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स्पर्म थैरेपी – 3

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प्रेषक : मुन्ना लाल गुप्ता

द्वीतीय भाग से आगे :

अब मम्मी के सामने यह समस्या थी कि वीर्य के लिए किससे कहे, जोकि रोज ताज़ा वीर्य मुझे पिला सके। ऐसे किसी से कह नहीं सकते, समाज का भय था। इसी चिंता में मम्मी थी कि तभी फ़ूफा जी कानपुर से आ गए। फ़ूफा जी अक्सर ही आया करते थे और एक दो हफ्ते रहते थे। हम लोगों की सभी जरूरतें पूरी किया करते थे।

मम्मी ने मेरे फूफा जी से इस सन्दर्भ में बात की। फ़ूफा जी अक्सर मेरी मम्मी को चोदा करते थे। मैंने छुप कर कई बार देखा था, उनका लंड बहुत मोटा और लम्बा था जो कि मेरी मम्मी को बहुत पसन्द था और मुझे भी !

मम्मी को चुदते देख कर अच्छा लगता था, मन में मैं सोचा करती थी कि काश ऐसे ही कोई मुझे चोदे, लेकिन मेरी तरफ तो कोई लड़का देखता ही नहीं था।

खैर मम्मी ने फ़ूफा जी को मेरे लिये तैयार कर लिया। रात को खाना खाने के बाद मम्मी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा- तुम्हारे फूफा तैयार हैं, फिलहाल तुम अपने फूफा का लन्ड चूस कर जितना वीर्य निकले उसे पी जाओ।

मैंने पूछा- यह लन्ड क्या है ?

मम्मी ने बताया- लिंग को ही आम भाषा में लन्ड कहते हैं। चलो, जल्दी से पी जाओ।

मैं फूफा के पास गई। फूफा अपने बिस्तर पर बिल्कुल नंगे लेटे थे। मम्मी ने पहले से ही उनके लन्ड को तैयार कर दिया था बस मुझे चूस कर वीर्य पीना था।

मैंने फूफा का लन्ड अपने कोमल हाथों से पकड़ा और ठीक वैसे ही चूसने लगी जैसे डाक्टर साहब ने बताया था।

फूफा को मजा आने लगा। फूफा ने मम्मी से कहा- यह तो बहुत मस्त तरीके से चूस रही है !

मम्मी ने मुस्कराकर कहा- ट्रेनिंग जो ली है, इसीलिये मस्त चूस रही है।

इतने में फूफा ने हाथ बढ़ा कर मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया और लगे उनकी चूची दबाने…

मम्मी ने विरोध करते हुए कहा- क्या करते हो? बेटी है।

अब बेटी से क्या पर्दा…? फूफा बड़े प्यार से बोले- आओ हम सब आज मौज मस्ती करें ! बेटी का इलाज का इलाज हो जयेगा और मस्ती भी।

फूफा ने मम्मी का ब्लाउज खोल दिया। मम्मी की बड़ी-2 चूचियाँ बाहर आ गई।

फिर फूफा मुझसे बोले- बेटा, तुम भी अपने सारे कपड़े उतार दो।

मैंने फूफा की आज्ञा का पालन किया। उधर फूफा ने मम्मी को बिलकुल नंगा कर दिया। अब हम सब लोग एक ही बिस्तर पर नंगे थे। मैं फूफा का लन्ड फिर से चूसने लगी, फूफा मम्मी की चूचियाँ चूस रहे थे और एक हाथ से मम्मी कि बुर में उंगली कर रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी बुर सहला रहे थे। मुझे कुछ कुछ होने लगा और बुर से कुछ लसलसा पदर्थ निकल रहा था।

फूफा मम्मी से बोले- अरे, रश्मि की चूत से पानी निकल रहा है !

मम्मी ने तुरन्त मेरी टांगें फैला कर देखा और चूत पर उंगलियों से टटोला, फिर एक उंगली चूत में घुसेड़ कर अन्दर-बाहर करने लगीं और फूफा से बोली- रश्मि अब चुदने लायक हो गई है क्योंकि इसके हल्की-2 झाटें भी आ गई हैं और चूत का छेद भी बड़ा लग रहा है। आप ही इसकी बुर का उदघाटन करिये, ठीक रहेगा।

फूफा ने मम्मी की आज्ञा का पालन किया और उठ कर मेरी चूत को बड़े गौर से देखा… यार इसकी चूत तो बहुत छोटी है मेरा लन्ड झेल पायेगी… मम्मी से बोले।

आप कोशिश तो करिये ! एक बार में न सही, दो तीन बार में तो हो ही जायेगा।

मैं यह सब सुन कर बहुत उत्साहित थी कि आज से मेरी चुदाई शुरू हो जायेगी।

फिर मम्मी ने मेरी दोनों टांगें फैलाते हुए ऊपर उठा लिया और फूफा से बोलीं- चलिये, अब आप इसे चोदिये !

फूफा ने मेरी गीली चूर पर अपना हलब्बी लन्ड रखा और हलके से चूत में घुसेड़ा, मेरे मुँह से अचानक चीख निकल गई।

क्या हुआ बेटा… मम्मी ने पूछा।

बहुत दर्द हो रहा है… मैंने कहा।

तब तक फूफा अपना लन्ड निकाल चुके थे और मम्मी से बोले- पहले रश्मि को किसी पतले लन्ड से चुदवाना पड़ेगा फिर ये मेरा लन्ड सह सकेगी।

ठीक है ! विशाल पाँच दिनों की छुट्टी में कल आ रहा है, उसका लन्ड अभी पतला ही होगा, पहले उसी से इसको चुदवाती हूँ, दो चार बार चुदेगी तो इसकी बुर रवां हो जायेगी, फिर आप चोदियेगा। फिल हाल बेटा तुम फूफा का रस पी लो। कम से कम आज की डोज तो मिल ही जाय… मम्मी मुझसे बोली।

(विशाल मेरा ममेरा भाई, जो गाजियाबाद से बीटेक कर रहा था)

मैंने फिर से फूफा का लन्ड चूसना चालू किया। फूफा का लन्ड फिर से टाईट हो गया और वो अपना लन्ड मेरे मुँह में बड़े जोरों से पेलने लगे, उन्हें बड़ा मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा मुँह उनके वीर्य से भर गया, मम्मी ने हमसे मुँह खोल कर दिखाने के लिए कहा।

मैंने मुँह में जितना वीर्य था उसको दिखाया।

मम्मी बोली- यह तो बहुत कम है ! ऐसे कैसे काम चलेगा? क्योंकि 50 एम एल वीर्य रोज चाहिए। खैर इसको तो तुम पी ही जाओ, कल देखेंगे।

फिर मैं कपड़े पहन कर अपने कमरे में सोने चली गई। बाद में फूफा ने मम्मी की भी चुदाई की, क्योंकि उनके कमरे से भचा भच की आवाजें आ रही थी।

मैं बहुत थक गई थी थोड़ी ही देर में मुझे नींद आ गई।


स्पर्म थैरेपी – 4

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प्रेषक : मुन्ना लाल गुप्ता

तृतीय भाग से आगे :

अगले दिन रविवार था। सभी लोग जल्दी ही उठ गए थे क्योंकि विशाल भैया लखनऊ मेल से सुबह आठ बजे ही आ गये थे। हम लोग विशाल भैया से कोई एक साल के बाद मिल रहे थे। विशाल भैया को मेरे इलाज के बारे में कुछ पता नहीं था। सभी लोग खुश थे, चाय नाश्ते के साथ हंसी मजाक चल रहा था। मैं कुछ जादा ही उत्साहित थी, यह सोच कर कि आज विशाल भैया मुझे चोदेंगे।

अचानक विशाल भैया मेरी तरफ देखते हुए मम्मी से बोले- लगता है रश्मि छोटी की छोटी ही रह जाएगी, बढ़ेगी नहीं।

इस पर मम्मी ने मेरे इलाज के बारे में विशाल भैया को विस्तार से, गम्भीरता से बताया।

ठीक है ! मैंने भी डाक्टर लाल का नाम सुना है काफी मशहूर हैं, उन्होंने जो राय दी है वह ठीक है। जब तक मैं यहाँ हूँ। मैं ही अपना वीर्य पिला दूंगा !

और फिर हंसी मजाक चलने, होने लगा।

विशाल भैया चाय नाश्ता करने के बाद मम्मी से बोले- बुआ जी ! मुझे नींद आ रही है मैं रात को सो नहीं पाया।

मम्मी बोलीं- ठीक है, तुम स्लीपिंग सूट पहन कर कुछ देर आराम कर लो, जब खाना तैयार हो जाएगा, तब मैं तुमको उठा दूंगी।

इसके बाद मेरे फूफा अपने काम से बाहर चले गए, मम्मी और मैं खाने की तैयारी में लग गए।

खाना एक बजे तैयार हो गया। मम्मी ने मुझ से कहा- जाकर विशाल को जगा कर खाने के लिए बुला लो।

मैं भैया को उठाने के लिए उनके कमरे में गई। विशाल भैया सो रहे थे लेकिन उसका लंड पजामे के अन्दर पूरी तरह से खड़ा दिख रहा था। तभी मेरे दिमाग में सुबह की डोज लेने का खयाल आया और मैं उनके लंड को पजामे के ऊपर से ही पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। इतने में भैया की आँख खुल गई हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ सामान्य तरीके से देखा।

मैंने अपना हाथ लंड पर से हटा लिया और बोली- आप जब सोए हुए थे तो आप का लंड पूरी तरह से खड़ा था, देखिए अभी भी खड़ा है ! यह बताइये कि आप सपने में किसको चोद रहे थे? इतने में मम्मी भी कमरे में आ गईं, उन्होंने मेरी बातें सुन ली और भैया के पजामे की तरफ देखने लगी जिसमें भैया का लंड अभी भी ठुनकी मार रहा था और भैया उसको बैठाने की कोशिश कर रहा था …

हाँ विशाल ! बताओ… कोई लड़की है जिसकी तुम लेते हो?

विशाल भैया थोड़ा सा शरमाते हुए बोले- रेनू ! मेरी क्लास-मेट है !

अच्छा तो तुम उसी को नींद में चोद रहे थे… मम्मी ने व्यंग्य में कहा।

भैया मुस्कराने लगा।

फिर मम्मी ने कहा- चलो, अभी तुम्हारा मूड है ! रेनू समझ कर अपनी फुफेरी बहन को सुबह की डोज दे दो फिर आकर खाना खा लेना।

यह कहते हुए मम्मी कमरे से बाहर निकल गई।

विशाल अभी भी लेटा था उसने मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखा और बोला- चल रश्मि पहली बार चुदने के लिए तैयार हो जा।

मैं बोली- मैं तो सुबह से ही तैयार हूँ…

तो आ जा ! मेरा लंड पजामे के बाहर निकाल ! इसने भी बहुत दिनों से चूत के दर्शन नहीं किये हैं, तेरी अनचुदी चूत को चोद कर यह मस्त हो जाएगा।

फिर मैने विशाल का पजामा पूरा उतार दिया. उसका लंड अभी भी खड़ा था, मैं गप्प से मुँह में ले कर चूसने लगी। भैया का लंड और कड़ा हो गया। मैं लंड के सुपारे को कस कर चूस रही थी, भैया मेरे मुँह को कायदे से चोद रहा था।

पांच मिनट के बाद वह बोला- तुम अपने सारे कपड़े उतार दो ! अब मैं तुम्हारी चूत को चोदूँगा।

मैंने सारे कपड़े उतार दिए। फिर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी टांगें फैलाई और फिर 69 की अवस्था में मेरी चूत को चाटने लगा। मैं उसके लंड को कस कर चूसने लगी। जैसे जैसे भैया मेरी चूत को चूस रहा था, वैसे-वैसे मेरी चूत में चुदाई की चाहत बढ़ती जा रही थी, मेरी चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ना शुरू कर दिया था। भैया का पूरा चेहरा मेरी चूत के पानी से भीग गया था।

भैया ने कहा- तुम तो बहुत जबरदस्त झड़ती हो ! लगता है तुम्हारी चूत अब चुदने के लिए तैयार है।

मैंने कहा- जी भैया… !

और फिर विशाल उठ कर बैठ गया और मेरी टांगें फैलाकर अपना फनफनाता हुआ लंड मेरी चूत के मुँह पर रख कर धीरे से अन्दर की तरफ ठेला।

हालांकि भैया का लंड थोड़ा पतला था लेकिन लम्बा था। फिर भी सुपारा घुसते ही मेरा चेहरा दर्द के मारे लाल हो गया।

भैया ने मेरी तरफ देखा और बोले- दर्द हो रहा है?

मैंने कहा- हाँ… बहुत दर्द हो रहा है।

भैया बोले- बस थोड़ा सा सह लो ! अभी यह दर्द मस्ती में बदल जएगा।

और भैया लगा कस कर पेलने।

भैया ने सही कहा था ! करीब 5मिनट के बाद मेरा सारा दर्द गायब हो गया था और मैं भैया से चिपटने लगी। विशाल मुझे कस कर चोदे जा रहा था !

मेरे मुँह से अनायास ही निकलने लगा- … ओह्ह्ह्ह्ह……आह्ह्ह्ह्… और कस कर चोदो मेरे अच्छे भैया… ओह माई गॉड प्लीज और अन्दर तक पेलो, मेरी बुर को चोद चोद कर भक्काड़ा कर दो प्लीज भैया… प्लीजऽऽऽ !

इस अलौकिक आनन्द से जैसे मैं पागल हुई जा रही थी और कई बार मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे बुर से पानी का फव्वारा निकला हो।

इतने में भैया ने झट से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मुझसे बोले- ले मेरे लंड को जल्दी से चूस ले ! माल निकलने वाला है !

मैंने तुरन्त उनका लन्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी ही देर में भैया का ढ़ेर सारा वीर्य मेरे मुँह में भर गया, मैं तुरन्त वीर्य को गटक गई भैया का वीर्य काफी स्वादिष्ट था।

इसके बाद हम लोग खाना खाने चले गए।

स्पर्म थैरेपी – 5

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प्रेषक : मुन्ना लाल गुप्ता

चतुर्थ भाग से आगे :

लंच के बाद विशाल भैया अपने किसी दोस्त से मिलने चले गए और मैं मम्मी के साथ घर के काम में लग गई।

शाम को विशाल भैया अपने दोस्त प्रदीप के साथ आये जो यहीं लखनऊ में रहते थे। वह भी बीबीडी से बी टेक कर रहे थे और साथ ही प्रईवेट फर्म में नौकरी करते थे। वह बहुत स्मार्ट थे, गोरा रंग,
सुगठित बदन खिलाड़ियों जैसा, कद 5’7″ कुल मिलाकर वह बिल्कुल मॉडल लगते थे। हम लोग उनसे पहले भी कई बार मिल चुके थे हम लोगों में शिष्टाचार का अदान प्रदान हुआ। फिर मम्मी ने प्रदीप से शिकायत भरे अन्दाज़ में कहा- जब विशाल आता है, तभी तुम भी आते हो, ऐसे भी कभी-2 आ जाया करो…।

प्रदीप भैया ने तिरछी नज़र से मेरी तरफ देखा और सेक्सी मुस्कराहट के साथ बड़े नाटकीय ढंग से मम्मी को सम्बोधित किया- आज के बाद आप को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा आंटी जी ! जब भी मुझे छुट्टी मिलेगी, मैं आप लोगों से मिलने अवश्य आऊंगा।

इस पर सभी लोग ठहाका लगाते हुए ड्राइंग रूम में बैठ गए और इधर उधर की बातें करने लगे। मैं उठ कर सबके लिए चाय बनाने किचन चली गई। जब मैं चाय ले कर वापस ड्राइंग रूम आई, वहाँ पर सब लोग शांत बैठे थे और प्रदीप भैया गौर से मुझे देखने लगे।

मैं समझ गई कि इस बीच मम्मी और विशाल भैया ने मेरे बारे में सब कुछ प्रदीप भैया को बता दिया होगा। और शायद मुझे वीर्य पिलाने के लिए प्रदीप भैया से आग्रह किया हो। इसीलिए प्रदीप भैया मेरी अविकसित चूचियों की तरफ बड़े गौर से देख रहे थे।

खैर मैंने सबको चाय एवं नाश्ता दिया।

प्रदीप भैया चाय पीते हुए बोले- यार रश्मि, तुम चाय बहुत बढ़िया बनाती हो !

इस पर मम्मी बोली- यह खाना भी बहुत अछा बनाती है ! आज तुम रश्मि के हाथ का बना खाना खा कर ही जाना…!

बीच में विशाल भैया बोले- हाँ यार ! चलो मुर्गा ले कर आते हैं ! बहुत दिनों से घर का बना मुर्गा नहीं खाया है।

मम्मी बोली- हाँ ठीक है ! जाओ, तुम लोग मुर्गा ले कर आओ, हम लोग खाने की तैयारी करते हैं।

भैया लोग मार्केट चले गए, थोड़ी ही देर में मुर्गा ले कर आ गए। मैं और मम्मी खाना बनाने में लग गए और भैया लोग ड्राईंग रूम में बैठ कर गप्प लड़ाने लगे।

थोड़ी ही देर में फूफा जी भी आ गए, फ़ूफा जी अक्सर शाम को ड्रिंक किया करते थे। इसलिए वो अपने साथ एक बोतल व्हिस्की भी ले आए और मुझे आवाज दे कर पुकारा- रश्मि… जरा तीन ग्लास और कुछ नम्कीन ले आना।

मैं समझ गई कि आज भैया लोगों को भी फूफा जी पिलायेंगे।

खैर मैं तीन ग्लास, नमकीन और पानी का जग ले कर ड्राइंग रूम पहुचीं। वहाँ पर फ़ूफा जी बोतल खोल रहे थे और भाइयों से बोल रहे थे- तुम लोग अब बड़े हो गए हो, शरमाना छोड़ो और हमारे साथ पियो।

जी फूफा जी… !

भाइयों को जैसे उनकी मन की मुराद पूरी हो गई।

इसके बाद ये सब लोग ड्रिंक करते रहे और हम लोग खाना बनाने में लगे रहे।

थोड़ी ही देर बाद जब खान तैयार हो गया, मम्मी ने किचान से ही आवाज लगाई- आप लोगों की ड्रिंक अगर खत्म हो गई हो तो खाना लगाया जाये…?

जवाब में फ़ूफा जी की आवाज आई- हाँ भाई… खाना लगाओ … बहुत भूख लगी है।

फिर सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। मैंने सबको खाना परोसा।

प्रदीप भैया पहला कौर खाते ही बोले- तुमने मुर्गा बहुत अछा बनाया है !

फिर सभी लोग खाने की तारीफ करने लगे।

खाना खाने के बाद प्रदीप भैया बोले- यार विशाल मैं चल रहा हूँ ! वरना मकान मालिक दरवाजा नहीं खोलेगा।

विशाल भैया बोले- यार आज तुम यहीं रुक जाओ, कल सुबह यहीं से कॉलेज चले जाना।

इस पर मम्मी बोली- हाँ ! यहीं रुक जाओ, इतनी रात में कहां जाओगे?

प्रदीप भैया कुछ रुक कर बोले- ठीक है आँटी !

