तुम्हें मैं इतनी खूबसूरत दिखती हूं?
मैंने कहा- हां! आप का फ़ीगर- वाउ! 32 30 36 ब्रिलिअन्ट!
तो वो बोली- नहीं! तुमने नापने में गलती कर दी- मैं 36 20 32 हूं।
तो मैंने कहा- क्यों झूठ बोलती हो।
तो उन्होंने कहा- खुद ही देख लो।
मैंने कहा- कैसे?
उन्होंने कहा- बताती हूं, उन्होंने झट से अपनी शर्ट उतार दी और हाथ में लेकर बोली- देखो! हैं ना 36!
मैंने कहा- भाभी चाहे कुछ भी हो, इनका साईज़ है जबरदस्त! मैं इन्हें छू लूं?
वो बोली- रुको! मैं अभी आती हूं.

और वो टायलेट जाकर वापिस आईं। मैं उनके पास गया और उनके होठों को चूमने लगा और ऐसी किस की कि मेरे ही रौंगटे खड़े हो गए। फ़िर मैं उनके बूब्स कस के दबाने लगा। वो सिसकारियां भरने लगी। अब मैंने उनके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया तो वो जैसे पागल हो गई। शायद मैं इसी तरह करता हूं और उनके निप्पलों पर अपनी जीभ चलाने लगा।

उन्होंने मेरे शोर्ट्स में हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया तो मैंने कहा- भाभी इसे चूसो!
तो भाभी मना करने लगी।
पर जब मैंने जोर दे कर कहा तो उन्होंने अपनी जीभ मेरे लण्ड पर छुआई। इससे उनको और भी मज़ा आ गया और कहने लगी और चूसने दो, तो मैंने कहा- पहले तो आप मना कर रही थी- अब क्या हुआ?
उन्होंने कहा- अच्छा लग रहा है। वो मेरे लण्ड को काफ़ी देर तक चूसती रही मगर मैं नहीं झड़ा। मैं उनकी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा तो वो बहकने लगी और मुझे नीचे दबाने लगी।

तभी मैंने उनकी चूत पर मुंह रख दिया और कुछ देर तक उनकी प्यासी चूत को चाटता रहा। इसी बीच वो दो बार झड़ चुकी थी और अपना सारा पानी मेरे मुंह में भर दिया था।
उन्होंने मुझे कहा कि वो अब थक गई है। तब मैंने अपना लण्ड उनके मुंह में डाल कर गीला कर लिया और हिलाने लगा।
वो तड़पते हुए बोली- क्यों तड़पा रहे हो, डालो ना!

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उनके भी कपड़े उतार कर पूरा नंगा कर लिया। अब उनकी चूत के मुंह पर लण्ड रख कर एक झटका दिया, जिससे वो चिल्ला पड़ी और कहने लगी- अरे! आराम से डालो। मुझे कुछ भी महसूस नहीं हुआ, मैंने फ़िर एक जोरदार झटका मारा और वो रो पड़ी। उनसे बरदाश्त नहीं हो रहा था मेरा मोटा लण्ड।

मैंने कहा- रुको! अभी दर्द कम कर देता हूं!
और मैंने उन्हें अपने उपर बुला लिया। वो मेरे ऊपर आकर मेरे लण्ड पर अपनी चूत को टिका कर धीरे धीरे डालने लगी और तेज़ तेज़ आवाज़ें निकालने लगी आह ह उ उ ऊफ़्फ़ च चो चोद चोद्…आह।
अब मैं समझ गया कि वो मूड में आ गई हैं। अभी मेरा आधा लण्ड ही अन्दर गया था। मैंने उन्हें ऊपर उठाया और उनकी कमर को पकड़ कर नीचे से ही एक झटका दिया जिससे वो चिल्ला पड़ी- उई मां!
इस बार मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में समा गया था। थोड़ी देर मैंने कोई हरकत नहीं की पर बीच बीच में मैं उनके बूब्स दबाता रहा। जब वो सामान्य हुई तो उन्होंने तेज़ी से कमर चलानी शुरू कर दी और जल्दी ही वो एक बार फ़िर झड़ गई।

वो मुझ से बोली कि तुम अब ऊपर आ जाओ। मैंने ऊपर उनकी टांगों के बीच में आ कर अपना लण्ड फ़िर से उनकी चूत में डाल दिया और तेज़ी से अपनी कमर को हिलाने लगा। उन्होंने अपने दोनो पैर ऊपर कर लिए जिससे उनकी चूत में ढीलापन महसूस होने लगा।
मैंने कहा- भाभी पैर नीचे कर लो.
और हमने अपने पैर आपस में जोड़ लिए और वो कमर उठा कर मुझसे चुदवा रही थी। मैं भी पूरी तन्मयता से उनको चोदे जा रहा था। मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं तो मैंने भाभी को बताया। उन्होंने कहा कि अन्दर मत झाड़ना, मेरे मुंह में झाड़ दो। भाभी ने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मैंने पूरे वेग से ढेर सारा वीर्य उनके मुंह में डाल दिया जिससे उनका पूरा मुंह भर गया। बाद में मैंने उनकी चूत को चाट चाट कर ठण्डा कर दिया।
तो यह थी मेरी भाभी की चुदाई की कहानी!

मैं और मेरी मौसी की लड़की गौरी – 1

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ये कहानी मेरी और गौरी की है। हम दोनो के नाम इसमें बदले हुए हैं। दरसल, गौरी मेरी मौसी की लड़की है।
मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी मम्मी की मौसी की लड़की की लड़की। गौरी मुझसे दो साल बड़ी है। गौरी के परिवार से हमारे बहुत अच्‍छे रिश्तें है।
गौरी को मैं बहन ही मानता था। परन्तु, मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी और उसके बड़े भाई ने ही बिगाड़ा था।

गौरी की नानी मेरी नानी के घर के पास ही रहती थी क्योंकि वो बहुत छोटी उम्र में ही विधवा हो गई थी और उनके केवल दो लड़की ही थी। इसीलिए मेरे नाना उनको अपने पास ही लियाऐं थे। और उनको अपना एक घर भी दे दिया था।
गौरी की नानी अकेली रहती थी इसीलिए गौरी की मम्मी ने गाँव में नानी के पास अपनी बड़ी लड़की रानी को छोड़ दिया था।

हुआ यूँ कि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ नानी के घर गया। शाम को मैं नानी के घर से गौरी की नानी के घर चला गया। वहाँ पर मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी मिली।

रानी ने दरवाज़ा खोला और मुझको अंदर बुला लिया। मैं अंदर पहुँचा और एक खाट पर बैठ गया। वहीँ पर रानी भी मेरे पास बैठ गई। कुछ देर तो उसने मुझसे बात की। फिर थोड़ी देर बाद वो लेट गई और अपनी सलवार में हाथ डालकर हिलाने लगी।

कुछ देर तो मैं भी यूँ ही देखता रहा और फिर मैंने पूछा के ये क्या कर रही हो। उसने कहा के मेरी चूत में खुजली हो रही है। मैं इसको खुज़ा रही हूँ।

मैंने कहा- ये चूत क्या होती है तो वो बोली अभी तू बच्‍चा है बड़ा हो कर जब चूत मारेगा तो सब समझ जाएगा।

मैंने कहा- मारेगा?
तो वो बोली- हाँ तभी तो बच्‍चे पैदा होते हैं।
मैंने कहा- इसे कैसे मारते हैं?
वो बोली- किसी से तू कुछ कहेगा तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं।
तो बोली- वादा कर !
मैंने कहा- वादा रहा।

फिर उसने झट से अपनी सलवार उतार दी और मुझसे बिल्कुल चिपक गयी। मुझे कुछ पता ही नही था मेरी समझ में नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। फिर मैं बोला- ये क्या कर रही हो?

वो बोली- चूत मारना सीखना है या नहीं?

मैं चुप रहा।

फिर वो बोली- तू मुझको आज खुश कर दे फिर तुझको मैं गौरी की चूत भी दिलवा दूँगी.
मैंने कहा- गौरी की?

वो बोली- हाँ। गौरी को कुछ दिन बाद एक लंड की जररूत होगी और तुझको एक चूत की। इसीलिए, तुम दोनो आपस में कर लेना।
मैंने कहा- अभी क्यों नही तो बोली अभी गौरी छोटी है।

मैंने कहा- कितने दिन और लगेंगे उसको वो बोली जब वो बडी होगी जब मैं तेरे से ही उसकी सील तुडवाऊंगी। अब तू चुप हो जा मुझको मज़ा आने लगा है।

फिर मैं चुप हो गया और उसे बस करते हुए देखता रहा उसने धीरे से मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को निकालकर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी और बीच-बीच में बोल रही थी कि खड़ा कर मुझे पता नही था कि खड़ा कैसे होता है।
फिर उसने मेरे छोटे से लंड को अपनी चूत पर रखकर ज़ोर से झटका मारा पर मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया था वो बोली इसे अंदर डाल ना मैं भी कोशिश करने लगा तो मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अंदर कर दिया और धीरे धीरे हिलने लगी अब उसका पानी निकलने लगा था।

वो बोली मुझको मज़ा आ रहा है थोड़ी देर और अंदर की तरफ ज़ोर लगा और ऊपर-नीचे हो।

मैंने ऐसे ही किया थोड़ी देर बाद फिर वो बोली अब हट जा मुझको तूने मज़ा दे दिया। और उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया। फिर वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली ये अभी छोटा है इसे बड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि लंड जितना बडा और मोटा होता है उतना ही लडकी और औरत को मज़ा आता है औरत और लडकी को बार-बार चुदने के ‍लिए कहीं ओर नही जाना पडता और तुझको भी तो बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि तेरा लंड भी तो टाईट और सही जायेंगा। जब लंड, चूत और गाँड में टाईट और सही जाता है तो फिर दोनो को खुब मज़ा आता है।

फिर उसने मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ङाल लिया और उसे चाटने लगी और उसे आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी।
फिर दरवाज़े पर कोई आ गया। उसने मेरे लंड को मुंह से निकाला और पैंट के अंदर कर दिया और मुझ से बोली अपनी पैंट बंद कर ले।

फिर वो उठी और सलवार का नाडा बाँधते हुए दरवाज़ा खोलने चली गयी। वहाँ पर एक पड़ोस का आदमी था। उन दोनो में कुछ बात हुई और वो चला गया फिर रानी अंदर आई।

मैं बोला- अब गौरी की सील कब तुड़वाओंगी फिर वो बोली अभी तेरा बहुत छोटा है इसे बड़ा कर।
मैंने पूछा- ये बड़ा कैसे होगा।
वो बोली- इसे चुसवाना !
मैंने कहा- तो तुम्ही बड़ा कर दो !

वो बोली- ठीक है। लेकिन जब तू मुझे मिलेगा तो मैं तेरा ये बड़ा करूंगी और तू मुझे खुश कर देना।
मैंने कहा- ठीक है।

फिर मैं अपनी नानी के घर आया और रात को खाना खाकर सो गया। सुबह हम जल्दी उठे और अपने घर पर आ गये।

अब मेरा रानी से कोई कॉन्टेक्ट नही था। दो साल बाद मैं एक दिन गौरी के घर गया वहाँ पर मुझे गौरी का बड़ा भाई मिला। वो दिन राखी का दिन था।

गौरी की गली की एक लड़की आ‍ई हुयी थी जो गौरी की सहेली थी। उसका नाम अंजू था। अंजू का रंग एक दम गोरा बिलोरी आँखें चूची छोटी छोटी बाल लंबे उसने एक महरुन फ्राँक पहन रखा था। फिर कुछ देर बाद गौरी के घर पर हम छुपा छुपी का गेम खेलने लगे।

गौरी, मैं, गौरी का बड़ा भाई, अंजू और गली के कुछ बच्चे। मैं, अंजू और गौरी बड़ा भाई एक स्टोर रूम में छुप गये।

वहाँ पर मैंने देखा के गौरी का बड़ा भाई अपना लंड निकल कर खड़ा था। उसका लंड बहुत बड़ा था। और वो अंजू को अपनी तरफ खींच रहा था। अंजू मना कर रही थी। और कह रही थी की गॅप सब को बता देगा। फिर गौरी के बड़े भाई ने मुझसे पूछा के तू बताऐंगा तो नही।

मैंने कहा- एक शर्त पर, अगर मुझे भी सिख़ाओगे तो !
वो बोला ठीक है। रात को सब कुछ बता दुंगा।

फिर उसने अंजू की फ्राक ऊपर की और उसकी कच्‍छी उतार दी। वो संदूक पर बैठा और अंजू को अपने ऊपर बैठा लिया और अंजू को ऊपर-नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे रानी की लंड बड़ा करने की बात याद आ गई।

मैं भी अंजू के मुहूँ में लंड देना चाहता था पर दरवाज़े पर खट खट की आवाज़ हुई अंजू एक दम खड़ी हो गई और अपनी कच्‍छी ऊपर की और हम सब बाहर आ गये।

अब गौरी के बड़े भाई की ढूंढने की बारी थी। अब की बार मैं और अंजू उस ही स्टोर में छुप गये। मैंने धीरे से अंजू का हाथ पकड़ लिया।

वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मैंने उससे पूछा की तुम क्या कर रहे थे। वो बोली तेरा भाई मेरी चूत मार रहा था।

मैंने कहा अच्‍छा तो ये बात है। फिर वो बोली तू भी मेरी चूत मारेगा क्या। मैंने कहा नही मुझे तो अपने लंड को बड़ा कराना है।

वो बोली- अच्‍छा तो लंड चूसवाना चाहता है। चल ठीक है, वो बोली निकाल अपना लंड देखो कितना बड़ा है।
मैं बोला- खुद ही निकाल ले।

उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड निकाल लिया।

जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ तो मेरा लंड बड़ा हो गया और एक रोड के समान सखत हो गया।

फिर मुझे अच्छा भी लगने लगा तो बोली तेरा लंड तो बड़ा हो गया मैंने कहा इसे और बड़ा कर। तो वो बोली, किसी को मारेगा क्या फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। करीब पाँच मिनट बाद वो बोली क्या पहली बार कर रहा है। तो मैंने उससे रानी के बारे में बता दिया।

तो वो बोली- रानी ने अपने भाई के साथ ही कर लिया।

तो मैंने कहा- तू भी तो भाई को राखी बाँधती है। वो बोली हम सगे तो नही है। मैंने कहा हम भी सगे नही है। फिर वो बोली चल बाहर चल वरना सब को शक हो जाऐगा।

फिर हम बाहर आ गयें और अंजू अपने घर जाने लगी।
अंजू बोली- गॅप घर आ जाना !
मैंने कहा- ठीक है।

रात को मैं और गौरी का बड़ा भाई अंजू के घर चले गये। अंजू के घर पर केवल वो और उसकी छोटी बहन ही थी। फिर मैंने भाई से कहा मुझे भी सीखना है।

वो बोला अभी रूक जा उसकी छोटी बहन को सो जाने दे। रात को करीब एक बजे अंजू हुमारे पास आ गई।

अब भाई मुझसे बोला तूने कभी चूत देखी मैंने कहा नही तो अंजू हँस पड़ी। मैं उसकी हँसी का मतलब समझ गया था। क्योंकि मैंने शाम को उसे रानी के बारे में बताया था। फिर भाई ने उसकी फ्राक ऊपर की और मैंने देखा कि अंजू ने फ्राक के नीचे कुछ भी नही पहन रखा था। फिर भाई ने उसे लिटाया और उसकी टांग ऊपर कर के चौडा दी। फिर वो बोला देख ये होती है चूत।

मैने देखा कि अंजू की चूत एक दम गुलाबी थी और उस पर घूघंराले बाल थे। फिर भाई बोला बहन की लोड़ी ! मैंने तुझसे कहा थे के बाल साफ कर लेना।

वो बोली- बहन के लंड ! तूने मुझको टाइम ही कहाँ दिया।
फिर भाई बोला- बहनचोद आज तेरी चूत ना फाडी तो मैं भी मर्द नही।

इतने में अंजू ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली तेरा लंड बड़ा करूं और उसने मेरी पैंट उतार दी। और अंडर‍वियर के बीच में हाथ डालकर लंड निकाल लिया।

फिर भाई से बोली ओऐं बहन के लौड़े ! जल्दी से चोद। मुझे वापिस अपनी बहन के पास जाना है।
वो बोला- ठीक है।

भाई ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे चूत मारने का तरीका बताने लगा। भाई ने अंजू की चूत की दोनो तरफ की खाल अलग कर दी।

अब उसकी चूत साफ दिख रही थी। भाई ने अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के लाल दाने पर रखा और एक ज़ोर से झटका दिया। अंजू को बहुत दर्द हुआ।

उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपना सर इधर उधर हिलाने लगी। और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था। फिर भा‍ई थोड़ी देर रुका। अंजू भी मुझे देख रही थी और मुझे भी मज़ा देना चाहती थी पर दर्द के कारण कुछ कर नही पा रही थी।

फिर कुछ देर बाद उसका दर्द बंद हुआ। फिर वो बोली कर ना ! जल्दी मुझे जाना है। और वो मेरा लंड पीने लगी अब मुझे और भी अच्छा लग रहा था। फिर भाई उसे चोदने लगा।

कुछ देर बाद अंजू के मुँह से निकाला के ज़ोर से चोद मेरी चूत फाड़ और वो मेरे लंड को जोर से और पागल की तरह चूस रही थी। फिर वो भाई से बोली लंड निकाल मैं झडने वाली हूँ। भाई ने अपना लंड निकाला तो भाई के लंड से सफेद पानी निकला।

मैं बोला- ये क्या है?
तो भाई बोला- इसी से बच्‍चे बनते हैं। इसी तरह का पानी इसकी चूत छोड़ रही है।
फिर मैंने कहा- मुझे देखना है !