इसी बीच फूफा जी मम्मी के बेडरूम में सोने चाले गए क्योंकि उनको कुछ ज्यादा ही चढ़ गई थी। वो जब भी आते थे वहीं मम्मी के साथ सोते थे।

फिर विशाल भैया बोले- ऐसा है कि हम लोग ड्राइंग रूम में सो जाते हैं…।

मम्मी बोली- नहीं ! तुम तीनों रश्मि के कमरे में सो जाओ… यहां ड्राइंग रूम में परेशानी होगी।

मम्मी यह कहते हुए अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गई।

मम्मी की बात सुन कर मैं बहुत उत्साहित हो गई और सोचने लगी कि आज तो प्रदीप भैया का भी लंड देखने को मिलेगा।

खैर मैं विकास भैया से बोली- आप लोग मेरे कमरे में चलिए, मैं मेन-गेट लॉक करके आती हूँ।

मैंने बाहर के सारे दरवाजे बन्द किए और फिर मम्मी के बेडरूम की तरफ से अपने कमरे जाने लगी। इतने में मम्मी के कमरे से कुछ अजीब सी, पर जानी पहचानी आवाजें आने लगी। मैंने खिड़की से झांक कर देखा- फूफा जी बेड पर सीधे नंगे लेटे हुए थे और मम्मी की चूत चाट रहे थे और मम्मी फूफा जी का लंड को लॉलीपाप की तरह चूस रही थी। दोनों 69 पोजीशन में थे और दुनिया से बेखबर सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे।

यह देखकर मेरा हाथ अनायास ही बुर को सहलाने लगा, थोड़ी देर तक मैं उन लोगों की चुदाई देखती रही, मेरी बुर पानी छोड़ने लगी जिससे मेरी सलवार भीगने लगी। फिर मुझसे रहा नहीं गया और भाग कर अपने कमरे में आ गई जहाँ पहले से ही भैया लोग बिस्तर पर लेटे थे।

मुझे देखकर विशाल भैया बोले- कोई लुंगी हो तो प्रदीप को दे दो ताकि वह अपने कपड़े बदल सके। कल फिर यही पहन लेगा।

मैंने कहा- लुंगी तो नहीं है ! आप चाहें तो मेरा लॉन्ग स्कर्ट पहन लें, वो भी लुंगी ही जैसी है !

यह कह कर मैं हंस दी…

इस पर विशाल भैया बोले- हाँ यार ! पहन ले ! मजा आयेगा।

मैंने उनको स्कर्ट दी, फिर प्रदीप ने मुझसे कहा- तुम बाहर जाओ, मैं कपड़े बदल लूँ… !

इस पर विशाल भैया बोले- यार रश्मि से क्या परदा ।

अभी हम सब लोग नंगे हो जायेंगे ! यह कहते हुए विशाल भैया खुद अपना स्लीपिंग सूट उतारने लगे और मुझसे बोले- रश्मि… तुम भी अपने कपड़े उतारो… नहीं तो प्रदीप शरमाएगा।

मैं तो यही चाहती थी, मैंने तुरन्त अपनी सलवार और कुर्ता उतार दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी थी, विशाल भैया भी नंगे हो चुके थे और अपने खड़े लंड से खेल रहे थे। यह देख कर प्रदीप भी अपने सारे कपड़े उतारने लगे। पहले उन्होंने अपनी शर्ट और बनियान उतारी फिर पैन्ट उतारी, जैसे ही प्रदीप ने अपनी चड्ढी उतारने के लिए हाथ बढ़ाया, वैसे ही विशाल भैया बोले- रुको प्रदीप, तुम्हारी चड्ढी रश्मि उतारेगी !

फिर मुझसे बोले- चलो, इसकी इसकी चड्ढी उतारो !

मैं प्रदीप भैया के पास पहुंची और उनकी चड्ढी नीचे सरका दी, उनका लंड पूरी तरह खड़ा था, सुपाड़े की त्वचा नीचे थी, गुलाबी रंग का सुपारा चमक रहा था, उनका लंड फूफा जी के लंड से भी बड़ा था लगभग 8″ लम्बा और 4″ मोटा ! बिल्कुल घोड़े के लंड की तरह था।

इसको देखते ही मेरे मुँह से अनायास निकल गया- ओह माई गॉडऽऽ ! आपका तो लंड बहुत मोटा और लम्बा है… प्रदीप भय्य्य्या…!

इस पर विशाल भैया मुझसे बोले- यार रश्मि… हम लोगों को ‘भैया’ मत कहा करो। सेक्सी फीलिंग की ऐसी की तैसी हो जाती है।

इस पर प्रदीप भी बोले- हाँ ‘भैया’ ना बोला करो, कम से कम चुदाई के माहौल में तो बिल्कुल नहीं !

मैंने कहा- ठीक है ! मैं नहीं कहूँगी, लेकिन बाहर सबके सामने तो कहना ही पड़ेगा।

इस पर विशाल बोले- हाँ, सबके सामने तुम कह सकती हो।

इसके बाद प्रदीप और विशाल दोनों हंसते हुए कहने लगे- हम लोग अब बहनचोद नहीं कहलाएंगे और रश्मि… तुम, भैया चोद नहीं कहलाओगी।

इस पर हम सब हंसने लगे।

फिर विशाल बोले- ऐसा है कि आज हम लोग तुमको एक साथ चोदेंगे।

मैंने पूछा- वो कैसे?

विशाल बोले- अभी बताता हूँ… ऐसा करो प्रदीप ! तुम लेट जाओ। रश्मि… तुम प्रदीप की टांगों के बीच में डॉगी स्टाइल से प्रदीप का हलब्बी लंड चूसो और मैं तुम्हारी चूत को चोदता हूँ ! इस तरह से तुम्हारी चूत रँवा हो जाएगी और जब प्रदीप तुम्हें चोदेगा तो तुमको कोई परेशानी नहीं होगी। ठीक है?

मैंने कहा- ठीक है।

फिर प्रदीप लेट गए, मैं कुतिया की तरह पोजीशन बना कर प्रदीप का लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन उसका सुपाड़ा इतना बड़ा था कि मेरे मुँह में पूरा घुस ही नहीं रहा था। फिर मैंने सुपारे को कोन-आइस्क्रीम की तरह चाटना शुरू किया। प्रदीप का लंड और टाइट हो गया। प्रदीप के मुँह से अह्ह्ह्…ओह्ह्ह निकलने लगा। मैं उनका लंड लगातार चूसे जा रही थी। इधर विशाल फर्श पर खड़े हो कर मेरी चूत में दो उंगलियाँ डाल कर अन्दर बाहर करने लगे।

तकरीबन एक मिनट के बाद वो तीन उंगलियाँ डाल कर अन्दर बाहर करने लगे। मेरी चूत बहुत टाइट थी, सिर्फ एक बार की चुदी थी, वो भी विशाल के पतले लंड से। शायद इसीलिए विशाल अपनी उंगलियों से चोद कर मेरी चूत को प्रदीप के लंड के काबिल बना रहे थे लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

फिर अचानक विशाल अपनी चार उंगलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगे। मुझे दर्द होने लगा।

मैंने चीखते हुए विशाल से कहा- दर्द हो रहा है, क्या मेरी चूत आज ही फाड़ डालोगे ?

विशाल बोले- अभी दर्द गायब हो जायेगा।

फिर वो उंगली अन्दर बाहर करने की स्पीड और बढ़ाते हुए मुझसे बोले- तुम्हारी चूत को आज हम लोग भोसड़ा बना देंगे ताकि तुम्हें आगे कोई परेशानी ना हो।

खैर ! जैसा कि विशाल ने कहा था वैसा ही हुआ।

थोड़ी ही देर में दर्द काफूर हो गया और अब मेरी चूत कस कर पानी छोड़ने लगी। फिर विशाल ने अपना लंड मेरी चूत में डाला और चोदना शुरू किया। उनका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुस रहा था जो कि काफी लम्बा था लेकिन पतला होने के कारण मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था। फिर भी मजा आ रहा था। इधर पूरी तरह से प्रदीप के लंड को चूसते चूसते मेरा मुँह भी ज्यादा खुलने लगा और अब मैं उसका पूरा सुपाड़ा अपने मुँह के अन्दर ले कर चूस रही थी। प्रदीप की हालत बिगड़ती जा रही थी और कमर उचका उचका कर मेरे मुँह को चोदने की कोशिश कर रहे थे। इतने में उनके मुँह से निकला- आह्ह्ह्… ! मैं तो खलास होने वाला हूँ ! रश्मि तुम लंड से मुँह मत हटाना…

और प्रदीप मेरे मुँह में झड़ने लगे। प्रदीप के लंड से इतना वीर्य निकला कि मेरा पूरा मुँह भर गया और थोड़ा सा बाहर भी बह कर निकलने लगा। मैं तुरन्त पूरा वीर्य पी गई और जो बह कर नीचे प्रदीप के लंड पर और उनकी झांटो पर गिर गया था उसको भी मैं चाट गई।

इधर विशाल मेरी चूत में लगातार धक्के मारे जा रहा था और ओह्ह्ह्… आह्ह्ह्ह्… की आवाजें निकाल रहा था, शायद वह भी झड़ने वाला था। फिर एक दम से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मुझसे बोला- ले जल्दी से मेरे लंड को चूस ! माल निकलने वाला है !

मैं प्रदीप के लंड को छोड़ कर विशाल की तरफ घूमी और जल्दी से उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और लगी कस कर चूसने।

कोई 30-40 सेकेंड में विशाल भी झड़ने लगा। विशाल का वीर्य उतना नही निकला जितना प्रदीप का निकला था, लेकिन विशाल का वीर्य ज्यादा स्वादिष्ट था और मुझे अपनी चूत के रस का भी स्वाद मिल रहा था। इन दोनो का वीर्य पी कर मेरा तो पेट ही भर गया था।

जब मैंने पलट कर प्रदीप की तरफ मुँह किया तो देखा कि प्रदीप अपने लंड को फिर खड़ा करने में लगा था। मैं समझ गई कि प्रदीप भी मेरी चूत को चोदना चाहता है।

मैंने उनसे कहा- मैं अभी आ रही हूँ…

और मैं नंगी ही टॉयलेट की तरफ भागी क्योंकि मुझे बहुत तेज पेशाब लगी थी। जब मैं टॉयलेट से लौट रही थी तो मैंने सोचा कि मम्मी के बेडरूम में झांक कर देखा जाए कि यहाँ क्या चल रहा है !

स्पर्म थैरेपी – 6

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प्रेषक : मुन्ना लाल गुप्ता

पंचम भाग से आगे :

जब मैं टॉयलेट से लौट रही थी तो मैंने सोचा कि मम्मी के बेडरूम में झांक कर देखा जाए कि यहाँ क्या चल रहा है !

मैंने देखा कि फूफा जी मम्मी को कुतिया की तरह बहुत तेजी से चोद रहे थे और मुँह से अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहे थे, साथ ही साथ उत्तेजना में गाली भी बक रहे थे।

इतने में मम्मी की नजर मेरे ऊपर पड़ी। मैं तुरन्त खिड़की से भागी लेकिन मम्मी ने आवाज दे कर मुझे अन्दर बुला लिया।

दरवाजा खुला था। मैं अन्दर चली गई।

फ़ूफा जी लगातार मम्मी को आँख बन्द कर के चोदे जा रहे थे। मेरी उपस्थिति का उन्हें पता ही नहीं चला। मम्मी ने मुझे धीरे से बगल में बैठने के लिए इशारा किया और मैं उनके बगल में बैठ गई। लेकिन शायद फ़ूफा जी को कुछ आभास हुआ और उन्होंने अपनी आँखें खोल दी।

मुझे अपने सामने नंगी देख कर बोले- तुम कब आई? चलो अच्छा है, अब मैं झड़ने वाला हूँ ! तुम इसे पी लो…

यह कहते हुए उन्होने मम्मी के भोसड़े से अपना लंड बाहर निकाला और खुद बेड से उतर कर खड़े हो गए। मैं घुटनों के बल उनकी टांगों के बीच बैठ कर हुंकार मारते हुए लंड को एक हाथ से पकड़ कर, गप से अपने मुंह में ले कर चूसने लगी और दूसरे हाथ से मैं अपनी चूत को सहलाने लगी। मेरी चूत अभी भी पूरी तरह गीली थी। मैं अपनी दो उंगलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी। इधर फूफा जी कुछ ही पलों में अपना पूरा लंड मेरे मुंह में घुसेड़ते हुए झड़ने लगे, मैं उनका वीर्य पीने लगी। जब उनका लंड झड़ना बन्द हुआ, तब मैंने उनका लंड मुँह से बाहर निकाला और भाग कर मैं अपने कमरे में आ गई।

यहाँ प्रदीप और विशाल अपना अपना लंड खड़ा किए हुए सहला रहे थे। मुझे देखते ही विशाल बोला- इतनी देर से तुम कहां थी?

कुछ नहीं… दरअसल फ़ूफा जी मम्मी को चोद रहे थे तो मम्मी ने मुझे उनका वीर्य पीने के लिए बुला लिया था, इसलिए थोड़ी देर लग गई।

विशाल बोले- ओह… यह बात थी। खैर उसी तरह से तुम मेरी टांगों के बीच डॉगी स्टाइल में आ जाओ। तुम्हारी चूत रंवा हो चुकी है और अब प्रदीप तुम्हें हचक कर चोदेगा।

मैंने वैसा ही किया जैसे विशाल ने कहा। प्रदीप अपना हलब्बी लंड हाथ से पकड़े मेरे चूतड़ों के पीछे पहुँच गया और उसने एक साथ अपनी तीन उंगलियों को मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मैं एकदम से उचक गई। इसकी मुझे कतई आशा नही थी कि प्रदीप पहले उंगलियों से चोदेगा। वो अपनी तीनों उंगलियों से कुछ देर चोदता रहा। मैं विशाल का लंड चूसे जा रही थी।

फिर प्रदीप ने चार उंगलियों से चोदना शुरू किया। मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था। अब मेरी चूत पूरी की पूरी गीली हो चुकी थी मेरी चूत से पानी बिस्तर पर टपकना शुरू हो गया था, शायद प्रदीप के लंड के स्वागत के लिए तैयार थी। यह बात प्रदीप भी जान गया था, तभी उसने उंगलियों से चोदना बन्द कर अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अपने खड़े लंड का सुपारा मेरी चूत के गुलाबी होठों पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मेरे पूरे बदन के रोएँ खड़े हो गए इस एहसास से कि जब प्रदीप अपना हलब्बी लंड घुसेड़ेगा तो कैसा लगेगा। मैं यह सोच ही रही थी कि तभी लंड का सुपारा मेरी चूत में घुसा। मुझे लगा कि कोई बहुत मोटा लट्ठ मेरी चूत को फाड़ कर अन्दर घुस रहा हो।

मैं दर्द के मारे कराहने लगी, प्रदीप बोले- बस रश्मि जान ! थोड़ा सा दर्द सह लो, अभी तुमको आराम मिल जायेगा।

मैं करती तो क्या करती? प्रदीप मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए थे और विशाल मेरा सिर को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़े हुए थे। मेरे मुँह से तो कराह की आवाज तक ठीक से नहीं निकल पा रही थी, मैं तो दोनों के बीच में फंसी थी। मेरी मजबूरी थी दर्द सहना।

लेकिन थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो गया क्योंकि अब प्रदीप का सुपारा मेरी चूत में थोड़ा थोड़ा अन्दर बाहर हो रहा था और बीच बीच में प्रदीप अपने लंड को मेरी चूत की थोड़ी गहराई में झटके से पेल देता था, फिर जल्दी से पूरा लंड बाहर निकाल लेता था। वह मुझे बड़े आहिस्ता आहिस्ता चोद रहा था अब मुझे धीरे-धीरे मजा आने लगा था। साथ ही साथ मैं विशाल के लंड को भी चूस रही थी। मैंने विशाल के लंड से अपना मुँह हटाया और प्रदीप से बोली- प्रदीप ! मुझे दर्द नहीं हो रहा है अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल सकते हो।

यह सुनते ही प्रदीप ने एक झटके में अपना पूरा 8 इन्ची लंड मेरी चूत में पेल दिया। एक पल के लिए मुझे हल्का सा दर्द महसूस हुआ। इसके बाद तो चुदाई का मजा आने लगा। प्रदीप लगातार पूरी गति से मुझे चोद रहा था और उसी गति से मैं अपनी गाण्ड आगे-पीछे कर के उसका साथ दे रही थी। दोनों लोग मुझको कस कर चोदते रहे, एक मुँह को, और दूसरा मेरी चूत को। इस बीच मैं कम से कम कम 7-8 बार झड़ चुकी थी।

करीब 30 मिनट के बाद विशाल ऐंठने लगा और वह मेरे मुँह के अन्दर ही झड़ गया। मैंने उसका वीर्य पी लिया। इधर प्रदीप ने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी। फिर एक झटके से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर बोले- मैं झड़ने वाला हूँ ! मेरे लंड को अपने मुँह में ले लो।

मैं बिल्कुल उल्टा घूम कर अपनी चूत विशाल की तरफ कर के प्रदीप का लंड, जोकि चुदाई के बाद और भी ज्यादा मोटा हो गया था, अपने मुँह में लेने का प्रयास किया लेकिन सुपाड़ा चुदाई के बाद इतना बड़ा हो गया था कि मैं उसको अपने मुँह में नहीं ले सकी सिर्फ चाट चाट कर वीर्य पीना पड़ा।

उधर जैसे ही विशाल ने मेरी चूत को देखा तो चिल्लाया- अबे प्रदीप, तूने तो रश्मि की चूत को भोसड़ा बना दिया। देखो तो इसकी चूत बिलकुल कमल की तरह खिल गई है।

प्रदीप मुस्कराने लगे और बोले- यार मैं जिसकी एक बार ले लेता हूँ उसकी बुर जिन्दगी भर के लिए भोसड़ा बन जाती है। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है यार ! मेरा लंड ही ऐसा है, मैं क्या करूं।

मैंने सोचा- देखें ! मेरी चूत प्रदीप की एक चुदाई से भोसड़ा कैसे बन गई।

मैं तुरन्त बेड से उतर कर ड्रेसिंग मिरर के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और अपनी दोनों टागें ऊपर उठा कर अपनी चूत को शीशे में देखते ही मेरे मुँह से निकला- ओह माई गॉड ! यह तो वाकई एक खूबसूरत भोसड़ा बन गई है।

अभी भी इसके दोनों लब दरवाजे की तरह दाएँ बाएँ खुले हुए थे और बीच में एक बड़ा सा दो इन्ची व्यास का छेद नजर आ रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियों को उसमें डाला। मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि मेरी भोसड़े में दो उंगलियां हैं !

मुझे बहुत खुशी हुई।

इसके बाद मैं उठ कर बेड पर दोनों के साथ लेट गई।

उस रात उन दोनों ने मेरी दो बार और चुदाई की। करीब तीन बजे हम सब थक कर वैसे ही नंगे सो गए।

कहानी अभी बाकी है दोस्तो !

स्पर्म थैरेपी – 7

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छटे भाग से आगे :

सुबह मम्मी ने हम लोगों को करीब नौ बजे जगाया।

हम लोग हड़बड़ा कर उठे और अपने अपने कपड़े को खोजने लगे। हम लोगों की हालत देख कर मम्मी बड़ी प्रसन्ता से बोली- मैं तुम लोगों के लिए चाय नाश्ता बना रही हूँ, फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल पर आ जाना।

यह कहते हुए मम्मी रसोई की तरफ चली गई। हम सभी लोग थोड़ी ही देर में डाइनिंग टेबल पर आ गए। चाय नाश्ता मेज़ पर लगा था।

मम्मी रसोई से आते हुए मुस्कराते हुए बोली- लगता है तुम लोगों ने रश्मि को रात भर कस कर चोदा है।

इस बात पर प्रदीप और विशाल बगैर कुछ बोले मुस्कराने लगे। नाश्ता करने के बाद प्रदीप और विशाल एक साथ कॉलेज के लिए निकल गए।

पाँच दिनों तक विशाल और प्रदीप मुझे सुबह और रात में दो दो बार चोदते रहे। उसके बाद विशाल दिल्ली चला गया और प्रदीप अपने घर चला गया। लेकिन रोज शाम को आकर मुझे चोदता था और वीर्य पिलाता था। कभी कभी प्रदीप के दोस्त भी मुझे चोदते और वीर्य पिलाते थे।

एक दिन प्रदीप के साथ उसका दोस्त मोहन त्रिपाठी आया। मैं समझ गई कि आज यह भी मुझे चोदेगा और वीर्य पिलाएगा।

खैर प्रदीप ने मोहन त्रिपाठी का परिचय मेरी मम्मी से कराया ये मेरे बड़े भाई के और मेरे भी दोस्त हैं ये ज्योतिष और हस्त रेखा के विशेषज्ञ है ये जो भी बात बताते हैं वो बिल्कुल सही निकलती है।

यह सुन कर मेरी मम्मी तुरन्त मेरे बारे में पूछने लगीं- मेरी बेटी रश्मि का बदन एक जवान लड़की की तरह होगा या नहीं और इसकी शादी कब होगी?

इस पर मोहन त्रिपाठी ने मेरी कुन्डली मांगी। मम्मी ने मोहन त्रिपाठी को कुन्डली ला कर दे दी। उन्होंने बड़े ध्यान से कुन्डली को पाँच मिनट तक देखा फिर मुझसे बोले- अपना बायाँ हाथ दिखाओ।

मेरा हाथ उलट पलट कर देखते रहे, फिर मम्मी से बोले- आपकी बेटी का हार्मोनल सिस्टम बिगड़ा है अगर एक चीज आपकी बेटी के शरीर में होगी तो वो बिलकुल ठीक हो जायेगी।

वोह क्या… मम्मी बोलीं।

इस पर पंडित जी ने प्रदीप के कान में कुछ कहा। फिर प्रदीप ने मम्मी को इशारे से अन्दर आने को कहा। प्रदीप और मम्मी अन्दर चले गए। प्रदीप ने मम्मी से कहा कि पंडित जी रश्मि की बुर का निरीक्षण करना चाहते हैं।

मम्मी ने अनुमति दे दी।

फिर प्रदीप ने आकर पंडित जी से कहा कि आप देख सकते हैं !

और मुझसे कहा कि सलवार उतार कर तुम अपनी बुर पंडित जी को दिखाओ।

मैंने वैसा ही किया जैसे प्रदीप ने कहा। मुझे अब किसी के सामने कपड़े उतारने में कोई संकोच नही होता था।

पंडित जी ने मेरी चूत को बारीकी से देखा और मुस्कराकर मम्मी से बोले- आपकी लड़की बिल्कुल सही हो जायेगी क्योंकि इसकी योनि पर काला तिल है, आपकी लड़की इतनी सेक्सी है कि कोई साधारण लड़का इसको संतुष्ट नहीं कर पायेगा, वही लड़का इसको संतुष्ट कर सकता है, जिसके लिंग पर काला तिल होगा। आप इसकी शादी उसी लड़के से करियेगा। और जहाँ तक इसकी शादी की बात है वह 28-29 वर्ष में हो जायेगी। आप की लड़की तो सुन्दरता का प्रयाय बनेगी। आप देखती जाइये। क्योंकि इसकी कुन्डली में पिछले तीन महीने से शुक्र की महादशा चल रही है आप बिलकुल निश्चिंत रहिए। फिर प्रदीप और पंडित बाहर चले गए। मैं और मम्मी, पंडित जी की भविष्यवाणी सुन कर बहुत प्रसन्न हुए।

इसके बाद यह थैरेपी करीब तीन महीने तक चली लेकिन कोई खास परिवर्तन मेरे बदन में नही दिखा। लेकिन मेरी मम्मी ने कहा- तुम लगातार वीर्य पान करती रहो।

चौथे महीने के एक दिन जब सुबह उठी, तो मुझे लगा कि मेरी बुर के पास की सलवार गीली है। मैंने हाथ लगा कर देखा कि मेरी बुर से खून रिस रहा था।

मैंने भाग कर मम्मी को बताया। मम्मी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और सलवार उतार कर मेरी बुर के होठों को फैला कर देखते ही बोली- चलो, तुम्हारे पीरियड शुरू हो गये हैं अब सब ठीक हो जायेगा। इसके बाद तो चुदाई में मुझे और मजा आने लगा। मेरी चुदाई से अब मेरे शरीर में परिवर्तन आने लगा था। पांचवे महीने मेरी चूचियाँ सन्तरे के बराबर हो चुकी थी और मेरा रंग भी पहले से ज्यादा साफ हो रहा था।

एक साल के बाद तो कोई मुझे पहचान ही नही सकता था। मैं एक सम्पूर्ण खूबसूरत लड़की हो चुकी थी। जहाँ भी जाती, लोग मुझे देखते ही रहते। अब तो मैं महफ़िलों की शान थी। जो भी लड़का मुझे देखता, वो चोदने के फिराक में आ जाता था। लेकिन मैं सबसे तो चुदवा नहीं सकती थी।

समय बीतता गया, बीच बीच में मेरे रिश्ते के मामा ने भी मेरी खूब चुदाई की। मुझे उनकी चुदाई में मजा भी आता था।

मम्मी अक्सर कहती थी कि तुम्हारी शादी इन्हीं से करवा दे ! लेकिन वो कभी भी मुझे पूर्ण संतिष्टि नहीं दे पाये। इसलिए मैंने उनसे शादी के लिए मना कर दिया। इसीलिए मैंने अपने कई ब्वाय फ्रेन्ड्स के साथ सेक्स किया लेकिन सर… ! मैंने किसी के लण्ड पर काला तिल नहीं देखा। मेरी उम्र बढ़ती जा रही थी। फिर मेरे पापा के जानने वाले ने मेरी शादी एक सी ए से तय करा दी। वो सी ए साधारण लड़का था। मैंने भी सोचा कि चलो इसी से कर लेते हैं। शादी हमारे समाज में आवश्यक है। जब कोई आदमी, जिसके लन्ड पर काला तिल होगा, मिलेगा, तो उससे अपनी चूत की आग बुझवा लिया करूगीं।

फिर कुछ दिनों के बाद मेरी शादी हो गई। दो महीने के बाद मैंने आप के यहाँ जॉब कर ली। और आज जब मैंने आप के लन्ड पर काला तिल देखा तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने तुरन्त आपके ऑफर को मान लिया। पंडित जी के अनुसार आप ही मुझे संतुष्ट कर सकते हैं !

यह सुनते ही मैंने कहा- ओह.. तो यह बात है… रश्मि। यही तो मैं सोच रहा था कि तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की इतनी आसानी से कैसे तैयार हो गई।

खैर मैंने रश्मि से कहा- चलो, आज मैं तुम्हारी अतृप्त वासना की इच्छा पूरी करता हूँ।

अगली कड़ी में समाप्य !

स्पर्म थैरेपी – 8

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सप्तम भाग से आगे :
ओह.. तो यह बात है… रश्मि। यही तो मैं सोच रहा था कि तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की इतनी आसानी से कैसे तैयार हो गई।
खैर मैंने रश्मि से कहा- चलो, आज मैं तुम्हारी अतृप्त वासना की इच्छा पूरी करता हूँ।

यह सब कहते हुये उसने मेरा लंड छोड़ा नहीं था बल्कि और भी जोर से पकड़ लिया था। मेरा लंड लोहे की छड़ की तरह सख्त हो चुका था। अंदर से मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था।
उसने पूछा- आपको मुझमें क्या अच्छा लगता है सर…?
मैंने कहा- तुम्हारे होंठ, तुम्हारे गाल … !
उसने कहा- और..?

वह कुछ और ही सुनना चाहती थी …
मैंने जारी रखा- तुम्हारे बड़े-बड़े स्तन … तुम्हारे चूतड़ … मैं इन्हें सहलाना चाहता हूँ … इनमें डूब जाना चाहता हूँ..!
उसने सिसकारती आवाज़ में कहा- आपको रोका किसने है सर … मैं तो कितने दिनों से यही चाह रही थी …

उसका इतना कहना था कि मैंने अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिये और दोनों हाथों से उसके स्तनों को मसलने लगा.
उसके भरे-भरे कठोर और बड़े स्तन थे, घुटने के बल आकर उसने मेरे सुपारे को लॉलीपॉप की तरह फिर से चूसना शुरू कर दिया।

मैं सिसकारियाँ लेने लगा और जोर-जोर से उसके स्तन मसलने लगा … थोड़ी देर बाद मेरे लंड के टिप पे लसलसा सा प्रि-कम आ गया था जो उसने मजे से चाट लिया।

अचानक वो खड़ी हुई … मैं भी खड़ा हो गया। उसने मेरा एक हाथ अपने वक्ष से हटाया और अपने दोनों टाँगों के बीच वहाँ रख दिया जहाँ दहकता लावा था …पहले तो मैं सहलाता रहा … नापता रहा दोनों पंखुड़ियाँ … उनके बीच की दरार … जहाँ हल्की-हल्की रिसावट हो रही थी … मैंने उसकी चूत के दरार पे उंगली फ़िराई …उसने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दिया और अपने गुदाज नितंबों को आगे-पीछे करने लगी…

मैंने अपनी एक उंगली धीरे से अंदर प्रविष्ट कर दी… वो चिहुँक उठी … .और अपना वस्ति-दोलन और तेज़ कर दिया … उसने अपनी आँखें बन्द कर रखी थीं … मैंने उंगली को आगे पीछे करना शुरु कर दिया …

वो मेरे लंड को एक हाथ में लेकर उसके चमड़े को आगे-पीछे करने लगी … मेरा सुपाड़ा और मोटा होता जा रहा था… उसकी चूत गीली होती जा रही थी … वो और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी … उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी।

और मैं उसकी दोनों टांगो के बीच फ़ँसी उस दरार को निहारने लगा जिसके पीछे ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग हो गई थी ! मैं तो सिर्फ मानव हूं।

फिर वो पीछे घूम गई … अब मेरा लंड उसके उन्न्त नितम्बों के बीच की खाई में झटके मार रहा था … ..मैंने उसके दोनों स्तन पकड़े और पीछे सट गया … वो अपने चूतड़ मेरे मुन्ने पर रगड़ने लगी। आह … स्वर्गीय आनंद था … कामुकता … वासना … अपनी चरम सीमा पर थी। मैंने उसके गर्दन पर एक चुम्बन दिया …

उसने कराहती सी वासना में लिप्त आवाज़ में कहा- उँह्ह्ह्ह्ह …

मैंने अपना एक हाथ उसके उरोज से हटाया और चूत पर फेरने लगा … एक छोटी सी … मटर के दाने जितनी घुंडी का अहसास हुआ … जाने क्यों मैं उस घुंडी को रगड़ने लगा और वो बेसाख़्ता सिसकारियाँ भरने लगी …और मेरे लंड को अपने गोल-गोल नितम्बो के बीच फ़ँसाकर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी …

लग रहा था किसी लावा में रगड़ा जा रहा है … मैं अपने आपको संयत कर पाता कि अचानक वो अपने दोनों हाथ सोफे के बैक पर रखकर झुक गई और जन्नत का दरवाजा मेरे सामने था। साँसें घुटती हुई सी लग रही थीं … धड़कनें थमी सी महसूस हो रही थीं …

सीटी बजाने के आकार में सुकड़ा हुआ भूरा सा गुदाद्वार किसी खिले हुए चमेली फूल सा लग रहा था …

उसके कुछ आधे इंच नीचे भूरे-भूरे रेशमी झाँटों की एक बारीख लाइन दिखाई दे रही थी … वो ऐसे लग रही थी जैसे रश्मि के सेक्सी होंठों को किसी ने वर्टिकल कर दिया हो … थोड़ा गुलाबी … थोड़ा बादामी … ऐसा कुछ रंग था उन होंठों के बीच …मेरे हाथ-पाँव भारी से होते जा रहे थे … मैं अपने घुटनों पर आ गया और जाने किस अनजान शक्ति ने मेरा मुँह उस खुशबूदार … तीन इंची दरार में टिका दिया … मेरी जीभ बाहर निकल आई और मैं कुत्ते की तरह उसकी बुर को चाटने लगा … कुछ नमकीन-कसैला सा स्वाद था …

अब वो कुछ अंड-बंड बकने लगी और अपने चूतड़ को आगे-पीछे करने लगी … मैंने अपने जीभ के आगे का हिस्सा नुकीला करके उसके योनिद्वार में घुसा दिया … उसकी सिसकारियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं …

मैंने जीभ को मटर के दाने जितनी घुंडी पर गोल-गोल घुमाना शुरु कर दिया … उसकी दरारों से और ज़्यादा नमकीन पानी रिसने लगा …

लंड का तनाव काबू से बाहर होता जा रहा था …जो आम तौर पर आठ इंच का दिखता था … आज नौ इंच का दिख रहा था … सुपारा अंगारा हो गया था … उतना ही गरम … उतना ही लाल … !

अपना दहकता अंगार मैंने रश्मि के सुलगते लावा में रख दिया … जिसे मैंने चाट-चाट के लाल कर दिया था …

उफ़ क्या गरमी थी … क्या नरमी थी …

अपने गरम सुपारे को उसकी चूत के दोनों होठों के बीच रगड़ने लगा … … जहाँ लसलसे पदार्थ का झरना सा बह रहा था …
रश्मि अपना नियंत्रण खोती जा रही थी … उसके तन-मन में मादकता छा गई थी … उसने अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया …
मैंने धीरे से सुपाड़ा अंदर घुसेड़ने की कोशिश की …

कोशिश इसलिये कह रहा हूँ कि सुपारा बार-बार फ़िसल जाता था … अंदर जा ही नहीं रहा था। इतनी चिकनाई होने के बावजूद उस चूत के छेद के लिये 4-5 इंच घेरे वाला लंड काफ़ी बड़ा साबित हो रहा था …।

मैंने एक हाथ से उसके नितंब को थामा … दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ा … उसे जन्नत के दरवाजे पर टिकाया और हाथ से पकड़े-पकड़े अपने चूतड़ों को एक जुम्बिश दी … सुपारा अन्दर समा गया … अभी भी आठ इंच का फ़ड़कता हुआ रॉड बुर के बाहर था … ऑफिस का एसी चलने चलने के बावज़ूद मैं पसीने-पसीने हो रहा था …।

अब मैंने लंड को छोड़ा … अपने आपको सीधा किया … गहरी साँस ली … दोनों हाथों से उसके गोल-गोल सुडौल नितंबों को थामा …नज़रें चमेली के फूल पर टिकाई और अपने चूतड़ों को जबरदस्त झटका दिया …

अब मेरा लौड़ा तकरीबन 4-5 इंच अंदर था, अंदर तो भट्टी दहक रही थी, सब कुछ गरम-गरम महसूस हो रहा था.

रश्मि कराह रही थी … थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही निश्चल रहे … लंड आधा ही अंदर था … मेरा लंड अंदर के कसाव के बावजूद फड़क रहा था …रश्मि चुपचाप मेरे लंड का फड़कन महसूस कर रही थी। … मैं भी उसके चूत की मांसपेशियों का फैलना और सुकड़ना को महसूस कर रहा था।

करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद उसने अपने आपको आगे पीछे हिलाना शुरू किया …

भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था … मुझे याद नहीं आ रहा है जाने कब मैं कुत्ते वाली स्टाइल में उसके ऊपर झुक गया था … उसके दोनों स्तन मेरे हाथ में थे और मैं पीछे से उसका चूतमर्दन कर रहा था।

मैं रफ़्तार पकड़ चुका था … और रश्मि भी अपने कूल्हों को हिला-हिला कर पूरा साथ निभा रही थी। उसकी सेक्सी आवाज़ मुझे और उत्तेजित कर रही थी … वो बड़बड़ा रही थी- पुश इट् हार्ड … पुश दैट मोर इनसाइड … ऊह्ह्ह्ह … ओ गॉड … आह..ऊँहु्ह्ह्ह … और जाने क्या-क्या …
अचानक उसका पूरा शरीर बुरी तरह काँपने लगा … ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पैर उसका बोझ नहीं सम्हाल पा रहे हैं …
उसके नितंबों में अजीब सी थरथराहट हो रही थी … और मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।

अचानक रश्मि भरभराकर कोहनियों के बल सोफे की सीट पर आ गई … उसका पेट और स्तन सीट पर टिके थे पर नितम्बों वाला हिस्सा ऊपर उठा हुआ था …

मैंने अपना लंड एक इंच पीछे खींचा … उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ा और दोनों कूल्हों के बीच निहारा … उसके फ़ाँकों के बीच फ़ंसे अपने खुद के अंग को देखकर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि पूरी ताकत के साथ लंड को वापिस पेल दिया …
रश्मि बोली- ओ गॉड … यह तो यूटेरस में टकरा रहा है …

इतना कहते ही उसके बुर से तेज धार सी निकली और मेरे झाँटों की भिगोती चली गई … मैं दुगनी रफ़्तार से भिड़ गया …
कोई 20-25 मिनट के बाद मेरे लंड में अजीब सी ऐंठन हुई और पता नहीं कितना वीर्य उसके बच्चेदानी के छेद पे न्यौछावर हो गया …
बस इतना पता है कि उसने कहा- ओह गॉड … .इतना सारा …?

मैं उसके खुशबूदार शरीर से चिपट गया … उसके स्तनों को मसलने लगा … मेरा लंड उसकी चूत में फैलने-सुकड़ने लगा … उसने पता नहीं क्या किया … ऐसा लगा जैसे मेरे लंड का पूरा रस अपने बुर को टाइट करके निचोड़ रही हो। मैं उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमता जा रहा था … हम दोनों तरबतर हो चुके थे !

इसके बाद हम लोग हांफते हुए सोफे पर कटे हुए पेड़ की तरह गिर पड़े।

उस दिन मैंने रश्मि को पाँच बजे तक चार बार चोदा।

आखिर में रश्मि ने कह ही दिया… सर आज से पहले इतनी खुशी नहीं मिली।

हम लोग ऑफिस बन्द कर के अपने अपने घर चले गये।

समाप्त

Hello world!

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मेरी प्यारी मामी की गांड

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दोस्तो, मेरा नाम राज है मेरी उम्र २५ है आज मैं आपको एक असली कहानी बताने जा रहा हूं दोस्तो मेरी मामी एक सेक्सी औरत है जो एक सेक्सी शरीर रखती है.

दोस्तो मैं अपनी मामी को ३ साल से बहुत प्यार करता था और उनको चोदना चाहता था पर मेरी हिम्मत उनको कहने की नहीं होती थी मै मामी को धीरे धीरे पटाने लगा मैं जब भी अपने मामी के घर जाता तो पटाने की कोशिश करता था.

जब एक बार रात को मैं अपनी मामी के पास सो रहा था तो मैंने अपनी मामी की चूचियों पर हाथ रख दिया लकिन मेरी मामी ने कोई आपत्ति नहीं की।
मुझे थोड़ा सा यकीन हो गया कि मामी मुझे से प्यार करती है अगले दिन मैने अपनी मामी को हिम्मत करके उनको प्रपोज़ कर दिया मेरी मामी ने मेरा प्रपोज़ स्वीकार कर कर लिया.
मैं उस समय बहुत खुश हुआ क्योंकि अब मामी को चोदना आसान था मैंने एकदम से अपनी मामी को सेक्स के लिए नहीं कहा मैं एक दो दिन बाद मामी को सेक्स के लिए कहा मेरी मामी एकदम से तैयार हो गई फिर हम दोनो अगले दिन का इंतजार करने लगे क्योंकि मेरे मामा सुबह ऑफीस चले जाते हैं और मेरी मामी के दोनो बच्चे स्कूल चले जाते हैं.

अगले दिन हम दोनो अकेले थे मेरी मामी ने जैसे ही दरवाजा बंद किया मैने अपनी मामी को अपनी बाहों में लेकर किस करना शुरू कर दिया मैने अपनी मामी को बेड पर लिटाया और उनकी लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया और एक हाथ से उनकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.