तो भाई ने अंजू की टांग ऊपर की और उसकी चूत फाड़कर दिखाने लगा। तो अंजू की चूत से खून और सफेद पानी निकल रहा था। वो बोला आज इसकी सील टूटी है। इसी लिए इसकी चूत से खून निकल रहा है।

फिर मैं अंजू के पास गया और अंजू अपने आप ही मेरे लंड पकड़ कर चूसने लगी कुछ देर बाद मुझे अंदर कुछ अच्छा महसूस हुआ और मेरा सारा पानी अंजू के मुँह में निकल गया।

वो बोली ये क्या किया गंदा ना हो तो। मैंने कहा मुझे पता ही नही चला। फिर वो उठी और अपने आप को साफ करके और अपने कपडे सही करके चली गई।

अब मुझे गौरी के बारे में ख्याल आने लगा कि मैं भी उसकी सील तोड़ूंगा। क्योंकि मुझे गौरी की बड़ी बहन ने वादा किया था।

फिर उस रात मैंने भाई से सारा गुप्त ज्ञान ले लिया। और उसके बाद उसकी बहन गौरी को और रानी को, अपनी बुआ को, पडोस की तीनो बहुओं को, अपनी सग़ी चाची को, अपने मामा की लड़की को, अपनी दो मेडम को, अंजू को, अपने गुरु की तीसरे नंबर की लडकी को चोदा और इनके अलावा भी कईयों को चोदा है।

मैं और मेरी मौसी की लड़की गौरी – 2

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जब मैने गौरी की बड़ी बहन रानी और बड़े भाई से सब गुप्त ज्ञान ले लिया तो मुझे भी चूत और गांड मारने की इच्‍छा होने लगी। अब बस मैं गौरी के बारे में ही सोच रहा था की किसी दिन वो मेरे पास सो जाए। क्योंकि गौरी की बड़ी बहन की बात मेरे मन में घर कर गई थी। अब तो गौरी मुझे और भी अच्‍छी लगने लगी थी। बस अब तो मैं गौरी की चूत को और गांड को मारना चाहता था। पर ऐसा हुआ नही। क्योंकि उसके मम्मी और पापा बहुत सख्त है।

दो साल बाद, एक दिन मैं गौरी के घर गया। गौरी घर पर अकेले ही थी। वो घर का सारा काम कर रही थी। उसने अपने स्कूल की ड्रेस पहन रखी थी सफेद स्कर्ट और सफेद कमीज़। कमीज़ कुछ हल्के कपड़े में थी इसी लिए ज़हाँ भी उस पर पानी गिरता वहीं से सब कुछ दिखाई देने लगता। अचानक उसके हाथ से मग्गा छूट गया। और उसके उपर पानी गिर गया तो मैंने देखा गौरी ने तो सफेद ब्रा पहननी शुरू कर दी है। उसने अपने उपर के दो बटन भी खोल दिए और मुझे उसने देखा भी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी। मैं तो बस इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह गौरी मेरे पास सोए तो मैं उसके साथ कुछ करूं।

अब जैसे ही गौरी मग्गा उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी कमीज़ भी गले से अलग हो गई और उसकी अंदर से सफेद ब्रा साफ दीख रही थी। मैं तो उसकी ब्रा देखता ही रहा क्योंकि ब्रा का साइज़ बहुत बड़ा था। क्योंकि उसकी चूची उस से भी बाहर आ रही थी। उसकी बड़ी और गोरी चूची और भी अच्छी लग रही थी। मन तो कर रहा था कि उसकी दोनो चूची को बहुत तेज़ दबाकर उन में भरा सारा दूध निकालकर पी जाऊं। लेकिन क्या करता मजबूर था कि कही वो शोर ना मचा दे।

उस रात मैं गौरी के घर पर ही रुका था। और उसके बड़े भाई के साथ ही सो रहा था और वो मुझे अभी भी गुप्त ज्ञान की बात बता रहा था। सुबह को जब मैं उठा और नहाने के लिए गया। तो गौरी की ब्रा कपड़ो पर पडी हुई थी। मैंने उसे उठाया सफेद ब्रा क्या लग रही थी। वो सूती कपडे की थी। और फिर उसे चूमा और फिर उसे अपने लंड पर भी घुमाया उसका साइज़ देखकर मैं तो दंग रह गया। उसका साइज़ 36”था। मैं नहा कर बाहर आया और अपने घर आ गया।

उसके बाद कई बार और कई जगह पर गौरी‍ मिली पर मैं उससे इस बारे में बात नहीं कर सका। बस मैं ही जानता हूँ कि मैंने वो दो साल ‍िकस तरह से बिताए। फिर मैं एक दिन गौरी के घर गया तो मैं, गौरी और मौसी रात को सोने के लिए ऊपर चले गये। वो दिन आज तक मुझको याद है। गौरी और मेरे बीच में मौसी सो रही थी। मैं तो बस अब इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह हमारे बीच से मौसी हट जाएँ पर मौसी वही पर मुझसे बात करती रही और गौरी सो गयी। फिर मैंने भी मौसी से कहा के मुझे भी नीद आ रही है। और मैं सोने का बहाना करने लगा पर मुझे नीद नही आ रही थी।

फिर रात को एक बजे मौसी उठ कर नीचे चली गयी। मैं भी उठ कर नीचे देखने लगा और मैंने देखा की मौसी, मौसा के पास चली गयी। और उनकी खाट पर ही लेट गयी। मौसा मौसी के कपड़े उतार कर उन को चूम रहे थे। अब उन दोनो को देख कर मेरा लंड भी बहुत तेज़ झटकें मारने लगा। मैं गौरी के पास आया और उसे देखने लगा। गौरी आज भी स्कर्ट और कमीज़ में ही थी। मैं उसके पास ही लेट गया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा। गौरी ने दो बार मेरा हाथ हटाया पर आज का मौका मैं किसी किम्मत पर खोना नही चाहता था।

मैंने हिम्मत और डर के साथ उसकी कमीज़ के तीन बटन खोल दिए। अब उसकी ब्रा साफ दिख रही थी। सूती कपडे में ब्रा अच्छी लग रही थी और गौरी भी उस ब्रा मे अच्छी लग रही थी। र्मैं उसके बराबर मैं ही लेट गया और अपनी लूँगी उतार दी और धीरे से उसके हाथ में अपना लंड निकाल कर उसके हाथ पर रख दिया। और उसकी कमीज़ के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया। गौरी ने मेरा हाथ हटा दिया।

मैं कुछ देर सोचता रहा कि क्या करूं। फिर दोबारा से मैंने गौरी के ब्रा पर हाथ रखा अब की बार उसने कुछ भी नही कहा। मैं धीरे-धीरे उसकी चूची को दबाता रहा। फिर एक दम मुझको झटका सा लगा कि उसने मेरे लंड को पकड़ लिया मैं तो घबरा ही गया था। मैंने उसकी आँखो को देखा तो बंद थी। फिर मैं उसकी चूची को दबाने लगा उसके बाद मैंने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा कर हिलने लगा और दूसरे हाथ से उसकी स्कर्ट को उपर कर के उसकी कच्छी में हाथ डाल दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पर काटें से थे। मैंने उसकी चूत के उपर से हाथ फेरना शुरु कर दिया।

अबकी बार गौरी ने मेरे लॅंड को हिलाते हुए पकड़ लिया। मैने फिर उसकी आँखो में देखा, उसने आँख खोली और बंद कर ली। जैसे उसने कुछ देखा ही नही। मैं समझ गया था कि वो जाग चुकी है। पर सोने का बहाना कर रही है। अब तो मेरी हिम्मत ज़्यादा बढ गयी। मैंने उसकी कच्छी से हाथ निकाला और उसके और अपने उपर चादर डाली और उसकी कमीज़ को स्कर्ट से बाहर निकाला और कमीज़ के बाकी बचे हुए बटन भी खोल दिए और उसे अपनी तरफ कर के उसकी ब्रा को चूसने लगा अब उसे भी मज़ा आने लगा। उसने भी अपनी एक टाँग जाँघ तक मेरी टाँग के उपर इस तरह रख दी की मेरा लंड उसकी कच्छी के बीचो बीच चूत पर रहे। और फिर मुझे भी जोश चढा और मैं भी धीरे-धीरे झटके मारने लगा।

अब उसकी प्यासी चूत और मेरे प्यासे लंड के बीच बस उसकी कच्छी की नाम मात्र के लिए दीवार थी। मैं अपने लंड पर उसकी चूत और वो अपनी चूत पर मेरे लंड को महसूस कर सकती थी। फिर मैने उसके पीछे कमीज़ के अंदर हाथ डाला और उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी ब्रा अब ढीली हो चुकी थी। मैंने अपने मुंह से ही उसकी ब्रा को उपर किया। और उसकी चूची देखने लगा। मैने किसी लड़की की चूची पहली बार देखी थी। उसकी गोरी और बड़ी चूची मेरी आँखो के सामने बिल्कुल नंगी थी। मैं अब उसकी चूची को चूसने लगा उसके भी मुंह से एक दम सिश की आवाज़ निकल गई।

अब वो अपनी चूत से मेरे लंड पर ज़ोर देने लगी। अब मेरा लंड और भी मोटा और लंबा हो गया था। मैने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और उसकी कच्छी पर बिलकुल उसकी चूत के छेद के उपर रखकर धक्का मारा। और कच्छी समेत मेरे लंड के अगले भाग का बहुत थोड़ा सा हिस्सा ही अंदर गया और वो आहा करने लगी। क्योंकि वो अभी तक किसी से चूदी नही थी इसी लिए उसकी चूत बड़ी ही टाइट थी। फिर एक दम से उसने मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत से बाहर कर दिया। और अपनी चूत पर हाथ रख लिया।

फिर मैंने उसकी चुची पीना शुरु कर दिया। मैं तो बस अब उसकी चूत मारना चाहता था। वो फिर गरम हो गई और सीधी हो कर लेट गई। मैंने उठकर देखा कि वो आँख खोले पड़ी है, वो बोली सोने दे ना। मैं फिर से लेट गया थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसकी आँखो को देखा तो उसकी आँख थोड़ी थोड़ी खुल रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा पर धीरे से हाथ रखा। तो वो मेरी साइड करवट लेकर सोने लगी। मैं समझ गया कि वो दुबारा करना चाहती है। अबकी बार मैंने उसकी स्कर्ट उपर की और उसकी कच्छी उतारने लगा। पर उसने मेरा हाथ कच्छी से हटा दिया। मैंने फिर अपना एक हाथ उसके गोरे और मुलायम पेट पर फिराने लगा। मैं उसकी टूंडी के चारो तरफ अपने लंड को हल्के से रगड रहा था। फिर मैंने उसकी टूंडी में भी अपना लंड घुसाया और उसकी टूंडी को भी चोदा।

फिर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था। अब की बार गौरी ने अपने आप ही मेरे लंड को पकड़ लिया। शायद उसे दर्द हुआ था। तो वो मेरे लंड की मोटाई देख रही थी। फिर उसने मेरे लंड को छोड़ दिया। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी कच्छी पर ले जा कर उसकी चूत को सहलाने लगा। फिर मैं धीरे से उसकी कच्छी को उतारने लगा। अबकी बार मैंने उसकी कच्छी हाथ से पकड़ रखी थी। उसने फिर से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर अबकी बार मैं पूरा तैयार था और मैंने अपनी पकड़ बिल्कुल भी ढीली नही की। उसने मेरी दो उंगली मोड़ भी दी। पर मैंने भी उसका हाथ अपने दूसरे हाथ से मोड़ दिया। और उसने ऐसे आहा की जैसे उसको बहुत दर्द हुआ हो।

फिर मैने उसकी आँखो में देखा की उसके आंसू आ गये हैं। पर मैंने कोई दया नहीं दिखाई और उसकी कच्छी उतारने की कोशीश करता रहा। उसकी कच्छी फट भी गई पर मुझे उसकी कच्छी नहीं आज उसकी चूत फाडनी थी। फिर मैंने उसके कान में भी कहा कि मुझे आज कोई तेरी चूत फाड़ने से नही रोक सकता पर वो आँख बंद करके पड़ी रही। और मेरा आज का इरादा भी समझ गई। फिर उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया। और अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया। और उसे अपनी टूंडी पर धीरे-धीरे मलने लगी। जिससे कि मुझे बस यहीं से मज़ा आ जाऐं।

पर मेरा इरादा बदला नही और मैंने उसकी कच्छी को जाँघ तक नीचे कर दिया। फिर मैं उठा और उसकी चूत के और पेट के बीच में चूमने लगा। मैंने उसकी चूत पर हाथ भी फिराया था। तो मैंने अब देखा जो काँटे से थे वो उसके बाल थे। जो अभी-अभी निकल रहे थे। फिर मैं उसकी कच्छी को और नीचे करने लगा। तो उसने हल्की सी मुझे रोकने की कोशिश की पर मैने उसका हाथ हटा दिया। और उसकी कच्छी उतार दी। अब वो मेरे सामने नीचे से बिल्कुल नंगी थी।

फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। और कुछ देर में उसकी चूत से चिकना सा पानी निकल गया। मैंने सोचा कि वो झड़ गयी है। फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और ज़ोर का धक्का मारा। मेरे लंड का अगला टोपा अंदर चला गया मुझे भी दर्द हुआ और उसकी चूत की दोनो तरफ की खाल मेरे लंड से चिपक गई। वो दर्द के कारण अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। उसने अपनी चूत को छुडाने के लिए कई बार ऊपर उठाया तो कभी पीछे किया। मैं भी ऐसे ही करता रहा। वो अपनी चूत को ऊपर उठती तो मैं भी अपने लंड को ऊपर उठा देता और पीछे करती तो मैं लंड को आगे कर देता।

इसी चक्कर में उसे ऐसा झटका लगा कि मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो चुपचाप से लेट गयी। क्योंकि अब उसकी सील टूट चुकी थी। और उसे दर्द हो रहा था। दर्द से मन ही मन कराहती रही। और मैं उसकी चूत में अपने लंड को डालने की कोशिश करता रहा। क्योंकि वो भी पहली बार चुद रही थी और मैं भी पहली बार चोद रहा था। ना ही तो मुझे पता था कि कैसे उसका दर्द बंद हो और ना ही उसे। फिर मैं थोड़ा सा थक सा गया था तो मैं रूक गया।

मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला उस पर खून लगा था। मेरे भी खून निकल रहा था और उसके भी। उसने आँख बंद करके हाथ से ही खून पौंछने की कोशिश की पर उससे सही से पूंछा नहीं मैंने एक अख़बार उठाया और उसकी चूत पूंछने लगा। थोड़ा खून चादर पर भी गिर गया था पर डार्क कलर होने की वज़ह से दिख नहीं रहा था। फिर मैने जग से पानी लेकर चादर से भी खून साफ कर दिया।

अब मैंने घड़ी देखी तो चार बज गये थे। फिर मैंने देखा कि उसने अपनी चूत पर हाथ रख लिए है। मैं अपने हाथ से उसके हाथ हटाने लगा तो उसने हाथ रखे हुए दूसरी तरफ करवट ले ली। पर मुझे चैन नही था मैने उसको ज़बरदस्ती अपनी तरफ खींचा और वो बड़ी मुश्किल से सीधी हो गयी। मैं दोबारा से उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगा। अब उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रख लिया। मैंने धीरे से उसकी चूत में उंगली कर दी। वो फिर तड़प उठी और जैसे ही उसकी हाथ की पकड़ ढीली हुई मैंने उसके हाथ हटा दिए। और उसके ऊपर चढ गया।

अब मेरा खड़ा लंड उसकी चूत पर था। मैंने अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ा अबकी बार मैने ज़्यादा देर तक उसकी चूत पर रगड़ा और उसके चिकने पानी से अपने लंड को तर कर लिया था। फिर मैने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से झटका मारा अबकी बार एक ही बार में मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में चला गया। अब मैं देख रहा था कि क्या गौरी अभी भी सोने का बहाना कर रही है। जी हाँ, गौरी ने अभी भी अपनी आँखे बंद कर रखी थी। और थोड़ी-थोड़ी टिमटिमा रही थी।

फिर मैने धक्के लगाने शुरु किए। और गौरी को दर्द भी नहीं हुआ था। अब बीच-बीच में वो भी मेरा साथ दे रही थी। धीरे- धीरे मैं अपनी स्पीड बढा रहा था। फिर मैं अपने लंड को पूरा अंदर बाहर करने लगा अब तो गौरी को भी मज़ा आ रहा था फिर गौरी के मुंह से सी सिश आ आहा निकलने लगा मगर धीरे-धीरे लंड गौरी की चूत से निकले पानी के कारण इतना चिकना हो गया था कि बिना रूकावट के गौरी की बच्चेदानी के मुंह पर ही चोट करता था।

गौरी झड़ चुकी थी। क्योंकि अब उसने मुझे कसकर पकड लिया था। जब वो पूरी झड चुकी थी तो उसने मुझे छोड दिया। और अब मुझे भी पता चल गया था की वो झड चुकी थी। क्योंकि अब वो मुझको हटाना चाहती थी वो अपने हाथ से मुझे पीछे कर रही थी।

तभी मैने पूरा ज़ोर लगया और लंड को एक ही झटके में उसकी चूत में कर दिया था। गौरी मुझे चाहकर भी नही हटा पाई। फिर वो बेबस सी हो गई। अब मै ‍इस तरह ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था कि लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर करके उसकी चूत को मार रहा था। मुझे गौरी की बच्चेदानी का मुंह अपने लॅंड के आगे बार बार महसूस हो रहा था। फिर एक दम मेरे लंड से गौरी की चूत में पानी की धार छूट गई। उसी समय गौरी भी दुबारा झड़ रही थी।

फिर मैं गौरी से अलग हो कर उसके बराबर में लेट गया। गौरी की ब्रा, कमीज़ और स्कर्ट का नाडा अभी भी खुला हुआ था और गौरी की कच्छी भी उतरी हुई थी। गौरी सोच रही थी कि मैं ही उसे सही से कपड़े पहना दूँ पर अब मैं आँख बंद करके ऐसे पड़ा रहा जैसे कुछ देर पहले गौरी पड़ी हुई थी। मैं देखना चाहता था कि गौरी मुझे जगा कर कुछ पूछेगी या नहीं।