मेरी मामी भी मेरा किस करने में बहुत साथ दे रही थी फिर मैने अपनी मामी का सूट और सलवार को उतार दिया अब वो पेंटी और ब्रा में थी वो एकदम मस्त लग रही थी मेरी मामी ने भी मेरे कपड़े उतराने शुरू कर दिए अब मैं बिल्कुल नंगा था

मैने भी अपनी मामी को नंगी कर दिया था मैं अपनी मामी के बड़ी चूचियाँ और गांड को देख कर उतेजना से पागल हो रहा था मैने अपनी मामी को पहले लिप्स करता रहा और मैने अपना एक हाथ चूची पर और एक हाथ उनकी पुसी में देने लगा मेरी मामी भी उत्तेजना से पागल हो रही थी.

अब मेरी मामी ने मेरी चेस्ट को किस और चाटना शुरू कर दिया फिर मेरी मामी ने मेरे लंड को पकड़ कर उसे अपने मुँह में लेकर उसे चाटना शुरू किया मेरा लंड एक दम टाइट हो चुका था और मेरी मामी भी एक दम गरम हो चुकी थी मैने अपनी मामी को बेड पर लेटाया और उनकी दोनो टाँगो को फेलकर अपना लंड उनकी पुसी मे घुसाया ३ झटको में मेरा पूरा ६ इंच का लंड उनकी पुसी मे चला गया.

फिर मेरी मामी ने आआअहह आआ हह ऊऊ की आवाज़ निकलनी शुरू कर दी मैं पूरी तेज़ी से अपना लंड उनकी पुसी मे अंदर बाहर कर रहा था मेरी मामी फ़ुल मस्ती में आ चुकी थी वो भी अपनी गांड को ऊपर उठा कर मेरा साथ दे रही थी और साथ ही साथ मैं उनकी चूचियों को दबा रहा था.

फिर मैने मामी की दूसरी पोज़िशन मे चोदने का सोचा मैं लेट गया और उनको अपने लंड पर बैठाया फिर मैने उसकी पुसी मे अपना लंड डाला इस पोज़िशन में हम दोनो को मज़ा आ रहा था थोड़ी देर बाद मैने अपनी मामी को बेड पर लेटा कर ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया क्योंकि मेरा वीर्य बाहर निकलने वाला था मेरी मामी ने कहा की वो भी झड़ने वाली है अब हम दोनो क्लाइमॅक्स मे थे इतने में मामी ने अपना पानी छोड़ दिया और थोड़ी देर बाद मैने भी अपना वीर्य छोड़ दिया.

इसके बाद हम दोनो ने फिर एक दूसरे के पार्ट्स से खेलना शुरू किया एक बार हम दोनो फिर गरम हो गया इस बार हमने काफ़ी देर तक सेक्स किया.
इस बार मैं मामी की गाड़ को डॉगी स्टाइल मे चोदा लेकिन उनकी गांड में मेरा लंड काफ़ी मुश्किल से अंडर गया मेरी मामी दर्द से काफ़ी चीखी और आआ हूऊऊओ करने लगी मैने ६ – ७ झटको मे अपना लंड उनकी गांड मे डाल दिया थोड़ी देर गांड चोदने के बाद मैने अपना लंड उसकी पुसी मैं डालकर तेज़ी से झटके मारने शुरू कर दिया और उनके होंठों को किस करने लगा इतने मे मेरा लंड झड़ गया.

मेरी मामी मेरे से चुद कर बहुत खुश थी क्योंकि उन्हें एक जवान लड़के से चुदने को जो मिला था मेरी मामी उस पूरे दिन खुश थी.


वो शिमला वाली

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हाय दोस्तों

उमीद है आप भी मज़े में होंगे और स्टोरीज़ का मज़ा लेते हुये ज़िंदगी का आनन्द उठा रहे होंगे।

तो दोस्तों बात उस दिन कि है जब बारिश हो रही थी और मैं भीगता हुआ अपने घर की तरफ़ अपनी बाइक पे जा रहा था। शाम के करीब ५:३० का समय था। अचानक मैने देखा कि मेरी तरफ़ कोई लिफ़्ट के लिये कोई हाथ हिला रहा था, गौर से देखा तो वो २५-३० साल की एक युवती थी। मैने बाइक रोकी। वो मेरे पास आके पूछने लगी कि आप कहां जा रहे हो? मैने कहा-आपको कहां जाना है?

वो रेलवे स्टेशन जाना चाहती थी। मैने कहा कि मैं भी वहीं जा रहा हूं (जबकि मैं अपने घर जा रहा था)। वो मेरे पीछे बैठ गयि। मैं बाइक को रफ़्तार से दौड़ाने लगा। उसके मोम्मे मेरी पीठ से सटे हुये थे। मैं गरम हो रहा था। बातों बातों में पता चला कि वो शिमला में जोब करती है, उस का पति दिल्ली में कोई प्राइवेट जोब करता था और वो अपनी बेटी को लेने के लिये जा रही थी जो आज़ ट्रैन से आने वाली थी।

हम रेलवे स्टेशन पहुँच गये थे, ट्रैन आने में अभी थोड़ा टाइम था, हम कैंटीन में चाय पीने चले गये। कैंटीन में उस ने जैसे ही उस ने अपना रैन कोट उतारा तो मुझे उस की जवानी के दर्शन हुये। गज़ब की खूबसूरति थी उस की। व्हाइट कलर के टोप में उस की ब्रा भी चमक रही थी सो उस के मोम्मो के साइज़ का अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं था। एक दम गोरी चिट्टी थी वो। चाय पीते हुये मैने उस के हुस्न का नज़ारा लिया और खूब बातें भी की। सर्दी के मौसम में उस की गरम जवानी ने मेरे रोम रोम में गरमी भर दी थी और मेरा लंड अपने आपे से बाहर हो रहा था।

तभी ट्रैन भी आ गयी। हमने उस की ५ साल की बेटी को साथ लिया और फ़िर मैने उसे कहा-मैं आपके घर तक छोड़ देता हूं, उस ने मना किया लेकिन मैं जानना चाहता था कि वो कहां रहती है क्योंकि वो मुझे बता चुकी थी कि वो अकेली ही रहती है। मैने दोनो को बाइक पे बैठाया और उस के घर की तरफ़ चल दिया। उस का घर आते ही बारिश भी तेज़ हो गयी। उस ने मुझे बारिश रुकने तक रुकने के लिये कहा और मैं भी तो यहि चाहता था। मैं पूरी तरह भीग चुका था। उसने कोफ़ी बनायी और चेंज कर के जब वो मेरे सामने आयी तो ब्लैक सिल्की नाइटी में वो कोफ़ी से भी ज़्यादा गरम लग रही थी। दिल कर रहा था कि अभी चोद डालु साली को।

सफ़र की वजह से उसकी बेटी आते ही सो गयी थी, बारिश रुकने का नाम नही ले रही थी। तभी लाइट भी चली गयी। वो केंडिल लेने के लिये उठी, मैं भी उसकी मदद करने लगा लेकिन केंडिल नहीं मिली। अंधेरे में वो मुझपर गिर गयी। वाह क्या गरमी थी। उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया और छोड़ा ही नहीं, पहले उस ने विरोध किया लेकिन वो भी शायद कैइ दिनो की प्यासी थी तो उस ने भी ज़्यादा कोशिश नहीं की।

मैने उसके मोम्मे दबाने शुरु कर दिये, वो गरम हो रही थी। मैने धीरे धीरे अपना एक हाथ उसकी नाइटी उठाते हुये उसकी पैंटी में डाल दिया। वो सिहर उठी। मैने अपना मुँह उस की चुत के पास लाके उस की पैंटी को अलग कर दिया। उस की बालों वाली चूत एकदम सेक्सी थी। मैने उसे चाटना शुरु कर दिया। वो आआअह कर रही थी। मैं अपनी जीभ उस की चूत में डाल चुका था। मस्ती उफ़ान पे थी। मेरे दोनो हाथ उस के मोम्मो पे और जीभ उसकी चूत पे थी। वो आंखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी। जब उस से रहा नहीं गया तो उसने कहा प्लीज़ अब चोद भी दो, मैं बहुत दिन से प्यासी हूं।

मैने अपनी पैंट उतार दी। मेरा लंड देखते ही वो खुश हो गयी। मैने उसकी दोनो टांगों को खोला और फ़िर अपना अंडरवियर।

अपना लंड एक ही झटके में उस की चूत में डाल दिया। वो ऊऊउह की आवाज़ में मज़ा ले रही थी। अब कमरे में उस की आहें और फ़चाक फ़चाक की आवाज़ें गूंज रही थी।

वो बोली-और ज़ोर से चोदो मुझे, फ़ाड़ डालो मेरी चूत को। यो साली बड़े दिन से लंड की भूखी है।

आज इस की भूख और मेरी प्यास बुझा दो। चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो मुझे। उसके बोलने के साथ ही मेरी स्पीड भी बढ़ रही थी। ये सिलसिला करीब २५ मिनट चला फ़िर हम दोनो शांत होकर एक दूसरे से लिपट के लेटे रहे। १० मिनट बाद वो उठी और मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। उसने बड़े प्यार से मेरे लंड को कहा-यू आर सो स्वीट और अपने मुँह में डाल लिया। वो लंड को ऐसे चूस रही थी कि मानो लोलीपोप चूस रही हो। मेरा लंड दोबारा से चुदाई के लिये तैयार हो गया था। १५ मिनट के बाद मैने उसे घोड़ी बनाया और फ़िर पीछे से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया। वो चुद रही थी, मैं चोद रहा था। ये चुदायी सारी रात में ६ बार हुयी। बारिश भी तभी रुकी जब सुबह हुई और उसकी प्यास मैने बुझा दी।

उसके बाद जब भी वो या मैं चाहते तो मिलकर ये चुदाई का खेल खेलते हैं।

पापा के दो दोस्त मैं अकेली

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हैलो सभी अन्तरवासना के पाठकों को सरोज़ का खुली हुई टांगों से नमस्कार। मैने कुछ ही दिन पहले अन्तरवासना के बारे में सुना फ़िर मैने साइट खोली और मस्त हो गई। गरम हो गई। स्टोरीज़ पढ़ के कामुक हसीना बन गई। चलो छोड़ो काम की बात करते हैं।

मेरा नाम सरोज़ है मेरी उमर १८ साल की है। स्कूल में मेरी दोस्ती उन लड़कियों से हुई जो अमीरज़ादियां थीं मैं मिडिल क्लास से थी। मेरी पोकेट मनी कम ही थी। मैने एक अमीरज़ादे को अपना आशिक बना लिया मैं बेहद खूबसूरत हूं अपनी दोस्त के मुकाबले बहुत सेक्सी हूं मेरी सभी सहेलियां चुदासियां हैं अमीरज़ादे ने ज़्यादा टाइम वेस्ट न करते हुए अफ़ेयर के १० दिन बाद ही मेरी सील तोड़ डाली और मुझे भी सेक्स समुन्दर में धकेल दिया। वो बहुत शोपिंग करवाता मंहगे कपड़े मोबाइल, गोल्ड की चैन हमारा अफ़ेयर ३ महीने चला कि उसका एक्सिडेंट हो गया उसकी एक टांग टूट गई। मैं उससे मिलने गई और कहा जल्दी ठीक हो जाओगे।

सो अब मुद्दे पे आते हैं। एक रात की बात है रात के ९ बजे हुए थे मेरे पापा के २ दोस्त आये सभी ने उनका स्वागत किया वो ३ दिन के लिये आये थे। मम्मी नानी के यहाँ गई हुई थी। मैने और छोटी बहन ने उनकी खूब सेवा की डिनर दारु वगैरह पापा ने पिलायी। मैं उनको रूम दिखाने गई और वापिस आ गई जब मैं पानी का जग वहाँ रखने गई तो एक अंकल तो फ़्रेश होने बाथरूम में थे दूसरा अंकल चेंज कर रहा था उसने बनियान पहन लिया था पैजामा पहनने वाला था मैं जग लेकर गई मेरी नज़र सीधी न चाहते हुए भी उसके फ़ूले हुए कसे पेट ही, कई दिनों से चुदी नहीं थी, उसका माँसल शरीर छाती के बाल और फ़ूला हुआ लंड।

मैं वापस आ गई दीदी सो चुकी थी मेरी नज़र में बार बार उसका फ़ूला लंड आने लगा दरवाज़ा थोड़ा बंद किया परदा आगे किया और बेड पे बैठ गई नींद नहीं आई थी मैने अपना पैजामा नीचे किया और अपनी झांघों पे हाथ फ़ेरा और अपनी चूत सहलाने लगी उंगली डाल के मस्त होने लगी डैड भी ऊपर वाले रूम में सो चुके थे थोड़ी ही पी थी। परदे में अंकल चोरी सब कुछ देख रहे थे बोले नहीं। मैं इतनी गरम हो गई पानी ले गई जब मैं किचन से पानी लेने गई पीछे से मज़बूत बाहें मेरी पतली कमर पे डाल दीं। मुझे हैरानी हुई। मुझे यकीन था कि अंकल ने मुझे नोटिस किया था मैं एक दम मुड़ी और उनसे चिपक गई वो पागलों की तरह किचन की शेल्फ़ पे ही लिटा कर मेरे होंठ चूसने लगे और एक हाथ अंदर डाल मेरा मोम्मे दबाने लगे एक हाथ मेरी पैंटी में डाल चूत मसलने लगे।

मैं सिर्फ़ आहें भर रही थी कि तभी दूसरे अंकल अ गये दोनो मुझे पे टूट पड़े दोनो की उमर ४० से ऊपर ही थी। मुझे गोदी में उठा लिया बेडरूम में जा मुझे बेड पे फ़ेंका। दरवाज़ा बंद कर मुझे नंगी कर दिया मुझे अपने कच्छा उतारने को बोले मैं घुटनो के बल हो कच्छा उतारा और अंकल का लंड मुँह में भर लिया दूसरे की मुठ मारने लगी बारी बारी रंडी बन दोनो के लंड चूस रही थी अंकल ने मुझे सीधा लिटा अपना हथियार मेरी टांगे चौड़ी कर रखा और पुश किया थोड़ी परेशानी, तकलीफ़ हुई लकिन मैने डलवा लिया उनका लंड इतना मोटा लम्बा नहीं था महज़ ६ इंच होगा दूसरा बहुत मोटा लम्बा था ८ इंच का काला लंड वो अंकल है भी मद्रासी था अंकल मेरी चूत मार रहे था मैं लंड चूस नीचे से चूतड़ हिला रही थी।

उमर की भी फ़रक पड़ता है महज़ ६-७ मिनट में अंकल झड़ गये अब दूसरा मेरे ऊपर आया और मुझे कहा चूतड़ के नीचे तकिया रख लंड पेल दिया बहुत तकलीफ़ हुई लेकिन मैं कई बार चुदी हुई थी तब दूसरा अंकल आया मुझे पेग पिला दिया और खुद भी और फ़िर डाल दिया मुँह में दूसरे ने मुझे घोड़ी बना लिया और चोदने लगा मैं मजे में सीईईइ यस अंकल हरामी फ़ाद्दद्दद्दद्दद्द डाल्लल्लल्लल्लल मेरी चूत झड़ने वाली हूं कम चोद भोसड़ी के अंकल स्लेपिंग माई एस चीक्स बोले रंडी सारी रात फाडूंगा फ़िकर मत कर हलवा बना देंगे आज। कमीने मेरे बाप की उमर का है बुड्ढा ठरकी कुंवारी चूत मार्रर्रर्रर्रर्रर्रर दबाआ करते करते अंकल ने सीधा किया फ़िर डाल दिया ज़ोर ज़ोर से चुदने लगि तभी उसका लंड मेरी चूत एक साथ ही बह गये। गरम माल जब चूत को मिला तृप्त हो गई।

अब दूसरा तैयार था उसने इस बार मेरी गांड मारी

अन्तिमा की कमसिन चूत

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मैं संजु, 26, लखनऊ उत्तर प्रदेश, ज्योतिष और सेक्सी कहानियों का शौकीन. सभी भाभियों सालियों कुंवारी चुदी चुदाई चूतों, भोसड़ों को एक बार फ़िर आपका संजु बार बार प्रणाम करते हुए ये विश्वास दिलाता है कि जिस तरह से आपकी बुर और भाईयों के लंड से मेरी पहली कहानी पढ़कर वीर्य के छीटें हिन्दुस्तान, पाकिस्तान, ब्रिटेन, अमेरिका तक पहुंचे. इस बार भी आप लोग पहले की तरह मेल करके बताइयेगा कि बुर भोसड़ा बन गयी या नहीं लंड के चोदने की रफ़्तार 4 गुना हुई या नहीं. बुर के फ़ौव्वारे से आदमियों के लंड भीगे या नहीं?

कहानी पे आ जाइये भाई भाभी लंड पे हाथ बुर में उंगली सावधान, अन्तिमा मेरी दूर के रिश्ते की मौसी लगती है जिनका घर बंगलौर में है एक काम के सिलसिले में मैं उनके घर गया हुआ था, अन्तिमा जी की उमर 21 साल रंग गोरा 5’6 इंच. मैं उनके घर गया तो उनकी मामी ने मुझसे इंट्रोड्यूस कराया कि ये आपकी छोटी मौसी लगती है मोडल बनना चाहती है प्लीज़ थोड़ा इसके बारे में देख कर बताओ कि क्या इसे सक्सेस मिलेगी?

मैंने हाथ देखा और बोला- कोशिश कीजिये थोड़ी सफ़लता जरूर मिलेगी आपका भाग्य अच्छा है लेकिन आप मोडल्स सेलेक्ट करेंगी न कि खुद मोडल बने, आपकी शादी लव मैरिज का योग साफ़ दिख रहा है.
वो बोली- आप क्यों मम्मी को भड़का रहे हैं.
और पैर पटक कर अपने ऊपर वाले कमरे में चली गयी, उसने खाना भी नहीं खाया तो मैंने उनकी मम्मी से कहा- आप खाना लगाइये मैं उसे बुला कर लाता हूं.

मैं ऊपर गया तो उसका दरवाजा खोल कर अन्दर गया और दरवाज़ा फ़िर हल्का से बंद हो गया, वो बेड पर पेट के बल लेटी थी रो रही थी मुँह छुपाकर उसकी छोटी सी स्कर्ट उसके लेटने की वजह से थोड़ी और ऊपर हो गयी थी उसकी पिंक पेंटी साफ़ नजर आ रही थी चिकनी जांघें संगमरमर सा शरीर कि नीयत खराब हो जाये.
मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखकर कहा- अन्तिमा उठिये ये सब क्या है, प्लीज़ उठो चलो सब इन्तज़ार कर रहे हैं.

अचानक वो उठी और मेरे सीने से लिपटकर रोने लगी उसकी गोल चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थी उसकी पीठ सहलाते सहलाते मेरा लंड तन गया मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया 20 साल की गर्म लड़की मुझे बुरी तरह से अपने अंग से अंग को लगाकर दबाये जा रही थी.

उसने अपनी शर्ट के बटन को खोल दिया और बोली- संजु प्लीज़ आप जो चाहो कर लो लेकिन मम्मी से जो कहा है एक बार मम्मी से कह दो कि वो झूठ है मैंने बहुत सपने सजायें हैं बोलीवुड के लिये आज तक मैंने किसी लड़के को कुछ भी नहीं दिया प्लीज़ मेरे सपनों को मत तोड़ो… मैं जानती हूं कि कोई भी मर्द किसी लड़की की इज़्ज़त को लूटने के लिये कुछ भी कर सकता है मेरी सभी सहेलियाँ अपने ब्योयफ़्रेंड्स से सेक्स का मजा लेती हैं लेकिन आज तक मैंने कभी किसी भी मर्द को अपने चूचियाँ तक छूने नहीं दिया .. बुर तो आज भी मेरी उतनी ही खुली है कि मैं सिर्फ़ मूत सकूं, सारी फ़्रेंड्स जिनके पास ब्योय फ़्रेंड्स नहीं हैं वो एक दूसरे की चूचियाँ मुंह में लेकर चूसती हैं बुर में पानी की प्लास्टिक पाइप भी डलवाती हैं बिस्तर पर एक दूसरे की चूत से चूत रगड़कर झड़ जाती है…
वो बताती हैं कि तुम बहुत सेक्सी हो किसी भी तरह अगर महेश भट्ट या फ़िर राम गोपाल वर्मा के पास पहुंच जाओ तो तुम्हारा काम… जरूर हो जायेगा पर लिंक तो ढूंढना पड़ेगा… संजु आपके पास इतने बड़े बड़े कोन्टक्ट हैं प्लीज़ कोई भी जुगाड़ करो न..संजु मैंने आज तक अपनी झांटें ओरीजिनल रखी हैं कभी नहीं बनाई देखो ये रही!

उसने अपनी स्कर्ट उतार कर फ़ेंकी और अपनी बुर के पास मेरा हाथ लेगाया और बोली देखो प्लीज़… मैं झूठ नहीं बोल रही आप इतने अच्छे हो कि क्या कहूँ मुझे पता है कि आपकी कही बात गलत नहीं होती मैंने आपके बारे में सुन रखा है पर… क्या आपकी एक बात मेरी जिंदगी की सारी मेहनत, कुंवारी चूत की तपस्या सब बर्बाद हो जायेगीईई नहीं आपको मेरा सब कुछ सही करना होगा…जो पैसा लगेगा मैं दूंगी, मेरी सबसे बड़ी दौलत मेरी कुंवारी चूची और चूत है… आप जो करना चाहे…

मैं उसकी बातों को सुनकर स्टेच्यु हो गया कि क्या औरत या कोई भी लड़की इतनी बेशरमी से बात भी कर सकती है… मैंने कहा अच्छा नीचे…आओ सब लोग इन्तज़ार कर रहे हैं मैं देखता हूं क्या कर सकता हूं.
मेरा लंड तनकर बम्बू हो गया, चुदाई तो कर सकता था लेकिन कुछ परेशान भी था कि क्या करूं…
तो वो बोली नहीं अभी बताइये… ओहह अब समझी… मुझे आपको एडवांस देना है इतना कहकर उसने दूर बंद कर लिया वो मेरी पैंट की ज़िप खोल दी और मुँह में लेकर चूसने लगी… बोली संजु प्लीज़ बताओ अच्छा लग रहा है?
मैंने कहा अन्तिमा मैं पागल हो जाऊँगा प्लीज़…
“मैं क्या करूं?” वो बोली- चलो अच्छा मेरी चूत को भी चोद लो… लेकिन मेरी बुर में इतना मोटा लंड… कल मेरी सहेली के घर में चोद लेना नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी तो कोई… आ… जायेगा.

इतना कहकर वो मुझे बेड पर ले गयी और ब्रा हुक खोल कर दोनों चूचियाँ जो गोल गोल लाल लाल भुंडियों के साथ थी आपस में सटा लिया और बोली आज़ इसमें ही चोद लो प्लीज़… बुर में कल…
मैं पागल हुआ जा रहा था उसकी चूचियों को मुँह से थूक लगा लगा कर चूस रहा था वो भी आहह क्सहह ऊऊहह ल्लल्ल ल्लल्ल ऊऊस्सस!

तभी मैंने एक उंगली बुर में डाली और उसकी बुर भी लसलसी हो चुकी थीईईइ लेकिन मुझे पता लग गया कि वो चूत कुंवारी है यहाँ चोदना रिस्की है.
मैंने उसके गुलाबी होंठों को जीभ से भर दिया, वो भी मस्ती में आआहह्ह प्लीज़्ज़ज़्ज़ व्वव्ववूऊऊओ कर रही थी.

तभी चूचियों के बीच में मेरा लंड ने फ़ौव्वारा छोड़ा और छींटें उसके बालों पर भी पड़े अब मैं झड़ गया लेकिन बुर की चुदाई से मुझे कई गुना मजा आया, वो बोली- संजु… एडवांस दे दिया है… बुर कल चुदवाऊँगी प्लीज़… आज सही बताऊँ तो बड़ा मजा आया कल चलना मैं अपनी सहेली की बुर दिलवाऊँगी वो अभी उंगली डालती है… और अगर तुम्हें मेरी ही कुंवारी बुर को चोदना हो तो मेरी भीईईइ…
इतना कहकर वो बाथरूम चली गयी… मैं भी लंड धुलकर नीचे आयाआआअ… कल मैंने दोनों की बुर ली.

जाड़े की रात और वो लड़का

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हाय दोस्तों,

कैसे हैं आप सब, मैं आज अपनी पहली और सच्ची कहानी लिख रही हूं, शायद आप को पसंद आये। मैं एक शादी शुदा ४६ साल, ३६ ३२ ३६ लेडी हूं। मेरी शादी को २५ साल होने आ रहे हैं। मेरी शादी शुदा जिंदगी बड़े मजे से गुजर रही थी, मैने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसा भी एक दिन आयेगा। एक महीने पहले की बात है मेरे पति एक दिन बाहर जा रहे थे उन्होंने मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के जिसकी उमर १९ साल है, को कहा कि तुम घर पर रुक जाना मैं २ दिन में वापस आ जाउंगा, आंटी को अकेले में डर लगता है। उसने कहा ठीक है, पहले भी वो कई बार मेरे यहाँ पर रुक चुका था, पर कभी भी मैने उसको गलत नजरिये से नहीं देखा था वो मुझे आंटी कहता था और मैं भी उसको बेटे के जैसा ही मानती थी।

कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, हम दोनो हमारे डबलबेड पर ही लेटे थे और अलग अलग कम्बल से अपने शरीर को ढके हुए थे। रात में मैं जब पेशाब करने के लिये उठी तो देखा कि वो लड़का एकदम सिकुड़ कर पड़ा है और जोर जोर से काँप रहा है, मैं जब बाथरूम से वापस आई तो मैने उससे कहा कि बेटा ज्यादा ठंड लग रही है तो एक कम्बल और निकाल देती हूं, उसने कहा नही आंटी ऐसे ही ठीक है। पर मेरी नींद उड़ गई थी मैं बार बार उसको देख रही थी वो ठंड से काँप रहा था, फ़िर मैने उससे कहा कि वो मेरे कम्बल में आ जाये दोनो कम्बल से कुछ ठंड कम हो जायेगी। उसने संकोच करते हुए मेरे कम्बल के नीचे अपना आधा शरीर कर लिया, फ़िर मैने उसको पकड़ कर पूरा शरीर अपने कम्बल में खींच लिया। एक कम्बल के अन्दर दो लोग दूर दूर नहीं सो सकते थे इसलिये उसकी बोडी मुझसे टच होने लगी, मैने देखा वो अब भी काँप रहा है, मैं उसको खींच कर अपने पास कर लिया। अब उसने एक हाथ से मुझको जोर से पकड़ लिया और मैने देखा कि उसका कँपन बढ़ता ही जा रहा है तो मैं उसको अपने सीने से चिपटा लिया। थोड़ी देर में उसने काँपना बंद कर दिया।

उसके शरीर से चिपकने के कारण मुझमें सेक्स भड़क गया। मैने धीरे से उसका मुंह अपनी चूची के सामने कर दिया उसके होंठों के पास और अपना एक हाथ नीचे करके उसके लंड के पास कर दिया। थोड़ी देर के बाद मैने देखा कि वो मेरी चूचियों पर मुंह से दबाव दे रहा है और नीचे अपने लंड को मेरे हाथ से टच करने की कोशिश कर रहा है। मुझे भी मजा आने लगा था। मैने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलकर और ब्रा को ऊपर उठकर चूची बाहर निकाल कर उसके मुंह में दे दी, वो मेरी चूची को चुभलाने लगा, फ़िर मैने धीरे से उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगी, अभी उसके लंड का साइज़ बहुत बड़ा नहीं था पर मेरे ऊपर तो नशा छाया हुआ था।

फ़िर मैने उससे पूछा अच्छा लग रहा है तो उसने सिर हिलाकर हां कहा, मैने अपने ब्लाउज़ और ब्रा को निकालकर अपने कबूतरों को आज़ाद कर दिया, अब वो मेरे एक चूची को मुंह से और दूसरी को अपने हाथ से सहलाने लगा। मैं उसके लंड को जोर से पकड़कर हिलाने लगी, फ़िर मैने उसको कहा कि अपने मुंह को मेरी चूत की तरफ़ करो मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेना चाहती हूं। वो तुरंत ही ६९ पोजिशन में आ गया मैने उसके लंड को मुंह में ले लिया और वो मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था छोटा सा लंड मुंह में लेने में, वो तो जैसे पागल सा हो गया था, मैने उसका सिर पकड़ कर जोर से अपनी चूत पर दबाया, थोड़ी देर में वो कहने लगा आंटी मेरी पेशाब निकल रही है मैने कहा ठीक है कर दो मेरे मुंह में (मुझे पता था वो डिस्चार्ज हो रहा है) उसका शरीर एकदम से अकड़ सा गया और मेरे मुंह में झड़ गया। कुछ देर के बाद मैं भी उसके मुंह में अपना सारा पानी निकाल दी और उससे बोली चाट चाट कर साफ़ कर दो। उसे भी बड़ा मजा आ रहा था, फ़िर मैने कहा अब तुम अपने पूरे कपड़े निकाल दो और मैने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिये और दोनो नंगे ही चिपक कर एक दूसरे के अंगों सहलाते हुए सो गये।

दूसरे दिन न तो वो और न ही मैं एक दूसरे से आंख मिला पा रहे थे। वो दोपहर में स्कूल से बहाना बनाकर छुट्टी लेकर आ गया। मैं उसके घर पर ही उसकी माँ के साथ बैठी थी मैने पूछा आज जल्दी क्यों आ गये तो वो बोला मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था इसलिये। फ़िर मैं वहाँ से उठकर अपने घर पर आ गई आते समय मैने उससे कहा बेटा जब तुम्हारी तबियत ठीक लगे तो आना थोड़ा सा बाज़ार का काम है। करीब आधे घंटे के बाद वो आया, मुझसे पूछा क्या काम है आंटी, मैने कहा कुछ नहीं मुझे ये जानना था कि तुमको क्या हो गया, तुमने किसी को ये सब बताया तो नहीं, वो बोला आप पागल है क्या ऐसी बात भी किसी को बताते हैं, फ़िर मैने पूछा कल रात में मजा आया कि नहीं, वो बहुत खुश दिख रहा था मैने उसको एक किस दी और हाथ से उसके पैंट के ऊपर से उसके लंड को हिलाते हुए पूछा जनाब के क्या हाल हैं वो शरमाते हुए बोला आंटी मेरे अंडो में बहुत मीठा मीठा दर्द हो रहा है मैने कहा रात में सब ठीक हो जायेगा। आज की रात जब वो आया तो मैने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी और पतली झिन्नी सी गाउन पहनी हुई थी, वो भी बहुत उतावला दिख रहा था, आते ही मुझसे लिपट गया, मैने कहा जल्दी मत करो तुम चलो बेड पर मैं आती हूं, और फ़िर ……………………।।

छोटे भाई की बीवी को चोदा

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निशा मेरे छोटे भाई रुपम की वाइफ़ है। निशा काफ़ी सुंदर महिला है। उसका बदन ऊपर वाले ने काफ़ी तसल्ली से तराश कर बनाया है। मैं शिवम उसका जेठ हूं। मेरी शादी को दस साल हो चुके हैं। निशा शुरु से ही मुझे काफ़ी अच्छी लगती थी। मुझसे वो काफ़ी खुली हुई थी। रुपम एक यूके बेस्ड कम्पनी में सर्विस करता था। हां बताना तो भूल ही गया निशा का मायका नागपुर में है और हम जालंधर में रहते हैं।

आज से कोई पांच साल पहले की बात है। हुआ यूं कि शादी के एक साल बाद ही निशा प्रेग्नेंट हो गयी, डिलीवरी के लिये वो अपने मायके गयी हुई थी। सात महीने में प्रीमेच्योर डिलीवरी हो गयी। बच्चा शुरु से ही काफ़ी वीक था। दो हफ़्ते बाद ही बच्चे की डेथ हो गयी। रुपम तुरंत छुट्टी लेकर नागपुर चला गया। कुछ दिन वहां रह कर वापस आया। वापस अकेला ही आया था। ये तय हुआ था कि निशा की हालत थोड़ी ठीक होने के बाद आयेगी।

एक महीने के बाद जब निशा को वापस लाने की बात आयी तो रुपम को छुट्टी नहीं मिली। निशा को लेने जाने के लिये रुपम ने मुझे कहा। तो मैं निशा को लेने ट्रेन से निकला। निशा को वैसे मैंने कभी गलत निगाहों से नहीं देखा था। लेकिन उस यात्रा मे हम दोनों में कुछ ऐसा हो गया कि मेरे सामने हमेशा घूंघट में घूमने वाली निशा बेपर्दा हो गयी।

हमारी टिकट प्रथम क्लास में बुक थी। चार सीटर कूपे में दो सीट पर कोई नहीं आया। हम ट्रेन में चढ़ गये। गरमी के दिन थे, जब तक ट्रेन स्टेशन से नहीं छूटी तब तक वो मेरे सामने घूंघट में खड़ी थी। मगर दूसरों के आंखों से ओझल होते ही उसने घूंघट उलट दिया और कहा- अब आप चाहे कुछ भी समझें मैं अकेले में आपसे घूंघट नहीं करूंगी। मुझे आप अच्छे लगते हो आपके सामने तो मैं ऐसी ही रहूंगी।

मैं उसकी बात पर हँस पड़ा- मैं भी घूंघट के समर्थन में कभी नहीं रहा।
मैंने पहली बार उसके बेपर्दा चेहरे को देखा। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया। अचानक मेरे मुंह से निकला- अब घूंघट के पीछे इतना लाजवाब हुश्न छिपा है उसका पता कैसे लगता।
उसने मेरी ओर देखा फ़िर शर्म से लाल हो गयी।

उसने बोतल ग्रीन रंग की एक शिफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी, ब्लाउज़ भी मैचिंग पहना था। गर्मी के कारण बात करते हुए साड़ी का आंचल ब्लाउज़ के ऊपर से सरक गया। तब मैंने जाना कि उसने ब्लाउज़ के अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई है। उसके स्तन दूध से भरे हुए थे इसलिये काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे। ऊपर का एक हुक टूटा हुआ था इसलिये उसकी आधी छातियां साफ़ दिख रही थी। पतले ब्लाउज़ में से ब्रा नहीं होने के कारण निप्पल और उसके चारों ओर का काला घेरा साफ़ नजर आ रहा था।

मेरी नजर उसकी छाती से चिपक गयी। उसने बात करते करते मेरी ओर देखा। मेरी नजरों का अपनी नजरों से पीछा किया और मुझे अपने बाहर छलकते हुए बूब को देखता पाकर शरमा गयी और जल्दी से उसे आंचल से ढक लिया। हम दोनों बातें करते हुए जा रहे थे। कुछ देर बाद वो उठकर बाथरूम चली गयी। कुछ देर बाद लौट कर आयी तो उसका चेहरा थोड़ा गम्भीर था। हम वापस बात करने लगे। कुछ देर बाद वो वापस उठी और कुछ देर बाद लौट कर आ गयी। मैंने देखा वो बात करते करते कसमसा रही है। अपने हाथो से अपने ब्रेस्ट को हल्के से दबा रही है।

“कोई प्रोब्लम है क्या?’ मैंने पूछा।
“ना… नहीं!”
मैंने उसे असमंजस में देखा।

कुछ देर बाद वो फिर उठी तो मैंने कहा- मुझे बताओ न क्या प्रोब्लम है?
वो झिझकती हुई सी खड़ी रही, फ़िर बिना कुछ बोले बाहर चली गयी, कुछ देर बाद वापस आकर वो सामने बैठ गयी।
“मेरी छातियों में दर्द हो रहा है।” उसने चेहरा ऊपर उठाया तो मैंने देखा उसकी आंखें आंसु से छलक रही हैं।
“क्यों क्या हुआ?” मर्द वैसे ही औरतों के मामले में थोड़े नासमझ होते हैं। मेरी भी समझ में नहीं आया अचानक उसे क्या हो गया।

“जी, वो क्या है म्म वो मेरी छातियां भारी हो रही हैं।” वो समझ नहीं पा रही थी कि मुझे कैसे समझाये आखिर मैं उसका जेठ था।
“म्मम मेरी छातियों में दूध भर गया है लेकिन निकल नहीं पा रहा है।” उसने नजरें नीची करते हुए कहा।
“बाथरूम जाना है?” मैंने पूछा.
“गयी थी लेकिन वाश-वेसिन बहुत गंदा है इसलिये मैं वापस चली आयी.” उसने कहा- और बाहर के वाश-वेसिन में मुझे शर्म आती है कोई देख ले तो क्या सोचेगा?
“फ़िर क्या किया जाए?” मैं सोचने लगा.

“कुछ ऐसा करें जिससे तुम यहीं अपना दूध खाली कर सको। लेकिन किसमें खाली करोगी? नीचे फ़र्श पर गिरा नहीं सकती और यहां कोई बर्तन भी नहीं है जिसमें दूध निकाल सको!”
उसने झिझकते हुये फ़िर मेरी तरफ़ एक नजर डाल कर अपनी नजरें झुका ली। वो अपने पैर के नखूनों को कुरेदती हुई बोली- अगर आप गलत नहीं समझें तो कुछ कहूं?
“बोलो?”
“आप इन्हें खाली कर दीजिये न!”
“मैं? मैं इन्हें कैसे खाली कर सकता हूं।” मैंने उसकी छातियों को निगाह भर कर देखा।
“आप अगर इस दूध को पी लो…” उसने आगे कुछ नहीं कहा।

मैं उसकी बातों से एकदम भौचक्का रह गया- लेकिन ये कैसे हो सकता है। तुम मेरे छोटे भाई की बीवी हो। मैं तुम्हारे स्तनों में मुंह कैसे लगा सकता हूं?
“जी आप मेरे दर्द को कम कर रहे हैं इसमें गलत क्या है। क्या मेरा आप पर कोई हक नहीं है?” उसने मुझसे कहा- मेरा दर्द से बुरा हाल है और आप सही गलत के बारे में सोच रहे हो? प्लीज़!

मैं चुपचाप बैठा रहा, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं। अपने छोटे भाई की बीवी के निप्पल मुंह में लेकर दूध पीना एक बड़ी बात थी।

निशा ने अपने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिये- प्लीज़!
उसने फ़िर कहा लेकिन मैं अपनी जगह से नहीं हिला।

“जाइये आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। आप अपने रूढ़ीवादी विचारों से घिरे बैठे रहिये चाहे मैं दर्द से मर ही जाऊँ।” कह कर उसने वापस अपने स्तनों को आंचल से ढक लिया और अपने हाथ आंचल के अंदर करके ब्लाउज़ के बटन बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन दर्द से उसके मुंह से चीख निकल गयी- आआहह!