सुबह के करीब पाँच बज चुके थे। फिर गौरी अपने आप उठी और सबसे पहले उसने इधर उधर देखा। फिर उसने मेरे उपर चादर डाली और लेट गई लेटे-लेटे ही उसने अपनी ब्रा का हुक लगाया। मैं उसे आँख बंद करके देख रहा था। फिर उसने अपनी कमीज़ सही करी और उसके बटन भी बंद करे फिर उसने स्कर्ट ठीक करी और कच्छी पहनी। फिर वो चादर में अपनी गांड को मेरे लंड पर लगाकर लेट गई। जैसे ही उसकी गांड मेरे लंड पर लगी तो मेरा लंड खड़ा हो गया और उसके गांड के छेद में फस गया। अब मेरी उसकी गांड मारने की इच्छा होने लगी थी फिर उस दिन तो मैंने ऐसे ही उपर उपर झटके मारता रहा पर एक दिन मैंने उसकी गांड भी मार ही ली।

चाची की गर्म फ़ुद्दी की चुदाई

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मेरा नाम सन्नी है. मेरी उम्र २१ साल है. यह उस वक्त की बात है जब में बी एस सी में था और मेरी उम्र १९ साल थी. मेरे चाचा की उम्र ३५ साल थी और मेरी नई चाची की उम्र २३ थी। जिनका नाम सुमन है उनका फिगर ३६ -२८ -३८ है. उनके बूब्स बहुत सेक्सी हैं. जब वो लाल ब्रा और काली पैंटी पहनती हैं बहुत सेक्सी लगती हैं वो बहुत सेक्सी और प्यारी है। जब वो शादी के बाद हमारे घर में रहने लगी तो उनकी सेक्सी फ़ीगर का दीवाना हो गया। जब भी वक्त मिलता, मैं उनके साथ बैठता और उन से बातें करता। वो भी मुझे पसन्द करने लगी थीं, वो कहती थीं कि मैं उनका भतीजा नहीं बल्कि उनका देवर लगता हूं।

एक दिन घर के सभी लोग मेरे कज़िन की शादी में गए। मेरी वार्षिक परीक्षा चल रही थी इसलिए मैं नहीं गया, तो चाची ने कहा मैं भी नहीं जाऊंगी, मैं यहीं सन्नी की देखभाल करूंगी। चाचा ने भी हां कर दी।

मैं उनको स्टेशन छोड़ कर आया तो चाची ने खाना के लिए पूछा तो मैंने खाना लगाने को कह दिया। चाची ने कहा कि खाना तो तैयार है, तुम रसोई में ही आ जाओ, वहीं खा लेना। मैं रसोई में चला गया।

चाची खाना लगा रही थी कि बिजली चली गई। कुछ देर बाद गर्मी के कारण चाची का ब्लाऊज़ पसीने से भीग गया और उनकी ब्रा नज़र आने लगी। मैं खुश हो गया और उनके वक्ष देखने लगा। कुछ देर तो चाची को पता नहीं लगा पर बाद में उन्होंने भांप लिया कि मेरी नज़रें उनकी छाती पर हैं तो उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा कि क्या देख रहे हो। मैं घबरा गया और कहा कि कुछ नहीं, आप को गर्मी लग रही होगी, मैं खाना खा चुका हूं, आप कुछ देर बाहर जाकर हवा में बैठ जाएं।

उन्होंने कहा कि नहीं, मैं नहाने जा रही हूं, तुम दरवाजा चैक कर लेना। दरवाजा बंद करके मैं अपने कमरे में चला गया। बराबर में ही बाथरूम है और उस का एक दरवाजा मेरे कमरे में भी खुलता है।

अपने कमरे में पहुंच कर जब मैंने पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो एकदम मेरे जहन में ख्याल आया कि क्यों ना मैं चाची को नंगा देखूं? मैं फ़ौरन उठा और दरवाजे के की-होल से देखने लगा। वो मोमबत्ती की रोशनी में नहा रही थी। बड़ी मादरचोद लग रही थी, रण्डी की तरह मम्मे मसल रही थी अपने।

हे भगवान ! मैंने पहली बार उनको नंगा देखा था। उनके मम्मे इतने बड़े थे कि मैं बस उनको ही देखता रहा। मेरे शरीर में एक अजीब किस्म का करंट दौड़ गया। मेरा लण्ड एकदम खड़ा होने लगा।

मैंने उसे अपने हाथ में ले लिया और हिलाने लगा। हिलाते हिलाते बराबर में मेज़ पर रखा फ़ूलदान गिर गया। उसकी आवाज़ को सुन कर चाची ने मेरे कमरे वाले दरवाजे को खोल कर देखा कि क्या हुआ। मगर जब उन्होंने मुझे अपना लण्ड पकड़े हुए देखा तो एकदम चौंक गई। मैं भी एकदम अपने लण्ड को अन्दर करके ज़िप लगाने लगा। चाची भी तुरन्त चली गई।

45 मिनट के बाद उन्होंने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया तो मैं घबरा गया कि पता नहीं अब क्या होगा। खैर मैंने दरवाज़ा खोल दिया। चाची ने आसमानी रंग की साड़ी और मैचिन्ग ब्लाऊज़ पहन रखी थी। वो अन्दर आई और मेरे बेड पर बैठ गई। कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि मेरे पास आओ। मैं घबराते हुए उनके पास जा कर खड़ा हो गया। उन्होंने मुझ से पूछा कि तुम कितनी बार मुझे नहाते हुए देख चुके हो?

मैं एकदम घबरा गया, मेरे पसीने छूट गए। उन्होंने मेरी यह हालत देखी तो मुस्कुराई और कहा कि तुम मुझे बताओ, मैं किसी को नहीं बताऊंगी, अगर तुमने नहीं बताया तो मैं सबको बता दूंगी। मैंने फ़ौरन कहा – मुझे माफ़ कर दें ! यह पहली बार हुआ है, इससे पहले मैंने कभी ऐसा नहीं किया है।

उन्होंने कुछ देर बाद कहा कि क्या मैं तुम्हें अच्छी लगती हूं? मैंने कहा- हां ! आप मेरी चाची हैं मैं आपको बहुत पसन्द करता हूं।

उन्होंने कहा कि मैं जो कहूं, तुम मान लोगे?

मैंने कहा- आज़मा कर देख लें।

उन्होंने कहा- अपनी पैन्ट उतारो।

मैं सन्न रह गया।

उन्होंने कहा- अगर मेरा कहा नहीं मानोगे तो मैं सब को बता दूंगी कि तुम मुझे नंगा नहाते हुए देख रहे थे।

मैं और ज्यादा परेशान हो गया। उन्होंने फ़िर कहा कि अपनी पैन्ट उतारो।

मैंने कहा- क्यों?

उन्होंने कहा कि तुमने मुझे नंगा देखा है, मैं भी तुम्हें नंगा देखूंगी।

इसके बाद वो मेरे करीब आईं और जबरदस्ती मेरी शर्ट उतारने लगी। इससे मेरी आस्तीनें फ़ट गई तो मैंने कहा- अच्छा ! मैं उतारता हूं और मैंने अपनी कमीज़ उतार दी। फ़िर चाची ने कहा – पैन्ट भी उतारो। मैंने धीरे धीरे वो भी उतार दी। अब मैं अन्डरवीयर में उनके सामने खड़ा था। मुझे बहुत शरम आ रही थी।

इस पर उन्होंने कहा कि यह भी उतारो, मैं तुम्हें पूरा नंगा देखना चाहती हूं। मैंने मना कर दिया तो उन्होंने मेरे पास आ कर मुझे एक चपत लगाई और कहा- मादरचोद उतारता है या नहीं !

मैं उनके मुंह से गाली सुन कर हैरान रह गया। उन्होंने जलदी से मेरा अन्डरवीयर नीचे कर दिया। मेरा लण्ड उस वक्त ५” का था और किसी खम्बे की तरह खड़ा था।

चाची ने मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया तो मुझे एक अजीब सा मज़ा आया और मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई। उन्होंने कहा कि तुम्हारे चाचा का तो 3″ ही लम्बा होगा मगर तुम्हारा तो उस से भी बड़ा है। तुम्हारे चाचा तो सेक्स करना जानते ही नहीं हैं, उनका लण्ड मेरे अन्दर जाते ही पानी छोड़ देता है। क्या तुमने किसी से सेक्स किया है?

मैंने कहा कि नहीं। तो उन्होंने कहा कि आज मैं तुन्हें एक नया गेम सिखाऊंगी। तुम्हें फ़ुटबाल बहुत पसन्द है ना, यह खेल उससे भी ज्यादा अच्छा है।

उसके बाद उन्होंने मेरे होंटों पर किस किया। मैं भी अपना काबू खो बैठा और उनको अपनी बाहों में ले लिया। वो किस मुझे हमेशा याद रहेगी, उनके होंटों को जब मैंने अपने दांतों में दबाया तो मुझे बहुत मज़ा आया था। चाची ने मुझे २०-२५ मिनट तक किस किया, फ़िर कहा कि बेडरूम में चलो।

मैं नंगा ही उनके साथ बेडरूम में चला गया। वहां पर चाची ने मुझे बेड पर धक्का दे दिया और मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर आइसक्रीम कई तरह चूसना शुरू कर दिया। मैं तो आसमान पर पहुंच गया। मैं बता नहीं सकता कि कितना मज़ा आया था

कुछ देर बाद मैंने कहा- चाची अब मेरा निकलने वाला है, आप मुंह से मेरा लण्ड निकाल दें तो उन्होंने कहा कि मेरे मुंह में ही गिरा दो, मैं कब से लण्ड का पानी पीने को बेकरार हूं। मैंने ऐसा ही किया। मुझे अच्छी तरह याद है कि इससे पहले मेरा पानी इतना ज्यादा नहीं निकला था।

फ़िर चाची ने पूछा कि तुम्हें मेरे शरीर में सबसे ज्यादा क्या पसन्द है?
मैंने कहा- आप के स्तन।
तो उन्होंने कहा- दूर से तो देख ही चुके हो, क्या छूना चाहते हो?

यह सुनते ही मैंने उनको अपनी ओर खींच लिया और उनके ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगा। ब्लाऊज़ के नीचे काले रंग की ब्रा उनके बूब्स पर कसी हुई थी। मैंने उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही दबाना और चूमना शुरू कर दिया। फ़िर मैंने ब्रा खोलने की कोशिश की मगर मुझसे नहीं खुली। चाची हंस पड़ी और अपने आप अपनी ब्रा उतार दी।

उनके बूब्स देख कर मैं पागल हो गया, उफ़्फ़ ! इतने बड़े ! मैंने एकदम अपने मुंह में ले ली और चाची अजीब अजीब आवाज़ें निकालने लगी। मैंने उनके लाल लाल निप्पल चूस चूस कर बड़े कर दिए।

तब चाची ने कहा कि मुझे किस दो। मैं फ़ौरन उन के होंटों की तरफ़ बढा तो उन्होंने कहा- यहां पर नहीं ! नीचे ! मैंने कहा कि वहां पर मैं कैसे किस कर सकता हूं, तो उन्होंने कहा कि मैंने तो भी तुम्हारे लण्ड को चूसा था, अब तुम्हारी बारी है।

मैंने कहा- अच्छा ! कोशिश करता हूं!

फ़िर मैंने चाची की साड़ी खोली, पेटिकोट भी उतार दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मैंने उन को बेड पर लिटाया और उनकी चूत पर हल्के से किस की। मुझे बड़ा मज़ा आया। मैंने फ़ौरन अपनी जीभ उनकी चूत के होंटों पर रख दी और रगड़ने लगा।

उनकी सिसकारियां निकल गई लेकिन वो कह रही थी कि ” सन्नी ! खा जाओ मेरी चूत को ! मैं बहुत दिनों से प्यासी हूं ! मेरी चूत का पानी पी लो ! मुझ से बरदाश्त नहीं होता आह ह्ह आ आऽऽ यस फ़क मी यू बास्टर्ड यू मदर फ़कर ऽऽऽ”

मैं सोच रहा था कि कैसे मां की लोड़ी गालियां दे रही है. मुझे चाचा की किस्मत पर रश्क हो रहा था। वो रोज़ कैसे मजे से चाची को बजाते होंगे. कुछ देर बाद चाची की चूत में से भी मनी निकली।
मैं बहुत हैरान हुआ कि लेडीज़ की भी मनी निकलती है।

हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर बेड पर लेट गए। मैंने उन से पूछा कि क्या आपने शादी से पहले किसी के साथ सेक्स किया था? उन्होंने कहा कि यह मैं बाद में बताऊंगी, पहले मेरी चूत को ठण्डी तो कर।

मैंने कहा कि ठीक है मेरा लण्ड दोबारा चूसें।
चाची ने कहा कि ६९ पोज़ीशन में हो जाओ।
मैंने कहा- यह क्या होता है तो वो कहने लगीं कि सीधे लेट जाओ। मैं सीधा लेट गया, वो मेरे ऊपर इस तरह लेटीं कि उनका मुंह मेरे लण्ड की तरफ़ और उनकी चूत मेरे मुंह की तरफ़।
फ़िर उन्होंने कहा कि यह है ६९ पोज़ीशन। अब तुम मेरी चूत चाटो, मैं तुम्हारा लण्ड चूसती हूं।
हम दोनो चूसना और चाटना शुरू हो गए। ५-१० मिनट बाद मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा होने लगा था। पता नहीं उनके चूसने में क्या जादू था कि मेरा लण्ड इतना खूबसूरत कभी नहीं लगा।

मैंने कहा- क्या आप की चूत में डाल दूं?

उन्होंने कहा कि देर क्यों कर रहे हो, आ जाओ, लेकिन एक मिनट रुको, वो बेड से उठी और मेज़ की दराज़ से कन्डोम का पैकेट निकाला और मेरे लण्ड पे चढा दिया और कहा- मैं प्रेग्नैन्ट नहीं होना चाहती।
फ़िर उन्होंने मेरे लण्ड पर क्रीम लगाई और कुछ अपनी चूत पर भी लगाई और घोड़ी बन गई और कहा कि मेरे अन्दर आ जाओ मेरी जान ! मैंने अपने लण्ड की टोपी उनकी चूत पर रगड़ी।
चाची ने कहा कि क्यों तड़फ़ा रहे हो, जल्दी से मेरे अन्दर डाल दो। मैंने एक जोरदार धक्का लगाया तो चाची की चीख निकल गई। उन्होंने कहा – आराम से डालो।

मैंने आराम से धीरे धीरे करना शुरू कर दिया तो वो कहने लगी – मादरचोद ! बहनचोद ! चोद दे मुझे ! मेरी चूत फ़ाड़ दे आ आहऽऽऽ आ मज़ा आ रहा है, जोर से करो। अब मैं जोर से करने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में से निकाल लिया तो उन्होंने पूछा कि क्या हुआ? मैंने कहा कि मैं अपने अन्दाज़ में करना चाहता हूं। चाची ने कहा- तुम जो चाहो करो।

मैंने चाची को गोद में उठाया और अपना लण्ड उनकी चूत में डाल कर उनको उछालने लगा। मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी मगर इस अन्दाज़ में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

दस मिनट में मैंने चाची से कहा कि मेरी निकलने वाली है तो उन्होंने फ़ौरन मेरा लण्ड निकाल कर उस पर से कन्डोम हटा दिया और अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। मेरी मनी फ़िर निकल गई। कुछ देर बाद मैंने चाची से कहा कि मैं आपको फ़िर चोदना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि सब्र करो, अब कल करेंगे, हमारे पास पूरा एक हफ़्ता है।

मैंने कहा- अब आप अपनी कहानी मुझे सुनाएं।

उन्होंने कहा- मैंने सेक्स अपनी बहन के साथ किया था जिस का नाम सनम है। मैंने कहा कि आप उसी को बुला लीज़िए, मैं उसको भी मज़ा दे सकता हूं।

उन्होंने कहा कि ठीक है मैं बात करूंगी। कल तो मैंने उसे वैसे भी बुलाया ही हुआ है, डोन्ट वरी।
वो एक अलग कहानी है
आपको मेरी यह सच्ची घटना कैसी लगी

पड़ोस वाली भाभी को चोदा

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मेरी कहानी कुछ इस तरह है. 6 महीने पहले हमारे बाजु मे एक जोड़ा रहने आया. उनकी शादी हुए 7-8 साल हुए थे पार उनका कोई बच्चा नहीं था. और वो करीबन 32 साल के ही होंगे. उनके हसबंड का कुछ इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिज़नस था.

थोड़े दिन रहने के बाद उनकी हमारी जान पहचान हो गई और हमारा उनका आना जाना हो गया. थोड़े दिनों बाद उस भाभी और मेरी दोस्ती हो गयी. वोह बहुत सेक्सी थी, वेसे भाभी का फिगेर होगा 34 -28 -34 उसके बूब्स बड़े थे और सेक्सी थे जब वो चलती थी तो उसके बूब्स हिलते थे यह देख कर कोई भी मचल जाए.

उसका हब्बी अक्सर महीने मे 15 20 दिन बाहर रहता था और मैं जब भी उसके घर पर जाता तो उसको देखता ही रहता और उसको चोदने की सोचा करता और घर आ कर मुठ मारता था. मैं उसके बूब और गांड के बारे मे सोच सोच कर मुठ मारा करता था. मैं जब भी उसके घर जाता तो, उसे देख के मुझे लगता था की वो उदास उदास रहती है.

एक दिन जब मैं उसके घर गया तो उसका घर का दरवाज़ा खुला हुआ था और मैं बेल बजाये बगैर ही उसके घर मे चला गया तो मैंने देखा कि घर में कोई नहीं है वो बाथरूम मे थी तो मैं सोफा पर जाकर बैठ गया तो मैंने देखा कि वहाँ एक xxx बुक पड़ी है.
मैंने उसको उठा कर देखा तो उसमें xxx तस्वीरें थी सारी तस्वीरें बड़े लंड वाले मर्दों की थी. मैं यह देख कर एक दम गर्म हो गया और फिर मैंने वहीं पर बुक को रख दी, और भाभी बाथरूम मे थी उसकी और चल पड़ा और बाथरूम मे कहा से देखा जाए यह देखने लगा.

जब मैंने बाथरूम मे देखा तो भाभी पूरी न्यूड नहा रही थी और अपने सारे बदन पर साबुन लगा कर अपने बूब्स और चूत को रगड़ रही थी, यह देख कर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया भाभी अपनी चूत मे 2 ऊँगली अन्दर बाहर कर रही थी और हलकी हलकी सिसकार रही थी.