मैंने उसके हाथ थाम कर ब्लाउज़ से बाहर निकाल दिये। फ़िर एक झटके में उसके आंचल को सीने से हटा दिया। उसने मेरी तरफ़ देखा।

मैं अपनी सीट से उठ कर केबिन के दरवाजे को लोक किया और उसके बगल में आ गया। उसने अपने ब्लाउज़ को उतार दिया, उसके नग्न ब्रेस्ट जो कि मेरे भाई की अपनी मिल्कियत थी मेरे सामने मेरे होंठों को छूने के लिये बेताब थे। मैंने अपनी एक उंगली को उसके एक ब्रेस्ट पर ऊपर से फ़ेरते हुए निप्पल के ऊपर लाया। मेरी उंगली की छुअन पा कर उसके निप्पल अंगूर की साइज़ के हो गये।
मैं उसकी गोद में सिर रख कर लेट गया। उसके बड़े बड़े दूध से भरे हुए स्तन मेरे चेहरे के ऊपर लटक रहे थे।

उसने मेरे बालों को सहलाते हुए अपने स्तन को नीचे झुकाया। उसका निप्पल अब मेरे होंठों को छू रहा था। मैंने जीभ निकाल कर उसके निप्पल को छूआ।
“ऊओफ़्फ़फ़्फ़ जेठजी अब मत सताओ… प्लीज़ इनका रस चूस लो!” कहकर उसने अपनी छाती को मेरे चेहरे पर टिका दिया। मैंने अपने होंठ खोल कर सिर्फ़ उसके निप्पल को अपने होंठों में लेकर चूसा। मीठे दूध की एक तेज़ धार से मेरा मुंह भर गया। मैंने उसकी आंखों में देखा। उसकी आंखों में शर्म की परछाई तैर रही थी। मैंने मुंह में भरे दूध को एक घूंठ में अपने गले के नीचे उतार दिया।
“आआअहह!” उसने अपने सिर को एक झटका दिया।

मैंने फ़िर उसके निप्पल को जोर से चूसा और एक घूंठ दूध पिया। मैं उसके दूसरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगा।
“ऊओह्हह हहाआन्न हाआन्नन… जोर से चूसो और जोर से… प्लीज़ मेरे निप्पल को दांतों से दबाओ, काफ़ी खुजली हो रही है।” उसने कहा। वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां फ़ेर रही थी।

मैंने दांतों से उसके निप्पल को जोर से दबाया।
वो ‘ऊउईईइ…’ कर उठी, वो अपने ब्रेस्ट को मेरे चेहरे पर दबा रही थी। उसके हाथ मेरे बालों से होते हुए मेरी गर्दन से आगे बढ़ कर मेरे शर्ट के अन्दर घुस गये। वो मेरी बालों भरी छाती पर हाथ फ़ेरने लगी। फ़िर उसने मेरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदा।
“क्या कर रही हो?” मैंने उससे पूछा।
“वही जो तुम कर रहे हो मेरे साथ!” उसने कहा
“क्या कर रहा हूं मैं तुम्हारे साथ?” मैंने उसे छेड़ा.
“दूध पी रहे हो अपने छोटे भाई की बीवी के स्तनों से!”
“काफ़ी मीठा है!”

“धत्त…” कहकर उसने अपने हाथ मेरे शर्ट से निकाल लिये और मेरे चेहरे पर झुक गयी। इससे उसका निप्पल मेरे मुंह से निकल गया। उसने झुक कर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और मेरे होंठों के कोने पर लगे दूध को अपनी जीभ से साफ़ किया। फ़िर वो अपने हाथों से वापस अपने निप्पल को मेरे लिप्स पर रख दी। मैंने मुंह को काफ़ी खोल कर निप्पल के साथ उसके बूब का एक पोर्शन भी मुंह में भर लिया। वापस उसके दूध को चूसने लगा। कुछ देर बाद उस स्तन से दूध आना कम हो गया तो उसने अपने स्तन को दबा दबा कर जितना हो सकता था दूध निचोड़ कर मेरे मुंह में डाल दिया।

“अब दूसरा!” वो बोली.
मैंने उसके स्तन को मुंह से निकाल दिया फ़िर अपने सिर को दूसरे स्तन के नीचे एडजस्ट किया और उस स्तन को पीने लगा। उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर फ़िर रहे थे। हम दोनों ही उत्तेजित हो गये थे।

उसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे पैंट की ज़िप पर रख दिया। मेरे लिंग पर कुछ देर हाथ यूं ही रखे रही। फ़िर उसे अपने हाथों से दबा कर उसके साइज़ का जायजा लिया।
“काफ़ी तन रहा है!” उसने शर्माते हुए कहा।
“तुम्हारी जैसी हूर पास इस अन्दाज में बैठी हो तो एक बार तो विश्वामित्र की भी नीयत डोल जाये।”
“म्मम्म अच्छा। और आप? आपके क्या हाल हैं?” उसने मेरे ज़िप की चैन को खोलते हुए पूछा.
“तुम इतने कातिल मूड में हो तो मेरी हालत ठीक कैसे रह सकती है?”

उसने अपना हाथ मेरे ज़िप से अन्दर कर ब्रीफ़ को हटाया और मेरे तने हुए लिंग को निकालते हुए कहा- देखूं तो सही कैसा लगता है दिखने में?
मेरे मोटे लिंग को देख कर खूब खुश हुई- अरे बाप रे कितना बड़ा लिंग है आपका। दीदी कैसे लेती हैं इसे?
“आ जाओ तुम्हें भी दिखा देता हूं कि इसे कैसे लिया जाता है।”
“धत्त मुझे नहीं देखना कुछ… आप बड़े वो हो!” उसने शरमा कर कहा लेकिन उससे हाथ हटाने की कोई जल्दी नहीं की।

“इसे एक बार किस तो करो!” मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर झुकाते हुए कहा।
उसने झिझकते हुए मेरे लिंग पर अपने होंठ टिका दिये।

अब तक उसका दूसरा स्तन भी खाली हो गया था। उसके झुकने के कारण मेरे मुंह से निप्पल छूट गया। मैंने उसके सिर को हल्के से दबाया तो उसने अपने होंठों को खोल कर मेरे लिंग को जगह दे दी। मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया। उसने दो तीन बार मेरे लिंग को अन्दर बाहर किया फ़िर उसे अपने मुंह से निकाल लिया।
“ऐसे नहीं… ऐसे मजा नहीं आ रहा है!”
“हां अब हमें अपने बीच की इन दीवारों को हटा देना चाहिये” मैंने अपने कपड़ों की तरफ़ इशारा किया।

मैंने उठकर अपने कपड़े उतार दिये फ़िर उसे बाहों से पकड़ कर उठाया। उसकी साड़ी और पेटीकोट को उसके बदन से अलग कर दिया। अब हम दोनों बिल्कुल नग्न थे।
तभी किसी ने दरवाजे पर नोक किया।
“कौन हो सकता है?” हम दोनों हड़बड़ी में अपने अपने कपड़े एक थैली में भर लिये और निशा बर्थ पर सो गयी। मैंने उसके नग्न शरीर पर एक चादर डाल दी।

इस बीच दो बार नोक और हुआ।
मैंने दरवाजा खोला बाहर टीटी खड़ा था, उसने अन्दर आकर टिकट चेक किया और कहा- ये दोनों सीट खाली रहेंगी इसलिये आप चाहें तो अन्दर से लोक करके सो सकते हैं.
और बाहर चला गया।

मैंने दरवाजा बंद किया और निशा के बदन से चादर को हटा दिया। निशा शर्म से अपनी जांघों के जोड़ को और अपनी छातियों को ढकने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसके हाथों को पकड़ कर हटा दिया तो उसने अपने शरीर को सिकोड़ लिया और कहा- प्लीज़ मुझे शर्म आ रही है।

मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसकी योनि पर अपने मुंह को रखा। इससे मेरा लिंग उसके मुंह के ऊपर था। उसने अपने मुंह और पैरों को खोला। एक साथ उसके मुंह में मेरा लिंग चला गया और उसकी योनि पर मेरे होंठ सट गये।

“आह शिवम जी क्या कर रहे हो, मेरा बदन जलने लगा है। पंकज ने कभी इस तरह मेरी योनि पर अपनी जीभ नहीं डाली!” उसके पैर छटपटा रहे थे। उसने अपनी टांगों को हवा में उठा दिया और मेरे सिर को उत्तेजना में अपनी योनि पर दबाने लगी।

मैं उसके मुंह में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। मेरे हाथों ने उसकी योनि की फ़ांकों को अलग अलग कर रखा था और मेरी जीभ अंदर घूम रही थी। वो पूरी तन्मयता से अपने मुंह में मेरे लिंग को जितना हो सकता था उतना अंदर ले रही थी।

काफ़ी देर तक इसी तरह 69 पोज़िशन में एक दूसरे के साथ मुख मैथुन करने के बाद लगभग दोनों एक साथ खल्लास हो गये, उसका मुंह मेरे रस से पूरा भर गया था। उसके मुंह से चू कर मेरा रस एक पतली धार के रूप में उसके गुलाबी गालों से होता हुआ उसके बालों में जाकर खो रहा था। मैं उसके शरीर से उठा तो वो भी उठ कर बैठ गयी।
हम दोनों एक दम नग्न थे और दोनों के शरीर पसीने से लथपथ थे। दोनों एक दूसरे से लिपट गये और हमारे होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक गये मानो अब कभी भी न अलग होने की कसम खा ली हो। कुछ मिनट तक यूं ही एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे फ़िर हमारे होंठ एक दूसरे के बदन पर घूमने लगे।

“अब आ जाओ!” मैंने निशा को कहा।
“जेठजी थोड़ा सम्भाल कर… अभी अंदर नाजुक है, आपका बहुत मोटा है, कहीं कोई जख्म न हो जाये।”
“ठीक है। चलो बर्थ पर हाथों और पैरों के बल झुक जाओ। इससे ज्यादा अंदर तक जाता है और दर्द भी कम होता है।”

निशा उठकर बर्थ पर चौपाया हो गयी। मैं पीछे से उसकी योनि पर अपना लंड सटा कर हल्का सा धक्का मारा, मेरे भाई की बीवी की चूत गीली तो पहले ही हो रही थी, धक्के से मेरे लंड के आगे का टोपा अंदर धंस गया।
एक बच्चा होने के बाद भी उसकी योनि काफ़ी टाइट थी। वो दर्द से “आआह्हह” कर उठी। मैं कुछ देर के लिये उसी पोज़ में शांत खड़ा रहा। कुछ देर बाद जब दर्द कम हुआ तो निशा ने ही अपनी गांड को पीछे धकेला जिससे मेरा लंड पूरा अंदर चला जाये।
“डालो न… रुक क्यों गये।”
“मैंने सोचा तुम्हें दर्द हो रहा है इसलिये।”
“इस दर्द का मजा तो कुछ और ही होता है। आखिर इतना बड़ा है दर्द तो करेगा ही।” उसने कहा।

फ़िर वो भी मेरे धक्कों का साथ देते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी। मैं पीछे से शुरु शुरु में सम्भल कर धक्का मार रहा था लेकिन कुछ देर के बाद मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के से उसके दूध भरे स्तन उछल उछल जाते थे। मैंने उसकी पीठ पर झुकते हुए उसके स्तनो को अपने हाथों से थाम लिया। लेकिन मसला नहीं, नहीं तो सारी बर्थ उसके दूध की धार से भीग जाती। काफ़ी देर तक उसे धक्के मारने के बाद उसने अपने सिर को को जोर जोर से झटकना चालू किया।
“आआहह शीईव्वअम्मम आआअहह तउम्म इतनए दिन कहा थीए। ऊऊओह्हह माआईईइ माअर्रर्रर जाऊऊं गीइ। मुझए माअर्रर डालओ मुझीए मसाअल्ल डाअल्लओ” और उसकी योनि में रस की बौछार होने लगी।

कुछ धक्के मारने के बाद मैंने उसे चित लिटा दिया और ऊपर से अब धक्के मारने लगा।
“आअह मेरा गला सूख रहा है।” उसका मुंह खुला हुआ था। और जीभ अंदर बाहर हो रही थी। मैंने हाथ बढ़ा कर मिनरल वाटर की बोतल उठाई और उसे दो घूंठ पानी पिलाया। उसने पानी पीकर मेरे होंठों पर एक किस किया।
“चोदो शिवम चोदो… जी भर कर चोदो मुझे।”

मैं ऊपर से धक्के लगाने लगा। काफ़ी देर तक धक्के लगाने के बाद मैंने रस में डूबे अपने लिंग को उसकी योनि से निकाला और सामने वाली सीट पर पीठ के बल लेट गया।
“आजा मेरे ऊपर!” मैंने निशा को कहा।
निशा उठ कर मेरे बर्थ पर आ गयी और अपने घुटने मेरी कमर के दोनों ओर रख कर अपनी योनि को मेरे लिंग पर सेट करके धीरे धीरे मेरे लिंग पर बैठ गयी। अब वो मेरे लिंग की सवारी कर रही थी। मैंने उसके निप्पल को पकड़ कर अपनी ओर खींचा। तो वो मेरे ऊपर झुक गयी। मैंने उसके निप्पल को सेट कर के दबाया तो दूध की एक धार मेरे मुंह में गिरी। अब वो मुझे चोद रही थी और मैं उसका दूध निचोड़ रहा था।

काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद वो चीखी- शिवम, मेरे निकलने वाला है। मेरा साथ दो। मुझे भी अपने रस से भिगो दो।
हम दोनों साथ साथ झड़ गये।

काफ़ी देर तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसें लेती रही। फ़िर जब कुछ नोर्मल हुई तो उठ कर सामने वाली सीट पर लेट गयी। हम दोनों लगभग पूरे रास्ते नग्न एक दूसरे को प्यार करते रहे। लेकिन उसने दोबारा मुझे उस दिन और चोदने नहीं दिया, उसके बच्चेदानी में हल्का हल्का दर्द हो रहा था।
लेकिन उसने मुझे आश्वासन दिया- आज तो मैं आपको और नहीं दे सकूंगी लेकिन दोबारा जब भी मौका मिला तो मैं आपको निचोड़ लूंगी अपने अंदर। और हां अगली बार मेरे पेट में देखते हैं दोनों भाइयों में से किसका बच्चा आता है।

उस यात्रा के दौरान कई बार मैंने उसके दूध की बोतल पर जरूर हाथ साफ़ किया।

आंटी की चुदाई

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हाय दोस्तों!

यह मेरी पहली कहानी है, मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ने बहुत मजा आता है मेरा नाम अमित है गोंडा में मेरा घर है एक बार मैं अकेले घर पर था उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था मैं सेक्सी बुक देख रहा था मेरा लंड खड़ा था मेरे घर का दरवाजा खुला था तभी पड़ोस में रहने वाली आंटी जी अन्दर आ गयीं और मुझे लगा कि कोई आ रहा है मैं ने शीशे में देख लिया कि आंटी खड़ी मुझे देख रही थी

मैने अपना मोटा लाल और चिकना लंड अपने हाथ में पकड़ रखा था मैने कुछ नहीं पहना था एक दम नंगा था आंटी बहुत ध्यान से देख रही थी मैं ने लंड को और ऊपर कर दिया अब आंटी को मेरा लम्बा लंड साफ़ दिख रहा था वो मस्त हो रही थी बहुत देर देखने के बाद वो आगे आकर पीछे से आकर पकड़ लिया मैं खड़ा हो गया तभी मेरा लंड आंटी के पेट में गड़ने लगा तभी वो देख कर बोली कि कितना सेक्सी है तुम्हारा और झट से पकड़ लिया वो बोले तुम भी प्यासे हो और मैं भी चलो दोनो की प्यास बुझ जायेगी

मैने कहा क्यों अंकल आप को नहीं करते है वो बोली कभी नहीं मैने कहा मैं तैयार हूं। आंटी बोली क्या करने के लिये, मैं शरमाया, तभी वो बोली चोदने के लिये। फिर मैं आंटी को गोद में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और कपड़े उतारने लगा सच में उनकी चूची एक दम कड़ी थी मैने दबाना शुरु किया वो एक दम मदमस्त हो रही थी जब मैने उनकी चूत में उंगली डाली तो इतनी गरम थी कि मैं बता नहीं सकता आंटी बोली पहली बार तो जल्दी चोद दो दोबारा आराम से चोदना मैं भी ताव में था अपना लंड आंटी की चूत पर रख दिया धीरे धीरे चूत में डालने लगा आंटी को दर्द हुआ, आवाज़ निकाल रही थी आह आआहह अहह ओहो होहह्हूऊऊ मैने ५-६ धक्के में लंड को अन्दर कर दिया और धक्के मारने लगा, पहले धीरे धीरे फिर तेज़ और तेज़ और फिर खूब जोर जोर से धक्के मारने लगा आंटी एक दम नशे में थी बोली एतनी अच्छी चुदाई कैसे कर लेते हो मेरे पति तो कभी करते नहीं जब करते भी हैं तो उनका लंड इतना छोटा है कि मेरी चूत में जाता ही नहीं।

मैं धक्के मारता जा रहा था आंटी बोली पहली बार तो ऐसे ही जल्दी जल्दी चोद दिया है, अब भरपूर मजा दुंगी तुमको कि तुम मस्त हो जाओगे। मैं आंटी को चोदता रहा फिर लंड को चूत से बाहर निकाल कर चूत को देखने लगा और सहलाने लगा, आंटी बोली पहली बार चूत देख रहे हो, मैने कहा हाँ आज़ मैने चूत देखी पहले फोटो देखता था आज़ सामने है आप की चूत तो बहुत रसीली है बहुत रस निकल रहा है, वो बोली जब से तुम्हारा लंड देखा है तभी से पानी निकल रहा है और मेरा मन कर रहा था के झट से पकड़ कर मुँह में डाल लूं और सारा रस पी जाऊं। आंटी बोली कि इस बार चोद दो फिर तुम मेरी चूत चाटना। मैं तुम्हारा मोटा लंड पीउंगी।

मैने आंटी की चूत से थोड़ा सा रस निकाल कर अपनी लंड पर लगाया और फिर चूत में डाल दिया आंटी आआहह्ह ऊह्ह करती रही मैने स्पीड तेज़ कर दी और तेज़ कर खूब तेज़ कर दी आंटी के ऊपर लेटा रहा और आंटी को झड़ने लगी थी तभी आंटी बोली स्पीड और तेज़ करो मैं झड़ने वाली हूं, मेरी चूत का रस निकलने वाला है। मैने स्पीड और तेज़ कर दी तभी आंटी ने मुझे कस के पकड़ लिया। मैने भी आंटी को कस के पकड़ लिया दोनो झड़ गये थे। मेरे लंड का रस आंटी की चूत में गिर रहा था मुझे बहुत मजा आया।

धन्नो की चुदाई

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हमारे यहाँ १ नौकरानी है धन्नो नाम की उसकी उमर भी २० साल की है उसका रंग साँवला है और फ़ेस कटिंग एकदम अमीशा पटेल की तरह है। उसके बूब्स एकदम बड़े है और उसकी गांड है एकदम बाहर है मैं उसको चोदने का ख्वाब बहुत पहले से देकथा हूं मेरा ये सपना पूरा हुआ जब मेरी मम्मी औस्ट्रेलिया मेरे पापा के पास गयी। उस दिन मैं घर में था सुबह धन्नो आयी तो मैने दरवाज़ा खोल दिया वो अपना काम करने लगी मैं तभी अपने बेडरूम में जा के एकदम नंगा हो गया उसको चोदने का ख्याल आते ही मेरा लंड एकदम टाइट हो गया मेरे लंड का साइज़ १० इंच लम्बा और ३ इंच मोटा है। मैने रात में ही वियाग्रा की गोली लाया था मैने उसको खा लिया।

फिर मैने धन्नो को आवाज़ मारी वो जब मेरे बेडरूम में आयी तो हैरान हो गयी उसने मुझे नंगा देख कर हँसके किचन में भाग गयी मैं उसके पीछे गया जैसे ही मैं किचन में गया तो वो मुझसे बोली तुम्हारा इरादा क्या है मैं बोला धनो रानी मुझे तेरी चूत को चोदना है यह सुनते ही वो मेरी तरफ़ आयी और बोली इतना कहने में इतने दिन लगा दिये। मैने उसको फिर गोद में उठा के बेडरूम में ले गया वहाँ मैने उसको नंगा कर दिया है उसके बूब्स एकदम पिंक और रसीले थे, मैने झट से उसके बूब्स अपने मुँह में लेकर चूस ने लगा और १ बूब को अपने हाथ से मसलने लगा वो आह्ह उह्ह कर रही थी

मैने १० मिनट तक उसके दोनो बूब्स को चूस के और मसलके लाल कर दिया तभी मुझे मेरे लंड पे कुछ गीला लगा मैने देखा तो उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैने झट से उसकी चूत पे मुँह डाल के चाटने लगा उसकी चूत के दाने (क्लिट ) को अपनी जीभ से चाटने लगा तो वो जोर जोर से चिल्लाने लगी और तड़पने लगी। मैने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। उसकी चूत एकदम टाइट थी। जैसे ही मैं उंगली अंदर बाहर कर रहा था तभी उसका पानी निकल गया मैने सारा पानी चाट लिया और फिर उठ गया उसकी गांड के नीचे मैने दो तकिया रख दिया और उससे कहा देख आज़ इस लंड से तेरी चूत को चोदुंगा तूने कभी ऐसी चुदाई करवाई है? उसने कहा नहीं तो मैने कहा तुझे दर्द होगा सहन करना फिर बहुत मज़ा आयेगा, यह कह के मैने अपने लंड का टोपा उसकी चूत में डालने लगा वो बहुत ही टाइट थी जैसे ही मैने १ धक्का लगाया वो जोर जोर से रोने लगी।

मैने १ और धक्का लगाया तो वो चिल्लाने लगी और कहने लगी कि छोड़ दो मुझे, मुझे नहीं चुदवाना। मैने १ और धक्का लगाया तो मुझे लगा कोई चीज़ मेरे लंड को उसकी चूत में रोक रही है मैं समझ गया उसकी सील है मैने दोनो हाथों से उसके कंधों को पकड़ा और १ जोरदार धक्का लगाया, मेरा लंड उसकी चूत की सील फाड़ते हुए ४ इंच अंदर चला गया उसकी चूत से खून आने लगा और पानी भी, मैं रुक गया वो बहुत ही जोर से चिल्ला रही थी और रो रही थी मैने उसके बूब्स को मसलना चलू किया १० मिनट के बाद वो शांत हो गयी, मैं फिर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।

१० मिनट तक मैं धीरे धीरे धक्के लगा रहा था, जब मुझे लगा उसे मज़ा आ रहा है तभी मैने १ जोरदार धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत मैं पूरा घुस गया और उसकी चूत से पानी निकलने लगा जैसे ही मैने थोड़ा लंड को बाहर निकाला उसकी चूत से खून निकलने लगा मैं रुक गया १० मिनट के बाद मैने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये मैने उसे पूछा अब कैसा लग रहा है वो बोली दर्द तो कम हुआ है पर मज़ा नहीं आ रहा यह सुन के मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी थोड़ी देर में उसकी चूत का पानी गिर गया मैने उसे और जोर से चोदना स्तार्ट कर दिया क्योंकि मैने वियाग्रा खाया था तो मुझे मालुम था कि मेरा पानी लेट गिरेगा मैं उसको और ४५ मिनट तक चोदता रहा वो भी बोलती रही चोद मुझे शान चोद मुझे और जोर से आहह उहह शान हह चोद रे चोद मुझे रंडी बना दे रे चोद मुझे आह्हह मेरा पानी निकल रहा है आहह उहह और उसकी चूत का पानी ४ बार निकल गया।

तभी मैने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे उठने को कहा वो उठ नहीं पा रही थी मैने उसको अपनी गोद में लिया और दीवार के सहारे खड़ा कर दिया उसकी चूत से खून और पानी तपक रहा था मैने उसके झांट के बाल एकदम गीले हो गये थे मैने उसको खड़ा किया और अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुँह पर रख के उसके पैर अपने हाथ में ले लिये। अभी वो पूरी तरह से हवा में थी। दीवार से चिपक के मैने झट से १ ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था १० मिनट में ही उसका पानी निकल गया मेरे हाथ दुख रहे थे तो मैने उसको बेड पे लिटा के आँधी की तरह चोदने लगा मैने उसको १ घंटा वैसे ही चोदा मैं पूरा पसीना हो गया था वो कम से कम ८ बार अपनी चूत का पानी छोड़ चुकी थी तभी मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है मैने अपने लंड निकाल के उसके मुँह में डाल दिया वो उसे एकदम लोलीपोप की तरह चूसने लगी तभी मेरा माल उसके मुँह में निकल गया और उसने उल्टी कर दी मैने उसको गोद में उठा के बाथरूम में ले गया और उसके साथ नहाने लगा मेरा लंड एकदम टाइट था वियाग्रा की वजह से। उसके बाद मैं ने उसको बाथरूम में भी चोदा पर यह अगली बार में।


पहली चुदाई

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हाय फ़्रेंड्स कैसे हो? सब के लंड को मेरा सलाम और प्यारी चूतों को मेरा अतिविशेष प्रणाम। मैं अपना परिचय देता हूं।
मेरा नाम चिंटु है और मैं काफ़ी हैंडसम दिखता हूं। मेरी हाइट ६” है और लंड मेरा ७ इंच का है जो किसी भी लड़की, औरत को घायल कर सकता है। मैं यहाँ अपनी पहली चुदाई की स्टोरी लिख रहा हूं।

मैं गुजरात के बड़े अच्छे शहर वडोदरा में रहता हूं। मेरे सामने एक मस्त अच्छी बड़े बूब्स वाली औंटी रहती हैं जिसको मैं भाभी कहता हूं। उसकी फ़ीगर ३८ २९ ३८ है। उनका नाम पायल भाभी है। उनकी शादी को ८ साल हो गये लेकिन उन्हें अभी तक बच्चा नहीं है।

मैं उनके घर आता जाता रहता था। एक दिन मैं गया तो देखा कोईं नहीं था। मेरे घर पर भी कोई नहीं था। मेरी मोम ने उनके घर खाने को बोला था। मैं दोपहर के टाइम उनके घर गया। फिर हम दोनो ने साथ खाना खाया। खाते समय वो मेरी और देख कर कातिल सी मुस्कुराहट देती थी।

खाना खत्म करने के बाद हम दोनो उनके रूम में बेड पर बैठ कर बातें कर ने लगे। बातों बातों में मैने पूछ लिया कि आपको बच्चा क्यों नहीं होता? उन्होंने कहा कि मेरे पति में कुछ प्रोब्लम है। मैने कहा आपको दुख नहीं होता तो वो एक आह भरकर बोली होता है पर अब ये दुख तुम दूर कर सकते हो। मैने पूछा कैसे?

तो वो धीरे से मेरे पास आकर बोली ऐसे। मैने कहा मुझे कुछ पता नहीं चला? तो उन्होंने मेरे शर्ट के बटन खोल कर किस कर ने लगी। मैं दो मिनट के लिये दंग रह गया फ़िर धीरे से वो मेरे होंठ पर आयी मैने भी उनको किस करना स्टार्ट कर दिया। फिर धीरे धीरे मैने उनके कपड़े उतारे और ब्रा और पैंटी में ले आया। उन्होंने कहा “ये देखने के लिये ही, अब ये तुम्हारे है जो चाहो वो करो” मैने पहली ब्रा उतार कर बूब्स चूसना शुरु किया। उनके मुंह से सिस्कियां निकलने लगी। फिर धीरे धीरे किस करते करते मैं नीचे पैंटी तक पहुंच गया और उसको भी सरका दिया। फिर उनकी चूत को मैं चाटने लगा। वो तो मस्त हो कर लेट गयी थी। फिर मैने उनके मुंह पे अपना लंड रख दिया और हम ६९ पोजिशन में आ गये। हमने १५-२० मिनट तक ऐसा किया।

फिर उसने कहा कि बहुत हो गया अब तुम मुझे और मत तड़पाओ जल्दी अपना मोटा लंड घुसा दो मेरी चूत में। मैं खड़ा हो गया और मेरा लंड उनकी चूत पर रख दिया। और एक ही झटके में घुसा दिया वो तो चीख कर रो पड़ी फिर मैं रुक गया फिर धीरे धीरे स्ट्रोक लगाना शुरु किया उनको भी मज़ा आया। वो भी साथ देने लगी फिर मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया उनसे मुंह से आवाज़ आने लगी

“हा हा यस यस हाजु चोद मने हाजु चोद आ चुत ने फाड़ी ने भोस बनाई दे भेन चोद बाउ वरसो पछि चोदवा मल्यु छे चोद तु आजे चोद मने” और ये सुनकर मेरी स्पीड डबल हो गयी फिर मेरा पानी छुटने वाला था। मैने बोला तो वो कहने लगी कि चोदो और चोदो भर दो मेरी चूत तुम्हारे पानी से और मैं ने एक आखरी झटका दिया और छूट गया मेरा पानी। अब मैं उनके ऊपर लेट गया।

उस दिन हम ने ४ बार अलग-अलग तरीके से चुदाई की। और अब भी हम महीने में ३ -४ बार ऐसा करते है। तो फ़्रेंड्स मेरी स्टोरी कैसी लगी? आशा है, आपके लंड और चूत से पानी निकला हो।

प्रिया की चुदाई

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मैं अन्तरवासना की कहानियों को कई दिनो से पढ़ रहा हूं, मुझे पता नहीं ये कहानियां सच्ची हैं या नहीं, फ़िर भी मैं अपने बारे में लिख रहा हूं, मैं रोहतक (हरियाणा) का रहने वाला हूं, मेरा नाम अमन कुमार है, मैं एक मैकेनिकल इंजीनियर हूं।

मेरी उमर 23 साल है, ये आज से 2 साल पहले की बात है कि मैं एक लड़की को रोज़ देखता था उस लड़की का नाम प्रिया था, वो रोहतक की रहने वाली थी, वो गर्ल्स कोलेज में पढ़ती थी, देखने में उसका फ़ीगर इतना मस्त नहीं लगता था।

एक दिन की बात है वो मुझे देखकर मुस्करा कर चली गई, कई दिन ऐसे ही चलता रहा। हम धीरे धीरे मिलने लगे

एक दिन उसने कहा कि मेरे घर पर कोई नहीं है आप आज आ जाओ, मुझ अकेली को डर लगता है।

रात 11 बजे मैं उसके घर गया और उसने अपना दरवाजा खोला, कुछ देर हम दोनो एकदम चुपचाप बाते रनहे, इधर उधर की बात करते – २ हम दोनो नजदीक आ गई थे।

मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था, मैं जल्दी से उसको किस की और कपड़े उतारने लग गया।

वो मना नहीं कर रही थी, मैने जल्दी से अपने कपड़े भी उतार दिये और हम दोनो बेड पर लेट गये, मैने अपनी १ उंगली उसकी चूत में डाल दी, धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा, थोड़ी देर में उसको सेक्स चढ़ गया उससे रुका नहीं जा रहा था, वो बार बार कहने लगी मेरे अंदर अपना डालो, मैं उसको और तड़पाना चाहता था।

थोड़ी देर में उसका पानी निकल गया, फ़िर मैने उसको अपना लंड चूसने को कहा, वो मना करती रही बाद में मान गई।

मेरा कुछ देर में पानी निकल गया और वो सारा पानी पी गई, थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे, कुछ देर बाद मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया, मैने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और थोड़ा धक्का लगाया वो चिल्लाने लगी, मैं थोड़ी देर उसकी चूचियों को दबाता रहा और वो शांत हो गई।

मुझसे रुका नहीं जा रहा था मैने दोबारा जोर लगाया लंड थोड़ा और अंदर चला गया, वो फ़िर से चिल्लाने लगी, मैं अब उसके मुँह पर हाथ रख कर २–३ झटकों में सारा लंड अंदर कर दिया और ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया और चूचियों को मसलता रहा।

मैने उसकी आंखों की तरफ़ देखा तो उसकी आंखों से आँसू आ रहे थे, थोड़ी देर ऐसे ही रहने से उसका दर्द कम हो गया और मैं थोड़ा-२ हिलना शुरु कर दिया कुछ देर बाद उसको मज़ा आने लगा, उसके मुँह से स्सस की आवाज आ रही थी और बार – २ आई लव यू कह रही थी, १० – १५ मिनट बाद मैं झड़ गया।

उस दौरान वो भी मेरे साथ ही झड़ गई, उसके बाद हम दोनो बात करते रहे, बाद में वो बोली की मुझे नींद आ रही है, मैं सोना चाहती हूं, मेरा सारा बदन दुख रहा है, कुछ देर बाद हम सो गये।

सुबह ३ बजे का टाइम हुआ था कि मैं सो रहा था कि मुझे लगा कि मेरा लंड कोई चूस रहा है, मैने आंख खोल कर देखा तो वो बड़ी जल्दी मुँह के अंदर बाहर कर रही थी।

वो बोली कि मुझे दोबारा चुदाई करवानी है प्लीज़ करो, मैने दोबारा पोज़िशन बदल कर के उसकी चूत में लंड डाल दिया और दोबारा चुदाई करने लगे, २५ मिनट बाद मैं झड़ गया उस दौरान वो २ बार ड़ चुकी थी, मैने पूरी रात इसी तरह ४ बार चुदाई की और एक बार उसकी गांड भी मारी.

थैंक यू कृति फॉर दैट नाईट

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प्रेषक : ॠषि शर्मा

हाय … मेरा नाम ऋषि है…और आप सबो की फड़कती चूतों और भटकते लंडों को मेरे लौडे का सलाम..

मैं एक सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ और बंगलोर में जॉब कर रहा हूँ.

मै बहुत गोरा हूँ और लोग कहते हैं कि मै बहुत ही स्मार्ट और डैशिंग हूँ, और शायद इसी वज़ह से मै कॉलेज में बहुत सारी लड़कियों का कृश भी था.. मेरी हाईट ज्यादा नही है बस ५’ ५” ही है पर मेरी कुछ फ्रेंड कहती है की अगर मेरी हाईट थोडी और होती तो मै अच्छे अच्छो की छुटी कर देता.. खैर ये सब छोड़ कर मै कहानी पर आता हूँ.

बात उस समय की है जब मै कॉलेज में फिनल इयर का था (आज से लगभग ६ महीने पहले ) और उस समय मेरे फाइनल इयर प्रोजेक्ट का काम चल रहा था। कम्प्यूटर साइंस का स्टुडेंट होने क वजह से प्रोजेक्ट क लिए मुझे इन्टरनेट पे काफी समय बिताना पड़ता था. चूंकि कंप्यूटर मेरे फ्लैट पर ही थी इसलिए बोर होने पर मै चैटिंग करता था. एक बार मुझे चैटिंग करते समय एक लड़की मिली। उसने अपना नाम कृति बताया. वो वस्तुतः गुजरात की रहने वाली थी पर फिलहाल मुंबई में पढ़ रही थी. धीरे धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. बाद में उस से फ़ोन पर बातें भी होने लगी.. हम लोग आपस में हर तरह की बातें करने लगे थे पर मैंने कभी लिमिट क्रॉस करने की कोशिश नही की.

जब मेरे एग्जाम ख़त्म हुए तो मै कोल्हापुर से वापस घर जाने वाला था. मै झारखण्ड का बोकारो का रहने वाला हूँ और ट्रेन पकड़ने के लिए या तो मुझे पुणे या फ़िर बॉम्बे जाना पड़ता था. जब ये बात कृति को पता चली तो उसने मुझसे जिद की कि मै ट्रेन मुंबई से ही पकडू. हालांकि मेरी ट्रेन मुंबई से ही थी पर मैने उस से झूठ बोल दिया कि मेरी ट्रेन पुणे से है. इस बात से वो नाराज़ हो गई और फिर फ़ोन काट दिया. मैंने सोचा- भोंसडे में जाने दे उसको और वापस कॉल नही किया.

जब मै वापस लौट रहा था तब अचानक उसका कॉल आया. चूंकि मेरी ट्रेन उस समय महाराष्ट्र में एंटर कर चुकी थी इसलिए रोमिंग की प्रॉब्लम ना होने कि वजह से मैंने फ़ोन रिसीव किया. उसने मुझे अपने उस दिन के बिहेवियर के लिए सॉरी बोला. उसने मुझ से बोला कि वो मेरे से बहुत मिलना चाहती है. मैंने बताया कि मै थोडी देर में कल्याण स्टेशन पहुचने वाला हूँ. यह सुन कर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा.. उसने मेरा ट्रेन और बोगी नम्बर पूछा और बताया कि वो मेरे से मिलने आने वाली है. मैंने भी उसे मना नहीं किया, सोचा चलो मिल लेते है वरना फ़िर से इसकी खिट पिट सुननी पड़ेगी..

थोडी देर में ट्रेन मुंबई के कल्याण स्टेशन पर पहुच गई. मै प्लेटफ़ार्म पे उसका इंतज़ार करने लगा. मैंने देखा सामने एक धूप जैसी गोरी चिट्टी लड़की खड़ी है और किसी का इंतज़ार कर रही है. उसके सुनहरे बाल, बड़े बड़े मम्मे और स्लिम फिगर मुझ पे क़यामत ढहा रही थी खैर ये सोच कर कि ये चूत मेरे लंड के नसीब में नही मै वापस कृति का इन्तज़ार करने लगा. तभी उसका कॉल आया कि मै कहा पर हूँ मैंने जगह बताई और बताया कि मै सफ़ेद टी शर्ट और ब्लू जींस पहना हूं और हाथ में ब्लू कलर कि ट्रोली वाली बैग है. मैंने अभी फ़ोन काटा ही था कि देखा वो लड़की जो सामने खड़ी थी मेरे सामने मुस्कुरा रही है. मै हैरान था !! उसने नजाकत से मुझ से पूछा- आर यू ऋषि? मैंने बोला “या…क्या बात है !!!” उसने अपना हाथ बढाया और बोली “दिस इस कृति .. ” मै ये सुन कर थोडी देर क लिए ठंडा पड़ गया.. मुझे अब भी विश्वास नही हो रहा था कि मै इतना खुश नसीब हूं.

खैर उसने मुझे हग किया और मेरे हाथ में हाथ डाल कर स्टेशन के बाहर ले जाने लगी. मै अपनी ही दुनिया में था. वो बहुत कुछ बोल रही थी पर मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था। मै बस उसके स्पर्श को महसूस कर रहा था और उसकी पर्फ़्यूम की खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी. जब मैं होश में आया तो मैंने पाया कि मै एक रेस्टोरेंट के सामने खड़ा हूं और वो मुझ से पूछ रही है कि मुझे क्या हुआ ? मैंने बोला नही बस थका हुआ हूं और कोई बात नही.. उसके बाद हम अन्दर गए और उसने एक कार्नर वाली टेबल पर बैठने को कहा. हम लोग बैठ गए और इधर उधर की बातें करने लगे.