फिर उसकी ऊँगली जोर से चलने लगी, मैं समझ गया की यह अब झड़ने वाली है. तब मैं वहाँ से हट गया, यह देख कर मैं फ़ौरन अपने घर पर आ गया और अपने रूम मे आकर अपनी पेंट उतार कर अपना पूरा लंड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा. अब मुझे लगा की भाभी को क्या चाहिए यह मैं जान गया.

और यह सोच ने लगा कि कैसे भाभी को चोद सकूँ, क्यूंकि इस बीच उसका हब्बी भी 7 दिन के टूर पर बाहर जाने वाला था ,तब मुझे लगा कि यह कर सही मोका है भाभी को चोदने का. टूर पे जाते समय उसके हब्बी ने कहा कि 1 वीक के लिए तुम इसका ख्याल रखना, तो भाभी ने कहा कि कोई बात नहीं यह मेरा और मैं इस का ख्याल रखूंगी.

पहली रात को भाभी के घर पे खाना खाने के बाद मैंने भाभी को अपने फ्लैट की चाबी दे दी और कहा कि अगर मोर्निंग में मुझे उठने मे देरी हो गई तो प्लीज़ आप मुझे उठा देना. तो भाभी ने कहा कि कोई बात नहीं मैं तुमको उठा दूंगी और मैं चाबी देकर अपने फ्लैट पर आ गया.

और मोर्निंग में जब उठा तो मेरा लंड हार्ड था तो मैं भाभी के बारे में सोचने लगा और मेरे लंड और हार्ड हो गया तो मैंने अपना शोर्ट उतारा और भाभी को याद करके मुठ मारना शुरू कर दी।

मैं मुठ मारने में मशगूल था और अचानक मेरे बेडरूम मे भाभी मुझे उठाने आ गई मैं मुठ मारने में इतना मशगुल था कि मुझे पता कर नहीं चला कि भाभी कब आ गई उसने मुझे देखा और कहा कि क्या कर रहे हो मैं एकदम घबरा गया और अपना शोर्ट पहने लगा तो भाभी मुस्कुराई और कहा कि तुम्हारा तो बहुत बड़ा है इतने बड़े लंड को हिला हिला कर क्यूँ तंग कर रहे हो.

तो मैंने भाभी को कहा कि यह मुझे बहुत तंग करता है इस लिए हिला रहा हूँ तो उसने कहा कि मैं इस का आज तंग करना बंद करवा दूंगी. भाभी के सामने अपना 8′ का लौड़ा दिखा दिखा कर अपने हाथ से हिलाने लगा. मेरा आठ इंच का लंड फनफना कर खड़ा हो गया था.

भाभी मेरे खड़े लंड को देखते हुई बोली- सचमुच तुम्हारा लंड बहुत लम्बा और मोटा है. उस लड़की को बहुत मज़ा आएगा जो तुमसे चुदवायेगी.
इस पर मैं अपना लंड उनकी तरफ़ कमर हिला कर बढ़ाते हुए बोला- आप ही चुदवा कर देख लो कि कितना मज़ा आता है.
मेरी बात सुन कर भाभी बोली- हाय! अगर मेरे पति को पता चल गया तो बहुत ही बुरा होगा!
मैंने कहा- जब हम किसी को नहीं बताएँगे तो किसी को कैसे पता चलेगा?

यह सुन कर भाभी मेरी तरफ़ देखते हुए मुस्कुराने लगी और अपने होटों पर अपनी जीभ फेरने लगी. मुझे मालूम हो चुका था कि भाभी मुझसे अपनी चूत चुदवाना चाहती हैं, लेकिन पहल मेरी तरफ़ से चाहती है.
मैंने तब आगे बढ़ कर उनकी चुन्चीयों पर अपना हाथ रख दिया और उन्हें धीरे धीरे सहलाने लगा. भाभी कुछ नहीं बोली बस मुस्कुराती रही.

तब मैंने उनकी नाईटी उतार दी और मेरे सामने भाभी सिर्फ़ ब्लैक ब्रा और गुलाबी पैंटी अपनी जवानी का जलवा दिखाते हुए अधनंगी खड़ी थी. फिर मैंने उसकी ब्रा को निकाल फेंका मैं उनकी गोल गोल चुन्ची देख कर हैरान हो गया. उनकी चुन्ची कुछ लम्बे आकार की थी, लेकिन बिल्कुल तनी हुई थी. उनके एरोला करीब 1′ का था और निप्पल देखने में फूला हुआ मुनक्का लग रहे थे.

मैंने फिर धीरे से उनको अपनी बाँहों में ले लिया और उनके चुन्चीयों पर अपना पकड़ मजबूत करके उनको अपने दोनों हाथों में लेकर मसलने लगा. मैंने भाभी को अपनी बाँहों में भर कर कस कर जकड लिया.
भाभी भी मुझको अपने दोनों हाथों से पकडे हुए थी मैंने उनके दोनों होंठ अपने होंठों के बीच ले कर चूसने लगा. भाभी भी हमारे बाँहों में अधनंगी खड़ी खड़ी मुझे दोनों हाथों से पकड़ कर अपने होंठ चुसवा रही थी और अपनी चुन्ची मसलवा रही थी.

अब धीरे धीरे भाभी ने मेरे हाथों से निकल कर मेरा बनियान उतार दिया, फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल के उस की चूत को हाथ में लेके उस को रगडा, फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उस की चूत में डाल दी, और उस को ऊँगली से चोदने लगा.
मेरे ऐसा करने से कुछ देर में उस की चूत गीली हो गयी. फिर मुझे लगा अब यह रंडी चुदने को एक दम तैयार है, तब मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत से बाहर निकाली, और उसकी पैंटी को उस के बदन से अलग कर दी.
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल मादरजात नंगे खड़े थे और दोनों एक दूसरे को देख रहे थे.

भाभी बोली- हाय रजा तुम नंगे बहुत सुंदर दीखते हो, तुम्हारा खड़ा हुआ लम्बा लंड देखने में बहुत ही सुंदर लगता है और कोई भी लड़की या औरत इसको अपनी चूत में लेकर चुदवाना चाहेगी.

मैं अब भाभी के पास गया और अपने बाँहों में ले कर उससे पूछा- हमें कोई और लड़की या औरत से मतलब नहीं है, क्या आप मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेना चाहती हैं?
तब भाभी बोली- अरे तुम अभी नहीं समझे, मैं तो तभी से तुम्हारे लंड से अपनी चूत की चुदाई करना चाहती हूँ. अब जल्दी से तुम हमको चोदो. मेरी चूत में आग लगी है.’

भाभी मेरे पास आई और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर प्यार करने लगी. अब मैं भाभी का एक चुन्ची अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरी चुन्ची अपने एक हाथ में लेकर मसलने लगा.

भाभी भी अब तक गर्मा गयी थी. उन्होंने मेरा लंड अपने हाथों में पकड़ कर मुझ को बेड पर पटक दिया और मेरा लंड अपने हाथों में लेकर उसको बड़े ध्यान से देखने लगी. थोडी देर के बाद वो बोली, वैसे तुम्हारा लंड बहुत ही सेक्सी है. आज मेरी चूत खूब मज़े ले ले कर इस लंड से चुदेगी. अब तुम चुपचाप पड़े रहो. मुझको तुम्हारा लंड का पानी चखना है.

मैं तब बोला- ठीक है भाभी जब तक आप मेरे लंड का स्वाद चखोगी, मैं भी आपकी चूत के स्वाद का आनंद उठाऊँगा.
आइये हम दोनों 69 पोसिशन पर पलंग पर लेटते हैं.

फिर हम दोनों पलंग पर एक दूसरे के पैर की तरफ़ मुंह करके लेट गए. मैंने भाभी को अपने ऊपर कर लिया. भाभी ने मेरे लंड के सुपारे को अपने होठों से लगा कर एक जोरदार चुम्मा दिया और फिर अपने मुंह में ले कर चूसने लगी और कभी कभी उसको अपनी जीभ से चाटने लगी.

मुझको अपने लंड चुसाई से रहा नहीं गया और अपना लंड भाभी के मुंह में पेल दिया. भाभी लंड को अपने मुंह से निकलते हुए एक रंडी की तरह बोली- वाह मेरे राजा अभी और पेलो अपने लंड को मेरे मुंह में, बाद में इसको मेरी चूत में पेलना.’

अब मैंने भाभी को जो कि मेरे ऊपर लेटी हुई थी उसके दोनों पैरों को फैला दिया. अब मेरी आँखों के सामने उनकी झांटों वाली चूत पूरी तरह से खुली हुई थी और मेरा लंड खाने के लिए तैयार थी. मैं अपनी ऊँगली उनकी चूत में पेल कर अन्दर -बाहर करने लगा.

भाभी तब जोर से बोली- हाय! क्यों टाइम बर्बाद कर रहे हो, मेरी चूत को ऊँगली नहीं चाहिए.. अभी तुम इसको अपनी जीभ से चोदो. बाद में उसको अपना लंड खिलाना, वो तुम्हारा लंड खाने के लिए तरस रही है,’ मैं बोला- क्यों चिंता कर रही हो भाभी, अभी आपकी चूत और अपने लंड का मिलन करवा देता हूँ. पहले मैं आपकी चूत का रस चख तो लूँ. देखूं तो भाभी की चूत का टेस्ट कैसा है. .सुना है कि सुंदर और सेक्सी औरत की चूत का रस बहुत मीठा होता है.’

तब भाभी बोली- ठीक है, जो मर्जी में आए करो, यह चूत अब तुम्हारी है. इससे जैसे चाहे मज़े ले लो. हाँ एक बात और, जब हम एक दूसरे को चोदने के लिए तैयार हैं और एक दूसरे का चूत और लंड चाट रहे हैं, चूस रहे हैं तब यह आप आप का क्या रट लगा रखी है. तुम मुझको नाम लेकर पुकारो और आप आप की रट छोडो.

अब मैंने देखा कि उनकी चूत लंड खाने के लिए खुल बंद हो रही है और अपनी लार बहा रही है और उस की चूत बाहर और अन्दर से रस से भीगी हुई थी. मैंने जैसे ही अपनी जीभ भाभी की चूत में घुसेड़ी, वो चिल्लाने लगी- हाय, क्या चीज बनाई है भगवान ने, चूसो चूसो, और जोर से चूसो मेरी चूत को. और अन्दर तक अपनी जीभ घुसेडो, हई मेरी चूत की घुंडी को भी चाटो, बहुत मज़ा आ रहा है. हाय मैं अब छूटने वाली हूँ.

और इतना कहते ही भाभी की चूत ने गर्म गर्म मीठा रस छोड़ दिया जिसको कि मैं अपनी जीभ से चाट कर पूरा का पूरा पी गया.

उधर भाभी अपने मुंह में मेरा लंड लेकर उसको खूब जोर जोर से चूस रही थी और मैं भी भाभी के मुंह में झाड़ गया. मेरे लंड का सारा का सारा माल भाभी के मुंह के अन्दर गिरा और उसको उन्होंने पूरा का पूरा पी लिया.

अब भाभी का चेहरा काम ज्वाला से चमक रहा था और वो मुस्कुराते हुए बोली- चूत चुसाई में बहुत मज़ा आया, अब चूत चुदाई का मज़ा लेना चाहती हूँ. अब तुम जल्दी से अपना लंड चुदाई के लिए तैयार करो और मेरे चूत में पेलो, अब मुझसे रहा नहीं जाता.’

मैंने भाभी को पलंग पर चित्त करके लेटा दिया और उनके दोनों पैरों को ऊपर उठा कर घुटने से मोड़ दिया. फिर मैंने अपने लण्ड का सुपर खोल कर उनकी चूत के ऊपर रख दिया और धीरे धीरे उनकी चूत से रगड़ने लगा.

भाभी मारे चुदास के अपनी कमर नीचे ऊपर कर रही थी और फ़िर थोड़ी देर बाद बोली,’ साले बहनचोद! मुफ़्त में पराई औरत की चूत चोदने को मिल रही है इसीलिए खड़ा लण्ड मेरी चुदासी चूत को दिखा रहा है और लण्ड को चूत के अन्दर पेल नहीं रहा है! साले भोंसड़ी के! गाण्डू! अब जल्दी से अपना मूसल जैसा लण्ड चूत में घुसा, नहीं तो हट जा मेरे ऊपर से, मैं खुद ही अपनी ऊँगली चूत में डाल कर अपनी चूत की गर्मी निकालती हूं।’

तब मैंने उनकी चूचियों को पकड़ कर निप्पल को मसलते हुए उनके होटों को चूमा और बोला,’ अरे मेरी रानी! मितनी भी क्या जल्दी है? पहले मैं ज़रा तुम्हारे सुन्दर नंगे बदन का आनन्द तो उठा लूं! फ़िर तुम्हें जी भर के चोदूंगा। मैंने अब तक अपनी लाईफ़ में कभी इस तरह से नंगी औरत नहीं देखी है। फ़िर इतना चोदूंगा कि तुम्हारी यह सुन्दर डबलरोटी सी चूत लाल पड़ जाएगी और सूज कर पकोड़ा हो जाएगी।

भाभी बोली- साले चोदू! हमारी जवानी का मज़ा तुम बाद में लेना, उसके लिए पूरी रात पड़ी है, अभी हमको घर पे काम है, अभी तो बस तुम मुझको चोदो। मैं मरी जा रही हूं, मेरी चूत में आग लगी है और वो तुम्हारे लौड़े के धक्के से ही बुझेगी, जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दो, प्लीज़ मेरे राज़ा! अब जल्दी भी करो!’

भाभी मेरे लण्ड से चुदाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी। मैंने अपना सुपारा उनकी पहले से ही भीगी चूत के दरवाजे के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर सिर्फ़ सुपारे को ही अन्दर किया। भाभी ने मेरे फ़ूले हुए सुपारे को अपनी चूत में घुसते ही अपनी कमर को झटके ऊपर उछाला और मेरा आठ इन्च का लण्ड पूरा का पूरा उनकी चूत में घुस गया।

तब भाभी ने एक आह सी भरी और बोली- आह! क्या शान्ति मिली तुम्हारे लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर। यह अच्छा हुआ, मुझे बहुत दिन से इच्छा थी कि किसी लम्बे लण्ड से चुदने की, आज वो पूरी हो गई। नहीं तो मेरी इच्छा पूरी नहीं होती।

अब मैं अपना लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। उन्होंने पहले कभी अपनी चूत में इतना मोटा लण्ड कभी नहीं घुसवाया था। शायद उसके पति का लण्ड छोटा होगा, उन्हें कुछ तकलीफ़ हो रही थी। मुझे भी उनकी चूत काफ़ी टाईट लग रही थी। मैं मस्त हो कर उनकी चूत चोदने लगा।

भाभी मेरी चुदाई से मस्त होकर बड़बड़ा रही थी- हाय मेरे राजा! मेरे राजा और पेलो, और पेलो अपनी भाभी की चूत्में अपना मोटा लण्ड, तुम्हारी भाभी की चूत तुम्हारा लण्ड खाकर निहाल हो रही है। हाय! लम्बे और मोटे लण्ड की चुदाई का मज़ा कुछ और ही होता है, बस मज़ा आ गया, हाँ! हाँ! तुम ऐसे ही अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरी चूत में अपना लण्ड आने दो। मेरी चूत की चिन्ता मत करो, फ़ट जाने दो इसको आज! इसको भी बहुत दिनों से शौक था मोटा और लम्बा लण्ड खाने का। इसको और जोर से खिलाओ अपना मोटा और लम्बा लण्ड।

मैं भी जोर जोर से उनकी चूत में अपना लण्ड पेलते हुए बराबर कह रहा था,’ हाय! मेरी रानी! ले! ले! और ले, जी भर के खा अपनी चूत में मेरे लण्ड की ठोकर। मेरी किस्मत आज बहुत अच्छी है जिस से कि मैं तुम्हारी जैसी औरत की चूत में अपना लण्ड घुसेड़ कर चोद रहा हूं। क्या मेरी चुदाई तुम्हें पसन्द आ रही है, सही सही बताना भाभी- कौन अच्छा चोदता है तुम्हारी रसीली चूत, मैं या आप का पति?’

भाभी बोलि- हाय राजा, अब मैं तुमको क्या बताऊँ, मैं तुम्हारी चुदाई से बहुत खुश हूं। मेरा पति तो मुझको चोदता है लेकिन तुम्हारी और उनकी चुदाई में बहुत फ़र्क है, वो रोज़ सोने से पहले बिस्तर पर लेट कर झट से मुझे नंगी करके मेरी टांगों को उठाता है और अपना लण्ड मेरी चूत में पेलता है। उसको इस बात का अहसास नहीं होता कि औरत गर्म धीरे धीरे होती है। वो दो मिनट चोदता है और फ़िर झड़ जाता है… और मैं प्यासी रह जाती हूं। लगता है तुम्हारा लण्ड खाने के बाद मेरी चूत उनका लण्ड खाना पसन्द नहीं करेगी क्योंकि तुम्हारे लण्ड से मेरी चूत अब फ़ैल जाएगी और उस में उनका पतला और छोटा लण्ड ढीला ढीला जाएगा जिससे कम से कम मुझको तो मज़ा नहीं आएगा।

‘भाभी सही सही बताना, तुमने शादी से पहले भी किसी लण्ड को अपनी चूत में घुसाया है या नहीं?’