तभी उसने मुझे कहा कि ऋषि ! एक बात बोलूं तुम्हे बुरा तो नही लगेगा .. मैंने बोला बोलो मुझे बुरा नही लगेगा.. उसने बोला कि तुम वाकई बहुत ही स्मार्ट और होट हो और अपने लिप्स पे हाथ रख कर खिलखिला कर हस पड़ी. मुझे लग रहा था कि वो मुझ पे काला जादू कर रही है और मै उसकी गिरफ्त में फ़ंसता जा रहा हूँ. उसकी खूबसूरती, उसकी हंसी .. उफ़ कमाल की थी.. मै भी हंस पड़ा उसकी इस बात पे .. मैंने फ़िर उस से कहा कि कृति मै थोड़ा फेस धो कर आता हूं.. और मै वाश रूम चला गया.. जब मै वापस आया तो देखा कि टेबल पर पहले से ही खाना रखा है. मै हैरान था कि उसे मेरे पसंद के बारे में कैसे मालूम था. तभी कृति ने बोला हैरान मत हो तुम ने मुझे फ़ोन पर बताया था कि तुम्हे ये सब काफी पसंद है.. और फ़िर उसकी फुलझड़ी वाली हंसी…उफ्फ्फ्फ्फ़

अब हम खाना खा रहे थे हंसी मजाक चल रहा था तभी मैंने उसे बताया कि मै रात की बस से कोल्हापुर जा रहा हूं. उसने मुझे बहुत इन्सिस्ट किया कि आज मै उसके एक फ्लैट पर रुक जाऊं और कल चला जाऊं. पर मैंने साफ़ मना कर दिया. वो फ़िर से उदास दिख रही थी..थोडी देर बाद उसने कहा कि ठीक है पर अगर मेरे फ्लैट पर आने में तुम्हे प्रॉब्लम है तो तुम्हे वादा करना पड़ेगा कि तुम दिन भर मेरे साथ रहोगे और हम फ़िर साथ में मूवी देखने चलेंगे.. मै राज़ी हो गया.. पर प्रॉब्लम ये थी कि मेरे पास लगेज थी और मै वो ले कर घूम नही सकता था और मै थका हुआ भी था इसलिए मैंने एक होटल में फ्रेश होने और लगेज रखने के लिए रूम बुक किया.. कृति मेरे साथ ही थी.. रूम बहुत ही साफ़ सुथरा था होता भी क्यों नही कृति को इम्प्रेस करने के लिए सबसे महंगे वाला ए सी रूम जो बुक किया था।

रूम में आते ही मै बेड पर लेट गया्। बिस्तर बहुत ही नर्म था. कृति भी मेरे बगल में बैठ गई और मुझे जिद करने लगी कि मै ज़ल्दी से फ्रेश हो जाऊं. मै उठा अपनी बैग खोला तौलिया निकाला और बाथरूम में नहाने चला गया..कृति वहीं टीवी देख रही थी। जब मै वापस निकला तब मै सिर्फ़ टी शर्ट और टोवेल पहना हुआ था, बाल गीले थे, और कृति मुझे देखे जा रही थी..

मैंने उससे पूछा क्या हुआ , वो कुछ नही बोली बस मुस्कुरा दी… फ़िर वो मेरे पास आई और उसने मेरे लिप्स पे अपने लिप्स लाक कर दिए और मुझे समूच करने लगी.. मै बिल्कुल जम गया था … वो मुझे पागलो कि तरह समूच किए जा रही थी..फ़िर मै भी गरम हो चुका था… और मै उसको हर जगह किस करने लगा…चूंकि मैंने सिर्फ़ टोवेल पहना था इसलिए वो कब खुल गई मुझे पता ही नही चला…

उसने अचानक मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मेरे लंड को एक ही झटके में अपने मुंह में भर कर ब्लो जॉब करने लगी मुझे ऐसा लग रहा था जैसी वो मेरे लंड से मेरे शरीर की सारी शक्ति चूसे जा रही हो . चूंकि ये सब मै पहली बार महसूस कर रहा था इसलिए मुझे लग रहा था कि मै बादलों पर आसमान में तैर रहा हूँ .. अचानक मेरे शरीर में कम्पन हुई तब जा के मुझे आभास हुआ कि मै झड़ चुका हूं . मैंने कृति को देखा कि मेरे स्पर्म्स उसके पूरे चेहरे पर गिरे हैं और वो कातिल मुस्कान के साथ मुझे देख रही.. है..

अब मेरी बारी थी वही पड़े टोवेल से मैंने उसका चेहरा पौंछा..और वापस समूच करने लगा… धीरे धीरे मै उसकी बूब्स को ग्रीन टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा.. फ़िर एक ही झटके में उसकी टॉप निकाल कर फेक दी. ब्लैक ब्रा के अंदर उसका चंडी जैसा शरीर मनो क़यामत ढाने को अमादा था .. मै दो मिनट उसके शरीर को देखता ही रहा.. ब्लैक ब्रा के अन्दर जब उसकी तेज धड़कने अपनी रफ़्तार पकड़ रही थी तो ऐसा लग रहा था मनो उसके मम्मे ब्रा से बाहर नही बल्कि कोई आइस क्रीम पिघल कर सोफ्टी कप से बाहर टपकने वाली है.. तब मुझे अहसास हुआ कि अब मैंने अगर कृति के शरीर को कपड़ो से आज़ाद नही किया तो प्रलय आ जाएगा..

मैंने बिजली कि तेजी से उसके ब्रा, जींस और ब्लैक कलर की पैंटी उसके शरीर से निकाल फेंकी .. यकींन मानिए वो बिना कपड़ो में जब वो अपने हाथो से अपनी चुच्ची और जान्घों में अपनी बुर छुपा रही थी तो ऐसा लगा रहा था मनो कोई संगमरमर कि बनी अप्सरा कि मादक मूर्ति मेरे सामने रखी हुई हो .. अब तक मै अपने भी सारे कपड़े उतार चुका था..मै सीधा उसके पास गया .. वो अपने हाथो से अपने चेहरे को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.. मैंने अपने दोनों हाथो से उस के गालो को उठाया और पहली बार उसके खूबसूरती की तारीफ की… मैंने बोला “कृति .. सचमुच तुम बला की ख़ूबसूरत हो और मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम्हारे जैसी लड़की मेरी बाँहों में है.. “.

कृति ने फ़िर से मेरे ललाट पे चूम कर बोला “..ऋषि तुम्हे शायद पता नही कि तुम क्या हो.. तुम्हे पाने के लिए कोई भी लड़की अपना शरीर तुम्हे सौप देगी.. और मै तो तुम्हे दिल से प्यार करती हूं.. भला नै तुम्हे कैसे रोक सकती हूं ??” और उसके आँखों में आंसू आ गए..!! मै अपने लिए उसके दिल में इतना प्यार देख कर हैरान था .. मैंने उसे गले से लगा लिया… अब मेरे हाथ उसके मम्मो पर सरक रहे थे और उसके निप्पल सखत हो गई थी.. मैंने देर करना बिल्कुल मुनासिब नही समझा अब मै उसकी निप्पलों को चूस रहा था और एक हाथ मेरा उसकी जांघों के बीच उसकी गहराई को नाप रहा था… उसका लव होल बहुत ही गीला हो चुका था… अब हम दोनों तड़प रहे थे … मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धक्का दिया ..मेरा ६” का लंड उसके बूर के अन्दर आधा जा चुका था. मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उसके आँखों से आंसू निकल आए थे .. मैंने उसके गालो को चूम कर पूछा “ज्यादा दर्द हो रहा है..?”, उसने जवाब दिया “इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है “.

मै उसकी इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही.. वो मुझ में लिपटी हुई थी…और मै उसे चूम रहा था…वो मेरे नीचे थी और अपने पैरो को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मनो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी… पूरे रूम में मादक माहौल था… परदे के बीच से आती सूर्य कि रौशनी जब उसके चाँद से चेहरे पे पड़ रही थी तो मानो ऐसा लग रहा था कि मै चाँद को अपने बाँहों में समेट रखा हूँ… हमारी सिसकारियां कमरे में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो… वो जलजला जल्द ही आया जब मै अपने कमर की हरकतों कि वजह से चरम सीमा पे पहुचने वाला था .. उधर कृति भी मुझे बोल रही थी…”.. ऋषि प्लीज और जोर से..और जोर से …मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है “… मै समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है…इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लंड बाहर निकला और मानो मेरे लंड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मै वापस उसके बाँहों में निढाल हो गया ..

बहुत देर बाद जब मै उठा और देखा कि कृति की जांघों पर खून गिरा है तब मै समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ कृति के लिए मेरे दिल में इज्ज़त काफी बढ़ गई थी ..क्योंकि वो ऐसी लड़की नही थी कि किसी को भी अपना शरीर सौप दे .. इतने दिनों से अकेले मुंबई में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी…

मैंने पास में पड़े टिशु पेपर उठाया और उसके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा..जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा .. कृति ने मुझ से पूछा कि”… तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..” मैंने उसके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी वेजिना लिप्स पर किस कर के बोला… ” जान सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नही दे्खी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा…” और हम दोनों हस पड़े.. उस दिन मै वापस कोल्हापुर नही गया और साथ में ही रुके. आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी..

पर सब कुछ हमेशा सही नही होता.. और अब हम साथ नही है.. पर वो जहां भी होगी मुझे भरोसा है कि मुझे कभी नही भूल पायेगी… और कृति अगर तुम ये कहानी पढ़ रही हो तो..जान लो मै सचमुच तुम्हे आज भी उतना ही प्यार करता हूं.. तुम जहां भी रहो खुश रहो..मेरे दिल में तुम्हारी याद हमेशा रहेगी…

बायोलोजी की टीचर के साथ सेक्सोलोजी

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मेरा नाम श्याम है. मेरी उम्र अभी 42 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.

खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम अमिता था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.

क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.

अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर अमिता, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो अमिता मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और अमिता को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. अमिता की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.

अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.

मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.

फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद अमिता मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.

बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. अमिता ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.

बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.

करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.

मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.

मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.

अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ अमिता के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.

उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.

उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.

अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- श्याम … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … श्याम … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …

मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

वो तो समझो कि मेरे श्यामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ श्याम मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”

मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.

कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.

मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.

अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में अमिता की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.

इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड अमिता मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.

आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान अमिता मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.

थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.

फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.

रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो अमिता मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.

उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.

आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.

इशिका की जवानी पर सावन की बरसात

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प्रेषक : सावन शर्मा

दोस्तो ! मैंने अन्तर्वासना को पहले भी एक कहानी भेजी है। जिस कहानी को आप लोगो ने बहुत अच्छा रिस्पोंस दिया है। तो दोस्तों उसी रिस्पोंस के बदले आपका सेक्सी सावन फ़िर से आपके सामने हाजिर है अपनी एक नई कहानी लेकर

दोस्तों उन दिनों मैं अपने मामा के घर पर गया हुआ था . वही पर मेरी एक मोसी की लड़की भी अपनी सर्दियों की छुट्टियों में आई हुई थी। उस वक्त मेरी उमर २१ साल थी और मोसी की लड़की जिसका नाम इशिका था उसकी उमर कोई १८ साल के आस पास होगी . हम दोनों अपनी पूरी जवानी की मस्ती में थे . उसके बदन के उभरे हुए अंगों की गोलाई उसकी जवानी में चार चाँद लगा रही थी। उसकी तारीफ मै क्या करू खूबसूरती में कैटरीना कैफ जैसी थी। लेकिन चूचियां उससे भी ज्यादा लगती थी। उसे देख कर मेरी रातों की नींद गायब होने लगी .

एक रात में ख़ुद को रोक नही पाया . और चुपके से जाकर मैंने उसकी रजाई हटा दी तो देखा कि
चुचियों से इस तरह लिपटी हुई थी मनो की काला नाग किसी खजाने की पहरेदारी कर रहा हो . इससे पहले कि मैं उस जवानी के खजाने को छू पाता सर्दी लगने की वजह से इशिका की आँख खुल गई। आँख खुलते ही उसने मुझे देखा इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया। और चुपचाप चला गया लेकिन मै डरा हुआ था की शायद वो किसी से कुछ कह न दे . और फ़ैसला कर लिया की इशिका का ख्याल छोड़ कर आज ही घर चला जाऊंगा .

स्टेशन से पहले ही इशिका का फ़ोन आया और वो बोली की आग लगा कर जाना अच्छी बात नही होती . और फ़ोन काट दिया। इतना सुनते ही मेरी हसरते जवान होने लगी . और वहीँ से वापसी के लिए टैक्सी पकड़ी और एक घंटे मै अपनी इशिका के पास पहुँच गया। सभी ने पूछा कि वापिस क्यो आ गया मैंने बहाना बनाया और कह दिया कि मेरे किसी दोस्त ने पापा की आवाज निकाल कर मजाक किया था. अब तो मै बेचैनी से रात होने का इंतज़ार करने लगा.

जैसे ही रात को सब सोने चले गए तो इशिका भी मामी के साथ उनके कमरे में चली गई मैं सब के सोने का इंतज़ार कर रहा था . मैंने देखा सब सो गए है तो में चुपके से मामी के रूम में गया और जाकर इशिका को देखा तो मालूम हुआ वो भी नही सोयी थी। मैंने पूछा सोयी क्यो नही तो कहने लगी कि जब तन बदन में कोई आग लगा दे तो भला नींद कैसे आएगी . मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया जैसे उसका फूल सा बदन मेरे बदन से छुआ तो मनो मेरे तन में बिजली सी लग गई हो .

ऊपर एक रूम हमेशा खाली रहता था वो गेस्ट रूम था मै इशिका को वहीँ ले गया। मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके मदमाते बदन को एक टक देखने लगा . इशिका बोली तुम्हारी बेशरम निगाहें मेरे बदन को और ज्यादा बेकरार कर रही है। मैंने एक एक करके इशिका के सारे कपड़े उतर दिए उसके तन पर सिर्फ़ ब्लैक कलर की चोली (ब्रा ) और कच्छी (पैंटी ) थी उसने उठकर मेरे कपड़े उतार दिए अब मै उसे मस्त अहसास से किस करने लग गया। मैंने उसके अंग अंग पर अपने गरम होंटों से बहुत देर तक किस की .

मैंने अपने मुंह से इशिका की पैंटी को हटाया जो कि चूत के पानी से बिल्कुल. गीली हो चुकी थी। मगर उस पैंटी से इशिका की जवानी की खुशबू आ रही थी। अब इशिका की वो मस्त और मोटी चूत मेरे सामने थी जिसे मै सिर्फ़ अपने खयालो मै ही सोचा करता था . मैंने इशिका की ब्रा उतार दी तो उसकी बिंदास चूचियां अब मेरे होठों की गिरफ्त मै आ गई थी। मैंने जी भरके उन्हें चूसा तो इशिका तड़पने लगी .इशिका के मुंह से मस्त मस्त आवाजे आ रही थी अआया अ …………ह्ह्ह्ह्ह्छ , ऊऊ ऊऊ फ . ईई ईई …..सस सस …..ह्ह्ह . ऊह मेरे सावन अब और न तड़पाओ अब और न तड़पाओ मुझे . मैं चूचियों को चूसता हुआ उसके तन को चूमने लगा

चूमते चुमते मैं अपने होंटों को इशिका की मस्त और सेक्सी चूत के पास ले आया . इशिका और ज्यादा बर्दाश्त नही कर पा रही थी इसलिए उसने मेरे लंबे और मोटे लन्ड को अपने नरम नाजुक और गरम होंटों के बीच कैद कर लिया और बिंदास होकर चूसने लगी साथ ही साथ मै चूत को अपनी जीभ से सहला रहा था . १० मिनट तक हम दोनों इसी तरह करते रहे तभी इशिका की जवानी का रस उसकी चूत से निकल कर बाहर आ गया और मैंने उस रस की एक एक बूँद को अपने होंटों पर ले लिया सच मुच उस रस को पीकर तो कोई भी वासना का प्रेम पुजारी हो जाए . तभी मेरे लन्ड के वीर्य ने इशिका की जवानी को भी भिगो दिया इशिका ने एक एक बूँद का स्वाद चखा . हम दोनों एक दूसरे को कस के पकड़े हुए थे . साथ साथ एक दूसरे के लन्ड और चूत को सहला रहे थे .

हम दोनों फ़िर से तैयार थे मैंने बिना देरी किए इशिका को अपने नीचे कर लिया अब इशिका मेरे लन्ड को चूत मै लेने के लिए बेकरार थी उसकी चूचियां और ज्यादा मोटी और टाइट हो गई थी और चूत की भी चमक इतनी बाद गई की लन्ड चूत को देखकर उसमे सामने के लिए बेकरार हो रहा था . हम दोनों मै अब और इंतज़ार का होसला नही था इसलिए मैंने लन्ड को चूत के दरवाजे पर टिका दिया और जोर से झटका लगाया झटके के साथ इशिका की चीख निकल गई लेकिन मैंने उसकी आवाज अपने होंटों से वही कैद कर दी .

मैंने बहुत सी लड़कियां चोदी लेकिन जितनी टाइट चूत इशिका की थी उतनी शायद किसी की नही थी। चार पॉँच बार ट्राई करने पर भी लन्ड चूत मै समां नही पाया . मुझे डर था की इस तरह तो इशिका को बहुत प्रॉब्लम होगी हो सकता है इशिका बेहोश भी हो जाए . इसलिए मै नीचे से कोल्ड क्रीम और एक पानी की बोतल ले आया . इशिका को दर्द हो रहा था मैंने कोल्ड क्रीम इशिका की चूत और अपने लन्ड पर लगा दी . और लन्ड को चूत पर रख कर धीरे धीरे अंदर डालने लगा लन्ड जितना अंदर जाता इशिका उतनी ही दर्द से कराह कर मुझसे लिपट जाती .मैंने एक दम ज़ोर से झटका लगाया और पूरा लन्ड चट की आवाज के साथ चूत के अंदर चला गया। इशिका की चीख निकल गई और खून चूत से बाहर आने लगा . दर्द के कारण इशिका सह नही पाई और बेहोश हो गई।

मैंने अपना लन्ड चूत मै ही रक्खा और ठंडे पानी के छींटे इशिका के मुंह पर मारे इशिका ने आँखे खोली . इशिका मेरी तरफ़ देख रही थी की मैंने तभी अपने होंठ उसके होंटों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा . धीरे धीरे लन्ड को हिलाया तो चूत कुछ नरम लगने लगी और इशिका के करहने की आवाजे अब अआया …..ह्ह्ह सस ……ईई. ऊओऊ ………फफफफफ ………..……. च्च्च्क सावन चोदो…ऽऽ मर गई मैंऽऽ.।

अब इशिका की चूत अपने वासना के जादू से मेरे लन्ड को अपने भीतर पागल कर रही थी मेरा लन्ड भी इशिका की चूत को जी भर कर चोद रहा था . वास्तव मै इशिका की चूत को चोद कर मै सवर्ग की किसी अप्सरा को छोड़ने का अहसास कर रहा था . हम दोनों चूत लन्ड के इस खेल को आधे घंटे तक खेलते रहे तभी इशिका की पकड़ मुझ पर और ज्यादा हो गई और मै समझ गया की इशिका का सेक्स पूरा हो गया है। उसकी चूत का गरम पानी मुझे अपने लन्ड पर महसूस हुआ . अब मेरे लिए भी ख़ुद को ज्यादा देर रोक पाना आसान नही था और मैंने भी अपनी वासना के बादलों को इशिका की चूत की प्यासी धरती पर बरसा दिया।

और इसके बाद हम दोनों एक दूसरे पर काफी देर तक लेटे रहे . इशिका बोली सावन ये आज मेरी पहली सुहाग रात है आज रात मुझे जी भर के चोदो और लगा दो अपनी इशिका पर सावन की मोहर . उस रात मैंने इशिका को चार पॉँच बार चोदा . लेकिन उस दिन इशिका की चूत पर बहुत ज्यादा स्वेल्लिंग आगई . साथ ही मेरे लन्ड को भी दर्द का अहसास हो रहा था क्योंकि चूत ज्यादा टाइट थी। इशिका से चला नही जा रहा था मैंने उसे अपनी बांहों मै उठाया और उसके बिस्तर पर लिटाया और उसे एक किस करके चला आया .

उस दिन के बाद जब तक मै मामा के घर पर रहा। हम दोनों की सारी रात उसी गेस्ट रूम में गुजरती थी अकेले तनहा एक दूसरे की आगोश में . सच मुच चुदाई का मज़ा लेने के बाद कुछ ही दिनों में इशिका के चेहरे की चमक अपने आप बढ़ने लगी वो और ज्यादा ख़ूबसूरत और सेक्सी हो गई। तो दोस्तों कभी अपने इस सेक्सी सावन को भी अपनी प्यास बुझाने के लिए याद कीजिये

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