‘हाँ, मेरे बोयफ़्रेन्ड जो आजकल जम्मू में है और उसकी शादी किसी और लड़की से हो गई है, उसने मुझको मेरी शादी से पहले भी चोदा था, लेकिन उनके लण्ड की चुदाई मुझे पसन्द नहीं आई।’

‘क्यों?
‘अरे उनका लण्ड भी बहुत छोटा और पतला है, लेकिन वो मुझे चोदने से पहले और चोदने के बाद खूब चूत चाटता और चूसा करते थे और उनकी चूत चुसाई मुझे अच्छी लगती थी। वो शादी से पहले जब भी दिल्ली आते तो मेरी चूत जरूर चोदते थे पर अब उसकी शादी हो गई है।’

यह सब बातें करते करते हुए हम लोग चुदाई का मज़ा लेते रहे और हमारी चुदाई से भाभी दो बार झड़ गई और फ़िर मैंने अपना लण्ड उनकी चूत के अन्दर तक डाल कर उनके अन्दर झड़ गया। फ़िर मैं उस के ऊपर सो गया। कुछ देर बाद भाभी ने बेड से उठ कर अपने कपड़े पहन लिए, मुझे गाल पे किस दिया और अपने घर चली गई।

मेरा पहला सेक्स था भाभी की चुदाई – 1

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हेलो फ्रेंड्स, मेरी उम्र 23 साल है, मेरा नाम मानव है।
भाभी की चुदाई की यह कहानी तब की है ज़ब मैं 12 में पढ़ता था, यही कोई 18 साल का। मेरी मोसी जी के लड़के की नई शादी हुई तो मम्मी ने उन्हें कुछ दिनों के लिए घर पर बुला लिया। हम बहुत खुश हुए क्योंकि नई भाभी जो आई है। वो बहुत सेक्सी थी 28-24-30

एक दिन मैं और भाभी बात कर रहे थे तो मेरा हाथ उनके पेट पर चला गया उन्होंने कुछ नहीं कहा। मेरे को अजीब से करंट लगा पर मैं बात करता गया

फिर वो अपने घर चली गई। वो भी मथुरा में रहती है। कुछ दिनों बाद मैं उनके घर गया और वीक में 1 दिन ज़रूर जाता. मैं कभी फल कभी मिठाई ले कर ज़रूर जाता।

3-4 महीने बाद एक दिन घर पर कोई नहीं था भाभी अकेली थी मैं बहुत खुश हो गया. हम बात करने लगे बात करते करते भाभी मेरी जांघ पर अपना सर रख के लेट गई, बस मुझे लगा मेरे को चूत मिल गई.

फिर कुछ देर बाद भाभी ने बोला कि मैं गेट कि चिटकनी लगा आऊँ, दोपहर में मालूम नहीं पड़ता, और बोली कुछ देर सो जाओ.

भाभी सो गई पर मेरे को क्या सोना था मैं भाभी को देख रहा था. मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कुछ करूं, पर हिम्मत कर के मैंने उनके पेट पर हाथ रख दिया फिर धीरे धीरे उनके बूब्स पर। मेरे पूरे शरीर में कंपकपी आ रही थी। फिर मैंने दबाना शुरु किया.

भाभी अचानक उठी और ज़ोर से बोली- मानव यह क्या कर रहे हो, चुपचाप सो जाओ!

मैं बुरी तरह डर गया फिर कुछ देर कुछ नहीं किया, फिर शुरु हो गया।
अबकी बार भाभी ने कुछ नहीं कह। मैंने उनके होटों पर अपना होंट रख दिया और ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा होंठ इतने प्यारे थे की कुछ और करने का मन ही नहीं कर रहा था. धीरे धीरे भाभी गर्म होने लगी और मुझसे भी ज्यादा ज़ोर ज़ोर से होंठ चूस रही थी.

फिर मैंने उनका बलाउज खोला और अन्दर से फडफडाते हुए वक्षों को ब्रा से आजाद कर दिया, कभी बूब्स दबाता तो कभी उन्हें पीता, फिर मैंने साड़ी को उतार दिया और वो बस चड्डी में रह गई थी, मैंने पहली बार चूत का दर्शन किया और अपने होटों से चाटने लगा जैसे कोई आइसक्रीम चाट रहा हो. फिर क्या था भाभी ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी, मैं तो चूत चाटने में मस्त था।

चूत की पक्को भी कर लेता भाभी के चेहरे से लग रहा था कि भाभी को मुझसे ज्यादा आनंद आ रहा है, फिर अचानक उन्होंने मुझे हटा दिया और मेरे क्लोथ्स उतारने लगी। मेरा लंड को देख कर वो हैरान हो गई 6″ लंबा लंड मानो उन्होंने पहली बार देखा हो, और लोलीपोप की तरह चूसने लगी मेरा मज़ा बहुत ज़ल्दी निकल आया और मैंने उनके माउथ में ही रसपान निकाल दिया।

फिर थोडी देर बाद मैंने उनकी चूत में अपना लंड डाला और मेरी तो फट गई थी डालने में चूत इतनी टाइट थी कि लंड छिल गया था। हल्के हल्के मैं धक्के मार रहा था फिर अचानक भाभी ज़ोर ज़ोर से ऊपर उठने लगी, और मैंने कई स्टाइल से चूत मारी भाभी मुझसे पहले रस निकाल चुकी थी, मेरा भी निकल गया और भाभी के ऊपर ही लेट गया थोड़ी देर में मैं उठा और चुपचाप घर आ गया…

अभी इस से भी बढिया एंड है भाभी की चुदाई की इस कहानी का, वो मैं अगली बार बताऊँगा… जरा सोचो कि मैं चुपचाप क्यों चला गया और बाद में क्या किया होगा


सेक्सी बी ई की टीचर को चोदा

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अन्तर्वासना के नियमित पाठकों को मेरी तरफ़ से सलाम और पाठिकाओं की चूतों को मेरा रस भरा किस। दोस्तों मैंने बहुत सारी कहानिया यहाँ पर पढ़ी तो लगा कि ये तो सब के साथ होता है और इसे सबके साथ बाटने में कोई बुराई नहीं है, सो मैं भी अपनी कॉलेज लाइफ की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।

मैं ऍम बी ए का स्टुडेंट हूँ। मैं जिस कॉलेज में हूँ, वो इस शहर का सबसे मशहूर कॉलेज है। हमारे कॉलेज के बगल में ही हमारे कॉलेज ग्रुप का ही इंजीनियरिंग का भी कॉलेज है। मैंने आपको अपना नाम नहीं बताया मेरा नाम है राज। इंजीनियरिंग की एक मैडम है जिनका नाम निशा है, जो कि बहुत ही खूबसूरत है। जब से मैंने यहाँ प्रवेश लिया है और उनको देखा है हमेशा उनको कहीं न कहीं देखता रहता हूँ, कभी कभी वो भी देखती है तो मेरी आँखे उनसे टकराती हैं तो वो मुस्कुरा देती हैं, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ जाती है। उनका फिगर 36-28-34 है जो कि बहुत ही सेक्सी है। वो गोरी तो है ही।

मैं हमेशा उनके लंच टाइम पर कैंटीन पहुच जाता और उनको देखने लगता। मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो भी मुझे समझ रही है कि मैं उन्हें पसंद करने लगा हूँ, उनकी उम्र भी तो मेरे बराबर ही थी, वो अभी 24 की है, बी.ई ख़त्म करके ही पढ़ाना शुरू कर दिया है। हमेशा वो बहुत कसा हुआ ड्रेस पहनती है जिससे उनके पूरे उभार दीखते हैं। जिन्हें देख कर कैंटीन में ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। अब मैं हमेशा उनके पास जाने की सोचने लगा, मुझे जल्दी ही उनके पास जाने का मौका मिल गया।

एक दिन कॉलेज छूटने के बाद मैं अपनी बस में बैठ गया। आज बहुत भीड़ थी बस में। मैं डबल सीट पे बैठा था, मेरे साथ मेरा एक जूनियर बैठा था। तभी मुझे निशा मैडम दिखी वो आकर खड़ी हो गई। जगह नहीं थी तो मैंने अपने जूनियर को उठाया और बोला- मैडम यहाँ बैठ जाइये!
तो वो तुंरत आकर बैठ गई और बोली- थैंक यू!
मैं सिर्फ़ मुस्कुरा दिया।

हम लोग बीच में थे और चारो तरफ़ स्टुडेंट खड़े भी थे, सो हम लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। पर वो बाहर साइड थी तो उन प्रॉब्लम हो रही थी। बार बार उन्हें किसी से धक्का लगता तो उन्होंने बोला- प्लीज़ आप बाहर साइड आ जाइये, मुझे प्रॉब्लम हो रही है।
तो मैंने बोला- ठीक है आप अन्दर आ जाइये।

फिर वो अन्दर होके बैठ गई। बस जब भी मुड़ती तो मैं उनके ऊपर या वो मेरे ऊपर आती और हम लोग सॉरी बोलते।

अब मैंने अपना एक हाथ ऐसे कर लिया कि जब भी बस मुड़ती तो मेरी 2-4 ऊँगलियाँ उनकी चुचियों से टकरा जाती तो मैं उनको देखता वो मुस्कुरा देती। मैं समझ गया लाइन साफ़ है, बस मौका ढूंढो और चोदो। अब मैंने अपना एक हाथ उनकी जांघों पर रखा और थोड़ा सहलाया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के दबा दिया और मुझे रोक लिया, तभी बस रुकी उनका स्टाप आ गया तो उन्होंने बोला- उठो मुझे जाना है।
मैंने बोला- मुझे भी तो उतरना है।
फिर दोनों उतर गए तो वो मुझसे बोली- तुम क्यों उतरे? वैसे तुम्हारा नाम क्या है?
मैंने बोला- मेरा नाम राज है और मुझे आज तो आपसे कुछ लेना है सो मैं भी उतर गया।
तो वो गहरी मुस्कराहट से हुए बोली- क्या लेना है?

मैंने बोला- आपका नम्बर चाहिए, मुझे आपसे बात करनी है, बहुत जरूरी है, अब तो रहा ही नहीं जाता।
वो बोली- तो बोलो क्या बात है, अभी बोल दो।
मैं बोला- नहीं आप नम्बर दीजिये मैं आपको फ़ोन करूँगा।

तो उन्होंने अपना नम्बर दे दिया। मैंने उसी रात उन्हें कॉल किया और रात के 11 से लेकर 1 बजे तक बात करता रहा। उस रात मैंने उन्हें प्रोपोज़ भी कर दिया और दोस्तों मेरी तो किस्मत चमक गई उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।

अब तो मैं रात दिन सिर्फ़ उन्हें चोदने के बारे में सोचने लगा। वैसे बस में अब डेली मैं उन्हें कहीं न कहीं जरूर हाथ लगाता तो वो भी बुरा नहीं मानती, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ती।
एक दिन तो मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया जिससे वो झन्ना गई और तेज़ी से सांस लेने लगी पर कुछ बोली नहीं, इसी तरह दिन निकलते रहे। मैं मौका ही तलाशता रहा।

किस्मत ने भी जल्दी ही मेरा साथ दिया और वो एक दिन मुझे स्टाप पर खड़ी हुई मिल गई उस टाइम बहुत तेज़ बरसात हो रही थी और वो कॉलेज से आई थी। वो पूरी तरह से भीग चुकी थी। मैंने उनसे बोला- मेरा रूम पास में ही है, चलिए, आप यहाँ कब तक खड़ी रहेंगी, पानी भी बंद नहीं होने वाला, पहले तो वो मना करती रही फिर मान गई। मैंने उन्हें अपनी बाईक पे बैठाया और चल दिया। फिर मेरे रूम पहुंचे।

मेरा एक सिंगल रूम है और मैं अकेला ही रहता हूँ, ये उनको भी मालूम था, मैंने उन्हें बैठाया और बोला- आप कपड़े चेंज कर लीजिये। जब तक मैं नीचे से आता हूँ।
फिर मैं उन्हें एक तौलिया देकर चला गया। मैंने दूध लिया फिर अचानक मैं मेडिकल में गया और वहाँ से कंडोम ले लिया सोचा-आज तो मौका नहीं जाने दूंगा चोद के ही रहूँगा।

मैं रूम में पंहुचा तो देखा कि वो अपने बालों को पौंछ रही है, क्या सेक्सी लग रही है। मैं उन्हें पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके चाय बनने लगा और वो मुझे ही देख रही थी। मैं चाय बनाकर लाया और पलंग पर बैठ गया। पलंग ज्यादा बड़ा नहीं है सो अच्छे से नहीं बैठ सकते थे।
उन्हें अच्छे से बैठना था तो मैंने बोला- आप आराम से पैरों को फैला कर बैठ जाइए।
तो वो बैठ गई, चाय पीने लगे, मैं उनकी आँखों में देखने लगा तो वो बोली- क्या देख रहे हो?

मैं बोला- देख रहा हूँ आप कितनी खूबसूरत हैं और आज कितनी सेक्सी लग रही है, प्लीज़ आज मुझे कुछ करने दीजिये!
निशा बोली- तुम्हारा मतलब क्या है?

मैं बोला- वही जो आप समझ रही हैं, मैं कब से ऐसे मौके की तलाश में था जब आप मेरे साथ अकेली हो और फिर मैं आपको अच्छे से प्यार कर सकूं, आप भी आज मुझे प्यार करिए।
इतना बोलकर मैं उनके गालो को सहलाने लगा तो उन्होंने मुझे रोका तो नहीं पर बोली- नहीं ये ठीक नहीं है।
मैंने बोला- जिसमे आपको और मुझे मजा आए वही ठीक है।

फिर मैं अपने होंठ उनके होंठों के पास ले गया और पास और फिर मेरे और उनके होंठ जो चिपके की चिपकते गए,बहुत ही जोरदार किस्सिंग चालू हो गई, जबान से जबान टकराने लगी, मैं उनकी पूरी जीभ को चबा जाना चाहता था। वो भी मेरी पूरी हेल्प कर रही थी, मैंने उन्हें किस करते करते ऊपर से नंगी कर दिया, चूँकि उन्होंने मेरा रात का सूट पहन लिया था सो ब्रा तो थी नहीं। सो चुचियाँ तुंरत नंगी हो गई, जिन्हें देखकर मैं पगला गया और पागलों की तरह चुचियों को मसलने लगा, जिससे वो भी जल्दी ही उत्तेजित होने लगी।

फिर मैं रुका और उनसे बोला- आज पूरा दिन मैं और आप मिलकर चुदम-चुदाई का खेल खेलते हैं।
निशा बोली- अब तुमने मुझे गर्म कर दिया है तो पूरी प्यास तो बुझा ही देना!
मैंने पहले उसे और ख़ुद को पूरी तरह से नंगा कर दिया। उसके दूध जैसे गोरे बदन को देखकर मेरा लंड तुंरत फ़नफ़नाने लगा। मैंने उसकी चूत को देखा जो बालों से ढकी थी।

मैंने एक हाथ से उसके होंठो और एक हाथ से उसकी चूत को मसलना शुरू किया जिससे निशा स्स्स्स्स् स्स्स्स स्स्सस्श्ह्ह्ह् आआअ ह्हह्ह्ह्ह् की आवाजे निकलने लगी। उसे अब मजा आने लगा। वो मेरे अंगूठे को चूसने लगी। नीचे मेरा हाथ चिपचिपाने लगा, यानि की वो पूरी तरह से गर्म हो गई, तो बोली–राज प्लीज़ अब मुझसे नहीं रहा जाता, अपना लंड मेरी चूत में डालो वैसे ही बहुत खुजली हो रही है।
उसके इतना बोलते ही मैंने अपना लंड लिया और उसकी चूत का निशाना लगाया और जोर से धक्का मारा, वो आआअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह करके चिल्ला उठी, लंड भी फिसल गया, उसकी चूत बहुत तंग थी, वो पहली बार चुदवा रही थी। मैंने फिर से निशाना लगाया और जोर से धक्का मारा इस बार लंड बुर में फस गया वो फिर चिल्ला उठी, अब तो मैंने जोर जोर से धक्के मार मार कर उसके अन्दर पहुंचने लगा, वो चिल्लाती रही, अब तो उनके मुँह से केवल आआ आअह्ह्ह्ह ऊऊह्ह म्म्म्ममा आआअर्र ग्ग्ग्गाआ आऐईईइ ,राज मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लिज्जज्ज बहार निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने बोला- निशा कुछ नहीं होगा बस थोड़ा सा और दर्द फिर मजा ही मजा आएगा।
फिर से मैं धक्के मारने लगा और साथ ही उसके होंठो को अपने होंठो से चूसने लगा जिससे वो ज्यादा चिल्ला न पाए। अब मेरे लंड का सबसे मोटा हिस्सा घुसना शुरू हुआ तो वो मेरे होंठो को बहुत जोर से चबाने लगी। अब लंड पूरी तरह से उसकी चूत की जड़ो में घुस गया तो निशा बोली-पूरा घुस गया?
मैं बोला- हाँ पूरा घुसेड दिया मैंने। अब शुरू करूँ?
निशा बोली- हाँ अब मारो धक्के!

फिर मैंने उसे लगातार धक्के मारना शुरू किया। वो फिर से चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह्ह ह्ह्ह आआह्ह्ह
इतने में वो एक बार झड़ गई, जिससे उसकी चूत गीली हो गई और लंड थोड़ा अच्छे से अन्दर बाहर होने लगा। अब मेरे छोटे से रूम में केवल खचाखच फचफच आह्ह्ह्ह्छ ऊउउह्ह्छ की आवाजें आने लगी।

अब निशा भी पूरे जोश में आ गई। अपनी गांड उछाल उछाल के चुदवाने लगी, बोली- और जोर से डाल राज, आज मेरी चूत को पूरे बी ई का मजा दे दे, मैंने पूरे बी.ई. में नहीं चुदाया, मुझे नहीं मालूम था इतना मजा आता है। अब तो मैं डेली तुमसे चुदवाऊँगी और जोर से आआअह्ह ह्ह्ह्ह्ह!

उसकी बातों से मैं और जोश में आ गया और जोर से धक्के मारने लगा। करीब 50-55 धक्के मारने के बाद मैं उसके ऊपर गिर गया, मेरा पूरा वीर्य कंडोम में गिर गया, उसकी पूरी चूत खून से लाल हो गई। हम लोग थोड़ी देर ऐसे ही रहे। एक घंटे बाद मैं फिर तैयार हो गया और उसे चोदना शुरू किया।

मैंने उसकी गांड भी मारी, लेकिन वो कहानी बाद में, उस दिन मैं 5 कंडोम लेकर आया था और सभी मैं उपयोग में लाया, जमकर चुदाई की।

माँ के साथ सुहागरात

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इसे आप मनघड़ंत स्टोरी कहे या और कुछ पर सच बात तो ये है कि सेक्स मतलब सेक्स है वो किसी से भी किया जा सकता है या हो जाता है।

अब मैं 24 साल का हूँ और अपनी ऐम.ई. की पढ़़ाई कर रहा हूँ दिल्ली में अपनी फॅमिली से दूर।

पता नहीं वो सब कैसे क्या हुआ सब एक सेक्स कहानी की तरह लगता है पर ये कोई कहानी नहीं बल्कि सच्ची घटना है जो मैं अन्तर्वासना के मध्यम से आपके सामने रख रहा हूँ।

बात उस वक्त की है जब मैं 18 साल का था।
एक दिन हम किसी बर्थडे पार्टी में जा रहे थे, मेरी माँ को तैयार होने में काफी वक्त लगता था इसलिए पापा हमेशा ही गुस्सा हुआ करते थे, उस दिन पापा गुस्से में अकेले ही चले गए, माँ आज बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, माँ ने सिल्क की साडी पहनी थी और बाल स्टेप कट किए हुए थे, होंटो पे ब्राउन लिपस्टिक, और क्या कहूँ ऐसा लग रहा था जैसे मानो वो किसी मूवी की एक्ट्रेस हो. बस वो थोडी मोटी थी बाकी फिगुर तो 36-30-36 है।

ड्रेसिंग रूम से आवाज़ आई बेटे ज़रा इधर तो आना, मैं रूम में गया तो माँ आइने के सामने खड़ी हाथ पीछे कर के ब्रा का हूक लगा रही थी, मुझसे कहा ये हूक तो लगा दे, मैंने हूक लगाया तब पहली बार मैंने मेरी माँ को ब्रा में देखा था. आइने में माँ के 36 साइज़ के बूब्स साफ़ दिखाई दे रहे थे .फिर मैं और माँ दोनों पार्टी के लिए निकल पड़े.

इस वक्त मुझे कुछ समझ में नहीं आता था पर ये जान चुका था कि मेरी माँ बहुत सेक्सी है. तबसे मैं कभी कभी माँ की ब्रा और पैंटी पहन कर देखता था. 2 -3 सालों बाद पापा का प्रमोशन हो गया.
अब पापा हमेशा ऑफिस के काम से वीकली बाहर गांव जाते थे, तब घर में हम 4 लोग होते थे छोटा भाई, बहन, मैं (सबसे बड़ा) और हमारी खूबसूरत माँ जिसे सजना- संवरना काफी पसंद था और कुछ हद तक बेशरम भी थी.

जब भी घर में कोई नहीं होता तब माँ हमेशा सिर्फ़ ब्रा और निक्कर में ही बाथरूम से बाहर आती और अपनी साड़ी पहनती. माँ की उमर 36 साल होते हुए भी वो बहुत ही नशीली लगती थी, मैंने कई बार माँ को ब्रा और पैंटी में देखा था कपड़े पहनते हुए, कई बार तो नहाते हुए भी देखा था पर छुप छुप के, जब भी दरवाजा खुला छोड़ नहाती थी.

तब मेरी हालत कैसी होती होगी आप महसूस कर सकते हो.

वो गर्मी के दिन थे. घर में कूलर था पर बिजली कभी भी जाती थी आती थी रात को कभी कभी तो 1 -2 घंटे आती ही नहीं थी. उस रात से तो मेरी जिंदगी ही बदल गई। उस रात मैं और मेरी माँ पास में ही सोये हुए थे भाई और बहन बाजू में थे।

रात के करीब 11 बजे बिजली चली गई मेरी भी नींद खुल गई।
मैंने देखा की माँ मोमबत्ती लगा रही है मुझे नींद नहीं आ रही थी गर्मी भी काफी हो रही थी.थोडी ही देर में देखा तो माँ अपना ब्लाउज उतार रही है, माँ ने काली ब्रा पहनी थी इसलिए उन्हें ज्यादा गर्मी लग रही थी, ब्रा भी जालीदार थी इसलिए उनके नीपल साफ नजर आ रहे थे. ब्रा के ऊपर से उनके बड़े बड़े बूब्स आधे से भी ज्यादा नजर आ रहे थे.

मैं तो देखता ही रह गया. वैसे तो मैंने कई बार माँ को इस हालत में देखा था, पर आज करीब से देखने का मौका मिला था. मैंने कभी सोच भी नहीं था कि मेरी माँ इतनी खूबसूरत है.

अब मैं काफी समझदार हो गया था। माँ ने फिर अपने बालों को उपर करके बाँध दिया। तब मैंने माँ की ब्रा के हूक को देखा लगा कि खोल दूँ इसे। थोडी ही देर में बिजली आ गई और कूलर शुरू हो गया। माँ बिना ब्लाउज के ही सो गई.

मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं सोच रहा था कि काश मुझे आज रात को माँ को चोदने का मौका मिलता!!!

पर किस्मत ने साथ नहीं दिया…

कब सुबह हुई पता ही नहीं चला. अब मैं हमेशा माँ को चोदने की नज़र से ही देखता रहता। आज मैं स्कूल नहीं गया था. माँ जैसे ही नहाने गई मैं चेंजिंग रूम जाकर सोने का नाटक करने लगा. माँ आई आज वो सिर्फ़ तौलिया ही ओढे थी फिर उन्होंने वो भी हटा दिया माँ सिर्फ़ ब्रा और पैंटी

ही पहने थी, माँ की जांघें बहुत ही चिकनी और गोरी थी और पैंटी से उनकी गांड उभर कर आई थी और ब्रा के अंदर से बड़े बड़े और काले निप्पल के बूब्स तो मानो बाहर निकलने को बेकरार थे .. मैं माँ की खूबसूरती देखते ही झड़ गया ..

फिर माँ आईने में अपनी बगलों के बालों को निहार रही थी. माँ ने पापा का रेजर निकला और बालों को निकालना शुरू किया. मैं सोच रहा था काश

मेरी शादी मेरी माँ से हुई होती…!!!!

आज फिर रात हो हो गई .. सोचा आज तो किस्मत साथ दे दे। मैं सेक्स में ये भी भूल गया था कि वो मेरी माँ है। हम सोने की तय्यारी कर रहे थे .

भाई बहन सो चुके थे, पापा भी घर में नहीं थे. माँ ने मेरे सामने ही अपना ब्लाउज उतारा और अपनी पीठ खुजाने लगी. माँ ने आज सफेद ब्रा पहनी थी, धीमी रोशनी की वजह से माँ और भी सेक्सी लग रही थी, मैंने कहा क्या हुआ?

माँ बोली- कुछ नहीं! खुजली हो रही है जरा गर्मी का पाउडर तो ले आ!

मैं पाउडर लाया.
माँ ने कहा अब लगा भी दे.
मैं माँ के पीठ पर पाउडर लगाने लगा पर ब्रा का बेल्ट उँगलियों में फँस जाता था.
माँ ने कहा जरा बगल में भी लगा दे माँ ने हाथ उपर उठाया मैंने देखा कि आज सुबह जो माँ ने बाल निकाले थे वो जगह काफी चिकनी हो चुकी थी
मैंने कहा ये हूक निकाल दूँ तो माँ बोली क्यों?

मैंने कहा ताकि पूरी पीठ को पाउडर लगा सकूँ.

माँ ने कहा ठीक है पर पूरी ब्रा मत निकालना.
फिर मैंने माँ की ब्रा का हूक खोला। माँ की चिकनी पीठ काफी सुंदर लग रही थी. मैं कभी कभी अपना हाथ आगे की और भी ले जा रहा था जिससे मैं माँ के बूब्स को टच कर सकूँ.

फिर माँ ने ख़ुद ही अपनी ब्रा उतार दी और कहा जरा इधर भी पाउडर लगा दे .मैं माँ के बूब्स सहलाने लगा. माँ के बूब्स काफी बड़े और नर्म थे, माँ के बूब्स इतने टाइट थे कि ब्रा की जरुरत नहीं थी।

मैं माँ के नीपल को दबाने लगा तभी माँ ने कहा क्या करते हो .. माँ की धड़कने बढ़ रही थी .. फिर माँ ने कहा तेरा भाई उठ जाएगा .. हम चेंजिंग रूम में चलते हैं। माँ के बूब्स चलते हुए हिल रहे थे।

फिर मैंने कहा अब तुम मुझे पाउडर लगा दो.
माँ ने कहा क्यों तुझे भी खुजली हो रही है?
मैंने कहा हाँ.
माँ ने कहा ठीक है. मैं शर्ट और बनियान निकाल बेड पर लेट गया. माँ मेरे पीठ पर पाउडर लगा रही थी।

अब माँ ने मुझे पलट जाने को कहा ताकि वो मेरे सीने पर भी पाउडर लगा सके मैं अब पीठ के बल लेट गया और माँ मेरे बाजु में थी माँ जब मुझे पाउडर लगाती मैं उनके बूब्स की और देखता था।
वो बहुत ही रसीले लग रहे थे मैं बड़ी हिम्मत से माँ के बूब्स को हाथ लगाया माँ ने कुछ नहीं कहा

फिर मैंने उन्हें दबाना शुरू किया, मैं उन्हें धीरे धीरे दबा रहा था।

माँ ने कहा जरा देख तो लो तेरे भाई बहन सोये कि नहीं?

मैं देख आया दोनों सोये हुए थे .. माँ को बताया।

माँ ने कहा हम इधर ही सो जाते हैं .. मैं भी मान गया माँ ने अपनी साड़ी उतारनी शुरू की।

मैंने कहा साड़ी क्यों निकाल रही हो,
तब माँ ने कहा आज मैं तेरे साथ रात गुजारना चाहती हूँ और माँ ने अपनी साड़ी उतार दी अब वो सिर्फ़ पैंटी में थी, माँ की चूत के बाल जालीदार पैंटी से साफ नज़र आ रहे थे.

क्यों आज क्या तू पहली बार मुझे नंगी देख रहा है ..

मैंने कहा मैं कुछ समझा नहीं.

मुझे सब पता है तू रोज़ मुझे नंगी देखता है जब मैं नहा कर आती हूँ, क्यों सच है न?????

मैं एकदम ही डर गया, डर मत माँ ने कहा देख मैं ये बात तेरे पापा को नहीं बताऊँगी पर एक शर्त है.

मैंने कहा कौन सी शर्त? माँ ने कहा तुझे मेरे साथ नंगा सोना पड़ेगा.

मैं डर के मारे तैयार हो गया ..मैंने अपने कपड़े उतार दिए। फिर हम दोनों बेड पर आ गए. माँ सिर्फ़ अपनी पैंटी में ही थी और मैं अंडरवियर में. माँ मुझसे लिपट गई और चूमने लगी, मैंने कहा ये सब ठीक नहीं और बेड से उठ गया ..

तब माँ ने गुस्से में कहा जो तू करता है क्या वो ठीक है अपनी माँ को नहाते हुए देखता है!

माँ ने मुझे समझाया बेटे ये कोई ग़लत बात नहीं है ..तू भी अब जवान हो गया है और मेरी भी कुछ इच्छाएं हैं जो तेरे पापा समय की वजह पूरी नहीं कर सकते, तब तू मेरी इच्छाएं पूरी करे तो इसमे ग़लत क्या है? आह्किर मैं तेरी माँ हूँ .. और बेटा ही माँ को समझ सकता है ..

मैंने कहा अगर पापा को पता चला तो…

माँ बोली यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी… टॉप सीक्रेट… और जब कि तूने मेरे बूब्स को दबाया और सहला भी दिया है तो फ़िर अब चोदने में क्यों घबराते हो? बात सिर्फ़ आज रात की तो है ..

तब मैं मान गया , आख़िर मैं भी तो यही चाहता था. माँ ने कहा चलो बेटे आज हम सुहागरात मानते हैं , आज की रात तुम ही मेरे पति हो ..

फिर माँ ने मुझे अपनी बाँहों में कस के पकड़ लिया और मुझे चूमने लगी मैंने भी माँ को चूमना शुरू किया, माँ मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहला रही थी, मैं भी माँ की चूत को पैंटी के ऊपर से सहला रहा था।

फिर माँ ने मेरी अंडरवियर उतार दी और मेरे लौडे को हाथ से सहलाने लगी ताकि वो और बड़ा और टाइट हो जाए।फिर माँ ने अपनी कच्छी उतारी और मेरे लौडे को अपनी चूत में डाल दिया अब हमने खड़े खड़े ही चोदना शुरू कर दिया था।

मैंने अपना दायाँ पैर बेड पर रखा और जोरों से धक्के दे रहा था ..माँ के मुंह से आह ..!! आह ..!! आह ..!! आवाज़ निकाल रही थी ..माँ ने भी मुझे जोरों से अपनी बाहों में पकड रखा था।

फिर हम बेड पर आ गए और मैं माँ के नीपल को मुंह में लिए चूस रहा था, माँ एक हाथ से मेरे लौडे को सहला रही थी। फिर मैंने माँ को बेड पर पीठ के बल लेटाया और माँ की चूत को चूमने लगा। माँ सेक्स के मारे पागल हो रही थी, फिर माँ ने मेरे लौडे को चूमना शुरू किया,वो उसे मुंह में ले रही थी।

फिर माँ ने मेरा लौड़ा अपने हाथों से अपनी चूत में डाला और कहा- ले अब छोड़ अंदर तक ले जा… माँ ने अह्ह्ह… भरी, कहा ऐसे ही करते रह, मैं भी माँ की जांघों को पकड़ पकड़ कर चोदता रहा…

बहुत अच्छा लग रहा था. मेरा गिरने ही वाला था माँ ने कहा अंदर मत गिरा फिर माँ ने मुझे बेड से दूर कर के नीचे गिराने को कहा।

हमने फ़िर एक दूसरे को चूमना शुरू किया और उत्तेजित हो गए। मां बिस्तर पर लेट गई और मुझे कहा कि मेरी गाण्ड में लौड़ा डाल दे। मैंने मां की गाण्ड मारना शुरू किया।

फ़िर हम सीधे हो कर एक दूसरे को चोदते रहे। रात भर हम सब कुछ भूल कर बस चोदते ही रहे। मां को कई तरह से चुदवाना आता था। उन्होंने मुझसे 10-12 अलग अलग तरीकों से चुदवाया।

मां का बदन काफ़ि नर्म और खूशबूदार था। मैंने मां को पूरी तरह से सन्तुष्ट कर दिया।

इस बीच मैं दो बार झड़ गया। रात के तीन बजे हम कपड़े पहन कर सोने चले गए। मां खुश लग रही थी। सुबह जब मैं नाश्ते के किए बैठा तब मेरी मां से बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थ

मां ने कहा- क्या हुआ? मैंने कहा है ना तुमसे कि यह बात सिर्फ़ हम दोनों के बीच रहेगी। और फ़िर भी तुम्हें शरम आती है तो मुझे अपनी वाईफ़ समझ सकते हो, वैसे भी हम सुहागरात तो मना ही चुके हैं

मां ने हंसते हुए मेरे होंठो को चूमा। मैं भी मां को अपनी बाहों में लेकर चूमता रहा।

फ़िर उस दिन से जब भी हमारा मूड होता और पापा घर में नहीं होते, हर रात हम सुहागरात मनाते रहे। कभी कभी तो दिन में भी बिना कपड़ों के साथ रहते।

एक दिन तो मैंने मां के नीचे वाले बालों की शेव कर दि थी और मां ने मेरी। अब चुदाई में बहुत मज़ा आता था। कभी कभी हम ब्लू फ़िल्म देख कर वैसे ही चुदाई करते थे।

मैं अब मां को नाम से पुकारता था। अब हम ऐसे रहते थे जैसे कि मानो हम सच में पति-पत्नी हों। ड्रेसिंग रूम को ही हमने अपना बेड-रूम बना लिया था। भाई और बहन दूसरे कमरे में सोते थे और हम पूरी रात बिना कपड़ों के साथ में सोते थे।

मां को अभी भी मेक-अप का शौंक था। वो मेरे लिए ही अब सजती संवरती थी। मैं कभी कभी स्कूल नहीं जाता और पूरा दिन मां के साथ चुदाई करता। जब भी मैं मां को किसी शादी, पार्टी में ले जाता तो लोग भी हमें पति-पत्नी समझते थे।

एक दो बार तो पापा घर में होते हुए भी मैंने मां को चोदा। मां तब नहा रही थी और पापा टी वी देख रहे थे।

मैंने बाथरूम के पास जाकर मां को आवाज़ दी, मां ने कहा- अभी नहीं, अभी तेरे पापा घर में हैं, जब मैं नहीं माना तो मां ने मुझे बाथरूम में बुला लिया और हमने चुदाई कर ली।

बहन ने एक दिन पापा को बताया कि मां हमारे साथ नहीं सोती, भैया के साथ सोती है तब मां ने गुस्से से कहा- कुछ भी कहती है नालायक, तेरे भैया को पढ़ाते हुए कभी कभी नींद आ जाती है तब वहीं सो जाती हूं।

पापा ने कुछ नहीं कहा क्योंकि पापा तो हमारे इस रिश्ते से बिल्कुल ही अनजान थे ना…॥

मेरी रसीली जवानी

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कहानी श्री विनोद शर्मा, ग्वालियर पर आधारित है, अपनी ये खूबसूरत आप बीती अपने ही शब्दों में उन्होंने भेजी थी, कहानी के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत है…

मेरी नई नौकरी थी और मेरा पहला पद स्थापन था. मुझे जोइन किये हुए तीन दिन हो चुके थे. मेरे ही पद का एक और साथी ऑफ़िस में अपनी पत्नी के साथ रुका हुआ था. मेरी पहचान के कारण मुझे वहाँ मकान मिल गया. मकान बड़ा था सो मैंने अपने साथी राजेश और उसकी पत्नी को एक हिस्सा दे दिया. हमने चौथे दिन ही मकान में शिफ़्ट कर लिया था. राजेश की पत्नी का नाम सोना था. वह आरम्भ से ही मुझे अच्छी लगने लगी थी. उसका व्यवहार मुझसे बहुत अच्छा था. मैं उसे दीदी कहता था और वो मुझे भैया कहती थी.

पर मेरे मन में तो पाप था, मेरी नजरें तो हमेशा उसके अंगों को निहारती रहती थी, शायद अन्दर तक देखने की कोशिश करती थी. धीरे धीरे वो भी मेरी नजरें भांप गई थी. इसलिये वो भी मुझे मौका देती थी कि मैं उससे छेड़खानी करूँ. वो अब मेरी उपस्थिति में भी पेटीकोट के नीचे पेंटी नहीं पहनती थी. ब्रा को भी तिलांजलि दे रखी थी.

उसके भरे हुए पुष्ट उरोज अब अधिक लचीले नजर आते थे. चूतड़ों की लचक भी मन को सुहाती थी. उसके चूतड़ों की दरार और उसके भरे हुए और कसे हुए कूल्हे का भी नक्शा बडा खूबसूरत नजर आता था. राजेश की अनुपस्थिति में हम खूब बातें करते थे. अपने ब्लाऊज को भी आगे झुका कर अपने स्तन के उभार दर्शाती थी. कभी कभी बात अश्लीलता की तरफ़ भी आ जाती थी. पर इसके आगे वो शरमा जाती थी और उसे पसीना भी आ जाता था. मुझे लगा कि अगर सोनू को थोड़ा और उकसाया जाये तो वो खुल सकती है, शायद चुदने को भी राजी हो जाये.

उसका शरमाना मुझे बहुत उत्तेजित कर देता था. लगता था कि उसके शरमाते ही मैं उसके बोबे दबा डालूँ और वो शरमाते हुए हाय राम कह उठे. पर यह मेरा भ्रम ही था कि ऐसा होगा.

आज शाम की गाड़ी से राजेश लखनऊ जा रहा था. मुझे मौका मिला कि मैं सोनू को बहका कर उसे थोड़ा और खोलूँ ताकि हमारे सम्बन्धों में और मधुरता आ जाये. शाम को सोनू हमेशा की तरह कुछ काजू वगैरह लेकर मेरे साथ छत पर टहलने लगी. जब बात कुछ अश्लीलता पर आ गई तो मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा कि शायद लग जाये.

‘सोनू, अच्छा राजेश रात को कितनी बार करता है… एक बार या अधिक…?’
‘वो जब मूड में आता है तो दो बार, नहीं तो एक बार!’ बड़े भोलेपन से उसने कहा.
‘क्या तुम रोज़ एंजोय करते हो…?’
‘अरे कहाँ विनोद… सप्ताह में एक बार या फिर दो सप्ताह में…’
‘इच्छा तो रोज होती होगी ना…’
‘बहुत होती है… हाय राम… तुम भी ना…’ अचानक वो शर्म से लाल हो उठी.
‘अरे ये तो नचुरल है, मर्द और औरत का तो मेल है… फिर तुम क्या करती हो?’
‘अरे चुप रहो ना!’ वो शरमाती जा रही थी.
‘मैं बताऊँ… हाथ से कर लेती हो… बोलो ना?’

उसने मेरी ओर शरमा कर देखा और धीरे से सिर हाँ में हिला दिया. धीरे धीरे वो खुल रही थी.
‘शरमाओ मत… मुझसे कहो दीदी… तुम्हारा भैया है ना… एकदम कुंवारा…!’
मैंने सोनू का हाथ धीरे से पकड़ लिया. वो थरथरा उठी. उसकी नजरें मेरी ओर उठी और उसने मेरे कंधे पर सर टिका दिया.
‘भैया, मुझे कुछ हो रहा है… ये तुम किस बारे में कह रहे हो…?’ उसकी आवाज में वासना का पुट आता जा रहा था.
‘सच कहू दीदी, मैं कुंवारा हूँ… आपको देख कर मेरे मन में भी कुछ कुछ होता है!’ मैंने फिर अंधेरे में तीर मारा.
‘हाय भैया… होता तो मुझे भी है…!’

मैं धीरे से सरक कर उसके पीछे आ गया और अपनी कमर उसके चूतड़ों से सटा दी. मेरा उठता हुआ लण्ड उसके चूतड़ों की दरार में सेट हो गया और उसके पेटिकोट के ऊपर से ही चूतड़ों के बीच में रगड़ मारने लगा. वह थोड़ा सा कसमसाई… उसे लण्ड का स्पर्श होने लगा था.
‘दीदी आप कितनी अच्छी हैं… लगता है कि बस आपको…’ मैंने लण्ड उसकी गाण्ड में और दबा दिया.
‘बस…!’ और हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और लहराती हुई भाग गई.

लोहा गरम था, मैं मौका नहीं चूकना चाहता था. मैं भी सोनू के पीछे तुरन्त लपका और नीचे उसके कमरे में आ गया. वो बिस्तर पर लेटी गहरी सांसें भर रही थी. उसके वक्ष धौंकनी की तरह चल रहे थे. मुझे वहाँ देख कर शरमा गई- भैया… अब देखो ना… मेरे सिर में दर्द होने लगा है… जरा दबा दो…’

मेरा लण्ड जोर मारने लगा था. मैंने सोचा सर सहलाते हुए उसकी चूचियाँ दबोच लूंगा. तब तो वो मान ही जायेगी.

‘अभी लो दीदी… प्यार से दबा दूंगा तो सर दर्द भाग जायेगा.’ मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके कोमल सर पर हाथ रख कर सहलाने लगा. बीच बीच में मैं उसके चिकने गाल भी सहला देता था. उसने अपनी आंखें बंद कर ली थी. मैंने उसके होंठों की तरफ़ अपने होंठ बढ़ा दिये. जैसे ही मेरे होंठों ने उसके होंठ छुए, उसकी बड़ी-बड़ी आंखें खुल गई और वो शरमा कर दूसरी तरफ़ देखने लगी.

‘हाय… हट जाओ अब… बस दर्द नहीं है अब…’
‘यहाँ नहीं तो इधर सीने में तो है…!’
मैंने अब सीधे ही उसके सीने पर हाथ रख दिये… और उसकी चूचियाँ दबा दी. उसके मुख से हाय निकल पड़ी. उसने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की, पर हटाया नहीं.
‘दीदी… प्लीज, बुरा मत मानना… मुझे करने दो!’
‘आह विनोद… यह क्या कर रहे हो… मुझे तुम दीदी कहते हो…?’
‘प्लीज़ दीदी… ये तो बाहर वालों के लिये है… आप मेरी दीदी तो नहीं हो ना.’ मैंने उसके अधखुले ब्लाऊज में हाथ अन्दर घुसा कर दोनों कबूतरों को कब्जे में लिया.

उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरे हाथों के ऊपर अपना हाथ रख कर और दबा लिया.
‘ओह्ह्ह्… मैं मर जाऊँगी विनोद…!’ वो तड़प उठी और सिमटने लगी. मैंने उसे जबरदस्ती सीधा किया और उसके होंठो पर अपने होंठ दबा दिये. वो निश्चल सी पड़ी रही. मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गया. मेरा लण्ड पजामे में से ही उसकी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था. मैंने अपना पजामे का नाड़ा ढीला कर लिया और नीचे सरका लिया. मेरा लण्ड बाहर आ गया. मैंने उसके पेटिकोट का नाड़ा भी खींच लिया और उसे नीचे सरकाने लगा. सोनू ने हाथ से उसे नाकाम रोकने की कोशिश की- भैया… ये मत करो… मुझे शरम आ रही है… मुझे बेवफ़ा मत बनाओ!’ सोनू ने ना में हाँ करते हुए कहा.
‘सोनू, शरम मत करो अब… तुम बेवफ़ा नहीं हो… अपनी प्यास बुझाने से बेवफ़ा नहीं हो जाते!’
‘ना रे… मत करो ना…!’

पर मैंने उसका पेटीकोट नीचे सरका ही दिया और लण्ड से चूत टकरा ही गई. लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत ने पाया उसमें उबाल आ गया. सोनू की चूत गीली हो चुकी थी. लण्ड चिकनी चूत के आस पास फ़िसलता हुआ ठिकाने पर पहुंच गया. चूत के दोनों पट खुल गये और चूत ने लण्ड का चुम्बन लेते हुए स्वागत किया. सोनू तड़प उठी और शरमाते हुए अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया. चूत ने लण्ड को अपने में समेट लिया और अन्दर निगलते हुए जड़ तक बैठा लिया.

‘आह भैया… आखिर नहीं माने ना… अपने मन की कर ली… हाय… उह्ह्ह्ह!’ सोनू ने मुस्करा कर मुझे जकड़ लिया.
‘दीदी सच कहो… आप को अच्छा नहीं लगा क्या…?’
‘भैया… अब चुप रहो ना… ‘ फिर धीरे से शरमाते हुए बोली…’चोद दो ना मुझे…हाय रे!’
‘आप गाली भी… हाय मर जाऊँ… देख तो अब मैं तेरी चूत को कैसी चोदता हूँ!’
‘ऊईईई… विनोद… चोद दे मेरे भैया… मेरी प्यास बुझा दे…’ उतावली सी होती हुई वो बोली.
‘मेरा लण्ड भी तो प्यासा है कब से… प्यारी सी सोनू मिली है, प्यारी सी चूत के साथ…आह्ह्हऽऽऽ!’
‘मैया री… लगा… और जोर से… हाय चोद डाल ना…मेरी चूची मरोड़ दे आह्ह्ह!’

मैं उससे लिपट पड़ा और कस लिया लण्ड तेजी से फ़चा फ़च चलने लगा. मेरा रोम रोम जल उठा. मेरी नसों में जोश भर गया. लण्ड फ़डफ़डा उठा. चूत का रस मेरे लण्ड को गीला करके उसे चिकना बना रहा था. उसका दाना मेरे लण्ड से धक्के मारते समय रगड़ खा रहा था. मैंने अपना लण्ड निकाल कर कई बार उसके दाने पर रखा और हल्के हल्के रगड़ाई की. वो वासना में पागल हुई जा रही थी. उसकी आँखें गुलाबी हो उठी थी.

‘मेरे राजा… मुझे रोज चोदा करो… हाय रे…मुझे अपनी रानी बना लो… मेरे भैया रे…’
उसकी कसक भरी आवाज मुझे उतावला कर रही थी.
‘भैया… माँ रे… चोद डाल… जोर से… हाय मैं गई… लगा तगड़ा झटका… ईईईई… अह्ह्ह्ह..’
‘अभी मत होना… सोनू… मैं भी आया… अरे हाय… ओह्ह्ह्ह’

हम दोनों के ही जिस्म तड़प उठे और जोर से खींच कर एक दूसरे को कस लिया. चूत और लण्ड ने साथ साथ जोर लगाया. लण्ड पूरा चूत में गड़ चुका था और आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह वीर्य छूट पडा… सोनू ने अपनी चूत जोर से पटकने लगी और उसका भी यौवन रस निकल पडा. हम आहें भरते रहे और झड़ते रहे. मेरा सारा वीर्य निकल चुका था. पर सोनू की चूत अब भी लपलपा रही थी और अन्दर लहरें चल रही थी. कुछ ही देर में दोनों निश्चल से शान्त पड़े थे.
‘अब उठो भी… आज उपवास थोड़े ही है… चलो कुछ खा लो!’
हम दोनों उठे और कपड़े पहन लिये. हम दोनों ने खाना खाया और सुस्ताने लगे.

फिर अचानक ही सोनू बोली- विनोद… तुम्हारा लण्ड मस्त है… एक बार और मजा दोगे?’
‘जी हाँ, सोनू कहो तो , कल ही लो…’
‘कल नहीं , अभी… सुनो, बुरा तो नहीं मानोगे ना… मैं कुछ कहूँ?’
‘दीदी, आप तो मेरी जान हो… कहो ना!’
‘मुझे गाण्ड मरवाने का बहुत शौक है… प्लीज!’
‘क्या बात है दीदी… गाण्ड और आपकी… सच में मजा आ जायेगा!’
‘मुझे गाण्ड मराने की लत पड़ गई है, आपको, देखना, भैया बहुत मजा आयेगा…’ मुझे दीदी ने प्रलोभन देते हुए कहा. पर मुझे तो एक मौका और मिल रहा था, मैं इस मौके को हाथ से क्यों जाने देता भला.
‘दीदी, तो एक बार फिर अपने कपड़े उतार दो.’ मैंने अपने कपड़े उतारते हुए कहा. कुछ ही पलों हम दोनों एक दूसरे से बिना शरमाये नंगे खड़े थे. सोनू ने पास में पड़ी क्रीम मुझे दी.
‘इसे अपने लण्ड और मेरी गाण्ड में लगा दो… फिर लण्ड घुसेड़ कर मजे में खो जाओ.’ सोनू इतरा कर बोली और हंस दी.

मैंने अपने लौड़े पर क्रीम लगाई और कहा- सोना, घोड़ी बन जाओ… क्रीम लगा दूँ!’ सोनू मुस्करा कर झुक गई.
उसने अपनी गोरी और चमकदार गाण्ड मेरी तरफ़ घोड़ी बन कर उभार दी. मैंने उसके चूतड़ों की फ़ांक चीर कर उसके गुलाबी छेद को देखा और क्रीम भर दी.
‘विनोद, देखो…बोबे दबा कर चोदना… तुम्हें खूब मजा आयेगा!’ सोनू ने वासना भरी आवाज में कहा.

मेरा लण्ड तो गाण्ड देख कर ही तन्नाने लगा था. मैंने लण्ड का सुपारा खोला और उसके छेद में लगा दिया. उसने अपनी गाण्ड उभार कर जोर लगाया और मैंने भी छेद में लण्ड दबा दिया… फ़च से गाण्ड में सुपारा घुस गया. मेरा लण्ड मिठास से भर उठा. उसकी गाण्ड सच में नरम और कोमल थी. लगा कि लण्ड जैसे चूत में उतर गया हो. मैं जोर लगा कर लण्ड को चिकनी गाण्ड में घुसेड़ने लगा. लण्ड बड़ी नरमाई से अन्दर तक उतर गया. ना उसे दर्द हुआ ना मुझे हुआ.
‘आह, भैया… ये बात हुई ना…अब लग जा धन्धे पर… लगा धक्के जोरदार…!’
‘मस्त हो दीदी… क्या चुदाती हो और क्या ही गाण्ड मराती हो…!’
‘चल लगा लौड़ा… चोद दे अब इसे मस्ती से…और हो जा निहाल…’

उसकी चिकनी गाण्ड में मेरा लण्ड अन्दर बाहर होने लगा. उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में कस गई और मसली जाने लगी. सारे बदन में मीठी मीठी सी कसक उठने लगी. मैंने हाथ चूत में सहलाते हुए उसका दाना मलना चालू कर दिया. सोनू भी कसमसाने लगी. लण्ड उसकी गाण्ड को भचक भचक करके चोदने लगा.
‘हाय रे सोनू… तेरी तो मां की… साली… क्या चीज़ है तू…’
‘हाय रे मस्ती चढ़ी ना… चोद जोर से…’
‘आह्ह्ह भेन की चूत… मेरा लौड़ा मस्त हो गया है रे तेरी गाण्ड में!’
‘मेरे राजा… तू खूब मस्त हो कर मुझे और गाली दे… मजे ले ले रे…’
‘सोनू साली कुतिया… तेरी मां को चोद डालूँ… हाय रे दीदी… तेरी गाण्ड की मां की चूत… कहा थी रे साली अब तक… तेरा भोसड़ा रोज़ चोदता रे…’
‘मेरे विनोद… मादरचोद मस्त हो गया है रे तू तो…मार दे साली गाण्ड को…’
‘अरे साली हरामी, तेरी तो… मैं तो गया… हाय रे… निकला मेरा माल… सोनू रे… मेरी तो चुद गई रे… साला लौड़ा गया काम से… एह्ह्ह्ह ये निकला… मां की भोसड़ी…हाय ऽऽऽ ‘

और लण्ड के गाण्ड से बाहर निकलते ही फ़ुहार निकल पडी. मैंने हाथ से लण्ड थाम लिया और मुठ मारते हुए बाकी का वीर्य भी निकालने लगा. पूरा वीर्य निकाल कर अब मैंने सोनू के दाने तरफ़ ध्यान दिया और उसे मसलने लगा. वो तड़प उठी और अपनी चूत को झटके देने लगी. दाना मसलते ही उसके यौवन में उबाल आने लगा. चूचियाँ फ़डक उठी, चूत कसने लगी, चूत से मस्ती का पानी चूने लगा.

‘हाय रे मेरे राजा… मेरा तो निकाला रे… मैं तो गई… आह्ह्ह्ह्ह्ह’ और सोनू की चूत ने पानी छोड़ दिया. मैंने दाने से हाथ हटा दिया और चूत को दबा कर सहलाने लगा. उसकी चूत हल्के हल्के अन्दर बाहर सिकुड़ रही थी और झड़ती जा रही थी.

कुछ ही देर में हम दोनों सामान्य हो चुके थे… और एक दूसरे को प्यार भरी नजरों से देख रहे थे… हम दो बार झड़ चुके थे…पर तरोताजा थे… थोड़ी देर के बाद हमने कपड़े पहने और फिर मैं अपने कमरे में आ गया. बिस्तर पर लेटते मुझे नींद ने आ घेरा…और गहरी नींद में सो गया. जाने कब रात को मेरे शरीर के ऊपर नंगा बदन लिये सोनू फिर चढ़ गई. दोनों के जिस्म एक बार फिर से एक होने लगे… कमरे में हलचल होने लगी… सिसकारियाँ गूंजने लगी…एक दूसरे में फिर से डूबने लगे…

स्पर्म थैरेपी – 1

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मुन्ना लाल गुप्ता
यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है, लेकिन इसके सभी पात्रों के नाम काल्पनिक हैं !

आज सुबह से ही मौसम बहुत रोमान्टिक था। रिम झिम पानी बरस रहा था, मैं इस विचार में था कि आज कैसे अपने आफ़िस पहुँचूंगा। इतने में बारिश बन्द हो गई। हालांकि आफ़िस के लिये अभी बहुत समय था फिर भी मैं निकल पड़ा। आफिस में सफाई चल रही थी। मैं सीधे अपने केबिन में चला गया, और कम्प्यूटर खोल कर मेल चेक किया।

मैंने सोचा कि अब क्या करें, आफिस में कोई था नहीं तो मैं नेट पर पोर्न साइट खोल कर वीडियो क्लिप्स का मजा लेने लगा। देखते देखते मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैं अपना लन्ड पैन्ट के बाहर निकाल कर सहलाने लगा।

मैं अपने में पूरी तरह से मस्त था और मुझे पता ही नही चला कि इसी बीच रश्मि (रिसेप्सिनिट) कब आ कर मेरी इस हरकत को निहार रही है। यह तो तब मुझे पता चला जब रिसेप्शन पर फोन की घन्टी अचानक बजी और उसको अटेन्ड करने के लिये मेरे केबिन की तरफ से भागी।

मैंने तुरन्त नेट बन्द किया और अपने खड़े लन्ड को पैन्ट में किसी तरह डाल कर रश्मि को डरते हुए आवाज लगाई यह जानने के लिये कि उसने मुझे उस हालत में देखा है या नहीं, उसके व्यव्हार से पता चल जायेगा।

मेरे बुलाने पर वह थोड़ी देर के बाद आई और सर झुका कर बोली- यस सर…!

मैंने पूछा- तुम कब आई?

वह थोड़ी सी रुकी, मेरी पैन्ट की तरफ देखा और मुस्करा कर बोली- जब आप कम्प्यूटर पर बहुत व्यस्त थे… सर !

मैं सकपका कर हिम्मत कर के बोला- ओह ! तो तुमने कम्प्यूटर पर सब कुछ देख लिया?

जी… ! आप जो कर रहे थे वह भी मैंने देख लिया !

क्या देखा ? मैंने मुस्कराकर पूछा।

वह बोली- आप का ‘वो’ बहुत सेक्सी है !

‘वो’ क्या? मैंने पूछा।

वह बेशर्मी से बोली- आप का काले तिल वाला लन्ड !

तुम्हें मेरा लन्ड पसन्द है?

तो वह बोली- जी !

मैंने बगैर देरी किये तुरन्त पैन्ट की जिप खोल कर लन्ड को बाहर निकाला जोकि अभी भी खडा़ था, उसको दिखाया और बोला- इसको अपने हाथ से पकड़ो और फिर बताओ कि कैसा है? वह बोली- सर कोई आ जाएगा..!!

मैंने कहा- ठीक है, आज मैं पूरे आफिस की छुट्टी कर देता हूँ !

और मैंने फोन कर के सबको सूचित कर दिया कि आज अधिक बारिश के कारण ऑफ़िस बन्द रहेगा।

फिर मैंने रश्मि से कहा- मुख्य-द्वार को अन्दर से लॉक कर दो !

वह अपनी कंटीली मुस्कुराहट के साथ दरवाज़ा लॉक करने चली गई।

इसके बाद मैंने अपनी पैन्ट को खोल कर थोड़ा नीचे सरकाया ताकि पूरा लन्ड दिखे, जिसको देख कर वह प्रभावित हो जाये और मेरी सालों की हसरत पूरी हो जाये।

खैर मैं अपना लन्ड सहलाने लगा। तभी रश्मि हौले से अपना कदम मेरे केबिन में रखते ही बोली- माई गॉड ! यह तो बहुत लम्बा और मोटा है… सर !

उसने बिना किसी डर के मेरी पैन्ट पूरी उतार दी, मेरा लौड़ा बाहर निकाला और चूसने लगी। मेरा लौड़ा और ज्यादा तन गया। वह ऐसे चूस रही थी जैसे काफी समय से प्यासी हो। मैं भी रश्मि की चूचियों को कुर्ते के ऊपर से ही धीरे-2 दबाने लगा।

उसकी चूचियां काफी बड़ी लग रहीं थी। वह मेरे लंड को बहुत अच्छी तरह से चूस रही थी। मैंने भी उसके मुँह को धीरे-2 चोदना शुरु किया उसको और मजा आने लगा।

अब वह मेरा पूरा का पूरा लौड़ा अपने मुंह में ले रही थी और एक हाथ से मेरे अण्डकोषों और दूसरे हाथ से अपनी चूत को सलवार के ऊपर से सहला रही थी। शायद वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। यह देख कर मैंने उससे कहा- अब तुम अपने सारे कपड़े उतार दो !

मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकालते हुए वह बोली- ठीक है सर…! मैं भी यही सोच रही थी !

और खड़ी हो कर वह अपने कपड़े उतारने लगी, मैंने अपने लंड की तरफ देखा, सुपाड़ा फूल कर लाल टमाटर की तरह हो गया था और मेरा लौड़ा रश्मि की चूत में घुसने के लिये पूरे साइज़ में तैयार था ।

इस बीच रश्मि पूरी तरह नंगी हो चुकी थी, क्या गजब की उसकी फीगर थी ! जैसे किसी मूर्तिकार ने बड़े इतमिनान से उसे तराशा हो ! गोरा रंग, सुन्दर बॉब कट घने बाल, तीखे नाक-नक्श, नशीली नीली आँखें, सुराही दार गर्दन, बड़ी-2 ठोस चूचियाँ, पतली कमर, सुडौल उभरे हुए चूतड़, चूत के माथे पर झाँटों की एक बारीक रेखा और उसके बगल में एक काला तिल, जो कि उसकी चूत को और सेक्सी बना रहा था, केले के तने जैसी उसकी जांघें !

कुल मिलाकर वह आकाश से उतरी कामासक्त अप्सरा लग रही थी, जिसका एहसास मुझे आज हुआ …

इससे पहले रश्मि को हमने हमेशा ढीले-ढाले कपड़ों में ही देखा था। मैं कभी सोच नहीं सकता था कि उसका जिस्म इतना खूबसूरत होगा यदि मैंने आज उसे नंगी देखा न होता।

” कहाँ खो गए…सर ?” रश्मि ने धीरे से कहा और मेरा लंड फिर से पकड़ कर सहलाने लगी।
कुछ नहीं ! मैं तो तुम्हारी सुन्दर फीगर और चूत पर काला तिल, देख कर होश खो बैठा…!

वह धीरे से मुस्कराई और बोली- आप के लन्ड के सुपाड़े के ऊपर की खाल पर भी तो काला तिल है जिसको देखते ही मैं जान गई कि आप भी बहुत बड़े चोदू हैं दुनिया की किसी भी लड़की को संतुष्ट कर सकने की क्षमता आप में है सर…

आप भी अपनी शर्ट उतारिए ना !

तुम्हीं उतार दो ना… ! मैंने मुस्कराते हुए कहा।

वो बे-झिझक मेरी शर्ट उतार कर और मेरे खड़े लंड को पकड़े थ्री-सीटर सोफे की तरफ खींचते हुए ले गई और वहाँ मुझे आराम से बैठा दिया और खुद फर्श पर घुटनों के बल बैठ कर मेरा लंड फिर से चूसने लगी।

मैं भी आराम से बैठ कर उसके मुँह को चोदने लगा। कोई 15 मिनट चुसाने के बाद मेरा लण्ड जब झड़ने वाला था तो मैंने रश्मि से कहा कि वो अपना मुँह मेरे लंड से हटा ले ताकि मैं बाहर झड़ सकूँ।

वह बोली- मैं आप का सोमरस पियूँगी !

और लगी कस के चूसने ! और फ़िर मैं एक झटके से उसके मुँह में झड़ गया। उसने मेरा सारा वीर्य बड़े चाव से स्वाद ले कर गटक लिया। रश्मि का ब्लो-जोब इतना खास था कि मेरे जैसा चोदू और अनुभवी आदमी जिसको झड़ने के लिए कम से कम 45 मिनट चाहिए, उसको रश्मि ने मात्र 15 मिनट में ही खलास कर दिया।

मैं बगैर पूछे न रह सका- रश्मि डार्लिंग ! यह बताओ ! आम तौर पर भारतीय नारी वीर्य नहीं पीती है, फिर तुमने मेरा सारा वीर्य क्यों पिया?

उसने अपनी पूरी स्पर्म थैरेपी की बात बतानी शुरू की…

आगे की कहानी दूसरे भाग में !

स्पर्म थैरेपी – 2

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प्रेषक : मुन्ना लाल गुप्ता

प्रथम भाग से आगे :

रश्मि का ब्लो-जोब इतना खास था कि मेरे जैसा चोदू और अनुभवी आदमी जिसको झड़ने के लिए कम से कम 45 मिनट चाहिए, उसको रश्मि ने मात्र 15 मिनट में ही खलास कर दिया।

मैं बगैर पूछे न रह सका- रश्मि डार्लिंग ! यह बताओ ! आम तौर पर भारतीय नारी वीर्य नहीं पीती है, फिर तुमने मेरा सारा वीर्य क्यों पिया?

उसने अपनी पूरी स्पर्म थैरेपी की बात बतानी शुरू की…

मैं बचपन में बहुत दुबली थी, 18 साल तक मेरा मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ और ना ही मेरी बड़ी चूचियाँ निकली, बहुत छोटी छोटी थी, हालांकि मेरी चूत की ग्रोथ सामान्य 18 साल वाली ही थी।

मेरी सभी सहेलियों की बड़ी-2 चूचियाँ थी और मासिक धर्म भी होते थे। वो सब अक्सर चिढ़ाया करती थी कि तुम्हारी शादी नहीं होगी, कोई लड़का तुमको चोदेगा नहीं।

मुझे बहुत आत्म-ग्लानि होती थी, तब मम्मी ने मेरा इलाज कराना शुरू किया। सभी बड़े डाक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

इन्हीं सब में पूरा एक साल निकल गया। फिर पड़ोस की आंटी ने मम्मी से कहा कि बम्बई में एक बहुत प्रसिद्ध डाक्टर है जिनका नाम डाक्टर जे के लाल जो सेक्सोलॉजिस्ट है, उनको दिखाओ।

मेरी मम्मी बहुत स्मार्ट हैं, वह कॉलेज में पढ़ाती हैं, वह समझ गई कि समस्या बहुत गम्भीर है। अगर बेटी की जिन्दगी बनानी है तो कुछ करना पड़ेगा, इसलिए मम्मी मुझे बम्बई ले कर गई।

डाक्टर लाल की क्लीनिक बहुत बड़ी थी उनकी 1000 रूपए फीस थी, काउन्टर पर 1000/- जमा कर के पर्चा बनवाया, भीड़ बहुत थी बाहर के मरीज ज्यादा थे।

कोई एक घंटे के बाद मेरा नम्बर आया और हम लोग डाक्टर के केबिन में घुसे, डाक्टर साहब की उमर तकरीबन 55 वर्ष की होगी, बहुत गम्भीर और सौम्य लग रहे थे। मम्मी ने डाक्टर साहब को मेरी समस्या एवं पूरी केस हिस्ट्री बताई।

डाक्टर ने बड़े धैर्य से सुना, फिर बोले- इससे पहले आप के खानदान में कोई इस प्रकार की बीमारी से ग्रसित तो नहीं है?

मम्मी ने कहा- नहीं ! कोई नहीं… डाक्टर साहब।

फिर डाक्टर साहब ने बड़े गम्भीरता से मम्मी से कहा- चेकअप रूम में अपनी बेटी को ले जाइये, मैं आ कर देखता हूँ।

हम लोग चेकअप रूम में चले गये। कोई 15 मिनट के अन्दर ही डाक्टर साहब आ गये। डाक्टर ने मेरे सारे कपड़े उतरवा दिए, बड़ी सावधनी से मेरे चुचूकों और बुर को देखा। फिर डाक्टर मेरी बुर के अन्दर दो तीन मशीनें डाल कर काफी देर तक देखते रहे। फिर मुझसे बोले- अब आप अपने कपड़े पहन लीजिये और अपने केबिन में मम्मी को बुलाते हुए चले गये।

मैं कपड़े पहन कर मम्मी के साथ डाक्टर के केबिन में गई। डाक्टर ने मम्मी को बड़ी गम्भीरता से बाताया- रोग जटिल है, एक्यूट हार्मोनल डिसओर्डर है ! इसका इलाज बहुत महंगा है क्या आप इतना खर्च कर सकेंगी?

मम्मी ने पूछा- कितना खर्च आएगा?

तकरीबन 5 लाख… डाक्टर ने बताया।

मम्मी निराश होते हुए बोली- हम लोग मध्यम वर्ग से हैं, हम लोग इतना खर्च नहीं कर सकते। कुछ सस्ता इलाज बताइये…डाक्टर साहब !

डाक्टर कुछ सोच कर बोले- देखिये मैडम, जो इलाज मैं बताने जा रहा हूँ उसमें कोई खर्चा तो नहीं है, बस उस इलाज को भारतीय समाज में मान्यता नहीं मिली है ! क्या आप कर पाएंगी ?

मम्मी पहले तो कुछ पल तक चुप रही फिर बोली- मुझे अपनी बेटी की जिन्दगी संवारनी है, मैं करुंगी, डाक्टर साहब आप इलाज बताइये।

डाक्टर ने कहा- एक बार फिर से विचार कर लीजिए…

मम्मी ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया- डाक्टर साहब, मैं कर लूंगी।

ओके ! डाक्टर बोले- देखिये आप की बेटी को “सेक्सुअल एराउज़ल एण्ड स्पर्म थैरेपी” करानी पड़ेगी।

इसमें क्या होता है? मम्मी ने पूछा।

डाक्टर साहब बोले- फ्रेश ह्युमन स्पर्म एक प्रकार का ऐसा नैचुरल प्रोटीन होता है, जिसके पीने से इंसान के हर्मोनल डिसओर्डर दूर हो जाते हैं इसलिये रश्मि बोटिया को 50 एम एल बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म प्रति दिन एक साल तक पीना है और इतने ही समय तक प्रति दिन कम से कम दो बार सेक्स करना है। इस थैरेपी से आपकी बेटी के सभी अविकसित अंगों का विकास हो जायेगा और फ़ीगर दूसरी लड़कियों की तरह बिलकुल सामान्य हो जायेगी…।

मम्मी बोली- ठीक है, मैं तैयार हूँ ! लेकिन डाक्टर साहब… बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म मैं कैसे अरेन्ज करूंगी?

डाक्टर बोला- वो तो आपकी प्रोबलम है कि कैसे अरेन्ज करना है… हाँ मैं रश्मि को ट्रेनिंग दे सकता हूँ कि कैसे फ्रेश ह्युमन स्पर्म पियेगी।

मम्मी बोली- ठीक है डाक्टर साहब… मेरी बेटी को ट्रेनिंग दे दीजिये।

ओके !

डाक्टर उठ कर चेकअप रूम की तरफ चलने लगे और मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लेकर अन्दर आइये।

मैं और मम्मी डाक्टर के पीछे चेकअप रूम में चले गये। वहाँ डाक्टर खुद चेकअप बेड पर लेट गये और बेड के बाईं साइड पर मम्मी से कहा कि आप यहाँ खड़ी होइये और मुझसे कहा- बेटा आप यहाँ हमारी दाहिने तरफ़ कमर के पास खड़ी होइये और मेरी पैंट खोल कर मेरा लिंग निकालिए…।

मैंने मम्मी की तरफ देखा…

मम्मी ने कहा- जैसे डाक्टर साहब कह्ते हैं, वैसे करो…

मैंने डाक्टर साहब की पैन्ट खोली, फिर अन्डरवियर से मुर्झाया हुआ लिंग बाहर निकाला। मैं पहली बार किसी मर्द के लिंग को देख रही थी। फिर डाक्टर साहब की तरफ देखने लगी।

डाक्टर साहब मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लिंग खड़ा करना बताइये।

मम्मी ने मुझे आदमी के लिंग को खड़ा करने का तरीका सिखाया।

अब डाक्टर साहब का लिंग बिलकुल टाइट हमारे हाथों में था।

अब डाक्टर साहब की बारी थी, वह बड़े सलीके से बोले- बेटी रश्मि, मेरे लिंग को अपने मुँह में लेकर कस कर चूसो और साथ ही साथ अपनी जबान से लिंग के सुपारे को चाटो और यह क्रिया तब तक करती रहो जब तक कि लिंग से वीर्य न निकलने लगे और फिर उस वीर्य को तुम्हें अन्दर ही अन्दर पी लेना है। इस क्रिया को आम भाषा में “ब्लो जोब” कहते हैं। ध्यान रहे कि जब वीर्य निकलने लगे उस समय लिंग तुम्हारे मुँह में ही होना चाहिए। बाहरी हवा वीर्य में लगने से वीर्य ऑक्सीडाइज हो जाता है, उसको पीने से कोई फायदा नहीं। अब जैसा मैंने कहा वैसे करो।

मम्मी ने बीच में कहा- हाँ बेटा, जैसे डाक्टर साहब ने कहा है, वैसे करो ! मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।

फिर मैं डाक्टर साहब के लिंग को वैसे ही चूसने लगी जैसे कि डाक्टर साहब ने बताया था। मुझे इस इलाज में बड़ा मजा आ रहा था, मैं डाक्टर साहब के लिंग को चूसे जा रही थी, डाक्टर सहब का लिंग और कड़ा होता जा रहा था डाक्टर साहब अपने लिंग को मेरे मुँह के और अन्दर तक घुसेड़ने में लगे थे। कभी कभी मुझे उबकाई जैसे लग रही थी लेकिन मुझे तो पूरी लड़की बनना था इसलिये इसकी परवाह किये बगैर डाक्टर साहब का लिंग चूसे जा रही थी।

इतने में डाक्टर साहब ने अपनी कमर को मेरे मुँह की तरफ ठेला और उनके लिंग से कुछ नमकीन-2 गोंद सा मेरे मुँह में निकलने लगा। मैंने अपना मुँह लिंग से हटाना चाहा लेकिन डाक्टर साहब ने तुरन्त मेरे सर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे मुँह में गहराई तक घुसेड़ दिया। मेरा मुँह उस गोंद से भर गया। डाक्टर साहब ने धीरे से अपना लिंग मेरे मुँह से निकाला और बोले- इसे पी लो। यही वीर्य है जिसे तुम्हें रोज पीना है, चाहे तुम्हे अच्छा लगे या ना लगे ! और आपकी मम्मी आप को सेक्स करने का तरीका यानि कि चुदवाने का तरीका सिखा देंगी।

यह कहते हुए उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और केबिन में चले गये।

मम्मी ने मुझसे पूछा- कोई तकलीफ तो नहीं हुई?

मैंने नकारात्मक सर हिलाया, कहा- नहीं !

मम्मी डाक्टर साहब के इलाज से काफी संतुष्ट लग रही थी फिर हम लोग डाक्टर साहब के केबिन की तरफ बढ़ गये। डाक्टर साहब अपनी कुर्सी पर बैठे थे, हम लोगों को देख कर मम्मी से बोले- देखिये, रश्मि को मैंने स्पर्म थैरेपी के बेसिक्स बता दिये हैं, शुरू में थोड़ी दिक्कत आ सकती है पर धीरे-2 सब ठीक हो जायेगा। यदि कोई दिक्कत हो तो आप मुझे फोन कर सकती हैं। विश यू आल द बैस्ट ! डाक्टर साहब बोले।

शाम को हम लोगों का रिजर्वेशन था हम लोग वापस लखनऊ आ गये।

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